आखिरकार दिल्ली पहुंच ही गया आतंकी तहव्वुर राणा, एयरपोर्ट से ले जाया जाएगा NIA दफ्तर*

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26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से एनआईए की 7 सदस्यीय टीम लेकर दिल्ली आ चुकी है। जांच एजेंसी एनआईए की टीम ने दिल्ली में प्लेन के लैंड होते ही आतंकी तहव्वुर राणा को गिरफ्तार कर लिया। अब तहव्वुर राणा का मेडिकल कराया जाएगा और फिर एनआईए उसे कोर्ट में पेश करेगी। राणा को अमेरिका से भारत लाए जाने के बाद तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में रखा जा सकता है। 

मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के 17 साल बाद आज मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा भारत आ गया है। अमेरिका से प्रत्‍यर्पण के बाद वो कड़ी सुरक्षा व्‍यवस्‍था के बीच दिल्‍ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। इसके साथ ही एनआईए ने उसे आधिकारिक रूप से अरेस्‍ट कर लिया। मेडिकल जांच के बाद उसे सीधे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जा सकता है। राणा की कस्‍डडी की मांग कोर्ट से की जाएगी।

दिल्‍ली के पालम हवाई अड्डे पर प्‍लेन लैंड होने के बाद राणा को पहले एनआईए हेडक्‍वार्टर ले जाया जाएगा। राणा को सुरक्षित एनआईए दफ्तर तक ले जाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। उसे ले जाने के लिए पालम एयरपोर्ट से एनआईए ऑफिस तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। कई लेयर सिक्योरिटी होगी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के SWAT कमांडो के सुरक्षा घेरे में जायेगा राणा।

तहव्वुर राणा की सुरक्षा के लिए थर्ड बटालियन की एक खास टीम तैनात की गई है। इस टीम में एक जेल वैन के साथ एक पायलट कार और एक एस्कॉर्ट कार भी होगी। टीम में कुल 15 पुलिसकर्मी होंगे, जो सभी आधुनिक हथियारों से लैस रहेंगे। यह टीम तहव्वुर राणा को सुरक्षित तरीके से एआईए मुख्यालय तक लेकर जाएगी।

मुंबई का गुनहगार तहव्वुर राणा भारत आ रहा, दिल्ली पहुंचते ही एयरपोर्ट पर होगा गिरफ्तार, एयरपोर्ट से लेकर कोर्ट तक हलचल

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मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा अब से कुछ देर में भारत पहुंचने वाला है। उसे अमेरिका से प्रत्‍यर्पण के बाद लाया जा रहा है। तहव्वुर को जिस विमान से लाया जा रहा है वो दिल्ली में उतरेगा। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उसे गिरफ्तार कर लेगी। यहां पहुंचने के बाद तहव्वुर राणा का मेडिकल कराया जाएगा और फिर एनआईए उसे कोर्ट में पेश करेगी। राणा को अमेरिका से भारत लाए जाने के बाद तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में रखा जा सकता है। इस बीच, एयरपोर्ट पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। SWAT कमांडो की टीम एयरपोर्ट पहुंच गई है।

राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के आखिरी दांव के रूप में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। राणा को भारत लाने के लिए पहले से ही अमेरिका में भारतीय एजेंसियों की टीम पहुंच गई थी। फैसले के बाद टीम ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ राणा के प्रत्यर्पण की कागजी व कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कीं और हिरासत में ले लिया।

प्रत्यर्पण से बचने के लिए अपनाए कई हथकंडे

इससे पहले भी राणा ने बीमारी और भारत में अपनी जान को खतरा बताकर प्रत्यर्पण से छूट मांगी थी।राणा ने 27 फरवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट न्यायाधीश व नाइंथ सर्किट की सर्किट जज एलेना कागन के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक के लिए आपातकालीन आवेदन दिया था। गत माह की शुरुआत में ही जज कागन ने अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद राणा ने फिर से अर्जी दी। 4 अप्रैल को इस पर सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज कर दी।

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण मोदी सरकार की बड़ी सफलता: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के प्रमुख आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की बड़ी सफलता है। राणा को बहुत जल्द ही अमेरिका से भारत लाए जाने की उम्मीद है, क्योंकि अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के फैसले के खिलाफ उसके आवेदन को खारिज कर दिया है।

आतंकी हमलों का साजिशकर्ता राणा

64 साल का राणा कनाडाई नागरिक है। मुंबई हमलों के मामले में वह दूसरे मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमन हेडली के बचपन का दोस्त भी है। आरोप है, हेडली और राणा ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर मुंबई समेत भारत में कई जगहों पर आतंकी हमलों की साजिश रची थी। राणा पर आरोप है कि उसने हेडली को वीजा दिलाने और मुंबई में हमले की साजिश रचने में मदद की थी।

166 लोगों की गई थी जान

मुंबई में 2008 के 26/11 हमले में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोगों की जान गई थी।26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने मुंबई में एक रेलवे स्टेशन, दो होटलों र एक यहूदी केंद्र पर हमला किया था। साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे। इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। इसी मामले में नवंबर 2012 में, पाकिस्तान के आतंकवादी अजमल कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी। भारत कई वर्षों से राणा के प्रत्यर्पण का प्रयास कर रहा था।

कौन था लश्कर-ए-तैयबा का मोस्ट वांटेड आतंकी अबू कताल? गोलियों से भून डाला गया

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लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का खूंखार आतंकवादी अबू कताल मारा गया। पाकिस्तान में रविवार को अबू कताल की गोली मारकर हत्या कर दी गई।पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित झेलम में अज्ञात बंदूकधारियों ने कतार को ढेर कर दिया। लश्कर-ए-तैयबा चीफ हाफिज सईद का करीबी और संगठन का प्रमुख सदस्य कताल जम्मू-कश्मीर में कई हमलों का मास्टरमाइंड था। कताल ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों की बस पर हुए हमले में अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इसकी लंबे समय से तलाश थी। ऐसे में अबू कताल का मारा जाना भारत के लिए भी बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

कताल लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद का भतीजा है। हाफिज सईद ने अपने भतीजे अबू कताल को लश्कर का चीफ आपरेशन कमांडर बनाया था। हाफिज के इशारों पर कताल आतंकी घटनाओं को अंजाम देता था। अबू कताल की हत्या से आतंकियों को बड़ा झटका लगा है। अबू कताल दो दशक से जम्मू कश्मीर में बड़े आतंकी हमलों और घुसपैठ कराने का अहम रोल निभाता आया है। छह से सात बड़े हमलों के पीछे अबू कताल का ही हाथ था। कताल की पुंछ- राजौरी के अलावा जम्मू, किश्तवाड़ और डोडा में मजबूत पकड़ मानी जाती है। यही वजह है कि कताल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था।

भारत की एनआईए ने साल 2023 के राजौरी हमले में शामिल होने की चार्जशीट में अबू कताल का भी नाम शामिल किया था। अबू कताल लश्करे तैयबा का ऑपरेशन प्रमुख संभालता था और उसके पास पीओके में आतंकियों के लॉंच पैड की भी जिम्मेदारी थी। खासतौर पर जम्मू इलाके में आतंकियों की घुसपैठ और ड्रोन व अन्य माध्यमों से हथियारों की सप्लाई भी वही सुनिश्चित करता था।

