हरियाणा में मंत्रालयों का बंटवारा, सीएम सैनी के पास गृह-वित्त समेत कुल 12 विभाग,जानें और किसे क्या मिला

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हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रविवार देर रात अपनी कैबिनेट के विभागों का बंटवारा कर दिया। सीएम ने गृह, वित्त और आबकारी समेत कुल 12 विभाग अपने पास रखे हैं, जबकि सात बार के विधायक व सबसे वरिष्ठ नेता अनिल विज को ऊर्जा, ट्रांसपोर्ट और श्रम विभाग दिया गया है। विपुल गोयल को भी भारी भरकम विभाग दिए गए हैं। उनके पास रेवेन्यू व डिजास्टर, निकाय विभाग, सिविल एविएशन विभाग रहेगा।

किसे मिला कौन सा मंत्रालय?

-अनिल विज ऊर्जा, परिवहन और श्रम विभाग के मंत्री होंगे।

-कृष्णलाल पंवार पंचायत और खनन मंत्री बनाए गए हैं।

-राव नरबीर सिंह उद्योग एवं वाणिज्य, पर्यावरण वन समेत 4 विभाग के मंत्री होंगे।

-महिपाल ढांडा स्कूल शिक्षा, उच्चतर शिक्षा और संसदीय कार्य मंत्री होंगे।

-विपुल गोयल को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, स्थानीय निकाय और सिविल एविएशन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

-अरविंद शर्मा को सहकारिता, जेल एवं पर्यटन समेत 4 विभाग दिए गए हैं।

-श्याम सिंह राणा को कृषि, पशुपालन एवं डेयरिंग और मत्स्य विभाग का मंत्री बनाया गया।

-रणबीर गंगवा को जनस्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया।

-कृष्ण कुमार बेदी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता समेत 3 विभाग मिले।

-श्रुति चौधरी को महिला एवं बाल विकास और सिंचाई विभाग की मंत्री बनाया गया।

-आरती राव को स्वास्थ्य, मेडिकल एजुकेशन और आयुष विभाग की मंत्री बनाया गया।

-राजेश नागर को खाद्य एवं आपूर्ति एवं प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग की जिम्मेदारी मिली।

-गौरव गौतम को खेल समेत 3 विभाग का मंत्री बनाया गया।

बता दें कि आठ अक्टूबर को जब हरियाणा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को राज्य में ऐतिहासिक जीत मिली। बीजेपी ने हरियाणा ने जीत की हैट्रिक लगाई है।पिछले 10 से हरियाणा की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। बीजेपी को 48 सीटें मिलीं। हरियाणा में नई सरकार के गठन को लेकर विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में नायब सिंह सैनी को एक बार फिर से विधायक दल का नेता चुना गया और राज्य की कमान एक बार फिर से उन्हीं को सौंपने का फैसला किया गया।

नायब सिंह सैनी ही होंगे हरियाणा के सीएम, चुने गए विधायक दल के नेता, कल शपथ ग्रहण

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हरियाणा में बीजेपी ने विधायक दल का नेता चुन लिया है। नायब सिंह सैनी एक बार फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हुई बैठक में नायब सिंह सैनी को सर्वसम्मित से फिर से मुख्यमंत्री चुना गया। गुरुवार यानी 17 अक्टूबर को हरियाणा में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा।

आज गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें उन्हें नेता चुना गया। हरियाणा प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सह-प्रभारी विप्लव देब, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी बैठक में मौजूद रहे। अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को इस बैठक के लिए बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। पंचकूला के बीजेपी ऑफिस में बैठक हुई।

शाह ने कहा कि बैठक में एक ही प्रस्ताव मिला जो नायब सिंह सैनी के नाम का था। मैं उनका नाम घोषित करता हूं। नायब सैनी को बहुत बहुत बधाई देता हूं।

बीजेपी के अनिल विज और राव इंद्रजीत सिंह ने भी सीएम पद पर दावेदारी ठोकी थी। लेकिन पार्टी ने एक बार फिर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है। मीटिंग में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। अनिल विज और मनोहर लाल खट्टर ने सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा।

