एलएसी पर भारत-चीन तनाव खत्म! दिवाली पर दोनों देशों के जवानों ने एक दूसरे को दी मिठाई

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दिवाली पर दिलों की दूरियां मिट गई। पहले भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे, अब मिठाइयों का आदान-प्रदान एक रिश्तों को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश हुई है। भारत और चीन के बीच देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया है। भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं। आज या कल से दोनों देशों की सेना यहां गश्त शुरू करेगी। वहीं, आज दिवाली के मौके पर दोनों देशों के सैनिकों (भारत-चीन) ने एक दूसरे को मिठाई दी है।

सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी। पूर्वी लद्दाख में डेमचोक एवं देपसांग में दो टकराव वाले बिंदुओं पर दोनों देशों की सेनाओं की वापसी के एक दिन बाद यह पारंपरिक प्रथा देखी गई। इस सहमति से चीन और भारत के संबंधों में मधुरता आई है। सेना के एक सूत्र ने बताया, ‘‘दिवाली के अवसर पर एलएसी के साथ कई सीमाओं पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान हुआ।''

सूत्रों ने बताया कि यह आदान-प्रदान एलएसी सहित पांच बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (बीपीएम) बिंदुओं पर हुआ। जहां जहां मिठाई बांटी गई है, उनमें लद्दाख में चुशुल मोल्दो, सिक्कम में नाथूला, अरुणाचल में बुमला सहित कई अन्य जगह भी शामिल हैं।

सेना के सूत्रों ने बताया कि बुधवार को देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया था। इसके बाद पेट्रोलिंग को लेकर लोकल कमांडर स्तर की बातचीत हुई। संभवत: आज या कल से दोनों देनों की सेना देपसांग और डेमचोक इलाके में गश्त शुरू कर देगी।

बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी। कई हफ्तों की बातचीत के बाद 21 अक्टूबर को समझौते को अंतिम रूप दिया गया। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में कहा था कि भारत और चीन के सैनिक उसी तरह गश्त कर सकेंगे जैसे वे दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले किया करते थे।

मिठाई के साथ भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों की वापसी पूरी करी, सत्यापन जारी

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Indian- Chinese troops at LAC Ladakh

भारत और चीन ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से अपनी सेनाओं की वापसी पूरी कर ली है, जिसके बाद दोनों पक्ष अब आमने-सामने की जगहों से एक निर्दिष्ट और परस्पर सहमत दूरी पर सैनिकों और उपकरणों की वापसी का संयुक्त सत्यापन कर रहे हैं, इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुरूप अंतिम सत्यापन किया जा रहा है।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और सत्यापन जारी है। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। उम्मीद है कि दोनों सेनाएं जल्द ही इलाकों में गश्त शुरू कर देंगी। विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दो फ्लैशपॉइंट से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है, और मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है। ⁠गश्ती के तौर-तरीके ग्राउंड कमांडरों के बीच तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "गुरुवार (दिवाली) को मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना बनाई गई है।"

इस विकास से भारतीय सेना और पीएलए को वार्ता में दो साल के गतिरोध को दूर करने में मदद मिलेगी - गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से विघटन का चौथा और अंतिम दौर सितंबर 2022 में हुआ था, जिसके बाद वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई थी। चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित "संकल्पों" को "व्यवस्थित" तरीके से लागू कर रही हैं, पीटीआई ने बीजिंग से रिपोर्ट की।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। चीनी अधिकारी ने सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।"

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा था कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्ती दलों की) के साथ गश्त करने में सुविधा होगी, उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अब एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रास्ता बना सकते हैं।

23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई और इसके पूरा होने से दोनों अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो गई है। भारतीय सेना उन क्षेत्रों में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू करेगी, जो पीएलए की अग्रिम मौजूदगी के कारण कटे हुए थे। 21 अक्टूबर को भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई, लद्दाख में ये दो अंतिम बिंदु हैं, जहां प्रतिद्वंद्वी सैनिक लगभग साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं।

विस्थापन समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक शामिल हैं, और दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी बातचीत जारी रखेंगे, जहां पहले सैनिकों की वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों की वापसी में बफर जोन का निर्माण शामिल नहीं है, जैसा कि सैनिकों की वापसी के पिछले दौर के बाद हुआ था।

भारत और चीन ने पहले गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया था, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे। अलगाव के क्षेत्रों का उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को खत्म करना था। दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगा।

टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाना सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है। क्षेत्र में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को कम करना और प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को अंततः वापस बुलाना जरूरी है। दोनों सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख थिएटर में दसियों हज़ार सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकी ठिकाने का भंडाफोड़ किया: 2 ग्रेनेड, 3 माइंस बरामद

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भारतीय सेना की रोमियो फोर्स ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के इलाके में एक पाकिस्तानी आतंकी ठिकाने को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया, अधिकारियों ने बताया, सेना विशेष अभियान समूह (एसओजी) पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही थी।

ऑपरेशन के हिस्से के रूप में, सेना ने ठिकाने से दो ग्रेनेड और तीन पाकिस्तानी माइंस बरामद किए, जो इस क्षेत्र में चल रहे खतरे को उजागर करते हैं, पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया। जवाब में, अधिकारियों ने तंगमर्ग और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में व्यापक तलाशी अभियान के साथ अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। भारतीय सेना की पहल का उद्देश्य गुलमर्ग, बारामुल्ला और गंदेरबल जिले के गगनगीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों से जुड़े संदिग्धों का पता लगाना है।

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले

इन सैन्य अभियानों की आवश्यकता 24 अक्टूबर को एक दुखद घटना के बाद पैदा हुई, जिसमें आतंकवादियों ने एक सैन्य वाहन पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप सेना के दो जवान और दो नागरिक कुली मारे गए। इसी तरह, 20 अक्टूबर को हुए एक पिछले हमले में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक सुरंग स्थल पर एक डॉक्टर और छह निर्माण श्रमिकों की जान चली गई थी, जिससे इन हमलों की लक्षित प्रकृति के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा हो गई थीं।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का आह्वान किया

इन आतंकवादी हमलों को मद्देनजर रखते हुए , जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और शिविरों के आसपास सुरक्षा प्रोटोकॉल को तत्काल बढ़ाने का आदेश दिया। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने एक व्यापक सुरक्षा ऑडिट का निर्देश दिया और प्रमुख स्थानों पर निरंतर गश्त और जाँच चौकियाँ स्थापित कीं।

इसी तरह के एक अन्य ऑपरेशन में, काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने जम्मू-कश्मीर के छह जिलों में एक बड़ा ऑपरेशन किया और एक आतंकी संगठन से जुड़े भर्तीकर्ताओं को पकड़ा। काउंटर-इंटेलिजेंस यूनिट ने बताया कि श्रीनगर, गंदेरबल, पुलवामा, अनंतनाग, बडगाम और कुलगाम सहित जिलों में छापे मारे गए।

अधिकारियों ने कहा कि वे "तहरीक लबैक या मुस्लिम" (टीएलएम) नामक नवगठित आतंकवादी संगठन के भर्ती मॉड्यूल को ध्वस्त करने में सक्षम थे, जिसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की एक शाखा बताया जाता है, जिसे बाबा हमास नामक एक पाकिस्तानी आतंकवादी संचालक द्वारा संचालित किया जा रहा था।

देखा जा रहा है की केंद्र शाषित प्रदेश के चुनाव के बाद से आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में ज़्यदा पहल करनी चालू कर दी है, इसमें लोग मुख़्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह से आस लगाए बैठे है की वो इसपर कोई सख्त कदम उठाएंगे। 

कनाडा से लौटे भारत के राजदूत ने खोला ट्रूडो के करतूतों का पिटारा, बताया भारतीय छात्रों को कैसे बरगलाते हैं खालिस्तानी आतंकी?

