CGPSC घोटाला : दलालों और पेपर सॉल्वर के ठिकानाें से मिले अहम दस्तावेज, जांच के घेरे में कई अभ्यर्थी, CBI ने छापेमार कार्रवाई की दी जानकारी

रायपुर-  छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाला मामले में CBI ने गुरुवार को पांच ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस मामले की जांच को लेकर सीबीआई ने बयान जारी किया है. सीबीआई के मुताबिक, रायपुर में तीन और महासमुंद में दो कुल पांच स्थानों पर छापेमारी कर अहम दस्तावेज जब्त किए गए हैं. यह कार्रवाई उन पांच संदिग्धों के खिलाफ की गई है, जिनमें दलाल, पेपर सॉल्वर और अन्य शामिल हैं. यह मामला 2020 से 2022 के बीच डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे वरिष्ठ पदों की भर्ती में गड़बड़ी से जुड़ा है.

यह मामला छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने दर्ज किया था, जिसमें पहले स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज मामलों को अपने हाथ में लिया. इन मामलों में वर्ष 2020 से 2022 के बीच परीक्षा/साक्षात्कार के दौरान योग्यता के बजाय अन्य आधारों पर करीबी रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य वरिष्ठ पदों पर चयनित किए जाने के आरोप शामिल हैं. सीबीआई ने इस मामले में 18 नवंबर 2024 को तत्कालीन सीजीपीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड रायपुर के तत्कालीन निदेशक श्रवण कुमार गोयल को गिरफ्तार किया था.


सीबीआई ने 10 जनवरी 2025 को पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें तत्कालीन अध्यक्ष के भतीजे और डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित नितेश सोनवानी और तत्कालीन डिप्टी परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर शामिल थे. इसके अलावा 12 जनवरी 2025 को डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित शशांक गोयल, भूमि‍का कटियार और डिप्टी एसपी के रूप में चयनित साहिल सोनवानी को भी गिरफ्तार किया था. CBI ने 16 जनवरी 2025 को रायपुर की विशेष CBI अदालत में चार्जशीट दाखिल की, जिनमें सात आरोपी शामिल हैं. CBI ने बताया कि अन्य उम्मीदवारों की भूमिका की जांच अभी जारी है.

सीबीआई की चार्जशीट में इन आरोपियों के हैं नाम

  1. टामन सिंह सोनवानी
  2. श्रवण कुमार गोयल
  3. शशांक गोयल
  4. भूमिका कटियार
  5. नितेश सोनवानी
  6. साहिल सोनवानी
  7. ललित गणवीर

ये है पूरा मामला (CGPSC Scam)

CGPSC 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है. ईओडब्ल्यू और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार-अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज किया है. CGPSC ने 2020 में 175 पदों पर और 2021 में 171 पदों पर परीक्षा ली थी. प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया. इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई. आरोप है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों समेत कांग्रेसी नेता और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चों की नौकरी लगवाई है.

CGPSC घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई, रायपुर और महासमुंद में 5 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी, कई अहम दस्तावेज जब्त

रायपुर- छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) घोटाले की जांच में CBI ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रायपुर और महासमुंद में एक साथ पांच ठिकानों पर छापेमारी की है. इस छापेमारी में कई अहम दस्तावेज और तकनीकी साक्ष्य जब्त किए गए हैं.

CBI की टीम ने रायपुर के फूल चौक स्थित एक निजी होटल, सिविल लाइन इलाके के एक कोचिंग सेंटर और महासमुंद में एक सरकारी डॉक्टर के आवास पर दबिश दी. इसके अलावा महासमुंद में अभ्यारण्य गेस्ट हाउस और एक अन्य स्थानों पर भी कार्रवाई की गई है.

बताया जा रहा है कि यह छापेमारी CGPSC परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर की गई है. इस कार्रवाई में CBI ने कई अहम दस्तावेज और अन्य तकनीकी साक्ष्य जब्त किए हैं, जिनकी जांच की जा रही है.

CGPSC घोटाले में अब तक हुई गिरफ्तारी

टामन सिंह सोनवानी (पूर्व CGPSC चेयरमैन)

साहिल सोनवानी (टामन सिंह सोनवानी के भतीजे)

शशांक गोयल (बजरंग पावर के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल के बेटे)

भूमिका कटियार

नितेश सोनवानी (टामन सिंह सोनवानी के भतीजे)

ललित गनवीर (पूर्व डिप्टी एग्जाम कंट्रोलर)

ये है पूरा मामला (CGPSC Scam)

CGPSC 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है. ईओडब्ल्यू और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार-अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज किया है. CGPSC ने 2020 में 175 पदों पर और 2021 में 171 पदों पर परीक्षा ली थी. प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया. इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई. आरोप है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों समेत कांग्रेसी नेता और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चों की नौकरी लगवाई है.

आप नेता दुर्गेश पाठक के आवास पर सीबीआई का छापा, विदेशी फंडिंग मामले में एक्शन

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आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता दुर्गेश पाठक के घर पर सीबीआई ने छापा मारा। यह कार्रवाई विदेशी फंडिंग से जुड़े मामले को लेकर हो रही है। सीबीआई ने दुर्गेश पाठक के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनियमन (एफसीआरए) उल्लंघन का मामला दर्ज किया है और उसी के संबंध में आम आदमी पार्टी के नेता के आवास पर तलाशी ली। सीबीआई ने कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए हैं और आगे की जांच जारी है। वहीं, छापेमारी के बाद आप ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार गुजरात में आप नेताओं को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी और उसके कुछ नेताओं के खिलाफ विदेशी फंडिंग को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। सीबीआई ने अब इस मामले में गृह मंत्रालय के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर की है। गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी राजेश कुमार के द्वारा शिकायत के आधार पर सीबीआई ने दुर्गेश पाठक, कपिल भारद्वाज और अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले ईडी ने इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की थी और अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी थी।

पिछले साल मई में जांच एजेंसी ईडी ने ग्रह मंत्रालय को जानकारी दी थी कि आप पार्टी के कुछ नेताओं के बैंक एकाउंट में विदेशी फंडिंग के सबूत मिले हैं जिसमे दुर्गेश पाठक शामिल हैं। आप नेताओं ने विदेशी फंडिंग के डोनर्स के नाम को अपने एकाउंट्स में छिपाया ताकि पॉलिटिकल पार्टी को विदेशी फंड कौन दे रहा है इसको छिपाया जा सके। जांच में सामने आया कि 2016 में कनाडा में एक फंड इवेंट में आप विधायक दुर्गेश पाठक ने पर्सनल बेनिफिट के लिए विदेशी फंड कलेक्ट किए थे।

विदेशी चंदे से जुड़ी कानून का उल्लंघन

आरोप है कि आप ने 'AAP Overseas India' नाम का एक नेटवर्क बनाया था, जिसमें अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के वॉलंटियर्स शामिल थे। इस नेटवर्क के जरिए विदेशी फंड जुटाया गया। ये पैसा आप नेताओं को सीधे भेजा गया, जोकि विदेशी चंदे से जुड़ी कानून का उल्लंघन है। इस केस में आप के नेता दुर्गेश पाठक और कपिल भारद्वाज का नाम सामने आया है।

क्या है पूरा मामला?

