ऑपरेशन “साइबर कवच’’ के दृष्टिगत जनपद पुलिस ने आम जनमानस को साइबर अपराध से बचाव हेतु किया जागरूक

गोण्डा। ऑपरेशन "साइबर कवच" के दृष्टिगत जनपद गोण्डा में साइबर अपराधों की रोकथाम एवं आमजन को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु पुलिस अधीक्षक गोण्डा विनीत जायसवाल के निर्देशन में समस्त थाना प्रभारियों द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रों में साइबर जागरूकता अभियान चलाया गया ।

अभियान के अंतर्गत विद्यालयों, महाविद्यालयों, ग्राम सभाओं, बाजारों, बैंकों एवं सार्वजनिक स्थलों पर जनसभाओं का आयोजन कर नागरिकों को ऑनलाइन ठगी, ओटीपी फ्रॉड, फर्जी लिंक, सोशल मीडिया धोखाधड़ी जैसी घटनाओं से सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही, cybercrime.gov.in पोर्टल व हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की विधि की जानकारी भी दी गई ।

पुलिस कर्मियों द्वारा आमजन को यह भी बताया गया कि आजकल ठग APK file के ज़रिए लोगों को सरकारी स्कीम, निमंत्रण पत्र और लुभावने ऑफ़र के नाम पर लिंक भेजकर फंसाते हैं। इन्हें इंस्टॉल करते ही आपका डेटा और बैंकिंग जानकारी चोरी हो सकती है। इसलिए अनजान APK file कभी डाउनलोड न करें । किसी भी अज्ञात कॉल, संदिग्ध लिंक या लुभावने ऑफर के झांसे में न आएं एवं अपने बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी किसी से साझा न करें ।

साइबर सुरक्षा टिप्स-

01. ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी बरतें

02. किसी भी अनजान फोन कॉल पर अपनी बैंक डिटेल, ओटीपी, बायोमैट्रिक डेटा, पैन कार्ड व आधार कार्ड की डिटेल किसी के साथ साझा न करें।

03. सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।

04. अनजान लिंक्स पर क्लिक न करें।

05. अपने डिवाइस को सुरक्षित रखें।

06. ऑनलाइन शॉपिंग में सुरक्षित वेबसाइट्स का उपयोग करें।

07. पासवर्ड को मजबूत और गुप्त रखें।

08. ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखें।

09. साइबर बुलिंग और साईबर स्टॉकिंग के मामलों में तुरंत पुलिस को सूचित करें।

10. ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में कंपनी प्रबंधन और पुलिस को सूचित करें।

11. साइबर क्राइम की रिपोर्ट करने के लिए हेल्प लाइन नम्बर 1930 का प्रयोग करे।

पीएम से लेकर सीएम तक...गंभीर मामलों में गिरफ्तारी पर छोड़ना होगा पद, संसद में आज अहम विधेयक पेश करेगी सरकार

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केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार आज अहम बिल पेश करने जा रही है। इस बिल में ऐसा प्रावधान है कि कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री भी अगर किसी अपराध में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है तो उसे पद से हटना पड़ेगा। ये प्रस्तावित कानून केवल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों पर ही नहीं, बल्कि केंद्र के मंत्रियों और प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा।

अमित शाह बुधवार को लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है। इन विधेयकों का उद्देश्य यह है कि अगर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाता है तो उन्हें उनके पद से हटाया जा सके। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा कानूनों में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जिससे गिरफ्तारी या न्यायिक हिरासत की स्थिति में ऐसे नेताओं को उनके पद से हटाया जा सके। इसी कमी को दूर करने के लिए सरकार ने ये तीन विधेयक तैयार किए हैं।

संसद में आज जो बिल पेश किए जाएंगे, ये विधेयक हैं: केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025; संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन तीनों विधेयकों को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में एक प्रस्ताव भी पेश करेंगे।

30 दिन लगातार हिरासत में रहने पर छोड़ना होगा पद

संविधान संशोधन विधेयक में धारा 75 में नया क्लॉज़ 5(ए) जोड़ने का प्रस्ताव है। इसके अनुसार यदि कोई मंत्री 30 दिन लगातार गिरफ्तार रहकर हिरासत में रहता है और उस पर ऐसा आरोप है जिसमें पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है, तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर 31वें दिन उसे पद से हटा देंगे। अगर प्रधानमंत्री 31वें दिन तक यह सलाह नहीं देते तो भी वह मंत्री अपने आप पद से मुक्त हो जाएगा।

प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा ये नियम

इसी तरह प्रधानमंत्री पर भी नियम और कड़े होंगे। अगर पीएम लगातार 30 दिन हिरासत में रहते हैं तो उन्हें 31वें दिन इस्तीफा देना होगा। अगर इस्तीफा नहीं देते तो वे अपने आप प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे। हालांकि, ऐसे मंत्री या प्रधानमंत्री रिहाई के बाद दोबारा नियुक्त हो सकते हैं। यही प्रावधान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों पर भी लागू होगा।

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

वहीं कांग्रेस ने इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार इन विधेयकों के जरिए विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा विपक्ष को कमजोर करने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजना है कि केंद्र की एजेंसियों से विपक्षी नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार कराया जाए और फिर नए कानून के तहत उन्हें तुरंत पद से हटा दिया जाए।

ऑपरेशन “साइबर कवच’’ के दृष्टिगत जनपद पुलिस ने आम जनमानस को साइबर अपराध से बचाव हेतु किया जागरूक

गोण्डा। पुलिस अधीक्षक गोण्डा विनीत जायसवाल के निर्देशन में चलाए जा रहे साइबर जागरुकता अभियान ऑपरेशन "साइबर कवच" के दृष्टिगत जनपद गोण्डा में साइबर अपराधों की रोकथाम एवं आमजन को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु समस्त थाना प्रभारियों द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रों में साइबर जागरूकता अभियान चलाया गया ।

अभियान के अंतर्गत विद्यालयों, महाविद्यालयों, ग्राम सभाओं, बाजारों, बैंकों एवं सार्वजनिक स्थलों पर जनसभाओं का आयोजन कर नागरिकों को ऑनलाइन ठगी, ओटीपी फ्रॉड, फर्जी लिंक, सोशल मीडिया धोखाधड़ी जैसी घटनाओं से सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही, cybercrime.gov.in पोर्टल व हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की विधि की जानकारी भी दी गई ।

पुलिस कर्मियों द्वारा आमजन को यह भी बताया गया कि किसी भी अज्ञात कॉल, संदिग्ध लिंक या लुभावने ऑफर के झांसे में न आएं एवं अपने बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी किसी से साझा न करें ।

साइबर सुरक्षा टिप्स-

01. ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी बरतें

02. किसी भी अनजान फोन कॉल पर अपनी बैंक डिटेल, ओटीपी, बायोमैट्रिक डेटा, पैन कार्ड व आधार कार्ड की डिटेल किसी के साथ साझा न करें।

03. सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।

04. अनजान लिंक्स पर क्लिक न करें।

05. अपने डिवाइस को सुरक्षित रखें।

06. ऑनलाइन शॉपिंग में सुरक्षित वेबसाइट्स का उपयोग करें।

07. पासवर्ड को मजबूत और गुप्त रखें।

08. ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखें।

09. साइबर बुलिंग और साईबर स्टॉकिंग के मामलों में तुरंत पुलिस को सूचित करें।

10. ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में कंपनी प्रबंधन और पुलिस को सूचित करें।

11. साइबर क्राइम की रिपोर्ट करने के लिए हेल्प लाइन नम्बर 1930 का प्रयोग करें।

*जनपदीय पुलिस का यह प्रयास है कि हर नागरिक साइबर अपराधों को पहचान सके और सतर्क रहकर खुद को तथा दूसरों को सुरक्षित रख सके।

बच्चों को साइबर अपराध का बन रहा निशाना, गृह मंत्रालय ने जताई चिंता
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर !नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025: गृह मंत्रालय ने देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों, विशेषकर बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर गहरी चिंता जताई है। हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 से 2022 के बीच बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराधों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा प्रकाशित "भारत में अपराध" रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में जहां ऐसे कुल 232 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 1823 हो गई है। सबसे अधिक बढ़ोत्तरी इन अपराधों में देखी गई: साइबर पोर्नोग्राफी और बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री: 2018 में 44 से बढ़कर 2022 में 1171 मामले। साइबर स्टॉकिंग और बदमाशी: 2018 में 40 से बढ़कर 2022 में 158 मामले। ब्लैकमेलिंग और उत्पीड़न: 2018 में केवल 4 जबकि 2022 में 74 मामले। राज्य सरकारें ज़िम्मेदार, केंद्र दे रहा सहयोग: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं। हालांकि, केंद्र सरकार 'भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (I4C) और विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाओं के माध्यम से राज्यों को साइबर अपराध की रोकथाम में सहयोग दे रही है। महत्वपूर्ण पहलें: राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP): नागरिक अब https://cybercrime.gov.in पर महिला और बच्चों से जुड़े साइबर अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर 1930 भी 24x7 सहायता के लिए सक्रिय है। पूर्वोत्तर राज्यों में विशेष जागरूकता अभियान: CBSE और ISEA द्वारा स्कूलों में जागरूकता सत्र आयोजित किए गए। डाक विभाग के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में साइबर जागरूकता: साइबर स्वच्छता संदेशों का प्रचार किया गया। शिक्षा पाठ्यक्रम में भी शामिल होगी साइबर स्वच्छता: I4C और NCERT मिलकर पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा और स्वच्छता पर अध्याय जोड़ने की प्रक्रिया में हैं। इसके अलावा, दो लाख से अधिक NCC, NSS और NYKS छात्र भी साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार, बच्चों की डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर समन्वित प्रयास ज़रूरी हैं। यह कदम न केवल कानून व्यवस्था को सशक्त बनाएंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी साइबर दुनिया में सुरक्षित रहने की दिशा में तैयार करेंगे।
शराब घोटाले में चेतन्य बघेल को मिले थे 16.70 करोड़, ईडी ने पूर्व सीएम के बेटे की गिरफ्तारी को लेकर जारी किया बयान

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है। ईडी ने उन्हें विशेष न्यायालय (PMLA), रायपुर में पेश किया, जहां से उन्हें 22 जुलाई 2025 तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया गया है। चेतन्य बघेल की गिरफ्तारी को लेकर ईडी ने एक अधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।

प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि ईडी की यह जांच ACB/EOW रायपुर द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शुरू की गई थी, जिसमें आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस और ईडी की जांच में यह सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच हुए इस शराब घोटाले से राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ और करीब 2500 करोड़ रुपये की अवैध आय (Proceeds of Crime – POC) अर्जित की गई।

चैतन्य बघेल के खिलाफ आरोप क्या हैं?

ईडी के अनुसार, चैतन्य बघेल ने 16.70 करोड़ रुपये की अवैध कमाई को अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में खपाया। उन्होंने यह पैसा नकद में ठेकेदारों को भुगतान, फर्जी बैंक एंट्री और फ्लैट खरीद के बहाने से उपयोग किया। वह त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ मिलकर एक ‘विठ्ठलपुरम’ नामक परियोजना में फर्जी फ्लैट खरीद की योजना बनाकर 5 करोड़ रुपये प्राप्त करने के आरोप में भी घिरे हैं। इन फ्लैटों को ढिल्लन के कर्मचारियों के नाम पर खरीदा गया था, लेकिन असल लाभार्थी चैतन्य ही थे।

जांच में यह भी पाया गया कि चैतन्य ने इस घोटाले से जुड़े 1000 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध धनराशि को हैंडल किया और इसे अनवर ढेबर एवं अन्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष तक पहुंचाया गया। यह राशि बघेल परिवार के करीबी लोगों द्वारा आगे निवेश के लिए प्रयोग की गई।

अब तक कौन-कौन फंसे हैं?

इस मामले में अब तक ईडी द्वारा जिन प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें शामिल हैं:अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस),अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन,अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी कवासी लखमा (तत्कालीन आबकारी मंत्री और वर्तमान विधायक)ईडी ने बताया कि यह घोटाला सिर्फ शराब बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे अर्जित धन का उपयोग राजनीतिक और निजी निवेशों में किया गया है। मामले में धन की अंतिम उपयोगिता की जांच अभी चल रही है और आने वाले समय में और भी खुलासे संभव हैं।

अब फोन करने पर “परेशान” नहीं करेगी अमिताभ बच्चन की आवाज, हट जाएगी साइबर फ्रॉड कैंपेन वाली कॉलर ट्यून

#amitabhbachchancybercrimecallertuneremoved

आज के दौर में हम अक्सर काम ऑनलाइन करते हैं। हालांकि, ऑनलाइन का चलन बढ़ने के साथ साइबर फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार ने एक व्यापक अभियान चलाया था। जब भी हम किसी को फोन करते थे तो एक कॉलर ट्यून तब बजती थी। इसमें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन साइबर क्राइम को लेकर जागरूक करते सुने जाते थे। हालांकि, अब अमिताभ बच्चन की आवाज वाली साइबर सुरक्षा जागरूकता कॉलर ट्यून को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।

रिपोर्ट्स हैं कि सरकार ने ये डिसाइड किया है कि साइबर क्राइम से बचने के लिए देशवासियों को जागरुक करने के लिए जो कॉलर ट्यून लगी हुई थी उसे अब हटा दिया जाएगा। 26 जून यानी आज से ही वो कॉलर ट्यून हटा दी जाएगी।आम जनता की शिकायतों के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इस पर ब्रेक लगा दिया है।

