पर्दे पर सबसे चमकता सितारा, लेकिन राजनीति नहीं आई रास, जानें कैसा रहा सियासी सफर

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बॉलीबुड के ही-मैन कहे जाने वाले धर्मेंद्र ने 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। धर्मेद्र के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी से लेकर बॉलीवुड के कई सेलेब्स ने दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि दी है।

अपने दमदार अभिनय के दम पर धर्मेद्र ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। यही नहीं उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया था। भारत के पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात के बाद उन्होंने पॉलिटिक्स में आने का फैसला लिया था। हालांकि, जल्द ही उनका राजनीति से मोहभंग हो गया। धर्मेंद्र का करियर सिनेमाई पर्दे पर जितना जादुई रहा उतना ही राजनीतिक पिच से वे निराश होकर लौटे।

बीकानेर से की राजनीतिक सफर की शुरुआत

धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। बीकानेर सीट से वो भारतीय जनता पार्टी के सांसद रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को भारी मतों से हराया था। इस चुनाव में धर्मेंद्र ने 57 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की और सांसद बन गए। उन्होंने इस संसदीय चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता रामेश्वर लाल डूडी को हराया था।

आडवाणी के कहने पर आए राजनीति में

धर्मेंद्र ने राजनीति में आने का फैसला ले तो लिया, लेकिन पॉलिटिक्स उन्हें ज्यादा रास नहीं आई। आडवाणी के कहने पर राजनीति में आने वाले धर्मेंद्र का जल्द ही इससे मोहभंग हो गया। सांसद रहते हुए धर्मेंद्र भी ज्यादार समय मुंबई में व्यस्त रहते थे। इसे लेकर बीकानेर में उनकी काफी आलोचना भी हुई। शहर में उनकी गुमशुदगी के पोस्टर भी लगे थे। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। सांसद के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद धर्मेंद्र ने राजनीति को अलविदा कह दिया।

क्यों राजनीति से हुआ मोहभंग

कई इंटरव्यू में धर्मेंद्र स्पष्ट कह चुके हैं कि राजनीति की भाषा, उसके तौर-तरीके और उसके लोग उन्हें रास नहीं आए। उनका कहना था कि उन्होंने बीकानेर के लिए कई विकास कार्य करवाए, लेकिन सत्ता और सिस्टम की उलझनों में क्रेडिट किसी और के खाते में चला जाता था। फिर धर्मेंद्र ने खुलकर मान लिया, संसद और राजनीति मेरे बस की बात नहीं थी।

राजनाथ सिंह ने सिंध को बताया भारत का हिस्सा, पाकिस्तान को लगी मिर्ची, फिर अलापा कश्मीर राग

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से सिंधी समाज सम्मेलन में दिए गए एक बयान से पाकिस्तान को मिर्ची लगी है। भारत के रक्षा मंत्री ने पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जिक्र करते हुए कहा था कि सभ्यतागत रूप से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहा है और सीमाएं बदल सकती हैं। इस बयान से पाकिस्तान तिलमिला गया है। पाकिस्तान ने राजनाथ सिंह के इस बयान को खतरनाक और भड़काने वाला बताया है।

राजनाथ सिंह के बायन पर तिलमिलाया पाकिस्तान

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के संबंध में भारतीय रक्षा मंत्री की भ्रम से भरे और खतरनाक बदलाव की मांग करने वाली टिप्पणियों की पाकिस्तान कड़ी निंदा करता है। बयान में कहा गया है कि भारतीय रक्षा मंत्री की तरफ से की गई टिप्पणी भारत की विस्तारवादी हिन्दुत्व वाली मानसिकता को दर्शाती है। पाकिस्तान ने कहा है कि राजनाथ सिंह का बयान पाकिस्तान की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और 1947 में तय की गई सीमा के खिलाफ है।

पाकिस्तान ने फिर अलापा कश्मीर राग

राजनाथ सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कश्मीर और भारत के अल्पसंख्यकों को लेकर टिप्पणी की है। पाकिस्तान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत को जम्मू-कश्मीर का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और स्थानीय लोगों की मंशा के मुताबिक करना चाहिए। पाकिस्तान ने भारत में अल्पसंख्यकों और पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रही हिंसा पर ध्यान देने की नसीहत दी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा था?

रक्षामंत्री ने सिंधी समुदाय द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आडवाणी जी ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि सिंधी हिंदू, विशेषकर उनकी पीढ़ी के लोग, अब भी सिंध को भारत से अलग करने की बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।'' पाकिस्तान का निर्माण 1947 में तत्कालीन भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप हुआ था, और सिंधु नदी के पास का सिंध क्षेत्र तब से पाकिस्तान का हिस्सा है। उन्होंने कहा, केवल सिंध में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते थे। सिंध में कई मुसलमान भी मानते थे कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-जमजम (सबसे पवित्र जल) से कम पवित्र नहीं है।

खान एवं भूतत्व विभाग, बिहार सरकार  उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने ग्रहण किया खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री का पदभार *


बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाना है: श्री विजय कुमार सिन्हा * अवैध बालू खनन पर अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं: श्री विजय कुमार सिन्हा बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने आज पटना स्थित खान एवं भूतत्व विभाग के कार्यालय में मंत्री के रूप में औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर विभाग के सचिव, निदेशक एवं सभी वरीय अधिकारियों ने फूल-गुलदस्तों से उनका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि खान एवं भूतत्व विभाग ने पिछले कुछ समय में अनेक ठोस और सकारात्मक कदम उठाए हैं, जिनके सुखद परिणाम पूरे बिहार को दिखाई दे रहे हैं। अब विभाग का पूरा जोर वैध खनन को बढ़ावा देने, पारदर्शी नीतियों के जरिए हर वर्ग तक इसका लाभ पहुँचाने और बालू खनन के क्षेत्र में रोजगार के नए-नए अवसर सृजित करने पर है। बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाना है। अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगेगी और खनिज संसाधनों का उपयोग बिहार के विकास और आम जनता के हित में होगा। वैध खनन से जहाँ एक ओर राज्य का राजस्व बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए द्वार खुलेंगे तथा बिहार तेजी से समृद्धि की ओर अग्रसर होगा। खान एवं भूतत्व विभाग, बिहार , अवैध बालू खनन पर अंकुश लगाने, संसाधनों के समुचित प्रबंधन और जनता के हित में बालू की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
*राणा प्रताप पीजी कालेज के चार विद्यार्थियों का अग्निवीर में चयन - एनसीसी ट्रेनिंग रही फायदेमंद*
सुलतानपुर,राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के चार विद्यार्थियों का चयन अग्निवीर सामान्य ड्यूटी में हुआ है। यह जानकारी देते हुए एनसीसी समन्वयक डॉ आलोक कुमार ने बताया कि महाविद्यालय के एन सी कैडेट अजय पाल,अमित सरोज , अविनाश कुमार रजक और अखिल मौर्य का चयन अग्निवीर के आर्मी ड्यूटी में हुआ है। अजय,अमित और अविनाश बीए तृतीय सेमेस्टर के छात्र हैं तो अखिलेश मौर्य इसी वर्ष उत्तीर्ण हो चुके हैं। इनके चयन में एनसीसी ट्रेनिंग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। अविनाश कुमार रजक प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के बैजलपुर और अमित सरोज उसी तहसील के भीकमपुर गोकुला गांव निवासी हैं। दोनों ने एनसीसी ट्रेनिंग के लिए ही सुलतानपुर जनपद के राणा प्रताप पीजी कालेज में प्रवेश लिया था। अजय पाल धम्मौर के भाटी गांव निवासी हरीराम पाल के पुत्र और अखिल मौर्य दूबेपुर ब्लाक के रामपुर गांव निवासी राकेश कुमार मौर्य के पुत्र हैं। महाविद्यालय एनसीसी कैडेट्स के अग्निवीर में चयन पर क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संजय सिंह,प्रबंधक एडवोकेट बालचंद्र सिंह,प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी व असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि समेत महाविद्यालय परिवार ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
*परीक्षा में वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है -डॉ शिल्पी सिंह*
शिक्षाशास्त्र विभाग में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित।
सुलतानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा स्नातक सम सेमेस्टर परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पद्धति की उपयोगिता एवं सीमाओं पर केंद्रित वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन, तार्किक प्रस्तुति तथा शैक्षिक मूल्यांकन के प्रति जागरूकता विकसित करना रहा। इस प्रतियोगिता में बी.ए. पंचम सेमेस्टर से सृष्टि सिंह, सुप्रिया भारती, शबनम बानो, अंतिम तथा देवेंद्र तिवारी, बी.ए. तृतीय सेमेस्टर से काजल यादव, सेजल शर्मा, एवं बी.ए. प्रथम सेमेस्टर से राज सिंह, माधुरी एवं साक्षी सिंह ने बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली के पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किए। पक्ष में प्रस्तुत मुख्य विचार में बहुविकल्पीय प्रश्नों से व्यापक पाठ्यक्रम का तीव्र एवं वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव होता है,यह प्रणाली मूल्यांकन में पारदर्शिता और त्रुटिरहित परिणाम प्रदान करती है,प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह पद्धति विद्यार्थियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। विपक्ष में रखे गए प्रमुख तर्क बहुविकल्पीय प्रश्न विद्यार्थियों की रचनात्मकता,विश्लेषणात्मक सोच और अभिव्यक्ति कौशल को कमज़ोर कर देते हैं,अनुमान आधारित उत्तर देने की प्रवृत्ति वास्तविक ज्ञान का सही मूल्यांकन नहीं कर पाती,यह पद्धति विषय की गहराई में जाने की प्रेरणा को सीमित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पी सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक स्तर पर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली तेजी से बदलते शैक्षिक परिदृश्य की मांग है, परंतु इसके साथ वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है। शिक्षण की गुणवत्ता तभी बढ़ती है जब मूल्यांकन समग्रता लिए हो। उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसे आयोजनों के माध्यम से अपनी विचार-शक्ति तथा तर्क क्षमता को विकसित करने हेतु प्रेरित किया।इस अवसर पर बी.ए. शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सृष्टि सिंह ने किया।
*आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है- डॉ अखिलेश सिंह*
युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान आयोजित।
सुल्तानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आज परास्नातक प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए “युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कॉलेज के ही समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अखिलेश सिंह रहे, जिन्होंने अपने रोचक, शोधपरक एवं समकालीन विश्लेषण से उपस्थित छात्र-छात्राओं को गहराई से अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष श्री बृजेश कुमार सिंह ने की। संचालन डॉ. बृजेश सिंह द्वारा किया गया तथा अंत में श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता डॉ. अखिलेश सिंह ने अपने विस्तृत व्याख्यान में कहा कि आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है। डिजिटल माध्यमों, सोशल मीडिया, कोचिंग कल्चर और प्रतियोगी माहौल ने परीक्षाओं की प्रकृति तथा विद्यार्थियों के मनोवैिज्ञान दोनों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि पहले परीक्षा को ज्ञान का मूल्यांकन माना जाता था, जबकि आज यह अधिकतर कैरियर निर्माण, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। इस कारण छात्रों में परीक्षा को लेकर तनाव, दबाव और अति-अपेक्षा बढ़ी है, जबकि दूसरी ओर कई छात्र परीक्षा को केवल एक औपचारिकता मानकर तैयारी में सतहीपन अपनाने लगे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि परीक्षा को लेकर युवा पीढ़ी का बदलता दृष्टिकोण केवल चुनौती ही नहीं, बल्कि अवसर भी है। डिजिटल शिक्षण संसाधनों ने सीखने को अधिक सरल, सुलभ और रोचक बनाया है। आज का विद्यार्थी सूचना-समृद्ध है और स्वयं सीखने की क्षमता विकसित कर रहा है। उन्होंने इस परिवर्तन को सकारात्मक दिशा देने पर जोर देते हुए कहा कि परीक्षा का उद्देश्य केवल अंक प्राप्ति नहीं, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता और विश्लेषणात्मक दृष्टि का विकास होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि परीक्षा को भय या बोझ की तरह न लें। इसे आत्ममूल्यांकन और आत्म-विकास का मौका समझें। आत्मअनुशासन, समय-प्रबंधन, डिजिटल संसाधनों का संतुलित उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल—ये सभी तत्व एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने के लिए आवश्यक हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि समाजशास्त्रीय दृष्टि से परीक्षा केवल एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक संरचना है जो व्यक्ति के भविष्य को आकार देती है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने भीतर आत्मविश्वास विकसित करें और बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को ढालने की क्षमता बढ़ाएँ।संचालनकर्ता डॉ. बृजेश सिंह ने कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम विद्यार्थियों में सकारात्मक शैक्षिक संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। अंत में आभार व्यक्त करते हुए श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि समाजशास्त्र विभाग हमेशा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है और भविष्य में भी इस प्रकार के उपयोगी कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों ने विषय पर विभिन्न प्रश्न पूछे जिनका समाधान मुख्य वक्ता द्वारा सरल व सहज भाषा में किया गया।
*राणा प्रताप पीजी कॉलेज में हुआ द वॉयस ऑफ़ अवध प्रतियोगिता का आयोजन - सत्यधाम आश्रम द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में गायक नंदन चंदन थे निर्णायक*
सुलतानपुर,द वॉयस ऑफ अवध इस क्षेत्र में लोक गायन की छिपी प्रतिभाओं को पहचानने का महत्वपूर्ण अवसर है। अवधी और भोजपुरी गीतों पर केंद्रित इस आयोजन में हम गांव की मिट्टी की महक महसूस कर सकते हैं। यह बातें राणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहीं। वह सत्यधाम आश्रम और राणा प्रताप पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अवधी और भोजपुरी लोकगीतों की प्रतियोगिता द वायस आफ अवध को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि महाविद्यालय प्रबंधक एडवोकेट बालचंद सिंह ने पुस्तकालय कक्ष में दीप प्रज्ज्वलित कर प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। संयोजक देवेंद्र कविराज देव ने बताया कि प्रतियोगिता में अवध क्षेत्र के बीस जनपदों के कुल निन्यानबे बच्चों ने भाग लिया जिसमें तीस प्रतिभागी सेमीफाइनल के लिए चयनित हुए। अगला ऑडिशन जल्द ही होगा। सेमीफाइनल के लिए कुल साठ लोगों का चयन करना है।अंतिम रूप से चयनित तीन प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार देकर द वायस आफ अवध के खिताब से नवाजा जाएगा। महाविद्यालय आई क्यू ए सी निदेशक प्रोफेसर इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि अच्छी गायकी के लिए अच्छा स्वर, सधा सुर , संगीत की समझ, सातत्य, समर्पण, साधना और संवेदनशीलता का सामंजस्य जरूरी है। प्रतियोगिता के निर्णायक भोजपुरी के चर्चित गायक नंदन और चंदन ने अपने गीतों से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में जादूगर संजय घायल ने अपना जादू प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संगीत निर्देशक विनय पांडेय , कवि लोकेश श्रीवास्तव, संघ के जिला प्रचारक आशीष , डॉ अखिलेश सिंह, डॉ संतोष सिंह अंश, विनय कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, पंकज चौरसिया, अन्नू यादव, चंद्रमणि मौर्य, विपिन कुमार, देव राजन, शुभम ,धर्मराज, राजीव मौर्या,अंतिमा तिवारी,आदर्श पांडे, अर्पित सिंह, अशोक आदि उपस्थित रहे।
89 साल की उम्र में सुपरस्टार धर्मेंद्र का निधन, नहीं रहा बॉलीवुड का ‘हीमैन’