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कनाडा और भारत में बढ़ते तनाव के बीच वहां से लौटे हाई कमिश्नर संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो का कच्चा चिट्ठा खोला है। संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी भारतीय छात्रों को कैसे बरगलाते हैं। वर्मा ने छात्रों और उनके परिवारों को आगाह करते हुए कहा कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी और उग्रवादी तत्व भारतीय छात्रों को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत-कनाडा के कूटनीतिक संबंध बहुत ही खराब हो चले हैं। हाल ही में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया था। कनाडा के पीएम के इस आरोप के बाद भारत सरकार ने संजय वर्मा को वापस बुला लिया है। कनाडा से वापस लौटे संजय वर्मा ने एक मीडिया संस्थान को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने खुलकर बात की कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी कैसे काम करते हैं और भारतीय छात्रों को भर्ती करते हैं।

कनाडा में भारतीय छात्रों को खतरा

संजय वर्मा ने कहा कि इस समय कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों और उग्रवादियों से भारतीय समुदाय के 319,000 छात्रों को खतरा है। उन्होंने बताया कि खालिस्तानी आतंकवादी और उग्रवादी भारतीय छात्रों को नौकरी का झांसा देकर अपने नापाक इरादों को पूरा करवाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ छात्रों को भारतीय कूटनीतिक इमारतों के बाहर विरोध करने, भारत विरोधी नारे लगाने या ध्वज का अपमान करने वाली तस्वीरें और वीडियो बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है, फिर उन्हें शरण लेने के लिए कहा जाता है क्योंकि उनका कहना होगा, अगर वे भारत वापस गए, तो उन्हें दंडित किया जाएगा। ऐसे कई छात्रों को शरण दिए जाने के मामले सामने आए हैं। आगे उन्होंने बताया कि कनाडा में भारतीय छात्रों पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डाले जा रहे हैं, जो उन्हें गलत दिशा की ओर धकेल रहे हैं।

छात्रों के माता-पिता को दी ये सलाह

संजय वर्मा ने आगे कहा कि कनाडा में भारतीय छात्रों को अपने आसपास के बारे में जागरूक होना चाहिए। साथ ही खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा कट्टरपंथ के प्रयासों का विरोध करना चाहिए। उन्होंने कनाडा में रहने वाले छात्रों के माता-पिता को सलाह देते हुए अपील कि वे अपने बच्चों से नियमित रूप से बात करें और उनको समझने का प्रयास करें।

मुट्ठीभर खालिस्तानी अच्छे समाज को कर रहे खत्म

वर्मा ने आगे कहा, हमें ये समझने की जरूरत है कि खालिस्तानियों ने वहां गए भारतीयों के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है, जो दुखदायी है। जिसकी हमें चिंता होनी चाहिए। कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां के एक अच्छे समाज को खत्म कर रहे ।

एकीकृत झारखंड बिहार बंगाल का आजीवन अग्रणी क्रांतिकारी नेता रहे हैं स्वर्गीय रघुनाथ महतो
धनबाद (तोपचांची):रघुनाथ महतो का जन्म ग्राम नरकोपी उर्फ दुमदुमी, प्रखंड तोपचांची,  तत्कालीन जिला मानभूम में हुआ था।इनके पिता का नाम मेघलाल महतो था जो पेशा से कृषक थे। उनकी पत्नी का नाम माँदरी देवी था। वे तीन भाई थे - रघुनाथ महतो, चैतो महतो व महावीर महतो. भाइयों में सबसे बड़े थे। इनके  दो संतान थे एक बेटा और एक बेटी।बेटा का नाम खगेनंद्र महतो तथा बेटी का नाम देवकी था।रघुनाथ महतो की प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा नरकोपी से 37 किलोमीटर दूर एच ई हाई स्कूल धनबाद में हुई थी।यहीं रहकर माध्यमिक तक की शिक्षा पूरी की थी। इनके स्कूली सहपाठी स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो थे। उन्होंने माध्यमिक (मैट्रिक) परीक्षा 1942 ईस्वी में पास कर ली थी। वे पढ़ने - लिखने में बहुत तेज थे। अपने गांव तक ही नहीं बल्कि आस पास के गांव के लोग इनका खूब आदर और सम्मान करते थे। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा को बड़ी महत्व दिया था। इनका मानना था कि बिना पढे लिखे समाज को सही दिशा देना काफी मुस्किल काम है।
उस समय जमींदारी और महाजनी प्रथा का बोलबाला था। समाज में अन्धविश्वास चरम पर था।लोग सूदखोर और महाजन के चंगुल में जकड़े हुए थे। इसी वजह से समाज में सुधार लाने का संकल्प लिया।
वे अच्छे खासे सरकारी नौकरी में थे।कोर्ट में पेशकार थे।यहाँ उन्होंने गांव ग्राम के लोगों को बेबजह परेशान होते बहुत नजदीक से देखा। यह नौकरी उन्हें रास नहीं आई। उन्होंने पेशकार की नौकरी त्याग करना उचित समझा।वे गांव में शिक्षा का अलख जगाने के लिये वापस अपने गांव चले आए।कुछ वर्षों तक तोपचांची में वे शिक्षक की नौकरी में रहे।फिर उन्होंने त्यागपत्र देकर समाज की सेवा में जीवन अर्पित करने का मन बना लिया।वे देश दुनिया की ख़बरों से हमेशा अपडेट रहते।आमलोगों को उनकी भाषा में सरल अंदाज में समझाते रहते थे।शाम को इनके पास हमेशा लोगों की मंडली बैठी रहती थी। वे अपने पास रेडियो रखते थे। राष्ट्रीय, अतर्राष्ट्रीय और प्रादेशिक समाचार को नियमित सुनते।बीबीसी लंदन इनका पसंदीदा चेनल था।वहीँ दैनिक अख़बार में नव भारत टाइम्स, टाइम्स आफ इंडिया, टेलीग्राफ नियमित पढ़ा करते थे।इण्डिया टुडे सहित अनेकों हिंदी तथा अंग्रेजी पत्रिका भी पढ़ते और विश्लेषण करते थे। वे बंगला और असमिया पत्रिकाओं को मंगवाते और पढ़ते। इनके द्वारा दर्जनों पुस्तकें लिखी गई है।इनकी लेखनी ने समाज में खासकर शोषित बंचित मजदुर किसान नोजवान और महिलाओं को हक़ अधिकार के लिये जागृत किया है। वे लेखन कला के धनी थे।आम ग्रामीण के समझने से लेकर बड़े बड़े बुद्धिजीवी के लिये पुस्तकें लिखीं।अंग्रेजी तथा बंगला के कई पुस्तकों का इनके द्वारा अनुवाद किया गया है जिनमें प्रमुख है - The indian Big Bourgeoisie: Its Genesis, Growth and Character  का हिंदी में अनुवाद जिसका शीर्षक है - भारत के बड़े पूंजीपति लोग : इसकी उत्पत्ति, विकास और चरित्र।वे 1952 ईस्वी में देश आजादी के बाद तोपचांची पंचायत के निर्विरोध प्रथम मुखिया बने। इस पद पर रहते हुए इन्होंने कई जन कल्याण कार्य किये।जिसमें स्वास्थ्य और शिक्षा प्रमुख थे। कृषि और जंगल बचाओ पर लोगों को संवेदनशील बनाया।लोग कहते है कि देश में जब भीषण अकाल पड़ा था तब लोगों के पास खाने को अनाज नहीं था।गोंदली, मडुवा, कोदो, बाजरा खाकर गुजर कर रहे थे उस समय अपने पंचायत के जरुरतमंदों को अनाज उपलब्ध कराये थे।उन्होंने पंचायत के अलावा आसपास के कई गांव में अनाज की कोई कमी नहीं होने दी थी।समाज के कई बूढ़े बुजुर्ग उनके किये कार्यों को आज भी याद करते हैं, उनकी प्रशंसा करते थकते नहीं है।स्व. बिनोद बिहारी महतो अगुवाई में समाज में फेले कुरीतियों के खिलाफ शिवाजी समाज का गठन तथा सोनोत संथाल समाज का गठन होता है। इसी दौरान रघुनाथ महतो का जुडाव बामपंथ विचारधारा के लोगों से हुआ।कई बड़े अति बामपंथी नेताओं ने इनसे संपर्क किया। धीरे - धीरे इनका झुकाव सर्वहारा क्रांति की ओर बढ़ता गया। वे सर्वहारा क्रांति के पक्ष में लिखने का कार्य करने लगे। सरकार की गलत और दमनकारी नीतियों के घोर विरोधी थे।आपातकाल के दौरान पुलिस प्रशासन इनको गिरफ्तार करने के लिये कई बार घेराबंदी की पर पकड़ नहीं सकी।यहीं से वे भूमिगत रहने लगे। भूमिगत रहकर समाज में बदलाव की ज्वार को तेज करने लगे थे।उनकी पहचान एक समाजवादी लेखक, विचारक, क्रांतिकारी के रूप में होने लगी।
झारखंड आन्दोलन के पक्ष में स्पष्ट विचार था।एक ऐसे झारखंड का सपना था जो शोषण विहीन हो, मानव द्वारा मानव का शोषण न हो। वे अफसरशाही तथा तानाशाही प्रशासन के खिलाफ रहे। वे किसानों को सरकार की अनुदानों पर कम निर्भर रहने के लिए कहते थे।वे समाज को ईमानदारी व निष्ठा से काम करने की सलाह देते थे। इनको बंगाल व एकत्रित झारखंड बिहार बंगाल के वामपंथी विचार के बड़े लीडर के रूप में जानते हैं।कभी भी मिडिया और अख़बार के सामने स्वयं को प्रस्तुत नहीं किया.
उनके द्वारा बतलाये गये बातें आमलोगों व वंचित शोषित समाज को प्रेरणा देते रहेंगे। आज हम लोग समाज को भूलकर परिवार तक सीमित हो रहे हैं।अब समय आ गया है कि ऐसे महापुरुषों की जीवनी को जन जन तक पहुंचाएं।आगामी 26 अक्टूबर 2024 को इनकी पुण्यतिथि है।इनके गांव के दुमदुमी पंचायत सचिवालय के पास मूर्ति स्थापित की गई है।प्रत्येक वर्ष इनके स्टेच्यु पर माल्यार्पण किया जाता है।यह सन्देश दिया जाता है कि धनबाद की धरती ने एक महापुरुष को जन्म दिया था जो अब हमारे बीच नहीं है, हम उन्हें श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद करें और उनके क्रांतिकारी विचारों को आगे बढ़ाये।मेरी कलम से स्व. रघुनाथ महतो की व्यक्तित्व और कृतितव की स्मरण। जिला संगठन सचिव- सदानंद महतो, आजसू पार्टी।
Uniting Bharat: The Grannus Organization Revolutionizes Volunteering Across India

 

Imagine a world where every woman feels protected, every child is safe, the hungry are fed, and citizens unite in times of natural disasters or emergencies to support local authorities. People in India have long desired to contribute to the greater good through volunteering, but a major challenge has been how to unite these efforts on a large scale. Across the country, small social groups form to take on local tasks, but scaling these groups to a national level has been difficult—until now.

