छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का नया रोस्टर जारी, 9 जून से होगा लागू

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का नया रोस्टर जारी किया गया है, जो 9 जून से प्रभावी होगा. मुख्य न्यायाधीश समेत चार डिवीजन बेंच गठित किए गए हैं, जो विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई करेंगे.

नए रोस्टर के तहत सभी रिट, पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL), टैक्स, आपराधिक और सिविल अपीलें डिवीजन बेंच (DB) को सौंपी गई हैं. इसके अलावा 14 सिंगल बेंच को धारावार और वर्षवार केस सौंपे गए हैं. विशेष प्रकार के मामलों जैसे POCSO, SC-ST एक्ट और याचिकाएं विशेष पीठ को आवंटित की गई है. मुख्य न्यायाधीश ने इस नए रोस्टर का आदेश जारी किया है, जो अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा.

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई,सिब्बल और सिंघवी ने दी क्या बड़ी दलीलें

#waqflawpilsupremecourt_hearing

वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मुद्दे पर दायर 73 याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक वक्फ कानून पर रोक लगे। वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून धार्मिक मामलों में दखल देता है। साथ ही यह बुनियादी जरूरतों का अतिक्रमण करता है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नए वक्फ कानून का बचाव किया। उन्होंने कहा, यह सिर्फ एक कानून नहीं है, यह जेपीसी द्वारा विचार-विमर्श के बाद आया है। उन्होंने 98 लाख से ज़्यादा ज्ञापनों पर विस्तृत चर्चा की।

सिब्बल ने कहा अनुच्छेद 26 का उल्लंघन

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें पेश कीं। सिब्बल ने कहा कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक समुदायों को अपने धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है। उन्होंने सवाल उठाया, कानून के मुताबिक, मुझे अपने धर्म की आवश्यक प्रथाओं का पालन करने का अधिकार है। सरकार कैसे तय कर सकती है कि वक्फ केवल वही लोग बना सकते हैं, जो पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं? सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद मिलता है, लेकिन यह कानून उससे पहले ही हस्तक्षेप करता है। उन्होंने अधिनियम की धारा 3(सी) का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत सरकारी संपत्ति को वक्फ के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी, जो पहले से वक्फ घोषित थी।

यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर- सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर है। सिब्बल ने राम जन्मभूमि के फैसले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि धारा 36, आप उपयोगकर्ता द्वारा बना सकते हैं, संपत्ति की कोई आवश्यकता नहीं है। मान लीजिए कि यह मेरी अपनी संपत्ति है और मैं इसका उपयोग करना चाहता हूं, मैं पंजीकरण नहीं करना चाहता।

सीजेआई ने कहा कि पंजीकरण में क्या समस्या है? सिब्बल ने कहा कि मैं कह रहा हूं कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को समाप्त कर दिया गया है, यह मेरे धर्म का अभिन्न अंग है, इसे राम जन्मभूमि फैसले में मान्यता दी गई है। सिब्बल ने कहा कि समस्या यह है कि वे कहेंगे कि यदि वक्फ 3000 साल पहले बनाया गया है तो वे डीड मांगेंगे।

अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या कहा?

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी दलीलें दीं और कहा, हमने सुना है कि संसद की जमीन भी वक्फ की है। वहीं, सीजेआई खन्ना ने जवाब दिया, हम यह नहीं कह रहे कि सभी वक्फ गलत तरीके से पंजीकृत हैं, लेकिन कुछ चिंताएं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट को सौंपी जा सकती है। इस पर अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा कि वक्फ संसोधित अधिनियम के रूल 3( 3)(डीए) में कलेक्टर को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है। लोगों को अधिकारी के पास जाने के लिए बनाया गया है। सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 25 और 26 को पढ़ने से ज्यादा अनुच्छेद 32 क्या है, यह ऐसा मामला नहीं है जहां मीलॉर्ड्स को हमें हाई कोर्ट भेजना चाहिए

दक्षिण विधानसभा में 50 प्रतिशत वोटिंग को लेकर पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का बड़ा बयान, कहा- मतदान अनिवार्य करने का लाना चाहिए कानून
रायपुर-   रायपुर दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव में कम मतदान पर चिंता जताते हुए पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अब अनिवार्य मतदान को लेकर कानून बनाना चाहिए. दरअसल बुधवार को दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव के लिए वोट डाले गए. सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक मतदान की प्रकिया चली, लेकिन वोटरों में उत्साह की भारी कमी देखने को मिली, जिसकी वजह से शाम 6 बजे तक 50.50 प्रतिशत ही मतदान दर्ज हुआ.

कम मतदान से कांग्रेस को जीत की उम्मीद पर चंद्राकर का तंज

कम वोटिंग से कांग्रेस को जीत की उम्मीद पर अजय चंद्राकर ने पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक साल पहले भी सरकार बनाने में कॉन्फिडेंट थी. इसलिए भूपेश बघेल नया सीएम निवास को रोज देखने जाते थे. कांग्रेस ने केवल काम किया कि नया सीएम निवास जल्द बन जाए. 5 साल तक कांग्रेस का ध्यान इसमें ही था. कांग्रेस को सपने देखने से कौन रोक सकता है.

धान खरीदी की शुरुआत पर चंद्राकर का बयान

छत्तीसगढ़ में आज से धान खरीदी की शुरुआत हो गई है. इस पर अजय चंद्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री साय आज धान खरीदी की शुरुआत कर रहे हैं. मोदी की गारंटी पर दृढ़ता से अमल हो रहा है. 25 क्विंटल और 31 सौ रुपए की गारंटी पर अमल हो रहा है. समय में सही रूप में धान खरीदी होगी. समिति कर्मचारी की मांग को मुख्यमंत्री ने पूरा किया. किसानों के दाम को उचित मूल्य मिलेगा और प्रयास जोरदार है.

धान खरीदी पर कांग्रेस की नीयत पर सवाल

अजय चंद्राकर ने धान खरीदी को लेकर कांग्रेस पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीयत धान खरीदी में सही नहीं थी, और इस पर विधानसभा में भी चर्चा हो चुकी है. उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद हाईकोर्ट में इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिससे कांग्रेस की वास्तविक नीयत उजागर हो चुकी है.

धान खरीदी पर कांग्रेस के सवाल पर पलटवार

अजय चंद्राकर ने धान खरीदी को लेकर कांग्रेस के उठाए गए सवाल पर कहा कि कांग्रेस की धान खरीदी की नियत कैसी थी. इसमें विधानसभा में आधे घंटे की चर्चा हो चुकी है. खुद की PIL हाइकोर्ट में फाइल है. कांग्रेस की नियत इस PIL में पता चल गई थी. अच्छे काम और कांग्रेस का कोई संबंध नहीं है. बुरे काम और कांग्रेस में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. कांग्रेस जो भी करती है मिलजुल कर करती है.

