पाकिस्तान, अफगानिस्तान-बांग्लादेश से 2024 तक आए लोगों को भारत में रहने की इजाजत, CAA पर केन्द्र का बड़ा फैसला

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केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए पर बड़ा फैसला किया है। भारत में कट-ऑफ तारीख को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया है। यानी अब सीएए के तहत 31 दिसंबर 2024 तक भारत में आए उन लोगों को नागरिकता मिल सकती है, जो अपने देश में धार्मिक प्रताड़ना झेल रहे थे। पहले यह तारीख दिसंबर 2014 तय की गई थी। जिसे 10 साल बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया गया है।

यह आदेश इमीग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्टर, 2025 के तहत जारी किया गया है। गृह मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई जो धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत में शरण लेने को मजबूर हुए हैं, उन्हें इसका लाभ मिलेगा। ऐसे लोग जिनके पास पासपोर्ट या वीजा नहीं, या फिर उनकी वैलिडिटी खत्म हो गई है। उन्हें भारत की नागरिकता मिल सकेगी।

सुकांतो मजूमदार ने फैसले को बताया ऐतिहासिक

केंद्रीय मंत्री डॉ. सुकांतो मजूमदार ने इस आदेश के बाद सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा, भारत में 31 दिसंबर 2024 तक आए गैर-मुसलमानों को देश में CAA के तहत नागरिकता मिल जाएगी। मजूमदार ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद भी दिया। हालांकि बाद में उन्होंने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया और नए कानून का हवाला देते हुए कहा कि इससे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों भारत में रहने की इजाजत मिल जाएगी।

विस्थापित लोगों के संगठनों ने सरकार से की थी अपील

बता दें कि हाल में ही विस्थापित लोगों के संगठनों ने सरकार से यह अपील की थी। बांग्लादेश के एक रिफ्यूजी संगठन ने पीएम मोदी से सीएए की तारीख को 2014 से बढ़ाकर 2024 करने का आग्रह किया था। उनका कहना था कि प्रताड़ित अल्पसंख्यकों का आना अभी भी जारी है।

2024 से पहले भारत आए अल्पसंख्यक को मिलेगी नागरिकता

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए एक विशेष प्रावधान मौजूद है। यह विशेष रूप से उन कुछ व्यक्तियों के लिए है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं और पाकिस्तान या अफगानिस्तान या बांग्लादेश के हिन्दू या सिख या बौद्ध या जैन या पारसी या ईसाई समुदाय से हैं। हालांकि अब यह तारीख को दिसंबर 2014 से बढ़ाकर दिसंबर 2024 कर दिया गया है।

कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति ने भारत को तोड़ा: सीएम योगी

लखनऊ। 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के मौके पर लखनऊ में आयोजित भव्य प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने 1947 के विभाजन को कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति का काला अध्याय करार देते हुए कहा कि इस भीषण त्रासदी ने सनातन भारत की एकता को तोड़कर देश को पीड़ा दी। उन्होंने कहा कि आज 14 अगस्त 1947 की विभाजन विभीषिका को याद करते हुए पूरा देश शोकाकुल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में इस दिन को स्मृति दिवस घोषित कर इतिहास को जीवंत किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया और देशवासियों को इतिहास से सबक लेने का आह्वान किया। प्रदर्शनी में विभाजन के बाद उपजी हिंसा और उससे प्रभावित लोगों से संबंधित डिजिटल आर्काइव फोटो, अखबार कतरनें, राजकीय अभिलेख और विस्थापित परिवारों की संरक्षित सामग्री के जरिए युवाओं को तुष्टिकरण की कीमत उस दौर की वेदना से अवगत कराया गया।

कांग्रेस ने सत्ता लालच में देश का बंटवारा कराया- सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारियों ने फांसी के फंदे को गले लगाया, लेकिन कांग्रेस ने सत्ता लालच में देश का बंटवारा कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी पाकिस्तान के लाहौर, कराची, रावलपिंडी, मुल्तान जैसे क्षेत्रों को हिंदू, सिख और बौद्ध विहीन बनाने का अभियान कांग्रेस की नीति का नतीजा था। इस हिंसा में 15-20 लाख लोगों की जान गई और करोड़ों विस्थापित हुए। सीएम योगी ने कहा कि यह अत्याचारों की पराकाष्ठा थी, जिसे कांग्रेस ने बढ़ावा दिया।