A groundbreaking solution has emerged from Ahmedabad, where the Grannus organization, a technology-driven organisation, has designed the Grannus PHPN App to bring people across Bharat together for a common purpose: helping others in need. PHPN, or "People Helping People Network," is exactly what the name suggests—a platform connecting citizens from all parts of India through cutting-edge technology. This app, powered by Grannus’ unique DGBSI SRPP/RTPP model, is particularly effective in mobilizing volunteers during emergencies.

Leadership and Vision

The Grannus PHPN project operates under the guidance of a highly respected figure in Gujarat, Geetha Johri, the former Director General of Police (DGP) of Gujarat, who now serves as the President of Grannus Organization. Alongside her, Mayank Shah, a social entrepreneur and the CEO of Grannus Organization, envisioned this platform as a means to unite people through social-interest-based integration through his unique idea of making DGBSI SRPP/RTPP model for emergency management. The brilliant coding to make this technology live was done by Chirag Patel.

“We are leveraging digitalization to tackle India's most pressing social issues,” says Mayank Shah. “Grannus connects citizens who are committed to societal betterment by organizing them based on their location and social interests. Our app facilitates everything from ensuring women’s safety, locating missing persons, and managing medical emergencies, to responding to national crises and natural disasters. We also support food donation drives and environmental initiatives. Users can register for free, select their areas of interest, and receive real-time alerts when their assistance is needed. Together, we can create a safer, more connected community.”

 A Rising Success in Gujarat

Since its launch, the Grannus PHPN app has gained viral popularity in Gujarat, even trending at number one on the Google Play Store for several days. It is now the highest-rated Indian app focused on social issues. The app has drawn praise from prominent figures, including Gujarat’s Chief Minister, Bhupendra Bhai Patel, and various IAS and IPS officers, who have commended Grannus for its successful projects, particularly during the COVID-19 pandemic.

How It Works

Joining the movement is simple. Volunteers can download the Grannus PHPN app from the Google Play Store, select their social interests—ranging from women's safety and disaster response to environmental work—and receive notifications when their help is needed. Users can choose one or more interests, and the app connects them with nearby volunteering opportunities, whether with local NGOs or during emergencies in their vicinity.

A Vision for National Impact

“Our population, often seen as a challenge, can become our greatest asset,” explains Shah. “The government is working tirelessly to address social issues, but by connecting people and empowering them with volunteering opportunities, we can solve many of our country's problems together.”

Under the administrative leadership of Geetha Johri, the project is poised to expand beyond Gujarat and make a significant impact across the nation. The Grannus PHPN app has the potential to transform India’s social landscape, bringing together communities and creating a brighter, safer future for all.


फिर दिखा पुतिन का भारत प्रेम, पीएम मोदी की यूक्रेन युद्ध पर चिंता से लेकर भारतीय फिल्मों तक पर की बात

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए 22-23 अक्टूबर तक रूस का दौरा करेंगे। इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी और भारतीय फिल्मों की जमकर सराहना की। पुतिन का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन युद्ध को लेकर फिक्रमंद रहते हैं।इस दौरान उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर चिंता जताने और समाधान निकालने के प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।

पीएम मोदी का जताया आभार

रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन विवाद पर सवाल हुआ था। इस पर जवाब देते हुए रूसी प्रेसीडेंट ने कहा कि जब भी बातचीत होती है तो पीएम मोदी हर बार इस मुद्दे (यूक्रेन-रूस युद्ध) को उठाते हैं और अपने विचार व्यक्त करते हैं।पुतिन ने कहा कि पीएम मोदी ने हमेशा संघर्ष के स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी हितधारकों के साथ संवाद व कूटनीति के महत्व पर जोर दिया है। इसके लिए हम पीएम मोदी आभार भी व्यक्त करते हैं।

यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति की समयसीमा तय करना आसान नहीं-पुतिन

मॉस्को में विदेशी पत्रकारों के एक समूह से बातचीत के दौरान पुतिन ने कहा कि रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन का समर्थन अमेरिका और पश्चिमी देश कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिमी देशों का सैन्य गठबंधन नाटो यूक्रेन के लिए युद्ध लड़ रहा है, जो सही नहीं है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस दौरान कहा कि यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति के लिए समयसीमा तय करना आसान नहीं है। इसकी कोई समय सीमा तय करना मुश्किल और प्रतिकूल होगा। हालांकि उन्होंने रूस की जीत का दावा जरूर किया।

पुतिन ने की भारतीय फिल्मों की सराहना

इस दौरान पुतिन ने भारतीय फिल्मों की जमकर सराहना की। साथ ही उन्होंने रूस में भारतीय फिल्मों के प्रसारण को बढ़ावा देने की संभावनाओं पर भी जोर दिया। पुतिन ने कहा कि अगर हम ब्रिक्स देशों को देखें, तो मुझे लगता है कि हमारे यहां भारतीय फिल्में सबसे लोकप्रिय हैं। एक टीवी चैनल पर तो चौबीसों घंटे भारतीय फिल्में दिखाई जाती हैं। हमें भारतीय फिल्मों में बहुत रुचि है। हम इस साल मॉस्को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में बीआरसीआईएस देशों की फिल्में पेश करेंगे।

रूस में अगले हफ्ते होगा ब्रिक्स सम्मेलन

रूस के कजान में अगले हफ्ते ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होने जा रहा है।ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की 16वीं बैठक रूस के कजान में आयोजित की जाएगी। ब्रिक्स के इस साल के शिखर सम्मेलन का विषय 'वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना' है।ग्रुप के नौ सदस्यों तक विस्तार होने के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन है। मिस्र, ईरान, इथियोपिया और यूएई इस साल दक्षिण अफ्रीका में 2023-समिट में सदस्यता की पेशकश के बाद ग्रुप में शामिल हुए थे।

इंडियन आर्मी 10+2 TES-53 भर्ती के लिए रजिस्ट्रेशन स्टार्ट, बिना आवेदन शुल्क के कर सकते हैं अप्लाई

नई दिल्ली:- इंडियन आर्मी में शामिल होने का सपना देख रहे युवाओं के लिए बड़ी खबर है। भारतीय सेना की ओर से आर्मी टेक्निकल एंट्री स्कीम (Indian Army 10+2 TES 53 Entry- July 2025 Batch) के पदों पर भर्ती निकाली है। 

इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 7 अक्टूबर से शुरू हो गई है जो निर्धारित अंतिम तिथि 5 नवंबर 2024 तक जारी रहेगी। इच्छुक एवं इस भर्ती के लिए योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी तय तिथियों के अंदर ऑनलाइन माध्यम से एप्लीकेशन फॉर्म भर सकते हैं।

बिना एप्लीकेशन फीस के साथ कर सकते हैं आवेदन

अभ्यर्थियों को बता दें कि अगर वे इस भर्ती के लिए पात्रता पूरी करते हैं तो वे बिना आवेदन शुल्क के आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं। किसी भी वर्ग के अभ्यर्थियों को आवेदन के साथ शुल्क जमा नहीं करना होगा।

कैसे करें आवेदन

अभ्यर्थी भर्ती में शामिल होने के लिए स्वयं ही आवेदन कर सकते हैं और इससे कैफे के चार्ज से बच सकते हैं। फॉर्म भरने की स्टेप्स निम्नलिखित हैं-

Indian Army 10+2 TES 53 Application Form भरने के लिए सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.nic.in पर विजिट करें।

वेबसाइट के होम पेज पर आपको आपको अप्लाई लिंक पर क्लिक करना होगा और मांगी गई डिटेल भरकर पंजीकरण करना होगा।

इसके बाद अभ्यर्थी लॉग इन के माध्यम से अन्य डिटेल भरकर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर लें।

अंत में उम्मीदवार पूर्ण रूप से भरे हुए फॉर्म को सबमिट कर दें और उसका एक प्रिंटआउट निकालकर सुरक्षित रख लें।

पात्रता एवं मापदंड

इस भर्ती में आवेदन के लिए अभ्यर्थी का 10+2 या इसके समकक्ष न्यूनतम 60 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण किया हो। इंटरमीडिएट में अभ्यर्थी के पास फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं मैथमेटिक्स विषय होने अनिवार्य हैं। इसके अलावा अभ्यर्थी ने JEE (Mains) 2024 में भाग लिया हो।

आयु सीमा

इस भर्ती में भाग लेने के लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 16 साल 6 माह एवं और अधिकतम आयु 19 साल 6 माह से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आयु की गणना 1 जुलाई 2025 को ध्यान में रखकर की जाएगी। भर्ती से जुड़ी विस्तृत डिटेल के लिए अभ्यर्थी ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं या नोटिफिकेशन का अवलोकन कर सकते हैं।

क्या बांग्लादेश में तख्तापलट की जानकारी भारत की एजेंसियों को नहीं थी?

