दिल्ली में सरकारी कर्मचारी घर से करेंगे काम, बढ़ते प्रदूषण के बीच सरकार का फैसला

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दिल्ली की हवा में गंभीर रूप से खतरनाक हो गई है। दिल्‍ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए आतिशी सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया। दिल्‍ली सरकार के अंतर्गत आने वाले सरकारी विभागों के लिए वर्क फ्रॉम होम नीति को लागू किया जा रहा है। दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि राजधानी में 50% सरकारी कर्मचारी अब घर से काम करेंगे।

देश की राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 से थोड़ा सा नीचे आ गया है। लेकिन अभी भी अति गंभीर श्रेणी में है। जबकि बीती सुबह एक्यूआई 500 पर था। शहर में कोहरा छा दिखा। मौसम विभाग ने भी ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दृश्यता कम रही। जिसके कारण 119 उड़ानें देरी से हैं और 6 रद्द हो गई हैं। जहरीली हवा के कारण स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। शहर में निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। क्योंकि ग्रेप-4 लागू है। वहीं दिल्ली मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली सरकार के 50 फीसदी कर्मचारियों के लिए घर से काम करने की घोषणा की है।

पूरे दिल्‍ली-एनसीआर में युद्ध स्‍तर पर पानी का छिड़काव किया जारहा है। इसके बावजूद भी प्रदूषण का स्‍तर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स के माध्‍यम से राजधानी के सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी का ऐलान किया। उन्‍होंने बताया कि 50 प्रतिशत कर्मचारी फिलहाल घर से काम करेंगे। इसपर आज दिल्‍ली सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी।

दिल्ली सरकार ने सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव किया गया है। चूंकि अभी 50 प्रतिशत कर्मचारी ही दफ्तर जाएंगे, इसलिए एमसीडी के दफ्तर अब सुबह 8:30 से शाम 5:00 बजे तक खोले जाएंगे। वहीं, दिल्ली सरकार के कार्यालय सुबह 10:00 से शाम 6:30 तक खुलेंगे। दफ्तरों के खुलने-बंद होने के समय में अंतर से प्रदूषण का प्रभाव घटाने की कोशिश की जा रही है।

मौसम वैज्ञानिक डॉ. आनंद शर्मा का कहना है, वर्क फ्रॉम होम और स्कूल-कॉलेज बंद होने से तुरंत प्रदूषण पर लगाम तो नहीं कस जाएगी पर इससे प्रदूषण घटाने में मदद जरूर मिलेगी. यही नहीं, डॉक्टरों ने प्रदूषण के वर्तमान स्तर को स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक बताया है और लोगों को घरों से न निकलने की सलाह दी है। खासकर, बच्चों और बुजुर्गों को इससे बचने के लिए कहा जा रहा है। वहीं, डॉक्टर घर से निकलने पर एन-95 मास्क लगाने की हिदायत दे रहे हैं। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन से बड़ा फायदा यह होगा कि लोग सीधे प्रदूषण के संपर्क में आने से कुछ हद तक बच सकेंगे।

दिल्ली-एनसीआर में सांसों पर संकट, जहरीली होती जा रही हवा, गंभीर श्रेणी में पहुंचा AQI तो आज से ग्रैप-4 लागू

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देश की राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के शहरों पर प्रदूषण और कोहरे की दोहरी मार से हालत खराब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) छठे दिन भी लागातार 400 के पार है। दिल्ली के 32 इलाकों में (एक्यूआई) 400 के पार दर्ज किया गया। जो बेहद खतरनाक है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का आलम यह है कि स्कूलों को बंद कर दिया गया है। अब आज से ग्रैप 4 लागू हो चुका है।

दिल्ली-एनसीआर का एक्यूआई

सोमवार की सुबह दिल्ली के 32 इलाकों को एक्यूआई रेड जोन में दर्ज किया गया है। दिल्ली के नेहरू नगर का एक्यूआई 494, अलीपुर-475, अशोक विहार-495, आनंद विहार-487, बवाना-495, द्वारका-499, बुराड़ी-461 पंजाबी 493, रोहिणी 491, आईजीआई एयरपोर्ट 494, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम 495 और मुंडका 495 एक्यूआई दर्ज किया गया है। बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने के साथ-साथ आंखों में जलन का भी सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार ने बढ़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स को लेकर अब ग्रैप -4 नियम को सोमवार से लागू कर दिया है, जिसका असर सरकारी दफ्तरों और स्कूलों के साथ ही साथ अन्य विभागों पर भी पड़ने वाला है। वहीं, जरूरी काम नहीं होने पर सरकार ने लोगों को घर ने नहीं निकलने की सलाह दी है।

वहीं एनसीआर की बात करें तो गुरुग्राम का औसत एक्यूआई 446 दर्ज किया गया। फरीदाबाद का औसत एक्यूआई 320 दर्ज हुआ। नोएडा का औसत एक्यूआई 384 दर्ज हुआ है। आज सुबह गाजियाबाद का एक्यूआई 404 मापा गया। लोनी और वसुंधरा स्टेशन का एक्यूआई गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। लोनी का एक्यूआई 445 और वसुंधरा का एक्यूआई 432 है। संजय नगर और इंदिरापुरम का एक्यूआई भी गंभीर श्रेणी के निकट बना हुआ है।

सोमवार से ग्रैप-4 लागू

दिल्ली में अतिशी सरकार ने आज यानी सोमवार से ग्रैप-4 लागू कर दिया है। इसके तहत आज सुबह 8 बजे से बहुत सी पाबंदियां लागू हो गई हैं। इसमें स्कूल बंद से लेकर ट्रकों की एंट्री पर रोक है। दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले या स्वच्छ ईंधन (एलएनजी/सीएनजी/बीएस-छह डीजल/इलेक्ट्रिक) का उपयोग करने वाले ट्रकों को छोड़कर किसी भी ट्रक को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ग्रैप-4 में कारखानों, निर्माण कार्यों और यातायात पर कड़ी पाबंदियां लगाई जाएंगी।

ग्रेप-4 लागू होने से लगे ये प्रतिबंध

- दिल्ली के बाहर से आने वाले सभी ट्रकों को प्रवेश पर पाबंदी रहेगी। हालांकि, जरूरी सामान लाने वाले व सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों पर पाबंदी से छूट दी गई है।

- दिल्ली में पंजीकृत मध्यम व भारी डीजल संचालित माल वाहनों पर प्रतिबंध। जरूरी सामान वाले वाहनों को छूट मिलेगी।

- एनसीटी दिल्ली व एनसीआर में डीजल चलित चार पहिया वाहनों पर रोक रहेगी। हालांकि, आपातकालीन वाहनों को छूट दी गई है। इस श्रेणी में केवल बीएस-6 वाहन चल सकते हैं।

- एनसीआर में उद्योगों पर पाबंदी। जहां पीएनजी ईंधन की सुविधा नहीं है और सरकार द्वारा अधिकृत सूची से बाहर के ईंधन का उपयोग किया जा रहा है तो रोक लगेगी। हालांकि, दूध व डेयरी उत्पादों और मेडिकल उपकरणों से जुड़े उद्योगों को छूट दी जाएगी।

- निर्माण व विध्वंस गतिविधियों पर रोक। इसके अलावा फ्लाईओवर, राजमार्ग, पुल व पाइपलाइन समेत अन्य गतिविधियों पर रोक। केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को घरों से काम करने की छूट दे सकती है।

- एनसीआर राज्य सरकारें सार्वजनिक, निगम और निजी दफ्तरों में 50 फीसदी क्षमता के साथ घरों से काम करने की छूट दे सकती है।

- राज्य सरकारें स्कूल व कॉलेज को बंद करने के साथ गैर आपातकालीन वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कर सकती है।

- राज्य सरकार लागू कर सकती है ऑड-ईवन योजना

- डीजल जनरेटर सेट पर प्रतिबंध

दिल्ली में धुंध के बीच AQI अभी भी 'गंभीर', हरियाणा ने आंशिक रूप से स्कूल बंद करने की दी अनुमति

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रविवार, 17 नवंबर को दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'गंभीर' श्रेणी में रहा, जबकि ठंडी हवाओं के बीच धुंध की स्थिति भी बनी रही, जिससे शहरों में तापमान में गिरावट आई। समीर ऐप के अनुसार, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक का हर घंटे अपडेट देता है, रविवार को सुबह करीब 7 बजे दिल्ली का कुल AQI 428 - 'गंभीर' श्रेणी - पर था।

सीपीसीबी द्वारा साझा किए गए 35 निगरानी स्टेशनों में से अधिकांश ने वायु गुणवत्ता को गंभीर श्रेणी में बताया, जिसमें AQI का स्तर 400 से ऊपर था। सीपीसीबी के उपायों के अनुसार, शून्य से 50 के बीच का AQI "अच्छा", 51 और 100 के बीच का "संतोषजनक", 101 और 200 के बीच का "मध्यम", 201 और 300 के बीच का "खराब", 301 और 400 के बीच का "बहुत खराब", 401 और 450 के बीच का "गंभीर" और 450 से ऊपर का "गंभीर प्लस" माना जाता है।

बवाना स्टेशन पर सबसे अधिक 471 AQI दर्ज किया गया, उसके बाद जहांगीरपुरी, अशोक विहार, मुंडका, विवेक विहार, रोहिणी और आनंद विहार का स्थान रहा - इन सभी में वायु गुणवत्ता 450 से अधिक दर्ज की गई।

अक्टूबर के अंत से दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट आ रही है और तब से यह और भी खराब होती जा रही है, जिसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं जैसे पटाखे और पराली जलाना - जो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सबसे आम है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं और पराली का सबसे अधिक योगदान रहा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा साझा किए गए उपग्रह डेटा के अनुसार, डेटा से पता चला है कि गुरुवार को पंजाब में कुल पांच खेत में आग लगने की घटनाएं हुईं, हरियाणा में 11 और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 202 घटनाएं हुईं।

हरियाणा ने आंशिक रूप से स्कूल बंद करने की अनुमति दी

हरियाणा सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए शनिवार को डिप्टी कमिश्नरों को अपने-अपने जिलों के स्कूलों में कक्षा 5 तक की भौतिक कक्षाओं को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए अधिकृत किया। राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदी में पोस्ट किया, "इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखा गया है।" बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हरियाणा सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उपायुक्तों को कक्षा 5 तक के स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करने का अधिकार दिया है।

