कस्तूरबा गांधी की 79 वी पुण्यतिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का किया गया आयोजन।
नई पीढ़ी को महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के जीवन दर्शन को अपने जीवन में शामिल करने की आवश्यकता है। भारत की महान स्वतंत्रता सेनानी कस्तूरबा गांधी की 79 वी पुण्यतिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन।
आज दिनांक 22 फरवरी 2023 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के प्रधान कार्यालय सत्याग्रह भवन में महान स्वतंत्रता सेनानी कस्तूरबा गांधी की 79 वीं एवं भारत के पहले शिक्षा मंत्री स्वर्गीय अबुल कलाम आजाद की 65 वी पुण्यतिथि पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया ।जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, गांधीवादी चिंतको एवं विचारको ने भाग लिया ।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0एजाज अहमद ,डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया ने संयुक्त रूप से कहा कि आज ही के दिन 22 फरवरी 1944 इo को कस्तूरबा गांधी एवं महान स्वतंत्रता सेनानी सह स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री डॉ0अबुल कलाम आजाद का 22 फरवरी 1958 इ0 को निधन हुआ था ।मौलाना आजाद का स्वतंत्रता आंदोलन एवं स्वतंत्र भारत में शिक्षा मंत्री के रूप में अतुल्य योगदान रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए उन्होंने अनेक सुधारात्मक कार्य किए।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड , डॉ शाहनवाज अली ,
नवीदूं चतुर्वेदी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में विशेष रूप से चंपारण सत्याग्रह में महात्मा गांधी के साथ साथ कस्तूरबा गांधी का योगदान अतुल्य रहा है। 1917 इ0 में चंपारण की धरती पर पहली बार महात्मा गांधी के नेतृत्व में कस्तूरबा गांधी ने बेतिया की महिलाओं के सहयोग से जन-जन तक स्वच्छता का संदेश पहुंचाया था ।छुआछूत ,कुपोषण ,नारी शिक्षा पर विशेष रूप से कस्तूरबा गांधी ने बल दिया था।
उन्होंने बालिका शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान दिया।चंपारण की धरती पर उन्होंने तीन बालिकाओं के लिए विद्यालयों का निर्माण कराया, जो चंपारण सत्याग्रह ,महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के जीवंत प्रमाण है।
महात्मा गांधी को कस्तूरबा गांधी के साथ दिव्य दर्शन प्राप्त हुआ था । उन्होंने चंपारण के गरीबों के बीच ईश्वर का दिव्य दर्शन किया था। महात्मा गांधी ने चंपारण बेतिया के गौनाहा प्रखंड के श्रीरामपुर में एक ऐसी महिला को देखने एवं उसकी परिस्थिति को जानने के बाद एकल वस्त्र धारण किया था ।
कहते हैं कि महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के बैठकों एवं सभाओं में ऐसी महिलाएं आती, उनका वस्त्र काफी गंदा होता है ! महात्मा गांधी ने कस्तूरबा गांधी को कारण पता करने को कहा ।
बापू के कहने पर कस्तूरबा गांधी गांव गई एवं महिलाओं से गंदे वस्त्र पहने, जनसभाओं में महिलाओं की उपस्थिति कम होने की बात पूछी ।इस विषय पर वह महिलाएं चुप रही ।फिर अपने घर कस्तूरबा गांधी के कहने पर
एक घर में चार महिलाएं थी और वस्त्र एक। इस बात की सारी जानकारी कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी को दिया तो वो चकित रह गए। कहते हैं कि महात्मा गांधी ने एकल वस्त्र तब तक धारण करने का निर्णय लिया जब तक कि देश के प्रत्येक नागरिक के पास तन ढकने के लिए वस्त्र नहीं हो जाता ।एकल वस्त्र धारण करते रहेंगे ।इस घटना ने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा बना दिया ।
नई पीढ़ी को महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के जीवन दर्शन को अपने जीवन में शामिल करने की आवश्कता है।
Feb 22 2023, 18:25