विदेश में रहने वाले 155 लोगो ने 1.02 करोड़ रुपए अलग-अलग 404 ओकेजन के जरिए डोनेट किए इसमे 55 पासपोर्ट का इस्तेमाल किया गया था। 22.11.2015 को आप ने कनाडा के टोरंटो में एक इवेंट ऑर्गेनाइज किया था जिसको आप विधायक दुर्गश पाठक ने अटेंड किया था।

इसमें 15000 कनेडियन डॉलर्स रेज किए गए थे। हाथ से लिखी रॉ डेटा शीट्स ( डोनर्स के नाम और डोनेट किए गए अमाउंट) को आप पार्टी के नेताओं द्वारा मेल पर भेजा गया था। जांच में सामने आया कि हैंड रिटन डेटा शीट्स में डोनर्स के जो नाम लिखे गए थे उनको आप नेताओं ने आधिकारिक रिकार्ड्स में मेंशन नही किया बल्कि उनको छिपाया था और विदेशी फंडिंग में डोनर के नाम छिपाकर गड़बड़ी की गई है।

वहीं, आप ने जवाब में कहा- 201 विदेशी नागरिकों ने पार्टी को डोनेशन दिया। 51 ईमेल आईडी के जरिए 639 बार में 2.65 करोड़ का दान किया। सभी डोनेशन पारदर्शी तरीके से हुए हैं और उनके पास पूरा रिकॉर्ड है।

सीबीआई रेड पर आप ने खोला मोर्चा

इस छापे के बाद आम आदमी पार्टी, बीजेपी पर हमलावर है। आप नेता मनीष सिसोदिया ने कहा, गुजरात चुनाव 2027 की जिम्मेदारी मिलते ही दुर्गेश पाठक के घर सीबीआई रेड हुई है। ये कोई इत्तफाक नहीं, बल्कि भाजपा की साजिश है। बीजेपी जानती है कि गुजरात में अब सिर्फ आप ही उन्हें चुनौती दे सकती है।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को दावा किया कि पिछले गुजरात चुनाव के दौरान भी यही हुआ था, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आप के नेताओं को गिरफ्तार किया था। पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर पोस्ट किया, 'पिछले गुजरात चुनावों के कारण, भाजपा की केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया था और अब जब दुर्गेश पाठक को गुजरात की जिम्मेदारी मिली है तो आज सीबीआई ने उनके घर पर छापा मारा है।

दरोगा विद्यासागर के अपराध,काली कमाई ने बेटे को बना दिया अपराधी

जौनपुर। बहुत पुरानी कहावत है "कि बाप का खाया बेटा भरता हैं" लेकिन यह कहावत बिल्कुल फिट बैठ रही हैं. थानागद्दी चौकी पर तैनात प्रमोटी दारोगा विद्यासागर सिंह के बेटे आदित्य सागर के खिलाफ पड़ोसी वाराणसी जिले के चोलापुर थाने में गंभीर धाराओं में आरोपी बनाया हैं।

जानकारी के मुताबिक विद्यासागर सिंह सिपाही से प्रोन्नत होकर दरोगा बने। अल्प समय के लिए दरोगा की कुर्सी व कंधे पर सितारे लगते ही शरीर में ऐंठन होने लगी। फिर खाकी में अपराध व अवैध कामों को संरक्षण देकर के धन बटोरने में जुट गया। विभागीय लोग बताते हैं कि विद्यासागर के बेटे बेरोजगार हैं। जिससे विद्यासागर को हरवक्त बेटे को सजोने संवारने में जुट रहता हैं। जिसके लिए हरसंभव प्रयास करके अपराध में धंसता गया। खुद का सिंडिकेट तैयार लिया। जिसमें कुछ तथाकथित पत्रकारों को भी शामिल किया। जिससे किसी भी घटना को दबाते हुए,वसूली को प्रायोजित तरीके से कराई जा सके।

विद्यासागर ने अपराध से अर्जित काली कमाई से एक कृषि कार्य में रजिस्टर्ड ट्रैक्टर UP62AS9996 लिया। जिससे कमर्शियल उपयोग में लेने लगा। ट्रैक्टर को अपराधिक सिंडिकेट के इशारे पर अवैध कामों में धकेल दिया। अवैध व अपराध से अर्जित राशि ने ज्यादा दिन तक विद्यासागर का साथ नहीं दिया। कुछ माह बाद चोलापुर पुलिस ने हिट एंड रन का मामला आदित्य सागर के खिलाफ दर्ज करते हुए,चार्जशीट न्यायालय में भेज दिया।

कप्तान ने कतरे पर,भेजा खेतासराय

अपराध में धंसते जा रहे विद्यासागर को स्थानीय अधिकारियों का प्रश्रय था. जिससे विद्यासागर आराम से अपने कामों को अंजाम दे रहा था। लगातार शिकायतों को देखते हुए,कप्तान ने विद्यासागर का ट्रांसफर खेतासराय कर दिया। ट्रांसफर की बात सुनकर विद्यासागर के होश उड़ गए। अपराधिक सिंडिकेट के साथ विद्यासागर ने कई चौखटों पर माथा टेकते हुए,ट्रांसफर रुकवाने की गुहार की। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। चूंकि खेतासराय में अवैध कमाई बंद हो चुकी हैं। सिंडिकेट भी बिखर चुका हैं। विभाग के अनुसार विद्यासागर केराकत थाना क्षेत्र के सरकी चौकी पर आने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हैं। जिससे सिंडिकेट व अपराधिक गतिविधि से काली कमाई की जा सके।

मासूम बच्ची से रेप-मर्डर मामले में गरमाई सियासत: CBI जांच की मांग कांग्रेस दुर्ग से रायपुर तक निकालेगी न्याय यात्रा,सीएम हाउस का भी करेंगे घेराव

रायपुर- दुर्ग की मासूम बच्ची के साथ हुई वीभत्स घटना को लेकर प्रदेश में सियासत गरम है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए 18 से 21 अप्रैल तक “न्याय यात्रा 2.0” निकालने का ऐलान किया है. यह पदयात्रा दुर्ग से रायपुर तक 45 किमी की होगी, जिसका नेतृत्व पीसीसी चीफ दीपक बैज करेंगे. वहीं 21 अप्रैल को मुख्यमंत्री निवास का घेराव भी किया जाएगा. इस पदयात्रा में बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता एकजुट होकर घटना में न्याय की मांग करेंगे. इस दौरान कांग्रेस CBI जांच की मांग को लेकर भी दबाव बनाएगी.

