प्रभात ने एक नई कविता के माध्यम से बिहारियों के दर्द को फिर से किया बयां
अपना घर, गांव, ब्लॉक, जिला और राज्य छोड़ बाहर कौन जाना चाहता है? इसके बावजूद लोग जाते है क्योकि स्थानीय स्तर पर रोजगार की कमी है।
दो पैसे कमाने है, बाल-बच्चों का भविष्य बनाना है, परिवार चलाना है। इस कारण विकल्प के अभाव में बाहर जाना है। अपने बिहार के लोग बाहर जाते है, कमाते भी है लेकिन पर्व-त्योहार पर घर नही आ पाते तो उन्हे क्या दर्द होता है, को "बनारस वाला इश्क" फेम लेखक प्रभात बांधुल्य ने कविता के जरिए बयां किया था।
प्रभात ने होली के त्योहार पर अपने घर नहीं लौट पाने वाले बिहारियों के दर्द को बयां अपने अंदाज में बयां किया था। अब होली खत्म होने के बाद प्रभात ने एक नई कविता के माध्यम से उन बिहारियों के दर्द को फिर से बयां किया है, जो होली पर घर तो आ गए। घर वालो से मिले प्यार से मन बाहर न जाने को कहता है पर रोजगार भी जरूरी है। लिहाजा जाना ही है।
प्रभात की यह ताजी कविता-"जाए के मनवा तो न हउ माइ लेकिन जाना जरूरी गे....", इस बात को बयां कर रही है कि रोजगार ही है जो पलायन के लिए उकसाता है। हमारे मजदूर, मजबूर हैं क्योंकि उनको हम उनके राज्य में काम नहीं दे पा रहे है।
प्रभात बांधुल्य वह लेखक है, जिसके लिए उनकी वन साइडेड लवर राजधानी पटना की पिंकी ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को वैलेंटाइन वीक पर चिठ्ठी लिखी थी। चिट्ठी लिख पिंकी ने अपने इस वन साइडेड लवर को प्रपोज करने के लिए पत्र के माध्यम से तेजस्वी से नौकरी मांगी थी। इसी चिठ्ठी से पिंकी तो हिट हो ही गयी थी।
साथ ही लेखक प्रभात बांधुल्य भी बेहद चर्चित हुए थे। इसी वजह से लेखक ने चिट्ठी का जवाब भी दिया था। जवाब में लेखक ने पिंकी के प्रेम को ठुकरा दिया था। कहा था कि उसका पहले से ही किसी से अफेयर चल रहा है,
वह उससे शादी करने वाला है लेकिन वह पिंकी को नौकरी दिलाने की लड़ाई लड़ेगा। समय लेकर तेजस्वी यादव से मिलेगा। फिर बिहार दिवस पर पटना में पिंकी से मिलने का वादा भी किया था। बिहार दिवस आने में अब कुछ दिनों की देरी है।
अब होली के पहले और होली के बाद बिहारी मजदूरों पर अपनी दो कविताओं से यह लेखक पुनः चर्चा में है।
Mar 09 2023, 20:09