पाकिस्तानी सेना ने 12 आतंकियों को किया ढेर, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद

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पाकिस्‍तान आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना है। हालांकि, पाकिस्तान ने हमेशा इस बात से इनकार किया है। इस बीच पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सुरक्षाबलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए अभियान में 12 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। वहीं, एक जवान के भी मारे जाने की खबर है। सेना ने मौके से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद करने का दावा भी किया है।

पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा के अनुसार, यह अभियान उत्तरी वजीरिस्तान के हसन खेल इलाके में पांच-छह फरवरी की दरमियानी रात को चलाया गया, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी की भी जान चली गई है। बयान में कहा गया कि इलाके में आंतकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी जिसके आधार पर अभियान को अंजाम दिया गया। इसमें कहा गया कि आतंकवादियों के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं और ये आतंकी सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिकों के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे।

बता दें कि पाकिस्तान में इन दिनों तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने सेना का जीना मुश्किल कर रखा है। आए दिन पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है। हाल के दिनों में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने 10 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी है। वहीं, पिछले महीने अफगानिस्तान के कई संगठनों ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर कब्जा कर लिया था। पांच दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकियों ने हमला किया था। इस बार आतंकियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया थाष अर्धसैनिक बल के वाहन पर भारी गोलीबारी की गई, जिसमें चार जवानों समेत कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, पाक सैनिकों ने बलूचिस्तान में अलग-अलग अभियानों में 23 आतंकवादियों को मार गिराया था।

क्या है “अल्पाइन क्वेस्ट ऐप” जो बना आतंकियों का नया हथियार, सीमा पर इस नई चुनौती से जूझ रही है सेना

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भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में सीमा पार आतंकवाद और उग्रवाद के अलावा तकनीकी युद्ध के एक नए युग से जूझ रही है। दरअसल, समय के साथ आतंकी भी हाइटेक होते जा रहे हैं। आतंकी हमलों के लिए आधुनिक तरीके अपना रहे हैं। ऐप और सैटेलाइट उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्षेत्र में सक्रिय कई आतंकवादी समूहों ने अपने अभियानों को अंजाम देने के लिए आधुनिक गैजेट्स और सॉफ्टवेयर का उपयोग करना शुरू कर दिया है। जो सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए नया सिरदर्द साबित हो रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 50 उच्च प्रशिक्षित लश्कर--तैयबा के आतंकवादी कश्मीर घाटी में छिपे हुए हैं। ये अत्याधुनिक रेडियो संचार प्रणाली और मोबाइल ऐप्लीकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये आतंकवादी ऊंची जगहों में छिपकर और रणनीति बदलकर सुरक्षाबलों की चुनौतियों को बढ़ा रहे हैं।

सुरक्षाबल की निरंतर निगरानी से बचने के लिए वह सेटेलाइट और रेडियो फोन के इस्तेमाल से बच रहे हैं। यही वजह है कि वह अपनी गतिविधियों लिए स्थानीय नेटवर्क के भरोसे रहने की बजाय ऑफलाइन लोकेशन ऐप ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे उन्हें पुलिस मूवमेंट, बैरिकेड्स और सुरक्षाबलों के कैंपों की सारी जानकारी मिलती है।

आतंकवादियों द्वारा इस ऐप का इस्तेमाल पहली बार सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले साल कठुआ और डोडा में मुठभेड़ों में मारे गए आतंकवादियों के मोबाइल फोन का विश्लेषण करने के बाद देखा था। मूल रूप से ऑस्ट्रेलियाई नेविगेशन उपकरण के रूप में पैदल यात्रियों और पर्वतारोहियों के लिए डिज़ाइन किया गया ऐप, सुरक्षा बल शिविरों, सेना आंदोलन मार्गों, चौकियों और बाधाओं पर डेटा शामिल करने के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा संशोधित किया गया है। यह संशोधन आतंकवादियों को सुरक्षा बलों से प्रभावी ढंग से बचने में मदद करता है।

सुरक्षा बलों द्वारा ओजीडब्ल्यू के खिलाफ कार्रवाई के जवाब में, आतंकवादियों के लिए स्थानीय समर्थन कम हो गया है, जिससे उन्हें पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से मौजूद गुफाओं में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। चलते समय, आतंकवादी इस डर से ओजीडब्ल्यू से बच रहे हैं कि वे सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी लीक कर सकते हैं, जिससे उनका सफाया हो सकता है।

इसके अलावा, आतंकवादियों को पाकिस्तान स्थित सर्वर के साथ अत्यधिक एन्क्रिप्टेड अल्ट्रा-रेडियो संचार उपकरणों का उपयोग करते हुए पाया गया है। यह तकनीक रिपीटर स्टेशनों और सर्वरों के माध्यम से सिग्नलों को रूट करके आतंकवादियों के बीच सुरक्षित संचार को सक्षम बनाती है, जिससे सुरक्षा बलों के लिए वास्तविक समय में उनके संचार को रोकना या डिकोड करना मुश्किल हो जाता है।

सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की एक साल की लंबी जांच से पता चला है कि 2022 के बाद से कश्मीर घाटी, चिन्नाब घाटी और पीर पंजाल रेंज में आतंकवादी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले साल कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों के अलावा जम्मू के कठुआ, उधमपुर, किश्तवाड़, डोडा, रियासी, पुंछ और राजौरी जिलों के ऊपरी इलाकों में आतंकवादी गतिविधियां देखी गईं। आतंकवादियों ने शिव खोरी मंदिर में सुरक्षा बलों, ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) और तीर्थयात्रियों पर हमले किए हैं। सुरक्षा बलों के आतंकरोधी अभियानों में कई आतंकवादी मारे गये।

रिपोर्टों से पता चलता है कि आतंकवादी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं, वे उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और जनता के बीच डर पैदा करने के लिए हमले के वीडियो का उपयोग करते हैं। घुसपैठ की इस नई लहर और उन्नत परिचालन रणनीतियों का मुकाबला करने में एजेंसियों को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

आतंकी मसूद अजहर को आया हार्ट अटैक, यहां छिपकर बैठा था भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकी, लाया गया कराची

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भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी और जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को हार्ट अटैक आया है। मसूद अजहर को अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में दिल का दौरा पड़ा। न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल मसूद अजहर का कराची के आर्मी अस्पताल में भर्ती है और वहां उसका कड़ी सुरक्षा के बीच इलाज चल रहा है। मसूद को कराची से रावलपिंडी या इस्लामाबाद के बड़े अस्पताल में ले जाने की भी चर्चा है।

मसूद अजहर अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा था। यहीं उसे दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उसे इलाज के लिए पाकिस्तान लाया गया है। एक विशेष एंबुलेंस से आतंकी मौलाना मसूद अजहर को खोस्त प्रांत के गोरबाज इलाके के रास्ते पाकिस्तान लाया गया है।

जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र में नामित आतंकवादी है और भारत में हुए कई आतंकी हमलों का मास्टर माइंड समझा जाता है। दिसंबर 1999 में काठमांडू से कंधार तक की फ्लाइट को हाईजैक किये जाने की घटना में यात्रियों के बदले मुक्त किये गए आतंकी मसूद अजहर ने खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की थी। मसूद अजहर भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। इनमें 2001 में संसद हमले और 2008 के मुंबई हमले जैसे हमले शामिल हैं।

सितंबर 2019 में भारत ने अजहर और एक अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत ‘आतंकवादी’ घोषित किया था। भारत ने बार-बार पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाकर आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा देता है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान, विशेष रूप से मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करता है।

पाकिस्तान की सरकार और आर्मी पर पर्दे के पीछे से मसूद को शह देने का आरोप लगता रहा है। भारत ने मसूद को पाकिस्तान में सुरक्षित पनाह मिलने के मुद्दे को कई बार अलग-अलग अतंरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया है। अजहर कुछ दिन पहले ही चर्चा में आया था, जब उसे पाकिस्तान के बहावलपुर में एक सार्वजनिक सभा में भाषण देते हुए देखा गया था। इस दौरान भी मसूद अजहर ने भारत के लिए जमकर जहर उगला था।

यूपी-पंजाब पुलिस से मुठभेड़ में खालिस्तानी कमांडो फोर्स के तीन आतंकी ढेर,पुलिस चौकी पर किया था ग्रेनेड हमला*
#encounter_in_pilibhit_up_and_punjab_police_killed_three_khalistani_terrorists पंजाब के गुरुदासपुर जिले में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड से हमला मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। यूपी और पंजाब पुलिस ने मुठभेड़ में तीन खालिस्तानी आतंकियों को मार गिराया है। तीनों आतंकी खालिस्तानी कमांडो फोर्स के थे। मौके से दो एके-47 और दो पिस्टल बरामद की गई हैं। तीनों ने गुरदासपुर चौकी पर ग्रेनेड फेंका था। तीनोम आतंकियों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीलीभीत जिले में मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में घायल होने के बाद तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई इनके पास से 2 एके 47 और दो पिस्टल बरामद हुई हैं। मुठभेड़ की घटना पूरनपुर थानाक्षेत्र में नहर के पास हुई। पूरनपुर क्षेत्र में पंजाब और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने यह कार्रवाई की है। पूरनपुर क्षेत्र में हरदोई ब्रांच नहर के करीब सोमवार सुबह करीब पांच बजे मुठभेड़ हुई। मारे गए आतंकवादियों के नाम प्रताप सिंह (23) पुत्र स्वरूप सिंह, शाहनूर खुर्द कलानूर जिला गुरदास पुर, वीरेंद्र सिंह (23) पुत्र रंजीत सिंह, ऐशबान थाना कलानूर, गुरविंदर सिंह (20) पुत्र गुरदेव सिंह बुढिया कलानूर गुरदासपुर पंजाब हैं। दो एके-47 और दो पिस्टल बरामद हुई हैं। बताया जा रहा है कि ये तीनों पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर हमले के मामले में वांछित थे। पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकियों में धमाके हुए थे। पहले बंद पड़ी पुलिस चौकी बख्शीवाल पर गुरुवार को हमला हुआ। उसके एक दिन बाद शुक्रवार रात्रि एक और बंद पुलिस चौकी पर धमाका हुआ। ये दोनों पुलिस चौकियां कर्मचारियों की कमी के कारण पिछले दिनों बंद कर दी गई थीं। धमाके से आसपास के घरों के लोग सहम गए थे। पुलिस ने बताया था कि वडाला बांगर की चौकी में रात को धमाके से लोग दहल गए थे। लोग डर के घरों से बाहर निकले तो पता चला कि पुलिस थाने से आवाज आई है। इसके बाद यहां रात भर पुलिस की गाड़ियों के सायरन बजते रहे।
पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला, खैबर पख्तूनख्वा में हुए धमाके में 16 सैनिकों की मौत

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पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। खैबर पख्तूनख्वा में हुए इस हमले में 16 सैनिकों की मौत हो गई है जबकि 8 घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला दक्षिण वजीरिस्तान के माकिन के लिटा सर इलाके में पाकिस्तान की सुरक्षा चौकी पर हुआ है। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान जारी है।

किसी भी संगठन ने फिलहाल इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पाकिस्तान में अफगानिस्तान से लगती सीमा पर लगातार आतंकी हमले देखे जा रहे हैं। यहां तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के आतंकी आए दिन हमला करते रहते हैं। इससे पहले 5 अक्तूबर को कई आतंकी हमलों में 16 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। खुर्रम जिले में हमले में सात सैनिक मारे गए थे, वहीं दो लोग घायल हुए थे। विश्व स्तर पर नामित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कथित तौर पर हिंसा की जिम्मेदारी ली थी।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी के नेतृत्व वाले तीव्र हमलों और बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी जातीय बलूच विद्रोहियों के परिणामस्वरूण अकेले इसी साल सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई।

पाकिस्तान इन हमलों के लिए तहरीक ए तालिबान को ठहराता रहा है। साथ ही यह भी आरोप लगाता है कि अफगान तालिबान सरकार अफगानिस्तान में टीटीपी के लड़ाकों को पनाह दे रहे हैं। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने कहा था कि अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान सरकार के साथ बातचीत ही क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने का एकमात्र तरीका है।

कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई दी गई, यासीन मलिक केस में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के मामले में सुनवाई हुई। कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी के खिलाफ सीबीआई की अपील पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आतंकी अजमल कसाब का जिक्र किया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस देश में आतंकी अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था, तो यासीन मलिक को क्यों नहीं। साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को एक हफ्ते में संशोधित याचिका दायर करने को कहा और केस से जुड़े सभी आरोपियों को पक्षकार बनाने की इजाजत दी। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सदस्यता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर सत्र अदालत के बीते साल सितंबर में दिए एक आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे संकेत दिए कि अदालत यासीन मलिक मामले में तिहाड़ जेल के भीतर ही कोर्ट रूम स्थापित करने का निर्देश दे सकती है। सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह यासीन मलिक की चालबाजी है इसलिए वह कह रहे हैं कि किसी वकील के बजाय वह खुद कोर्ट में पेश होंगे। एसजी मेहता ने लश्कर-ए-तैयबा के फाउंडर हाफिज सईद के साथ यासीन मलिक की फोटो कोर्ट को दिखाते हुए कहा कि यह सुरक्षा के लिहाज से यह बहुत बड़ा मुद्दा है। साथ ही यह गवाहों के लिए भी खतरे की बात है। तुषार मेहता के तर्क पर जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा, लेकिन ऑनलाइन सुनवाई में क्रॉस एग्जामिनशेन कैसे हो पाएगा? जम्मू में तो अच्छी कनेक्टिविटी भी नहीं है।' जज की चिंता पर एसजी तुषार मेहता ने फिर से दोहराया कि यासीन मलिक कोई साधारण अपराधी नहीं है वह कई बार हाफिज सईद से मिलने पाकिस्तान भी जा चुका है। उन्होंने कहा कि गवाहों को भी सिक्योरिटी की जरूरत होगी क्योंकि पहले एक गवाह की हत्या कर दी गई थी। तब जस्टिस ओका ने कहा कि हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष ट्रायल दिया गया था। इसके बाद पीठ ने कहा कि वे तिहाड़ जेल में ही यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के लिए सत्र अदालत के जज को दिल्ली बुलाने पर विचार सकते हैं, लेकिन उससे पहले मामले में सभी आरोपियों की सुनवाई होनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 28 नवंबर के लिए टाल दी है। क्या है मामला? दरअसल, यह पूरा मामला 1990 में चार वायु सेना कर्मियों की हत्या से जुड़ा है। यासीन मलिक के नेतृत्व में आतंकवादियों के एक समूह ने 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में भारतीय वायु सेना के जवानों पर गोलीबारी की थी। इस हमले में चार जवान मारे गए थे और 40 अन्य घायल हुए थे। मलिक उस समय आतंकवादी समूह जेकेएलएफ का नेता था। मलिक को 1990 में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे रिहा कर दिया था। उसके मुकदमे पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, यासीन पिछले 5 साल से जेल में बंद है. यासीन को अभी सिर्फ टेरर फंडिंग के केस में सजा हुई है।
ट्रूडो की अग्निपरीक्षाःआतंकी अर्श डल्ला पर भारत ने चली बड़ी चाल, अब क्या करेंगे कनाडाई पीएम
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* कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यही यकीन दिलाने की कोशिश की कि उनके देश में खालिस्तानी आतंकी मौजूद नहीं हैं। खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला भारत का मोस्ट वान्टेड टेररिस्ट है। वह खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर का करीबी गैंगस्टर रहा है। वह सालों से कनाडा में है और ट्रूडो सरकार की नाक के नीचे गैंग और भारत विरोधी अभियान चला रहा है। लेकिन अब कनाडा में हुए हालिया घटनाक्रम ने ट्रूडो के इन दावों की पोल खोल दी है। अब जब अर्श डल्ला की गिरफ्तारी हो चुकी है तो ट्रूडो सरकार उसे बचाने में जुट चुकी है। खालिस्तानी वोट बैंट की वजह से ट्रूडो सरकार आतंकी को भारत के हाथ नहीं सौंपना चाहती। हालांकि, भारत भी हाथ पर हाथ रखकर बैठने वाला नहीं है। अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण के लिए भारत ने अपनी चाल चल दी है।भारत ने खूंखार खालिस्तानी आतंकी अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण की आधिकारिक अपील कनाडा से की है। *नहीं होगी अर्श डल्ला केस की मीडिया कवरेज* दरअसल, खालिस्तान टाइगर फोर्स के सरगना अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला को गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को कनाडा की कोर्ट में पेश किया गया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो यहां भी भारत के दुश्मनों से प्यार छुपा नहीं सके। उसे बचाने के लिए कनाडा सरकार ने भरी अदालत में एक दांव चल दिया। आतंकी अर्श डल्ला को लेकर कोई भी जानकारी भारत और दुनिया को पता न चले, इसके लिए कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार के वकील ने मीडिया कवरेज पर बैन की मांग कर दी। सरकारी वकील ने अदालत में एप्लिकेशन लगाई कि 517 पब्लिकेशन एक्ट के तहत कवरेज को लेकर मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। इसके बाद कनाडा की कोर्ट ने ऑर्डर दे दिया कि अर्श डल्ला केस की मीडिया कवरेज न हो। इस तरह से ट्रूडो ने भारत विरोधी अपनी एक हरकत को खुलेआम कर दिया। *भारत सरकार ने भी चल दी अपनी चाल* भले ही ट्रूडो भारत विरोधियों को पनाह देने की लाख कोशिश करें, मगर मोदी सरकार भी चुप बैठने वाली नहीं है। अपने मोस्ट वांटेड आतंकी को वापस पाने और उसे भारत में न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए कई कदम उठा रहा है। भारत सरकार अब उसके प्रत्यर्पण की पूरी कोशिश में जुट गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया है कि 10 नवंबर को अर्श डल्ला की गिरफ्तारी हुई और अब ओंटोरियो कोर्ट में उसके केस की सुनवाई होगी। मंत्रालय के बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और आतंकी फंडिंग सहित आतंकवादी कृत्यों के 50 से अधिक मामलों में एक घोषित अपराधी है। मई 2022 में उसके खिलाफ एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। उन्हें 2023 में भारत में आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। जुलाई 2023 में भारत सरकार ने कनाडा सरकार से उसकी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था। इसे अस्वीकार कर दिया गया था। इस मामले में अतिरिक्त जानकारी प्रदान की गई थी।' बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला के संदिग्ध आवासीय पते, भारत में उसके वित्तीय लेनदेन, चल/अचल संपत्तियों, मोबाइल नंबरों के विवरण आदि को सत्यापित करने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत कनाडा को एक अलग अनुरोध भी भेजा गया था - जिनमें से सभी जनवरी 2023 में कनाडा के अधिकारियों को प्रदान किए गए थे। दिसंबर 2023 में कनाडा के न्याय विभाग ने मामले पर अतिरिक्त जानकारी मांगी। इन सवालों का जवाब इस साल मार्च में भेजा गया था।' विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हालिया गिरफ्तारी को देखते हुए, हमारी एजेंसियां प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करेंगी। भारत में अर्श डल्ला के आपराधिक रिकॉर्ड और कनाडा में इसी तरह की अवैध गतिविधियों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए उम्मीद है कि उसे भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित या निर्वासित किया जाएगा।' *क्या है ट्रूडो सरकार की मंशा?* भारत के आग्रह पर जस्टिन ट्रूडो की सरकार क्या करेगी, इसका जवाब तो बाद में मिलेगा, लेकिन हालिया फैसलों से उसकी मंशा को जरूर उजागर कर दिया है। कनाडा में हाल के दिनों में हिंदुओं और भारत के खिलाफ दो बड़ी घटनाएं हुई हैं। दीपावली के मौके पर कनाडा के हिंदू मंदिरों में खालिस्तानी आतंकियों ने हमला किया था। तब कनाडा पुलिस ने मार-पीट और हिंसा करने वालों को सिर्फ गिरफ्तार किया और तुरंत रिहा भी कर दिया। दूसरी तरफ, ट्रूडो सरकार ने संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो को क्लीन चिट दे दि जिस पर भारत में शौर्य चक्र विजेता बलविंद सिंह संधू की हत्या करवाने का आरोप है। सनी पर लगे आतंकवाद फैलाने के आरोपों की जांच कनैडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) कर रही थी। एजेंसी ने उसे क्लीन चिट दे दी है। सनी कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) में तैनात था। उसे वापस सुपरिटेंडेंट के पद पर तैनात कर दिया गया है।
आखिरकार दिल्ली पहुंच ही गया आतंकी तहव्वुर राणा, एयरपोर्ट से ले जाया जाएगा NIA दफ्तर*