कॉलर ट्यून को बंद करने हो रही थी मांग

साइबर सुरक्षा जागरूकता कॉलर ट्यून वाला 40 सेकंड का मैसेज हर कॉल से पहले बजता है।इस कॉलर ट्यून को लेकर लोगों का कहना था कि चाहे कितनी भी जरूरी कॉल हो, इसको सुनना मजबूरी बन गया है। इससे जुड़ी शिकायतें केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय और TRAI तक पहुंच रही थीं। सोशल मीडिया पर भी इस कॉलर ट्यून को बंद करने की मांग उठ रही थी।

शिकायतों के बाद मंत्रालय का फैसला

इस कॉलर ट्यून की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद मंत्रालय की तरफ से ये फैसला लिया गया है। एक पोस्ट में कहा गया है कि साइबर जागरूकता कॉलर ट्यून आपकी और आपके पैसों की सुरक्षा के लिए है। साइबर जागरूकता कॉलर ट्यून इमरजेंसी नंबर पर नहीं बनाए जाते हैं। अब सामान्य कॉल पर भी ये दिन में केवल दो बार चलाए जाते हैं। मंत्रालय ने साफ कर दिया कि अब आम जनता को हर कॉल पर ये कॉलर ट्यून नहीं सुननी पड़ेगी।

इस कॉलर ट्यून की वजह से अमिताभ हो चुके हैं ट्रोल

बता दें कि इस कॉलर ट्यून की वजह से अमिताभ को कई बार ट्रोलिंग भी झेलनी पड़ी थी. लोग उन्हें ये हटाने के लिए भी बोलते थे. हाल में एक यूजर ने अमिताभ से कहा था- फोन पर बोलना बंद करो तो इस पर अमिताभ ने जवाब भी दिया था। अमिताभ ने कहा था- सरकार को बोलो भाई, उन्होंने हमसे कहा था सो किया।

Counseling Meeting for Offenders Held Under Leadership of Station House Officer at Captanganj Police Station





Azamgarh: A special meeting was organized at the Captanganj police station under the leadership of Station House Officer (SHO) Vivek Kumar Pandey. Individuals identified with criminal tendencies in the area were invited to the meeting to establish dialogue with them. The objective of the meeting was to reintegrate offenders into the mainstream and spread awareness towards building a crime-free society.

During the session, SHO Vivek Pandey briefed the attendees about the consequences of engaging in criminal activities and gave a strict warning against involvement in any such acts in the future. He also instructed that any suspicious or illegal activity in the area should be reported to the police immediately.

This initiative by the police administration is being seen as a positive step towards maintaining law and order in society. On this occasion, Senior Sub-Inspector Vinod Kumar Yadav, Sub-Inspectors Mayapati Pandey, Kashi Nath Yadav, Aman Tiwari, Prince Mishra, and other officers and staff members were also present.








Azamgarh: A special meeting was organized at the Captanganj police station under the leadership of Station House Officer (SHO) Vivek Kumar Pandey. Individuals identified with criminal tendencies in the area were invited to the meeting to establish dialogue with them. The objective of the meeting was to reintegrate offenders into the mainstream and spread awareness towards building a crime-free society.

During the session, SHO Vivek Pandey briefed the attendees about the consequences of engaging in criminal activities and gave a strict warning against involvement in any such acts in the future. He also instructed that any suspicious or illegal activity in the area should be reported to the police immediately.

This initiative by the police administration is being seen as a positive step towards maintaining law and order in society. On this occasion, Senior Sub-Inspector Vinod Kumar Yadav, Sub-Inspectors Mayapati Pandey, Kashi Nath Yadav, Aman Tiwari, Prince Mishra, and other officers and staff members were also present.

लखनऊ पुलिस की नई उड़ान: ईगल मोबाइल से होगा अपराधियों का पीछा"

लखनऊ की सड़कों पर अब अपराधियों को सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि अब उन्हें हर वक्त निगाह में रखेगी एक नई ताकत— ईगल मोबाइल टीम। अपराध पर अंकुश लगाने और असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखने के लिए लखनऊ पुलिस ने 17 अप्रैल 2025 को एक नई और अत्याधुनिक पहल की शुरुआत की है। इस पहल के तहत हर थाने में एक दोपहिया वाहन पर तैनात दो पुलिसकर्मी अपराधियों की गतिविधियों पर बाज की नजर रखेंगे।

यह टीम अपराधियों पर बाज जैसी पैनी नजर रखेगी

राजधानी पुलिस ने अपराध और अपराधियों पर सख्ती से शिकंजा कसने के लिए ‘ईगल मोबाइल - क्रिमिनल सर्विलांस एंड मॉनिटरिंग टीम’ का गठन किया है। पुलिस आयुक्त लखनऊ कमिश्नरेट और संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध एवं मुख्यालय) के नेतृत्व में शुरू की गई इस अनोखी पहल का उद्देश्य है— अपराधियों की नियमित निगरानी, जानकारी का संकलन और समय रहते कार्रवाई।इस टीम का नाम ‘ईगल’ इसलिए रखा गया है क्योंकि यह टीम अपराधियों पर बाज जैसी पैनी नजर रखेगी। ईगल मोबाइल टीम को खास दोपहिया वाहनों और आधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है। हर थाने में यह टीम दो पुलिसकर्मियों—मुख्य आरक्षी या आरक्षी—की होगी, जो क्षेत्र के अपराधियों का पूरा डेटा तैयार कर उनके ठिकानों तक पहुंच बनाएगी।

ईगल मोबाइल टीम के प्रमुख कार्य

-प्रत्येक थाने में तैनात दो पुलिसकर्मियों को एक विशेष दोपहिया वाहन प्रदान किया गया है।

-इन्हें अपराधियों की विस्तृत सूची दी जाएगी, जिसमें History-Sheeter, सक्रिय अपराधी, गैंग के सदस्य, दस साल के आपराधिक रिकॉर्ड वाले अपराधी तथा हाल ही में जेल से रिहा अपराधी शामिल होंगे।

-हर दिन कम से कम 10 अपराधियों का डोज़ियर तैयार किया जाएगा, जिसमें उनके पते, गतिविधियों, पुराने अपराध, संपर्क आदि का विवरण होगा।

-डोज़ियर पूर्ण होने के बाद प्रत्येक दिन कम से कम 20 अपराधियों की निगरानी की जाएगी।

-ईगल मोबाइल टीम के सभी सदस्यों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाएगा, जहां रोज़ के कामों की रिपोर्ट पोस्ट की जाएगी।

-जेल से छूटे अपराधियों की सूची रोजाना व्हाट्सएप ग्रुप में दी जाएगी, जिसके आधार पर संबंधित थाना क्षेत्र के अपराधियों का सत्यापन किया जाएगा।

-अपराधी एलबम रजिस्टर को अपडेट किया जाएगा, जो थानों में पहले से बनाए जाते रहे हैं।