आरोप -प्रत्यारोप का दौर जारी,बाबूलाल मरांडी ने कहा JSSC -CGL के एक एक पोस्ट को 25 लाख में बेचीं गई

हेमंत सोरेन ने कहा सारा एजेंसी आप के पास है, जाँच करा लीजिये, अगर यह सब सच है तो 50 साल तक जेल में डाल दीजिये, उफ़ तक नहीं कहूंगा


झारखंड डेस्क 

झारखंड: 5 नहीं…50 साल के लिए जेल में डाल दीजिये, उफ्फ नहीं करूंगा…. बाबूलाल मरांडी ने ऐसी क्या कह दी बात, कि हेमंत सोरेन बोले, और कितना गिरेंगे…

रांची। झारखंड में चुनावी सरगर्मियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज है। खासकर JSSC CGL को लेकर भाजपा कुछ ज्यादा ही आक्रामक है। बीजेपी पहले ही ऐलान कर चुकी है कि अगर भाजपा की सरकार बनी तो CGL परीक्षा को रद्द किया जायेगा और मामले की जांच की जायेंगी।

इधर रोजगार के मुद्दे पर भी भाजपा लगातार हीं हेमंत सरकार को घेर रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पोस्ट कर कहा है कि काम के दाम मांगते, ऐसी तो अभिलाषा है झूठ और अन्याय की, हेमंत इकलौती परिभाषा है।

भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ने के बाद हेमंत सरकार ने युवाओं के सुनहरे भविष्य को बर्बाद करने का निर्णय लिया है, इसी का नतीजा है कि जेएसएससी सीजीएल में नौकरी देने के नाम पर सीट बेची जा रही है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि छात्रों के भविष्य और सपनों की कीमत लगाकर हेमंत सोरेन एवं उनके सहयोगी अपना पेट भरने में मस्त है, एक एक सीट के लिए 25 – 25 लाख रूपये तक की बोली लग रही है, जिसके कारण छात्रों का हाल दिन ब दिन बदतर होता जा रहा है।

हाल यह है कि हेमंत सरकार में ऐसी रीति बन गई है कि पढ़ने वाले पढ़ते रहे, पैसे वाले बढ़ते रहें।

हेमंत सोरेन ने किया पलटवार

बाबूलाल मरांडी के पोस्ट पर जवाब देते हुए हेमंत सोरेन ने लिखा है कि आपके पास ED है, CBI है और दुनिया की सभी एजेंसियों का कुनबा है। आप किसी भी एजेंसी से जांच करवा लीजिए – अगर युवाओं के मुद्दों पर एक गलती निकल जाए तो मुझे 5 महीने नहीं 50 साल के लिए जेल डाल दीजिए – मैं उफ़्फ़ नहीं करूँगा।

आपके रघुबर दास द्वारा विरासत में मुझे जो परेशानियां/अबूझ नीतियाँ दी गई उन सबको दूर करते हुए हम लगातार परीक्षा ले रहे हैं, पर आपके और आपके दल द्वारा पोषित कोचिंग माफिया और PIL गैंग द्वारा जो लगातार झूठे केस पर केस कर परीक्षाओं को बाधित किया जा रहा है उसे कौन नहीं जानता।

हेमंत सोरेन ने आगे लिखा है कि जब मैंने लीक रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया – आपने उसे काला कानून बता कर राजभवन से लेकर विधान सभा में हंगामा किया – 

आख़िर किसके हित साध रहे थे आप ? आप लगातार नियुक्तियों को लटका रहे हैं – आख़िर अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा की सिद्धि हेतु कितना गिरेंगे आप ? 

आख़िर मे – झारखंड सरकार में लंबित हर एक नौकरी आपके दल के तमाम अड़चनों एवं साज़िशों के बावजूद मैं ही राज्य के युवाओं को दूँगा।

इधर हेमंत सोरेन के पोस्ट का झारखंड बीजेपी ने X हैंडल पर जवाब लिखा। बीजेपी लिखा है कि हार नज़दीक देख जबरन की छाती पीटना बंद कीजिए! जब केंद्रीय एजेंसियां खुलकर जांच करने पर उतारू होती हैं तब आप राज्य सरकार की परमिशन लिए बिना जांच करने को मना कर देते हैं।

आप ज़रा एक बार हिम्मत करके ED और CBI को खुली छूट देकर काम करने की परमिशन तो दीजिये, गलती भी निकलेगी, सजा भी होगी और हां इन सबके बीच एक बार भी उफ्फ मत करियेगा प्लीज़! जिस तरह आपने झारखंड के युवाओं के साथ छल किया है, यकीन मानिए 23 नवंबर को आपकी हार पर अगर कोई सबसे ज़्यादा खुश होगा तो वो प्रदेश का युवा वर्ग ही होगा।

झामुमो ने साधा भाजपा पर निशाना


वहीं झामुमो ने भी सोशल मीडिया पर ही भाजपा को जवाब दिया है। झामुमो ने कहा कि रघुबर सरकार ने नियोजन से लेकर स्थानीय नीति का जो कचूमर बनाया – किसने नहीं देखा । उसके कारण नियुक्तियों में जो आप लोगों ने ख़ुद पेंच फँसाया किसने नहीं देखा। आज जो आप युवाओं के सरताज बन रहे हैं, पहले बताइए –

हर साल की 2 करोड़ नौकरी कहाँ है ?

• सैनिकों को अग्निवीर क्यों बनाया ?

• पकोड़ा तलना, साइकिल बनाना, टेम्पो चलाना को रोज़गार किसने बनाया ?

• किसने IIT से पास होने वालों को भी बेरोज़गार बनाया ? किसने रेलवे से लेकर सभी सरकारी उपक्रमों को बेच – युवाओं को बेरोजगार बनाया ?