फिल्म इंडस्ट्री से एक बुरी खबर सामने आ रही है. हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर और ‘हीमैन’ के नाम से पहचान बनाने वाले मशहूर एक्टर धर्मेंद्र का निधन हो गया है. 89 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. इस खबर से फिल्म इंडस्ट्री में मातम छा गया है. वो कुछ दिनों से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे लेकिन रिकवर होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. वो उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. सोमवार दोपहर अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई जिसके बाद एक एंबुलेंस को घर के अंदर जाते देखा गया. इसके बाद से सनी विला के आस-पास हलचल तेज हो गई थी. वहीं अब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

धर्मेंद्र एक ऐसे एक्टर थे, जिन्होंने तरीबन 65 सालों तक बॉलीवुड पर राज किया. साल 1960 में उन्होंने ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ नाम की फिल्म से डेब्यू किया था. उसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ‘शोले’, ‘सीता और गीता’, ‘मेरा गांव मेर देश’, ‘लोहा’ जैसी और भी कई बेहतरीन फिल्मों के जरिए लोगों को खूब एंटरटेन किया. हालांकि, अब धर्मेंद्र ने अपने तमाम चाहने वालों की आंखों को नम कर दिया.

300 से ज्यादा फिल्मों का हिस्सा रहे

धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के नसराली गांव में हुआ था. इस छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने बॉलीवुड के सबसे बड़े एक्टर बनने का सफर तय किया. उन्होंने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और हार लोगों ने पर्दे पर उनकी अदाकारी पसंद की. उन्होंने हिंदी के साथ पंजाबी सिनेमा में भी अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेरा था.

ये होगी धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म

धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वो लोगों के दिलों में जिंदा हैं. उनकी एक फिल्म अभी रिलीज होने बाकी है, जिसके जरिए एक बार फिर से पर्दे पर उनकी उम्दा अदाकारी दिखेगी. वो फिल्म है ‘इक्कीस’, जो 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. हाल ही में इस फिल्म से एक्टर का नया पोस्टर भी आया था. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा लीड रोल में हैं. वो साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के हीरो अरुण खेत्रपाल के रोल में दिखेंगे. वहीं धर्मेंद्र उनके पिता के किरदार में होंगे.