सैनी गुरुवार को पंचकूला में शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। गृहमंत्री अमित शाह रात को चंडीगढ़ के ललित होटल में रुकेंगे। गुरुवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद पीएम नरेंद्र मोदी हरियाणा राजभवन में मीटिंग लेंगे। भाजपा ने अपने सभी 48 विधायकों को अगले दो दिन चंडीगढ़ में ही रहने के निर्देश जारी किए हैं। होटल ललित और हरियाणा राजभवन सेक्टर-6 में काफी संख्या में पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है।वहीं होटल हयात में छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इनमें बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड और पुड्डूचेरी के सीएम शामिल हैं।

हरियाणा में कौन होगा सीएम? दावेदारों की भरमार, आज विधायक दल की बैठक में होगा फैसला

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हरियाणा में लगातार दो बार सरकार चलाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सूबे के चुनावी इतिहास का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए लगातार तीसरी बार सत्ता मे लौटी है।बीजेपी ने सूबे में सरकार गठन की कवायद तेज कर दी है। शपथग्रहण के लिए 17 अक्टूबर की तारीख तय हो चुकी है। ऐसे में बुधवार यानी आज पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई गई है जिसमें विधायक दल का नया नेता चुना जाएगा। विधायक दल की बैठक के लिए बीजेपी ने गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री मोहन यादव को पर्यवेक्षक बनाया है।

विधायक दल की बैठक के बाद ही तय होगा कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। बीजेपी की जीत के बाद से अनिल विज और राव इंद्रजीत सिंह का नाम सीएम पद के लिए चर्चा में है। मुख्यमंत्री पद के लिए तीन दावेदारी की वजह से ही अमित शाह खुद पर्यवेक्षक की भूमिका में हैं ताकि कोई गड़बड़ी न हो। हालांकि, चुनाव के दौरान पंचकूला में अमित शाह कह चुके हैं कि नायब सिंह ही अगले मुख्यमंत्री रहेंगे।

अमित शाह ज्यादातर चुनावी राज्यों में संगठन से रणनीति तक पार्टी के पेंच दुरुस्त करने का दायित्व निभाते आए हैं। पार्टी में चाणक्य’ की भूमिका निभाते आए हैं, लेकिन इस बार अमित शाह जैसे दिग्गज नेता को पर्यवेक्षक बनाए जाने के बाद अटकलों का बाजार गर्म है। क्या पार्टी फिर से कोई सरप्राइजिंग फेस लाने की तैयारी में तो नहीं है?

बता दें कि बीजेपी ने हरियाणा में 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी अकेले दम पर बहुमत हासिल कर लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी कर चुकी है। पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के तौर पर किसी का चेहरा आगे नहीं किया गया था। हलांकि, सियासी जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से हटाकर केंद्र की राजनीति में लाना और नायब सिंह सैनी को सीएम बनाने का दांव बीजेपी के लिए रामबाण साबित हुआ।

17 अक्टूबर को दूसरी बार हरियाणा सीएम पद की शपथ लेंगे नायाब सिंह सैनी, पीएम मोदी भी होंगे शामिल

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नायब सिंह सैनी दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के करीब नौ दिन बाद यानि 17 अक्टूबर, 2024 को नायब सिंह सैनी प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। पंचकूला के दशहरा ग्राउंड में सैनी दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेंगे, जिससे वह अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे। पीएम मोदी समेत कई वरिष्ठ नेता इस शपथ समारोह में उपस्थित रहेंगे।

पहले शपथ ग्रहण समारोह 10 अक्टूबर को होना था, लेकिन किसी कारण इसकी तारीख बदल दी गई।नायब सैनी का मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने के साथ, 10-11 नेता मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। बताया जा रहा है कि हरियाणा सरकार की नई कैबिनेट में अनिल विज, कृष्ण लाल मिड्ढा, श्रुति चौधरी, अरविंद कुमार शर्मा, विपुल गोयल , निखिल मदान को जगह मिल सकती है।