• नौकरी और रोज़गार तो हेमंत सोरेन ही देंगे – लिख कर के ले लो लुटस छाप वालों।

सुप्रीम कोर्ट में आया ऐसा केस, सीजेआई भी हुए हैरान, कहा-हम कुछ नहीं कर सकते

#supreme_court_bins_end_superstitions_pil 

सुप्रीम कोर्ट में अंधविश्वास खत्म करने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई। जिसने सरकारों को अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए कि उसके पास हर मर्ज की दवा नहीं है, याचिका को स्वीकर करने से इनकार कर दिया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उसे वापस ले ली।

यह जनहित याचिका (PIL) चर्चित वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। उनका कहना था कि हर साल अंधविश्वास के कारण सैकड़ों लोगों की जान जाती है। उन्होंने अदालत से गुजारिश की कि सरकारों को लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि ‘लोगों में वैज्ञानिक सोच का विकास न्यायिक आदेशों से नहीं किया जा सकता। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि छात्रों को स्कूलों में क्या सीखना चाहिए। यह सरकार के शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों के नीतिगत दायरे में आता है। छात्रों पर पहले से ही पढ़ाई के बहुत अधिक विस्तारित पाठ्यक्रमों का बोझ है। हम न्यायिक आदेश से उसमें और इज़ाफा नहीं कर सकते।

जब याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सामाजिक सुधारों के लिए एक वास्तविक जनहित याचिका है, तो सीजेआई ने कहा, संवैधानिक अदालतों में जनहित याचिका दायर करने से कोई समाज सुधारक नहीं बन जाता। आप अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर सकते हैं। उपाध्याय द्वारा अदालत को मनाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं, जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।

सुप्रीम कोर्ट में आया ऐसा केस, सीजेआई भी हुए हैरान, कहा-हम कुछ नहीं कर सकते

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सुप्रीम कोर्ट में अंधविश्वास खत्म करने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई। जिसने सरकारों को अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए कि उसके पास हर मर्ज की दवा नहीं है, याचिका को स्वीकर करने से इनकार कर दिया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उसे वापस ले ली।

यह जनहित याचिका (PIL) चर्चित वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। उनका कहना था कि हर साल अंधविश्वास के कारण सैकड़ों लोगों की जान जाती है। उन्होंने अदालत से गुजारिश की कि सरकारों को लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि ‘लोगों में वैज्ञानिक सोच का विकास न्यायिक आदेशों से नहीं किया जा सकता। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि छात्रों को स्कूलों में क्या सीखना चाहिए। यह सरकार के शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों के नीतिगत दायरे में आता है। छात्रों पर पहले से ही पढ़ाई के बहुत अधिक विस्तारित पाठ्यक्रमों का बोझ है। हम न्यायिक आदेश से उसमें और इज़ाफा नहीं कर सकते।

जब याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सामाजिक सुधारों के लिए एक वास्तविक जनहित याचिका है, तो सीजेआई ने कहा, संवैधानिक अदालतों में जनहित याचिका दायर करने से कोई समाज सुधारक नहीं बन जाता। आप अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर सकते हैं। उपाध्याय द्वारा अदालत को मनाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं, जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।

बिहार में लगातार गिरते पुलों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, SC ने नितीश सरकार से मांगा जवाब

शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका (PIL) पर बिहार सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से हाल ही के महीनों में नियमित अंतराल पर 10 पुलों के गिरने के बाद सूबे के सभी पुलों की इन्फ्रास्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग उठाई है। SC के एक वकील ने बिहार में निरंतर गिरते पुलों की जांच कराने के लिए जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई। रिपोर्ट के अनुसार, देश के CJI डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को नोटिस भेजा है। इस नोटिस के मुताबिक, बिहार सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चरल ऑडिट करने और पुलों को चिन्हित करने के लिए एक एक्सपर्ट समिति का गठन करने की मांग की गई है। इस समिति द्वारा निकाले गए ऑडिट निष्कर्षों के आधार पर यह निर्धारित किया जाएगा कि पुल की मरम्मत की जा सकती है या फिर उन्हें ध्वस्त कर दोबारा बनाया जाना चाहिए। वकील ब्रजेश सिंह ने यह याचिका गत माह दाखिल की थी। अपनी इस याचिका में सिंह ने भारी वर्षा के बाद 16 दिनों के अंदर 10 पुलों के ढहने पर चिंता जाहिर की थी। बृजेश सिंह ने लिखा था कि 10 दिनों के भीतर ही सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पल ढह गए। अंतिम घटना सीएम नीतीश कुमार द्वारा सड़क निर्माण और ग्रामीण कार्य विभागों को राज्य के पुराने पुलों का आकलन करने और फ़ौरन मरम्मत की जरूरत वाले पुलों की पहचान करने के निर्देश देने के ठीक एक दिन बाद हुई। PIL में राज्य में मानसून के दौरान आई बाढ़ और भारी बारिश के बाद पुलों की सुरक्षा और टिकाऊपन पर सवाल खड़े किए गए है। लगातार गिरते पुलों के बाद बिहार में बढ़ हुए भ्रष्टाचार की बात उजागर हो गई है। बिहार में लगातार नीतीश कुमार की सरकार है, ऐसे में जनता उन्हें ही इन हादसों के लिए जिम्मेदार बता रही है। सीएम नीतीश कुमार ने इन गिरते हुए पुलों की जांच कराने को लेकर जनता को आश्वासन देने की कोशिश की है।
झारखंड में बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठिया क्या सिर्फ चुनावी मुद्दा है या इसे रोकने के लिए जिम्मेबारी तय करने की जरूरत...?

-विनोद आनंद

गृहमंत्री अमित शाह 20 जुलाई 2024 को रांची में झारखंड विधान सभा चुनाव 2024 का शंखनाद किया और अपने कार्यकर्ताओं को जो चुनावी मुद्दा दिया उसमें कई मुद्दों में एक मुद्दा झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठिये का भी है।

अब सवाल उठता है कि देश के गृहमंत्री के लिए क्या बंगला देशी घुसपैठिया का मुद्दा महज़ एक चुनावी मुद्दा है।या गंभीरता के साथ इसे लेकर अपने केंद्रीय एजेंसियों से इसकी जांच कराकर   उसपर उचित कारबाई कराने की है यह एक बड़ा सवाल है।

अगर सच पूछा जाए तो इन दिनों

सिर्फ झारखंड ही नही बिहार, बंगाल मणिपुर असम और देश के विभिन्न भागों में बंगला देशी घुसपैठिये आसानी से घुसपैठ कर स्थानीय लोगों से मिलकर आधारकार्ड,वोटरकार्ड राशनकार्ड बनाकर यहां स्थायी रूप से बसते जा रहे हैं। इस पूरे मुहिम में स्थानीय लोग, स्थानीय प्रशासन और सरकार की पूरी व्यवस्था सवालों के घेरे में है।

 अब इन घुसपैठियों को रोकने में सरकार कहाँ विफल हो रही है, इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कहाँ चूक है,चुकी यह मामला अंतर्राज्यीय है, कहीं सीधे राज्य में बंगाला देशी घुसपैठ कर रहे हैं तो कहीं दूसरे राज्यों को पार कर दूसरे राज्य में आ रहे हैं और इन सभी मामले में इसे रोकने के लिए किसकी क्या जिम्मबरी है ? इस पर पूरे सरकारी तंत्र की समीक्षा करने और राज्य और केंद्र सरकार को आपसी समन्वय से इस गंभीर स्थिति से नियंत्रण के लिए जिम्मबरी तय करने की जरूरत है।