धर्मेंद्र के निधन से उनके फैंस के बीच मायूसी है. वे हर एक जनरेशन के पसंदीदा एक्टर रहे और जनता से उन्हें खूब प्यार और सम्मान मिला. एक्टर की खास बात ये रही कि उन्होंने अंतिम सांस तक अभिनय का दामन नहीं थामा. उनके निधन के बाद फैंस उन्हें ट्रिब्यूट दे रहे हैं. फिल्म जगत में एक्टर के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.

काकोरी में कार पलटने से बैंक मैनेजर व अकाउंटेंट घायल

लखनऊ । काकोरी के उन्नाव में सोमवार सुबह करीब 09:35 बजे काकोरी थाना क्षेत्र में एक सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर और अकाउंटेंट घायल हो गए। हादसा तब हुआ जब दोनों लखनऊ से बैंक ऑफ इंडिया, मोहान शाखा (उन्नाव) जा रहे थे।

पेट्रोल पंप मदारपुर के पास अचानक अनियंत्रित होकर पलटी कार

जानकारी के अनुसार, बैंक के मैनेजर मनोज वर्मा और अकाउंटेंट उपेंद्र सिंह अपनी निजी क्रेटा कार (रजिस्ट्रेशन UP32MA 9228) में सफर कर रहे थे। पेट्रोल पंप मदारपुर के थोड़ी दूरी आगे मोहन रोड पर गाड़ी अचानक अनियंत्रित होकर पलट गई।दुर्घटना के तुरंत बाद सूचना मिलते ही थाना स्थानीय पुलिस टीम मौके पर पहुंची। बैंक के अन्य कर्मचारी भी घटनास्थल पर आए और घायल कर्मियों को तत्काल ग्लोब हॉस्पिटल, मोहन (उन्नाव) पहुंचाया गया।

दुर्घटना के कारणों की जांच कर रही पुलिस

मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, मनोज वर्मा के सिर में चोटें आई हैं जबकि उपेंद्र सिंह के हाथ और पैर में चोटें लगी हैं। डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं। परिजनों को घटना की जानकारी दे दी गई है, और बैंक के सहकर्मी शशांक कुमार भी हॉस्पिटल में मौजूद हैं।पुलिस के अनुसार, हादसे के समय सड़क पर अन्य वाहनों की आवाजाही सामान्य थी और किसी अन्य को चोट नहीं आई। पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दुर्घटना का कारण क्या था, लेकिन स्थिति सामान्य है और आगे की कार्रवाई जारी है।

बाराबंकी में एक पल की भूल ने मां की जिंदगी छीन ली, पूरा गांव स्तब्ध"

लखनऊ, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के बहुता गांव में रविवार की दोपहर एक छोटे-से पल ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। 26 वर्षीय सूरज तिवारी अपनी जिंदगी में पहली बार कार चलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन एक क्षणिक गलती ने उसकी मां बीनू तिवारी की जान ले ली। यह हादसा न केवल परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए एक करुणामय दृश्य बन गया।

बहनोई की कार को चलाना सीख रहा था सूरज

जानकारी के मुताबिक, सूरज तिवारी अपने बहनोई की कार में गाड़ी चलाना सीख रहा था। पहली बार गाड़ी स्टार्ट करने के दौरान वह गियर, ब्रेक और एक्सीलेटर के बीच उलझ गया। अचानक कार एक तेज झटके के साथ आगे बढ़ी और सीधे उसकी मां बीनू तिवारी पर जा लगी। बीनू तिवारी, जो उस समय कार के सामने खड़ी थीं, गाड़ी के नीचे आ गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं।हादसे की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े। चीख-पुकार और मदद की आवाजें पूरे इलाके में गूँज उठीं। स्थानीय लोगों ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई और घायल महिला को हैदरगढ़ सीएचसी पहुंचाया। डॉक्टरों ने हर संभव प्रयास के बावजूद बीनू तिवारी को मृत घोषित कर दिया।

बेटा अपनी गलती के लिए खुद को मान रहा दोषी

घटना का दृश्य अत्यंत मार्मिक था। सूरज तिवारी का रोना, परिवार के सदस्यों का विलाप और गांव वालों की सहम सी भावनाएं हर किसी के दिल को झकझोर रही थीं। बेटा अपनी गलती के लिए खुद को दोषी मान रहा था और परिवार सदमे की स्थिति में था। गांव में मातम छा गया और हर कोई उस दुखद पल को देखकर स्तब्ध रह गया।परिजन बताते हैं कि बीनू तिवारी हमेशा अपने बेटे के उज्जवल भविष्य की चिंता करती थीं और परिवार की खुशी में हर कदम पर मार्गदर्शन देती थीं। सूरज की मासूम गलती ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। परिवार का कहना है कि उन्हें इस दुःख से उबरने के लिए समय की बहुत जरूरत होगी।

प्रारंभिक जांच में यह घटना दुर्घटना प्रतीत होती है : इंस्पेक्टर

हैदरगढ़ पुलिस ने भी मामले की पुष्टि की है। इंस्पेक्टर अभिमन्यु मल्ल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह साफ तौर पर एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसों की कोई पूर्व सूचना नहीं थी और पुलिस पूरी जांच कर रही है।इस दर्दनाक घटना ने परिवार के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया है। सूरज तिवारी अब अपने जीवन के सबसे बड़े सदमे का सामना कर रहा है। गांव के लोग परिवार के साथ खड़े हैं, लेकिन उस क्षणिक गलती की मार और मां के बिना जीवन का खालीपन हर किसी के दिल में गूंज रहा है।

पर्दे पर सबसे चमकता सितारा, लेकिन राजनीति नहीं आई रास, जानें कैसा रहा सियासी सफर

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बॉलीबुड के ही-मैन कहे जाने वाले धर्मेंद्र ने 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। धर्मेद्र के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी से लेकर बॉलीवुड के कई सेलेब्स ने दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि दी है।