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26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से एनआईए की 7 सदस्यीय टीम लेकर दिल्ली आ चुकी है। जांच एजेंसी एनआईए की टीम ने दिल्ली में प्लेन के लैंड होते ही आतंकी तहव्वुर राणा को गिरफ्तार कर लिया। अब तहव्वुर राणा का मेडिकल कराया जाएगा और फिर एनआईए उसे कोर्ट में पेश करेगी। राणा को अमेरिका से भारत लाए जाने के बाद तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में रखा जा सकता है। 

मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के 17 साल बाद आज मास्‍टरमाइंड तहव्‍वुर हुसैन राणा भारत आ गया है। अमेरिका से प्रत्‍यर्पण के बाद वो कड़ी सुरक्षा व्‍यवस्‍था के बीच दिल्‍ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। इसके साथ ही एनआईए ने उसे आधिकारिक रूप से अरेस्‍ट कर लिया। मेडिकल जांच के बाद उसे सीधे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जा सकता है। राणा की कस्‍डडी की मांग कोर्ट से की जाएगी।

दिल्‍ली के पालम हवाई अड्डे पर प्‍लेन लैंड होने के बाद राणा को पहले एनआईए हेडक्‍वार्टर ले जाया जाएगा। राणा को सुरक्षित एनआईए दफ्तर तक ले जाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। उसे ले जाने के लिए पालम एयरपोर्ट से एनआईए ऑफिस तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। कई लेयर सिक्योरिटी होगी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के SWAT कमांडो के सुरक्षा घेरे में जायेगा राणा।

तहव्वुर राणा की सुरक्षा के लिए थर्ड बटालियन की एक खास टीम तैनात की गई है। इस टीम में एक जेल वैन के साथ एक पायलट कार और एक एस्कॉर्ट कार भी होगी। टीम में कुल 15 पुलिसकर्मी होंगे, जो सभी आधुनिक हथियारों से लैस रहेंगे। यह टीम तहव्वुर राणा को सुरक्षित तरीके से एआईए मुख्यालय तक लेकर जाएगी।

मुंबई का गुनहगार तहव्वुर राणा भारत आ रहा, दिल्ली पहुंचते ही एयरपोर्ट पर होगा गिरफ्तार, एयरपोर्ट से लेकर कोर्ट तक हलचल

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मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा अब से कुछ देर में भारत पहुंचने वाला है। उसे अमेरिका से प्रत्‍यर्पण के बाद लाया जा रहा है। तहव्वुर को जिस विमान से लाया जा रहा है वो दिल्ली में उतरेगा। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उसे गिरफ्तार कर लेगी। यहां पहुंचने के बाद तहव्वुर राणा का मेडिकल कराया जाएगा और फिर एनआईए उसे कोर्ट में पेश करेगी। राणा को अमेरिका से भारत लाए जाने के बाद तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में रखा जा सकता है। इस बीच, एयरपोर्ट पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। SWAT कमांडो की टीम एयरपोर्ट पहुंच गई है।

राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के आखिरी दांव के रूप में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। राणा को भारत लाने के लिए पहले से ही अमेरिका में भारतीय एजेंसियों की टीम पहुंच गई थी। फैसले के बाद टीम ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ राणा के प्रत्यर्पण की कागजी व कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कीं और हिरासत में ले लिया।

प्रत्यर्पण से बचने के लिए अपनाए कई हथकंडे

इससे पहले भी राणा ने बीमारी और भारत में अपनी जान को खतरा बताकर प्रत्यर्पण से छूट मांगी थी।राणा ने 27 फरवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट न्यायाधीश व नाइंथ सर्किट की सर्किट जज एलेना कागन के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक के लिए आपातकालीन आवेदन दिया था। गत माह की शुरुआत में ही जज कागन ने अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद राणा ने फिर से अर्जी दी। 4 अप्रैल को इस पर सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज कर दी।

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण मोदी सरकार की बड़ी सफलता: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के प्रमुख आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की बड़ी सफलता है। राणा को बहुत जल्द ही अमेरिका से भारत लाए जाने की उम्मीद है, क्योंकि अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के फैसले के खिलाफ उसके आवेदन को खारिज कर दिया है।

आतंकी हमलों का साजिशकर्ता राणा

64 साल का राणा कनाडाई नागरिक है। मुंबई हमलों के मामले में वह दूसरे मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमन हेडली के बचपन का दोस्त भी है। आरोप है, हेडली और राणा ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर मुंबई समेत भारत में कई जगहों पर आतंकी हमलों की साजिश रची थी। राणा पर आरोप है कि उसने हेडली को वीजा दिलाने और मुंबई में हमले की साजिश रचने में मदद की थी।

166 लोगों की गई थी जान

मुंबई में 2008 के 26/11 हमले में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोगों की जान गई थी।26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने मुंबई में एक रेलवे स्टेशन, दो होटलों र एक यहूदी केंद्र पर हमला किया था। साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे। इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। इसी मामले में नवंबर 2012 में, पाकिस्तान के आतंकवादी अजमल कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी। भारत कई वर्षों से राणा के प्रत्यर्पण का प्रयास कर रहा था।

कौन था लश्कर-ए-तैयबा का मोस्ट वांटेड आतंकी अबू कताल? गोलियों से भून डाला गया

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लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का खूंखार आतंकवादी अबू कताल मारा गया। पाकिस्तान में रविवार को अबू कताल की गोली मारकर हत्या कर दी गई।पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित झेलम में अज्ञात बंदूकधारियों ने कतार को ढेर कर दिया। लश्कर-ए-तैयबा चीफ हाफिज सईद का करीबी और संगठन का प्रमुख सदस्य कताल जम्मू-कश्मीर में कई हमलों का मास्टरमाइंड था। कताल ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों की बस पर हुए हमले में अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इसकी लंबे समय से तलाश थी। ऐसे में अबू कताल का मारा जाना भारत के लिए भी बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

कताल लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद का भतीजा है। हाफिज सईद ने अपने भतीजे अबू कताल को लश्कर का चीफ आपरेशन कमांडर बनाया था। हाफिज के इशारों पर कताल आतंकी घटनाओं को अंजाम देता था। अबू कताल की हत्या से आतंकियों को बड़ा झटका लगा है। अबू कताल दो दशक से जम्मू कश्मीर में बड़े आतंकी हमलों और घुसपैठ कराने का अहम रोल निभाता आया है। छह से सात बड़े हमलों के पीछे अबू कताल का ही हाथ था। कताल की पुंछ- राजौरी के अलावा जम्मू, किश्तवाड़ और डोडा में मजबूत पकड़ मानी जाती है। यही वजह है कि कताल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था।

भारत की एनआईए ने साल 2023 के राजौरी हमले में शामिल होने की चार्जशीट में अबू कताल का भी नाम शामिल किया था। अबू कताल लश्करे तैयबा का ऑपरेशन प्रमुख संभालता था और उसके पास पीओके में आतंकियों के लॉंच पैड की भी जिम्मेदारी थी। खासतौर पर जम्मू इलाके में आतंकियों की घुसपैठ और ड्रोन व अन्य माध्यमों से हथियारों की सप्लाई भी वही सुनिश्चित करता था।