अब अगर हम बात करें झारखंड में बंगला देशी घुसपैठिये की तो झारखंड के बंगाल के कई सीमावर्ती इलाकों में बंगला देशी घुसपैठिये की संख्यां लगातार बढ़ती जा रही है जो चिंता का विषय है। झारखंड के संथाल परगना के कई जिलों में तो इन दिनों अचानक मुस्लिम आवादी में बृद्धि हुई है, जिसके कारण डेमोग्राफी ;( जनसांख्यिकी) चेंज हुआ है।अब बीजेपी लगातार इसको लेकर झारखंड सरकार पर सवाल खड़े कर रही है।भाजपा हर मंच से बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए डेमोग्राफी चेंज की बात करती है, लेकिन सवाल यह है कि इसका असली जिम्मेवार कौन है ?  राज्य या केंद्र की सरकार! इसपर जिम्मबरी तय करने और इसे रोकने के लिए ईमानदार कोशीश नही हो रही है।

इधर साल 2011 के बाद से देश में जनगणना नहीं हुई है। ऐसे में किसकी संख्या कितनी बढ़ी या कम हुई है और डेमोग्राफी में क्या बदलाव आये है, इसके बारे में सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है। डेमोग्राफी चेंज मुद्दे पर भाजपा संथाल परगना में मुखर है। बीजेपी 2011 की जनगणना के आधार पर यह मुद्दा उठा रही है। इसके अलावा और भी कई आधार हैं। जिसके कारण भाजपा हावी है।आंकड़ों की बात करें तो 2001 की जनगणना में दुमका की जनसंख्या करीब 11 लाख 7 हजार थी। साल 2011 में दुमका की जनसंख्या बढ़कर करीब 14 लाख हो गई। आंकड़े बताते हैं कि संथाल के सभी 6 जिलों में 12 लाख से ज्यादा नई आबादी बढ़ गई है। बीजेपी का मानना है की यह आंकड़े एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बिना इतनी तेजी से आबादी का बढ़ना नामुमकिन है। 

संथाल में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी पाकुड़ में बढ़ी है। पाकुड़ में मुस्लिम आबादी में करीब 40 इसीसी फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, साहिबगंज में मुस्लिम आबादी में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बीजेपी ने इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बांग्लादेशी घुसपैठ को माना है। संथाल परगना के 6 जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने में यहां के जमीन दलालों की सबसे बड़ी भूमिका रही है। जमीन दलाल गिफ्ट डीड के जरिए बांग्लादेशियों को बसा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि झारखंड बनने के बाद संथाल परगना में रजिस्ट्री कराने वाली जमीन खरीदने वालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

क्या कहता है भारत सरकार के गृह मंत्रालय का दस्ताबेज

13 दिसंबर 2023 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक दस्तावेज जारी किया। जिसमें बताया गया कि 120 से अधिक फर्जी वेबसाइट के जरिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। पत्र के जरिए झारखंड को लेकर खास चेतावनी दी गई। 2 जून 2023 को झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने सभी जिलों के एसपी और डीसी को पत्र लिखा। पत्र संख्या 211/23 के जरिए स्पेशल ब्रांच ने लिखा है कि झारखंड राज्य अंतर्गत संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश की सूचना है।

 स्पेशल ब्रांच को मिली जानकारी के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहले विभिन्न मदरसों में ठहराया जाता है। उसके बाद उनका सरकारी दस्तावेज तैयार किये जाते हैं और फिर उनका नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाता है। मतदाता सूची में शामिल होने के बाद उन्हें साजिश के तहत यहां बसाया जाता है। हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा भी इस मामले की सुनवाई के दौरान गंभीरता से ली गयी है ।

इस मुद्दा को लेकर झारखंड हाई कोर्ट मे पीआईएल दाखिल

जमशेदपुर के रहने वाले दानियाल दानिश ने झारखंड हाई कोर्ट में PIL फाइल की थी कि संथाल परगना में बड़ी तादाद में घुसपैठिए दाखिल हो गए हैं जिससे वहां की डेमोग्राफी चेंज हो रही है और आदिवासियों की संख्या घट रही है। याचिकाकर्ता दानियाल ने अदालत से कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासी महिलाओंसे शादी करके उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, और उनकी ज़मीनों को गिफ्ट डीड के ज़रिए हथिया रहे हैं। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए आदिवासी महिलाओं से शादी करके उनके नाम पर रिजर्व पोस्ट को रिमोट से चला रहे हैं।

घुसपैठियों ने यहां बनवाईं मस्जिद और मदरसे

दानियाल ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट से यह भी कहा कि झारखंड के बंगाल से लगने वाले जिलों में घुसपैठियों ने बहुत बड़ी तादाद में मस्जिदें और मदरसे कायम कर लिए हैं। झारखंड हाई कोर्ट ने जिस मसले पर सुनवाई की,

 उसको लेकर संथाल परगना के लोग काफी दिनों से आवाज उठा रहे हैं। कई सोशल वर्कर, आदिवासियों की कम होती आबादी और बदलती डेमोग्राफी को लेकर चिंता जता चुके हैं। संथाल परगना में घुसना इसलिए आसान है क्योंकि वहां से बांग्लादेश केवल 15 किलोमीटर दूर है। संथाल परगना की सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है और वहां से बांग्लादेश बॉर्डर ज्यादा दूर नहीं है।

लेकिन सवाल अभी भी वही है, इस बदलती डेमोग्राफी का जिम्मेवार कौन है..?

 इस पर पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक रणधीर सिंह का कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण संथाल की डेमोग्राफी प्रभावित हुई है। झारखंड में उनकी सरकार आने पर इस पर कानून बनाया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि घुसपैठ रोकना केंद्र का काम है तो उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सीमाएं खुली हैं। फिर उन्होंने इसका दोष पश्चिम बंगाल सरकार पर लगा दिया।

 लेकिन अंत में उन्होंने कहा कि वे गृह मंत्री अमित शाह से इस पर रोक लगाने का अनुरोध करेंगे।'घुसपैठ रोकना केंद्र का काम' है इस मामले में झामुमो नेता प्रेमानंद मंडल का कहना है कि सीमा पर घुसपैठ रोकना केंद्र का काम है।आज भाजपा कानून बनाने की बात करती है, लेकिन जब झारखंड में भाजपा की पांच साल तक रघुवर दास की सरकार के अलावा बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा की सरकार थी, तब वे क्या कर रहे थे? यह सब चुनावी हथकंडा है।

वहीं इस इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि डेमोग्राफी में बदलाव आया है, लेकिन यह सब एक दिन में नहीं हुआ, इसके लिए किसी विशेष पार्टी या सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, इसके लिए दोषी केंद्र और राज्य सरकारें दोनों हैं. अगर कोई वास्तव में इसका समाधान चाहता है तो एक सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए, जिसमें सभी दलों के बीच आपसी सहमति जरूरी है.