पत्र में स्कूल शिक्षा निदेशालय ने लिखा, "मुझे आपको सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सरकार ने निर्णय लिया है कि संबंधित उपायुक्त दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गंभीर AQI स्तरों के मद्देनजर मौजूदा स्थिति (GRAP के अनुसार) का आकलन करेंगे और छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में शारीरिक कक्षाएं बंद कर सकते हैं और स्कूलों [सरकारी और निजी] में कक्षा 5वीं तक के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर सकते हैं।" संबंधित जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए मूल्यांकन अलग-अलग किया जा सकता है," इसमें कहा गया है।

दिल्ली में GRAP III

प्रदूषण रोधी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंध शुक्रवार को लागू होने के साथ ही अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। यातायात पुलिस, परिवहन विभाग और अन्य की टीमें उल्लंघन करने वालों को दंडित कर रही हैं। शुक्रवार को, दिल्ली यातायात पुलिस ने BS III पेट्रोल और BS IV डीजल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए लगभग 550 चालान जारी किए, GRAP के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों के पहले दिन ₹1 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया।

इस नियम का उल्लंघन करने पर ₹20,000 का जुर्माना लगाया जाता है। NCR के शहरों से दिल्ली आने वाली BS VI डीजल को छोड़कर डीजल और पेट्रोल अंतर-राज्यीय बसों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुलिस ने प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUCC) नहीं रखने वाले वाहनों पर भी कार्रवाई की, क्योंकि इसने कुल 4,855 वाहनों पर जुर्माना लगाया। शुक्रवार को ₹4.85 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। वैध प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र न होने पर वाहन चालकों पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया जाता है। ये चालान अदालतों से जारी किए जाते हैं।

राजधानी 'गैस चैंबर' में तब्दील, जहरीली हवा में सांस ले रहे लोगों ने मदद की गुहार लगाई

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गुरुवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास के कई शहरों में जहरीली धुंध की घनी परत छा गई, जिससे विमान परिचालन और ट्रेन शेड्यूल बाधित हो गए। कई निवासियों ने खांसी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की है, जबकि अस्पतालों में वायु प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की रिपोर्ट करने वाले रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

गुरुवार को दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ऊपर रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समीर ऐप के अनुसार, गुरुवार को सुबह 11 बजे तक पटपड़गंज में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 470 ('गंभीर प्लस') था। आनंद विहार में वायु प्रदूषण निगरानी स्टेशन ने 470 वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया। अशोक विहार में यह 469 दर्ज किया गया, जबकि आईटीओ में यह 417 और रोहिणी में 451 दर्ज किया गया।

निवासियों का कहना है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण उनकी दैनिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। हमें सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन का सामना करना पड़ रहा है। स्कूली छात्र ने सहयोग की कमी के लिए लोगों को जिम्मेदार ठहराया। अगर प्रदूषण का नियंत्रित इस्तेमाल हो और सीएनजी आधारित वाहन ज्यादा हों तो समस्या का समाधान हो सकता है। हालांकि, लोगों की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है I

मेदांता अस्पताल के चेस्ट ऑन्को सर्जरी और लंग ट्रांसप्लांटेशन के डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। सरकार की कथित उदासीनता पर नाराजगी जताते हुए डॉक्टर ने कहा, “साल दर साल यही कहानी है।” “जब आप उस तरह की हवा में सांस लेते हैं, तो आपका गला घुट जाता है उनके क्लीनिकों में बच्चों की बाढ़ आ गई है, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। किसी भी घर में जाओ, बच्चे खांस रहे हैं, बड़े भी खांस रहे हैं,” डॉ. कुमार ने ANI से कहा।

दिल्ली वायु प्रदूषण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का खेल

दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर दिल्ली में सड़क की धूल या कचरे के प्रबंधन के तरीके नहीं खोजने का आरोप लगाया। “यह सरकार केवल इवेंट मैनेजमेंट में लगी हुई है। क्या उन्होंने पिछले 10 वर्षों में दिल्ली के लिए कोई पर्यावरण योजना बनाई है? इस मौसम में पीएम 2.5 सबसे बड़ा कारण है, और यह धूल के कारण होता है। दिल्ली की सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि 3100 टन सीएनजी कचरा बिना उपचार के छोड़ा जा रहा है। उनके पास इसे उपचारित करने का कोई माध्यम नहीं है,” भाजपा नेता ने मास्क पहने हुए एएनआई को बताया।

कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने दिल्ली के लोगों को परेशानी देने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और आप के बीच झगड़े को जिम्मेदार ठहराया। कांग्रेस नेता ने दावा किया, "जब दिल्ली में आप की सरकार आई थी, तो वे कहते थे कि अगर पंजाब में आप की सरकार बनी तो वे पराली जलाने की समस्या का समाधान करेंगे। आप सरकार सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। वे कोई काम नहीं कर रहे हैं। जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, तो हरियाली ज्यादा थी, ज्यादा सीएनजी बसें चल रही थीं, कुल मिलाकर, दिल्ली में कांग्रेस सरकार के दौरान इतना प्रदूषण नहीं था।" उन्होंने बताया कि उन्हें बाहर घूमते समय भी खांसी आ रही थी।

दिल्ली में घुटने लगा दमः इन 10 इलाकों में AQI 400 के पार, अभी नहीं सुधरेंगे हालात

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देश का राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर दमघोटू हो गई है। दिल्ली-एनसीआर धुंध की चादर में ढंक गई है। धुंध और कोहरे की वजह से विजिबिलिटी कम हुई है। मौसम की ऐसी हालत की वजह हिमालय क्षेत्र में एक्टिव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है। जिसकी वजह से हवा की दिशा पश्चिम से पूर्व की तरफ चलने लगी है, लिहाजा अब तक पाकिस्तानी साइड के ऊपर जमा प्रदूषण दिल्ली की तरफ आ गया है। ऐसे में दिल्ली समेत पूरे एनसीआर की हवा की हालत दमघोटू सी हो गई है।

बुधवार को नई दिल्ली का AQI इस मौसम में पहली बार गंभीर स्तर पर पहुंच गई। राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई 418 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, गुरूवार को भी दिल्ली में सुबह धुंध की परत छाई रही और वहीं साथ ही वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। कोहरे और स्मॉग की वजह से दृश्यता कम रही। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने के कारण राजधानी में धुंध की चादर छाई हुई है। सीरीफोर्ट इलाके में एक्यूआई 438 दर्ज किया गया है, जिसे सीपीसीबी के मुताबिक 'गंभीर' श्रेणी में रखा गया है। आनंद विहार में एक्यूआई 472 दर्ज हुआ है।

इन 10 इलाकों की हवा में सांस लेना मुश्किल

-आनंद विहार-------460

-जहांगीरपुरी--------445

-अशोक विहार------441

-सोनिया विहार------436

-आया नगर--------434

-नॉर्थ कैंपस--------431

-आईजीआई एयरपोर्ट---430

-आईटीओ----------429

-नजफगढ़----------426

-रोहिणी-----------429

स्कूलों को बंद करने की मांग

दिल्ली-एनसीआर के आसमान में प्रदूषण का स्तर आज बेहद खतरनाक लेवल तक पहुंच गया है। सुबह के समय सबसे ज्यादा पॉल्यूशन देखने को मिला। प्रदूषण से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह-सुबह स्मॉग के चलते विजिबिलिटी भी बहुत कम है। एक्यूआई के बढ़ने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। साथ ही आंखों में जलन होने से लोग परेशान हैं। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में जहरीली हवा चल रही है, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है, वहीं बढ़ते प्रदूषण पर स्कूलों को बंद करने की मांग तेज हो गई है ।

घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट*

प्रदूषण के बीच मैसम विभाग ने एक और समस्‍या को लेकर आगाह किया है। आईएमडी ने घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब यह है कि गाड़ी चलाने वालों को संभलकर और सावधानी के साथ वाहन चलाना होगा, क्‍योंकि विजिबिलिटी के काफी होने के आसार हैं। आईएमडी ने दिल्‍ली के मौसम को लेकर अलर्ट जारी किया है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि गुरुवार 14 नवंबर 2024 को दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है। घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट तक जारी किया गया है। ऐसे में विजिबिलिटी के कम रहने के पूरे आसार हैं। इससे ट्रैफिक व्‍यवस्‍था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, लिहाजा आमलोगों को वाहन चलाते समय अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की भी सलाह दी गई है। घने कोहरे की वजह से एयर के साथ ही ट्रेन सर्विसेज के प्रभावित होने की भी आशंका है। बता दें कि बुधवार को भी सुबह घना कोहरा छाया रहा।

पटाखों को लेकर दिल्ली पुलिस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पूछा-शादियों और चुनाव में भी पटाखे जलाए जा रहे, क्या कार्रवाई हुई?

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सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध के उसके आदेश को गंभीरता से न लेने के लिए दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने माना कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश को दिल्ली पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध पूरी तरह से लागू नहीं किया गया और महज दिखावा किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध था।⁠ क्या पुलिस ने बिक्री पर प्रतिबंध लगाया, आपने जो कुछ जब्त किया है, वह पटाखों का कच्चा माल हो सकता है?