शपथ ग्रहण समारोह में लगभग 50 हजार लोगों के उपस्थित रहने की संभावना है। समारोह में भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। इसके अलावा कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहेंगे।

नायाब सिंह सैनी को बीजेपी ने मार्च 2024 में मुख्यमंत्री का पद सौंपा था। साढ़े नौ साल के कार्यकाल के बाद मनोहर लाल खट्टर को हटाकर उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया था। सैनी के नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में शानदार जीत दर्ज की है। बीजेपी ने राज्य में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में 90 में से 48 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है। ऐसा करने वाली वह राज्य में पहली पार्टी है। कांग्रेस को इन चुनावों से बहुत उम्मीद थी, लेकिन पार्टी अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद बहुमत से दूर रह गई।

हरियाणा हार पर ओवैसी ने कांग्रेस से किए सवाल, कहा- हम चुनाव नहीं लड़े तो मोदी कैसे जीते?

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हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजे आए चार दिन हो गए हैं। अब तो सरकार गठन की तारीख भी तय हो गई है। 17 अक्टूबर को हरियाणा में लगातार तीसरी बार बीजेपी सरकार का शपथ ग्रहण होने वाला है। हालांकि, अब तक राज्य में कांग्रेस की हार की चर्चा खत्म नहीं हुई है। इस बीच एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस को जमकर लपेटा। उन्होंने कहा कि हरियाणा में एआईएमआईएम चुनाव नहीं लड़ी फिर कैसे बीजेपी जीत गई?

ओवैसी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि मोदी जी हरियाणा का इलेक्शन गलती से जीत गए। अब कैसे जीत गए मैं तो वहां पर नहीं था। वरना बोलते बी टीम-बी टीम। ये लोग गए तो ऐसा किए वैसा किए। मगर ये वहां पर हार गए। हारने वालों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों हारे और किस वजह से हारे?

कांग्रेस को ओवैसी की नसीहत

ओवैसी ने आगे कहा, मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि पार्टी मेरी बात समझने की कोशिश करें। अभी भी समय है, अगर मोदी को हराना है तो सबको साथ लेकर चलना होगा। आप अकेले कुछ नहीं कर सकते।

हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार शानदार जीत हासिल की है। बीजेपी ने कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हरियाणा में बीजेपी ने 90 विधानसभा सीट में से 48 सीट जीतीं, जो सरकार बनाने के लिए 46 के जादुई आंकड़े से कहीं अधिक हैं।

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में “तकरार”, पार्टी के ही नेता खड़े कर रहे सवाल

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ऐसी हार का सामना करना पड़ा है कि वो इस जख्म को भूल नहीं सकेही। वो पार्टी जिसे एग्जिट पोल में हाथों हाथ लिया जाता है, जो रूझानों में बहुमत पार कर लेती है लेकिन रिजल्ट उसके विपरित आता है। इस हार को लेकर कांग्रेस में सिर फुटव्वल जारी है। खुद राहुल गांधी भी ये मान चुके हैं कि हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट ऊपर रहा, जबकि पार्टी का इंटरेस्ट नीचे चला गया। राहुल गांधी के बाद कांग्रेस ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने भी कांग्रेस की हार को लेकर गुटबाजी और मिस मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया है।

लालू यादव के समधी और हुड्डा के कट्टर विरोधी कैप्टन अजय यादव ने एक एक करके हार के कारण भी गिनाए हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर तो हुड्डा का नाम नहीं लिया, लेकिन सीएम पोस्ट के बहाने उन्हें घेरा। अजय सिंह यादव ने कह कि जब चुनाव होते हैं तो सबसे बड़ा गोल जीत होती है। लेकिन इस दौरान सीएम की पोस्ट के लेकर लगातार खींचतान होती रही। जो कि मीडिया में लगातार सुर्खियां बनी रही और यह पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं था। वह कहते है कि पहले जीत हासिल करनी चाहिए थे और फिर सीएम के पद पर दावा ठोका जा सकता था। यह अकेले तय नहीं होता है और विधायक तय करते हैं।