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জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का नया रोस्टर जारी, 9 जून से होगा लागू

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का नया रोस्टर जारी किया गया है, जो 9 जून से प्रभावी होगा. मुख्य न्यायाधीश समेत चार डिवीजन बेंच गठित किए गए हैं, जो विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई करेंगे.

नए रोस्टर के तहत सभी रिट, पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL), टैक्स, आपराधिक और सिविल अपीलें डिवीजन बेंच (DB) को सौंपी गई हैं. इसके अलावा 14 सिंगल बेंच को धारावार और वर्षवार केस सौंपे गए हैं. विशेष प्रकार के मामलों जैसे POCSO, SC-ST एक्ट और याचिकाएं विशेष पीठ को आवंटित की गई है. मुख्य न्यायाधीश ने इस नए रोस्टर का आदेश जारी किया है, जो अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा.

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई,सिब्बल और सिंघवी ने दी क्या बड़ी दलीलें

#waqflawpilsupremecourt_hearing

वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मुद्दे पर दायर 73 याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक वक्फ कानून पर रोक लगे। वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून धार्मिक मामलों में दखल देता है। साथ ही यह बुनियादी जरूरतों का अतिक्रमण करता है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नए वक्फ कानून का बचाव किया। उन्होंने कहा, यह सिर्फ एक कानून नहीं है, यह जेपीसी द्वारा विचार-विमर्श के बाद आया है। उन्होंने 98 लाख से ज़्यादा ज्ञापनों पर विस्तृत चर्चा की।

सिब्बल ने कहा अनुच्छेद 26 का उल्लंघन

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें पेश कीं। सिब्बल ने कहा कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक समुदायों को अपने धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है। उन्होंने सवाल उठाया, कानून के मुताबिक, मुझे अपने धर्म की आवश्यक प्रथाओं का पालन करने का अधिकार है। सरकार कैसे तय कर सकती है कि वक्फ केवल वही लोग बना सकते हैं, जो पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं? सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद मिलता है, लेकिन यह कानून उससे पहले ही हस्तक्षेप करता है। उन्होंने अधिनियम की धारा 3(सी) का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत सरकारी संपत्ति को वक्फ के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी, जो पहले से वक्फ घोषित थी।

यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर- सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर है। सिब्बल ने राम जन्मभूमि के फैसले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि धारा 36, आप उपयोगकर्ता द्वारा बना सकते हैं, संपत्ति की कोई आवश्यकता नहीं है। मान लीजिए कि यह मेरी अपनी संपत्ति है और मैं इसका उपयोग करना चाहता हूं, मैं पंजीकरण नहीं करना चाहता।

सीजेआई ने कहा कि पंजीकरण में क्या समस्या है? सिब्बल ने कहा कि मैं कह रहा हूं कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को समाप्त कर दिया गया है, यह मेरे धर्म का अभिन्न अंग है, इसे राम जन्मभूमि फैसले में मान्यता दी गई है। सिब्बल ने कहा कि समस्या यह है कि वे कहेंगे कि यदि वक्फ 3000 साल पहले बनाया गया है तो वे डीड मांगेंगे।

अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या कहा?

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी दलीलें दीं और कहा, हमने सुना है कि संसद की जमीन भी वक्फ की है। वहीं, सीजेआई खन्ना ने जवाब दिया, हम यह नहीं कह रहे कि सभी वक्फ गलत तरीके से पंजीकृत हैं, लेकिन कुछ चिंताएं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट को सौंपी जा सकती है। इस पर अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा कि वक्फ संसोधित अधिनियम के रूल 3( 3)(डीए) में कलेक्टर को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है। लोगों को अधिकारी के पास जाने के लिए बनाया गया है। सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 25 और 26 को पढ़ने से ज्यादा अनुच्छेद 32 क्या है, यह ऐसा मामला नहीं है जहां मीलॉर्ड्स को हमें हाई कोर्ट भेजना चाहिए

दक्षिण विधानसभा में 50 प्रतिशत वोटिंग को लेकर पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का बड़ा बयान, कहा- मतदान अनिवार्य करने का लाना चाहिए कानून
रायपुर-   रायपुर दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव में कम मतदान पर चिंता जताते हुए पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अब अनिवार्य मतदान को लेकर कानून बनाना चाहिए. दरअसल बुधवार को दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव के लिए वोट डाले गए. सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक मतदान की प्रकिया चली, लेकिन वोटरों में उत्साह की भारी कमी देखने को मिली, जिसकी वजह से शाम 6 बजे तक 50.50 प्रतिशत ही मतदान दर्ज हुआ.

कम मतदान से कांग्रेस को जीत की उम्मीद पर चंद्राकर का तंज

कम वोटिंग से कांग्रेस को जीत की उम्मीद पर अजय चंद्राकर ने पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक साल पहले भी सरकार बनाने में कॉन्फिडेंट थी. इसलिए भूपेश बघेल नया सीएम निवास को रोज देखने जाते थे. कांग्रेस ने केवल काम किया कि नया सीएम निवास जल्द बन जाए. 5 साल तक कांग्रेस का ध्यान इसमें ही था. कांग्रेस को सपने देखने से कौन रोक सकता है.

धान खरीदी की शुरुआत पर चंद्राकर का बयान

छत्तीसगढ़ में आज से धान खरीदी की शुरुआत हो गई है. इस पर अजय चंद्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री साय आज धान खरीदी की शुरुआत कर रहे हैं. मोदी की गारंटी पर दृढ़ता से अमल हो रहा है. 25 क्विंटल और 31 सौ रुपए की गारंटी पर अमल हो रहा है. समय में सही रूप में धान खरीदी होगी. समिति कर्मचारी की मांग को मुख्यमंत्री ने पूरा किया. किसानों के दाम को उचित मूल्य मिलेगा और प्रयास जोरदार है.

धान खरीदी पर कांग्रेस की नीयत पर सवाल

अजय चंद्राकर ने धान खरीदी को लेकर कांग्रेस पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीयत धान खरीदी में सही नहीं थी, और इस पर विधानसभा में भी चर्चा हो चुकी है. उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद हाईकोर्ट में इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिससे कांग्रेस की वास्तविक नीयत उजागर हो चुकी है.

धान खरीदी पर कांग्रेस के सवाल पर पलटवार

अजय चंद्राकर ने धान खरीदी को लेकर कांग्रेस के उठाए गए सवाल पर कहा कि कांग्रेस की धान खरीदी की नियत कैसी थी. इसमें विधानसभा में आधे घंटे की चर्चा हो चुकी है. खुद की PIL हाइकोर्ट में फाइल है. कांग्रेस की नियत इस PIL में पता चल गई थी. अच्छे काम और कांग्रेस का कोई संबंध नहीं है. बुरे काम और कांग्रेस में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. कांग्रेस जो भी करती है मिलजुल कर करती है.