इस दिवाली भी राजधानी दिल्‍ली और एनसीआर सहित पूरे उत्‍तर भारत में दिवाली के शुभ अवसर पर जमकर पटाखे चलाए गए। पटाखों पर बैन के बावजूद धड़ल्‍ले से इनका इस्‍तेमाल हुआ, जिसके चलते प्रदूषण का स्‍तर पर नई रिकॉर्ड पर पहुंच गया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता जो प्रदूषण को बढ़ावा दे या लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता करे। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि अगर पटाखे इसी तरह से फोड़े जाते रहे तो इससे नागरिकों का सेहत का मौलिक अधिकार प्रभावित होगा।

विशेष सेल बनाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे प्रदूषण को कम रखने के लिए अपने द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में उसे सूचित करें। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से उसके आदेश के पूर्ण पालन के लिए स्पेशल सेल बनाने का निर्देश दिया। साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि बिना लाइसेंस के कोई भी पटाखों का उत्पादन और उनकी बिक्री न कर सके।

पटाखों की ऑनलाइन सेल भी बंद करें

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी करके पटाखा बैन पर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने के निर्देश दिए कोर्ट ने कहा कि कमिश्नर तुरंत एक्शन लें और पटाखों की ऑनलाइन सेल भी बंद करें। कोर्ट ने 14 अक्टूबर के उस आदेश पर जिक्र किया, जिसमें 1 जनवरी, 2025 तक पटाखों पर पूर्ण बैन लगाया गया था। कोर्ट ने कहा कि जहां तक इसकी अनुपालना का सवाल है दिल्ली सरकार ने इसमें असहायता व्यक्त की क्योंकि इसे दिल्ली पुलिस द्वारा लागू किया जाना है। पुलिस की ओर से पेश एएसजी भाटी ने कहा कि प्रतिबंध जारी करने वाला आदेश 14 अक्टूबर को पारित किया गया था। हालांकि, हम पाते हैं कि दिल्ली पुलिस ने उक्त आदेश के कार्यान्वयन को गंभीरता से नहीं लिया।

कोई भी लाइसेंस धारक पटाखे न बेचे या न बनाए

कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली के पुलिस आयुक्त को निर्देश देते हैं कि वे तुरंत सभी संबंधितों को उक्त प्रतिबंध के बारे में सूचित करने की कार्रवाई करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी लाइसेंस धारक पटाखे न बेचे या न बनाए। हम आयुक्त को पटाखों पर प्रतिबंध के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने का निर्देश देते हैं। हमें आश्चर्य है कि दिल्ली सरकार ने 14 अक्टूबर तक प्रतिबंध (पटाखों पर) लगाने में देरी क्यों की। यह संभव है कि उपयोगकर्ताओं के पास उससे पहले ही पटाखों का स्टॉक रहा होगा।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने दिवाली से पहले पटाखों पर प्रतिबंध का निर्देश जारी किया था। हालांकि इसके बावजूद दिवाली पर खूब पटाखे छूटे और पटाखों पर प्रतिबंध का या तो बहुत कम या कई जगहों पर बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ा। इस पर दिल्ली पुलिस के आयुक्त ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पटाखों के उत्पादन और निर्माण को लेकर क्या-क्या कदम उठाए गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट तर्कों से संतुष्ट नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपने सिर्फ कच्चा माल जब्त करके महज दिखावा किया। पटाखों पर प्रतिबंध को गंभीरता के साथ लागू नहीं किया गया।

ఢిల్లీలో దారుణంగా వాయు నాణ్యత

దేశ రాజధాని ఢిల్లీలో గాలి నాణ్యత (Air Pollution) రోజురోజుకూ పడిపోతోంది. దీపావళి సందర్భంగా ప్రభుత్వం పటాకులపై నిషేధం విధించింది. అయినప్పటికీ ప్రజలు లెక్కచేయకుండా పెద్దమొత్తంలో బాంబులను కాల్చడంతో వాయుకాలుష్యం తీవ్ర స్థాయికి చేరుకుంది. దీంతో వాయు నాణ్యత దారుణంగా పడిపోతున్నది.

దేశ రాజధాని ఢిల్లీలో గాలి నాణ్యత (Air Pollution) రోజురోజుకూ పడిపోతోంది. దీపావళి సందర్భంగా ప్రభుత్వం పటాకులపై నిషేధం విధించింది. అయినప్పటికీ ప్రజలు లెక్కచేయకుండా పెద్దమొత్తంలో బాంబులను కాల్చడంతో వాయుకాలుష్యం తీవ్ర స్థాయికి చేరుకుంది. దీంతో వాయు నాణ్యత దారుణంగా పడిపోతున్నది. ప్రస్తుతం ఢిల్లీ-ఎన్సీఆర్‌ (Delhi – NCR) ప్రాంతంలో ఎయిర్‌ క్వాలిటీ ఇండెక్స్‌ 300కి పైనే నమోదవుతోంది. ఎయిర్‌ క్వాలిటీ అండ్‌ వెదర్‌ ఫోర్‌కాస్టింగ్‌ అండ్‌ రిసెర్చ్‌ (SAFAR) సంస్థ ప్రకారం.. ఇది చాలా ఆధ్వాన్నమైన స్థాయిలో ఉన్నట్లు. ఈ కారణంగా ఢిల్లీతోపాటు నేషనల్‌ క్యాపిటల్‌ రీజియన్‌లో ప్రజలు విష వాయువులను పీల్చుకుంటున్నారు. తద్వారా తీవ్ర అనారోగ్య సమస్యలను ఎదుర్కొంటున్నారు

దేశ రాజధానిలో దీపావళి రాత్రి అధిక స్థాయిలో వాయు కాలుష్యం నమోదైంది. పలు ప్రాంతాల్లో ఏక్యూఐ రీడింగ్‌లు గరిష్ఠ సాయి 999కి చేరాయి. దీని కారణంగా ఢిల్లీ – ఎన్సీఆర్‌ ప్రాంత ప్రజలు తీవ్ర ఆరోగ్య సమస్యలను నివేదించినట్లు ఓ సర్వే తాజాగా వెల్లడించింది. 69 శాతం కుటుంబాల్లో కనీసం ఒకరు లేదా అంతకంటే ఎక్కువ మంది గొంతునొప్పి, దగ్గుతో సహా కాలుష్య సంబంధిత వ్యాధులతో బాధపడుతున్నట్లు సదరు సర్వే నివేదించింది.

డిజిటల్ ప్లాట్‌ఫారమ్ అయిన లోకల్ సర్కిల్స్ ఈ సర్వే నిర్వహించింది. ఢిల్లీ-ఎన్సీఆర్‌ ప్రాంతంలో 21 వేల కంటే ఎక్కువ మందిపై సర్వే చేసింది. పెరుగుతున్న వాయు కాలుష్యం కారణంగా 62 శాతం కుటుంబాల్లో ఒకరు లేదా అంతకంటే ఎక్కువ మంది కళ్ల మంటలను ఎదుర్కొంటున్నట్లు తేలింది. 46 శాతం మంది ముక్కు కారటం వంటి సమస్యలు నివేదించారు. ఇక 31 శాతం మంది శ్వాస తీసుకోవడంలో ఇబ్బందులు లేదా ఆస్తమా ఉన్నట్లు తెలిపారు. మరో 31 శాతం మంది తలనొప్పిని ఎదుర్కొంటున్నట్లు పేర్కొన్నారు.

23 శాతం మంది ఏకాగ్రతను కోల్పోతున్నట్లు ఆందోళన వ్యక్తం చేయగా.. 15 శాతం మంది నిద్రపోతున్న సమయంలో ఇబ్బందులు ఎదుర్కొంటున్నట్లు నివేదించారు. అయితే, 31 శాతం మంది మాత్రం కాలుష్యం కారణంగా ఎలాంటి ఇబ్బందులనూ నివేదికంకపోవడం విశేషం. రాజధాని వాసులు చాలా మంది ఇప్పటికే దగ్గు, జలుబు, ఆస్తమా, బ్రోన్కైటిస్‌ క్రానిక్‌, క్రానిక్ అబ్స్ట్రక్టివ్ పల్మనరీ డిసీజ్ వంటి శ్వాసకోశ రుగ్మతలతో బాధపడుతున్నట్లు సదరు నివేదిక వెల్లడించింది. రానున్న రోజుల్లో ఢిల్లీ దాని పరిసర ప్రాంతాల్లో ఏక్యూఐ స్థాయిలు మరింత దిగజారే అవకాశం ఉందని సదరు సర్వే ఆందోళన వ్యక్తం చేసింది.

ఇక ఇదే సర్వే.. రాజధానిలో క్షీణిస్తున్న గాలి నాణ్యతను ఎదుర్కొనేందుకు ఎలా సిద్ధమవుతున్నారని ఢిల్లీ వాసులను ప్రశ్నించింది. 10,630 మందిలో 15 శాతం మంది ఈ సీజన్‌లో నగరాన్ని వదిలి వెళ్లిపోవాలని యోచిస్తున్నట్లు తెలిపారు. మరో 9 శాతం మంది రోగనిరోధక శక్తి పెరిగే ఆహారాలు, పానీయాలు తీసుకుంటూ ఇంటి పట్టునే ఉండాలనుకుంటున్నట్లు సమాధానం ఇచ్చారు. మరో 23 శాతం మంది ఎయిర్ ప్యూరిఫైయర్‌లను ఉపయోగించాలని యోచిస్తున్నారు. కొందరు కాలుష్య సంక్షోభాన్ని ఎదుర్కొనేందుకు పలు చర్యలు తీసుకుంటున్నట్లు వెల్లడించారు. మరికొందరు కాలుష్యాన్ని ఎదుర్కొనేందుకు సిద్ధంగా ఉన్నట్లు వెల్లడించారు.

గాలి నాణ్యత సున్నా నుంచి 50 మధ్య ఉంటే బాగా ఉన్నట్టు అర్ధం. 51 నుంచి 100 వరకు ఉంటే సంతృప్తికరమైనదని, 101 నుంచి 200 వరకు ఉంటే మితమైన నాణ్యత, 201 నుంచి 300 ఉంటే తక్కువ నాణ్యత అని, 301 నుంచి 400 వరకు ఉంటే చాలా పేలవమైనదని, 401 నుంచి 500 ఉంటే ప్రమాదకరస్థాయిగా పరిగణిస్తారు. అయితే, గత కొంతకాలంగా ఢిల్లీలో గాలి నాణ్యత ప్రమాదకరంగా మారుతోన్న విషయం తెలిసిందే. పొరుగు రాష్ట్రాల్లో పంట వ్యర్థాలను తగలపెట్టడానికి తోడు.. మంచు రాజధానిని కమ్మేయడంతో ఈ పరిస్థితి తలెత్తుతోంది. కాలుష్య నియంత్రణకు పాలకులు ఎన్ని చర్యలు చేపట్టినా ఫలితం ఉండటం లేదు. రోజురోజుకూ గాలి నాణ్యత క్షీణిస్తోంది. ఈ కారణంగా నగర వాసులు తీవ్ర అనారోగ్య సమసల్యకు గురికావాల్సి వస్తోంది.

