ट्रंप के टैरिफ पर शी जिनपिंग ने तोड़ी चुप्पी, बोले-चीन डरता नहीं है

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चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के जवाब में अमेरिका से आने वाले सामानों पर लगने वाले टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। वहीं, बढ़ते टैरिफ तनाव के बीच आखिरकार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने पहले ऑफिशियल बयान में कहा कि चीन किसी से नहीं डरता'

बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच इस समय टैरिफ वॉर चल रही है। दोनों देश एक दूसरे पर लगातार टैरिफ बढ़ा रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को चीन के ऊपर 145% का टैरिफ लगा दिया है। इस वॉर को आगे बढ़ाते हुए चीन ने अमेरिका पर 125% टैरिफ लगा दिया है। इसके साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पहली बार इस मसले पर बयान दिया। जिनपिंग ने कहा, एक ट्रेड वार में कोई भी विजेता नहीं होता है और दुनिया के खिलाफ जाने से केवल अकेलापन मिलेगा। शुक्रवार को स्‍पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज के साथ मुलाकात के बाद चीन के राष्‍ट्रपति ने यह बयान दिया।

आत्‍मनिर्भरता और कठोर पर‍िश्रम पर विश्वास- शी

चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी ने शी के हवाले से कहा, पिछले 70 साल से चीन का विकास आत्‍मनिर्भरता और कठोर पर‍िश्रम पर आधारित है। यह किसी का दिया हुआ नहीं है। चीन किसी भी अन्‍यायपूर्ण दमन से डरता नहीं है। उन्‍होंने कहा कि बाहरी माहौल में बदलाव के अनुसार ही चीन आत्‍मविश्‍वास से लबरेज रहेगा और अपने मामलों को पूरा फोकस बनाए रखेगा और उनका प्रबंधन करेगा।

यूएस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास

बता दें कि अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने के बाद चीन भारत समेत अन्य देशों से संपर्क साध रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि बीजिंग अमेरिका को कदम पीछे हटाने के लिए मजबूर करने के वास्ते संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहा है। शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को यूरोपीय संघ से “एकतरफा डराना-धमकाना” का विरोध करने में बीजिंग के साथ शामिल होने का आग्रह किया

अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी आयात पर टैरिफ 145% बढ़ा कर चीन के साथ ट्रेड वॉर को शुरू किया है। जनवरी में सत्ता संभालने के बाद से ट्रंप अब तक चीनी सामानों पर पांच बार टैरिफ बढ़ा चुके हैं। चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है। इससे पहले टैरिफ 104% तक। फिलहाल चीन ने अमेरिका के सामान पर 84% टैरिफ लगाया हुआ था, लेकिन शुक्रवार को चीन ने यह टैरिफ बढ़ा कर 125% कर दिया है।

ट्रंप-जिनपिंग के बीच वार-पलटवार जारी, अब चीन ने अमेरिका पर लगाया 125% शुल्क

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दुनिया की दो सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था वाले देश आमने-सामने हैं। चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर और गहरा होता जा रहा है। अब चीन ने अमेरिका से आने वाले सामान पर टैरिफ 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। यह 12 अप्रैल से लागू होगा। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन की छूट दी थी। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए टैरिफ में 20 फीसदी का इजाफा करते हुए उसे 145 प्रतिशत कर दिया था।

चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री के प्रवक्ता ने अमेरिकी सामान पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही है। प्रवक्ता ने कहा, 'अमरीका की तरफ चीन पर लगातार बहुत ज्यादा टैक्स लगाना सिर्फ एक नंबर का खेल बन गया है। इसका कोई असली आर्थिक मतलब नहीं है। इससे सिर्फ अमरीका का ये तरीका दिखता है कि वो टैक्स को डराने-धमकाने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। इससे वो खुद ही दुनिया में मजाक बन गया है। गर अमरीका टैक्स के साथ ये नंबर का खेल जारी रखता है, तो चीन इसमें शामिल नहीं होगा। लेकिन, अगर अमरीका चीन के हितों को नुकसान पहुंचाता रहा, तो चीन जवाबी कार्रवाई करेगा और अंत तक लड़ेगा।'

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर के देशों को टैरिफ की टेंशन दी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि अब अमेरिका अपने अधिक्तर व्यापारिक साझेदार देशों पर कम से कम 10 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाएगा। इसके साथ ही उन देशों पर भी टैरिफ लगेगा जो अमेरिका को ज्यादा सामान बेचते हैं लेकिन उससे कम खरीदते हैं। हालांकि, चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने अमेरिका के शुल्क के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की है। चीन ने पहले 84 प्रतिशत शुल्क लगाकर जवाबी कार्रवाई की थी और कुछ अमेरिकी कंपनियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

चीन-अमेरिका का वार-पलटवार

बुधवार को वॉशिंगटन ने सभी चीनी वस्तुओं के आयात पर 125 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की घोषणा की। चीन पर पहले ही 20% का टैरिफ लगा हुआ था। पिछले हफ़्ते ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अतिरिक्त 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह 9 अप्रैल को लागू होना था लेकिन इसके चंद घंटे पहले ट्रंप ने इसमें 50% टैरिफ और बढ़ाने की घोषणा कर दी।चीन ने इसके जवाब में बुधवार को अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 50% बढ़ाते हुए 84% कर दिया। इसके बाद बुधवार को अचानक ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को 125% करने का एलान कर दिया। इसी के साथ बड़ी घोषणा करते हुए अमेरिका ने बाकी देशों को 90 दिन की छूट देते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ घटाकर एक समान 10 फ़ीसदी कर दिया।

डब्ल्यूटीओ में दर्ज कराई शिकायत

एक तरफ चीन अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अमेरिका की शिकायत भी कर रहा है। विश्व व्यापार संगठन में चीन के मिशन ने शुक्रवार को कहा कि उसने अमेरिकी टैरिफ को लेकर व्यापार निकाय में एक अतिरिक्त शिकायत दर्ज कराई है।

वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से चीन के मिशन के बयान में कहा गया कि '10 अप्रैल को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें चीनी उत्पादों पर तथाकथित रेसीप्रोकल में और वृद्धि की घोषणा की गई। चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के नवीनतम टैरिफ उपायों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज कराई है।'

चीन-अमेरिका में गहराया टैरिफ वॉर, अब ड्रैगन ने यूएस प्रोडक्ट्स पर लगाया 84% एक्स्ट्रा टैरिफ

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अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है। अमेरिका के “एक्शन” पर ड्रैगन ने “रिएक्शन” दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामान पर 104% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है।

टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स है। टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के 104 प्रतिशत वाले टैरिफ के जवाब में चीन ने भी करारा जवाब दिया है। चीन ने अब अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की। चीनी मंत्री के अनुसार यह टैरिफ कल से लागू होगा।

चीन के कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी अमेरिका को जवाब देते हुए 12 अमेरिकी संस्थाओं को अपनी एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है। साथ ही, 6 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय संस्थाओं" (Unreliable Entity) की लिस्ट में शामिल किया गया है।

टैरिफ के कारण अब चीन में अमेरिका का सामान महंगा हो जाएगा। इसके कारण चीन में अमेरिकी वस्तुओं का निर्यात कम हो सकता है और वो अधिक महंगे हो सकते हैं।

इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने कहा था कि चीन की जवाबी कार्रवाई एक भारी गलती थी। मंगलवार को उन्होंने कहा, "जब अमेरिका पर कोई वार करता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप और जोर से पलटवार करते हैं। यही वजह है कि अब चीन पर मंगलवार रात 12 बजे से 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। हालांकि, अगर चीन बातचीत करना चाहता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप बेहद उदारता से उसका स्वागत करेंगे।"

ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है। पूरी दुनिया में लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं और इसे एक गलत फैसला करार दे रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। ट्रंप ने वाशिंगटन में रिपब्लिकन डिनर में कहा, ‘मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूं।’ यही नहीं, ट्रंप ने अब दवा आयात पर भी ‘बड़ा’ टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, अब तक इसकी तारीख तय नहीं की है।

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

“अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर” टैफिक को लेकर भड़के चीन ने चेताया, ट्रेड वॉर की बढ़ी आशंका


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दुनिया की दो सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देशों अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 50 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दी है। मंगलवार को चीन ने अमेरिका को कड़ा संदेश दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका में आयातित सभी चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% टैरिफ की घोषणा की। मौजूदा टैरिफ लागू होने पर अमेरिका में सभी चीनी आयातों पर शुल्क 54% से अधिक हो जाएगा। जवाब में शुक्रवार को बीजिंग ने सभी अमेरिकी आयातों पर 34% टैरिफ का एलान कर दिया। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका का चीन पर तथाकथित पारस्परिक टैरिफ लगाना पूरी तरह से गलत है। यह एकतरफा दादागीरी है। चीन ने पहले भी जवाबी टैरिफ लगाए हैं। मंत्रालय ने संकेत दिया कि और भी टैरिफ लगाए जा सकते हैं।

“अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर”

मंत्रालय के मुताबिक, चीन के प्रतिक्रियात्मक उपाय उसकी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करने के लिए हैं। यह सामान्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य उठाए गए पूरी तरह से वैध उपाय हैं। इसके अलावा चीन पर टैरिफ बढ़ाने की अमेरिकी धमकी एक गलती के ऊपर की गई एक और गलती है। इससे एक बार फिर अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर हो गया है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने तरीके पर अड़ा रहा, तो चीन अंत तक लड़ेगा।

ट्रेड वॉर गहराने की आशंका की चिंता

चीन ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब ट्रंप द्वारा चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की सोमवार को धमकी दिए जाने के बाद से यह चिंता बढ़ गई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्संतुलित करने का उनका प्रयास आर्थिक रूप से विनाशकारी व्यापार युद्ध के खतरे को और बढ़ा सकता है।

ट्रंप ने दी धमकी

इससे पहले, ट्रंप ने सोमवार को चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रंप की धमकी तब आई जब चीन ने कहा कि वह अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह घोषित टैरिफ का जवाब देगा। ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रूथ सोशल’ पर लिखा, ‘‘अगर चीन आठ अप्रैल 2025 तक अपने पहले से ही दीर्घकालिक व्यापार दुरुपयोगों से ऊपर 34 प्रतिशत की वृद्धि को वापस नहीं लेता है तो हम चीन पर 50 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे जो नौ अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा।

चीन-अमेरिका में ट्रैरिफ वार, अब ड्रैगन ने अमेरिकी उत्पादों पर लगाया 34 फीसदी जवाबी टैक्स

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अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार शुरू हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर लगाए गए टैरिफ के बाद बिजिंग और वाशिंगटन से भिड़ंत हो गयी है। ट्रंप ने 2 अप्रैल को चीन सहित कई देशों पर रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप के इस फैसले का चीन ने विरोध भी किया था। अब चीन ने अमेरिका को उसकी की भाषा में जवाब दिया है। दरअसल, चीन ने सभी अमेरिकी उत्पादों पर 34 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है।

चीन ने शुक्रवार को सभी अमेरिकी वस्तुओं पर 10 अप्रैल से एक्स्ट्रा टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं चीन ने यह भी कहा कि वे अमेरिका से आने वाले मेडिकल सीटी एक्स-रे ट्यूबों की जांच शुरू करेंगे और दो अमेरिकी कंपनियों से पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर रोक लगाएंगे।

गैडोलीनियम और यिट्रियम जैसी धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती

इसके अलावा चीन ने कहा कि वह 11 अमेरिकी कंपनियों को अपनी “अविश्वसनीय संस्थाओं” की लिस्ट में शामिल कर रहा है। जो उन्हें चीन में या चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने से रोकती हैं। इतना ही नहीं, चीन ने बेशकीमती गैडोलीनियम और यिट्रियम समेत कुछ अन्य धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती बरतने का संकेत दिया है। खास बात यह है कि इन सभी धातुओं का खनन चीन में सबसे ज्यादा किया जाता है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्ट बमों तक हर चीज में होता है।

पहले अमेरिका ने चलाया टैरिफ वाला चाबुक

अमेरिका ने चीन द्वारा जवाबी टैक्स का ऐलान करने से पहले भारत और चीन समेत अन्य देशों पर 2 अप्रैल से भारी-भरकम टैरिफ लागू किया था। इसमें चीन से आने वाले सामान पर 34% आयात कर लगाने का ऐलान किया था। वहीं यूरोपीय यूनियन से आयात पर 20 फीसदी, दक्षिण कोरियाई के उत्पादों पर 25 फीसदी,ताइवान के उत्पादों पर 32 फीसदी और जापानी उत्पादों पर 24 फीसदी टैक्स लागू करने का ऐलान किया था। इसके अलावा सभी विदेशी ऑटोमोबाइल पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया है। इसके पीछे ट्रंप का तर्क था कि हम सभी देशों के व्यापार और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने को कदम उठाते हैं। उनकी सेना समेत अन्य कामों के लिए खर्चा देते हैं, लेकिन वह हम पर भारी टैरिफ लगाते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा। हम किसी के लिए इतना सब कुछ क्यों करेंगे।