आरोप -प्रत्यारोप का दौर जारी,बाबूलाल मरांडी ने कहा JSSC -CGL के एक एक पोस्ट को 25 लाख में बेचीं गई

हेमंत सोरेन ने कहा सारा एजेंसी आप के पास है, जाँच करा लीजिये, अगर यह सब सच है तो 50 साल तक जेल में डाल दीजिये, उफ़ तक नहीं कहूंगा


झारखंड डेस्क 

झारखंड: 5 नहीं…50 साल के लिए जेल में डाल दीजिये, उफ्फ नहीं करूंगा…. बाबूलाल मरांडी ने ऐसी क्या कह दी बात, कि हेमंत सोरेन बोले, और कितना गिरेंगे…

रांची। झारखंड में चुनावी सरगर्मियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज है। खासकर JSSC CGL को लेकर भाजपा कुछ ज्यादा ही आक्रामक है। बीजेपी पहले ही ऐलान कर चुकी है कि अगर भाजपा की सरकार बनी तो CGL परीक्षा को रद्द किया जायेगा और मामले की जांच की जायेंगी।

इधर रोजगार के मुद्दे पर भी भाजपा लगातार हीं हेमंत सरकार को घेर रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पोस्ट कर कहा है कि काम के दाम मांगते, ऐसी तो अभिलाषा है झूठ और अन्याय की, हेमंत इकलौती परिभाषा है।

भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ने के बाद हेमंत सरकार ने युवाओं के सुनहरे भविष्य को बर्बाद करने का निर्णय लिया है, इसी का नतीजा है कि जेएसएससी सीजीएल में नौकरी देने के नाम पर सीट बेची जा रही है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि छात्रों के भविष्य और सपनों की कीमत लगाकर हेमंत सोरेन एवं उनके सहयोगी अपना पेट भरने में मस्त है, एक एक सीट के लिए 25 – 25 लाख रूपये तक की बोली लग रही है, जिसके कारण छात्रों का हाल दिन ब दिन बदतर होता जा रहा है।

हाल यह है कि हेमंत सरकार में ऐसी रीति बन गई है कि पढ़ने वाले पढ़ते रहे, पैसे वाले बढ़ते रहें।

हेमंत सोरेन ने किया पलटवार

बाबूलाल मरांडी के पोस्ट पर जवाब देते हुए हेमंत सोरेन ने लिखा है कि आपके पास ED है, CBI है और दुनिया की सभी एजेंसियों का कुनबा है। आप किसी भी एजेंसी से जांच करवा लीजिए – अगर युवाओं के मुद्दों पर एक गलती निकल जाए तो मुझे 5 महीने नहीं 50 साल के लिए जेल डाल दीजिए – मैं उफ़्फ़ नहीं करूँगा।

आपके रघुबर दास द्वारा विरासत में मुझे जो परेशानियां/अबूझ नीतियाँ दी गई उन सबको दूर करते हुए हम लगातार परीक्षा ले रहे हैं, पर आपके और आपके दल द्वारा पोषित कोचिंग माफिया और PIL गैंग द्वारा जो लगातार झूठे केस पर केस कर परीक्षाओं को बाधित किया जा रहा है उसे कौन नहीं जानता।

हेमंत सोरेन ने आगे लिखा है कि जब मैंने लीक रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया – आपने उसे काला कानून बता कर राजभवन से लेकर विधान सभा में हंगामा किया – 

आख़िर किसके हित साध रहे थे आप ? आप लगातार नियुक्तियों को लटका रहे हैं – आख़िर अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा की सिद्धि हेतु कितना गिरेंगे आप ? 

आख़िर मे – झारखंड सरकार में लंबित हर एक नौकरी आपके दल के तमाम अड़चनों एवं साज़िशों के बावजूद मैं ही राज्य के युवाओं को दूँगा।

इधर हेमंत सोरेन के पोस्ट का झारखंड बीजेपी ने X हैंडल पर जवाब लिखा। बीजेपी लिखा है कि हार नज़दीक देख जबरन की छाती पीटना बंद कीजिए! जब केंद्रीय एजेंसियां खुलकर जांच करने पर उतारू होती हैं तब आप राज्य सरकार की परमिशन लिए बिना जांच करने को मना कर देते हैं।

आप ज़रा एक बार हिम्मत करके ED और CBI को खुली छूट देकर काम करने की परमिशन तो दीजिये, गलती भी निकलेगी, सजा भी होगी और हां इन सबके बीच एक बार भी उफ्फ मत करियेगा प्लीज़! जिस तरह आपने झारखंड के युवाओं के साथ छल किया है, यकीन मानिए 23 नवंबर को आपकी हार पर अगर कोई सबसे ज़्यादा खुश होगा तो वो प्रदेश का युवा वर्ग ही होगा।

झामुमो ने साधा भाजपा पर निशाना


वहीं झामुमो ने भी सोशल मीडिया पर ही भाजपा को जवाब दिया है। झामुमो ने कहा कि रघुबर सरकार ने नियोजन से लेकर स्थानीय नीति का जो कचूमर बनाया – किसने नहीं देखा । उसके कारण नियुक्तियों में जो आप लोगों ने ख़ुद पेंच फँसाया किसने नहीं देखा। आज जो आप युवाओं के सरताज बन रहे हैं, पहले बताइए –

हर साल की 2 करोड़ नौकरी कहाँ है ?

• सैनिकों को अग्निवीर क्यों बनाया ?

• पकोड़ा तलना, साइकिल बनाना, टेम्पो चलाना को रोज़गार किसने बनाया ?

• किसने IIT से पास होने वालों को भी बेरोज़गार बनाया ? किसने रेलवे से लेकर सभी सरकारी उपक्रमों को बेच – युवाओं को बेरोजगार बनाया ?

• नौकरी और रोज़गार तो हेमंत सोरेन ही देंगे – लिख कर के ले लो लुटस छाप वालों।

सुप्रीम कोर्ट में आया ऐसा केस, सीजेआई भी हुए हैरान, कहा-हम कुछ नहीं कर सकते

#supreme_court_bins_end_superstitions_pil 

सुप्रीम कोर्ट में अंधविश्वास खत्म करने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई। जिसने सरकारों को अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए कि उसके पास हर मर्ज की दवा नहीं है, याचिका को स्वीकर करने से इनकार कर दिया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उसे वापस ले ली।

यह जनहित याचिका (PIL) चर्चित वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। उनका कहना था कि हर साल अंधविश्वास के कारण सैकड़ों लोगों की जान जाती है। उन्होंने अदालत से गुजारिश की कि सरकारों को लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि ‘लोगों में वैज्ञानिक सोच का विकास न्यायिक आदेशों से नहीं किया जा सकता। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि छात्रों को स्कूलों में क्या सीखना चाहिए। यह सरकार के शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों के नीतिगत दायरे में आता है। छात्रों पर पहले से ही पढ़ाई के बहुत अधिक विस्तारित पाठ्यक्रमों का बोझ है। हम न्यायिक आदेश से उसमें और इज़ाफा नहीं कर सकते।