विभीषिका पीड़ित परिवारों को CAA के तहत उचित पुनर्वास देंगी सरकार- मुख्यमंत्री
सीएम ने कांग्रेस पर विस्थापितों के प्रति उदासीनता का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई समुदाय के लोग घर-बार छोड़कर आए, उनके लिए तत्कालीन सरकार ने न स्मारक बनाए, न संग्रहालय स्थापित किए। उनकी पीड़ा को भुला दिया गया। इसके विपरीत, उन्होंने पीएम मोदी की सराहना की, जिन्होंने CAA के जरिए शरणार्थियों को नागरिकता और पुनर्वास का अधिकार दिया। सीएम ने कहा कि पहली बार जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में शरणार्थियों को CAA से नागरिकता मिली। ये लोग भारत के विकास में योगदान दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने उनके पुनर्वास के लिए कभी प्रयास नहीं किया। सीएम योगी ने पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनकी स्मृतियों को हमारा नमन है। सीएम योगी ने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश सरकार CAA के तहत पात्र परिवारों को जमीन के पट्टे और उचित पुनर्वास देगी। उन्होंने कहा कि हम उनके हितों की रक्षा और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

देश के युवाओं को इतिहास से जोड़ना जरूरी- सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि प्रदर्शनी के माध्यम से देश के युवाओं को इतिहास से जोड़ना जरूरी है। इसमें विभाजन की त्रासदी, दंगे, विस्थापन और कत्लेआम की झलकियां दर्शाई गई हैं। सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह पहल पीड़ित परिवारों के घावों पर मरहम लगाने का काम कर रही है और आने वाली पीढ़ियों को सच से भी अवगत करा रही है।

इस दौरान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी सहित कई गणमान्य मौजूद रहे।
छत्तीसगढ़ कैडर के IAS अधिकारी को केंद्र सरकार ने दी बड़ी जिम्मेदारी, कोस्टल एग्रीकल्चर अथॉरिटी चेन्नई के बनाए गए संयुक्त सचिव

नई दिल्ली- भारत सरकार ने एक और छत्तीसगढ़ कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को बड़ी जिम्मेदारी दी है. केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet) ने 2007 बैच के आईएएस अधिकारी केसी देवसेनापति को कोस्टल एग्रीकल्चर अथॉरिटी (CAA) चेन्नई में संयुक्त सचिव पद पर पदस्थ किया है.

जारी आदेश के मुताबिक, आईएएस देवसेनापति को पे मैट्रिक्स के लेवल 14 पर नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति 18 अगस्त 2028 तक या अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी. यह नियुक्ति मत्स्य पालन विभाग के अंतर्गत कार्यरत कोस्टल एग्रीकल्चर अथॉरिटी (CAA) में की गई है, जिसका मुख्यालय चेन्नई में स्थित है.

बता दें कि केसी देवसेनापति छत्तीसगढ़ कैडर के 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं. उन्होंने 18 अगस्त 2007 को आईएएस की सर्विस ज्वाइन की. वे बीजापुर जिला पंचायत सीईओ थे. वे सूरजपुर और दंतेवाड़ा कलेक्टर भी रहे. आईएएस केसी देवासेनापति को राज्य योजना आयोग के सदस्य, सचिव मुख्य कार्यपालन अधिकारी छग इंफोटेक प्रमोशन सोसायटी यानि चिप्स भी रह चुके हैं. विशेष सचिव इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी छत्तीसगढ़ रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू अल्पसंख्यकों को मिलेगी राहत, गृह मंत्री विजय शर्मा बोले- CAA के तहत पा सकेंगे भारतीय नागरिकता

रायपुर- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने देश में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों (अलग-अलग वीजा रखने वालों) को देश छोड़ने का निर्देश दिया गया था। इस बीच छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा है कि राज्य में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू अल्पसंख्यकों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत भारत की नागरिकता दी जा सकेगी।

गृहमंत्री ने बताया कि जो पाकिस्तानी अल्पसंख्यक छत्तीसगढ़ में रह रहे हैं, उन्हें फिलहाल राज्य में रहने की अनुमति दी गई है और वे केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के अंतर्गत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। शर्मा ने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे को संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण से देख रही है। हम इस प्रक्रिया में उनकी हर संभव मदद करेंगे।”

पाकिस्तानी हिंदुओं ने गृहमंत्री शर्मा से की थी मुलाक़ात.