दरअसल, आज कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में दुर्ग में मासूम बच्ची के साथ हुई घटना को लेकर प्रेस वार्ता की गई, जिसमें पीसीसी चीफ दीपक बैज, कांग्रेस जांच समिति की संयोजक संगीता सिन्हा और अन्य सदस्य मौजूद रहे. दीपक बैज ने पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि पीड़ित परिवार पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं है. पीड़ित परिवार के लोगों को ही पुलिस रात को उठकर थाने ले गई और मारपीट किया गया. घर में मौजूद आठ साल की बच्ची से मारपीट का उन्होंने आरोप लगाया है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या लोहारीडीह जैसी परिस्थिति उत्पन्न करना चाहती है सरकार ? उन्होंने पुलिस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि थाने में पुलिस ने पीड़ित परिजनों को मौत के घाट उतारने का प्रयास किया है. दीपक बैज ने पुलिस की जांच में कई सवाल उठाए और CBI से मामले की जांच करने की मांग की.


राज्यपाल से कांग्रेस करेगी मुलाकात

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के नेतृत्व में कांग्रेसजन 13 अप्रैल को राज्यपाल से मुलाकात करने राजभवन जाएंगे. इस दौरान उन्हें घटना की पूरी जानकारी दी जाएगी. इसके बाद 18 से 21 अप्रैल तक कांग्रेस “न्याय यात्रा” निकालकर दुर्ग की निर्भया को न्याय दिलाने की मांग करेगी.

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि कांग्रेस ने CBI जांच की मांग की है. पुलिस की कार्रवाई पर कांग्रेस ने आशंका ज़ाहिर की है. CBI को केस हैंडओवर करने की कांग्रेस ने मांग की है. घटना को लेकर कांग्रेस राज्यपाल से चर्चा करेगी. 13 अप्रैल को नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के नेतृत्व में राज्यपाल से मुलाकात की जाएगी. घटना की रिपोर्ट सचिन पायलट को पीसीसी चीफ ने सौंपी है. पीसीसी चीफ दीपक बैज ने दुर्ग की मासूम को ‘दुर्ग की निर्भया’ से संबोधित किया और कहा कि दुर्ग की निर्भया के लिए कांग्रेस गंभीर है. कांग्रेस 18 अप्रैल से 21 अप्रैल तक न्याय यात्रा निकालेगी.

जानिए क्या है पूरा मामला

बता दें कि मोहन नगर थाना क्षेत्र के उरला इलाके की रहने वाली 6 साल की बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट उसके परिजनों ने पुलिस में दर्ज कराई गई थी. बताया गया कि, रविवार सुबह 9 बजे अपनी दादी के घर कन्या भोज के लिए गई थी. इसके बाद से वह घर नहीं लौटी. पुलिस भी तलाश में जुटी लेकिन बच्ची का कोई पता नहीं चला. इस बीच, शाम 7.30 बजे सूचना मिली की बच्ची की लाश एक कार में मिली है. परिजन मौके पर पहुंचे और लाश को डिक्की से बाहर निकाला. इस दौरान बच्ची खून से लहूलुहान मिली.

बच्ची बहुत बुरी हालत में कार के अंदर सीट के नीचे पड़ी थी. उसके पूरे शरीर पर चोट के निशान थे, चमड़ी उधड़ी हुई थी. परिजन बच्ची को लेकर दुर्ग जिला अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया.

भीड़ ने संदेही के घर लगाई आग

वारदात के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया. देर रात कार मालिक के घर और कार में तोड़फोड़ भी हुई. इधर पुलिस ने भी, कार मालिक, उसके ड्राइवर समेत 5 लोगों को संदेह आधार पर हिरासत में लिया. इनमें बच्ची का चाचा भी था. इसके बाद, आगे की पूछताछ में संदिग्ध में 3 लोग बचे. पुलिस का कहना है कि, पूछताछ, टेक्निकल सबूत और आरोपी के कबूलनामा से ये पता चला का कि, आरोपी बच्ची का ही चाचा है. फिलहाल उसे रिमांड में लेकर और सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे.

इन धाराओं में दर्ज किया गया है मामला

मामले में प्रार्थी ओम नगर, उरला निवासी सन्नी यादव पिता स्व. मनोहर लाल यादव की रिपोर्ट पर मोहन नगर थाना में अपराध क्रमांक 133/25 धारा 137 (2) बीएनएस का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है. प्रकरण में धारा 103 (1), 64 (2)(एफ), 65 (2), 66, 238(ए) बीएनएस एवं 6 पॉक्सो एक्ट का समावेश किया गया है.

SP ने किया SIT का गठन

मामले में दुर्ग पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (आईयूसीएडब्ल्यू) पद्मश्री तंवर की अगुवाई में गठित टीम पूरे मामले में साक्ष्य जुटाने से लेकर फास्ट ट्रेक कोर्ट में चार्ज शीट पेश करने का काम करेगी.

इस विशेष जांच दल में मोहन नगर थाना प्रभारी निरीक्षक शिव प्रसाद चंद्रा, महिला थाना प्रभारी निरीक्षक श्रद्धा पाठक, छावनी थाना प्रभारी उप निरीक्षक चेतन चंद्राकर, उप निरीक्षक पारस ठाकुर (मोहन नगर थाना), सहायक उप निरीक्षक राजेन्द्र देशमुख (थाना मोहन नगर), सहायक उप निरीक्षक संगीता मिश्रा, (रक्षा टीम) प्रधान आरक्षक लक्ष्मी नारायण पात्रे (मोहन नगर थाना) को शामिल किया गया है.

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल, कहा- प्रदेश में अब सुशासन नहीं “गुंडाराज” है, निर्भया कांड से की तुलना

दुर्ग- मोहन नगर थाना क्षेत्र में 6 साल की मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी और हत्या (Rape and Murder Case) के बाद प्रदेश की सियासत में उबाल आ चुका है। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया। उन्होंने इस घटना को “निर्भया कांड से कम नहीं” बताया और कहा कि प्रदेश में अब सुशासन नहीं बल्कि “गुंडाराज” चल रहा है।

पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद दीपक बैज ने पत्रकारों से कहा कि 6 अप्रैल, दुर्गा अष्टमी और राम नवमी के शुभ दिन, हमारी छह साल की बच्ची जो कन्या भोज में शामिल होने के लिए सुबह घर से निकली थी, वह शाम और देर रात तक घर नहीं लौटी। मासूम बच्ची का शव एक कार में मिला, जिसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। प्राइवेट पार्ट पर भी गंभीर चोट पहुंचाई गई थी और शरीर पर एसिड अटैक के भी प्रमाण मिले हैं। यह घटना पूरी तरह से निर्भया कांड जैसी ही बर्बर और अमानवीय है।

दीपक बैज ने उठाएं सवाल

दीपक बैज ने कहा कि घटना दिन के समय हुई, फिर बच्ची की लाश रात के वक्त कार में कैसे मिली? इस घटनाक्रम के दौरान किसी ने कुछ देखा क्यों नहीं? जिस स्थान पर यह कार खड़ी थी, वहाँ तो दरवाजा तक नहीं है। ऐसे कई सवाल हैं जो परिवारवालों और आम जनमानस के मन में उठ रहे हैं। परिजनों का कहना है कि उन्हें स्थानीय पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। इस प्रकार की घटना को कोई अकेला व्यक्ति अंजाम नहीं दे सकता, इसमें कई लोग शामिल हो सकते हैं। परिजनों ने मामले की CBI जांच की मांग की है।