चीन ने फिर बढ़ाया अपना रक्षा बजट, भारत से तीन गुना अधिक

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पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचा हुआ है। एक तरफ इजराइल-हमास युद्ध के मैदान में डटे हुए हैं। वहीं, रूस-यूक्रेन जंग लड़ रहे है, दूसरी तरफ अमेरिका ने यूक्रेन के मुद्दे पर यूरोपीय देशों को नाराज कर अलग गुट में खड़ा कर दिया। इस बीच चीन खुद को ताकतवर बनाने की होड़ में लगा हुआ है। चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ाता जा रहा है। इसी के तहत चीन ने एक बार फिर अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी करने का एलान किया है। चीन ने बुधवार को अपने रक्षा बजट का एलान किया, जिसमें चीन ने रक्षा खर्च के लिए 249 अरब डॉलर का बजट रखा है। यह पिछले साल के बजट की तुलना में 7.2 प्रतिशत ज्यादा है।

खर्च का बचाव करते हुए नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के प्रवक्ता लू किनजियान ने कहा कि शांति की रक्षा के लिए ताकत जरूरी है। उन्होंने कहा कि मजबूत राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं के साथ, चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता है, एक प्रमुख देश के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकता है और विश्व शांति और स्थिरता की रक्षा कर सकता है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में चीन का रक्षा व्यय वैश्विक औसत से कम है। वर्ष 2016 से चीन के वार्षिक रक्षा खर्च में लगातार नौ वर्षों से एकल अंक में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन का रक्षा खर्च जीडीपी के हिस्से के रूप में पिछले कई सालों से डेढ़ फीसदी से कम रहा है।

चीन अपने सभी सशस्त्र बलों का बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण करने का काम जारी रखे हुए है। चीन के रक्षा बजट के आंकड़ों को उसके द्वारा विमानवाहक पोतों के निर्माण, उन्नत नौसैनिक जहाजों और आधुनिक स्टील्थ विमानों के तेजी से निर्माण सहित बड़े पैमाने पर सैन्य आधुनिकीकरण के मद्देनजर संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। बीते साल भी चीन ने अपने रक्षा बजट में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि की थी। पिछले साल चीन का रक्षा बजट 1.67 खरब युआन या कहें 232 अरब डॉलर था।

अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी में ड्रैगन

चीन, अमेरिका को हर मोर्चे पर चुनौती देने की तैयारी कर रहा है और इसी के तहत वह अपनी सेना को भी मजबूत करने में जुटा है। हालांकि अभी अमेरिका की तुलना में चीन का बजट काफी कम है, लेकिन जिस तेजी से चीन अपने सैन्य खर्च को बढ़ा रहा है, उसे देखते हुए जल्द ही चीन के भी अमेरिका के नजदीक पहुंचने की उम्मीद है। अमेरिका का सैन्य बजट 895 अरब डॉलर है। इस मामले में कोई भी देश अमेरिका के आसपास भी नहीं फटकता।

भारत के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा बजट

एक तरफ चीन अमेरिका से मुकाबला कर रहा है, तो दूसरी तरफ उसकी नजर भारत पर भी है। भारत के साथ चीन का सीमा विवाद है। ऐसे में भारत के मुकाबले चीन का सैन्य बजट तीन गुना से भी ज्यादा होना भारत के लिए बड़ा तनाव देने वाला है। बीते दिनों पेश किए गए बजट में भारत ने अपने सैन्य खर्च के लिए 75 अरब डॉलर आवंटित किए थे। जबकि चीन का यह खर्च 249 अरब डॉलर है। इससे दोनों देशों के बीच के अंतर को साफ समझा जा सकता है। सैन्य बजट के मामले में भारत चौथे स्थान पर है।

चीन, कनाडा और मेक्सिको ने डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ सुधार प्रस्ताव को नकारते हुए किया पलटवार

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AP

मेक्सिको, कनाडा और चीन से आयात पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित टैरिफ मंगलवार को लागू हो गए, जिससे इस मुद्दे पर कई दिनों से चल रही अटकलें खत्म हो गईं। टैरिफ, जो मूल रूप से पिछले महीने लागू होने वाले थे, पर 30 दिनों का विराम लगा, क्योंकि ट्रम्प ने देशों से अमेरिका में फेंटेनाइल दवा के प्रवाह को रोकने या ‘गंभीर रूप से सीमित’ करने के लिए कहा था। सोमवार को, रिपब्लिकन ने कहा कि टैरिफ के संबंध में कनाडा और मेक्सिको के साथ किसी समझौते के लिए ‘कोई जगह नहीं’ है, उन्होंने कहा कि योजना मंगलवार को निर्धारित समय पर लागू होगी।

प्रस्तावित योजना कनाडा और मेक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की थी। चीन पर भी पहले से लागू 10 प्रतिशत के अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया। मंगलवार आधी रात को टैरिफ लागू हुए, जिसके जवाब में तीनों देशों ने अपने-अपने जवाबी उपाय किए। मेक्सिको, कनाडा और चीन ने कैसे जवाबी कार्रवाई की ? 

कनाडा

निवर्तमान कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार से 30 बिलियन कनाडाई डॉलर मूल्य के अमेरिकी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की। यही नहीं, 125 बिलियन कनाडाई डॉलर मूल्य के अमेरिकी सामानों पर शेष जवाबी टैरिफ 21 दिनों के भीतर लगाए जाएंगे। रॉयटर्स ने ट्रूडो के हवाले से कहा, "जब तक अमेरिकी व्यापार कार्रवाई वापस नहीं ली जाती, तब तक हमारे टैरिफ लागू रहेंगे और अगर अमेरिकी टैरिफ बंद नहीं होते हैं, तो हम कई गैर-टैरिफ उपायों को आगे बढ़ाने के लिए प्रांतों और क्षेत्रों के साथ सक्रिय और चल रही चर्चाओं में हैं।"

मेक्सिको

अमेरिका के दक्षिणी पड़ोसी ने सोमवार को घोषणा की कि अगर ट्रम्प अपनी टैरिफ योजनाओं के साथ आगे बढ़ते हैं, तो उसके पास बैकअप योजनाएँ हैं। बहुत अधिक विवरण दिए बिना, मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने कहा कि अगर मंगलवार को अमेरिका ने उस पर टैरिफ लगाया तो देश तैयार है।

