पार्श्वनाथ तीर्थंकर दिगंबर जिनविंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में रही धूम, समापन कल
निमियाघाट (गिरिडीह) : पारसनाथ की तलहटी पर निमियाघाट में स्थित जैन तीर्थस्थल पुरुषार्थ आश्रम में श्री 1008 श्री मज्जिनेन्द्र चिंतामणि पार्श्वनाथ तीर्थंकर दिगंबर जिनविंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव भब्य रूप में 18 फरवरी से 22 फरवरी तक होगा।
यह महोत्सव सबसे अधिक 557 दिन की तपस्या करने वाले सिंह निष्क्रिय व्रत धारी जैन संत अन्तर्मना आचार्य श्री के मंगल सानिध्य में हो रहा है।आज मंगलवार को चौथे दिन 1008 पारस नाथ भगवान का ज्ञान कल्याणक अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज के सानिध्य में धूमधाम से हुआ।
महोत्सव में झारखंड सहित विभिन्न राज्यों से पहुंचे जैन श्रद्धालू महिला-पुरुष शामिल हुए। पूरा तीर्थ क्षेत्र भगवान पार्श्वनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
मंदिर निर्माणकर्ता विजय-राजू देवी कासलिवाल कोलकत्ता के द्वारा किया गया साथ ही धार्मिक कार्यक्रमों की धूम मची रही। सुबह में अन्तर्मना की नित्य भक्ति अभिषेक व शांतिधारा के बाद पंचकल्याणक की पूजा की गई पूजा में आज आचार्य श्री ने आहार की क्रिया के बारे में बताया कि एक भगवान को आहार करना सैकड़ो मुनिराज को आहार कराने से ज्यादा पुण्य है ,की इस संसार मे अपनी नज़रिया को ठीक करने से सब जगह अच्छा और सकारात्मक दिखेगा ओर जिसकी नज़रिया अच्छी नही है उसे सब जगह बुराई दिखेगा ।
इस संसार मे बुरा कुछ भी नही है नज़रिया ही सब कुछ है ।गांधी जी ने कहा था कि बुरा मत देखो,बुरा मत सुनो,बुरा मत कहो मगर हम कहते है इससे पहले बुरा सोचना बंद करो तो सब कुछ अपने सही हो जाएगा ।इसके बाद आज पारसनाथ कुमार को तरुण भैया ले कर आहार के लिए निकले सेकड़ो लोग आहार देने के लिए लाइन में थे इसमे आहार देने का सौभाग्य मिला। इस क्रिया में बाद सभी साधु गण की आहारचर्या हुई। दिन में समोसरण लगाया गया,समवसरण का उद्घाटन मनोज जैन धनबाद ने किया इसके बाद अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज ने सभी भक्तों के जिज्ञासा का समाधान
सोधर्म इंद्र ने प्रश्न किया कि मनुष्य अंधा,बहरा, गंगा क्यो होता है ?
समवसरण में बैठे अन्तर्मना आचार्य श्री ने बताया कि जो जीव धर्म की बाते सुन करके मुख मोड़ लेता है, धर्म की वाणी को सुनकर के अनसुना करता है ,और धर्म का लाभ लेता है ऐसा मनुष्य अंधा बहरा ओर गूंगा होता है
*एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया कि मनुष्य त्रियंच क्यो होता है?
अन्तर्मना ने बताया कि जो धर्म का पैसा को अपने जीवनोपयोगी में लगता है वो नियम से त्रियंच बनता है।
देव गति के मनुष्य ने प्रश्न किया कि मनुष्य निर्धन क्यो होता है ?
अन्तर्मना आचार्य श्री ने बताया कि जो मनुष्य दान देता है उसका हँसी उड़ाना, उससे जलना ये करने से मनुष्य नियम से निर्धन होता है।
पुरुषार्थ आश्रम में नवनिर्मित मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा की ज्ञान कल्याणक आज मनाया गया,कल भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया जाएगा।सभी कार्यक्रम उपाध्याय सौम्य मूर्ति 108 पीयूष सागर जी महाराज के निर्देशन में हो रहा है।
Feb 21 2023, 20:48