छोटी बच्ची से पूछताछ के नाम पर की मारपीट

दीपक बैज ने बताया कि परिवार का यह भी आरोप है कि पुलिस प्रशासन ने घर की छोटी बच्ची को पूछताछ के नाम पर रात ढाई बजे उठा लिया और उसके साथ मारपीट की। घर के अन्य सदस्यों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया है। पूरे प्रदेश में पुलिस प्रताड़ना का दौर चल रहा है। बलरामपुर, धमतरी और लोहारीडीह जैसी घटनाओं के बाद पुलिस ने यहाँ भी ऐसी ही अमानवीयता को दोहराने की कोशिश की है। इस प्रदेश में अब सुशासन नहीं, बल्कि गुंडाराज का माहौल बन चुका है। सरकार का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति अब तक इस संवेदनशील मामले को संज्ञान में लेने नहीं आया है। कांग्रेस पार्टी ने इस जघन्य घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इस सरकार में कोई भी सुरक्षित नहीं है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर दस्तक अभियान का किया शुभारंभ

भारतमाला परियोजना में भ्रष्टाचार : घोटालेबाज अधिकारियों-भूमाफियाओं पर कसेगा शिकंजा, राजस्व विभाग ने 11 जिलों के कलेक्टरों को दिए जांच के निर्देश

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ियों को लेकर जांच अब और तेज हो गई है. रायपुर समेत कुल 11 जिलों में जांच शुरू करने के निर्देश जारी किए गए हैं. राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने सभी संबंधित जिलों के कलेक्टरों को जांच कर रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए हैं.

मिली जानकारी के अनुसार, रायपुर, दुर्ग, धमतरी, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिलों में जांच की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. इससे पहले कुछ जिलों में हुई प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट अब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने मांगी है. जिसके बाद अब घोटलेबाज अधिकारियों-भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी है।

शुरुआती जांच में 43 करोड़, अब तक 220 करोड़ के भ्रष्टाचार की संभावना

शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि हासिल कर ली. लेकिन विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गया है. अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जांच एजेंसी को मिल चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है.

इस घोटाले को लेकर चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी मुद्दा उठाया था. इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब ईओडब्ल्यू ने इस पूरे मामले की जांच को और तेज कर दिया है.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

भारतमाला परियोजना में 220 करोड़ का मुआवजा घोटाला: EOW ने की जांच शुरू, जल्द होगी FIR दर्ज…

रायपुर-  EOW ने भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटाला मामले की जांच शुरू कर दी है. EOW ने प्रशासन से लगभग 500 पन्नों की जांच रिपोर्ट मांगी है. अब जल्द ही मामले में दोषियों पर FIR हो सकती है. यह पहली बार है जब राज्य में किसी भूमि मुआवजा विवाद की जांच EOW कर रही है. विभाग ने इस घोटाले से जुड़े कई अहम दस्तावेज पहले ही जुटा लिए हैं और कई बिंदुओं पर गोपनीय जांच भी पूरी हो चुकी है. घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी जोरों पर है और जल्द ही गिरफ्तारियां भी संभव हैं.

बता दें, शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि हासिल की थी. वहीं मामले की विस्तृत जांच में यह आंकड़ा बढ़कर 220 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गया है. अब तक लगभग 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड जांच एजेंसी को मिल चुका है. 

वहीं घोटाले के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने बीते दिन (6 मार्च) को PMO और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भी भेजा है. उन्होंने पत्र के माध्यम से मामले में CBI जांच की मांग की है. 

बता दें, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद साय कैबिनेट की बैठक में जांच को ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब EOW ने इस घोटाले की जांच तेज कर दी है. 

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

दिल्ली से दबाव के बाद खुला मामला

बताया जाता है कि कमोबेश 300 करोड़ रुपए के इस घोटाले का खुलासा दिल्ली से दबाव पड़ने के बाद हुआ. मुआवजे के तौर पर 248 करोड़ रुपए देने के बाद 78 करोड़ के और क्लेम सामने आने पर नेशनल हाईवे अथारिटी के चीफ विजिलेंस आफिसर ने रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच कराने कहा था. लेकिन जांच सालों तक अटकी रही. दिल्ली से पड़े दबाव के बाद कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट तैयार की, जिसमें यह बात स्पष्ट हुई कि मूल मुआवजा 35 करोड़ के आसपास बनता था, जिसे 213 करोड़ रुपए ज्यादा कर बांट दिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

सरकारी डॉक्टर को CBI जांच का डर दिखाकर लाखों की ठगी: अधिवक्ता पर लगा आरोप, FIR दर्ज कर मामले की जांच में जुटी पुलिस

गरियाबंद- जिला अस्पताल में पदस्थ एक वरिष्ठ डॉक्टर से कथित रूप से CBI जांच और गिरफ्तारी की धमकी देकर 6 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। ठगी का अहसास होने के बाद डॉक्टर कोतवाली थाने पहुंचे और पूरी घटना की शिकायत दर्ज कराई। मामले में पुलिस ने आरोपी अधिवक्ता के खिलाफ FIR दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक, पीड़ित डॉक्टर का नाम वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बिपिन अग्रवाल (66 वर्षीय) है, जिनकी पहचान अधिवक्ता राकेश मिश्रा से पहले से थी। अगस्त महीने में मिश्रा ने डॉक्टर को बताया कि उनके खिलाफ CBI में शिकायत हो चुकी है, लेकिन उसने भरोसा दिलाया कि “मैं सब संभाल लूंगा।”

पहचान के नाते डॉक्टर ने भरोसा कर लिया। वकील की बातों में आकर डॉक्टर ने 21 और 22 अगस्त को राकेश मिश्रा के बेटे के खाते में कुल 6 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। कुछ समय बाद जब डॉक्टर को शक हुआ, तो उन्होंने खुद जानकारी जुटाना शुरू किया।

जल्द ही उन्हें पता चला कि CBI में उनके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज ही नहीं हुई है। यहीं से डॉक्टर को ठगी का अहसास हुआ। डॉक्टर ने जब राकेश मिश्रा से पैसे लौटाने को कहा, तो वह टालमटोल करने लगा। आखिरकार थक-हारकर डॉक्टर कोतवाली पहुंचे और लिखित शिकायत दी।

एडिशनल एसपी जितेंद्र चंद्राकर ने बताया कि शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वकील ने जान-पहचान का गलत फायदा उठाकर डॉक्टर से जबरन रकम ऐंठी। इस आधार पर कोतवाली पुलिस ने आरोपी वकील राकेश मिश्रा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 308(2) के तहत मामला दर्ज कर लिया है और अब आगे की जांच जारी है।

CGPSC घोटाला : दलालों और पेपर सॉल्वर के ठिकानाें से मिले अहम दस्तावेज, जांच के घेरे में कई अभ्यर्थी, CBI ने छापेमार कार्रवाई की दी जानकारी

रायपुर-  छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाला मामले में CBI ने गुरुवार को पांच ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस मामले की जांच को लेकर सीबीआई ने बयान जारी किया है. सीबीआई के मुताबिक, रायपुर में तीन और महासमुंद में दो कुल पांच स्थानों पर छापेमारी कर अहम दस्तावेज जब्त किए गए हैं. यह कार्रवाई उन पांच संदिग्धों के खिलाफ की गई है, जिनमें दलाल, पेपर सॉल्वर और अन्य शामिल हैं. यह मामला 2020 से 2022 के बीच डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे वरिष्ठ पदों की भर्ती में गड़बड़ी से जुड़ा है.