ओबीसी समाज का वोट बैंक भाजपा को जाने पर अजय यादव ने कहा, कांग्रेस कार्यसमिति, पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति या हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति में अहीरवाल का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। पार्टी ने मुझे ओबीसी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है, जिसका कोई फायदा नहीं है, क्योंकि यह शक्तिहीन है। हम चुनाव हार गए, क्योंकि राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ कोई समन्वय नहीं था। उन्होंने कहा कि ओबीसी के नाम पर हमें झुनझुना पकड़ाया हुआ है। कांग्रेस में ओबीसी समाज की कोई वैल्यू नहीं है। जब कोई वैल्यू नहीं है तो वह कांग्रेस को वोट क्यों देगा। यादव ने कहा कि पंजाबी समाज, वैश्य समाज, ब्राह्मण समाज इनकी भी अनदेखी हुई। इनके नेताओं के फोटो तक पोस्टरों पर नहीं लगाए गए। पार्टी केवल चार लोगों के नाम से नहीं चलेगी।

अजय यादव ने पार्टी नेतृत्व पर भी विफलता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, जब पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया अस्पताल में भर्ती थे, तो उनका कार्यभार किसी दूसरे नेता को क्यों नहीं सौंपी गई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान खुद चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए वे उचित फीडबैक लेने और रणनीति को अंतिम रूप देने में उम्मीदवारों की मदद करने में विफल रहे। अजय यादव ने आगे कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेताओं ने उनसे राहुल गांधी के रोड शो की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन नेता कभी उनके क्षेत्र में नहीं आए।

बता दें कि कैप्टन अजय यादव रेवाड़ी से लगातार विधायक बनते रहे हैं और वह मंत्री भी रहे हैं। लेकिन इस चुनाव में उनका बेटा चिरंजीवी राव भी हार गया। लालू यादव के दामाद चिरंजीवी बीते 2019 के चुनाव में यहां से जीते थे।

हरियाणा हार के बाद कांग्रेस ने बदली रणनीति, चुनाव आयोग पर हमले के लिए ईवीएम नहीं होगा ‘हथियार”

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हरियाणा में बीजेपी तीसरी बार स्पष्ट बहुमत हासिल कर सरकार बनाने जा रही है।पार्टी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है, वहीं कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई है। इन नतीजों को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए।कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया था कि हिसार, महेंद्रगढ़ और पानीपत से शिकायतें मिली हैं कि 99 प्रतिशत बैटरी वाली ईवीएम पर भाजपा जीती, जबकि 60-70 प्रतिशत बैटरी वाली ईवीएम पर कांग्रेस जीती। वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे साजिश करार दिया था। हालांकि, हरियाणा में करारी हार के लिए ईवीएम पर आरोप लगाने वाली कांग्रेस ने अब रणनीति बदलने का फैसला किया है।

दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को हरियाणा में हार पर एक समीक्षा बैठक बुलाई थी। जिसमें ये फैसला लिया गया कि पार्टी अब अंदरूनी गुटबाजी और दूसरी कमजोरियों को दूर करने पर अपना फोकस करेगी जिसके कारण सफलता नहीं मिल सकी।

कांग्रेस के अंदर से ही आवाज उठने लगी कि हरियाणा में लीडरशिप की कुव्यवस्था साफ दिखी जिस वजह से पार्टी को वहां हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव परिणाम पर इसी अंदरूनी खींचतान पर कांग्रेस नेतृत्व को फिलहाल चुनाव आयोग पर सवाल उठाने से बचने को मजबूर होना पड़ा। इसकी जगह यह तय हुआ कि प्रत्याशियों की शिकायतों और खामियों की जांच की जिम्मेदारी के लिए पार्टी एक टेक्निकल टीम का गठन करेगी।