पाकिस्तानी सेना ने 12 आतंकियों को किया ढेर, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद

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पाकिस्‍तान आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना है। हालांकि, पाकिस्तान ने हमेशा इस बात से इनकार किया है। इस बीच पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सुरक्षाबलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए अभियान में 12 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। वहीं, एक जवान के भी मारे जाने की खबर है। सेना ने मौके से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद करने का दावा भी किया है।

पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा के अनुसार, यह अभियान उत्तरी वजीरिस्तान के हसन खेल इलाके में पांच-छह फरवरी की दरमियानी रात को चलाया गया, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी की भी जान चली गई है। बयान में कहा गया कि इलाके में आंतकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी जिसके आधार पर अभियान को अंजाम दिया गया। इसमें कहा गया कि आतंकवादियों के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं और ये आतंकी सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिकों के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे।

बता दें कि पाकिस्तान में इन दिनों तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने सेना का जीना मुश्किल कर रखा है। आए दिन पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है। हाल के दिनों में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने 10 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी है। वहीं, पिछले महीने अफगानिस्तान के कई संगठनों ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर कब्जा कर लिया था। पांच दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकियों ने हमला किया था। इस बार आतंकियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया थाष अर्धसैनिक बल के वाहन पर भारी गोलीबारी की गई, जिसमें चार जवानों समेत कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, पाक सैनिकों ने बलूचिस्तान में अलग-अलग अभियानों में 23 आतंकवादियों को मार गिराया था।

क्या है “अल्पाइन क्वेस्ट ऐप” जो बना आतंकियों का नया हथियार, सीमा पर इस नई चुनौती से जूझ रही है सेना

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भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में सीमा पार आतंकवाद और उग्रवाद के अलावा तकनीकी युद्ध के एक नए युग से जूझ रही है। दरअसल, समय के साथ आतंकी भी हाइटेक होते जा रहे हैं। आतंकी हमलों के लिए आधुनिक तरीके अपना रहे हैं। ऐप और सैटेलाइट उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्षेत्र में सक्रिय कई आतंकवादी समूहों ने अपने अभियानों को अंजाम देने के लिए आधुनिक गैजेट्स और सॉफ्टवेयर का उपयोग करना शुरू कर दिया है। जो सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए नया सिरदर्द साबित हो रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 50 उच्च प्रशिक्षित लश्कर--तैयबा के आतंकवादी कश्मीर घाटी में छिपे हुए हैं। ये अत्याधुनिक रेडियो संचार प्रणाली और मोबाइल ऐप्लीकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये आतंकवादी ऊंची जगहों में छिपकर और रणनीति बदलकर सुरक्षाबलों की चुनौतियों को बढ़ा रहे हैं।

सुरक्षाबल की निरंतर निगरानी से बचने के लिए वह सेटेलाइट और रेडियो फोन के इस्तेमाल से बच रहे हैं। यही वजह है कि वह अपनी गतिविधियों लिए स्थानीय नेटवर्क के भरोसे रहने की बजाय ऑफलाइन लोकेशन ऐप ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे उन्हें पुलिस मूवमेंट, बैरिकेड्स और सुरक्षाबलों के कैंपों की सारी जानकारी मिलती है।

आतंकवादियों द्वारा इस ऐप का इस्तेमाल पहली बार सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले साल कठुआ और डोडा में मुठभेड़ों में मारे गए आतंकवादियों के मोबाइल फोन का विश्लेषण करने के बाद देखा था। मूल रूप से ऑस्ट्रेलियाई नेविगेशन उपकरण के रूप में पैदल यात्रियों और पर्वतारोहियों के लिए डिज़ाइन किया गया ऐप, सुरक्षा बल शिविरों, सेना आंदोलन मार्गों, चौकियों और बाधाओं पर डेटा शामिल करने के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा संशोधित किया गया है। यह संशोधन आतंकवादियों को सुरक्षा बलों से प्रभावी ढंग से बचने में मदद करता है।

सुरक्षा बलों द्वारा ओजीडब्ल्यू के खिलाफ कार्रवाई के जवाब में, आतंकवादियों के लिए स्थानीय समर्थन कम हो गया है, जिससे उन्हें पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से मौजूद गुफाओं में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। चलते समय, आतंकवादी इस डर से ओजीडब्ल्यू से बच रहे हैं कि वे सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी लीक कर सकते हैं, जिससे उनका सफाया हो सकता है।

इसके अलावा, आतंकवादियों को पाकिस्तान स्थित सर्वर के साथ अत्यधिक एन्क्रिप्टेड अल्ट्रा-रेडियो संचार उपकरणों का उपयोग करते हुए पाया गया है। यह तकनीक रिपीटर स्टेशनों और सर्वरों के माध्यम से सिग्नलों को रूट करके आतंकवादियों के बीच सुरक्षित संचार को सक्षम बनाती है, जिससे सुरक्षा बलों के लिए वास्तविक समय में उनके संचार को रोकना या डिकोड करना मुश्किल हो जाता है।

सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की एक साल की लंबी जांच से पता चला है कि 2022 के बाद से कश्मीर घाटी, चिन्नाब घाटी और पीर पंजाल रेंज में आतंकवादी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले साल कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों के अलावा जम्मू के कठुआ, उधमपुर, किश्तवाड़, डोडा, रियासी, पुंछ और राजौरी जिलों के ऊपरी इलाकों में आतंकवादी गतिविधियां देखी गईं। आतंकवादियों ने शिव खोरी मंदिर में सुरक्षा बलों, ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) और तीर्थयात्रियों पर हमले किए हैं। सुरक्षा बलों के आतंकरोधी अभियानों में कई आतंकवादी मारे गये।

रिपोर्टों से पता चलता है कि आतंकवादी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं, वे उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और जनता के बीच डर पैदा करने के लिए हमले के वीडियो का उपयोग करते हैं। घुसपैठ की इस नई लहर और उन्नत परिचालन रणनीतियों का मुकाबला करने में एजेंसियों को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

आतंकी मसूद अजहर को आया हार्ट अटैक, यहां छिपकर बैठा था भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकी, लाया गया कराची

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भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी और जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को हार्ट अटैक आया है। मसूद अजहर को अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में दिल का दौरा पड़ा। न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल मसूद अजहर का कराची के आर्मी अस्पताल में भर्ती है और वहां उसका कड़ी सुरक्षा के बीच इलाज चल रहा है। मसूद को कराची से रावलपिंडी या इस्लामाबाद के बड़े अस्पताल में ले जाने की भी चर्चा है।

मसूद अजहर अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा था। यहीं उसे दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उसे इलाज के लिए पाकिस्तान लाया गया है। एक विशेष एंबुलेंस से आतंकी मौलाना मसूद अजहर को खोस्त प्रांत के गोरबाज इलाके के रास्ते पाकिस्तान लाया गया है।

जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र में नामित आतंकवादी है और भारत में हुए कई आतंकी हमलों का मास्टर माइंड समझा जाता है। दिसंबर 1999 में काठमांडू से कंधार तक की फ्लाइट को हाईजैक किये जाने की घटना में यात्रियों के बदले मुक्त किये गए आतंकी मसूद अजहर ने खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की थी। मसूद अजहर भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। इनमें 2001 में संसद हमले और 2008 के मुंबई हमले जैसे हमले शामिल हैं।

सितंबर 2019 में भारत ने अजहर और एक अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत ‘आतंकवादी’ घोषित किया था। भारत ने बार-बार पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाकर आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा देता है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान, विशेष रूप से मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करता है।

पाकिस्तान की सरकार और आर्मी पर पर्दे के पीछे से मसूद को शह देने का आरोप लगता रहा है। भारत ने मसूद को पाकिस्तान में सुरक्षित पनाह मिलने के मुद्दे को कई बार अलग-अलग अतंरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया है। अजहर कुछ दिन पहले ही चर्चा में आया था, जब उसे पाकिस्तान के बहावलपुर में एक सार्वजनिक सभा में भाषण देते हुए देखा गया था। इस दौरान भी मसूद अजहर ने भारत के लिए जमकर जहर उगला था।

यूपी-पंजाब पुलिस से मुठभेड़ में खालिस्तानी कमांडो फोर्स के तीन आतंकी ढेर,पुलिस चौकी पर किया था ग्रेनेड हमला*
#encounter_in_pilibhit_up_and_punjab_police_killed_three_khalistani_terrorists पंजाब के गुरुदासपुर जिले में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड से हमला मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। यूपी और पंजाब पुलिस ने मुठभेड़ में तीन खालिस्तानी आतंकियों को मार गिराया है। तीनों आतंकी खालिस्तानी कमांडो फोर्स के थे। मौके से दो एके-47 और दो पिस्टल बरामद की गई हैं। तीनों ने गुरदासपुर चौकी पर ग्रेनेड फेंका था। तीनोम आतंकियों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीलीभीत जिले में मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में घायल होने के बाद तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई इनके पास से 2 एके 47 और दो पिस्टल बरामद हुई हैं। मुठभेड़ की घटना पूरनपुर थानाक्षेत्र में नहर के पास हुई। पूरनपुर क्षेत्र में पंजाब और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने यह कार्रवाई की है। पूरनपुर क्षेत्र में हरदोई ब्रांच नहर के करीब सोमवार सुबह करीब पांच बजे मुठभेड़ हुई। मारे गए आतंकवादियों के नाम प्रताप सिंह (23) पुत्र स्वरूप सिंह, शाहनूर खुर्द कलानूर जिला गुरदास पुर, वीरेंद्र सिंह (23) पुत्र रंजीत सिंह, ऐशबान थाना कलानूर, गुरविंदर सिंह (20) पुत्र गुरदेव सिंह बुढिया कलानूर गुरदासपुर पंजाब हैं। दो एके-47 और दो पिस्टल बरामद हुई हैं। बताया जा रहा है कि ये तीनों पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर हमले के मामले में वांछित थे। पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकियों में धमाके हुए थे। पहले बंद पड़ी पुलिस चौकी बख्शीवाल पर गुरुवार को हमला हुआ। उसके एक दिन बाद शुक्रवार रात्रि एक और बंद पुलिस चौकी पर धमाका हुआ। ये दोनों पुलिस चौकियां कर्मचारियों की कमी के कारण पिछले दिनों बंद कर दी गई थीं। धमाके से आसपास के घरों के लोग सहम गए थे। पुलिस ने बताया था कि वडाला बांगर की चौकी में रात को धमाके से लोग दहल गए थे। लोग डर के घरों से बाहर निकले तो पता चला कि पुलिस थाने से आवाज आई है। इसके बाद यहां रात भर पुलिस की गाड़ियों के सायरन बजते रहे।
पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला, खैबर पख्तूनख्वा में हुए धमाके में 16 सैनिकों की मौत

#pakistan_south_waziristan_makeen_terrorist_attack_16_soldiers_killed

पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। खैबर पख्तूनख्वा में हुए इस हमले में 16 सैनिकों की मौत हो गई है जबकि 8 घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला दक्षिण वजीरिस्तान के माकिन के लिटा सर इलाके में पाकिस्तान की सुरक्षा चौकी पर हुआ है। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान जारी है।

किसी भी संगठन ने फिलहाल इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पाकिस्तान में अफगानिस्तान से लगती सीमा पर लगातार आतंकी हमले देखे जा रहे हैं। यहां तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के आतंकी आए दिन हमला करते रहते हैं। इससे पहले 5 अक्तूबर को कई आतंकी हमलों में 16 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। खुर्रम जिले में हमले में सात सैनिक मारे गए थे, वहीं दो लोग घायल हुए थे। विश्व स्तर पर नामित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कथित तौर पर हिंसा की जिम्मेदारी ली थी।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी के नेतृत्व वाले तीव्र हमलों और बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी जातीय बलूच विद्रोहियों के परिणामस्वरूण अकेले इसी साल सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई।

पाकिस्तान इन हमलों के लिए तहरीक ए तालिबान को ठहराता रहा है। साथ ही यह भी आरोप लगाता है कि अफगान तालिबान सरकार अफगानिस्तान में टीटीपी के लड़ाकों को पनाह दे रहे हैं। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने कहा था कि अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान सरकार के साथ बातचीत ही क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने का एकमात्र तरीका है।

कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई दी गई, यासीन मलिक केस में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के मामले में सुनवाई हुई। कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी के खिलाफ सीबीआई की अपील पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आतंकी अजमल कसाब का जिक्र किया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस देश में आतंकी अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था, तो यासीन मलिक को क्यों नहीं। साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को एक हफ्ते में संशोधित याचिका दायर करने को कहा और केस से जुड़े सभी आरोपियों को पक्षकार बनाने की इजाजत दी। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सदस्यता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर सत्र अदालत के बीते साल सितंबर में दिए एक आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे संकेत दिए कि अदालत यासीन मलिक मामले में तिहाड़ जेल के भीतर ही कोर्ट रूम स्थापित करने का निर्देश दे सकती है। सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह यासीन मलिक की चालबाजी है इसलिए वह कह रहे हैं कि किसी वकील के बजाय वह खुद कोर्ट में पेश होंगे। एसजी मेहता ने लश्कर-ए-तैयबा के फाउंडर हाफिज सईद के साथ यासीन मलिक की फोटो कोर्ट को दिखाते हुए कहा कि यह सुरक्षा के लिहाज से यह बहुत बड़ा मुद्दा है। साथ ही यह गवाहों के लिए भी खतरे की बात है। तुषार मेहता के तर्क पर जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा, लेकिन ऑनलाइन सुनवाई में क्रॉस एग्जामिनशेन कैसे हो पाएगा? जम्मू में तो अच्छी कनेक्टिविटी भी नहीं है।' जज की चिंता पर एसजी तुषार मेहता ने फिर से दोहराया कि यासीन मलिक कोई साधारण अपराधी नहीं है वह कई बार हाफिज सईद से मिलने पाकिस्तान भी जा चुका है। उन्होंने कहा कि गवाहों को भी सिक्योरिटी की जरूरत होगी क्योंकि पहले एक गवाह की हत्या कर दी गई थी। तब जस्टिस ओका ने कहा कि हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष ट्रायल दिया गया था। इसके बाद पीठ ने कहा कि वे तिहाड़ जेल में ही यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के लिए सत्र अदालत के जज को दिल्ली बुलाने पर विचार सकते हैं, लेकिन उससे पहले मामले में सभी आरोपियों की सुनवाई होनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 28 नवंबर के लिए टाल दी है। क्या है मामला? दरअसल, यह पूरा मामला 1990 में चार वायु सेना कर्मियों की हत्या से जुड़ा है। यासीन मलिक के नेतृत्व में आतंकवादियों के एक समूह ने 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में भारतीय वायु सेना के जवानों पर गोलीबारी की थी। इस हमले में चार जवान मारे गए थे और 40 अन्य घायल हुए थे। मलिक उस समय आतंकवादी समूह जेकेएलएफ का नेता था। मलिक को 1990 में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे रिहा कर दिया था। उसके मुकदमे पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, यासीन पिछले 5 साल से जेल में बंद है. यासीन को अभी सिर्फ टेरर फंडिंग के केस में सजा हुई है।
ट्रूडो की अग्निपरीक्षाःआतंकी अर्श डल्ला पर भारत ने चली बड़ी चाल, अब क्या करेंगे कनाडाई पीएम
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* कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यही यकीन दिलाने की कोशिश की कि उनके देश में खालिस्तानी आतंकी मौजूद नहीं हैं। खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला भारत का मोस्ट वान्टेड टेररिस्ट है। वह खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर का करीबी गैंगस्टर रहा है। वह सालों से कनाडा में है और ट्रूडो सरकार की नाक के नीचे गैंग और भारत विरोधी अभियान चला रहा है। लेकिन अब कनाडा में हुए हालिया घटनाक्रम ने ट्रूडो के इन दावों की पोल खोल दी है। अब जब अर्श डल्ला की गिरफ्तारी हो चुकी है तो ट्रूडो सरकार उसे बचाने में जुट चुकी है। खालिस्तानी वोट बैंट की वजह से ट्रूडो सरकार आतंकी को भारत के हाथ नहीं सौंपना चाहती। हालांकि, भारत भी हाथ पर हाथ रखकर बैठने वाला नहीं है। अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण के लिए भारत ने अपनी चाल चल दी है।भारत ने खूंखार खालिस्तानी आतंकी अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण की आधिकारिक अपील कनाडा से की है। *नहीं होगी अर्श डल्ला केस की मीडिया कवरेज* दरअसल, खालिस्तान टाइगर फोर्स के सरगना अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला को गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को कनाडा की कोर्ट में पेश किया गया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो यहां भी भारत के दुश्मनों से प्यार छुपा नहीं सके। उसे बचाने के लिए कनाडा सरकार ने भरी अदालत में एक दांव चल दिया। आतंकी अर्श डल्ला को लेकर कोई भी जानकारी भारत और दुनिया को पता न चले, इसके लिए कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार के वकील ने मीडिया कवरेज पर बैन की मांग कर दी। सरकारी वकील ने अदालत में एप्लिकेशन लगाई कि 517 पब्लिकेशन एक्ट के तहत कवरेज को लेकर मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। इसके बाद कनाडा की कोर्ट ने ऑर्डर दे दिया कि अर्श डल्ला केस की मीडिया कवरेज न हो। इस तरह से ट्रूडो ने भारत विरोधी अपनी एक हरकत को खुलेआम कर दिया। *भारत सरकार ने भी चल दी अपनी चाल* भले ही ट्रूडो भारत विरोधियों को पनाह देने की लाख कोशिश करें, मगर मोदी सरकार भी चुप बैठने वाली नहीं है। अपने मोस्ट वांटेड आतंकी को वापस पाने और उसे भारत में न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए कई कदम उठा रहा है। भारत सरकार अब उसके प्रत्यर्पण की पूरी कोशिश में जुट गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया है कि 10 नवंबर को अर्श डल्ला की गिरफ्तारी हुई और अब ओंटोरियो कोर्ट में उसके केस की सुनवाई होगी। मंत्रालय के बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और आतंकी फंडिंग सहित आतंकवादी कृत्यों के 50 से अधिक मामलों में एक घोषित अपराधी है। मई 2022 में उसके खिलाफ एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। उन्हें 2023 में भारत में आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। जुलाई 2023 में भारत सरकार ने कनाडा सरकार से उसकी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था। इसे अस्वीकार कर दिया गया था। इस मामले में अतिरिक्त जानकारी प्रदान की गई थी।' बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला के संदिग्ध आवासीय पते, भारत में उसके वित्तीय लेनदेन, चल/अचल संपत्तियों, मोबाइल नंबरों के विवरण आदि को सत्यापित करने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत कनाडा को एक अलग अनुरोध भी भेजा गया था - जिनमें से सभी जनवरी 2023 में कनाडा के अधिकारियों को प्रदान किए गए थे। दिसंबर 2023 में कनाडा के न्याय विभाग ने मामले पर अतिरिक्त जानकारी मांगी। इन सवालों का जवाब इस साल मार्च में भेजा गया था।' विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हालिया गिरफ्तारी को देखते हुए, हमारी एजेंसियां प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करेंगी। भारत में अर्श डल्ला के आपराधिक रिकॉर्ड और कनाडा में इसी तरह की अवैध गतिविधियों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए उम्मीद है कि उसे भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित या निर्वासित किया जाएगा।' *क्या है ट्रूडो सरकार की मंशा?* भारत के आग्रह पर जस्टिन ट्रूडो की सरकार क्या करेगी, इसका जवाब तो बाद में मिलेगा, लेकिन हालिया फैसलों से उसकी मंशा को जरूर उजागर कर दिया है। कनाडा में हाल के दिनों में हिंदुओं और भारत के खिलाफ दो बड़ी घटनाएं हुई हैं। दीपावली के मौके पर कनाडा के हिंदू मंदिरों में खालिस्तानी आतंकियों ने हमला किया था। तब कनाडा पुलिस ने मार-पीट और हिंसा करने वालों को सिर्फ गिरफ्तार किया और तुरंत रिहा भी कर दिया। दूसरी तरफ, ट्रूडो सरकार ने संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो को क्लीन चिट दे दि जिस पर भारत में शौर्य चक्र विजेता बलविंद सिंह संधू की हत्या करवाने का आरोप है। सनी पर लगे आतंकवाद फैलाने के आरोपों की जांच कनैडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) कर रही थी। एजेंसी ने उसे क्लीन चिट दे दी है। सनी कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) में तैनात था। उसे वापस सुपरिटेंडेंट के पद पर तैनात कर दिया गया है।