यह मामला छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने दर्ज किया था, जिसमें पहले स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज मामलों को अपने हाथ में लिया. इन मामलों में वर्ष 2020 से 2022 के बीच परीक्षा/साक्षात्कार के दौरान योग्यता के बजाय अन्य आधारों पर करीबी रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य वरिष्ठ पदों पर चयनित किए जाने के आरोप शामिल हैं. सीबीआई ने इस मामले में 18 नवंबर 2024 को तत्कालीन सीजीपीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड रायपुर के तत्कालीन निदेशक श्रवण कुमार गोयल को गिरफ्तार किया था.


सीबीआई ने 10 जनवरी 2025 को पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें तत्कालीन अध्यक्ष के भतीजे और डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित नितेश सोनवानी और तत्कालीन डिप्टी परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर शामिल थे. इसके अलावा 12 जनवरी 2025 को डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित शशांक गोयल, भूमि‍का कटियार और डिप्टी एसपी के रूप में चयनित साहिल सोनवानी को भी गिरफ्तार किया था. CBI ने 16 जनवरी 2025 को रायपुर की विशेष CBI अदालत में चार्जशीट दाखिल की, जिनमें सात आरोपी शामिल हैं. CBI ने बताया कि अन्य उम्मीदवारों की भूमिका की जांच अभी जारी है.

सीबीआई की चार्जशीट में इन आरोपियों के हैं नाम

  1. टामन सिंह सोनवानी
  2. श्रवण कुमार गोयल
  3. शशांक गोयल
  4. भूमिका कटियार
  5. नितेश सोनवानी
  6. साहिल सोनवानी
  7. ललित गणवीर

ये है पूरा मामला (CGPSC Scam)

CGPSC 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है. ईओडब्ल्यू और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार-अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज किया है. CGPSC ने 2020 में 175 पदों पर और 2021 में 171 पदों पर परीक्षा ली थी. प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया. इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई. आरोप है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों समेत कांग्रेसी नेता और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चों की नौकरी लगवाई है.

CGPSC घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई, रायपुर और महासमुंद में 5 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी, कई अहम दस्तावेज जब्त

रायपुर- छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) घोटाले की जांच में CBI ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रायपुर और महासमुंद में एक साथ पांच ठिकानों पर छापेमारी की है. इस छापेमारी में कई अहम दस्तावेज और तकनीकी साक्ष्य जब्त किए गए हैं.

CBI की टीम ने रायपुर के फूल चौक स्थित एक निजी होटल, सिविल लाइन इलाके के एक कोचिंग सेंटर और महासमुंद में एक सरकारी डॉक्टर के आवास पर दबिश दी. इसके अलावा महासमुंद में अभ्यारण्य गेस्ट हाउस और एक अन्य स्थानों पर भी कार्रवाई की गई है.

बताया जा रहा है कि यह छापेमारी CGPSC परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर की गई है. इस कार्रवाई में CBI ने कई अहम दस्तावेज और अन्य तकनीकी साक्ष्य जब्त किए हैं, जिनकी जांच की जा रही है.

CGPSC घोटाले में अब तक हुई गिरफ्तारी

टामन सिंह सोनवानी (पूर्व CGPSC चेयरमैन)

साहिल सोनवानी (टामन सिंह सोनवानी के भतीजे)

शशांक गोयल (बजरंग पावर के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल के बेटे)

भूमिका कटियार

नितेश सोनवानी (टामन सिंह सोनवानी के भतीजे)

ललित गनवीर (पूर्व डिप्टी एग्जाम कंट्रोलर)

ये है पूरा मामला (CGPSC Scam)

CGPSC 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है. ईओडब्ल्यू और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार-अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज किया है. CGPSC ने 2020 में 175 पदों पर और 2021 में 171 पदों पर परीक्षा ली थी. प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया. इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई. आरोप है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों समेत कांग्रेसी नेता और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चों की नौकरी लगवाई है.

आप नेता दुर्गेश पाठक के आवास पर सीबीआई का छापा, विदेशी फंडिंग मामले में एक्शन

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आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता दुर्गेश पाठक के घर पर सीबीआई ने छापा मारा। यह कार्रवाई विदेशी फंडिंग से जुड़े मामले को लेकर हो रही है। सीबीआई ने दुर्गेश पाठक के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनियमन (एफसीआरए) उल्लंघन का मामला दर्ज किया है और उसी के संबंध में आम आदमी पार्टी के नेता के आवास पर तलाशी ली। सीबीआई ने कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए हैं और आगे की जांच जारी है। वहीं, छापेमारी के बाद आप ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार गुजरात में आप नेताओं को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी और उसके कुछ नेताओं के खिलाफ विदेशी फंडिंग को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। सीबीआई ने अब इस मामले में गृह मंत्रालय के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर की है। गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी राजेश कुमार के द्वारा शिकायत के आधार पर सीबीआई ने दुर्गेश पाठक, कपिल भारद्वाज और अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले ईडी ने इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की थी और अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी थी।

पिछले साल मई में जांच एजेंसी ईडी ने ग्रह मंत्रालय को जानकारी दी थी कि आप पार्टी के कुछ नेताओं के बैंक एकाउंट में विदेशी फंडिंग के सबूत मिले हैं जिसमे दुर्गेश पाठक शामिल हैं। आप नेताओं ने विदेशी फंडिंग के डोनर्स के नाम को अपने एकाउंट्स में छिपाया ताकि पॉलिटिकल पार्टी को विदेशी फंड कौन दे रहा है इसको छिपाया जा सके। जांच में सामने आया कि 2016 में कनाडा में एक फंड इवेंट में आप विधायक दुर्गेश पाठक ने पर्सनल बेनिफिट के लिए विदेशी फंड कलेक्ट किए थे।

विदेशी चंदे से जुड़ी कानून का उल्लंघन

आरोप है कि आप ने 'AAP Overseas India' नाम का एक नेटवर्क बनाया था, जिसमें अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के वॉलंटियर्स शामिल थे। इस नेटवर्क के जरिए विदेशी फंड जुटाया गया। ये पैसा आप नेताओं को सीधे भेजा गया, जोकि विदेशी चंदे से जुड़ी कानून का उल्लंघन है। इस केस में आप के नेता दुर्गेश पाठक और कपिल भारद्वाज का नाम सामने आया है।

क्या है पूरा मामला?