इसके तहत फिलहाल वे कुछ भी गलत होने से संबंधित 'ठोस सबूत' जुटाने के बाद ही चुनावी हार के लिए ईवीएम पर दोष मढ़ेंगे। बाद में खरगे ऑफिस से जारी बयान में बताया गया कि पार्टी ने उम्मीदवारों की शिकायतों और विसंगतियों की जांच करने के लिए एक टीम बनाने का फैसला किया है। इसमें कहा गया है, कांग्रेस मतगणना प्रक्रिया और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के कामकाज पर फैक्ट-फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट के आधार पर विस्तृत प्रतिक्रिया देगी।

कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणामों की चर्चा के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर बैठक की थी। इसमें खरगे के अलावा राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, दीपक बावरिया और अशोक गहलोत शामिल थे। हरियाणा के किसी भी नेता को इसमें आने का बुलावा नहीं भेजा गया था। हरियाणा में हुआ क्या, इसकी जानकारी जुटाने के लिए वहां राष्ट्रीय नेतृत्व की तरफ से नियुक्त अधिकारियों को ही बुलाया गया था। हरियाणा के नेताओं भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला जैसे नेताओं को अगली बैठक में बुलाया जा सकता है।

हरियाणा चुनाव के बाद “आप” की राह नहीं आसान, दिल्ली में भी बढ़ेगा तनाव!*
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दिल्ली की सत्ता में 2013 से काबिज आम आदमी पार्टी ने पंजाब में चुनाव जीतकर सरकार बनाई। इसके बाद से पार्टी ने कई चुनाव लड़े और राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन गई। लेकिन इस बार हरियाणा के चुनाव में आम आदमी पार्टी गर्त में गोते लगाते दिखी। हरियाणा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक राष्ट्रीय पार्टी ने 88 सीटों पर चुनाव लड़ा हो और उसकी 87 सीटों के उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई हो। सिर्फ़ दो सीटों पर ही पार्टी उम्मीदवारों को 10 हज़ार से अधिक वोट मिल सके। आम आदमी पार्टी को हरियाणा में दो प्रतिशत से भी कम मत मिले और पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी। हरियाणा चुनाव में ये हाल आम आदमी पार्टी का हुआ है। हरियाणा में आप का ये हाल तब हुआ जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का गृह प्रदेश है।मूलरूप से भिवानी में सिवानी के रहने वाले अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा में दर्जनों रैलियां कीं और ख़ुद को ‘हरियाणा का लाल’ बताकर वोट मांगे।कथित शराब घोटाले में जाँच का सामना कर रहे और ज़मानत पर जेल से रिहा अरविंद केजरीवाल ने ‘ईमानदार सरकार’ देने का वादा किया लेकिन जनता ने उन्हें और उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को पूरी तरह नकार दिया। दिल्ली जैसी मुफ़्त बिजली देने, मोहल्ला क्लिनिक खोलने, मुफ़्त और अच्छी शिक्षा देने के अलावा पार्टी ने कई वादे किए, बेरोज़गारी को मुद्दा बनाया और जमकर बीजेपी पर निशाना साधा। लेकिन हरियाणा के मतदाताओं ने केजरीवाल और उनकी पार्टी को तवज्जो नहीं दी। चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन का प्रयास किया, लेकिन जब बात नहीं बनीं तो अंत में पार्टी ने अकेले 90 में से 88 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फ़ैसला किया। इससे कुछ महीने पहले ही हरियाणा में लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ी थी और इंडिया गठबंधन ने हरियाणा में 47 फ़ीसदी मत और दस में से पांच सीटें हासिल की थीं। विधानसभा चुनावों की आहट के बीच, पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ने के प्रयास शुरू कर दिए थे और कांग्रेस से बातचीत के दौरान ही, अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल हरियाणा में रैलियां कर रहीं थीं। जब कांग्रेस से बात नहीं बनीं तो चुनावी रैलियों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी अहम खिलाड़ी बनकर उभरेगी और बिना उनकी पार्टी के हरियाणा में सरकार नहीं बनेगी। हालांकि, नतीजे पार्टी की उम्मीदों के बिल्कुल उलट रहे। हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या इसका असर दिल्ली के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा? हरियाणा में मुंह की खाने के बाद इस बार खुद पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने नेताओं को अति आत्मविश्वास और आपसी कलह से बचने की सलाह तो दी ही है, साथ ही ये नसीहत भी दी है कि वे चुनाव को हल्के में ना लें।इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि आम आदमी पार्टी भी इन नतीजों के बाद सतर्क हो गई है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने बुधवार को आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के संकेत दिए हैं। आम आदमी पार्टी के पास इस समय दिल्ली में प्रचंड बहुमत है।दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पास एक समर्थित वोट बैंक है। खासकर दिल्ली के गरीब और पिछड़े वर्ग के लोग आम आदमी पार्टी के साथ एक जुड़ाव महसूस करते हैं। फ़्री बिजली दिल्ली में एक बड़े वर्ग के लिए सबसे अहम मुद्दा है और शायद आगे भी ऐसा ही रहे। ऐसे में, ये नहीं कहा जा सकता कि हरियाणा के चुनाव नतीजों का कुछ ख़ास असर दिल्ली चुनावों पर भी होगा।
हरियाणा में एमपी-राजस्थान की तरह होंगे 2 डिप्टी सीएम! सैनी कैबिनेट में ये चेहरे हो सकते हैं शामिल