चीन

चीन ने भी नए अमेरिकी टैरिफ के जवाब में कई कृषि उत्पादों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की। चीन के वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वह सोयाबीन और मकई से लेकर डेयरी और बीफ़ तक के कृषि उत्पादों पर 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत के बीच अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में 10% प्रतिशोधी टैरिफ का सामना करने वाले अमेरिकी उत्पादों में सोयाबीन, ज्वार, सूअर का मांस, बीफ़, जलीय उत्पाद, फल, सब्जियाँ और डेयरी उत्पाद शामिल हैं।

चीनी वित्त मंत्रालय ने कहा कि चिकन, गेहूं, मक्का और कपास पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। टैरिफ के साथ-साथ, चीन ने 25 अमेरिकी फर्मों पर निर्यात और निवेश प्रतिबंध भी लगाए हैं।

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के बयान ने फिर बढ़ाया सियासी पारा, बोले- चीन दुश्मन नहीं

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कांग्रेस के सीनियर नेता और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। सैम पित्रोदा एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने एक बड़ा दावा करके नया विवाद खड़ा कर दिया है। सैम पित्रोदा ने कहा है कि चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है। उनका कहना है कि भारत को चीन को अपना दुश्मन मानना बंद कर देना चाहिए।

भारत का दृष्टिकोण टकराव वाला-पित्रोदा

सैम पित्रोदा का विवादों से पुराना नाता रहा है। ताजा मामले में कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चीन के प्रति भारत का दृष्टिकोण टकराव वाला रहा है और इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। उन्होंने एकक इंटरव्यू में कहा कि मैं चीन से खतरे को नहीं समझता। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है।

दुश्मनी वाली मानसिकता को बदले की जरूरत-पित्रोदा

पित्रोदा ने कहा, मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश सहयोग करें, टकराव नहीं। हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं, जो बदले में देश के भीतर समर्थन हासिल करते हैं। पित्रोदा ने कहा कि हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है। दरअसल, पित्रोदा ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही जिसमें पूछा गया था कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चीन से उत्पन्न खतरों को नियंत्रित कर पाएंगे।

यूएस की पेशकश को भारत ने किया इनकार

बता दें कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बैठक हुई। जिसके बाद 13 फरवरी को हुई एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव में मध्यस्थता करने की पेशकश की। भारत ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को तुरंत ठुकरा दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, हमारे किसी भी पड़ोसी के साथ जो भी मुद्दे हैं, हम हमेशा इन्हें द्विपक्षीय तरीके से हल करने की कोशिश करते हैं। भारत और चीन के बीच भी यही स्थिति है। हम अपने मुद्दों पर द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत करते रहे हैं और आगे भी यही करेंगे।

बीजेपी ने किया वार

बीजेपी ने पित्रोदा के बयान पर प्रतिक्रिया दी। बीजेपी ने कहा कि चीन के प्रति कांग्रेस के जुनून का मूल कारण 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (जो पड़ोसी देश पर शासन करती है) के बीच हुए समझौता ज्ञापन में निहित है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा कि जिन लोगों ने हमारी 40,000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को दे दी, उन्हें अब भी ड्रैगन से कोई खतरा नहीं दिखता। सिन्हा ने कहा, कोई आश्चर्य नहीं कि राहुल गांधी चीन से खौफ खाते हैं और आईएमईईसी की घोषणा से एक दिन पहले बीआरआई का समर्थन कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी के चीन के प्रति जुनूनी आकर्षण का मूल रहस्य 2008 के रहस्यमय कांग्रेस-सीसीपी एमओयू में छिपा है।

आर-पार के मूड में चीन, ट्रंप को 10% के जवाब में 15% टैरिफ, अब बढ़ेगा तनाव

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको को बड़ी राहत दी। ट्रंप ने दोनों देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। हालांकि, चीन को किसी भी तरह की राहत नहीं दी। फिर क्या था अमेरिका के टैरिफ से चीन तिलमिला उठा और अमेरिका को जवाब देने की ठानी। इसी का नतीजा है कि अब चीन ने भी अमेरिका से इंपोर्ट होकर आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। चीन ने अमेरिका के कोयला और क्रूड ऑयल समेत कई उत्पादों पर 15 पर्सेंट तक टैरिफ थोप दिया है। चीन की तरफ से लगाए गए ये टैरिफ 10 फरवरी से लागू होंगे।

चीनी वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को अमेरिकी उत्पादों पर 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले की जानकारी दी। बीजिंग के टैरिफ लगाए जाने से चीन में अमेरिका से आने वाले बड़ी कारों, पिक ट्रक, एलएनजी, कच्चा तेल और खेती-बाड़ी की मशीनों के आयात पर असर पड़ेगा। चीन ने कोयले और प्राकृतिक गैस पर 15 प्रतिशत और पेट्रोलियम, कृषि उपकरण, उच्च उत्सर्जन वाले वाहनों और पिकअप ट्रकों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। चीन ने कुछ प्रमुख खनिजों के निर्यात पर नियंत्रण लगाया है। साथ ही गूगल और कुछ अमेरिकी कंपनियों की जांच शुरू कर दी है।

केवल टैरिफ तक नहीं रुका चीन

चीन सिर्फ टैरिफ तक ही नहीं रुका, बल्कि उसने दो अमेरिकी कंपनियों को अपनी अविश्वसनीय संस्थाओं की सूची में डाला है। इसमें बायोटेक कंपनी इलुमिना और केल्विन क्लेन और टॉमी हिलफिगर की मालिकाना हक वाली फैशन रिटेलर कंपनी पीवीएच ग्रुप शामिल है। चीन का कहना है कि उन्होंने सामान्य बाजार व्यापार सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। टैरिफ के अलावा, चीन ने अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल के खिलाफ एक एंटी-मोनोपॉली जांच शुरू करने की भी घोषणा की है।

चीन-अमेरिका में छिड़ा ट्रेड वॉर

अमेरिका और चीन के एक-दूसरे पर टैरिफ लगाने से दोनों मुल्कों में व्यापार के स्तर पर तनाव बढ़ गया है। इससे आने वाले दिनों में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर तेज होने की भी संभावना है। दरअसल, चीन का जवाबी कदम ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित टेलीफोनिक बातचीत से पहले आया है। ट्रंप ने सोमवार को कहा कि शी के साथ बातचीत ‘शायद अगले 24 घंटों में’ होगी। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर चीन के साथ कोई समझौता नहीं हो सका, तो ‘टैरिफ बहुत, बहुत ज्यादा होंगे।

