India

May 26 2023, 15:46

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर SC ने खारिज की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा- अगली बार लगेगा जुर्माना

नए संसद भवन का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से करवाने की मांग वाली याचिका आज सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है। कोर्ट ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर ऐसी याचिका दोबारा लगाई गई तो कोर्ट जुर्माना भी लगा देगा।

SC ने लगाई फटकार

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि ये याचिका किस कारण डाली गई है। कोर्ट ने इसी के साथ याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर इससे किसका हित होने वाला है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाओं की सुनवाई करना हमारा काम नहीं है।

राष्ट्रपति मुर्मु से उद्घाटन की थी मांग

सुप्रीम कोर्ट में बीते दिन इस मामले में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल हुई है, जिसमें यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र को ये निर्देश दे कि नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया जाना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया है, “लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।”

भारतीय संविधान का उल्लंघन- याचिकाकर्ता

अधिवक्ता जया सुकिन द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में महासचिव, लोकसभा द्वारा जारी किया गया निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।

याचिका में ये कहा गया था

याचिका में कहा गया कि सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है और संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।

संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है। भारत में राष्ट्रपति दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा को बुलाने और टालने या लोकसभा को भंग करने की शक्ति रखते हैं, इसलिए ये कार्य भी उन्हें ही करना चाहिए।

21 दलों ने की उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा

कांग्रेस, टीएमसी और आप समेत कुल 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के बिना भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय “राष्ट्रपति का अपमान करना है और संविधान का उल्लंघन भी है”।

India

May 25 2023, 13:25

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

#pilfiledinsupremecourtfornewparliamentbuilding_inauguration 

नए संदन भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई विपक्षी दल पीएम द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। इस बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 

नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। पेशे से वकील जयासुकिन ने ये याचिका दायर की है।

सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।

क्यों हो रहा विरोध?

बता दें कि नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों न करवाने को लेकर इसे मुद्दा बनाया है और इस समारोह के बॉयकट का ऐलान किया है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।

किन पार्टियों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार?

कांग्रेस समेत विपक्ष की 19 राजनीतिक दल नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेंगे। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम, माकपा, भाकपा शामिल हैं। इन दलों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

India

May 25 2023, 13:24

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

#pil_filed_in_supreme_court_for_new_parliament_building_inauguration 

नए संदन भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई विपक्षी दल पीएम द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। इस बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 

नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। पेशे से वकील जयासुकिन ने ये याचिका दायर की है।

सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।

क्यों हो रहा विरोध?

बता दें कि नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों न करवाने को लेकर इसे मुद्दा बनाया है और इस समारोह के बॉयकट का ऐलान किया है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।

किन पार्टियों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार?

कांग्रेस समेत विपक्ष की 19 राजनीतिक दल नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेंगे। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम, माकपा, भाकपा शामिल हैं। इन दलों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

India

Mar 29 2023, 18:42

सहारा निवेशकों के लिए राहत की खबर, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,निवेशकों को मिलेंगे 5000 करोड़

#supremecourtacceptspiltodisbursedepositsofsahara 

सहारा निवेशकों के लिए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत की खबर आई। सुप्रीम कोर्ट आम निवेशकों को फंसे पैसे को वापस करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत सेबी के पास जब्त 24 हजार करोड़ रुपये में से 5000 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाए जाएंगे। इस संबंध में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।

दरअसल केंद्र ने एक जनहित याचिका में यह आवेदन दिया था। जनहित याचिका पिनाकी पाणि मोहंती नाम के व्यक्ति ने दायर की थी और इसमें विभिन्न चिट फंड कंपनियों तथा सहारा क्रेडिट कंपनियों में निवेश करने वाले जमाकर्ताओं को इस राशि से भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद इन निवेशकों की उम्मीद जग गई है। उम्मीद है कि सहारा के निवेशकों को जल्द ही उनका पैसा वापस मिल जाएगा।

सहारा के 1.1 करोड़ निवेशकों को राहत मिलेगी

बता दें कि निवेशकों से धोखाधड़ी के एक दूसरे मामले में साल 2012 में बने सहारा-सेबी फंड में लगभग 24 हज़ार करोड़ रुपए जमा हैं।सहारा सेबी विवाद के कारण खाते में जमा 24 हजार करोड़ रुपये का फंड फंसा हुआ है। दूसरीओर निवेशक परेशान है। निवेशकों की परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें 5 हजार रुपये तुरंत जारी करने की अपील की थी। कोर्ट ने इस याचिका को मंजूरी देते हुए 5 हजार करोड़ रुपये अलॉट करने का आदेश दिया है। इस फैसले से सहारा के 1.1 करोड़ निवेशकों को राहत मिलेगी।

जज की निगरानी में वापस होगा पैसा

अपने आदेश में न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि सहारा समूह की सहकारी समितियों द्वारा ठगे गए जमाकर्ताओं के बीच इस राशि का वितरण किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया कि इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी करेंगे