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हरियाणा चुनाव के परिणाम आने के बाद सरकार गठन की कवायद शुरू हो गई हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद बाद प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। कहा जा रहा है कि विजयदशमी के दिन नई सरकार का शपथग्रहण हो सकता है।चर्चाएं हैं कि हरियाणा में भाजपा दो डिप्टी सीएम बना सकती है। इसमें एक दलित तो दूसरा यादव समाज से हो सकता है।

चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी ने कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन पार्टी के बड़े नेता पहले ही नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री का चेहरा बता चुके हैं। हरियाणा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान तो साफ-साफ कह चुके हैं कि सरकार आने पर सैनी ही मुख्यमंत्री बनेंगे। ऐसे में कहा जा रहा है कि सैनी ही हरियाणा के नए मुख्यमंत्री हो सकते हैं। जल्द ही पार्टी की तरफ से इसकी आधिकारिक घोषणा को लेकर प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल 14 मंत्री हो सकते हैं। पिछली सरकार के 8 मंत्री चुनाव हार चुके हैं। 3 मंत्रियों के टिकट काटे गए थे। सिर्फ 2 मंत्री चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। इसका मतलब है कि भाजपा को 11 नए चेहरों की तलाश करनी होगी। अनिल विज वो सीनियर नेता हैं जिन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी है। अनिल विज को मंत्री पद मिल सकता है। बीजेपी जाटों, ब्राह्मणों, पंजाबी और दलितों सहित राज्य की विभिन्न जातियों को ध्यान में रखकर कैबिनेट का गठन करेगी।

बीजेपी के पक्ष में दलित, अहीर, गुर्जर और अन्य गैर-जाट ओबीसी के साथ ब्राह्मण और राजपूतों ने भी जमकर मतदान किया है। ऐसे में सरकार में इन जातियों का सियासी दबदबा दिख सकता है। बीजेपी के पास अब दलित समुदाय से नौ विधायक हैं, आठ पंजाबी मूल के, सात ब्राह्मण और जाटों और यादवों में से प्रत्येक के छह विधायक हैं। पार्टी के पास गुर्जर, राजपूत, वैश्य और एक ओबीसी नेता भी हैं।

 

नौ दलित विधायकों में एक हैं छह बार के विधायक कृष्ण लाल पंवार और दूसरे हैं दो बार के विधायक कृष्णा बेदी। पंजाबी मूल के आठ लोगों में सात बार के विधायक और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज हैं, जो मार्च में मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के बाद नाराज हो गए थे। जींद के विधायक कृष्ण मिड्ढा भी इस रेस में हैं, जिन्होंने लगातार तीसरी बार अपनी सीट जीती है। एक और अब तीन बार के विधायक यमुनानगर से घनश्याम दास अरोड़ा हैं। लेकिन उनकी नियुक्ति को छोड़ दिया जा सकता है क्योंकि उनकी सीट अम्बाला क्षेत्र के भीतर है। अरोड़ा को हांसी से तीन बार के विधायक विनोद भयाना के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है।