दिल्ली में दिवाली के बाद 2015 के बाद से दूसरी सबसे साफ हवा दर्ज की गई, जानिए इसकी वजह

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Delhi post Diwali (PTI)

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता दिवाली के बाद 2015 के बाद से दूसरी सबसे साफ हवा रही है, जो “गंभीर” होने के बजाय “बहुत खराब” वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पर बनी हुई है। इस स्थिरता का श्रेय “तेज हवा के वेंटिलेशन” को जाता है, जिसकी गति 16 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। जबकि 24 घंटे का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गुरुवार रात तक लगातार चढ़ता रहा - शाम को 328 से आधी रात को 338 तक, शुक्रवार सुबह 9 बजे तक 362 तक पहुंच गया - शहर ने अप्रत्याशित राहत का अनुभव किया।

 दिल्ली में तेज, निरंतर हवाएं चलीं, जिससे घने धुएं की परत तेजी से छंट गई और शुक्रवार शाम 4 बजे तक AQI 339 तक नीचे आ गया, जो शाम 7 बजे तक और सुधरकर 323 हो गया। आतिशबाजी का उपयोग, पराली जलाने में वृद्धि, तथा विभिन्न स्थानीय स्रोतों से निकलने वाले जहरीले गैसों के उत्सर्जन ने शहर की वायु गुणवत्ता को गुरुवार देर रात और शुक्रवार सुबह तक “बहुत खराब” की ऊपरी श्रेणी में पहुंचा दिया।

स्काईमेट मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने तापमान और प्रदूषण के बीच इस जटिल अंतर्क्रिया को समझाया: “उच्च तापमान मिश्रण की ऊंचाई को ऊंचा रखता है और प्रदूषकों को स्वतंत्र रूप से घूमने और फैलने की अनुमति देता है। कम तापमान हवा की गति को धीमा कर देता है और प्रदूषकों को उलटा नामक घटना के माध्यम से सतह के करीब फंसा देता है।” उन्होंने कहा कि सर्दियों के महीनों में आमतौर पर मिश्रण की ऊंचाई मात्र 200-300 मीटर तक गिर जाती है, जबकि गुरुवार को मिश्रण की ऊंचाई 2,100 मीटर रही। “भले ही दिवाली पर वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में थी - आधी रात को गंभीर स्तर पर पहुंच गई - ये स्थितियां अगले दिन जल्दी ही खत्म हो गईं और दोपहर तक मध्यम स्तर पर पहुंच गईं। यह मुख्य रूप से उचित हवा की गति और प्राकृतिक वेंटिलेशन के साथ अपेक्षाकृत गर्म परिस्थितियों के कारण है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) में रिसर्च एंड एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "अभी तक गहरी शांति वाली सर्दियों की स्थितियां नहीं बनी हैं। इसके बावजूद, अक्टूबर के महीने में पिछले वर्षों की तुलना में अधिक खराब और बहुत खराब दिन भी देखे गए हैं, तब भी जब खेतों में आग लगाने का योगदान केवल 1-3% के आसपास रहा है, जो स्थानीय और क्षेत्रीय प्रदूषण के बहुत अधिक प्रभाव को दर्शाता है।" 

जबकि दक्षिणी दिल्ली के कुछ हिस्सों में पटाखों के उपयोग को सीमित कर दिया गया था, शहर के अधिकांश हिस्सों में गतिविधि में वृद्धि के साथ इसकी भरपाई की गई। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, शहर के पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने का योगदान भी काफी बढ़ गया, दिवाली के दिन इसका हिस्सा 27.61% तक पहुंच गया, जो बुधवार को 8.4% और मंगलवार को 1.8% था। शुक्रवार की सुबह धुंध के साथ शुरू हुई, मौसम विभाग ने दिवाली की मध्यरात्रि तक 12-16 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति की सूचना दी, जो आधी रात के करीब 3-7 किलोमीटर प्रति घंटे तक गिर गई, लेकिन शुक्रवार की सुबह फिर से बढ़ गई, जिससे वायु संचार और प्रदूषकों के फैलाव में मदद मिली।

हालांकि 2024 के लिए दिवाली के बाद का AQI 2015 के बाद से दूसरा सबसे साफ है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में PM2.5 के स्तर में हर घंटे बढ़ोतरी पर चिंता है, जो कथित तौर पर राष्ट्रीय अनुमेय सीमा से 30 गुना से अधिक है।

दिवाली पर खूब जले पटाखे, कहां रही पटाखों पर बैन के लिए बनाई गई 377, जानिए किस लेवल तक पहुंचा AQI

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सरकार और सुप्रीम कोर्ट के सख्‍त आदेश के बावजूद दिल्‍ली-एनसीआर मे दिवाली की रात लोगों ने जमकर पटाखे चलाए। जिसके चलते दिल्‍ली सहित नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम समेत एनसीआर के अन्‍य शहरों की हवा दमघोंटू हो गई। कुछ स्‍थानों पर रात के वक्‍त वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्‍यूआई का स्‍तर 700 के पार पहुंच गया था। हालांकि शुक्रवार सुबह इसमें कुछ गिरावट जरूर दर्ज की गई।दिल्ली के कई इलाकों में रात में एक्‍यूआई 700 के पार चला गया है। वहीं कुछ इलाकों में एक्यूआई 500 के पार पहुंच गया है। दिल्ली का औसत एक्यूआई 556 दर्ज किया गया। वहीं, आनंद विहार में 714, डिफेंस कॉलोनी में 631, पटपड़गंज में 513 एक्यूआई दर्ज किया गया। हालांकि, आनंद विहार इलाके में शुक्रवार सुबह प्रदूषण का स्‍तर 395 दर्ज हुआ, जो पूरी दिल्‍ली में सबसे अधिक है. इसके अलावा अशोक विहार में 384, मथुरा रोड पर 369, आया नगर में 352, अलीपुर में 350 और चांदनी चौक में प्रदूषण का स्‍तर 336 नामा गया। कुल मिलाकर दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में वायु गुणवत्ता काफी खराब स्थिति में पहुंच चुका है।

दिल्ली में पांच साल से लग रहा प्रतिबंध

बढ़ते प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए दिल्ली सरकार ने लगातार पांचवें साल भी राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की है। दिवाली की पूर्व संध्या पर, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने घोषणा की थी कि राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध क्रियान्वित करने के लिए टीमें गठित की गई हैं। इसके बावजूद पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली के इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रतिबंधों का उल्लंघन हुआ।

पटाखों पर बैन के लिए बनाई गई 377 टीमें

बता दें कि दिल्ली सरकार ने पटाखों पर बैन का अनुपालन कराने के लिए 377 टीमें भी गठित की थीं। इसके अलावा लोगों के बीच जागरुकता अभियान भी चलाए गए। इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में जमकर पटाखे जलाए गए। दिल्ली में बीते 24 घंटे में औसत एक्यूआई 330 दर्ज किया गया। वहीं रात 9 बजे दिल्ली का पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर क्रमश: 145.1 और 272 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक दर्ज किया गया।

पिछले सालों में दिवाली पर प्रदूषण का स्‍तर

2015 दीवाली के दिन AQI343

2016 दीवाली के दिन AQI431

2017 दीवाली के दिन AQI319

2018 दीवाली के दिन AQI281

2019 दीवाली के दिन AQI337

2020 दीवाली के दिन AQI414

2021 दीवाली के दिन AQI382

2022 दीवाली के दिन AQI 312

2023 दीवाली के दिन AQI 218

दिल्ली निवासियों को सांस लेने में हुई दिक्कत, दिवाली से पहले वायु प्रदूषण और भी बदतर

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Delhi

वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के अनुसार रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता और भी खराब हो गई, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 352 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है।

आनंद विहार जैसे क्षेत्रों में AQI 400 अंक को पार कर गया, जो सुबह 7 बजे 405 दर्ज किया गया, जिसे 'गंभीर' श्रेणी में रखा गया, जो शनिवार को दर्ज किए गए 367 AQI से भी खराब है। यह पूर्वानुमान शनिवार को दर्ज किए गए औसत AQI 255 से काफी खराब है, जिसे 'खराब' श्रेणी में रखा गया है। अक्षरधाम मंदिर में AQI 261 दर्ज किया गया, जबकि IGI हवाई अड्डे पर AQI 324 दर्ज किया गया, दोनों को 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया।

शहर में धुंध की एक परत छाई हुई है, जो सुबह-सुबह सबसे अधिक दिखाई देती है। लोगों का कहना कहा कि बढ़ते प्रदूषण से "दम घुटन" महसूस होती है।

एक साइकिल चालक ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, "हम दिल्ली से हैं और हम (साइकिल चालक समूह) यहाँ रोज़ाना साइकिल चलाते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वायु प्रदूषण की इस स्थिति के कारण हमें बहुत परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा, "हम ठीक से साँस नहीं ले पा रहे हैं, प्रदूषण के कारण हम जल्दी थक जाते हैं। हम रूमाल पहनने जैसी सावधानियाँ बरतते हैं, लेकिन कुछ भी काम नहीं कर रहा है क्योंकि प्रदूषण बहुत बढ़ रहा है।" 

नागरिकों ने सरकार से इस अवधि के दौरान श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि के कारण कार्रवाई करने का आह्वान किया है। साइकिल चालक ने एएनआई को बताया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त प्रभावी नहीं लगते हैं, और सरकार को लोगों को सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा, "सरकार ने निर्माण रोकने और ऑड-ईवन लागू करने जैसे कुछ काम किए हैं, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि यह काम कर रहा है क्योंकि यह दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। लोगों को सार्वजनिक परिवहन और कारपूलिंग का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मक उपाय किए जाने चाहिए।" 

त्योहारी सीजन के दौरान प्रदूषण पर अंकुश लगाने के प्रयास में, दिल्ली सरकार ने 1 जनवरी तक पटाखों के उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने हवा में कण पदार्थ को कम करने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव, सार्वजनिक स्थानों की लगातार सफाई जैसे उपाय भी अपनाए हैं।