गौरतलब है कि पाकिस्तानी हिंदुओं के एक समूह ने बीते शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा से मुलाकात कर अपनी परेशानियां बताईं और मदद की गुहार लगाई थी। इन पीड़ितों में सिंध के घोटकी ज़िले के खानपुर निवासी सुखदेव लुंद भी शामिल थे। उन्होंने बताया, “हम लौटकर पाकिस्तान नहीं जाएंगे।”

सुखदेव, 45 दिन के विज़िटर वीज़ा पर रायपुर के शदाणी दरबार पहुँचे हैं। उनके साथ उनके परिवार सहित कुल 24 लोगों का समूह भी है। सुखदेव ने बताया कि वे आतंकी हमलों और अत्याचारों से परेशान होकर भारत पहुँचे हैं और रायपुर में शरण की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, आने के बाद बीते 48 घंटों में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले लगभग 100 अन्य पाकिस्तानी हिंदू भी रायपुर पहुँच चुके हैं, जिन्होंने भारत में स्थायी निवास की माँग की है, ताकि वे सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

पाकिस्तानी नागरिकों पर बढ़ी चिंता

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश में रह रहे कुछ पाकिस्तानी नागरिकों को डिपोर्ट करने की कार्रवाई शुरू हुई है। इस पृष्ठभूमि में छत्तीसगढ़ में रह रहे पाकिस्तानी हिंदुओं को लेकर स्थिति को स्पष्ट करना आवश्यक हो गया था। गृहमंत्री विजय शर्मा के इस बयान से राज्य के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को बड़ी राहत मिली है, जो वर्षों से भारत में स्थायी रूप से बसने की उम्मीद लगाए हुए हैं।

क्यों है यह फैसला अहम?

छत्तीसगढ़ में रह रहे ऐसे कई परिवार वर्षों से नागरिकता न मिलने की वजह से नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकारी योजनाओं से वंचित रहे हैं। CAA के तहत उन्हें कानूनी मान्यता मिलने से उनके जीवन में स्थिरता और अधिकारों की प्राप्ति संभव हो सकेगी।

क्या है CAA?

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, बशर्ते वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हों और उन्हें वहां धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।

वक्फ संशोधन बिल के विरोध में सुमैया राणा को पुलिस का नोटिस, दस लाख के मुचलके की मांग

लखनऊ । वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में आवाज उठाना सुमैया राणा को भारी पड़ रहा है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर धरने में सक्रिय रहीं मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटी और सामाजिक कार्यकर्ता सुमैया राणा को लखनऊ पुलिस ने दस लाख रुपये के मुचलके के साथ नोटिस भेजा है। यह नोटिस उन्हें वॉट्सऐप पर मिला, जिसे सुमैया ने असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

सुमैया बोलीं- डरने वाली नहीं हूं

सुमैया राणा का कहना है कि वक्फ बिल का शांतिभंग से कोई लेना-देना नहीं, यह एक संविधान विरोधी कानून है, जिसका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना उनका अधिकार है। उन्होंने साफ कहा कि "सरकार की किसी भी गलत नीति या संविधान विरोधी कदम से डरने वाली नहीं हूं। वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश के खिलाफ मेरा संघर्ष जारी रहेगा।"

दो दिन पहले सुमैया को हाउस अरेस्ट किया गया था

गौरतलब है कि वक्फ संशोधन बिल का विरोध करने के मद्देनज़र दो दिन पहले सुमैया को हाउस अरेस्ट किया गया था। उनके आवास पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया, लेकिन सुमैया का आरोप है कि पुलिस के पास किसी प्रकार का लिखित आदेश नहीं था। उन्होंने इसे भी संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ बताया।