#wereindianagenciesunawareoftheactivitiesgoingin_bangladesh

Flags of India & Bangladesh

भारत बांग्लादेश में अशांति पर कड़ी नज़र रख रहा है, जो एक पड़ोसी देश होने के साथ-साथ नई दिल्ली के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है। यह हज़ारों भारतीय छात्रों का अस्थायी घर भी है। बांग्लादेश में छात्र समूहों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने और हाल की हिंसा के लिए माफ़ी मांगने की उनकी मांग को पूरा करने में विफल रहने के बाद हसीना के 16 साल के शासन से नाराज़गी जताते हुए उन्हें देश छोड़ने को मजबूर कर दिया था। लेकिन नई दिल्ली ने इसपर कोई भी पूर्व प्रतिक्रिया जारी नई की थी, जिसके कारण लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या भारत की ख़ुफ़िया एजेंसीज ने इस घटना को लेकर भारत सरकार को कोई चेतवानी नई दी थी। 

"भारत देश में चल रही स्थिति को बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा था, "बांग्लादेश सरकार के समर्थन और सहयोग से हम अपने छात्रों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने में सक्षम हैं।"

देश में हिंसक झड़पों के बीच बांग्लादेश से करीब 6,700 भारतीय छात्र वापस लौटे थे

जायसवाल ने कहा, "एक करीबी पड़ोसी होने के नाते जिसके साथ हमारे बहुत ही मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, हमें उम्मीद है कि देश में स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।"

सुरक्षा, व्यापार और कूटनीति के लिए बांग्लादेश महत्वपूर्ण

भारत के लिए, सामान्य स्थिति में लौटने का मतलब है हसीना का सत्ता में लौटना, आंशिक रूप से सुरक्षा कारणों से दोनों देश 4,100 किलोमीटर लंबी (2,500 मील) छिद्रपूर्ण सीमा साझा करते हैं, जिसका मानव तस्कर और आतंकवादी समूह फायदा उठा सकते हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के भारतीय राज्यों के साथ सीमा साझा करता है, जो हिंसक विद्रोहों के लिए असुरक्षित हैं। बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने बताया भारत ने पड़ोसी देश में जन समर्थन और सद्भावना बनाने के लिए निवेश किया है। "बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति उसे बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल वाले उप-क्षेत्र के विकास में एक हितधारक बनाती है। इस क्षेत्र में बांग्लादेश के उत्तर और पूर्व में स्थित भारतीय राज्य शामिल हैं। भारत के पूर्वोत्तर में स्थित ये राज्य कभी अविभाजित भारत में आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत थे," चक्रवर्ती ने बताया। अब, बांग्लादेश और भारत परिवहन संपर्क को बढ़ावा देने और "विभाजन-पूर्व युग में जो मौजूद था उसे बहाल करने" के लिए काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा।

ढाका को अरबों का ऋण

भारत, बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण पूर्वी बफर के रूप में पहचानता है और अपने बंदरगाहों और बिजली ग्रिड तक पहुँच के माध्यम से महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है। नई दिल्ली ने अब तक ढाका को लगभग 8 बिलियन डॉलर (€7.39 बिलियन) की ऋण रेखाएँ दी हैं, जिसका उपयोग विकास परियोजनाओं, बुनियादी ढाँचे के निर्माण और डीजल की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन के निर्माण के लिए किया जाता है। देश में निवेश करने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियों में मैरिको, इमामी, डाबर, एशियन पेंट्स और टाटा मोटर्स शामिल हैं।

छात्र विरोध प्रदर्शनों के बढ़ने से इन कंपनियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के संजय भारद्वाज ने कहा, "भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध उनके साझा इतिहास, जटिल सामाजिक-आर्थिक अंतरनिर्भरता और उनकी भू-राजनीतिक स्थिति में अंतर्निहित हैं। क्षेत्र में कोई भी टकराव वाली राजनीति और राजनीतिक अस्थिरता आतंकवाद, कट्टरवाद, उग्रवाद और पलायन की समस्याओं को आमंत्रित करती है।" उन्होंने कहा, "हिंसक विरोध और राजनीतिक अस्थिरता हिंसा के चक्र को जन्म देगी और लोग भारत की ओर पलायन करेंगे।" भारत और चीन के बीच टकराव हाल के वर्षों में, भारत और चीन दोनों ने बांग्लादेश में अपने आर्थिक दांव बढ़ाए हैं, जो दोनों देशों की बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में बदल रहा है। बांग्लादेश के साथ घनिष्ठ संबंधों का दावा करने के बावजूद, कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि भारतीय नीति निर्माता बांग्लादेश की आबादी के कुछ हिस्सों में व्याप्त भारत विरोधी भावना को समझने में संघर्ष करते हैं। इसका कुछ कारण नई दिल्ली द्वारा सत्तारूढ़ अवामी लीग को समर्थन देना हो सकता है। 

इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो, हसीना सरकार की हालिया विफलताएं और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, साथ ही स्थानीय इस्लामिस्ट पार्टियों का मजबूत होना भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। फिर भी, भारत स्थित जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता का मानना ​​है कि छात्र विरोध प्रदर्शनों पर हसीना सरकार की अतिवादी प्रतिक्रिया को उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने विपक्षी दलों और इस्लामिस्ट छात्रों पर हिंसा का सारा दोष मढ़ने के बांग्लादेशी अधिकारियों के प्रयास की आलोचना की। दत्ता ने कहा कि सरकार की "गैर-प्रतिक्रिया और अपमानजनक टिप्पणियों" की प्रतिक्रिया के रूप में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए।

Demand for Bharat Ratna to Dr. Sachchidanand Sinha by Sunny Sinha, Patron of Samanta Sangram Samiti

Sunny Sinha, the patron of the Samanta Sangram Samiti, recently demanded that Dr. Sachchidanand Sinha, the first president of the Constituent Assembly of India, be honored with the Bharat Ratna. His proposal highlights the significance of Dr. Sinha’s contributions to the creation of the Indian Constitution. Sunny Sinha stated that Dr. Sachchidanand Sinha was not only the first president of the Constituent Assembly but also played an invaluable role in Indian politics, social justice, and constitutional reforms.

Dr. Sachchidanand Sinha: An Introduction

Dr. Sachchidanand Sinha was born on November 10, 1871, in Patna, Bihar. Before becoming the president of the Constituent Assembly, he was a renowned lawyer and academician. Even before India’s independence, he emphasized constitutional reforms and worked to bring together various sections of Indian society. Recognizing his contributions, he was elected as the first president of the Constituent Assembly, where he helped lay the foundation for the country’s future.

Demand for Bharat Ratna

Sunny Sinha believes that Dr. Sachchidanand Sinha’s pivotal role in the formation of the Constituent Assembly and in shaping the direction of the Constitution makes him deserving of the Bharat Ratna. He noted that the Bharat Ratna is the highest civilian honor in India and is awarded to individuals who have made extraordinary contributions to the nation. Dr. Sinha’s life and work reflect his deep commitment to the country, making him a worthy recipient of this prestigious award.

Impact on Society

The initiative by the Samanta Sangram Samiti not only seeks to recognize the contributions of Dr. Sachchidanand Sinha but also ensures that all the great leaders involved in the making of the Constituent Assembly receive due respect. This demand also aims to strengthen the values and ideals for which Dr. Sinha fought throughout his life. Sunny Sinha’s effort can serve as a meaningful step in passing on the importance of the Indian Constitution and its history to future generations.

Conclusion

Dr. Sachchidanand Sinha’s name is etched in golden letters in the history of the Indian Constitution. His leadership and vision provided a strong foundation for Indian democracy. Therefore, the demand to honor him with the Bharat Ratna is not only appropriate but also a fitting way to acknowledge his service to Indian society and democracy.