-HS (History-Sheeter)/सक्रिय अपराधियों और गैंग सदस्यों की लगातार निगरानी की जाएगी।

-जेल जाने वाले अपराधियों से पूछताछ कर उनका डोज़ियर तैयार किया जाएगा।

-डोज़ियर स्कैन कर DCRB (District Crime Record Bureau) कार्यालय भेजा जाएगा और Trinetra ऐप पर अपलोड के लिए SHO को सौंपा जाएगा।

-इन पुलिसकर्मियों को किसी और ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा, जिससे इनका पूरा ध्यान निगरानी पर ही रहे।

-दूसरे थाना क्षेत्र के अपराधियों की सूचना पर संबंधित थानों की ईगल मोबाइल टीम से समन्वय किया जाएगा।

-रोज़ाना की रिपोर्ट थाना प्रभारी व सहायक पुलिस आयुक्त को सौंपी जाएगी।

-DCRB कार्यालय में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है, जो पूरे जिले की रिपोर्ट का विश्लेषण करेगा। इसकी निगरानी प्रभारी DCRB (सीयूजी- 9454458079) द्वारा की जाएगी।

-प्रत्येक महीने दो बार (प्रथम पक्ष व द्वितीय पक्ष) ईगल मोबाइल की बैठक DCP Crime द्वारा की जाएगी।

इस योजना से पुलिस अपराधियों के मूवमेंट रख पाएगी नजर

इस योजना के तहत लखनऊ पुलिस अपराधियों के हर मूवमेंट पर नजर रख पाएगी। इससे अपराधियों में खौफ पैदा होगा और साथ ही पुलिस की सूचना तंत्र पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होगा। इस टेक-सपोर्टेड निगरानी प्रणाली से पुलिस समय पर एक्शन ले सकेगी और आम जनता को भी सुरक्षा का अहसास होगा।

साइबर क्राइम के खिलाफ पुलिस की सख्त कार्रवाई, साइबर ठगों को फर्जी सिम बेचने वाले 5 पीओएस एजेंट गिरफ्तार

बिलासपुर-  ऑनलाइन साइबर फ्रॉड (Cyber Crime) के लिए फर्जी सिम कार्ड देने वाले 5 पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) एजेंटों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ये आरोपी दिल्ली, अलवर (राजस्थान) समेत अन्य स्थानों पर साइबर ठगों को फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराते थे. पुलिस ने एक साथ रेड कार्रवाई कर आरोपियों को पकड़ा है. पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ धारा 66(C)-INF, 316(5), 318(4), 336(3)-BNS के तहत कार्रवाई की है और आगे की जांच जारी है.

एडीशनल एसपी अर्चना झा ने बताया कि एसपी रजनेश सिंह ने साइबर क्राइम पोर्टल में रिपोर्ट किए गए पीओएस एजेंटों की जांच के लिए योजना तैयार कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर पीओएस एजेंटों को चिन्हित किया गया, तो पता चला कि कोटा क्षेत्र के कुछ लोग आमजन की आईडी पर एक से अधिक सिम कार्ड जारी करवाकर साइबर ठगों को दिल्ली, अलवर, राजस्थान और अन्य स्थानों में भेज रहे हैं तथा साइबर ठगी के रैकेट में शामिल होकर अवैध मुनाफा कमा रहे हैं.

जांच में संदिग्ध पाए गए बैंक खातों म्यूल अकाउंट की भी जांच की गई. जांच में पाया गया साइबर ठगी के लिए फर्जी सिम कार्ड भी जारी किए गए हैं. जिस सिम कार्ड का साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट शेयर ट्रेडिंग फ्रॉड, केवाईसी अपडेट जैसे साइबर अपराध में उपयोग करते थे.पुलिस ने कोटा क्षेत्र में दबिश देकर 5 पीओएस एजेंट को गिरफ्तार कर लिया, और उनके खिलाफ कार्रवाई में जुटी हुई है.

बैंकिंग फ्रॉड में पहले भी 19 लोग गिरफ्तार

बता दें कि इससे पहले साइबर ठगी में कमीशन पर बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले बैंक कर्मियों और एजेंटों सहित 19 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. अब पुलिस ने कोटा क्षेत्र में दबिश देकर 5 पीओएस एजेंटों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तार आरोपियों के नाम

अंशु श्रीवास (19 वर्ष), निवासी पथर्रा, थाना कोटा, बिलासपुर.

फिरोज अंसारी (19 वर्ष), निवासी फिरंगीपारा, थाना कोटा, बिलासपुर.

मुकुल श्रीवास (21 वर्ष), निवासी फिरंगीपारा, थाना कोटा, बिलासपुर.

द्वारिका साहू (23 वर्ष), निवासी वार्ड नं. 10, डाक बंगलापारा, थाना कोटा, बिलासपुर.

जय पालके (20 वर्ष), निवासी नवागांव कोटा, थाना कोटा, बिलासपुर.

किसी को 'मियां-तियां' या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी


#calling_someone_miyan_tian_and_pakistani_is_not_crime_supreme_court 

सुप्रीम कोर्ट ने 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी को राहत दी है। कोर्ट ने धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में दर्ज केस निरस्त कर दिया है। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इस तरह की बात कहने को असभ्यता कहा है, लेकिन उसके चलते मुकदमा चलाने को सही नहीं माना।

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से शब्द आदि बोलना) के तहत आरोप से एक व्यक्ति को मुक्त कर दिया।कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पर उसे 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। अदालत ने कहा कि निस्संदेह, दिए गए कथन गलत है। हालाँकि, इससे याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुचती है।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच झारखंड उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। मामला उप-विभागीय कार्यालय, चास में एक उर्दू अनुवादक और कार्यवाहक क्लर्क (सूचना का अधिकार) की तरफ से दर्ज एफआईआर से जुड़ा था।

यह मामला उस समय शुरू हुआ जब एक सरकारी कर्मचारी, जो कि उर्दू अनुवादक और सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कार्यरत था, ने एक आदेश के तहत हरी नंदन सिंह को कुछ दस्तावेज सौंपे। आरोप के मुताबिक सिंह ने दस्तावेज स्वीकार करने में अनिच्छा दिखाई और इसके बाद कर्मचारी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया। यह भी कहा गया कि उन्होंने सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहकर संबोधित किया और उसे डराने का प्रयास किया।

इस घटना के बाद सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हरी नंदन सिंह ने इस मामले में पहले सेशन कोर्ट और फिर राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दोनों अदालतों ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया। आखिर में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतिश चंद्र शर्मा की बेंच ने फैसला सुनाया कि इस मामले में धारा 298 लागू नहीं होती क्योंकि आरोपी की टिप्पणियां भले ही अनुचित थीं, लेकिन वे किसी विशेष धर्म के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं कही गई थीं।