उजमा परवीन को भी पुलिस की ओर से नोटिस भेजा गया

इसी तरह समाजवादी छात्रसभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र यादव और सोशल एक्टिविस्ट उजमा परवीन को भी पुलिस की ओर से नोटिस भेजा गया है। महेन्द्र यादव ने कहा, "नोटबंदी, सीएए, एनआरसी, लॉकडाउन, कृषि कानूनों की तरह ही यह वक्फ संशोधन विधेयक भी एक काला कानून है और हम इसका पुरजोर विरोध करते रहेंगे।"

उनका विरोध संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए

सुमैया राणा समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता वक्फ संपत्तियों को मुस्लिम समुदाय की धरोहर मानते हैं और उनका कहना है कि सरकार इन संपत्तियों को कब्जा करने के लिए यह विधेयक ला रही है। उनका विरोध संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए है, जिसे दबाने की कोशिश की जा रही है।इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर लोकतांत्रिक विरोध और सरकारी कार्रवाई के संतुलन पर बहस छेड़ दी है।

वक्फ संशोधन अधिनियम पर PK का बड़ा बयान, समाज को भरोसे में लिए बिना ही कानून बनाने की कोशिश*
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पटना : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने वक्फ कानून पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज केंद्र सरकार देश के संसद से ऐसे कानून ला रही है जिससे की मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग असहज महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस मुस्लिम कौम ने इस देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी, उस देश की संसद से आज भाजपा सरकार ने CAA NRC का कानून बना दिया, जो की मुस्लिम समाज के साथ अन्याय है। उसी संसद से वक्फ बोर्ड में बड़े बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है, जिसको समाज के लोगों को भरोसे में लिए बिना ही नई कहानी लिखने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मॉब लांचिंग पर कहा कि जब किसी गरीब, लाचार, असहाय मुस्लिम की भीड़ द्वारा बेहरमी से हत्या कर दी जाती है तब उसके साथ उस समाज का वोट लेने वाले 10 नेता भी खड़े नहीं होते और आज यह मुस्लिम समाज के लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय है।
बिहार की सुमित्रा रानी साहा बनीं पहली महिला, सीएए के तहत मिली भारतीय नागरिकता

सुमित्रा रानी साहा बिहार की ऐसी पहली महिला हो गई है. जिनको भारतीय नागरिकता मिल गई है. सुमित्रा रानी साहा बांग्लादेश से करीब 20 साल की उम्र में 1985 में बिहार आई थी. अब तमाम औपचारिकता और नियम पूरे कर लेने के बाद उनको सीएए के तहत नागरिकता प्रदान कर दी गई है. एक लंबे इंतजार के बाद उन्होंने भारतीय नागरिकता को हासिल कर लिया है. नागरिकता मिलने के बाद रानी साहा का परिवार बहुत ही खुश नजर आ रहा है.

सुमित्रा रानी (60) साहा अपनी बुआ के साथ पांच या छह साल की उम्र में बांग्लादेश गई थी. उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. जिसके कारण वह बांग्लादेश में ही अपनी पढ़ाई करती रही. करीब 20 साल के बाद वह जनवरी 1985 में बांग्लादेश से अपने पिता के साथ अपने घर बिहार में कटिहार आई. सुमित्रा की शादी 1985 में आरा के रहने वाले परमेश्वर प्रसाद से हुई. शादी के बाद तब से लेकर अब तक सुमित्रा वीजा लेकर भारत में रह रही थी.

CAA के तहत मिली नागरिकता

हर साल उनको अपने वीजा के लिए परेशान होना पड़ता था. पिछले साल उन्होंने वीजा के लिए आवेदन किया, तो उन्हें सीएए के बारे में जानकारी मिली. हालांकि उनको करीब तीन साल तक वीजा का एक्सटेंशन भी मिला. सीएए की जानकारी मिलने के बाद सुमित्रा की बेटी ऐश्वर्या ने नागरिकता के लिए आवेदन कर दिया और इस काम में लग गई. सुमित्रा की बेटी ऐश्वर्या कहती है कि अब हमें नागरिकता मिल गई है, लेकिन पहले आसपास के लोग हमें कई तरह की बातें कहते थे.