अपने दमदार अभिनय के दम पर धर्मेद्र ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। यही नहीं उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया था। भारत के पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात के बाद उन्होंने पॉलिटिक्स में आने का फैसला लिया था। हालांकि, जल्द ही उनका राजनीति से मोहभंग हो गया। धर्मेंद्र का करियर सिनेमाई पर्दे पर जितना जादुई रहा उतना ही राजनीतिक पिच से वे निराश होकर लौटे।

बीकानेर से की राजनीतिक सफर की शुरुआत

धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। बीकानेर सीट से वो भारतीय जनता पार्टी के सांसद रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को भारी मतों से हराया था। इस चुनाव में धर्मेंद्र ने 57 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की और सांसद बन गए। उन्होंने इस संसदीय चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता रामेश्वर लाल डूडी को हराया था।

आडवाणी के कहने पर आए राजनीति में

धर्मेंद्र ने राजनीति में आने का फैसला ले तो लिया, लेकिन पॉलिटिक्स उन्हें ज्यादा रास नहीं आई। आडवाणी के कहने पर राजनीति में आने वाले धर्मेंद्र का जल्द ही इससे मोहभंग हो गया। सांसद रहते हुए धर्मेंद्र भी ज्यादार समय मुंबई में व्यस्त रहते थे। इसे लेकर बीकानेर में उनकी काफी आलोचना भी हुई। शहर में उनकी गुमशुदगी के पोस्टर भी लगे थे। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। सांसद के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद धर्मेंद्र ने राजनीति को अलविदा कह दिया।

क्यों राजनीति से हुआ मोहभंग

कई इंटरव्यू में धर्मेंद्र स्पष्ट कह चुके हैं कि राजनीति की भाषा, उसके तौर-तरीके और उसके लोग उन्हें रास नहीं आए। उनका कहना था कि उन्होंने बीकानेर के लिए कई विकास कार्य करवाए, लेकिन सत्ता और सिस्टम की उलझनों में क्रेडिट किसी और के खाते में चला जाता था। फिर धर्मेंद्र ने खुलकर मान लिया, संसद और राजनीति मेरे बस की बात नहीं थी।

राजनाथ सिंह ने सिंध को बताया भारत का हिस्सा, पाकिस्तान को लगी मिर्ची, फिर अलापा कश्मीर राग

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से सिंधी समाज सम्मेलन में दिए गए एक बयान से पाकिस्तान को मिर्ची लगी है। भारत के रक्षा मंत्री ने पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जिक्र करते हुए कहा था कि सभ्यतागत रूप से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहा है और सीमाएं बदल सकती हैं। इस बयान से पाकिस्तान तिलमिला गया है। पाकिस्तान ने राजनाथ सिंह के इस बयान को खतरनाक और भड़काने वाला बताया है।

राजनाथ सिंह के बायन पर तिलमिलाया पाकिस्तान

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के संबंध में भारतीय रक्षा मंत्री की भ्रम से भरे और खतरनाक बदलाव की मांग करने वाली टिप्पणियों की पाकिस्तान कड़ी निंदा करता है। बयान में कहा गया है कि भारतीय रक्षा मंत्री की तरफ से की गई टिप्पणी भारत की विस्तारवादी हिन्दुत्व वाली मानसिकता को दर्शाती है। पाकिस्तान ने कहा है कि राजनाथ सिंह का बयान पाकिस्तान की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और 1947 में तय की गई सीमा के खिलाफ है।

पाकिस्तान ने फिर अलापा कश्मीर राग

राजनाथ सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कश्मीर और भारत के अल्पसंख्यकों को लेकर टिप्पणी की है। पाकिस्तान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत को जम्मू-कश्मीर का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और स्थानीय लोगों की मंशा के मुताबिक करना चाहिए। पाकिस्तान ने भारत में अल्पसंख्यकों और पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रही हिंसा पर ध्यान देने की नसीहत दी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा था?

रक्षामंत्री ने सिंधी समुदाय द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आडवाणी जी ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि सिंधी हिंदू, विशेषकर उनकी पीढ़ी के लोग, अब भी सिंध को भारत से अलग करने की बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।'' पाकिस्तान का निर्माण 1947 में तत्कालीन भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप हुआ था, और सिंधु नदी के पास का सिंध क्षेत्र तब से पाकिस्तान का हिस्सा है। उन्होंने कहा, केवल सिंध में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते थे। सिंध में कई मुसलमान भी मानते थे कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-जमजम (सबसे पवित्र जल) से कम पवित्र नहीं है।

खान एवं भूतत्व विभाग, बिहार सरकार  उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने ग्रहण किया खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री का पदभार *


बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाना है: श्री विजय कुमार सिन्हा * अवैध बालू खनन पर अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं: श्री विजय कुमार सिन्हा बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने आज पटना स्थित खान एवं भूतत्व विभाग के कार्यालय में मंत्री के रूप में औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर विभाग के सचिव, निदेशक एवं सभी वरीय अधिकारियों ने फूल-गुलदस्तों से उनका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि खान एवं भूतत्व विभाग ने पिछले कुछ समय में अनेक ठोस और सकारात्मक कदम उठाए हैं, जिनके सुखद परिणाम पूरे बिहार को दिखाई दे रहे हैं। अब विभाग का पूरा जोर वैध खनन को बढ़ावा देने, पारदर्शी नीतियों के जरिए हर वर्ग तक इसका लाभ पहुँचाने और बालू खनन के क्षेत्र में रोजगार के नए-नए अवसर सृजित करने पर है। बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाना है। अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगेगी और खनिज संसाधनों का उपयोग बिहार के विकास और आम जनता के हित में होगा। वैध खनन से जहाँ एक ओर राज्य का राजस्व बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए द्वार खुलेंगे तथा बिहार तेजी से समृद्धि की ओर अग्रसर होगा। खान एवं भूतत्व विभाग, बिहार , अवैध बालू खनन पर अंकुश लगाने, संसाधनों के समुचित प्रबंधन और जनता के हित में बालू की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
*राणा प्रताप पीजी कालेज के चार विद्यार्थियों का अग्निवीर में चयन - एनसीसी ट्रेनिंग रही फायदेमंद*
सुलतानपुर,राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के चार विद्यार्थियों का चयन अग्निवीर सामान्य ड्यूटी में हुआ है। यह जानकारी देते हुए एनसीसी समन्वयक डॉ आलोक कुमार ने बताया कि महाविद्यालय के एन सी कैडेट अजय पाल,अमित सरोज , अविनाश कुमार रजक और अखिल मौर्य का चयन अग्निवीर के आर्मी ड्यूटी में हुआ है। अजय,अमित और अविनाश बीए तृतीय सेमेस्टर के छात्र हैं तो अखिलेश मौर्य इसी वर्ष उत्तीर्ण हो चुके हैं। इनके चयन में एनसीसी ट्रेनिंग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। अविनाश कुमार रजक प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के बैजलपुर और अमित सरोज उसी तहसील के भीकमपुर गोकुला गांव निवासी हैं। दोनों ने एनसीसी ट्रेनिंग के लिए ही सुलतानपुर जनपद के राणा प्रताप पीजी कालेज में प्रवेश लिया था। अजय पाल धम्मौर के भाटी गांव निवासी हरीराम पाल के पुत्र और अखिल मौर्य दूबेपुर ब्लाक के रामपुर गांव निवासी राकेश कुमार मौर्य के पुत्र हैं। महाविद्यालय एनसीसी कैडेट्स के अग्निवीर में चयन पर क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संजय सिंह,प्रबंधक एडवोकेट बालचंद्र सिंह,प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी व असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि समेत महाविद्यालय परिवार ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
*परीक्षा में वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है -डॉ शिल्पी सिंह*
शिक्षाशास्त्र विभाग में वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित।
सुलतानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा स्नातक सम सेमेस्टर परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पद्धति की उपयोगिता एवं सीमाओं पर केंद्रित वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन, तार्किक प्रस्तुति तथा शैक्षिक मूल्यांकन के प्रति जागरूकता विकसित करना रहा। इस प्रतियोगिता में बी.ए. पंचम सेमेस्टर से सृष्टि सिंह, सुप्रिया भारती, शबनम बानो, अंतिम तथा देवेंद्र तिवारी, बी.ए. तृतीय सेमेस्टर से काजल यादव, सेजल शर्मा, एवं बी.ए. प्रथम सेमेस्टर से राज सिंह, माधुरी एवं साक्षी सिंह ने बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली के पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किए। पक्ष में प्रस्तुत मुख्य विचार में बहुविकल्पीय प्रश्नों से व्यापक पाठ्यक्रम का तीव्र एवं वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव होता है,यह प्रणाली मूल्यांकन में पारदर्शिता और त्रुटिरहित परिणाम प्रदान करती है,प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह पद्धति विद्यार्थियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। विपक्ष में रखे गए प्रमुख तर्क बहुविकल्पीय प्रश्न विद्यार्थियों की रचनात्मकता,विश्लेषणात्मक सोच और अभिव्यक्ति कौशल को कमज़ोर कर देते हैं,अनुमान आधारित उत्तर देने की प्रवृत्ति वास्तविक ज्ञान का सही मूल्यांकन नहीं कर पाती,यह पद्धति विषय की गहराई में जाने की प्रेरणा को सीमित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पी सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक स्तर पर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रणाली तेजी से बदलते शैक्षिक परिदृश्य की मांग है, परंतु इसके साथ वर्णात्मक एवं विश्लेषणात्मक मूल्यांकन की संतुलित व्यवस्था भी आवश्यक है। शिक्षण की गुणवत्ता तभी बढ़ती है जब मूल्यांकन समग्रता लिए हो। उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसे आयोजनों के माध्यम से अपनी विचार-शक्ति तथा तर्क क्षमता को विकसित करने हेतु प्रेरित किया।इस अवसर पर बी.ए. शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सृष्टि सिंह ने किया।
*आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है- डॉ अखिलेश सिंह*
युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान आयोजित।
सुल्तानपुर,राणा प्रताप पी. जी. कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आज परास्नातक प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए “युवा पीढ़ी में परीक्षा के प्रति बदलते दृष्टिकोण” विषय पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कॉलेज के ही समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अखिलेश सिंह रहे, जिन्होंने अपने रोचक, शोधपरक एवं समकालीन विश्लेषण से उपस्थित छात्र-छात्राओं को गहराई से अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष श्री बृजेश कुमार सिंह ने की। संचालन डॉ. बृजेश सिंह द्वारा किया गया तथा अंत में श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता डॉ. अखिलेश सिंह ने अपने विस्तृत व्याख्यान में कहा कि आज की युवा पीढ़ी का परीक्षा के प्रति दृष्टिकोण तेजी से बदल रहा है। डिजिटल माध्यमों, सोशल मीडिया, कोचिंग कल्चर और प्रतियोगी माहौल ने परीक्षाओं की प्रकृति तथा विद्यार्थियों के मनोवैिज्ञान दोनों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि पहले परीक्षा को ज्ञान का मूल्यांकन माना जाता था, जबकि आज यह अधिकतर कैरियर निर्माण, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। इस कारण छात्रों में परीक्षा को लेकर तनाव, दबाव और अति-अपेक्षा बढ़ी है, जबकि दूसरी ओर कई छात्र परीक्षा को केवल एक औपचारिकता मानकर तैयारी में सतहीपन अपनाने लगे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि परीक्षा को लेकर युवा पीढ़ी का बदलता दृष्टिकोण केवल चुनौती ही नहीं, बल्कि अवसर भी है। डिजिटल शिक्षण संसाधनों ने सीखने को अधिक सरल, सुलभ और रोचक बनाया है। आज का विद्यार्थी सूचना-समृद्ध है और स्वयं सीखने की क्षमता विकसित कर रहा है। उन्होंने इस परिवर्तन को सकारात्मक दिशा देने पर जोर देते हुए कहा कि परीक्षा का उद्देश्य केवल अंक प्राप्ति नहीं, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता और विश्लेषणात्मक दृष्टि का विकास होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि परीक्षा को भय या बोझ की तरह न लें। इसे आत्ममूल्यांकन और आत्म-विकास का मौका समझें। आत्मअनुशासन, समय-प्रबंधन, डिजिटल संसाधनों का संतुलित उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल—ये सभी तत्व एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने के लिए आवश्यक हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि समाजशास्त्रीय दृष्टि से परीक्षा केवल एक शैक्षणिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक संरचना है जो व्यक्ति के भविष्य को आकार देती है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने भीतर आत्मविश्वास विकसित करें और बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप को ढालने की क्षमता बढ़ाएँ।संचालनकर्ता डॉ. बृजेश सिंह ने कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम विद्यार्थियों में सकारात्मक शैक्षिक संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। अंत में आभार व्यक्त करते हुए श्री विरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि समाजशास्त्र विभाग हमेशा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है और भविष्य में भी इस प्रकार के उपयोगी कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों ने विषय पर विभिन्न प्रश्न पूछे जिनका समाधान मुख्य वक्ता द्वारा सरल व सहज भाषा में किया गया।
*राणा प्रताप पीजी कॉलेज में हुआ द वॉयस ऑफ़ अवध प्रतियोगिता का आयोजन - सत्यधाम आश्रम द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में गायक नंदन चंदन थे निर्णायक*
सुलतानपुर,द वॉयस ऑफ अवध इस क्षेत्र में लोक गायन की छिपी प्रतिभाओं को पहचानने का महत्वपूर्ण अवसर है। अवधी और भोजपुरी गीतों पर केंद्रित इस आयोजन में हम गांव की मिट्टी की महक महसूस कर सकते हैं। यह बातें राणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहीं। वह सत्यधाम आश्रम और राणा प्रताप पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अवधी और भोजपुरी लोकगीतों की प्रतियोगिता द वायस आफ अवध को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि महाविद्यालय प्रबंधक एडवोकेट बालचंद सिंह ने पुस्तकालय कक्ष में दीप प्रज्ज्वलित कर प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। संयोजक देवेंद्र कविराज देव ने बताया कि प्रतियोगिता में अवध क्षेत्र के बीस जनपदों के कुल निन्यानबे बच्चों ने भाग लिया जिसमें तीस प्रतिभागी सेमीफाइनल के लिए चयनित हुए। अगला ऑडिशन जल्द ही होगा। सेमीफाइनल के लिए कुल साठ लोगों का चयन करना है।अंतिम रूप से चयनित तीन प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार देकर द वायस आफ अवध के खिताब से नवाजा जाएगा। महाविद्यालय आई क्यू ए सी निदेशक प्रोफेसर इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि अच्छी गायकी के लिए अच्छा स्वर, सधा सुर , संगीत की समझ, सातत्य, समर्पण, साधना और संवेदनशीलता का सामंजस्य जरूरी है। प्रतियोगिता के निर्णायक भोजपुरी के चर्चित गायक नंदन और चंदन ने अपने गीतों से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अंत में जादूगर संजय घायल ने अपना जादू प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संगीत निर्देशक विनय पांडेय , कवि लोकेश श्रीवास्तव, संघ के जिला प्रचारक आशीष , डॉ अखिलेश सिंह, डॉ संतोष सिंह अंश, विनय कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, पंकज चौरसिया, अन्नू यादव, चंद्रमणि मौर्य, विपिन कुमार, देव राजन, शुभम ,धर्मराज, राजीव मौर्या,अंतिमा तिवारी,आदर्श पांडे, अर्पित सिंह, अशोक आदि उपस्थित रहे।
89 साल की उम्र में सुपरस्टार धर्मेंद्र का निधन, नहीं रहा बॉलीवुड का ‘हीमैन’