ट्रंप के टैरिफ पर शी जिनपिंग ने तोड़ी चुप्पी, बोले-चीन डरता नहीं है

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चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के जवाब में अमेरिका से आने वाले सामानों पर लगने वाले टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। वहीं, बढ़ते टैरिफ तनाव के बीच आखिरकार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने पहले ऑफिशियल बयान में कहा कि चीन किसी से नहीं डरता'

बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच इस समय टैरिफ वॉर चल रही है। दोनों देश एक दूसरे पर लगातार टैरिफ बढ़ा रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को चीन के ऊपर 145% का टैरिफ लगा दिया है। इस वॉर को आगे बढ़ाते हुए चीन ने अमेरिका पर 125% टैरिफ लगा दिया है। इसके साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पहली बार इस मसले पर बयान दिया। जिनपिंग ने कहा, एक ट्रेड वार में कोई भी विजेता नहीं होता है और दुनिया के खिलाफ जाने से केवल अकेलापन मिलेगा। शुक्रवार को स्‍पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज के साथ मुलाकात के बाद चीन के राष्‍ट्रपति ने यह बयान दिया।

आत्‍मनिर्भरता और कठोर पर‍िश्रम पर विश्वास- शी

चीन के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी ने शी के हवाले से कहा, पिछले 70 साल से चीन का विकास आत्‍मनिर्भरता और कठोर पर‍िश्रम पर आधारित है। यह किसी का दिया हुआ नहीं है। चीन किसी भी अन्‍यायपूर्ण दमन से डरता नहीं है। उन्‍होंने कहा कि बाहरी माहौल में बदलाव के अनुसार ही चीन आत्‍मविश्‍वास से लबरेज रहेगा और अपने मामलों को पूरा फोकस बनाए रखेगा और उनका प्रबंधन करेगा।

यूएस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास

बता दें कि अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने के बाद चीन भारत समेत अन्य देशों से संपर्क साध रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि बीजिंग अमेरिका को कदम पीछे हटाने के लिए मजबूर करने के वास्ते संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहा है। शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को यूरोपीय संघ से “एकतरफा डराना-धमकाना” का विरोध करने में बीजिंग के साथ शामिल होने का आग्रह किया

अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी आयात पर टैरिफ 145% बढ़ा कर चीन के साथ ट्रेड वॉर को शुरू किया है। जनवरी में सत्ता संभालने के बाद से ट्रंप अब तक चीनी सामानों पर पांच बार टैरिफ बढ़ा चुके हैं। चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद, ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 50% टैरिफ जोड़ दिया और कहा कि बातचीत समाप्त हो गई है। इससे पहले टैरिफ 104% तक। फिलहाल चीन ने अमेरिका के सामान पर 84% टैरिफ लगाया हुआ था, लेकिन शुक्रवार को चीन ने यह टैरिफ बढ़ा कर 125% कर दिया है।

ट्रंप-जिनपिंग के बीच वार-पलटवार जारी, अब चीन ने अमेरिका पर लगाया 125% शुल्क

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दुनिया की दो सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था वाले देश आमने-सामने हैं। चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर और गहरा होता जा रहा है। अब चीन ने अमेरिका से आने वाले सामान पर टैरिफ 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। यह 12 अप्रैल से लागू होगा। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन की छूट दी थी। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए टैरिफ में 20 फीसदी का इजाफा करते हुए उसे 145 प्रतिशत कर दिया था।

चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री के प्रवक्ता ने अमेरिकी सामान पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही है। प्रवक्ता ने कहा, 'अमरीका की तरफ चीन पर लगातार बहुत ज्यादा टैक्स लगाना सिर्फ एक नंबर का खेल बन गया है। इसका कोई असली आर्थिक मतलब नहीं है। इससे सिर्फ अमरीका का ये तरीका दिखता है कि वो टैक्स को डराने-धमकाने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। इससे वो खुद ही दुनिया में मजाक बन गया है। गर अमरीका टैक्स के साथ ये नंबर का खेल जारी रखता है, तो चीन इसमें शामिल नहीं होगा। लेकिन, अगर अमरीका चीन के हितों को नुकसान पहुंचाता रहा, तो चीन जवाबी कार्रवाई करेगा और अंत तक लड़ेगा।'

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर के देशों को टैरिफ की टेंशन दी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि अब अमेरिका अपने अधिक्तर व्यापारिक साझेदार देशों पर कम से कम 10 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाएगा। इसके साथ ही उन देशों पर भी टैरिफ लगेगा जो अमेरिका को ज्यादा सामान बेचते हैं लेकिन उससे कम खरीदते हैं। हालांकि, चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने अमेरिका के शुल्क के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की है। चीन ने पहले 84 प्रतिशत शुल्क लगाकर जवाबी कार्रवाई की थी और कुछ अमेरिकी कंपनियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

चीन-अमेरिका का वार-पलटवार

बुधवार को वॉशिंगटन ने सभी चीनी वस्तुओं के आयात पर 125 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की घोषणा की। चीन पर पहले ही 20% का टैरिफ लगा हुआ था। पिछले हफ़्ते ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अतिरिक्त 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह 9 अप्रैल को लागू होना था लेकिन इसके चंद घंटे पहले ट्रंप ने इसमें 50% टैरिफ और बढ़ाने की घोषणा कर दी।चीन ने इसके जवाब में बुधवार को अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 50% बढ़ाते हुए 84% कर दिया। इसके बाद बुधवार को अचानक ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को 125% करने का एलान कर दिया। इसी के साथ बड़ी घोषणा करते हुए अमेरिका ने बाकी देशों को 90 दिन की छूट देते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ घटाकर एक समान 10 फ़ीसदी कर दिया।

डब्ल्यूटीओ में दर्ज कराई शिकायत

एक तरफ चीन अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अमेरिका की शिकायत भी कर रहा है। विश्व व्यापार संगठन में चीन के मिशन ने शुक्रवार को कहा कि उसने अमेरिकी टैरिफ को लेकर व्यापार निकाय में एक अतिरिक्त शिकायत दर्ज कराई है।

वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से चीन के मिशन के बयान में कहा गया कि '10 अप्रैल को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें चीनी उत्पादों पर तथाकथित रेसीप्रोकल में और वृद्धि की घोषणा की गई। चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के नवीनतम टैरिफ उपायों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज कराई है।'

चीन-अमेरिका में गहराया टैरिफ वॉर, अब ड्रैगन ने यूएस प्रोडक्ट्स पर लगाया 84% एक्स्ट्रा टैरिफ

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अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है। अमेरिका के “एक्शन” पर ड्रैगन ने “रिएक्शन” दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामान पर 104% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है।

टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक प्रकार का टैक्स है। टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप के 104 प्रतिशत वाले टैरिफ के जवाब में चीन ने भी करारा जवाब दिया है। चीन ने अब अमेरिकी सामानों पर 84 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने इस बात की घोषणा की। चीनी मंत्री के अनुसार यह टैरिफ कल से लागू होगा।

चीन के कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी अमेरिका को जवाब देते हुए 12 अमेरिकी संस्थाओं को अपनी एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है। साथ ही, 6 अमेरिकी कंपनियों को "अविश्वसनीय संस्थाओं" (Unreliable Entity) की लिस्ट में शामिल किया गया है।

टैरिफ के कारण अब चीन में अमेरिका का सामान महंगा हो जाएगा। इसके कारण चीन में अमेरिकी वस्तुओं का निर्यात कम हो सकता है और वो अधिक महंगे हो सकते हैं।

इससे पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने कहा था कि चीन की जवाबी कार्रवाई एक भारी गलती थी। मंगलवार को उन्होंने कहा, "जब अमेरिका पर कोई वार करता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप और जोर से पलटवार करते हैं। यही वजह है कि अब चीन पर मंगलवार रात 12 बजे से 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। हालांकि, अगर चीन बातचीत करना चाहता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप बेहद उदारता से उसका स्वागत करेंगे।"

ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है। पूरी दुनिया में लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं और इसे एक गलत फैसला करार दे रहे हैं। लेकिन मंगलवार को ट्रंप ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। ट्रंप ने वाशिंगटन में रिपब्लिकन डिनर में कहा, ‘मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूं।’ यही नहीं, ट्रंप ने अब दवा आयात पर भी ‘बड़ा’ टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, अब तक इसकी तारीख तय नहीं की है।

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

“अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर” टैफिक को लेकर भड़के चीन ने चेताया, ट्रेड वॉर की बढ़ी आशंका


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दुनिया की दो सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देशों अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 50 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दी है। मंगलवार को चीन ने अमेरिका को कड़ा संदेश दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका में आयातित सभी चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% टैरिफ की घोषणा की। मौजूदा टैरिफ लागू होने पर अमेरिका में सभी चीनी आयातों पर शुल्क 54% से अधिक हो जाएगा। जवाब में शुक्रवार को बीजिंग ने सभी अमेरिकी आयातों पर 34% टैरिफ का एलान कर दिया। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका का चीन पर तथाकथित पारस्परिक टैरिफ लगाना पूरी तरह से गलत है। यह एकतरफा दादागीरी है। चीन ने पहले भी जवाबी टैरिफ लगाए हैं। मंत्रालय ने संकेत दिया कि और भी टैरिफ लगाए जा सकते हैं।

“अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर”

मंत्रालय के मुताबिक, चीन के प्रतिक्रियात्मक उपाय उसकी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करने के लिए हैं। यह सामान्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य उठाए गए पूरी तरह से वैध उपाय हैं। इसके अलावा चीन पर टैरिफ बढ़ाने की अमेरिकी धमकी एक गलती के ऊपर की गई एक और गलती है। इससे एक बार फिर अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला व्यवहार उजागर हो गया है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने तरीके पर अड़ा रहा, तो चीन अंत तक लड़ेगा।

ट्रेड वॉर गहराने की आशंका की चिंता

चीन ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब ट्रंप द्वारा चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की सोमवार को धमकी दिए जाने के बाद से यह चिंता बढ़ गई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्संतुलित करने का उनका प्रयास आर्थिक रूप से विनाशकारी व्यापार युद्ध के खतरे को और बढ़ा सकता है।

ट्रंप ने दी धमकी

इससे पहले, ट्रंप ने सोमवार को चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रंप की धमकी तब आई जब चीन ने कहा कि वह अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह घोषित टैरिफ का जवाब देगा। ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रूथ सोशल’ पर लिखा, ‘‘अगर चीन आठ अप्रैल 2025 तक अपने पहले से ही दीर्घकालिक व्यापार दुरुपयोगों से ऊपर 34 प्रतिशत की वृद्धि को वापस नहीं लेता है तो हम चीन पर 50 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे जो नौ अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा।

चीन-अमेरिका में ट्रैरिफ वार, अब ड्रैगन ने अमेरिकी उत्पादों पर लगाया 34 फीसदी जवाबी टैक्स

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अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार शुरू हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर लगाए गए टैरिफ के बाद बिजिंग और वाशिंगटन से भिड़ंत हो गयी है। ट्रंप ने 2 अप्रैल को चीन सहित कई देशों पर रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप के इस फैसले का चीन ने विरोध भी किया था। अब चीन ने अमेरिका को उसकी की भाषा में जवाब दिया है। दरअसल, चीन ने सभी अमेरिकी उत्पादों पर 34 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है।

चीन ने शुक्रवार को सभी अमेरिकी वस्तुओं पर 10 अप्रैल से एक्स्ट्रा टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं चीन ने यह भी कहा कि वे अमेरिका से आने वाले मेडिकल सीटी एक्स-रे ट्यूबों की जांच शुरू करेंगे और दो अमेरिकी कंपनियों से पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर रोक लगाएंगे।

गैडोलीनियम और यिट्रियम जैसी धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती

इसके अलावा चीन ने कहा कि वह 11 अमेरिकी कंपनियों को अपनी “अविश्वसनीय संस्थाओं” की लिस्ट में शामिल कर रहा है। जो उन्हें चीन में या चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने से रोकती हैं। इतना ही नहीं, चीन ने बेशकीमती गैडोलीनियम और यिट्रियम समेत कुछ अन्य धातुओं के निर्यात पर भी सख्ती बरतने का संकेत दिया है। खास बात यह है कि इन सभी धातुओं का खनन चीन में सबसे ज्यादा किया जाता है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्ट बमों तक हर चीज में होता है।

पहले अमेरिका ने चलाया टैरिफ वाला चाबुक

अमेरिका ने चीन द्वारा जवाबी टैक्स का ऐलान करने से पहले भारत और चीन समेत अन्य देशों पर 2 अप्रैल से भारी-भरकम टैरिफ लागू किया था। इसमें चीन से आने वाले सामान पर 34% आयात कर लगाने का ऐलान किया था। वहीं यूरोपीय यूनियन से आयात पर 20 फीसदी, दक्षिण कोरियाई के उत्पादों पर 25 फीसदी,ताइवान के उत्पादों पर 32 फीसदी और जापानी उत्पादों पर 24 फीसदी टैक्स लागू करने का ऐलान किया था। इसके अलावा सभी विदेशी ऑटोमोबाइल पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया है। इसके पीछे ट्रंप का तर्क था कि हम सभी देशों के व्यापार और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने को कदम उठाते हैं। उनकी सेना समेत अन्य कामों के लिए खर्चा देते हैं, लेकिन वह हम पर भारी टैरिफ लगाते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा। हम किसी के लिए इतना सब कुछ क्यों करेंगे।