लोगों ने किया मानसिक टॉर्चर’

वह यह कहते थे कि हम लोग बांग्लादेश के रहने वाले हैं. आप लोगों को जेल भेज दिया जाएगा. कई प्रकार का मानसिक टॉर्चर किया गया, लेकिन अब हमें नागरिकता मिल गई है. यह हमारे लिए खुशी का लम्हा है. हमें भारत की नागरिकता जब तक नहीं मिली थी, तब तक किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिल पा रही थी. गैस कनेक्शन तक नहीं मिला था. लेकिन अब यह सारी सुविधाएं मिलने लगेगी.

ऐश्वर्या का यह भी कहना था कि सीएए हमारे जैसे लोगों के लिए एक जीवनदान जैसा है. अब हमें नागरिकता मिली है. अब हम सारे डॉक्यूमेंट बनवाएंगे और देश की मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे. वहीं सेंसस ऑफ़ डायरेक्टर ऑपरेशन के तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार एम. रामचंद्रुडु, निदेशक, जनगणना- सह- नागरिक निबंधन कार्यालय, पटना की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय सशक्त समिति ने भोजपुर जिले की सुमित्रा रानी साहा को नागरिकता प्रदान करने का निर्णय लिया.

40 साल पहले भारत आई थी सुमित्रा

60 वर्षीय सुमित्रा रानी साहा करीब 40 साल पहले बांग्लादेश से भारत आईं थी. उन्हें शुक्रवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान की गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीसीए पोर्टल पर सुमित्रा रानी साहा जिला- भोजपुर (बिहार) ने आवेदन किया था. आवेदन नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीसीए) के आधार संख्या IIIA अनुभाग के अंतर्गत 5(1)(सी) के तहत प्राप्त हुआ था.

बैठक में जारी किया नागरिकता प्रमाण पत्र

इसके बाद जिला स्तरीय समिति ने मूल्य निर्धारण के साथ अग्रसारित की गई थी. आवेदन के साथ उपलब्ध लाइसेंस प्राप्त पुरातत्वविदों की समिति ने एप्लीकेंट को प्रमाणपत्र प्रदान करने का निर्णय लिया. सीएए पोर्टल पर साइटिक्स शास्त्र जनरेट करने के बाद एप्लीकेंट को पोर्टल के माध्यम से ईमेल और एसएमएस से सूचना भेज दी जाती है. निदेशक जनगणना, सह- नागरिक निबंधन रामचन्द्रडु ने राजधानी के सचिवालय में शुक्रवार को निदेशक, नागरिक निबंधन के कार्यालय में बैठक हुई और नागरिकता प्रमाण पत्र जारी किया गया. बैठक में राज्य के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहें.

अमेरिकी रिपोर्ट ने भारत में अल्पसंख्यकों को खतरे में बताया, विदेश मंत्रालय ने कहा-पक्षपाती एजेंडा
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अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर भारत पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें भारत की सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वरिष्ठ नीति विश्लेषक सेमा हसन ने लिखा है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों पर हिंसक हमले होते हैं। धार्मिक अशांति फैलाने के लिए गलत जानकारी दी जाती है। इसके अलावा सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि रिपोर्ट में मुस्लिम, वक्फ संशोधन बिल गोहत्या विरोधी कानून की बात की गई है। इन सब के चलते आयोग ने देश को धार्मिक भेद-भाव वाले देशों के लिस्ट में नामित करने का आग्रह किया है। अमेरिकी सरकार के आयोग USCIRF (US Commission on International Religious Freedom) की ओर से 2 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), समान नागरिक संहिता (UCC), राज्यों में धर्मांतरण का विरोध और गोहत्या विरोधी कानून का जिक्र किया गया है। साथ ही कहा गया है कि इन कानूनों का मकसद भारत में अल्पसंख्यकों को टारगेट करना और उन्हें मताधिकार से वंचित रखना है। रिपोर्ट में आगे लिखा है, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति 2024 में लगातार बदतर होती जा रही है। खासकर देश में राष्ट्रीय चुनाव होने से पहले और तुरंत बाद के महीनों में। लोगों को मारा गया, पीटा गया और लिंचिंग की गई। धार्मिक नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया। घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया। ये घटनाएं धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन हैं। भारत सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून, गोहत्या कानून और आतंकवाद विरोधी जैसे कानून लागू करके धार्मिक समुदायों का दमन कर रही है। अपनी सलाना रिपोर्ट में USCIRF ने अमेरिकी विदेश विभाग से ये आग्रह किया है कि वो भारत में धार्मिक स्तर पर हो रहे उल्लंघनों को ध्यान में रखते हुए उसे विशेष चिंता वाले देश के रूप में शामिल करें। भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। भारत ने इसे एक राजनीतिक एजेंडा वाला 'पक्षपाती संगठन' करार दिया। भारत ने इस रिपोर्ट को 'दुर्भावनापूर्ण' बताया। विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यूएससीआईआरएफ को अपने समय का ज्यादा इस्तेमाल अमेरिका में मानवाधिकारों के मुद्दे से निपटने में करना चाहिए। बता दें कि, ये पहली बार नहीं है जब अमेरिकी आयोग ने भारत के खिलाफ धर्म संबंधित ऐसा रिपोर्ट जारा किया है। इससे पहले भी उन्होंने ऐसा किया था। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच अच्छे संबंध होने की वजह से जो बाइडेन प्रशासन USCIRF द्वारा किए गए आग्रह को मानने से बचता रहा है।
गोवा में CAA के तहत पहले शख्स को दी गई नागरिकता, भारतीय बने पाकिस्तानी जोसफ