फिल्म इंडस्ट्री से एक बुरी खबर सामने आ रही है. हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर और ‘हीमैन’ के नाम से पहचान बनाने वाले मशहूर एक्टर धर्मेंद्र का निधन हो गया है. 89 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. इस खबर से फिल्म इंडस्ट्री में मातम छा गया है. वो कुछ दिनों से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे लेकिन रिकवर होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. वो उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. सोमवार दोपहर अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई जिसके बाद एक एंबुलेंस को घर के अंदर जाते देखा गया. इसके बाद से सनी विला के आस-पास हलचल तेज हो गई थी. वहीं अब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

धर्मेंद्र एक ऐसे एक्टर थे, जिन्होंने तरीबन 65 सालों तक बॉलीवुड पर राज किया. साल 1960 में उन्होंने ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ नाम की फिल्म से डेब्यू किया था. उसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ‘शोले’, ‘सीता और गीता’, ‘मेरा गांव मेर देश’, ‘लोहा’ जैसी और भी कई बेहतरीन फिल्मों के जरिए लोगों को खूब एंटरटेन किया. हालांकि, अब धर्मेंद्र ने अपने तमाम चाहने वालों की आंखों को नम कर दिया.

300 से ज्यादा फिल्मों का हिस्सा रहे

धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के नसराली गांव में हुआ था. इस छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने बॉलीवुड के सबसे बड़े एक्टर बनने का सफर तय किया. उन्होंने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और हार लोगों ने पर्दे पर उनकी अदाकारी पसंद की. उन्होंने हिंदी के साथ पंजाबी सिनेमा में भी अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेरा था.