चीन ने फिर बढ़ाया अपना रक्षा बजट, भारत से तीन गुना अधिक

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पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचा हुआ है। एक तरफ इजराइल-हमास युद्ध के मैदान में डटे हुए हैं। वहीं, रूस-यूक्रेन जंग लड़ रहे है, दूसरी तरफ अमेरिका ने यूक्रेन के मुद्दे पर यूरोपीय देशों को नाराज कर अलग गुट में खड़ा कर दिया। इस बीच चीन खुद को ताकतवर बनाने की होड़ में लगा हुआ है। चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ाता जा रहा है। इसी के तहत चीन ने एक बार फिर अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी करने का एलान किया है। चीन ने बुधवार को अपने रक्षा बजट का एलान किया, जिसमें चीन ने रक्षा खर्च के लिए 249 अरब डॉलर का बजट रखा है। यह पिछले साल के बजट की तुलना में 7.2 प्रतिशत ज्यादा है।

खर्च का बचाव करते हुए नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के प्रवक्ता लू किनजियान ने कहा कि शांति की रक्षा के लिए ताकत जरूरी है। उन्होंने कहा कि मजबूत राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं के साथ, चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता है, एक प्रमुख देश के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकता है और विश्व शांति और स्थिरता की रक्षा कर सकता है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में चीन का रक्षा व्यय वैश्विक औसत से कम है। वर्ष 2016 से चीन के वार्षिक रक्षा खर्च में लगातार नौ वर्षों से एकल अंक में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन का रक्षा खर्च जीडीपी के हिस्से के रूप में पिछले कई सालों से डेढ़ फीसदी से कम रहा है।

चीन अपने सभी सशस्त्र बलों का बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण करने का काम जारी रखे हुए है। चीन के रक्षा बजट के आंकड़ों को उसके द्वारा विमानवाहक पोतों के निर्माण, उन्नत नौसैनिक जहाजों और आधुनिक स्टील्थ विमानों के तेजी से निर्माण सहित बड़े पैमाने पर सैन्य आधुनिकीकरण के मद्देनजर संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। बीते साल भी चीन ने अपने रक्षा बजट में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि की थी। पिछले साल चीन का रक्षा बजट 1.67 खरब युआन या कहें 232 अरब डॉलर था।

अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी में ड्रैगन

चीन, अमेरिका को हर मोर्चे पर चुनौती देने की तैयारी कर रहा है और इसी के तहत वह अपनी सेना को भी मजबूत करने में जुटा है। हालांकि अभी अमेरिका की तुलना में चीन का बजट काफी कम है, लेकिन जिस तेजी से चीन अपने सैन्य खर्च को बढ़ा रहा है, उसे देखते हुए जल्द ही चीन के भी अमेरिका के नजदीक पहुंचने की उम्मीद है। अमेरिका का सैन्य बजट 895 अरब डॉलर है। इस मामले में कोई भी देश अमेरिका के आसपास भी नहीं फटकता।

भारत के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा बजट

एक तरफ चीन अमेरिका से मुकाबला कर रहा है, तो दूसरी तरफ उसकी नजर भारत पर भी है। भारत के साथ चीन का सीमा विवाद है। ऐसे में भारत के मुकाबले चीन का सैन्य बजट तीन गुना से भी ज्यादा होना भारत के लिए बड़ा तनाव देने वाला है। बीते दिनों पेश किए गए बजट में भारत ने अपने सैन्य खर्च के लिए 75 अरब डॉलर आवंटित किए थे। जबकि चीन का यह खर्च 249 अरब डॉलर है। इससे दोनों देशों के बीच के अंतर को साफ समझा जा सकता है। सैन्य बजट के मामले में भारत चौथे स्थान पर है।

चीन, कनाडा और मेक्सिको ने डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ सुधार प्रस्ताव को नकारते हुए किया पलटवार

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AP

मेक्सिको, कनाडा और चीन से आयात पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित टैरिफ मंगलवार को लागू हो गए, जिससे इस मुद्दे पर कई दिनों से चल रही अटकलें खत्म हो गईं। टैरिफ, जो मूल रूप से पिछले महीने लागू होने वाले थे, पर 30 दिनों का विराम लगा, क्योंकि ट्रम्प ने देशों से अमेरिका में फेंटेनाइल दवा के प्रवाह को रोकने या ‘गंभीर रूप से सीमित’ करने के लिए कहा था। सोमवार को, रिपब्लिकन ने कहा कि टैरिफ के संबंध में कनाडा और मेक्सिको के साथ किसी समझौते के लिए ‘कोई जगह नहीं’ है, उन्होंने कहा कि योजना मंगलवार को निर्धारित समय पर लागू होगी।

प्रस्तावित योजना कनाडा और मेक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की थी। चीन पर भी पहले से लागू 10 प्रतिशत के अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया। मंगलवार आधी रात को टैरिफ लागू हुए, जिसके जवाब में तीनों देशों ने अपने-अपने जवाबी उपाय किए। मेक्सिको, कनाडा और चीन ने कैसे जवाबी कार्रवाई की ? 

कनाडा

निवर्तमान कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार से 30 बिलियन कनाडाई डॉलर मूल्य के अमेरिकी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की। यही नहीं, 125 बिलियन कनाडाई डॉलर मूल्य के अमेरिकी सामानों पर शेष जवाबी टैरिफ 21 दिनों के भीतर लगाए जाएंगे। रॉयटर्स ने ट्रूडो के हवाले से कहा, "जब तक अमेरिकी व्यापार कार्रवाई वापस नहीं ली जाती, तब तक हमारे टैरिफ लागू रहेंगे और अगर अमेरिकी टैरिफ बंद नहीं होते हैं, तो हम कई गैर-टैरिफ उपायों को आगे बढ़ाने के लिए प्रांतों और क्षेत्रों के साथ सक्रिय और चल रही चर्चाओं में हैं।"

मेक्सिको

अमेरिका के दक्षिणी पड़ोसी ने सोमवार को घोषणा की कि अगर ट्रम्प अपनी टैरिफ योजनाओं के साथ आगे बढ़ते हैं, तो उसके पास बैकअप योजनाएँ हैं। बहुत अधिक विवरण दिए बिना, मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने कहा कि अगर मंगलवार को अमेरिका ने उस पर टैरिफ लगाया तो देश तैयार है।