गोवा में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत पहले शख्स को भारतीय नागरिकता दे दी गई है। 28 अगस्त को गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने 78 वर्षीय पाकिस्तानी ईसाई जोसेफ फ्रांसिस परेरा को भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा। जोसेफ फ्रांसिस परेरा आज़ादी से पहले पढ़ाई के लिए गोवा से पाकिस्तान गए थे और बाद में वहीं नौकरी करने लगे। उन्होंने पाकिस्तानी नागरिकता प्राप्त की और 2013 में भारत लौटने तक कराची में रहे।

सीएम सावंत ने कहा कि गोवा की महिला से विवाहित होने के बावजूद, परेरा को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में तब तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जब तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन नहीं कर दिया। राज्य के पर्यटन मंत्री रोहन खाउंटे की उपस्थिति में परेरा को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि, CAA को दिसंबर 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने के लिए अधिनियमित किया गया था, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं।

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 1946 में जन्मे परेरा ने तटीय राज्य की मारिया से विवाह किया और अपनी सेवानिवृत्ति के बाद 11 सितंबर, 2013 को भारत लौट आए। मूल रूप से दक्षिण गोवा के परोदा गांव के रहने वाले परेरा अब अपने परिवार के साथ उसी जिले के कैंसुअलिम में रहते हैं। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को बताया कि परेरा यह प्रमाणपत्र पाने वाले पहले गोवावासी हैं, हालांकि भारत भर में कई लोगों ने भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए CAA में संशोधन का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई गोवावासी हैं जिन्हें CAA के तहत इसी तरह से नागरिकता दी जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि, "जो लोग मानते हैं कि वे प्रमाण पत्र के लिए पात्र हैं, वे सरकार से संपर्क कर सकते हैं।"
'बांग्लादेश से बंगाल आ रहे हैं 1 करोड़ हिन्दू शरणार्थी, तैयार रहें..', हिंसा के बीच शुभेंदु अधिकारी का बड़ा बयान

बांग्लादेश में जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है, जिससे भारत भी चिंतित है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि बांग्लादेश से एक करोड़ हिंदू शरणार्थी पश्चिम बंगाल आने वाले हैं, इसलिए राज्य को तैयार रहना चाहिए।

अगले तीन दिन में स्थिति नहीं सुधरी तो एक करोड़ हिंदू बांग्लादेश से विस्थापित होकर भारत आना शुरू होंगे। CAA के तहत बंगाल सरकार को गवर्नर और भारत सरकार से बात करना शुरू करनी चाहिए। भारत बांग्लादेश के हिंदुओ का नरसंहार नहीं होने देगा, फिर चाहे चिकन नेक को बड़ा क्यों ना करना पड़े। 