जब याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सामाजिक सुधारों के लिए एक वास्तविक जनहित याचिका है, तो सीजेआई ने कहा, संवैधानिक अदालतों में जनहित याचिका दायर करने से कोई समाज सुधारक नहीं बन जाता। आप अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर सकते हैं। उपाध्याय द्वारा अदालत को मनाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं, जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।

सुप्रीम कोर्ट में आया ऐसा केस, सीजेआई भी हुए हैरान, कहा-हम कुछ नहीं कर सकते

#supreme_court_bins_end_superstitions_pil 

सुप्रीम कोर्ट में अंधविश्वास खत्म करने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई। जिसने सरकारों को अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए कि उसके पास हर मर्ज की दवा नहीं है, याचिका को स्वीकर करने से इनकार कर दिया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उसे वापस ले ली।

यह जनहित याचिका (PIL) चर्चित वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। उनका कहना था कि हर साल अंधविश्वास के कारण सैकड़ों लोगों की जान जाती है। उन्होंने अदालत से गुजारिश की कि सरकारों को लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि ‘लोगों में वैज्ञानिक सोच का विकास न्यायिक आदेशों से नहीं किया जा सकता। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि छात्रों को स्कूलों में क्या सीखना चाहिए। यह सरकार के शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों के नीतिगत दायरे में आता है। छात्रों पर पहले से ही पढ़ाई के बहुत अधिक विस्तारित पाठ्यक्रमों का बोझ है। हम न्यायिक आदेश से उसमें और इज़ाफा नहीं कर सकते।

जब याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सामाजिक सुधारों के लिए एक वास्तविक जनहित याचिका है, तो सीजेआई ने कहा, संवैधानिक अदालतों में जनहित याचिका दायर करने से कोई समाज सुधारक नहीं बन जाता। आप अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर सकते हैं। उपाध्याय द्वारा अदालत को मनाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं, जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।

बिहार में लगातार गिरते पुलों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, SC ने नितीश सरकार से मांगा जवाब

शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका (PIL) पर बिहार सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से हाल ही के महीनों में नियमित अंतराल पर 10 पुलों के गिरने के बाद सूबे के सभी पुलों की इन्फ्रास्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग उठाई है। SC के एक वकील ने बिहार में निरंतर गिरते पुलों की जांच कराने के लिए जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई। रिपोर्ट के अनुसार, देश के CJI डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को नोटिस भेजा है। इस नोटिस के मुताबिक, बिहार सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चरल ऑडिट करने और पुलों को चिन्हित करने के लिए एक एक्सपर्ट समिति का गठन करने की मांग की गई है। इस समिति द्वारा निकाले गए ऑडिट निष्कर्षों के आधार पर यह निर्धारित किया जाएगा कि पुल की मरम्मत की जा सकती है या फिर उन्हें ध्वस्त कर दोबारा बनाया जाना चाहिए। वकील ब्रजेश सिंह ने यह याचिका गत माह दाखिल की थी। अपनी इस याचिका में सिंह ने भारी वर्षा के बाद 16 दिनों के अंदर 10 पुलों के ढहने पर चिंता जाहिर की थी। बृजेश सिंह ने लिखा था कि 10 दिनों के भीतर ही सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पल ढह गए। अंतिम घटना सीएम नीतीश कुमार द्वारा सड़क निर्माण और ग्रामीण कार्य विभागों को राज्य के पुराने पुलों का आकलन करने और फ़ौरन मरम्मत की जरूरत वाले पुलों की पहचान करने के निर्देश देने के ठीक एक दिन बाद हुई। PIL में राज्य में मानसून के दौरान आई बाढ़ और भारी बारिश के बाद पुलों की सुरक्षा और टिकाऊपन पर सवाल खड़े किए गए है। लगातार गिरते पुलों के बाद बिहार में बढ़ हुए भ्रष्टाचार की बात उजागर हो गई है। बिहार में लगातार नीतीश कुमार की सरकार है, ऐसे में जनता उन्हें ही इन हादसों के लिए जिम्मेदार बता रही है। सीएम नीतीश कुमार ने इन गिरते हुए पुलों की जांच कराने को लेकर जनता को आश्वासन देने की कोशिश की है।
झारखंड में बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठिया क्या सिर्फ चुनावी मुद्दा है या इसे रोकने के लिए जिम्मेबारी तय करने की जरूरत...?

-विनोद आनंद

गृहमंत्री अमित शाह 20 जुलाई 2024 को रांची में झारखंड विधान सभा चुनाव 2024 का शंखनाद किया और अपने कार्यकर्ताओं को जो चुनावी मुद्दा दिया उसमें कई मुद्दों में एक मुद्दा झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठिये का भी है।

अब सवाल उठता है कि देश के गृहमंत्री के लिए क्या बंगला देशी घुसपैठिया का मुद्दा महज़ एक चुनावी मुद्दा है।या गंभीरता के साथ इसे लेकर अपने केंद्रीय एजेंसियों से इसकी जांच कराकर   उसपर उचित कारबाई कराने की है यह एक बड़ा सवाल है।

अगर सच पूछा जाए तो इन दिनों

सिर्फ झारखंड ही नही बिहार, बंगाल मणिपुर असम और देश के विभिन्न भागों में बंगला देशी घुसपैठिये आसानी से घुसपैठ कर स्थानीय लोगों से मिलकर आधारकार्ड,वोटरकार्ड राशनकार्ड बनाकर यहां स्थायी रूप से बसते जा रहे हैं। इस पूरे मुहिम में स्थानीय लोग, स्थानीय प्रशासन और सरकार की पूरी व्यवस्था सवालों के घेरे में है।

 अब इन घुसपैठियों को रोकने में सरकार कहाँ विफल हो रही है, इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कहाँ चूक है,चुकी यह मामला अंतर्राज्यीय है, कहीं सीधे राज्य में बंगाला देशी घुसपैठ कर रहे हैं तो कहीं दूसरे राज्यों को पार कर दूसरे राज्य में आ रहे हैं और इन सभी मामले में इसे रोकने के लिए किसकी क्या जिम्मबरी है ? इस पर पूरे सरकारी तंत्र की समीक्षा करने और राज्य और केंद्र सरकार को आपसी समन्वय से इस गंभीर स्थिति से नियंत्रण के लिए जिम्मबरी तय करने की जरूरत है।