India

Feb 09 2023, 13:35

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मामला, अदालत की निगरानी में जांच की मांग

#hindenburgreporttwopilfiledinsupreme_court 

अडानी समूह की कंपनियों पर अमेरिका शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के बिजनेस को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। वहीं दूसरी तरफ ये मामला संसद में गूंज रहा है। इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट में दो पीआईएल लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इन पीआईएल पर सुनवाई की मंजूरी भी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट कल शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेगा।

अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दखिल याचिका में जल्द सुनवाई की मांग की गई थी। वकील विशाल तिवारी ने मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ से जल्द सुनवाई की मांग की। विशाल तिवारी ने कोर्ट से कहा, ऐसी ही याचिका 10 फरवरी को सुनवाई के लिए लगी हुई है, उसी के साथ उनकी याचिका पर भी सुनवाई की जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने विशाल तिवारी की याचिका को मुख्य याचिका के साथ टैग कर दिया। पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं।

दोनों याचिका में क्या कहा गया?

सुप्रीम कोर्ट में एम एल शर्मा और विशाल तिवारी ने दो पीआईएल लगाई है। वकील विशाल तिवारी पीआईएल में जिक्र है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से भारत की छवि धुमिल हुई है और इसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। वहीं एम एल शर्मा की अपील में जिक्र किया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से बाजार पर प्रभाव पड़ा। याचिका में सुप्रीम कोर्ट में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की निगरानी में कराए जाने की मांग की गई है। साथ ही कोर्ट से विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश जारी करने की गुजारिश की गई है।

हिंडनबर्ग ने लगाए कई गंभीर आरोप

बता दें कि अमेरिका शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के बिजनेस से संबंधित एक रिपोर्ट पेश की थी। अडानी ग्रुप पर फर्जी लेन-देन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। बाद समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई है।

विपक्ष का विरोध जारी

इधर रिपोर्ट को लेकर विपक्ष लगातार पीएम और भारत सरकार के अडानी के साथ कनेक्शन का आरोप लगा है। विपक्ष ने जेपीसी की मांग की थी हालांकि सरकार से स्पष्ट कर दिया है कि जेपीसी जांच किसी शख्स के खिलाफ नहीं बैठायी जा सकती है। सरकार का कहना है कि यह औद्योगिक घराने से जुड़ा मामला है इसमें सरकार से कोई लेना देना नहीं है

India

May 26 2023, 15:46

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर SC ने खारिज की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा- अगली बार लगेगा जुर्माना

नए संसद भवन का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से करवाने की मांग वाली याचिका आज सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है। कोर्ट ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर ऐसी याचिका दोबारा लगाई गई तो कोर्ट जुर्माना भी लगा देगा।

SC ने लगाई फटकार

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि ये याचिका किस कारण डाली गई है। कोर्ट ने इसी के साथ याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर इससे किसका हित होने वाला है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाओं की सुनवाई करना हमारा काम नहीं है।

राष्ट्रपति मुर्मु से उद्घाटन की थी मांग

सुप्रीम कोर्ट में बीते दिन इस मामले में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल हुई है, जिसमें यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र को ये निर्देश दे कि नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया जाना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया है, “लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।”

भारतीय संविधान का उल्लंघन- याचिकाकर्ता

अधिवक्ता जया सुकिन द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में महासचिव, लोकसभा द्वारा जारी किया गया निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।

याचिका में ये कहा गया था

याचिका में कहा गया कि सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है और संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।

संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है। भारत में राष्ट्रपति दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा को बुलाने और टालने या लोकसभा को भंग करने की शक्ति रखते हैं, इसलिए ये कार्य भी उन्हें ही करना चाहिए।

21 दलों ने की उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा

कांग्रेस, टीएमसी और आप समेत कुल 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के बिना भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय “राष्ट्रपति का अपमान करना है और संविधान का उल्लंघन भी है”।

India

May 25 2023, 13:25

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

#pilfiledinsupremecourtfornewparliamentbuilding_inauguration 

नए संदन भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई विपक्षी दल पीएम द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। इस बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 

नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। पेशे से वकील जयासुकिन ने ये याचिका दायर की है।

सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।

क्यों हो रहा विरोध?

बता दें कि नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों न करवाने को लेकर इसे मुद्दा बनाया है और इस समारोह के बॉयकट का ऐलान किया है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।

किन पार्टियों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार?

कांग्रेस समेत विपक्ष की 19 राजनीतिक दल नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेंगे। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम, माकपा, भाकपा शामिल हैं। इन दलों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

India

May 25 2023, 13:24

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

#pil_filed_in_supreme_court_for_new_parliament_building_inauguration 

नए संदन भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई विपक्षी दल पीएम द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। इस बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 

नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। पेशे से वकील जयासुकिन ने ये याचिका दायर की है।

सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।

क्यों हो रहा विरोध?