ऑपरेशन “साइबर कवच’’ के दृष्टिगत जनपद पुलिस ने आम जनमानस को साइबर अपराध से बचाव हेतु किया जागरूक

गोण्डा। ऑपरेशन "साइबर कवच" के दृष्टिगत जनपद गोण्डा में साइबर अपराधों की रोकथाम एवं आमजन को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु पुलिस अधीक्षक गोण्डा विनीत जायसवाल के निर्देशन में समस्त थाना प्रभारियों द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रों में साइबर जागरूकता अभियान चलाया गया ।

अभियान के अंतर्गत विद्यालयों, महाविद्यालयों, ग्राम सभाओं, बाजारों, बैंकों एवं सार्वजनिक स्थलों पर जनसभाओं का आयोजन कर नागरिकों को ऑनलाइन ठगी, ओटीपी फ्रॉड, फर्जी लिंक, सोशल मीडिया धोखाधड़ी जैसी घटनाओं से सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही, cybercrime.gov.in पोर्टल व हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की विधि की जानकारी भी दी गई ।

पुलिस कर्मियों द्वारा आमजन को यह भी बताया गया कि आजकल ठग APK file के ज़रिए लोगों को सरकारी स्कीम, निमंत्रण पत्र और लुभावने ऑफ़र के नाम पर लिंक भेजकर फंसाते हैं। इन्हें इंस्टॉल करते ही आपका डेटा और बैंकिंग जानकारी चोरी हो सकती है। इसलिए अनजान APK file कभी डाउनलोड न करें । किसी भी अज्ञात कॉल, संदिग्ध लिंक या लुभावने ऑफर के झांसे में न आएं एवं अपने बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी किसी से साझा न करें ।

साइबर सुरक्षा टिप्स-

01. ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी बरतें

02. किसी भी अनजान फोन कॉल पर अपनी बैंक डिटेल, ओटीपी, बायोमैट्रिक डेटा, पैन कार्ड व आधार कार्ड की डिटेल किसी के साथ साझा न करें।

03. सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।

04. अनजान लिंक्स पर क्लिक न करें।

05. अपने डिवाइस को सुरक्षित रखें।

06. ऑनलाइन शॉपिंग में सुरक्षित वेबसाइट्स का उपयोग करें।

07. पासवर्ड को मजबूत और गुप्त रखें।

08. ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखें।

09. साइबर बुलिंग और साईबर स्टॉकिंग के मामलों में तुरंत पुलिस को सूचित करें।

10. ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में कंपनी प्रबंधन और पुलिस को सूचित करें।

11. साइबर क्राइम की रिपोर्ट करने के लिए हेल्प लाइन नम्बर 1930 का प्रयोग करे।

पीएम से लेकर सीएम तक...गंभीर मामलों में गिरफ्तारी पर छोड़ना होगा पद, संसद में आज अहम विधेयक पेश करेगी सरकार

#govttointroducebillstoremovepmministersutcmsuponarrestforseriouscrimes

केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार आज अहम बिल पेश करने जा रही है। इस बिल में ऐसा प्रावधान है कि कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री भी अगर किसी अपराध में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है तो उसे पद से हटना पड़ेगा। ये प्रस्तावित कानून केवल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों पर ही नहीं, बल्कि केंद्र के मंत्रियों और प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा।

अमित शाह बुधवार को लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है। इन विधेयकों का उद्देश्य यह है कि अगर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाता है तो उन्हें उनके पद से हटाया जा सके। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा कानूनों में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जिससे गिरफ्तारी या न्यायिक हिरासत की स्थिति में ऐसे नेताओं को उनके पद से हटाया जा सके। इसी कमी को दूर करने के लिए सरकार ने ये तीन विधेयक तैयार किए हैं।

संसद में आज जो बिल पेश किए जाएंगे, ये विधेयक हैं: केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025; संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन तीनों विधेयकों को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में एक प्रस्ताव भी पेश करेंगे।

30 दिन लगातार हिरासत में रहने पर छोड़ना होगा पद

संविधान संशोधन विधेयक में धारा 75 में नया क्लॉज़ 5(ए) जोड़ने का प्रस्ताव है। इसके अनुसार यदि कोई मंत्री 30 दिन लगातार गिरफ्तार रहकर हिरासत में रहता है और उस पर ऐसा आरोप है जिसमें पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है, तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर 31वें दिन उसे पद से हटा देंगे। अगर प्रधानमंत्री 31वें दिन तक यह सलाह नहीं देते तो भी वह मंत्री अपने आप पद से मुक्त हो जाएगा।

प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा ये नियम

इसी तरह प्रधानमंत्री पर भी नियम और कड़े होंगे। अगर पीएम लगातार 30 दिन हिरासत में रहते हैं तो उन्हें 31वें दिन इस्तीफा देना होगा। अगर इस्तीफा नहीं देते तो वे अपने आप प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे। हालांकि, ऐसे मंत्री या प्रधानमंत्री रिहाई के बाद दोबारा नियुक्त हो सकते हैं। यही प्रावधान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों पर भी लागू होगा।

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

वहीं कांग्रेस ने इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार इन विधेयकों के जरिए विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा विपक्ष को कमजोर करने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजना है कि केंद्र की एजेंसियों से विपक्षी नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार कराया जाए और फिर नए कानून के तहत उन्हें तुरंत पद से हटा दिया जाए।

ऑपरेशन “साइबर कवच’’ के दृष्टिगत जनपद पुलिस ने आम जनमानस को साइबर अपराध से बचाव हेतु किया जागरूक

गोण्डा। पुलिस अधीक्षक गोण्डा विनीत जायसवाल के निर्देशन में चलाए जा रहे साइबर जागरुकता अभियान ऑपरेशन "साइबर कवच" के दृष्टिगत जनपद गोण्डा में साइबर अपराधों की रोकथाम एवं आमजन को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु समस्त थाना प्रभारियों द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रों में साइबर जागरूकता अभियान चलाया गया ।

अभियान के अंतर्गत विद्यालयों, महाविद्यालयों, ग्राम सभाओं, बाजारों, बैंकों एवं सार्वजनिक स्थलों पर जनसभाओं का आयोजन कर नागरिकों को ऑनलाइन ठगी, ओटीपी फ्रॉड, फर्जी लिंक, सोशल मीडिया धोखाधड़ी जैसी घटनाओं से सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही, cybercrime.gov.in पोर्टल व हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की विधि की जानकारी भी दी गई ।

पुलिस कर्मियों द्वारा आमजन को यह भी बताया गया कि किसी भी अज्ञात कॉल, संदिग्ध लिंक या लुभावने ऑफर के झांसे में न आएं एवं अपने बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी किसी से साझा न करें ।

साइबर सुरक्षा टिप्स-

01. ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी बरतें

02. किसी भी अनजान फोन कॉल पर अपनी बैंक डिटेल, ओटीपी, बायोमैट्रिक डेटा, पैन कार्ड व आधार कार्ड की डिटेल किसी के साथ साझा न करें।

03. सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।

04. अनजान लिंक्स पर क्लिक न करें।

05. अपने डिवाइस को सुरक्षित रखें।

06. ऑनलाइन शॉपिंग में सुरक्षित वेबसाइट्स का उपयोग करें।

07. पासवर्ड को मजबूत और गुप्त रखें।

08. ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखें।

09. साइबर बुलिंग और साईबर स्टॉकिंग के मामलों में तुरंत पुलिस को सूचित करें।

10. ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में कंपनी प्रबंधन और पुलिस को सूचित करें।

11. साइबर क्राइम की रिपोर्ट करने के लिए हेल्प लाइन नम्बर 1930 का प्रयोग करें।

*जनपदीय पुलिस का यह प्रयास है कि हर नागरिक साइबर अपराधों को पहचान सके और सतर्क रहकर खुद को तथा दूसरों को सुरक्षित रख सके।

बच्चों को साइबर अपराध का बन रहा निशाना, गृह मंत्रालय ने जताई चिंता
अमर बहादुर सिंह बलिया शहर !नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025: गृह मंत्रालय ने देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों, विशेषकर बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर गहरी चिंता जताई है। हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 से 2022 के बीच बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराधों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा प्रकाशित "भारत में अपराध" रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में जहां ऐसे कुल 232 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 1823 हो गई है। सबसे अधिक बढ़ोत्तरी इन अपराधों में देखी गई: साइबर पोर्नोग्राफी और बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री: 2018 में 44 से बढ़कर 2022 में 1171 मामले। साइबर स्टॉकिंग और बदमाशी: 2018 में 40 से बढ़कर 2022 में 158 मामले। ब्लैकमेलिंग और उत्पीड़न: 2018 में केवल 4 जबकि 2022 में 74 मामले। राज्य सरकारें ज़िम्मेदार, केंद्र दे रहा सहयोग: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं। हालांकि, केंद्र सरकार 'भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र' (I4C) और विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाओं के माध्यम से राज्यों को साइबर अपराध की रोकथाम में सहयोग दे रही है। महत्वपूर्ण पहलें: राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP): नागरिक अब https://cybercrime.gov.in पर महिला और बच्चों से जुड़े साइबर अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर 1930 भी 24x7 सहायता के लिए सक्रिय है। पूर्वोत्तर राज्यों में विशेष जागरूकता अभियान: CBSE और ISEA द्वारा स्कूलों में जागरूकता सत्र आयोजित किए गए। डाक विभाग के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में साइबर जागरूकता: साइबर स्वच्छता संदेशों का प्रचार किया गया। शिक्षा पाठ्यक्रम में भी शामिल होगी साइबर स्वच्छता: I4C और NCERT मिलकर पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा और स्वच्छता पर अध्याय जोड़ने की प्रक्रिया में हैं। इसके अलावा, दो लाख से अधिक NCC, NSS और NYKS छात्र भी साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार, बच्चों की डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर समन्वित प्रयास ज़रूरी हैं। यह कदम न केवल कानून व्यवस्था को सशक्त बनाएंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी साइबर दुनिया में सुरक्षित रहने की दिशा में तैयार करेंगे।
शराब घोटाले में चेतन्य बघेल को मिले थे 16.70 करोड़, ईडी ने पूर्व सीएम के बेटे की गिरफ्तारी को लेकर जारी किया बयान

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है। ईडी ने उन्हें विशेष न्यायालय (PMLA), रायपुर में पेश किया, जहां से उन्हें 22 जुलाई 2025 तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया गया है। चेतन्य बघेल की गिरफ्तारी को लेकर ईडी ने एक अधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।

प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि ईडी की यह जांच ACB/EOW रायपुर द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शुरू की गई थी, जिसमें आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस और ईडी की जांच में यह सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच हुए इस शराब घोटाले से राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ और करीब 2500 करोड़ रुपये की अवैध आय (Proceeds of Crime – POC) अर्जित की गई।

चैतन्य बघेल के खिलाफ आरोप क्या हैं?

ईडी के अनुसार, चैतन्य बघेल ने 16.70 करोड़ रुपये की अवैध कमाई को अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में खपाया। उन्होंने यह पैसा नकद में ठेकेदारों को भुगतान, फर्जी बैंक एंट्री और फ्लैट खरीद के बहाने से उपयोग किया। वह त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ मिलकर एक ‘विठ्ठलपुरम’ नामक परियोजना में फर्जी फ्लैट खरीद की योजना बनाकर 5 करोड़ रुपये प्राप्त करने के आरोप में भी घिरे हैं। इन फ्लैटों को ढिल्लन के कर्मचारियों के नाम पर खरीदा गया था, लेकिन असल लाभार्थी चैतन्य ही थे।

जांच में यह भी पाया गया कि चैतन्य ने इस घोटाले से जुड़े 1000 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध धनराशि को हैंडल किया और इसे अनवर ढेबर एवं अन्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष तक पहुंचाया गया। यह राशि बघेल परिवार के करीबी लोगों द्वारा आगे निवेश के लिए प्रयोग की गई।

अब तक कौन-कौन फंसे हैं?

इस मामले में अब तक ईडी द्वारा जिन प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें शामिल हैं:अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस),अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन,अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी कवासी लखमा (तत्कालीन आबकारी मंत्री और वर्तमान विधायक)ईडी ने बताया कि यह घोटाला सिर्फ शराब बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे अर्जित धन का उपयोग राजनीतिक और निजी निवेशों में किया गया है। मामले में धन की अंतिम उपयोगिता की जांच अभी चल रही है और आने वाले समय में और भी खुलासे संभव हैं।

अब फोन करने पर “परेशान” नहीं करेगी अमिताभ बच्चन की आवाज, हट जाएगी साइबर फ्रॉड कैंपेन वाली कॉलर ट्यून

#amitabhbachchancybercrimecallertuneremoved

आज के दौर में हम अक्सर काम ऑनलाइन करते हैं। हालांकि, ऑनलाइन का चलन बढ़ने के साथ साइबर फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार ने एक व्यापक अभियान चलाया था। जब भी हम किसी को फोन करते थे तो एक कॉलर ट्यून तब बजती थी। इसमें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन साइबर क्राइम को लेकर जागरूक करते सुने जाते थे। हालांकि, अब अमिताभ बच्चन की आवाज वाली साइबर सुरक्षा जागरूकता कॉलर ट्यून को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।

रिपोर्ट्स हैं कि सरकार ने ये डिसाइड किया है कि साइबर क्राइम से बचने के लिए देशवासियों को जागरुक करने के लिए जो कॉलर ट्यून लगी हुई थी उसे अब हटा दिया जाएगा। 26 जून यानी आज से ही वो कॉलर ट्यून हटा दी जाएगी।आम जनता की शिकायतों के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इस पर ब्रेक लगा दिया है।