अब अगर हम बात करें झारखंड में बंगला देशी घुसपैठिये की तो झारखंड के बंगाल के कई सीमावर्ती इलाकों में बंगला देशी घुसपैठिये की संख्यां लगातार बढ़ती जा रही है जो चिंता का विषय है। झारखंड के संथाल परगना के कई जिलों में तो इन दिनों अचानक मुस्लिम आवादी में बृद्धि हुई है, जिसके कारण डेमोग्राफी ;( जनसांख्यिकी) चेंज हुआ है।अब बीजेपी लगातार इसको लेकर झारखंड सरकार पर सवाल खड़े कर रही है।भाजपा हर मंच से बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए डेमोग्राफी चेंज की बात करती है, लेकिन सवाल यह है कि इसका असली जिम्मेवार कौन है ?  राज्य या केंद्र की सरकार! इसपर जिम्मबरी तय करने और इसे रोकने के लिए ईमानदार कोशीश नही हो रही है।

इधर साल 2011 के बाद से देश में जनगणना नहीं हुई है। ऐसे में किसकी संख्या कितनी बढ़ी या कम हुई है और डेमोग्राफी में क्या बदलाव आये है, इसके बारे में सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है। डेमोग्राफी चेंज मुद्दे पर भाजपा संथाल परगना में मुखर है। बीजेपी 2011 की जनगणना के आधार पर यह मुद्दा उठा रही है। इसके अलावा और भी कई आधार हैं। जिसके कारण भाजपा हावी है।आंकड़ों की बात करें तो 2001 की जनगणना में दुमका की जनसंख्या करीब 11 लाख 7 हजार थी। साल 2011 में दुमका की जनसंख्या बढ़कर करीब 14 लाख हो गई। आंकड़े बताते हैं कि संथाल के सभी 6 जिलों में 12 लाख से ज्यादा नई आबादी बढ़ गई है। बीजेपी का मानना है की यह आंकड़े एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बिना इतनी तेजी से आबादी का बढ़ना नामुमकिन है। 

संथाल में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी पाकुड़ में बढ़ी है। पाकुड़ में मुस्लिम आबादी में करीब 40 इसीसी फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, साहिबगंज में मुस्लिम आबादी में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बीजेपी ने इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बांग्लादेशी घुसपैठ को माना है। संथाल परगना के 6 जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने में यहां के जमीन दलालों की सबसे बड़ी भूमिका रही है। जमीन दलाल गिफ्ट डीड के जरिए बांग्लादेशियों को बसा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि झारखंड बनने के बाद संथाल परगना में रजिस्ट्री कराने वाली जमीन खरीदने वालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

क्या कहता है भारत सरकार के गृह मंत्रालय का दस्ताबेज

13 दिसंबर 2023 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक दस्तावेज जारी किया। जिसमें बताया गया कि 120 से अधिक फर्जी वेबसाइट के जरिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। पत्र के जरिए झारखंड को लेकर खास चेतावनी दी गई। 2 जून 2023 को झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने सभी जिलों के एसपी और डीसी को पत्र लिखा। पत्र संख्या 211/23 के जरिए स्पेशल ब्रांच ने लिखा है कि झारखंड राज्य अंतर्गत संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश की सूचना है।

 स्पेशल ब्रांच को मिली जानकारी के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहले विभिन्न मदरसों में ठहराया जाता है। उसके बाद उनका सरकारी दस्तावेज तैयार किये जाते हैं और फिर उनका नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाता है। मतदाता सूची में शामिल होने के बाद उन्हें साजिश के तहत यहां बसाया जाता है। हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा भी इस मामले की सुनवाई के दौरान गंभीरता से ली गयी है ।

इस मुद्दा को लेकर झारखंड हाई कोर्ट मे पीआईएल दाखिल

जमशेदपुर के रहने वाले दानियाल दानिश ने झारखंड हाई कोर्ट में PIL फाइल की थी कि संथाल परगना में बड़ी तादाद में घुसपैठिए दाखिल हो गए हैं जिससे वहां की डेमोग्राफी चेंज हो रही है और आदिवासियों की संख्या घट रही है। याचिकाकर्ता दानियाल ने अदालत से कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासी महिलाओंसे शादी करके उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, और उनकी ज़मीनों को गिफ्ट डीड के ज़रिए हथिया रहे हैं। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए आदिवासी महिलाओं से शादी करके उनके नाम पर रिजर्व पोस्ट को रिमोट से चला रहे हैं।

घुसपैठियों ने यहां बनवाईं मस्जिद और मदरसे

दानियाल ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट से यह भी कहा कि झारखंड के बंगाल से लगने वाले जिलों में घुसपैठियों ने बहुत बड़ी तादाद में मस्जिदें और मदरसे कायम कर लिए हैं। झारखंड हाई कोर्ट ने जिस मसले पर सुनवाई की,

 उसको लेकर संथाल परगना के लोग काफी दिनों से आवाज उठा रहे हैं। कई सोशल वर्कर, आदिवासियों की कम होती आबादी और बदलती डेमोग्राफी को लेकर चिंता जता चुके हैं। संथाल परगना में घुसना इसलिए आसान है क्योंकि वहां से बांग्लादेश केवल 15 किलोमीटर दूर है। संथाल परगना की सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है और वहां से बांग्लादेश बॉर्डर ज्यादा दूर नहीं है।

लेकिन सवाल अभी भी वही है, इस बदलती डेमोग्राफी का जिम्मेवार कौन है..?

 इस पर पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक रणधीर सिंह का कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण संथाल की डेमोग्राफी प्रभावित हुई है। झारखंड में उनकी सरकार आने पर इस पर कानून बनाया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि घुसपैठ रोकना केंद्र का काम है तो उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सीमाएं खुली हैं। फिर उन्होंने इसका दोष पश्चिम बंगाल सरकार पर लगा दिया।

 लेकिन अंत में उन्होंने कहा कि वे गृह मंत्री अमित शाह से इस पर रोक लगाने का अनुरोध करेंगे।'घुसपैठ रोकना केंद्र का काम' है इस मामले में झामुमो नेता प्रेमानंद मंडल का कहना है कि सीमा पर घुसपैठ रोकना केंद्र का काम है।आज भाजपा कानून बनाने की बात करती है, लेकिन जब झारखंड में भाजपा की पांच साल तक रघुवर दास की सरकार के अलावा बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा की सरकार थी, तब वे क्या कर रहे थे? यह सब चुनावी हथकंडा है।

वहीं इस इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि डेमोग्राफी में बदलाव आया है, लेकिन यह सब एक दिन में नहीं हुआ, इसके लिए किसी विशेष पार्टी या सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, इसके लिए दोषी केंद्र और राज्य सरकारें दोनों हैं. अगर कोई वास्तव में इसका समाधान चाहता है तो एक सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए, जिसमें सभी दलों के बीच आपसी सहमति जरूरी है.

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জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।