एलएसी पर भारत-चीन तनाव खत्म! दिवाली पर दोनों देशों के जवानों ने एक दूसरे को दी मिठाई

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दिवाली पर दिलों की दूरियां मिट गई। पहले भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे, अब मिठाइयों का आदान-प्रदान एक रिश्तों को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश हुई है। भारत और चीन के बीच देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया है। भारत-चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं। आज या कल से दोनों देशों की सेना यहां गश्त शुरू करेगी। वहीं, आज दिवाली के मौके पर दोनों देशों के सैनिकों (भारत-चीन) ने एक दूसरे को मिठाई दी है।

सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी। पूर्वी लद्दाख में डेमचोक एवं देपसांग में दो टकराव वाले बिंदुओं पर दोनों देशों की सेनाओं की वापसी के एक दिन बाद यह पारंपरिक प्रथा देखी गई। इस सहमति से चीन और भारत के संबंधों में मधुरता आई है। सेना के एक सूत्र ने बताया, ‘‘दिवाली के अवसर पर एलएसी के साथ कई सीमाओं पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान हुआ।''

सूत्रों ने बताया कि यह आदान-प्रदान एलएसी सहित पांच बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (बीपीएम) बिंदुओं पर हुआ। जहां जहां मिठाई बांटी गई है, उनमें लद्दाख में चुशुल मोल्दो, सिक्कम में नाथूला, अरुणाचल में बुमला सहित कई अन्य जगह भी शामिल हैं।

सेना के सूत्रों ने बताया कि बुधवार को देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट का काम पूरा हो गया था। इसके बाद पेट्रोलिंग को लेकर लोकल कमांडर स्तर की बातचीत हुई। संभवत: आज या कल से दोनों देनों की सेना देपसांग और डेमचोक इलाके में गश्त शुरू कर देगी।

बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी। कई हफ्तों की बातचीत के बाद 21 अक्टूबर को समझौते को अंतिम रूप दिया गया। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में कहा था कि भारत और चीन के सैनिक उसी तरह गश्त कर सकेंगे जैसे वे दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले किया करते थे।

मिठाई के साथ भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों की वापसी पूरी करी, सत्यापन जारी

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Indian- Chinese troops at LAC Ladakh

भारत और चीन ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से अपनी सेनाओं की वापसी पूरी कर ली है, जिसके बाद दोनों पक्ष अब आमने-सामने की जगहों से एक निर्दिष्ट और परस्पर सहमत दूरी पर सैनिकों और उपकरणों की वापसी का संयुक्त सत्यापन कर रहे हैं, इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया।

सीमा पर तनाव कम करने के लिए 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुरूप अंतिम सत्यापन किया जा रहा है।

देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और सत्यापन जारी है। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी। उम्मीद है कि दोनों सेनाएं जल्द ही इलाकों में गश्त शुरू कर देंगी। विघटन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ दो फ्लैशपॉइंट से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है, और मई 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया है। ⁠गश्ती के तौर-तरीके ग्राउंड कमांडरों के बीच तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "गुरुवार (दिवाली) को मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना बनाई गई है।"

इस विकास से भारतीय सेना और पीएलए को वार्ता में दो साल के गतिरोध को दूर करने में मदद मिलेगी - गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से विघटन का चौथा और अंतिम दौर सितंबर 2022 में हुआ था, जिसके बाद वार्ता गतिरोध पर पहुंच गई थी। चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों की वापसी से संबंधित "संकल्पों" को "व्यवस्थित" तरीके से लागू कर रही हैं, पीटीआई ने बीजिंग से रिपोर्ट की।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देश सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं। चीनी अधिकारी ने सैनिकों की वापसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमा सैनिक व्यवस्थित तरीके से प्रस्तावों को लागू कर रहे हैं।"

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा था कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्ती दलों की) के साथ गश्त करने में सुविधा होगी, उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष अब एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए रास्ता बना सकते हैं।

23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई और इसके पूरा होने से दोनों अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो गई है। भारतीय सेना उन क्षेत्रों में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू करेगी, जो पीएलए की अग्रिम मौजूदगी के कारण कटे हुए थे। 21 अक्टूबर को भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई, लद्दाख में ये दो अंतिम बिंदु हैं, जहां प्रतिद्वंद्वी सैनिक लगभग साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं।

विस्थापन समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक शामिल हैं, और दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी बातचीत जारी रखेंगे, जहां पहले सैनिकों की वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों की वापसी में बफर जोन का निर्माण शामिल नहीं है, जैसा कि सैनिकों की वापसी के पिछले दौर के बाद हुआ था।

भारत और चीन ने पहले गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया था, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे। अलगाव के क्षेत्रों का उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को खत्म करना था। दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगा।

टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुलाना सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम है। क्षेत्र में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को कम करना और प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को अंततः वापस बुलाना जरूरी है। दोनों सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख थिएटर में दसियों हज़ार सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकी ठिकाने का भंडाफोड़ किया: 2 ग्रेनेड, 3 माइंस बरामद

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Indian Army

भारतीय सेना की रोमियो फोर्स ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के इलाके में एक पाकिस्तानी आतंकी ठिकाने को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया, अधिकारियों ने बताया, सेना विशेष अभियान समूह (एसओजी) पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही थी।

ऑपरेशन के हिस्से के रूप में, सेना ने ठिकाने से दो ग्रेनेड और तीन पाकिस्तानी माइंस बरामद किए, जो इस क्षेत्र में चल रहे खतरे को उजागर करते हैं, पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया। जवाब में, अधिकारियों ने तंगमर्ग और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में व्यापक तलाशी अभियान के साथ अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। भारतीय सेना की पहल का उद्देश्य गुलमर्ग, बारामुल्ला और गंदेरबल जिले के गगनगीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों से जुड़े संदिग्धों का पता लगाना है।

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले

इन सैन्य अभियानों की आवश्यकता 24 अक्टूबर को एक दुखद घटना के बाद पैदा हुई, जिसमें आतंकवादियों ने एक सैन्य वाहन पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप सेना के दो जवान और दो नागरिक कुली मारे गए। इसी तरह, 20 अक्टूबर को हुए एक पिछले हमले में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक सुरंग स्थल पर एक डॉक्टर और छह निर्माण श्रमिकों की जान चली गई थी, जिससे इन हमलों की लक्षित प्रकृति के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा हो गई थीं।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का आह्वान किया

इन आतंकवादी हमलों को मद्देनजर रखते हुए , जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और शिविरों के आसपास सुरक्षा प्रोटोकॉल को तत्काल बढ़ाने का आदेश दिया। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने एक व्यापक सुरक्षा ऑडिट का निर्देश दिया और प्रमुख स्थानों पर निरंतर गश्त और जाँच चौकियाँ स्थापित कीं।

इसी तरह के एक अन्य ऑपरेशन में, काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने जम्मू-कश्मीर के छह जिलों में एक बड़ा ऑपरेशन किया और एक आतंकी संगठन से जुड़े भर्तीकर्ताओं को पकड़ा। काउंटर-इंटेलिजेंस यूनिट ने बताया कि श्रीनगर, गंदेरबल, पुलवामा, अनंतनाग, बडगाम और कुलगाम सहित जिलों में छापे मारे गए।

अधिकारियों ने कहा कि वे "तहरीक लबैक या मुस्लिम" (टीएलएम) नामक नवगठित आतंकवादी संगठन के भर्ती मॉड्यूल को ध्वस्त करने में सक्षम थे, जिसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की एक शाखा बताया जाता है, जिसे बाबा हमास नामक एक पाकिस्तानी आतंकवादी संचालक द्वारा संचालित किया जा रहा था।

देखा जा रहा है की केंद्र शाषित प्रदेश के चुनाव के बाद से आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में ज़्यदा पहल करनी चालू कर दी है, इसमें लोग मुख़्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह से आस लगाए बैठे है की वो इसपर कोई सख्त कदम उठाएंगे। 

कनाडा से लौटे भारत के राजदूत ने खोला ट्रूडो के करतूतों का पिटारा, बताया भारतीय छात्रों को कैसे बरगलाते हैं खालिस्तानी आतंकी?