ब्राह्मण चेहरों में बल्लभगढ़ से तीन बार के विधायक मूल चंद शर्मा शामिल हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में बरकरार रखा जा सकता है। एक और संभावित दो बार के लोकसभा सांसद अरविंद शर्मा हैं जिन्होंने गोहाना जीता। राम कुमार गौतम, जिन्होंने सफीदों को जीत दिलाई, जिसे भाजपा ने कभी नहीं जीता था। भाजपा के लिए अहीरवाल बेल्ट के छह विधायक महत्वपूर्ण हैं जिन्होंने एक बार फिर पार्टी को भारी मतों से वोट दिया। इनमें बादशाहपुर से छह बार के विधायक राव नरबीर सिंह हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने पहली बार अटेली सीट जीती है, लेकिन उनका नाम शॉर्टलिस्ट में है। साथ ही दो बार के विधायक लक्ष्मण यादव का नाम भी है।

जाट नेता महीपाल ढांडा अब पानीपत (ग्रामीण) से दो बार के विधायक हैं और उनके बरकरार रहने की संभावना है। राई से दूसरी बार चुने गए कृष्ण गहलोत भी इस दौड़ में शामिल हैं। एक संभावित बड़ा नया नाम पार्टी के राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी का है। अन्य संभावित उम्मीदवारों में वैश्य समुदाय के पूर्व मंत्री विपुल गोयल शामिल हैं। हरियाणा में सबसे अमीर महिला और हिसार से निर्दलीय विधायक सावित्री जिंदल ने औपचारिक रूप से भाजपा को अपना समर्थन दे दिया है। इससे उनके नए मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है।

हरियाणा में हार के बाद राहुल गांधी का बड़ा बयान, बोले- पार्टी की जगह अपना इंटरेस्ट ऊपर रखा

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतते-जीतते हार गई। इसके साथ कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हरियार में हार का मुंह देखना पड़ा है। कांग्रेस राज्य में केवल 37 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के ने आज समीक्षा बैठक की। गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर बैठक हुई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान राहुल ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा का नाम लिए बिना बड़ी बात कही। उन्होंने साफतौर पर कहा कि नेताओं ने पार्टी की जगह अपना हित देखा।

सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में राहुल गांधी हरियाणा में कांग्रेस को मिली हार की वजह प्रदेश कांग्रेस के नेताओं बताया। हालांकि उन्‍होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्‍होंने जो बयान दिया, उससे उनकी नाराजगी साफ जाहिर हुई। उन्‍होंने कहा कि हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट ऊपर रहा, जबकि पार्टी का इंटरेस्ट नीचे चला गया।

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हार के कारणों का पता लगाने के लिए एक समिति बनाएगी। कमेटी ये पता करेगी कि उसे चुनाव में क्यों और कैसे हार मिली. समिति में कौन-कौन होगा, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है।

हरियाणा में मंत्रालयों का बंटवारा, सीएम सैनी के पास गृह-वित्त समेत कुल 12 विभाग,जानें और किसे क्या मिला

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हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रविवार देर रात अपनी कैबिनेट के विभागों का बंटवारा कर दिया। सीएम ने गृह, वित्त और आबकारी समेत कुल 12 विभाग अपने पास रखे हैं, जबकि सात बार के विधायक व सबसे वरिष्ठ नेता अनिल विज को ऊर्जा, ट्रांसपोर्ट और श्रम विभाग दिया गया है। विपुल गोयल को भी भारी भरकम विभाग दिए गए हैं। उनके पास रेवेन्यू व डिजास्टर, निकाय विभाग, सिविल एविएशन विभाग रहेगा।

किसे मिला कौन सा मंत्रालय?