चीन

चीन ने भी नए अमेरिकी टैरिफ के जवाब में कई कृषि उत्पादों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की। चीन के वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वह सोयाबीन और मकई से लेकर डेयरी और बीफ़ तक के कृषि उत्पादों पर 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत के बीच अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में 10% प्रतिशोधी टैरिफ का सामना करने वाले अमेरिकी उत्पादों में सोयाबीन, ज्वार, सूअर का मांस, बीफ़, जलीय उत्पाद, फल, सब्जियाँ और डेयरी उत्पाद शामिल हैं।

चीनी वित्त मंत्रालय ने कहा कि चिकन, गेहूं, मक्का और कपास पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। टैरिफ के साथ-साथ, चीन ने 25 अमेरिकी फर्मों पर निर्यात और निवेश प्रतिबंध भी लगाए हैं।

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के बयान ने फिर बढ़ाया सियासी पारा, बोले- चीन दुश्मन नहीं

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कांग्रेस के सीनियर नेता और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। सैम पित्रोदा एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने एक बड़ा दावा करके नया विवाद खड़ा कर दिया है। सैम पित्रोदा ने कहा है कि चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है। उनका कहना है कि भारत को चीन को अपना दुश्मन मानना बंद कर देना चाहिए।

भारत का दृष्टिकोण टकराव वाला-पित्रोदा

सैम पित्रोदा का विवादों से पुराना नाता रहा है। ताजा मामले में कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चीन के प्रति भारत का दृष्टिकोण टकराव वाला रहा है और इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। उन्होंने एकक इंटरव्यू में कहा कि मैं चीन से खतरे को नहीं समझता। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है।

दुश्मनी वाली मानसिकता को बदले की जरूरत-पित्रोदा

पित्रोदा ने कहा, मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश सहयोग करें, टकराव नहीं। हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं, जो बदले में देश के भीतर समर्थन हासिल करते हैं। पित्रोदा ने कहा कि हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है। दरअसल, पित्रोदा ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही जिसमें पूछा गया था कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चीन से उत्पन्न खतरों को नियंत्रित कर पाएंगे।

यूएस की पेशकश को भारत ने किया इनकार

बता दें कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बैठक हुई। जिसके बाद 13 फरवरी को हुई एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव में मध्यस्थता करने की पेशकश की। भारत ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को तुरंत ठुकरा दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, हमारे किसी भी पड़ोसी के साथ जो भी मुद्दे हैं, हम हमेशा इन्हें द्विपक्षीय तरीके से हल करने की कोशिश करते हैं। भारत और चीन के बीच भी यही स्थिति है। हम अपने मुद्दों पर द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत करते रहे हैं और आगे भी यही करेंगे।

बीजेपी ने किया वार

बीजेपी ने पित्रोदा के बयान पर प्रतिक्रिया दी। बीजेपी ने कहा कि चीन के प्रति कांग्रेस के जुनून का मूल कारण 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (जो पड़ोसी देश पर शासन करती है) के बीच हुए समझौता ज्ञापन में निहित है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा कि जिन लोगों ने हमारी 40,000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को दे दी, उन्हें अब भी ड्रैगन से कोई खतरा नहीं दिखता। सिन्हा ने कहा, कोई आश्चर्य नहीं कि राहुल गांधी चीन से खौफ खाते हैं और आईएमईईसी की घोषणा से एक दिन पहले बीआरआई का समर्थन कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी के चीन के प्रति जुनूनी आकर्षण का मूल रहस्य 2008 के रहस्यमय कांग्रेस-सीसीपी एमओयू में छिपा है।

आर-पार के मूड में चीन, ट्रंप को 10% के जवाब में 15% टैरिफ, अब बढ़ेगा तनाव

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको को बड़ी राहत दी। ट्रंप ने दोनों देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। हालांकि, चीन को किसी भी तरह की राहत नहीं दी। फिर क्या था अमेरिका के टैरिफ से चीन तिलमिला उठा और अमेरिका को जवाब देने की ठानी। इसी का नतीजा है कि अब चीन ने भी अमेरिका से इंपोर्ट होकर आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। चीन ने अमेरिका के कोयला और क्रूड ऑयल समेत कई उत्पादों पर 15 पर्सेंट तक टैरिफ थोप दिया है। चीन की तरफ से लगाए गए ये टैरिफ 10 फरवरी से लागू होंगे।

चीनी वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को अमेरिकी उत्पादों पर 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले की जानकारी दी। बीजिंग के टैरिफ लगाए जाने से चीन में अमेरिका से आने वाले बड़ी कारों, पिक ट्रक, एलएनजी, कच्चा तेल और खेती-बाड़ी की मशीनों के आयात पर असर पड़ेगा। चीन ने कोयले और प्राकृतिक गैस पर 15 प्रतिशत और पेट्रोलियम, कृषि उपकरण, उच्च उत्सर्जन वाले वाहनों और पिकअप ट्रकों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। चीन ने कुछ प्रमुख खनिजों के निर्यात पर नियंत्रण लगाया है। साथ ही गूगल और कुछ अमेरिकी कंपनियों की जांच शुरू कर दी है।

केवल टैरिफ तक नहीं रुका चीन

चीन सिर्फ टैरिफ तक ही नहीं रुका, बल्कि उसने दो अमेरिकी कंपनियों को अपनी अविश्वसनीय संस्थाओं की सूची में डाला है। इसमें बायोटेक कंपनी इलुमिना और केल्विन क्लेन और टॉमी हिलफिगर की मालिकाना हक वाली फैशन रिटेलर कंपनी पीवीएच ग्रुप शामिल है। चीन का कहना है कि उन्होंने सामान्य बाजार व्यापार सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। टैरिफ के अलावा, चीन ने अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल के खिलाफ एक एंटी-मोनोपॉली जांच शुरू करने की भी घोषणा की है।

चीन-अमेरिका में छिड़ा ट्रेड वॉर

अमेरिका और चीन के एक-दूसरे पर टैरिफ लगाने से दोनों मुल्कों में व्यापार के स्तर पर तनाव बढ़ गया है। इससे आने वाले दिनों में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर तेज होने की भी संभावना है। दरअसल, चीन का जवाबी कदम ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित टेलीफोनिक बातचीत से पहले आया है। ट्रंप ने सोमवार को कहा कि शी के साथ बातचीत ‘शायद अगले 24 घंटों में’ होगी। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर चीन के साथ कोई समझौता नहीं हो सका, तो ‘टैरिफ बहुत, बहुत ज्यादा होंगे।