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कनाडा और भारत में बढ़ते तनाव के बीच वहां से लौटे हाई कमिश्नर संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो का कच्चा चिट्ठा खोला है। संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी भारतीय छात्रों को कैसे बरगलाते हैं। वर्मा ने छात्रों और उनके परिवारों को आगाह करते हुए कहा कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी और उग्रवादी तत्व भारतीय छात्रों को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत-कनाडा के कूटनीतिक संबंध बहुत ही खराब हो चले हैं। हाल ही में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया था। कनाडा के पीएम के इस आरोप के बाद भारत सरकार ने संजय वर्मा को वापस बुला लिया है। कनाडा से वापस लौटे संजय वर्मा ने एक मीडिया संस्थान को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने खुलकर बात की कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी कैसे काम करते हैं और भारतीय छात्रों को भर्ती करते हैं।

कनाडा में भारतीय छात्रों को खतरा

संजय वर्मा ने कहा कि इस समय कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों और उग्रवादियों से भारतीय समुदाय के 319,000 छात्रों को खतरा है। उन्होंने बताया कि खालिस्तानी आतंकवादी और उग्रवादी भारतीय छात्रों को नौकरी का झांसा देकर अपने नापाक इरादों को पूरा करवाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ छात्रों को भारतीय कूटनीतिक इमारतों के बाहर विरोध करने, भारत विरोधी नारे लगाने या ध्वज का अपमान करने वाली तस्वीरें और वीडियो बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है, फिर उन्हें शरण लेने के लिए कहा जाता है क्योंकि उनका कहना होगा, अगर वे भारत वापस गए, तो उन्हें दंडित किया जाएगा। ऐसे कई छात्रों को शरण दिए जाने के मामले सामने आए हैं। आगे उन्होंने बताया कि कनाडा में भारतीय छात्रों पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डाले जा रहे हैं, जो उन्हें गलत दिशा की ओर धकेल रहे हैं।

छात्रों के माता-पिता को दी ये सलाह

संजय वर्मा ने आगे कहा कि कनाडा में भारतीय छात्रों को अपने आसपास के बारे में जागरूक होना चाहिए। साथ ही खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा कट्टरपंथ के प्रयासों का विरोध करना चाहिए। उन्होंने कनाडा में रहने वाले छात्रों के माता-पिता को सलाह देते हुए अपील कि वे अपने बच्चों से नियमित रूप से बात करें और उनको समझने का प्रयास करें।

मुट्ठीभर खालिस्तानी अच्छे समाज को कर रहे खत्म

वर्मा ने आगे कहा, हमें ये समझने की जरूरत है कि खालिस्तानियों ने वहां गए भारतीयों के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है, जो दुखदायी है। जिसकी हमें चिंता होनी चाहिए। कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां के एक अच्छे समाज को खत्म कर रहे ।

एकीकृत झारखंड बिहार बंगाल का आजीवन अग्रणी क्रांतिकारी नेता रहे हैं स्वर्गीय रघुनाथ महतो
धनबाद (तोपचांची):रघुनाथ महतो का जन्म ग्राम नरकोपी उर्फ दुमदुमी, प्रखंड तोपचांची,  तत्कालीन जिला मानभूम में हुआ था।इनके पिता का नाम मेघलाल महतो था जो पेशा से कृषक थे। उनकी पत्नी का नाम माँदरी देवी था। वे तीन भाई थे - रघुनाथ महतो, चैतो महतो व महावीर महतो. भाइयों में सबसे बड़े थे। इनके  दो संतान थे एक बेटा और एक बेटी।बेटा का नाम खगेनंद्र महतो तथा बेटी का नाम देवकी था।रघुनाथ महतो की प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा नरकोपी से 37 किलोमीटर दूर एच ई हाई स्कूल धनबाद में हुई थी।यहीं रहकर माध्यमिक तक की शिक्षा पूरी की थी। इनके स्कूली सहपाठी स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो थे। उन्होंने माध्यमिक (मैट्रिक) परीक्षा 1942 ईस्वी में पास कर ली थी। वे पढ़ने - लिखने में बहुत तेज थे। अपने गांव तक ही नहीं बल्कि आस पास के गांव के लोग इनका खूब आदर और सम्मान करते थे। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा को बड़ी महत्व दिया था। इनका मानना था कि बिना पढे लिखे समाज को सही दिशा देना काफी मुस्किल काम है।
उस समय जमींदारी और महाजनी प्रथा का बोलबाला था। समाज में अन्धविश्वास चरम पर था।लोग सूदखोर और महाजन के चंगुल में जकड़े हुए थे। इसी वजह से समाज में सुधार लाने का संकल्प लिया।
वे अच्छे खासे सरकारी नौकरी में थे।कोर्ट में पेशकार थे।यहाँ उन्होंने गांव ग्राम के लोगों को बेबजह परेशान होते बहुत नजदीक से देखा। यह नौकरी उन्हें रास नहीं आई। उन्होंने पेशकार की नौकरी त्याग करना उचित समझा।वे गांव में शिक्षा का अलख जगाने के लिये वापस अपने गांव चले आए।कुछ वर्षों तक तोपचांची में वे शिक्षक की नौकरी में रहे।फिर उन्होंने त्यागपत्र देकर समाज की सेवा में जीवन अर्पित करने का मन बना लिया।वे देश दुनिया की ख़बरों से हमेशा अपडेट रहते।आमलोगों को उनकी भाषा में सरल अंदाज में समझाते रहते थे।शाम को इनके पास हमेशा लोगों की मंडली बैठी रहती थी। वे अपने पास रेडियो रखते थे। राष्ट्रीय, अतर्राष्ट्रीय और प्रादेशिक समाचार को नियमित सुनते।बीबीसी लंदन इनका पसंदीदा चेनल था।वहीँ दैनिक अख़बार में नव भारत टाइम्स, टाइम्स आफ इंडिया, टेलीग्राफ नियमित पढ़ा करते थे।इण्डिया टुडे सहित अनेकों हिंदी तथा अंग्रेजी पत्रिका भी पढ़ते और विश्लेषण करते थे। वे बंगला और असमिया पत्रिकाओं को मंगवाते और पढ़ते। इनके द्वारा दर्जनों पुस्तकें लिखी गई है।इनकी लेखनी ने समाज में खासकर शोषित बंचित मजदुर किसान नोजवान और महिलाओं को हक़ अधिकार के लिये जागृत किया है। वे लेखन कला के धनी थे।आम ग्रामीण के समझने से लेकर बड़े बड़े बुद्धिजीवी के लिये पुस्तकें लिखीं।अंग्रेजी तथा बंगला के कई पुस्तकों का इनके द्वारा अनुवाद किया गया है जिनमें प्रमुख है - The indian Big Bourgeoisie: Its Genesis, Growth and Character  का हिंदी में अनुवाद जिसका शीर्षक है - भारत के बड़े पूंजीपति लोग : इसकी उत्पत्ति, विकास और चरित्र।वे 1952 ईस्वी में देश आजादी के बाद तोपचांची पंचायत के निर्विरोध प्रथम मुखिया बने। इस पद पर रहते हुए इन्होंने कई जन कल्याण कार्य किये।जिसमें स्वास्थ्य और शिक्षा प्रमुख थे। कृषि और जंगल बचाओ पर लोगों को संवेदनशील बनाया।लोग कहते है कि देश में जब भीषण अकाल पड़ा था तब लोगों के पास खाने को अनाज नहीं था।गोंदली, मडुवा, कोदो, बाजरा खाकर गुजर कर रहे थे उस समय अपने पंचायत के जरुरतमंदों को अनाज उपलब्ध कराये थे।उन्होंने पंचायत के अलावा आसपास के कई गांव में अनाज की कोई कमी नहीं होने दी थी।समाज के कई बूढ़े बुजुर्ग उनके किये कार्यों को आज भी याद करते हैं, उनकी प्रशंसा करते थकते नहीं है।स्व. बिनोद बिहारी महतो अगुवाई में समाज में फेले कुरीतियों के खिलाफ शिवाजी समाज का गठन तथा सोनोत संथाल समाज का गठन होता है। इसी दौरान रघुनाथ महतो का जुडाव बामपंथ विचारधारा के लोगों से हुआ।कई बड़े अति बामपंथी नेताओं ने इनसे संपर्क किया। धीरे - धीरे इनका झुकाव सर्वहारा क्रांति की ओर बढ़ता गया। वे सर्वहारा क्रांति के पक्ष में लिखने का कार्य करने लगे। सरकार की गलत और दमनकारी नीतियों के घोर विरोधी थे।आपातकाल के दौरान पुलिस प्रशासन इनको गिरफ्तार करने के लिये कई बार घेराबंदी की पर पकड़ नहीं सकी।यहीं से वे भूमिगत रहने लगे। भूमिगत रहकर समाज में बदलाव की ज्वार को तेज करने लगे थे।उनकी पहचान एक समाजवादी लेखक, विचारक, क्रांतिकारी के रूप में होने लगी।
झारखंड आन्दोलन के पक्ष में स्पष्ट विचार था।एक ऐसे झारखंड का सपना था जो शोषण विहीन हो, मानव द्वारा मानव का शोषण न हो। वे अफसरशाही तथा तानाशाही प्रशासन के खिलाफ रहे। वे किसानों को सरकार की अनुदानों पर कम निर्भर रहने के लिए कहते थे।वे समाज को ईमानदारी व निष्ठा से काम करने की सलाह देते थे। इनको बंगाल व एकत्रित झारखंड बिहार बंगाल के वामपंथी विचार के बड़े लीडर के रूप में जानते हैं।कभी भी मिडिया और अख़बार के सामने स्वयं को प्रस्तुत नहीं किया.
उनके द्वारा बतलाये गये बातें आमलोगों व वंचित शोषित समाज को प्रेरणा देते रहेंगे। आज हम लोग समाज को भूलकर परिवार तक सीमित हो रहे हैं।अब समय आ गया है कि ऐसे महापुरुषों की जीवनी को जन जन तक पहुंचाएं।आगामी 26 अक्टूबर 2024 को इनकी पुण्यतिथि है।इनके गांव के दुमदुमी पंचायत सचिवालय के पास मूर्ति स्थापित की गई है।प्रत्येक वर्ष इनके स्टेच्यु पर माल्यार्पण किया जाता है।यह सन्देश दिया जाता है कि धनबाद की धरती ने एक महापुरुष को जन्म दिया था जो अब हमारे बीच नहीं है, हम उन्हें श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद करें और उनके क्रांतिकारी विचारों को आगे बढ़ाये।मेरी कलम से स्व. रघुनाथ महतो की व्यक्तित्व और कृतितव की स्मरण। जिला संगठन सचिव- सदानंद महतो, आजसू पार्टी।
Uniting Bharat: The Grannus Organization Revolutionizes Volunteering Across India

 

Imagine a world where every woman feels protected, every child is safe, the hungry are fed, and citizens unite in times of natural disasters or emergencies to support local authorities. People in India have long desired to contribute to the greater good through volunteering, but a major challenge has been how to unite these efforts on a large scale. Across the country, small social groups form to take on local tasks, but scaling these groups to a national level has been difficult—until now.