बता दें कि नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों न करवाने को लेकर इसे मुद्दा बनाया है और इस समारोह के बॉयकट का ऐलान किया है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।

किन पार्टियों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार?

कांग्रेस समेत विपक्ष की 19 राजनीतिक दल नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेंगे। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम, माकपा, भाकपा शामिल हैं। इन दलों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

India

Mar 29 2023, 18:42

सहारा निवेशकों के लिए राहत की खबर, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,निवेशकों को मिलेंगे 5000 करोड़

#supremecourtacceptspiltodisbursedepositsofsahara 

सहारा निवेशकों के लिए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत की खबर आई। सुप्रीम कोर्ट आम निवेशकों को फंसे पैसे को वापस करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत सेबी के पास जब्त 24 हजार करोड़ रुपये में से 5000 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाए जाएंगे। इस संबंध में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।

दरअसल केंद्र ने एक जनहित याचिका में यह आवेदन दिया था। जनहित याचिका पिनाकी पाणि मोहंती नाम के व्यक्ति ने दायर की थी और इसमें विभिन्न चिट फंड कंपनियों तथा सहारा क्रेडिट कंपनियों में निवेश करने वाले जमाकर्ताओं को इस राशि से भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद इन निवेशकों की उम्मीद जग गई है। उम्मीद है कि सहारा के निवेशकों को जल्द ही उनका पैसा वापस मिल जाएगा।

सहारा के 1.1 करोड़ निवेशकों को राहत मिलेगी

बता दें कि निवेशकों से धोखाधड़ी के एक दूसरे मामले में साल 2012 में बने सहारा-सेबी फंड में लगभग 24 हज़ार करोड़ रुपए जमा हैं।सहारा सेबी विवाद के कारण खाते में जमा 24 हजार करोड़ रुपये का फंड फंसा हुआ है। दूसरीओर निवेशक परेशान है। निवेशकों की परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें 5 हजार रुपये तुरंत जारी करने की अपील की थी। कोर्ट ने इस याचिका को मंजूरी देते हुए 5 हजार करोड़ रुपये अलॉट करने का आदेश दिया है। इस फैसले से सहारा के 1.1 करोड़ निवेशकों को राहत मिलेगी।

जज की निगरानी में वापस होगा पैसा

अपने आदेश में न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि सहारा समूह की सहकारी समितियों द्वारा ठगे गए जमाकर्ताओं के बीच इस राशि का वितरण किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया कि इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी करेंगे

India

Feb 09 2023, 13:35

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मामला, अदालत की निगरानी में जांच की मांग

#hindenburgreporttwopilfiledinsupreme_court 

अडानी समूह की कंपनियों पर अमेरिका शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के बिजनेस को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। वहीं दूसरी तरफ ये मामला संसद में गूंज रहा है। इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट में दो पीआईएल लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इन पीआईएल पर सुनवाई की मंजूरी भी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट कल शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेगा।

अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दखिल याचिका में जल्द सुनवाई की मांग की गई थी। वकील विशाल तिवारी ने मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ से जल्द सुनवाई की मांग की। विशाल तिवारी ने कोर्ट से कहा, ऐसी ही याचिका 10 फरवरी को सुनवाई के लिए लगी हुई है, उसी के साथ उनकी याचिका पर भी सुनवाई की जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने विशाल तिवारी की याचिका को मुख्य याचिका के साथ टैग कर दिया। पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं।

दोनों याचिका में क्या कहा गया?

सुप्रीम कोर्ट में एम एल शर्मा और विशाल तिवारी ने दो पीआईएल लगाई है। वकील विशाल तिवारी पीआईएल में जिक्र है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से भारत की छवि धुमिल हुई है और इसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। वहीं एम एल शर्मा की अपील में जिक्र किया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से बाजार पर प्रभाव पड़ा। याचिका में सुप्रीम कोर्ट में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की निगरानी में कराए जाने की मांग की गई है। साथ ही कोर्ट से विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश जारी करने की गुजारिश की गई है।

हिंडनबर्ग ने लगाए कई गंभीर आरोप

बता दें कि अमेरिका शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के बिजनेस से संबंधित एक रिपोर्ट पेश की थी। अडानी ग्रुप पर फर्जी लेन-देन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। बाद समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई है।

विपक्ष का विरोध जारी

इधर रिपोर्ट को लेकर विपक्ष लगातार पीएम और भारत सरकार के अडानी के साथ कनेक्शन का आरोप लगा है। विपक्ष ने जेपीसी की मांग की थी हालांकि सरकार से स्पष्ट कर दिया है कि जेपीसी जांच किसी शख्स के खिलाफ नहीं बैठायी जा सकती है। सरकार का कहना है कि यह औद्योगिक घराने से जुड़ा मामला है इसमें सरकार से कोई लेना देना नहीं है