कॉलर ट्यून को बंद करने हो रही थी मांग

साइबर सुरक्षा जागरूकता कॉलर ट्यून वाला 40 सेकंड का मैसेज हर कॉल से पहले बजता है।इस कॉलर ट्यून को लेकर लोगों का कहना था कि चाहे कितनी भी जरूरी कॉल हो, इसको सुनना मजबूरी बन गया है। इससे जुड़ी शिकायतें केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय और TRAI तक पहुंच रही थीं। सोशल मीडिया पर भी इस कॉलर ट्यून को बंद करने की मांग उठ रही थी।

शिकायतों के बाद मंत्रालय का फैसला

इस कॉलर ट्यून की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद मंत्रालय की तरफ से ये फैसला लिया गया है। एक पोस्ट में कहा गया है कि साइबर जागरूकता कॉलर ट्यून आपकी और आपके पैसों की सुरक्षा के लिए है। साइबर जागरूकता कॉलर ट्यून इमरजेंसी नंबर पर नहीं बनाए जाते हैं। अब सामान्य कॉल पर भी ये दिन में केवल दो बार चलाए जाते हैं। मंत्रालय ने साफ कर दिया कि अब आम जनता को हर कॉल पर ये कॉलर ट्यून नहीं सुननी पड़ेगी।

इस कॉलर ट्यून की वजह से अमिताभ हो चुके हैं ट्रोल

बता दें कि इस कॉलर ट्यून की वजह से अमिताभ को कई बार ट्रोलिंग भी झेलनी पड़ी थी. लोग उन्हें ये हटाने के लिए भी बोलते थे. हाल में एक यूजर ने अमिताभ से कहा था- फोन पर बोलना बंद करो तो इस पर अमिताभ ने जवाब भी दिया था। अमिताभ ने कहा था- सरकार को बोलो भाई, उन्होंने हमसे कहा था सो किया।

Counseling Meeting for Offenders Held Under Leadership of Station House Officer at Captanganj Police Station





Azamgarh: A special meeting was organized at the Captanganj police station under the leadership of Station House Officer (SHO) Vivek Kumar Pandey. Individuals identified with criminal tendencies in the area were invited to the meeting to establish dialogue with them. The objective of the meeting was to reintegrate offenders into the mainstream and spread awareness towards building a crime-free society.

During the session, SHO Vivek Pandey briefed the attendees about the consequences of engaging in criminal activities and gave a strict warning against involvement in any such acts in the future. He also instructed that any suspicious or illegal activity in the area should be reported to the police immediately.

This initiative by the police administration is being seen as a positive step towards maintaining law and order in society. On this occasion, Senior Sub-Inspector Vinod Kumar Yadav, Sub-Inspectors Mayapati Pandey, Kashi Nath Yadav, Aman Tiwari, Prince Mishra, and other officers and staff members were also present.








Azamgarh: A special meeting was organized at the Captanganj police station under the leadership of Station House Officer (SHO) Vivek Kumar Pandey. Individuals identified with criminal tendencies in the area were invited to the meeting to establish dialogue with them. The objective of the meeting was to reintegrate offenders into the mainstream and spread awareness towards building a crime-free society.

During the session, SHO Vivek Pandey briefed the attendees about the consequences of engaging in criminal activities and gave a strict warning against involvement in any such acts in the future. He also instructed that any suspicious or illegal activity in the area should be reported to the police immediately.

This initiative by the police administration is being seen as a positive step towards maintaining law and order in society. On this occasion, Senior Sub-Inspector Vinod Kumar Yadav, Sub-Inspectors Mayapati Pandey, Kashi Nath Yadav, Aman Tiwari, Prince Mishra, and other officers and staff members were also present.

लखनऊ पुलिस की नई उड़ान: ईगल मोबाइल से होगा अपराधियों का पीछा"

लखनऊ की सड़कों पर अब अपराधियों को सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि अब उन्हें हर वक्त निगाह में रखेगी एक नई ताकत— ईगल मोबाइल टीम। अपराध पर अंकुश लगाने और असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखने के लिए लखनऊ पुलिस ने 17 अप्रैल 2025 को एक नई और अत्याधुनिक पहल की शुरुआत की है। इस पहल के तहत हर थाने में एक दोपहिया वाहन पर तैनात दो पुलिसकर्मी अपराधियों की गतिविधियों पर बाज की नजर रखेंगे।

यह टीम अपराधियों पर बाज जैसी पैनी नजर रखेगी

राजधानी पुलिस ने अपराध और अपराधियों पर सख्ती से शिकंजा कसने के लिए ‘ईगल मोबाइल - क्रिमिनल सर्विलांस एंड मॉनिटरिंग टीम’ का गठन किया है। पुलिस आयुक्त लखनऊ कमिश्नरेट और संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध एवं मुख्यालय) के नेतृत्व में शुरू की गई इस अनोखी पहल का उद्देश्य है— अपराधियों की नियमित निगरानी, जानकारी का संकलन और समय रहते कार्रवाई।इस टीम का नाम ‘ईगल’ इसलिए रखा गया है क्योंकि यह टीम अपराधियों पर बाज जैसी पैनी नजर रखेगी। ईगल मोबाइल टीम को खास दोपहिया वाहनों और आधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है। हर थाने में यह टीम दो पुलिसकर्मियों—मुख्य आरक्षी या आरक्षी—की होगी, जो क्षेत्र के अपराधियों का पूरा डेटा तैयार कर उनके ठिकानों तक पहुंच बनाएगी।

ईगल मोबाइल टीम के प्रमुख कार्य

-प्रत्येक थाने में तैनात दो पुलिसकर्मियों को एक विशेष दोपहिया वाहन प्रदान किया गया है।

-इन्हें अपराधियों की विस्तृत सूची दी जाएगी, जिसमें History-Sheeter, सक्रिय अपराधी, गैंग के सदस्य, दस साल के आपराधिक रिकॉर्ड वाले अपराधी तथा हाल ही में जेल से रिहा अपराधी शामिल होंगे।

-हर दिन कम से कम 10 अपराधियों का डोज़ियर तैयार किया जाएगा, जिसमें उनके पते, गतिविधियों, पुराने अपराध, संपर्क आदि का विवरण होगा।

-डोज़ियर पूर्ण होने के बाद प्रत्येक दिन कम से कम 20 अपराधियों की निगरानी की जाएगी।

-ईगल मोबाइल टीम के सभी सदस्यों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाएगा, जहां रोज़ के कामों की रिपोर्ट पोस्ट की जाएगी।

-जेल से छूटे अपराधियों की सूची रोजाना व्हाट्सएप ग्रुप में दी जाएगी, जिसके आधार पर संबंधित थाना क्षेत्र के अपराधियों का सत्यापन किया जाएगा।