A groundbreaking solution has emerged from Ahmedabad, where the Grannus organization, a technology-driven organisation, has designed the Grannus PHPN App to bring people across Bharat together for a common purpose: helping others in need. PHPN, or "People Helping People Network," is exactly what the name suggests—a platform connecting citizens from all parts of India through cutting-edge technology. This app, powered by Grannus’ unique DGBSI SRPP/RTPP model, is particularly effective in mobilizing volunteers during emergencies.

Leadership and Vision

The Grannus PHPN project operates under the guidance of a highly respected figure in Gujarat, Geetha Johri, the former Director General of Police (DGP) of Gujarat, who now serves as the President of Grannus Organization. Alongside her, Mayank Shah, a social entrepreneur and the CEO of Grannus Organization, envisioned this platform as a means to unite people through social-interest-based integration through his unique idea of making DGBSI SRPP/RTPP model for emergency management. The brilliant coding to make this technology live was done by Chirag Patel.

“We are leveraging digitalization to tackle India's most pressing social issues,” says Mayank Shah. “Grannus connects citizens who are committed to societal betterment by organizing them based on their location and social interests. Our app facilitates everything from ensuring women’s safety, locating missing persons, and managing medical emergencies, to responding to national crises and natural disasters. We also support food donation drives and environmental initiatives. Users can register for free, select their areas of interest, and receive real-time alerts when their assistance is needed. Together, we can create a safer, more connected community.”

 A Rising Success in Gujarat

Since its launch, the Grannus PHPN app has gained viral popularity in Gujarat, even trending at number one on the Google Play Store for several days. It is now the highest-rated Indian app focused on social issues. The app has drawn praise from prominent figures, including Gujarat’s Chief Minister, Bhupendra Bhai Patel, and various IAS and IPS officers, who have commended Grannus for its successful projects, particularly during the COVID-19 pandemic.

How It Works

Joining the movement is simple. Volunteers can download the Grannus PHPN app from the Google Play Store, select their social interests—ranging from women's safety and disaster response to environmental work—and receive notifications when their help is needed. Users can choose one or more interests, and the app connects them with nearby volunteering opportunities, whether with local NGOs or during emergencies in their vicinity.

A Vision for National Impact

“Our population, often seen as a challenge, can become our greatest asset,” explains Shah. “The government is working tirelessly to address social issues, but by connecting people and empowering them with volunteering opportunities, we can solve many of our country's problems together.”

Under the administrative leadership of Geetha Johri, the project is poised to expand beyond Gujarat and make a significant impact across the nation. The Grannus PHPN app has the potential to transform India’s social landscape, bringing together communities and creating a brighter, safer future for all.


फिर दिखा पुतिन का भारत प्रेम, पीएम मोदी की यूक्रेन युद्ध पर चिंता से लेकर भारतीय फिल्मों तक पर की बात

#russianpresidentputinonpmmodiandindianfilm

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए 22-23 अक्टूबर तक रूस का दौरा करेंगे। इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी और भारतीय फिल्मों की जमकर सराहना की। पुतिन का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन युद्ध को लेकर फिक्रमंद रहते हैं।इस दौरान उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर चिंता जताने और समाधान निकालने के प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।

पीएम मोदी का जताया आभार

रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन विवाद पर सवाल हुआ था। इस पर जवाब देते हुए रूसी प्रेसीडेंट ने कहा कि जब भी बातचीत होती है तो पीएम मोदी हर बार इस मुद्दे (यूक्रेन-रूस युद्ध) को उठाते हैं और अपने विचार व्यक्त करते हैं।पुतिन ने कहा कि पीएम मोदी ने हमेशा संघर्ष के स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी हितधारकों के साथ संवाद व कूटनीति के महत्व पर जोर दिया है। इसके लिए हम पीएम मोदी आभार भी व्यक्त करते हैं।

यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति की समयसीमा तय करना आसान नहीं-पुतिन

मॉस्को में विदेशी पत्रकारों के एक समूह से बातचीत के दौरान पुतिन ने कहा कि रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन का समर्थन अमेरिका और पश्चिमी देश कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिमी देशों का सैन्य गठबंधन नाटो यूक्रेन के लिए युद्ध लड़ रहा है, जो सही नहीं है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस दौरान कहा कि यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति के लिए समयसीमा तय करना आसान नहीं है। इसकी कोई समय सीमा तय करना मुश्किल और प्रतिकूल होगा। हालांकि उन्होंने रूस की जीत का दावा जरूर किया।

पुतिन ने की भारतीय फिल्मों की सराहना

इस दौरान पुतिन ने भारतीय फिल्मों की जमकर सराहना की। साथ ही उन्होंने रूस में भारतीय फिल्मों के प्रसारण को बढ़ावा देने की संभावनाओं पर भी जोर दिया। पुतिन ने कहा कि अगर हम ब्रिक्स देशों को देखें, तो मुझे लगता है कि हमारे यहां भारतीय फिल्में सबसे लोकप्रिय हैं। एक टीवी चैनल पर तो चौबीसों घंटे भारतीय फिल्में दिखाई जाती हैं। हमें भारतीय फिल्मों में बहुत रुचि है। हम इस साल मॉस्को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में बीआरसीआईएस देशों की फिल्में पेश करेंगे।

रूस में अगले हफ्ते होगा ब्रिक्स सम्मेलन

रूस के कजान में अगले हफ्ते ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होने जा रहा है।ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की 16वीं बैठक रूस के कजान में आयोजित की जाएगी। ब्रिक्स के इस साल के शिखर सम्मेलन का विषय 'वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना' है।ग्रुप के नौ सदस्यों तक विस्तार होने के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन है। मिस्र, ईरान, इथियोपिया और यूएई इस साल दक्षिण अफ्रीका में 2023-समिट में सदस्यता की पेशकश के बाद ग्रुप में शामिल हुए थे।

इंडियन आर्मी 10+2 TES-53 भर्ती के लिए रजिस्ट्रेशन स्टार्ट, बिना आवेदन शुल्क के कर सकते हैं अप्लाई

नई दिल्ली:- इंडियन आर्मी में शामिल होने का सपना देख रहे युवाओं के लिए बड़ी खबर है। भारतीय सेना की ओर से आर्मी टेक्निकल एंट्री स्कीम (Indian Army 10+2 TES 53 Entry- July 2025 Batch) के पदों पर भर्ती निकाली है। 

इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 7 अक्टूबर से शुरू हो गई है जो निर्धारित अंतिम तिथि 5 नवंबर 2024 तक जारी रहेगी। इच्छुक एवं इस भर्ती के लिए योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी तय तिथियों के अंदर ऑनलाइन माध्यम से एप्लीकेशन फॉर्म भर सकते हैं।

बिना एप्लीकेशन फीस के साथ कर सकते हैं आवेदन

अभ्यर्थियों को बता दें कि अगर वे इस भर्ती के लिए पात्रता पूरी करते हैं तो वे बिना आवेदन शुल्क के आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं। किसी भी वर्ग के अभ्यर्थियों को आवेदन के साथ शुल्क जमा नहीं करना होगा।

कैसे करें आवेदन

अभ्यर्थी भर्ती में शामिल होने के लिए स्वयं ही आवेदन कर सकते हैं और इससे कैफे के चार्ज से बच सकते हैं। फॉर्म भरने की स्टेप्स निम्नलिखित हैं-

Indian Army 10+2 TES 53 Application Form भरने के लिए सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.nic.in पर विजिट करें।

वेबसाइट के होम पेज पर आपको आपको अप्लाई लिंक पर क्लिक करना होगा और मांगी गई डिटेल भरकर पंजीकरण करना होगा।

इसके बाद अभ्यर्थी लॉग इन के माध्यम से अन्य डिटेल भरकर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर लें।

अंत में उम्मीदवार पूर्ण रूप से भरे हुए फॉर्म को सबमिट कर दें और उसका एक प्रिंटआउट निकालकर सुरक्षित रख लें।

पात्रता एवं मापदंड

इस भर्ती में आवेदन के लिए अभ्यर्थी का 10+2 या इसके समकक्ष न्यूनतम 60 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण किया हो। इंटरमीडिएट में अभ्यर्थी के पास फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं मैथमेटिक्स विषय होने अनिवार्य हैं। इसके अलावा अभ्यर्थी ने JEE (Mains) 2024 में भाग लिया हो।

आयु सीमा

इस भर्ती में भाग लेने के लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 16 साल 6 माह एवं और अधिकतम आयु 19 साल 6 माह से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आयु की गणना 1 जुलाई 2025 को ध्यान में रखकर की जाएगी। भर्ती से जुड़ी विस्तृत डिटेल के लिए अभ्यर्थी ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं या नोटिफिकेशन का अवलोकन कर सकते हैं।

क्या बांग्लादेश में तख्तापलट की जानकारी भारत की एजेंसियों को नहीं थी?