दिल्ली में सरकारी कर्मचारी घर से करेंगे काम, बढ़ते प्रदूषण के बीच सरकार का फैसला

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दिल्ली की हवा में गंभीर रूप से खतरनाक हो गई है। दिल्‍ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए आतिशी सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया। दिल्‍ली सरकार के अंतर्गत आने वाले सरकारी विभागों के लिए वर्क फ्रॉम होम नीति को लागू किया जा रहा है। दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि राजधानी में 50% सरकारी कर्मचारी अब घर से काम करेंगे।

देश की राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 से थोड़ा सा नीचे आ गया है। लेकिन अभी भी अति गंभीर श्रेणी में है। जबकि बीती सुबह एक्यूआई 500 पर था। शहर में कोहरा छा दिखा। मौसम विभाग ने भी ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दृश्यता कम रही। जिसके कारण 119 उड़ानें देरी से हैं और 6 रद्द हो गई हैं। जहरीली हवा के कारण स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। शहर में निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। क्योंकि ग्रेप-4 लागू है। वहीं दिल्ली मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली सरकार के 50 फीसदी कर्मचारियों के लिए घर से काम करने की घोषणा की है।

पूरे दिल्‍ली-एनसीआर में युद्ध स्‍तर पर पानी का छिड़काव किया जारहा है। इसके बावजूद भी प्रदूषण का स्‍तर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स के माध्‍यम से राजधानी के सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी का ऐलान किया। उन्‍होंने बताया कि 50 प्रतिशत कर्मचारी फिलहाल घर से काम करेंगे। इसपर आज दिल्‍ली सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी।

दिल्ली सरकार ने सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव किया गया है। चूंकि अभी 50 प्रतिशत कर्मचारी ही दफ्तर जाएंगे, इसलिए एमसीडी के दफ्तर अब सुबह 8:30 से शाम 5:00 बजे तक खोले जाएंगे। वहीं, दिल्ली सरकार के कार्यालय सुबह 10:00 से शाम 6:30 तक खुलेंगे। दफ्तरों के खुलने-बंद होने के समय में अंतर से प्रदूषण का प्रभाव घटाने की कोशिश की जा रही है।

मौसम वैज्ञानिक डॉ. आनंद शर्मा का कहना है, वर्क फ्रॉम होम और स्कूल-कॉलेज बंद होने से तुरंत प्रदूषण पर लगाम तो नहीं कस जाएगी पर इससे प्रदूषण घटाने में मदद जरूर मिलेगी. यही नहीं, डॉक्टरों ने प्रदूषण के वर्तमान स्तर को स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक बताया है और लोगों को घरों से न निकलने की सलाह दी है। खासकर, बच्चों और बुजुर्गों को इससे बचने के लिए कहा जा रहा है। वहीं, डॉक्टर घर से निकलने पर एन-95 मास्क लगाने की हिदायत दे रहे हैं। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन से बड़ा फायदा यह होगा कि लोग सीधे प्रदूषण के संपर्क में आने से कुछ हद तक बच सकेंगे।

दिल्ली-एनसीआर में सांसों पर संकट, जहरीली होती जा रही हवा, गंभीर श्रेणी में पहुंचा AQI तो आज से ग्रैप-4 लागू

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देश की राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के शहरों पर प्रदूषण और कोहरे की दोहरी मार से हालत खराब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) छठे दिन भी लागातार 400 के पार है। दिल्ली के 32 इलाकों में (एक्यूआई) 400 के पार दर्ज किया गया। जो बेहद खतरनाक है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का आलम यह है कि स्कूलों को बंद कर दिया गया है। अब आज से ग्रैप 4 लागू हो चुका है।

दिल्ली-एनसीआर का एक्यूआई

सोमवार की सुबह दिल्ली के 32 इलाकों को एक्यूआई रेड जोन में दर्ज किया गया है। दिल्ली के नेहरू नगर का एक्यूआई 494, अलीपुर-475, अशोक विहार-495, आनंद विहार-487, बवाना-495, द्वारका-499, बुराड़ी-461 पंजाबी 493, रोहिणी 491, आईजीआई एयरपोर्ट 494, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम 495 और मुंडका 495 एक्यूआई दर्ज किया गया है। बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने के साथ-साथ आंखों में जलन का भी सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार ने बढ़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स को लेकर अब ग्रैप -4 नियम को सोमवार से लागू कर दिया है, जिसका असर सरकारी दफ्तरों और स्कूलों के साथ ही साथ अन्य विभागों पर भी पड़ने वाला है। वहीं, जरूरी काम नहीं होने पर सरकार ने लोगों को घर ने नहीं निकलने की सलाह दी है।

वहीं एनसीआर की बात करें तो गुरुग्राम का औसत एक्यूआई 446 दर्ज किया गया। फरीदाबाद का औसत एक्यूआई 320 दर्ज हुआ। नोएडा का औसत एक्यूआई 384 दर्ज हुआ है। आज सुबह गाजियाबाद का एक्यूआई 404 मापा गया। लोनी और वसुंधरा स्टेशन का एक्यूआई गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। लोनी का एक्यूआई 445 और वसुंधरा का एक्यूआई 432 है। संजय नगर और इंदिरापुरम का एक्यूआई भी गंभीर श्रेणी के निकट बना हुआ है।

सोमवार से ग्रैप-4 लागू

दिल्ली में अतिशी सरकार ने आज यानी सोमवार से ग्रैप-4 लागू कर दिया है। इसके तहत आज सुबह 8 बजे से बहुत सी पाबंदियां लागू हो गई हैं। इसमें स्कूल बंद से लेकर ट्रकों की एंट्री पर रोक है। दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले या स्वच्छ ईंधन (एलएनजी/सीएनजी/बीएस-छह डीजल/इलेक्ट्रिक) का उपयोग करने वाले ट्रकों को छोड़कर किसी भी ट्रक को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ग्रैप-4 में कारखानों, निर्माण कार्यों और यातायात पर कड़ी पाबंदियां लगाई जाएंगी।

ग्रेप-4 लागू होने से लगे ये प्रतिबंध

- दिल्ली के बाहर से आने वाले सभी ट्रकों को प्रवेश पर पाबंदी रहेगी। हालांकि, जरूरी सामान लाने वाले व सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों पर पाबंदी से छूट दी गई है।

- दिल्ली में पंजीकृत मध्यम व भारी डीजल संचालित माल वाहनों पर प्रतिबंध। जरूरी सामान वाले वाहनों को छूट मिलेगी।

- एनसीटी दिल्ली व एनसीआर में डीजल चलित चार पहिया वाहनों पर रोक रहेगी। हालांकि, आपातकालीन वाहनों को छूट दी गई है। इस श्रेणी में केवल बीएस-6 वाहन चल सकते हैं।

- एनसीआर में उद्योगों पर पाबंदी। जहां पीएनजी ईंधन की सुविधा नहीं है और सरकार द्वारा अधिकृत सूची से बाहर के ईंधन का उपयोग किया जा रहा है तो रोक लगेगी। हालांकि, दूध व डेयरी उत्पादों और मेडिकल उपकरणों से जुड़े उद्योगों को छूट दी जाएगी।

- निर्माण व विध्वंस गतिविधियों पर रोक। इसके अलावा फ्लाईओवर, राजमार्ग, पुल व पाइपलाइन समेत अन्य गतिविधियों पर रोक। केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को घरों से काम करने की छूट दे सकती है।

- एनसीआर राज्य सरकारें सार्वजनिक, निगम और निजी दफ्तरों में 50 फीसदी क्षमता के साथ घरों से काम करने की छूट दे सकती है।

- राज्य सरकारें स्कूल व कॉलेज को बंद करने के साथ गैर आपातकालीन वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कर सकती है।

- राज्य सरकार लागू कर सकती है ऑड-ईवन योजना

- डीजल जनरेटर सेट पर प्रतिबंध

दिल्ली में धुंध के बीच AQI अभी भी 'गंभीर', हरियाणा ने आंशिक रूप से स्कूल बंद करने की दी अनुमति

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रविवार, 17 नवंबर को दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'गंभीर' श्रेणी में रहा, जबकि ठंडी हवाओं के बीच धुंध की स्थिति भी बनी रही, जिससे शहरों में तापमान में गिरावट आई। समीर ऐप के अनुसार, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक का हर घंटे अपडेट देता है, रविवार को सुबह करीब 7 बजे दिल्ली का कुल AQI 428 - 'गंभीर' श्रेणी - पर था।

सीपीसीबी द्वारा साझा किए गए 35 निगरानी स्टेशनों में से अधिकांश ने वायु गुणवत्ता को गंभीर श्रेणी में बताया, जिसमें AQI का स्तर 400 से ऊपर था। सीपीसीबी के उपायों के अनुसार, शून्य से 50 के बीच का AQI "अच्छा", 51 और 100 के बीच का "संतोषजनक", 101 और 200 के बीच का "मध्यम", 201 और 300 के बीच का "खराब", 301 और 400 के बीच का "बहुत खराब", 401 और 450 के बीच का "गंभीर" और 450 से ऊपर का "गंभीर प्लस" माना जाता है।

बवाना स्टेशन पर सबसे अधिक 471 AQI दर्ज किया गया, उसके बाद जहांगीरपुरी, अशोक विहार, मुंडका, विवेक विहार, रोहिणी और आनंद विहार का स्थान रहा - इन सभी में वायु गुणवत्ता 450 से अधिक दर्ज की गई।

अक्टूबर के अंत से दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट आ रही है और तब से यह और भी खराब होती जा रही है, जिसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं जैसे पटाखे और पराली जलाना - जो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सबसे आम है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं और पराली का सबसे अधिक योगदान रहा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा साझा किए गए उपग्रह डेटा के अनुसार, डेटा से पता चला है कि गुरुवार को पंजाब में कुल पांच खेत में आग लगने की घटनाएं हुईं, हरियाणा में 11 और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 202 घटनाएं हुईं।

हरियाणा ने आंशिक रूप से स्कूल बंद करने की अनुमति दी

हरियाणा सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए शनिवार को डिप्टी कमिश्नरों को अपने-अपने जिलों के स्कूलों में कक्षा 5 तक की भौतिक कक्षाओं को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए अधिकृत किया। राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदी में पोस्ट किया, "इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखा गया है।" बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हरियाणा सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उपायुक्तों को कक्षा 5 तक के स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करने का अधिकार दिया है।