ये होगी धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म

धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वो लोगों के दिलों में जिंदा हैं. उनकी एक फिल्म अभी रिलीज होने बाकी है, जिसके जरिए एक बार फिर से पर्दे पर उनकी उम्दा अदाकारी दिखेगी. वो फिल्म है ‘इक्कीस’, जो 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. हाल ही में इस फिल्म से एक्टर का नया पोस्टर भी आया था. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा लीड रोल में हैं. वो साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के हीरो अरुण खेत्रपाल के रोल में दिखेंगे. वहीं धर्मेंद्र उनके पिता के किरदार में होंगे.

धर्मेंद्र के निधन से उनके फैंस के बीच मायूसी है. वे हर एक जनरेशन के पसंदीदा एक्टर रहे और जनता से उन्हें खूब प्यार और सम्मान मिला. एक्टर की खास बात ये रही कि उन्होंने अंतिम सांस तक अभिनय का दामन नहीं थामा. उनके निधन के बाद फैंस उन्हें ट्रिब्यूट दे रहे हैं. फिल्म जगत में एक्टर के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.

काकोरी में कार पलटने से बैंक मैनेजर व अकाउंटेंट घायल

लखनऊ । काकोरी के उन्नाव में सोमवार सुबह करीब 09:35 बजे काकोरी थाना क्षेत्र में एक सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर और अकाउंटेंट घायल हो गए। हादसा तब हुआ जब दोनों लखनऊ से बैंक ऑफ इंडिया, मोहान शाखा (उन्नाव) जा रहे थे।

पेट्रोल पंप मदारपुर के पास अचानक अनियंत्रित होकर पलटी कार

जानकारी के अनुसार, बैंक के मैनेजर मनोज वर्मा और अकाउंटेंट उपेंद्र सिंह अपनी निजी क्रेटा कार (रजिस्ट्रेशन UP32MA 9228) में सफर कर रहे थे। पेट्रोल पंप मदारपुर के थोड़ी दूरी आगे मोहन रोड पर गाड़ी अचानक अनियंत्रित होकर पलट गई।दुर्घटना के तुरंत बाद सूचना मिलते ही थाना स्थानीय पुलिस टीम मौके पर पहुंची। बैंक के अन्य कर्मचारी भी घटनास्थल पर आए और घायल कर्मियों को तत्काल ग्लोब हॉस्पिटल, मोहन (उन्नाव) पहुंचाया गया।

दुर्घटना के कारणों की जांच कर रही पुलिस

मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, मनोज वर्मा के सिर में चोटें आई हैं जबकि उपेंद्र सिंह के हाथ और पैर में चोटें लगी हैं। डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं। परिजनों को घटना की जानकारी दे दी गई है, और बैंक के सहकर्मी शशांक कुमार भी हॉस्पिटल में मौजूद हैं।पुलिस के अनुसार, हादसे के समय सड़क पर अन्य वाहनों की आवाजाही सामान्य थी और किसी अन्य को चोट नहीं आई। पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दुर्घटना का कारण क्या था, लेकिन स्थिति सामान्य है और आगे की कार्रवाई जारी है।

बाराबंकी में एक पल की भूल ने मां की जिंदगी छीन ली, पूरा गांव स्तब्ध"

लखनऊ, बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के बहुता गांव में रविवार की दोपहर एक छोटे-से पल ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। 26 वर्षीय सूरज तिवारी अपनी जिंदगी में पहली बार कार चलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन एक क्षणिक गलती ने उसकी मां बीनू तिवारी की जान ले ली। यह हादसा न केवल परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए एक करुणामय दृश्य बन गया।

बहनोई की कार को चलाना सीख रहा था सूरज

जानकारी के मुताबिक, सूरज तिवारी अपने बहनोई की कार में गाड़ी चलाना सीख रहा था। पहली बार गाड़ी स्टार्ट करने के दौरान वह गियर, ब्रेक और एक्सीलेटर के बीच उलझ गया। अचानक कार एक तेज झटके के साथ आगे बढ़ी और सीधे उसकी मां बीनू तिवारी पर जा लगी। बीनू तिवारी, जो उस समय कार के सामने खड़ी थीं, गाड़ी के नीचे आ गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं।हादसे की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े। चीख-पुकार और मदद की आवाजें पूरे इलाके में गूँज उठीं। स्थानीय लोगों ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई और घायल महिला को हैदरगढ़ सीएचसी पहुंचाया। डॉक्टरों ने हर संभव प्रयास के बावजूद बीनू तिवारी को मृत घोषित कर दिया।

बेटा अपनी गलती के लिए खुद को मान रहा दोषी

घटना का दृश्य अत्यंत मार्मिक था। सूरज तिवारी का रोना, परिवार के सदस्यों का विलाप और गांव वालों की सहम सी भावनाएं हर किसी के दिल को झकझोर रही थीं। बेटा अपनी गलती के लिए खुद को दोषी मान रहा था और परिवार सदमे की स्थिति में था। गांव में मातम छा गया और हर कोई उस दुखद पल को देखकर स्तब्ध रह गया।परिजन बताते हैं कि बीनू तिवारी हमेशा अपने बेटे के उज्जवल भविष्य की चिंता करती थीं और परिवार की खुशी में हर कदम पर मार्गदर्शन देती थीं। सूरज की मासूम गलती ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। परिवार का कहना है कि उन्हें इस दुःख से उबरने के लिए समय की बहुत जरूरत होगी।

प्रारंभिक जांच में यह घटना दुर्घटना प्रतीत होती है : इंस्पेक्टर

हैदरगढ़ पुलिस ने भी मामले की पुष्टि की है। इंस्पेक्टर अभिमन्यु मल्ल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह साफ तौर पर एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसों की कोई पूर्व सूचना नहीं थी और पुलिस पूरी जांच कर रही है।इस दर्दनाक घटना ने परिवार के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया है। सूरज तिवारी अब अपने जीवन के सबसे बड़े सदमे का सामना कर रहा है। गांव के लोग परिवार के साथ खड़े हैं, लेकिन उस क्षणिक गलती की मार और मां के बिना जीवन का खालीपन हर किसी के दिल में गूंज रहा है।