#wereindianagenciesunawareoftheactivitiesgoingin_bangladesh

Flags of India & Bangladesh

भारत बांग्लादेश में अशांति पर कड़ी नज़र रख रहा है, जो एक पड़ोसी देश होने के साथ-साथ नई दिल्ली के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है। यह हज़ारों भारतीय छात्रों का अस्थायी घर भी है। बांग्लादेश में छात्र समूहों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने और हाल की हिंसा के लिए माफ़ी मांगने की उनकी मांग को पूरा करने में विफल रहने के बाद हसीना के 16 साल के शासन से नाराज़गी जताते हुए उन्हें देश छोड़ने को मजबूर कर दिया था। लेकिन नई दिल्ली ने इसपर कोई भी पूर्व प्रतिक्रिया जारी नई की थी, जिसके कारण लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या भारत की ख़ुफ़िया एजेंसीज ने इस घटना को लेकर भारत सरकार को कोई चेतवानी नई दी थी। 

"भारत देश में चल रही स्थिति को बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा था, "बांग्लादेश सरकार के समर्थन और सहयोग से हम अपने छात्रों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने में सक्षम हैं।"

देश में हिंसक झड़पों के बीच बांग्लादेश से करीब 6,700 भारतीय छात्र वापस लौटे थे

जायसवाल ने कहा, "एक करीबी पड़ोसी होने के नाते जिसके साथ हमारे बहुत ही मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, हमें उम्मीद है कि देश में स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।"

सुरक्षा, व्यापार और कूटनीति के लिए बांग्लादेश महत्वपूर्ण

भारत के लिए, सामान्य स्थिति में लौटने का मतलब है हसीना का सत्ता में लौटना, आंशिक रूप से सुरक्षा कारणों से दोनों देश 4,100 किलोमीटर लंबी (2,500 मील) छिद्रपूर्ण सीमा साझा करते हैं, जिसका मानव तस्कर और आतंकवादी समूह फायदा उठा सकते हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के भारतीय राज्यों के साथ सीमा साझा करता है, जो हिंसक विद्रोहों के लिए असुरक्षित हैं। बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने बताया भारत ने पड़ोसी देश में जन समर्थन और सद्भावना बनाने के लिए निवेश किया है। "बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति उसे बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल वाले उप-क्षेत्र के विकास में एक हितधारक बनाती है। इस क्षेत्र में बांग्लादेश के उत्तर और पूर्व में स्थित भारतीय राज्य शामिल हैं। भारत के पूर्वोत्तर में स्थित ये राज्य कभी अविभाजित भारत में आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत थे," चक्रवर्ती ने बताया। अब, बांग्लादेश और भारत परिवहन संपर्क को बढ़ावा देने और "विभाजन-पूर्व युग में जो मौजूद था उसे बहाल करने" के लिए काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा।

ढाका को अरबों का ऋण

भारत, बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण पूर्वी बफर के रूप में पहचानता है और अपने बंदरगाहों और बिजली ग्रिड तक पहुँच के माध्यम से महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है। नई दिल्ली ने अब तक ढाका को लगभग 8 बिलियन डॉलर (€7.39 बिलियन) की ऋण रेखाएँ दी हैं, जिसका उपयोग विकास परियोजनाओं, बुनियादी ढाँचे के निर्माण और डीजल की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन के निर्माण के लिए किया जाता है। देश में निवेश करने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियों में मैरिको, इमामी, डाबर, एशियन पेंट्स और टाटा मोटर्स शामिल हैं।

छात्र विरोध प्रदर्शनों के बढ़ने से इन कंपनियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के संजय भारद्वाज ने कहा, "भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध उनके साझा इतिहास, जटिल सामाजिक-आर्थिक अंतरनिर्भरता और उनकी भू-राजनीतिक स्थिति में अंतर्निहित हैं। क्षेत्र में कोई भी टकराव वाली राजनीति और राजनीतिक अस्थिरता आतंकवाद, कट्टरवाद, उग्रवाद और पलायन की समस्याओं को आमंत्रित करती है।" उन्होंने कहा, "हिंसक विरोध और राजनीतिक अस्थिरता हिंसा के चक्र को जन्म देगी और लोग भारत की ओर पलायन करेंगे।" भारत और चीन के बीच टकराव हाल के वर्षों में, भारत और चीन दोनों ने बांग्लादेश में अपने आर्थिक दांव बढ़ाए हैं, जो दोनों देशों की बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में बदल रहा है। बांग्लादेश के साथ घनिष्ठ संबंधों का दावा करने के बावजूद, कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि भारतीय नीति निर्माता बांग्लादेश की आबादी के कुछ हिस्सों में व्याप्त भारत विरोधी भावना को समझने में संघर्ष करते हैं। इसका कुछ कारण नई दिल्ली द्वारा सत्तारूढ़ अवामी लीग को समर्थन देना हो सकता है। 

इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो, हसीना सरकार की हालिया विफलताएं और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, साथ ही स्थानीय इस्लामिस्ट पार्टियों का मजबूत होना भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। फिर भी, भारत स्थित जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता का मानना ​​है कि छात्र विरोध प्रदर्शनों पर हसीना सरकार की अतिवादी प्रतिक्रिया को उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने विपक्षी दलों और इस्लामिस्ट छात्रों पर हिंसा का सारा दोष मढ़ने के बांग्लादेशी अधिकारियों के प्रयास की आलोचना की। दत्ता ने कहा कि सरकार की "गैर-प्रतिक्रिया और अपमानजनक टिप्पणियों" की प्रतिक्रिया के रूप में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए।

Demand for Bharat Ratna to Dr. Sachchidanand Sinha by Sunny Sinha, Patron of Samanta Sangram Samiti

Sunny Sinha, the patron of the Samanta Sangram Samiti, recently demanded that Dr. Sachchidanand Sinha, the first president of the Constituent Assembly of India, be honored with the Bharat Ratna. His proposal highlights the significance of Dr. Sinha’s contributions to the creation of the Indian Constitution. Sunny Sinha stated that Dr. Sachchidanand Sinha was not only the first president of the Constituent Assembly but also played an invaluable role in Indian politics, social justice, and constitutional reforms.

Dr. Sachchidanand Sinha: An Introduction

Dr. Sachchidanand Sinha was born on November 10, 1871, in Patna, Bihar. Before becoming the president of the Constituent Assembly, he was a renowned lawyer and academician. Even before India’s independence, he emphasized constitutional reforms and worked to bring together various sections of Indian society. Recognizing his contributions, he was elected as the first president of the Constituent Assembly, where he helped lay the foundation for the country’s future.

Demand for Bharat Ratna

Sunny Sinha believes that Dr. Sachchidanand Sinha’s pivotal role in the formation of the Constituent Assembly and in shaping the direction of the Constitution makes him deserving of the Bharat Ratna. He noted that the Bharat Ratna is the highest civilian honor in India and is awarded to individuals who have made extraordinary contributions to the nation. Dr. Sinha’s life and work reflect his deep commitment to the country, making him a worthy recipient of this prestigious award.

Impact on Society

The initiative by the Samanta Sangram Samiti not only seeks to recognize the contributions of Dr. Sachchidanand Sinha but also ensures that all the great leaders involved in the making of the Constituent Assembly receive due respect. This demand also aims to strengthen the values and ideals for which Dr. Sinha fought throughout his life. Sunny Sinha’s effort can serve as a meaningful step in passing on the importance of the Indian Constitution and its history to future generations.

Conclusion

Dr. Sachchidanand Sinha’s name is etched in golden letters in the history of the Indian Constitution. His leadership and vision provided a strong foundation for Indian democracy. Therefore, the demand to honor him with the Bharat Ratna is not only appropriate but also a fitting way to acknowledge his service to Indian society and democracy.