पत्र में स्कूल शिक्षा निदेशालय ने लिखा, "मुझे आपको सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सरकार ने निर्णय लिया है कि संबंधित उपायुक्त दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गंभीर AQI स्तरों के मद्देनजर मौजूदा स्थिति (GRAP के अनुसार) का आकलन करेंगे और छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में शारीरिक कक्षाएं बंद कर सकते हैं और स्कूलों [सरकारी और निजी] में कक्षा 5वीं तक के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर सकते हैं।" संबंधित जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए मूल्यांकन अलग-अलग किया जा सकता है," इसमें कहा गया है।

दिल्ली में GRAP III

प्रदूषण रोधी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंध शुक्रवार को लागू होने के साथ ही अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। यातायात पुलिस, परिवहन विभाग और अन्य की टीमें उल्लंघन करने वालों को दंडित कर रही हैं। शुक्रवार को, दिल्ली यातायात पुलिस ने BS III पेट्रोल और BS IV डीजल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए लगभग 550 चालान जारी किए, GRAP के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों के पहले दिन ₹1 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया।

इस नियम का उल्लंघन करने पर ₹20,000 का जुर्माना लगाया जाता है। NCR के शहरों से दिल्ली आने वाली BS VI डीजल को छोड़कर डीजल और पेट्रोल अंतर-राज्यीय बसों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुलिस ने प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUCC) नहीं रखने वाले वाहनों पर भी कार्रवाई की, क्योंकि इसने कुल 4,855 वाहनों पर जुर्माना लगाया। शुक्रवार को ₹4.85 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। वैध प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र न होने पर वाहन चालकों पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया जाता है। ये चालान अदालतों से जारी किए जाते हैं।

राजधानी 'गैस चैंबर' में तब्दील, जहरीली हवा में सांस ले रहे लोगों ने मदद की गुहार लगाई

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गुरुवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास के कई शहरों में जहरीली धुंध की घनी परत छा गई, जिससे विमान परिचालन और ट्रेन शेड्यूल बाधित हो गए। कई निवासियों ने खांसी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की है, जबकि अस्पतालों में वायु प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की रिपोर्ट करने वाले रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

गुरुवार को दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ऊपर रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समीर ऐप के अनुसार, गुरुवार को सुबह 11 बजे तक पटपड़गंज में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 470 ('गंभीर प्लस') था। आनंद विहार में वायु प्रदूषण निगरानी स्टेशन ने 470 वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया। अशोक विहार में यह 469 दर्ज किया गया, जबकि आईटीओ में यह 417 और रोहिणी में 451 दर्ज किया गया।

निवासियों का कहना है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण उनकी दैनिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। हमें सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन का सामना करना पड़ रहा है। स्कूली छात्र ने सहयोग की कमी के लिए लोगों को जिम्मेदार ठहराया। अगर प्रदूषण का नियंत्रित इस्तेमाल हो और सीएनजी आधारित वाहन ज्यादा हों तो समस्या का समाधान हो सकता है। हालांकि, लोगों की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है I

मेदांता अस्पताल के चेस्ट ऑन्को सर्जरी और लंग ट्रांसप्लांटेशन के डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। सरकार की कथित उदासीनता पर नाराजगी जताते हुए डॉक्टर ने कहा, “साल दर साल यही कहानी है।” “जब आप उस तरह की हवा में सांस लेते हैं, तो आपका गला घुट जाता है उनके क्लीनिकों में बच्चों की बाढ़ आ गई है, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। किसी भी घर में जाओ, बच्चे खांस रहे हैं, बड़े भी खांस रहे हैं,” डॉ. कुमार ने ANI से कहा।

दिल्ली वायु प्रदूषण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का खेल

दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर दिल्ली में सड़क की धूल या कचरे के प्रबंधन के तरीके नहीं खोजने का आरोप लगाया। “यह सरकार केवल इवेंट मैनेजमेंट में लगी हुई है। क्या उन्होंने पिछले 10 वर्षों में दिल्ली के लिए कोई पर्यावरण योजना बनाई है? इस मौसम में पीएम 2.5 सबसे बड़ा कारण है, और यह धूल के कारण होता है। दिल्ली की सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि 3100 टन सीएनजी कचरा बिना उपचार के छोड़ा जा रहा है। उनके पास इसे उपचारित करने का कोई माध्यम नहीं है,” भाजपा नेता ने मास्क पहने हुए एएनआई को बताया।

कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने दिल्ली के लोगों को परेशानी देने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और आप के बीच झगड़े को जिम्मेदार ठहराया। कांग्रेस नेता ने दावा किया, "जब दिल्ली में आप की सरकार आई थी, तो वे कहते थे कि अगर पंजाब में आप की सरकार बनी तो वे पराली जलाने की समस्या का समाधान करेंगे। आप सरकार सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। वे कोई काम नहीं कर रहे हैं। जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, तो हरियाली ज्यादा थी, ज्यादा सीएनजी बसें चल रही थीं, कुल मिलाकर, दिल्ली में कांग्रेस सरकार के दौरान इतना प्रदूषण नहीं था।" उन्होंने बताया कि उन्हें बाहर घूमते समय भी खांसी आ रही थी।

दिल्ली में घुटने लगा दमः इन 10 इलाकों में AQI 400 के पार, अभी नहीं सुधरेंगे हालात

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देश का राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर दमघोटू हो गई है। दिल्ली-एनसीआर धुंध की चादर में ढंक गई है। धुंध और कोहरे की वजह से विजिबिलिटी कम हुई है। मौसम की ऐसी हालत की वजह हिमालय क्षेत्र में एक्टिव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है। जिसकी वजह से हवा की दिशा पश्चिम से पूर्व की तरफ चलने लगी है, लिहाजा अब तक पाकिस्तानी साइड के ऊपर जमा प्रदूषण दिल्ली की तरफ आ गया है। ऐसे में दिल्ली समेत पूरे एनसीआर की हवा की हालत दमघोटू सी हो गई है।

बुधवार को नई दिल्ली का AQI इस मौसम में पहली बार गंभीर स्तर पर पहुंच गई। राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई 418 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, गुरूवार को भी दिल्ली में सुबह धुंध की परत छाई रही और वहीं साथ ही वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। कोहरे और स्मॉग की वजह से दृश्यता कम रही। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने के कारण राजधानी में धुंध की चादर छाई हुई है। सीरीफोर्ट इलाके में एक्यूआई 438 दर्ज किया गया है, जिसे सीपीसीबी के मुताबिक 'गंभीर' श्रेणी में रखा गया है। आनंद विहार में एक्यूआई 472 दर्ज हुआ है।

इन 10 इलाकों की हवा में सांस लेना मुश्किल

-आनंद विहार-------460

-जहांगीरपुरी--------445

-अशोक विहार------441

-सोनिया विहार------436

-आया नगर--------434

-नॉर्थ कैंपस--------431

-आईजीआई एयरपोर्ट---430

-आईटीओ----------429

-नजफगढ़----------426

-रोहिणी-----------429

स्कूलों को बंद करने की मांग

दिल्ली-एनसीआर के आसमान में प्रदूषण का स्तर आज बेहद खतरनाक लेवल तक पहुंच गया है। सुबह के समय सबसे ज्यादा पॉल्यूशन देखने को मिला। प्रदूषण से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह-सुबह स्मॉग के चलते विजिबिलिटी भी बहुत कम है। एक्यूआई के बढ़ने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। साथ ही आंखों में जलन होने से लोग परेशान हैं। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में जहरीली हवा चल रही है, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है, वहीं बढ़ते प्रदूषण पर स्कूलों को बंद करने की मांग तेज हो गई है ।

घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट*

प्रदूषण के बीच मैसम विभाग ने एक और समस्‍या को लेकर आगाह किया है। आईएमडी ने घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब यह है कि गाड़ी चलाने वालों को संभलकर और सावधानी के साथ वाहन चलाना होगा, क्‍योंकि विजिबिलिटी के काफी होने के आसार हैं। आईएमडी ने दिल्‍ली के मौसम को लेकर अलर्ट जारी किया है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि गुरुवार 14 नवंबर 2024 को दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है। घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट तक जारी किया गया है। ऐसे में विजिबिलिटी के कम रहने के पूरे आसार हैं। इससे ट्रैफिक व्‍यवस्‍था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, लिहाजा आमलोगों को वाहन चलाते समय अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की भी सलाह दी गई है। घने कोहरे की वजह से एयर के साथ ही ट्रेन सर्विसेज के प्रभावित होने की भी आशंका है। बता दें कि बुधवार को भी सुबह घना कोहरा छाया रहा।

पटाखों को लेकर दिल्ली पुलिस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पूछा-शादियों और चुनाव में भी पटाखे जलाए जा रहे, क्या कार्रवाई हुई?

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सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध के उसके आदेश को गंभीरता से न लेने के लिए दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने माना कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश को दिल्ली पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध पूरी तरह से लागू नहीं किया गया और महज दिखावा किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध था।⁠ क्या पुलिस ने बिक्री पर प्रतिबंध लगाया, आपने जो कुछ जब्त किया है, वह पटाखों का कच्चा माल हो सकता है?