विदेश में रहने वाले 155 लोगो ने 1.02 करोड़ रुपए अलग-अलग 404 ओकेजन के जरिए डोनेट किए इसमे 55 पासपोर्ट का इस्तेमाल किया गया था। 22.11.2015 को आप ने कनाडा के टोरंटो में एक इवेंट ऑर्गेनाइज किया था जिसको आप विधायक दुर्गश पाठक ने अटेंड किया था।

इसमें 15000 कनेडियन डॉलर्स रेज किए गए थे। हाथ से लिखी रॉ डेटा शीट्स ( डोनर्स के नाम और डोनेट किए गए अमाउंट) को आप पार्टी के नेताओं द्वारा मेल पर भेजा गया था। जांच में सामने आया कि हैंड रिटन डेटा शीट्स में डोनर्स के जो नाम लिखे गए थे उनको आप नेताओं ने आधिकारिक रिकार्ड्स में मेंशन नही किया बल्कि उनको छिपाया था और विदेशी फंडिंग में डोनर के नाम छिपाकर गड़बड़ी की गई है।

वहीं, आप ने जवाब में कहा- 201 विदेशी नागरिकों ने पार्टी को डोनेशन दिया। 51 ईमेल आईडी के जरिए 639 बार में 2.65 करोड़ का दान किया। सभी डोनेशन पारदर्शी तरीके से हुए हैं और उनके पास पूरा रिकॉर्ड है।

सीबीआई रेड पर आप ने खोला मोर्चा

इस छापे के बाद आम आदमी पार्टी, बीजेपी पर हमलावर है। आप नेता मनीष सिसोदिया ने कहा, गुजरात चुनाव 2027 की जिम्मेदारी मिलते ही दुर्गेश पाठक के घर सीबीआई रेड हुई है। ये कोई इत्तफाक नहीं, बल्कि भाजपा की साजिश है। बीजेपी जानती है कि गुजरात में अब सिर्फ आप ही उन्हें चुनौती दे सकती है।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को दावा किया कि पिछले गुजरात चुनाव के दौरान भी यही हुआ था, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आप के नेताओं को गिरफ्तार किया था। पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर पोस्ट किया, 'पिछले गुजरात चुनावों के कारण, भाजपा की केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया था और अब जब दुर्गेश पाठक को गुजरात की जिम्मेदारी मिली है तो आज सीबीआई ने उनके घर पर छापा मारा है।

दरोगा विद्यासागर के अपराध,काली कमाई ने बेटे को बना दिया अपराधी

जौनपुर। बहुत पुरानी कहावत है "कि बाप का खाया बेटा भरता हैं" लेकिन यह कहावत बिल्कुल फिट बैठ रही हैं. थानागद्दी चौकी पर तैनात प्रमोटी दारोगा विद्यासागर सिंह के बेटे आदित्य सागर के खिलाफ पड़ोसी वाराणसी जिले के चोलापुर थाने में गंभीर धाराओं में आरोपी बनाया हैं।

जानकारी के मुताबिक विद्यासागर सिंह सिपाही से प्रोन्नत होकर दरोगा बने। अल्प समय के लिए दरोगा की कुर्सी व कंधे पर सितारे लगते ही शरीर में ऐंठन होने लगी। फिर खाकी में अपराध व अवैध कामों को संरक्षण देकर के धन बटोरने में जुट गया। विभागीय लोग बताते हैं कि विद्यासागर के बेटे बेरोजगार हैं। जिससे विद्यासागर को हरवक्त बेटे को सजोने संवारने में जुट रहता हैं। जिसके लिए हरसंभव प्रयास करके अपराध में धंसता गया। खुद का सिंडिकेट तैयार लिया। जिसमें कुछ तथाकथित पत्रकारों को भी शामिल किया। जिससे किसी भी घटना को दबाते हुए,वसूली को प्रायोजित तरीके से कराई जा सके।

विद्यासागर ने अपराध से अर्जित काली कमाई से एक कृषि कार्य में रजिस्टर्ड ट्रैक्टर UP62AS9996 लिया। जिससे कमर्शियल उपयोग में लेने लगा। ट्रैक्टर को अपराधिक सिंडिकेट के इशारे पर अवैध कामों में धकेल दिया। अवैध व अपराध से अर्जित राशि ने ज्यादा दिन तक विद्यासागर का साथ नहीं दिया। कुछ माह बाद चोलापुर पुलिस ने हिट एंड रन का मामला आदित्य सागर के खिलाफ दर्ज करते हुए,चार्जशीट न्यायालय में भेज दिया।

कप्तान ने कतरे पर,भेजा खेतासराय

अपराध में धंसते जा रहे विद्यासागर को स्थानीय अधिकारियों का प्रश्रय था. जिससे विद्यासागर आराम से अपने कामों को अंजाम दे रहा था। लगातार शिकायतों को देखते हुए,कप्तान ने विद्यासागर का ट्रांसफर खेतासराय कर दिया। ट्रांसफर की बात सुनकर विद्यासागर के होश उड़ गए। अपराधिक सिंडिकेट के साथ विद्यासागर ने कई चौखटों पर माथा टेकते हुए,ट्रांसफर रुकवाने की गुहार की। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। चूंकि खेतासराय में अवैध कमाई बंद हो चुकी हैं। सिंडिकेट भी बिखर चुका हैं। विभाग के अनुसार विद्यासागर केराकत थाना क्षेत्र के सरकी चौकी पर आने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हैं। जिससे सिंडिकेट व अपराधिक गतिविधि से काली कमाई की जा सके।

मासूम बच्ची से रेप-मर्डर मामले में गरमाई सियासत: CBI जांच की मांग कांग्रेस दुर्ग से रायपुर तक निकालेगी न्याय यात्रा,सीएम हाउस का भी करेंगे घेराव

रायपुर- दुर्ग की मासूम बच्ची के साथ हुई वीभत्स घटना को लेकर प्रदेश में सियासत गरम है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए 18 से 21 अप्रैल तक “न्याय यात्रा 2.0” निकालने का ऐलान किया है. यह पदयात्रा दुर्ग से रायपुर तक 45 किमी की होगी, जिसका नेतृत्व पीसीसी चीफ दीपक बैज करेंगे. वहीं 21 अप्रैल को मुख्यमंत्री निवास का घेराव भी किया जाएगा. इस पदयात्रा में बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता एकजुट होकर घटना में न्याय की मांग करेंगे. इस दौरान कांग्रेस CBI जांच की मांग को लेकर भी दबाव बनाएगी.