-अपराधी एलबम रजिस्टर को अपडेट किया जाएगा, जो थानों में पहले से बनाए जाते रहे हैं।

-HS (History-Sheeter)/सक्रिय अपराधियों और गैंग सदस्यों की लगातार निगरानी की जाएगी।

-जेल जाने वाले अपराधियों से पूछताछ कर उनका डोज़ियर तैयार किया जाएगा।

-डोज़ियर स्कैन कर DCRB (District Crime Record Bureau) कार्यालय भेजा जाएगा और Trinetra ऐप पर अपलोड के लिए SHO को सौंपा जाएगा।

-इन पुलिसकर्मियों को किसी और ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा, जिससे इनका पूरा ध्यान निगरानी पर ही रहे।

-दूसरे थाना क्षेत्र के अपराधियों की सूचना पर संबंधित थानों की ईगल मोबाइल टीम से समन्वय किया जाएगा।

-रोज़ाना की रिपोर्ट थाना प्रभारी व सहायक पुलिस आयुक्त को सौंपी जाएगी।

-DCRB कार्यालय में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है, जो पूरे जिले की रिपोर्ट का विश्लेषण करेगा। इसकी निगरानी प्रभारी DCRB (सीयूजी- 9454458079) द्वारा की जाएगी।

-प्रत्येक महीने दो बार (प्रथम पक्ष व द्वितीय पक्ष) ईगल मोबाइल की बैठक DCP Crime द्वारा की जाएगी।

इस योजना से पुलिस अपराधियों के मूवमेंट रख पाएगी नजर

इस योजना के तहत लखनऊ पुलिस अपराधियों के हर मूवमेंट पर नजर रख पाएगी। इससे अपराधियों में खौफ पैदा होगा और साथ ही पुलिस की सूचना तंत्र पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होगा। इस टेक-सपोर्टेड निगरानी प्रणाली से पुलिस समय पर एक्शन ले सकेगी और आम जनता को भी सुरक्षा का अहसास होगा।

साइबर क्राइम के खिलाफ पुलिस की सख्त कार्रवाई, साइबर ठगों को फर्जी सिम बेचने वाले 5 पीओएस एजेंट गिरफ्तार

बिलासपुर-  ऑनलाइन साइबर फ्रॉड (Cyber Crime) के लिए फर्जी सिम कार्ड देने वाले 5 पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) एजेंटों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ये आरोपी दिल्ली, अलवर (राजस्थान) समेत अन्य स्थानों पर साइबर ठगों को फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराते थे. पुलिस ने एक साथ रेड कार्रवाई कर आरोपियों को पकड़ा है. पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ धारा 66(C)-INF, 316(5), 318(4), 336(3)-BNS के तहत कार्रवाई की है और आगे की जांच जारी है.

एडीशनल एसपी अर्चना झा ने बताया कि एसपी रजनेश सिंह ने साइबर क्राइम पोर्टल में रिपोर्ट किए गए पीओएस एजेंटों की जांच के लिए योजना तैयार कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर पीओएस एजेंटों को चिन्हित किया गया, तो पता चला कि कोटा क्षेत्र के कुछ लोग आमजन की आईडी पर एक से अधिक सिम कार्ड जारी करवाकर साइबर ठगों को दिल्ली, अलवर, राजस्थान और अन्य स्थानों में भेज रहे हैं तथा साइबर ठगी के रैकेट में शामिल होकर अवैध मुनाफा कमा रहे हैं.

जांच में संदिग्ध पाए गए बैंक खातों म्यूल अकाउंट की भी जांच की गई. जांच में पाया गया साइबर ठगी के लिए फर्जी सिम कार्ड भी जारी किए गए हैं. जिस सिम कार्ड का साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट शेयर ट्रेडिंग फ्रॉड, केवाईसी अपडेट जैसे साइबर अपराध में उपयोग करते थे.पुलिस ने कोटा क्षेत्र में दबिश देकर 5 पीओएस एजेंट को गिरफ्तार कर लिया, और उनके खिलाफ कार्रवाई में जुटी हुई है.

बैंकिंग फ्रॉड में पहले भी 19 लोग गिरफ्तार

बता दें कि इससे पहले साइबर ठगी में कमीशन पर बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले बैंक कर्मियों और एजेंटों सहित 19 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. अब पुलिस ने कोटा क्षेत्र में दबिश देकर 5 पीओएस एजेंटों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तार आरोपियों के नाम

अंशु श्रीवास (19 वर्ष), निवासी पथर्रा, थाना कोटा, बिलासपुर.

फिरोज अंसारी (19 वर्ष), निवासी फिरंगीपारा, थाना कोटा, बिलासपुर.

मुकुल श्रीवास (21 वर्ष), निवासी फिरंगीपारा, थाना कोटा, बिलासपुर.

द्वारिका साहू (23 वर्ष), निवासी वार्ड नं. 10, डाक बंगलापारा, थाना कोटा, बिलासपुर.

जय पालके (20 वर्ष), निवासी नवागांव कोटा, थाना कोटा, बिलासपुर.

किसी को 'मियां-तियां' या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी


#calling_someone_miyan_tian_and_pakistani_is_not_crime_supreme_court 

सुप्रीम कोर्ट ने 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी को राहत दी है। कोर्ट ने धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में दर्ज केस निरस्त कर दिया है। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इस तरह की बात कहने को असभ्यता कहा है, लेकिन उसके चलते मुकदमा चलाने को सही नहीं माना।

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से शब्द आदि बोलना) के तहत आरोप से एक व्यक्ति को मुक्त कर दिया।कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पर उसे 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। अदालत ने कहा कि निस्संदेह, दिए गए कथन गलत है। हालाँकि, इससे याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुचती है।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच झारखंड उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। मामला उप-विभागीय कार्यालय, चास में एक उर्दू अनुवादक और कार्यवाहक क्लर्क (सूचना का अधिकार) की तरफ से दर्ज एफआईआर से जुड़ा था।

यह मामला उस समय शुरू हुआ जब एक सरकारी कर्मचारी, जो कि उर्दू अनुवादक और सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कार्यरत था, ने एक आदेश के तहत हरी नंदन सिंह को कुछ दस्तावेज सौंपे। आरोप के मुताबिक सिंह ने दस्तावेज स्वीकार करने में अनिच्छा दिखाई और इसके बाद कर्मचारी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया। यह भी कहा गया कि उन्होंने सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहकर संबोधित किया और उसे डराने का प्रयास किया।

इस घटना के बाद सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हरी नंदन सिंह ने इस मामले में पहले सेशन कोर्ट और फिर राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दोनों अदालतों ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया। आखिर में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतिश चंद्र शर्मा की बेंच ने फैसला सुनाया कि इस मामले में धारा 298 लागू नहीं होती क्योंकि आरोपी की टिप्पणियां भले ही अनुचित थीं, लेकिन वे किसी विशेष धर्म के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं कही गई थीं।