इस दिवाली भी राजधानी दिल्‍ली और एनसीआर सहित पूरे उत्‍तर भारत में दिवाली के शुभ अवसर पर जमकर पटाखे चलाए गए। पटाखों पर बैन के बावजूद धड़ल्‍ले से इनका इस्‍तेमाल हुआ, जिसके चलते प्रदूषण का स्‍तर पर नई रिकॉर्ड पर पहुंच गया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता जो प्रदूषण को बढ़ावा दे या लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता करे। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि अगर पटाखे इसी तरह से फोड़े जाते रहे तो इससे नागरिकों का सेहत का मौलिक अधिकार प्रभावित होगा।

विशेष सेल बनाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे प्रदूषण को कम रखने के लिए अपने द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में उसे सूचित करें। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से उसके आदेश के पूर्ण पालन के लिए स्पेशल सेल बनाने का निर्देश दिया। साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि बिना लाइसेंस के कोई भी पटाखों का उत्पादन और उनकी बिक्री न कर सके।

पटाखों की ऑनलाइन सेल भी बंद करें

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी करके पटाखा बैन पर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने के निर्देश दिए कोर्ट ने कहा कि कमिश्नर तुरंत एक्शन लें और पटाखों की ऑनलाइन सेल भी बंद करें। कोर्ट ने 14 अक्टूबर के उस आदेश पर जिक्र किया, जिसमें 1 जनवरी, 2025 तक पटाखों पर पूर्ण बैन लगाया गया था। कोर्ट ने कहा कि जहां तक इसकी अनुपालना का सवाल है दिल्ली सरकार ने इसमें असहायता व्यक्त की क्योंकि इसे दिल्ली पुलिस द्वारा लागू किया जाना है। पुलिस की ओर से पेश एएसजी भाटी ने कहा कि प्रतिबंध जारी करने वाला आदेश 14 अक्टूबर को पारित किया गया था। हालांकि, हम पाते हैं कि दिल्ली पुलिस ने उक्त आदेश के कार्यान्वयन को गंभीरता से नहीं लिया।

कोई भी लाइसेंस धारक पटाखे न बेचे या न बनाए

कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली के पुलिस आयुक्त को निर्देश देते हैं कि वे तुरंत सभी संबंधितों को उक्त प्रतिबंध के बारे में सूचित करने की कार्रवाई करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी लाइसेंस धारक पटाखे न बेचे या न बनाए। हम आयुक्त को पटाखों पर प्रतिबंध के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने का निर्देश देते हैं। हमें आश्चर्य है कि दिल्ली सरकार ने 14 अक्टूबर तक प्रतिबंध (पटाखों पर) लगाने में देरी क्यों की। यह संभव है कि उपयोगकर्ताओं के पास उससे पहले ही पटाखों का स्टॉक रहा होगा।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने दिवाली से पहले पटाखों पर प्रतिबंध का निर्देश जारी किया था। हालांकि इसके बावजूद दिवाली पर खूब पटाखे छूटे और पटाखों पर प्रतिबंध का या तो बहुत कम या कई जगहों पर बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ा। इस पर दिल्ली पुलिस के आयुक्त ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पटाखों के उत्पादन और निर्माण को लेकर क्या-क्या कदम उठाए गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट तर्कों से संतुष्ट नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपने सिर्फ कच्चा माल जब्त करके महज दिखावा किया। पटाखों पर प्रतिबंध को गंभीरता के साथ लागू नहीं किया गया।

ఢిల్లీలో దారుణంగా వాయు నాణ్యత

దేశ రాజధాని ఢిల్లీలో గాలి నాణ్యత (Air Pollution) రోజురోజుకూ పడిపోతోంది. దీపావళి సందర్భంగా ప్రభుత్వం పటాకులపై నిషేధం విధించింది. అయినప్పటికీ ప్రజలు లెక్కచేయకుండా పెద్దమొత్తంలో బాంబులను కాల్చడంతో వాయుకాలుష్యం తీవ్ర స్థాయికి చేరుకుంది. దీంతో వాయు నాణ్యత దారుణంగా పడిపోతున్నది.

దేశ రాజధాని ఢిల్లీలో గాలి నాణ్యత (Air Pollution) రోజురోజుకూ పడిపోతోంది. దీపావళి సందర్భంగా ప్రభుత్వం పటాకులపై నిషేధం విధించింది. అయినప్పటికీ ప్రజలు లెక్కచేయకుండా పెద్దమొత్తంలో బాంబులను కాల్చడంతో వాయుకాలుష్యం తీవ్ర స్థాయికి చేరుకుంది. దీంతో వాయు నాణ్యత దారుణంగా పడిపోతున్నది. ప్రస్తుతం ఢిల్లీ-ఎన్సీఆర్‌ (Delhi – NCR) ప్రాంతంలో ఎయిర్‌ క్వాలిటీ ఇండెక్స్‌ 300కి పైనే నమోదవుతోంది. ఎయిర్‌ క్వాలిటీ అండ్‌ వెదర్‌ ఫోర్‌కాస్టింగ్‌ అండ్‌ రిసెర్చ్‌ (SAFAR) సంస్థ ప్రకారం.. ఇది చాలా ఆధ్వాన్నమైన స్థాయిలో ఉన్నట్లు. ఈ కారణంగా ఢిల్లీతోపాటు నేషనల్‌ క్యాపిటల్‌ రీజియన్‌లో ప్రజలు విష వాయువులను పీల్చుకుంటున్నారు. తద్వారా తీవ్ర అనారోగ్య సమస్యలను ఎదుర్కొంటున్నారు

దేశ రాజధానిలో దీపావళి రాత్రి అధిక స్థాయిలో వాయు కాలుష్యం నమోదైంది. పలు ప్రాంతాల్లో ఏక్యూఐ రీడింగ్‌లు గరిష్ఠ సాయి 999కి చేరాయి. దీని కారణంగా ఢిల్లీ – ఎన్సీఆర్‌ ప్రాంత ప్రజలు తీవ్ర ఆరోగ్య సమస్యలను నివేదించినట్లు ఓ సర్వే తాజాగా వెల్లడించింది. 69 శాతం కుటుంబాల్లో కనీసం ఒకరు లేదా అంతకంటే ఎక్కువ మంది గొంతునొప్పి, దగ్గుతో సహా కాలుష్య సంబంధిత వ్యాధులతో బాధపడుతున్నట్లు సదరు సర్వే నివేదించింది.

డిజిటల్ ప్లాట్‌ఫారమ్ అయిన లోకల్ సర్కిల్స్ ఈ సర్వే నిర్వహించింది. ఢిల్లీ-ఎన్సీఆర్‌ ప్రాంతంలో 21 వేల కంటే ఎక్కువ మందిపై సర్వే చేసింది. పెరుగుతున్న వాయు కాలుష్యం కారణంగా 62 శాతం కుటుంబాల్లో ఒకరు లేదా అంతకంటే ఎక్కువ మంది కళ్ల మంటలను ఎదుర్కొంటున్నట్లు తేలింది. 46 శాతం మంది ముక్కు కారటం వంటి సమస్యలు నివేదించారు. ఇక 31 శాతం మంది శ్వాస తీసుకోవడంలో ఇబ్బందులు లేదా ఆస్తమా ఉన్నట్లు తెలిపారు. మరో 31 శాతం మంది తలనొప్పిని ఎదుర్కొంటున్నట్లు పేర్కొన్నారు.

23 శాతం మంది ఏకాగ్రతను కోల్పోతున్నట్లు ఆందోళన వ్యక్తం చేయగా.. 15 శాతం మంది నిద్రపోతున్న సమయంలో ఇబ్బందులు ఎదుర్కొంటున్నట్లు నివేదించారు. అయితే, 31 శాతం మంది మాత్రం కాలుష్యం కారణంగా ఎలాంటి ఇబ్బందులనూ నివేదికంకపోవడం విశేషం. రాజధాని వాసులు చాలా మంది ఇప్పటికే దగ్గు, జలుబు, ఆస్తమా, బ్రోన్కైటిస్‌ క్రానిక్‌, క్రానిక్ అబ్స్ట్రక్టివ్ పల్మనరీ డిసీజ్ వంటి శ్వాసకోశ రుగ్మతలతో బాధపడుతున్నట్లు సదరు నివేదిక వెల్లడించింది. రానున్న రోజుల్లో ఢిల్లీ దాని పరిసర ప్రాంతాల్లో ఏక్యూఐ స్థాయిలు మరింత దిగజారే అవకాశం ఉందని సదరు సర్వే ఆందోళన వ్యక్తం చేసింది.

ఇక ఇదే సర్వే.. రాజధానిలో క్షీణిస్తున్న గాలి నాణ్యతను ఎదుర్కొనేందుకు ఎలా సిద్ధమవుతున్నారని ఢిల్లీ వాసులను ప్రశ్నించింది. 10,630 మందిలో 15 శాతం మంది ఈ సీజన్‌లో నగరాన్ని వదిలి వెళ్లిపోవాలని యోచిస్తున్నట్లు తెలిపారు. మరో 9 శాతం మంది రోగనిరోధక శక్తి పెరిగే ఆహారాలు, పానీయాలు తీసుకుంటూ ఇంటి పట్టునే ఉండాలనుకుంటున్నట్లు సమాధానం ఇచ్చారు. మరో 23 శాతం మంది ఎయిర్ ప్యూరిఫైయర్‌లను ఉపయోగించాలని యోచిస్తున్నారు. కొందరు కాలుష్య సంక్షోభాన్ని ఎదుర్కొనేందుకు పలు చర్యలు తీసుకుంటున్నట్లు వెల్లడించారు. మరికొందరు కాలుష్యాన్ని ఎదుర్కొనేందుకు సిద్ధంగా ఉన్నట్లు వెల్లడించారు.

గాలి నాణ్యత సున్నా నుంచి 50 మధ్య ఉంటే బాగా ఉన్నట్టు అర్ధం. 51 నుంచి 100 వరకు ఉంటే సంతృప్తికరమైనదని, 101 నుంచి 200 వరకు ఉంటే మితమైన నాణ్యత, 201 నుంచి 300 ఉంటే తక్కువ నాణ్యత అని, 301 నుంచి 400 వరకు ఉంటే చాలా పేలవమైనదని, 401 నుంచి 500 ఉంటే ప్రమాదకరస్థాయిగా పరిగణిస్తారు. అయితే, గత కొంతకాలంగా ఢిల్లీలో గాలి నాణ్యత ప్రమాదకరంగా మారుతోన్న విషయం తెలిసిందే. పొరుగు రాష్ట్రాల్లో పంట వ్యర్థాలను తగలపెట్టడానికి తోడు.. మంచు రాజధానిని కమ్మేయడంతో ఈ పరిస్థితి తలెత్తుతోంది. కాలుష్య నియంత్రణకు పాలకులు ఎన్ని చర్యలు చేపట్టినా ఫలితం ఉండటం లేదు. రోజురోజుకూ గాలి నాణ్యత క్షీణిస్తోంది. ఈ కారణంగా నగర వాసులు తీవ్ర అనారోగ్య సమసల్యకు గురికావాల్సి వస్తోంది.