दरअसल, आज कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में दुर्ग में मासूम बच्ची के साथ हुई घटना को लेकर प्रेस वार्ता की गई, जिसमें पीसीसी चीफ दीपक बैज, कांग्रेस जांच समिति की संयोजक संगीता सिन्हा और अन्य सदस्य मौजूद रहे. दीपक बैज ने पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि पीड़ित परिवार पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं है. पीड़ित परिवार के लोगों को ही पुलिस रात को उठकर थाने ले गई और मारपीट किया गया. घर में मौजूद आठ साल की बच्ची से मारपीट का उन्होंने आरोप लगाया है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या लोहारीडीह जैसी परिस्थिति उत्पन्न करना चाहती है सरकार ? उन्होंने पुलिस पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि थाने में पुलिस ने पीड़ित परिजनों को मौत के घाट उतारने का प्रयास किया है. दीपक बैज ने पुलिस की जांच में कई सवाल उठाए और CBI से मामले की जांच करने की मांग की.


राज्यपाल से कांग्रेस करेगी मुलाकात

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के नेतृत्व में कांग्रेसजन 13 अप्रैल को राज्यपाल से मुलाकात करने राजभवन जाएंगे. इस दौरान उन्हें घटना की पूरी जानकारी दी जाएगी. इसके बाद 18 से 21 अप्रैल तक कांग्रेस “न्याय यात्रा” निकालकर दुर्ग की निर्भया को न्याय दिलाने की मांग करेगी.

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि कांग्रेस ने CBI जांच की मांग की है. पुलिस की कार्रवाई पर कांग्रेस ने आशंका ज़ाहिर की है. CBI को केस हैंडओवर करने की कांग्रेस ने मांग की है. घटना को लेकर कांग्रेस राज्यपाल से चर्चा करेगी. 13 अप्रैल को नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के नेतृत्व में राज्यपाल से मुलाकात की जाएगी. घटना की रिपोर्ट सचिन पायलट को पीसीसी चीफ ने सौंपी है. पीसीसी चीफ दीपक बैज ने दुर्ग की मासूम को ‘दुर्ग की निर्भया’ से संबोधित किया और कहा कि दुर्ग की निर्भया के लिए कांग्रेस गंभीर है. कांग्रेस 18 अप्रैल से 21 अप्रैल तक न्याय यात्रा निकालेगी.

जानिए क्या है पूरा मामला

बता दें कि मोहन नगर थाना क्षेत्र के उरला इलाके की रहने वाली 6 साल की बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट उसके परिजनों ने पुलिस में दर्ज कराई गई थी. बताया गया कि, रविवार सुबह 9 बजे अपनी दादी के घर कन्या भोज के लिए गई थी. इसके बाद से वह घर नहीं लौटी. पुलिस भी तलाश में जुटी लेकिन बच्ची का कोई पता नहीं चला. इस बीच, शाम 7.30 बजे सूचना मिली की बच्ची की लाश एक कार में मिली है. परिजन मौके पर पहुंचे और लाश को डिक्की से बाहर निकाला. इस दौरान बच्ची खून से लहूलुहान मिली.

बच्ची बहुत बुरी हालत में कार के अंदर सीट के नीचे पड़ी थी. उसके पूरे शरीर पर चोट के निशान थे, चमड़ी उधड़ी हुई थी. परिजन बच्ची को लेकर दुर्ग जिला अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया.

भीड़ ने संदेही के घर लगाई आग

वारदात के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया. देर रात कार मालिक के घर और कार में तोड़फोड़ भी हुई. इधर पुलिस ने भी, कार मालिक, उसके ड्राइवर समेत 5 लोगों को संदेह आधार पर हिरासत में लिया. इनमें बच्ची का चाचा भी था. इसके बाद, आगे की पूछताछ में संदिग्ध में 3 लोग बचे. पुलिस का कहना है कि, पूछताछ, टेक्निकल सबूत और आरोपी के कबूलनामा से ये पता चला का कि, आरोपी बच्ची का ही चाचा है. फिलहाल उसे रिमांड में लेकर और सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे.

इन धाराओं में दर्ज किया गया है मामला

मामले में प्रार्थी ओम नगर, उरला निवासी सन्नी यादव पिता स्व. मनोहर लाल यादव की रिपोर्ट पर मोहन नगर थाना में अपराध क्रमांक 133/25 धारा 137 (2) बीएनएस का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है. प्रकरण में धारा 103 (1), 64 (2)(एफ), 65 (2), 66, 238(ए) बीएनएस एवं 6 पॉक्सो एक्ट का समावेश किया गया है.

SP ने किया SIT का गठन

मामले में दुर्ग पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (आईयूसीएडब्ल्यू) पद्मश्री तंवर की अगुवाई में गठित टीम पूरे मामले में साक्ष्य जुटाने से लेकर फास्ट ट्रेक कोर्ट में चार्ज शीट पेश करने का काम करेगी.

इस विशेष जांच दल में मोहन नगर थाना प्रभारी निरीक्षक शिव प्रसाद चंद्रा, महिला थाना प्रभारी निरीक्षक श्रद्धा पाठक, छावनी थाना प्रभारी उप निरीक्षक चेतन चंद्राकर, उप निरीक्षक पारस ठाकुर (मोहन नगर थाना), सहायक उप निरीक्षक राजेन्द्र देशमुख (थाना मोहन नगर), सहायक उप निरीक्षक संगीता मिश्रा, (रक्षा टीम) प्रधान आरक्षक लक्ष्मी नारायण पात्रे (मोहन नगर थाना) को शामिल किया गया है.

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल, कहा- प्रदेश में अब सुशासन नहीं “गुंडाराज” है, निर्भया कांड से की तुलना

दुर्ग- मोहन नगर थाना क्षेत्र में 6 साल की मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी और हत्या (Rape and Murder Case) के बाद प्रदेश की सियासत में उबाल आ चुका है। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया। उन्होंने इस घटना को “निर्भया कांड से कम नहीं” बताया और कहा कि प्रदेश में अब सुशासन नहीं बल्कि “गुंडाराज” चल रहा है।

पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद दीपक बैज ने पत्रकारों से कहा कि 6 अप्रैल, दुर्गा अष्टमी और राम नवमी के शुभ दिन, हमारी छह साल की बच्ची जो कन्या भोज में शामिल होने के लिए सुबह घर से निकली थी, वह शाम और देर रात तक घर नहीं लौटी। मासूम बच्ची का शव एक कार में मिला, जिसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। प्राइवेट पार्ट पर भी गंभीर चोट पहुंचाई गई थी और शरीर पर एसिड अटैक के भी प्रमाण मिले हैं। यह घटना पूरी तरह से निर्भया कांड जैसी ही बर्बर और अमानवीय है।

दीपक बैज ने उठाएं सवाल

दीपक बैज ने कहा कि घटना दिन के समय हुई, फिर बच्ची की लाश रात के वक्त कार में कैसे मिली? इस घटनाक्रम के दौरान किसी ने कुछ देखा क्यों नहीं? जिस स्थान पर यह कार खड़ी थी, वहाँ तो दरवाजा तक नहीं है। ऐसे कई सवाल हैं जो परिवारवालों और आम जनमानस के मन में उठ रहे हैं। परिजनों का कहना है कि उन्हें स्थानीय पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। इस प्रकार की घटना को कोई अकेला व्यक्ति अंजाम नहीं दे सकता, इसमें कई लोग शामिल हो सकते हैं। परिजनों ने मामले की CBI जांच की मांग की है।