-अनिल विज ऊर्जा, परिवहन और श्रम विभाग के मंत्री होंगे।

-कृष्णलाल पंवार पंचायत और खनन मंत्री बनाए गए हैं।

-राव नरबीर सिंह उद्योग एवं वाणिज्य, पर्यावरण वन समेत 4 विभाग के मंत्री होंगे।

-महिपाल ढांडा स्कूल शिक्षा, उच्चतर शिक्षा और संसदीय कार्य मंत्री होंगे।

-विपुल गोयल को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, स्थानीय निकाय और सिविल एविएशन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

-अरविंद शर्मा को सहकारिता, जेल एवं पर्यटन समेत 4 विभाग दिए गए हैं।

-श्याम सिंह राणा को कृषि, पशुपालन एवं डेयरिंग और मत्स्य विभाग का मंत्री बनाया गया।

-रणबीर गंगवा को जनस्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया।

-कृष्ण कुमार बेदी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता समेत 3 विभाग मिले।

-श्रुति चौधरी को महिला एवं बाल विकास और सिंचाई विभाग की मंत्री बनाया गया।

-आरती राव को स्वास्थ्य, मेडिकल एजुकेशन और आयुष विभाग की मंत्री बनाया गया।

-राजेश नागर को खाद्य एवं आपूर्ति एवं प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग की जिम्मेदारी मिली।

-गौरव गौतम को खेल समेत 3 विभाग का मंत्री बनाया गया।

बता दें कि आठ अक्टूबर को जब हरियाणा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को राज्य में ऐतिहासिक जीत मिली। बीजेपी ने हरियाणा ने जीत की हैट्रिक लगाई है।पिछले 10 से हरियाणा की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। बीजेपी को 48 सीटें मिलीं। हरियाणा में नई सरकार के गठन को लेकर विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में नायब सिंह सैनी को एक बार फिर से विधायक दल का नेता चुना गया और राज्य की कमान एक बार फिर से उन्हीं को सौंपने का फैसला किया गया।

नायब सिंह सैनी ही होंगे हरियाणा के सीएम, चुने गए विधायक दल के नेता, कल शपथ ग्रहण

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हरियाणा में बीजेपी ने विधायक दल का नेता चुन लिया है। नायब सिंह सैनी एक बार फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हुई बैठक में नायब सिंह सैनी को सर्वसम्मित से फिर से मुख्यमंत्री चुना गया। गुरुवार यानी 17 अक्टूबर को हरियाणा में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा।

आज गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें उन्हें नेता चुना गया। हरियाणा प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सह-प्रभारी विप्लव देब, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी बैठक में मौजूद रहे। अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को इस बैठक के लिए बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। पंचकूला के बीजेपी ऑफिस में बैठक हुई।

शाह ने कहा कि बैठक में एक ही प्रस्ताव मिला जो नायब सिंह सैनी के नाम का था। मैं उनका नाम घोषित करता हूं। नायब सैनी को बहुत बहुत बधाई देता हूं।

बीजेपी के अनिल विज और राव इंद्रजीत सिंह ने भी सीएम पद पर दावेदारी ठोकी थी। लेकिन पार्टी ने एक बार फिर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है। मीटिंग में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। अनिल विज और मनोहर लाल खट्टर ने सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा।

सैनी गुरुवार को पंचकूला में शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। गृहमंत्री अमित शाह रात को चंडीगढ़ के ललित होटल में रुकेंगे। गुरुवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद पीएम नरेंद्र मोदी हरियाणा राजभवन में मीटिंग लेंगे। भाजपा ने अपने सभी 48 विधायकों को अगले दो दिन चंडीगढ़ में ही रहने के निर्देश जारी किए हैं। होटल ललित और हरियाणा राजभवन सेक्टर-6 में काफी संख्या में पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है।वहीं होटल हयात में छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इनमें बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड और पुड्डूचेरी के सीएम शामिल हैं।