दिल्ली में दिवाली के बाद 2015 के बाद से दूसरी सबसे साफ हवा दर्ज की गई, जानिए इसकी वजह

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Delhi post Diwali (PTI)

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता दिवाली के बाद 2015 के बाद से दूसरी सबसे साफ हवा रही है, जो “गंभीर” होने के बजाय “बहुत खराब” वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पर बनी हुई है। इस स्थिरता का श्रेय “तेज हवा के वेंटिलेशन” को जाता है, जिसकी गति 16 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। जबकि 24 घंटे का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गुरुवार रात तक लगातार चढ़ता रहा - शाम को 328 से आधी रात को 338 तक, शुक्रवार सुबह 9 बजे तक 362 तक पहुंच गया - शहर ने अप्रत्याशित राहत का अनुभव किया।

 दिल्ली में तेज, निरंतर हवाएं चलीं, जिससे घने धुएं की परत तेजी से छंट गई और शुक्रवार शाम 4 बजे तक AQI 339 तक नीचे आ गया, जो शाम 7 बजे तक और सुधरकर 323 हो गया। आतिशबाजी का उपयोग, पराली जलाने में वृद्धि, तथा विभिन्न स्थानीय स्रोतों से निकलने वाले जहरीले गैसों के उत्सर्जन ने शहर की वायु गुणवत्ता को गुरुवार देर रात और शुक्रवार सुबह तक “बहुत खराब” की ऊपरी श्रेणी में पहुंचा दिया।

स्काईमेट मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने तापमान और प्रदूषण के बीच इस जटिल अंतर्क्रिया को समझाया: “उच्च तापमान मिश्रण की ऊंचाई को ऊंचा रखता है और प्रदूषकों को स्वतंत्र रूप से घूमने और फैलने की अनुमति देता है। कम तापमान हवा की गति को धीमा कर देता है और प्रदूषकों को उलटा नामक घटना के माध्यम से सतह के करीब फंसा देता है।” उन्होंने कहा कि सर्दियों के महीनों में आमतौर पर मिश्रण की ऊंचाई मात्र 200-300 मीटर तक गिर जाती है, जबकि गुरुवार को मिश्रण की ऊंचाई 2,100 मीटर रही। “भले ही दिवाली पर वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में थी - आधी रात को गंभीर स्तर पर पहुंच गई - ये स्थितियां अगले दिन जल्दी ही खत्म हो गईं और दोपहर तक मध्यम स्तर पर पहुंच गईं। यह मुख्य रूप से उचित हवा की गति और प्राकृतिक वेंटिलेशन के साथ अपेक्षाकृत गर्म परिस्थितियों के कारण है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) में रिसर्च एंड एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "अभी तक गहरी शांति वाली सर्दियों की स्थितियां नहीं बनी हैं। इसके बावजूद, अक्टूबर के महीने में पिछले वर्षों की तुलना में अधिक खराब और बहुत खराब दिन भी देखे गए हैं, तब भी जब खेतों में आग लगाने का योगदान केवल 1-3% के आसपास रहा है, जो स्थानीय और क्षेत्रीय प्रदूषण के बहुत अधिक प्रभाव को दर्शाता है।" 

जबकि दक्षिणी दिल्ली के कुछ हिस्सों में पटाखों के उपयोग को सीमित कर दिया गया था, शहर के अधिकांश हिस्सों में गतिविधि में वृद्धि के साथ इसकी भरपाई की गई। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, शहर के पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने का योगदान भी काफी बढ़ गया, दिवाली के दिन इसका हिस्सा 27.61% तक पहुंच गया, जो बुधवार को 8.4% और मंगलवार को 1.8% था। शुक्रवार की सुबह धुंध के साथ शुरू हुई, मौसम विभाग ने दिवाली की मध्यरात्रि तक 12-16 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति की सूचना दी, जो आधी रात के करीब 3-7 किलोमीटर प्रति घंटे तक गिर गई, लेकिन शुक्रवार की सुबह फिर से बढ़ गई, जिससे वायु संचार और प्रदूषकों के फैलाव में मदद मिली।

हालांकि 2024 के लिए दिवाली के बाद का AQI 2015 के बाद से दूसरा सबसे साफ है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में PM2.5 के स्तर में हर घंटे बढ़ोतरी पर चिंता है, जो कथित तौर पर राष्ट्रीय अनुमेय सीमा से 30 गुना से अधिक है।

दिवाली पर खूब जले पटाखे, कहां रही पटाखों पर बैन के लिए बनाई गई 377, जानिए किस लेवल तक पहुंचा AQI

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सरकार और सुप्रीम कोर्ट के सख्‍त आदेश के बावजूद दिल्‍ली-एनसीआर मे दिवाली की रात लोगों ने जमकर पटाखे चलाए। जिसके चलते दिल्‍ली सहित नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम समेत एनसीआर के अन्‍य शहरों की हवा दमघोंटू हो गई। कुछ स्‍थानों पर रात के वक्‍त वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्‍यूआई का स्‍तर 700 के पार पहुंच गया था। हालांकि शुक्रवार सुबह इसमें कुछ गिरावट जरूर दर्ज की गई।दिल्ली के कई इलाकों में रात में एक्‍यूआई 700 के पार चला गया है। वहीं कुछ इलाकों में एक्यूआई 500 के पार पहुंच गया है। दिल्ली का औसत एक्यूआई 556 दर्ज किया गया। वहीं, आनंद विहार में 714, डिफेंस कॉलोनी में 631, पटपड़गंज में 513 एक्यूआई दर्ज किया गया। हालांकि, आनंद विहार इलाके में शुक्रवार सुबह प्रदूषण का स्‍तर 395 दर्ज हुआ, जो पूरी दिल्‍ली में सबसे अधिक है. इसके अलावा अशोक विहार में 384, मथुरा रोड पर 369, आया नगर में 352, अलीपुर में 350 और चांदनी चौक में प्रदूषण का स्‍तर 336 नामा गया। कुल मिलाकर दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में वायु गुणवत्ता काफी खराब स्थिति में पहुंच चुका है।

दिल्ली में पांच साल से लग रहा प्रतिबंध

बढ़ते प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए दिल्ली सरकार ने लगातार पांचवें साल भी राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की है। दिवाली की पूर्व संध्या पर, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने घोषणा की थी कि राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध क्रियान्वित करने के लिए टीमें गठित की गई हैं। इसके बावजूद पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली के इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रतिबंधों का उल्लंघन हुआ।

पटाखों पर बैन के लिए बनाई गई 377 टीमें

बता दें कि दिल्ली सरकार ने पटाखों पर बैन का अनुपालन कराने के लिए 377 टीमें भी गठित की थीं। इसके अलावा लोगों के बीच जागरुकता अभियान भी चलाए गए। इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में जमकर पटाखे जलाए गए। दिल्ली में बीते 24 घंटे में औसत एक्यूआई 330 दर्ज किया गया। वहीं रात 9 बजे दिल्ली का पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर क्रमश: 145.1 और 272 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक दर्ज किया गया।

पिछले सालों में दिवाली पर प्रदूषण का स्‍तर

2015 दीवाली के दिन AQI343

2016 दीवाली के दिन AQI431

2017 दीवाली के दिन AQI319

2018 दीवाली के दिन AQI281

2019 दीवाली के दिन AQI337

2020 दीवाली के दिन AQI414

2021 दीवाली के दिन AQI382

2022 दीवाली के दिन AQI 312

2023 दीवाली के दिन AQI 218

दिल्ली निवासियों को सांस लेने में हुई दिक्कत, दिवाली से पहले वायु प्रदूषण और भी बदतर

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Delhi

वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के अनुसार रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता और भी खराब हो गई, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 352 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है।

आनंद विहार जैसे क्षेत्रों में AQI 400 अंक को पार कर गया, जो सुबह 7 बजे 405 दर्ज किया गया, जिसे 'गंभीर' श्रेणी में रखा गया, जो शनिवार को दर्ज किए गए 367 AQI से भी खराब है। यह पूर्वानुमान शनिवार को दर्ज किए गए औसत AQI 255 से काफी खराब है, जिसे 'खराब' श्रेणी में रखा गया है। अक्षरधाम मंदिर में AQI 261 दर्ज किया गया, जबकि IGI हवाई अड्डे पर AQI 324 दर्ज किया गया, दोनों को 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया।

शहर में धुंध की एक परत छाई हुई है, जो सुबह-सुबह सबसे अधिक दिखाई देती है। लोगों का कहना कहा कि बढ़ते प्रदूषण से "दम घुटन" महसूस होती है।

एक साइकिल चालक ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, "हम दिल्ली से हैं और हम (साइकिल चालक समूह) यहाँ रोज़ाना साइकिल चलाते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वायु प्रदूषण की इस स्थिति के कारण हमें बहुत परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा, "हम ठीक से साँस नहीं ले पा रहे हैं, प्रदूषण के कारण हम जल्दी थक जाते हैं। हम रूमाल पहनने जैसी सावधानियाँ बरतते हैं, लेकिन कुछ भी काम नहीं कर रहा है क्योंकि प्रदूषण बहुत बढ़ रहा है।" 

नागरिकों ने सरकार से इस अवधि के दौरान श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि के कारण कार्रवाई करने का आह्वान किया है। साइकिल चालक ने एएनआई को बताया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त प्रभावी नहीं लगते हैं, और सरकार को लोगों को सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा, "सरकार ने निर्माण रोकने और ऑड-ईवन लागू करने जैसे कुछ काम किए हैं, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि यह काम कर रहा है क्योंकि यह दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। लोगों को सार्वजनिक परिवहन और कारपूलिंग का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मक उपाय किए जाने चाहिए।" 

त्योहारी सीजन के दौरान प्रदूषण पर अंकुश लगाने के प्रयास में, दिल्ली सरकार ने 1 जनवरी तक पटाखों के उपयोग और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने हवा में कण पदार्थ को कम करने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव, सार्वजनिक स्थानों की लगातार सफाई जैसे उपाय भी अपनाए हैं।