छोटी बच्ची से पूछताछ के नाम पर की मारपीट

दीपक बैज ने बताया कि परिवार का यह भी आरोप है कि पुलिस प्रशासन ने घर की छोटी बच्ची को पूछताछ के नाम पर रात ढाई बजे उठा लिया और उसके साथ मारपीट की। घर के अन्य सदस्यों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया है। पूरे प्रदेश में पुलिस प्रताड़ना का दौर चल रहा है। बलरामपुर, धमतरी और लोहारीडीह जैसी घटनाओं के बाद पुलिस ने यहाँ भी ऐसी ही अमानवीयता को दोहराने की कोशिश की है। इस प्रदेश में अब सुशासन नहीं, बल्कि गुंडाराज का माहौल बन चुका है। सरकार का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति अब तक इस संवेदनशील मामले को संज्ञान में लेने नहीं आया है। कांग्रेस पार्टी ने इस जघन्य घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इस सरकार में कोई भी सुरक्षित नहीं है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर दस्तक अभियान का किया शुभारंभ

भारतमाला परियोजना में भ्रष्टाचार : घोटालेबाज अधिकारियों-भूमाफियाओं पर कसेगा शिकंजा, राजस्व विभाग ने 11 जिलों के कलेक्टरों को दिए जांच के निर्देश

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ियों को लेकर जांच अब और तेज हो गई है. रायपुर समेत कुल 11 जिलों में जांच शुरू करने के निर्देश जारी किए गए हैं. राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने सभी संबंधित जिलों के कलेक्टरों को जांच कर रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए हैं.

मिली जानकारी के अनुसार, रायपुर, दुर्ग, धमतरी, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिलों में जांच की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. इससे पहले कुछ जिलों में हुई प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट अब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने मांगी है. जिसके बाद अब घोटलेबाज अधिकारियों-भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी है।

शुरुआती जांच में 43 करोड़, अब तक 220 करोड़ के भ्रष्टाचार की संभावना

शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि हासिल कर ली. लेकिन विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गया है. अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जांच एजेंसी को मिल चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है.

इस घोटाले को लेकर चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी मुद्दा उठाया था. इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब ईओडब्ल्यू ने इस पूरे मामले की जांच को और तेज कर दिया है.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

भारतमाला परियोजना में 220 करोड़ का मुआवजा घोटाला: EOW ने की जांच शुरू, जल्द होगी FIR दर्ज…

रायपुर-  EOW ने भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटाला मामले की जांच शुरू कर दी है. EOW ने प्रशासन से लगभग 500 पन्नों की जांच रिपोर्ट मांगी है. अब जल्द ही मामले में दोषियों पर FIR हो सकती है. यह पहली बार है जब राज्य में किसी भूमि मुआवजा विवाद की जांच EOW कर रही है. विभाग ने इस घोटाले से जुड़े कई अहम दस्तावेज पहले ही जुटा लिए हैं और कई बिंदुओं पर गोपनीय जांच भी पूरी हो चुकी है. घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी जोरों पर है और जल्द ही गिरफ्तारियां भी संभव हैं.

बता दें, शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि हासिल की थी. वहीं मामले की विस्तृत जांच में यह आंकड़ा बढ़कर 220 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गया है. अब तक लगभग 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड जांच एजेंसी को मिल चुका है. 

वहीं घोटाले के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने बीते दिन (6 मार्च) को PMO और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भी भेजा है. उन्होंने पत्र के माध्यम से मामले में CBI जांच की मांग की है. 

बता दें, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद साय कैबिनेट की बैठक में जांच को ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब EOW ने इस घोटाले की जांच तेज कर दी है. 

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

दिल्ली से दबाव के बाद खुला मामला

बताया जाता है कि कमोबेश 300 करोड़ रुपए के इस घोटाले का खुलासा दिल्ली से दबाव पड़ने के बाद हुआ. मुआवजे के तौर पर 248 करोड़ रुपए देने के बाद 78 करोड़ के और क्लेम सामने आने पर नेशनल हाईवे अथारिटी के चीफ विजिलेंस आफिसर ने रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच कराने कहा था. लेकिन जांच सालों तक अटकी रही. दिल्ली से पड़े दबाव के बाद कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट तैयार की, जिसमें यह बात स्पष्ट हुई कि मूल मुआवजा 35 करोड़ के आसपास बनता था, जिसे 213 करोड़ रुपए ज्यादा कर बांट दिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

सरकारी डॉक्टर को CBI जांच का डर दिखाकर लाखों की ठगी: अधिवक्ता पर लगा आरोप, FIR दर्ज कर मामले की जांच में जुटी पुलिस

गरियाबंद- जिला अस्पताल में पदस्थ एक वरिष्ठ डॉक्टर से कथित रूप से CBI जांच और गिरफ्तारी की धमकी देकर 6 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। ठगी का अहसास होने के बाद डॉक्टर कोतवाली थाने पहुंचे और पूरी घटना की शिकायत दर्ज कराई। मामले में पुलिस ने आरोपी अधिवक्ता के खिलाफ FIR दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक, पीड़ित डॉक्टर का नाम वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बिपिन अग्रवाल (66 वर्षीय) है, जिनकी पहचान अधिवक्ता राकेश मिश्रा से पहले से थी। अगस्त महीने में मिश्रा ने डॉक्टर को बताया कि उनके खिलाफ CBI में शिकायत हो चुकी है, लेकिन उसने भरोसा दिलाया कि “मैं सब संभाल लूंगा।”

पहचान के नाते डॉक्टर ने भरोसा कर लिया। वकील की बातों में आकर डॉक्टर ने 21 और 22 अगस्त को राकेश मिश्रा के बेटे के खाते में कुल 6 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। कुछ समय बाद जब डॉक्टर को शक हुआ, तो उन्होंने खुद जानकारी जुटाना शुरू किया।

जल्द ही उन्हें पता चला कि CBI में उनके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज ही नहीं हुई है। यहीं से डॉक्टर को ठगी का अहसास हुआ। डॉक्टर ने जब राकेश मिश्रा से पैसे लौटाने को कहा, तो वह टालमटोल करने लगा। आखिरकार थक-हारकर डॉक्टर कोतवाली पहुंचे और लिखित शिकायत दी।

एडिशनल एसपी जितेंद्र चंद्राकर ने बताया कि शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वकील ने जान-पहचान का गलत फायदा उठाकर डॉक्टर से जबरन रकम ऐंठी। इस आधार पर कोतवाली पुलिस ने आरोपी वकील राकेश मिश्रा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 308(2) के तहत मामला दर्ज कर लिया है और अब आगे की जांच जारी है।