शुभेंदु अधिकारी ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदुओं का नरसंहार हो रहा है, जिसमें रंगपुर में नगर परिषद के पार्षद हरधन नायक की हत्या और सिराजगंज के थाने में 13 पुलिसकर्मियों की हत्या शामिल है, जिनमें से 9 हिंदू हैं। नोआखली में हिंदुओं के घर जला दिए गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर भारत सरकार से बात करें। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का उल्लेख करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि कानून में स्पष्ट है कि धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तीन दिनों के भीतर स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो बांग्लादेश कट्टरपंथियों के हाथों में चला जाएगा। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदूओं का उत्पीड़न जारी है।

बांग्लादेश में हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 101 हो गई है। आरक्षण सुधार की मांग से शुरू हुआ आंदोलन अब सरकार बदलने के आंदोलन में बदल गया है। सरकार के इस्तीफे की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थकों के बीच झड़पों में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के दफ्तरों और नेताओं के आवासों पर हमले किए और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।

पाकिस्तान, अफगानिस्तान-बांग्लादेश से 2024 तक आए लोगों को भारत में रहने की इजाजत, CAA पर केन्द्र का बड़ा फैसला

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केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए पर बड़ा फैसला किया है। भारत में कट-ऑफ तारीख को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया है। यानी अब सीएए के तहत 31 दिसंबर 2024 तक भारत में आए उन लोगों को नागरिकता मिल सकती है, जो अपने देश में धार्मिक प्रताड़ना झेल रहे थे। पहले यह तारीख दिसंबर 2014 तय की गई थी। जिसे 10 साल बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया गया है।

यह आदेश इमीग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्टर, 2025 के तहत जारी किया गया है। गृह मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई जो धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत में शरण लेने को मजबूर हुए हैं, उन्हें इसका लाभ मिलेगा। ऐसे लोग जिनके पास पासपोर्ट या वीजा नहीं, या फिर उनकी वैलिडिटी खत्म हो गई है। उन्हें भारत की नागरिकता मिल सकेगी।

सुकांतो मजूमदार ने फैसले को बताया ऐतिहासिक

केंद्रीय मंत्री डॉ. सुकांतो मजूमदार ने इस आदेश के बाद सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा, भारत में 31 दिसंबर 2024 तक आए गैर-मुसलमानों को देश में CAA के तहत नागरिकता मिल जाएगी। मजूमदार ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद भी दिया। हालांकि बाद में उन्होंने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया और नए कानून का हवाला देते हुए कहा कि इससे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों भारत में रहने की इजाजत मिल जाएगी।

विस्थापित लोगों के संगठनों ने सरकार से की थी अपील

बता दें कि हाल में ही विस्थापित लोगों के संगठनों ने सरकार से यह अपील की थी। बांग्लादेश के एक रिफ्यूजी संगठन ने पीएम मोदी से सीएए की तारीख को 2014 से बढ़ाकर 2024 करने का आग्रह किया था। उनका कहना था कि प्रताड़ित अल्पसंख्यकों का आना अभी भी जारी है।

2024 से पहले भारत आए अल्पसंख्यक को मिलेगी नागरिकता

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए एक विशेष प्रावधान मौजूद है। यह विशेष रूप से उन कुछ व्यक्तियों के लिए है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं और पाकिस्तान या अफगानिस्तान या बांग्लादेश के हिन्दू या सिख या बौद्ध या जैन या पारसी या ईसाई समुदाय से हैं। हालांकि अब यह तारीख को दिसंबर 2014 से बढ़ाकर दिसंबर 2024 कर दिया गया है।

कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति ने भारत को तोड़ा: सीएम योगी

लखनऊ। 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के मौके पर लखनऊ में आयोजित भव्य प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने 1947 के विभाजन को कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति का काला अध्याय करार देते हुए कहा कि इस भीषण त्रासदी ने सनातन भारत की एकता को तोड़कर देश को पीड़ा दी। उन्होंने कहा कि आज 14 अगस्त 1947 की विभाजन विभीषिका को याद करते हुए पूरा देश शोकाकुल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में इस दिन को स्मृति दिवस घोषित कर इतिहास को जीवंत किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया और देशवासियों को इतिहास से सबक लेने का आह्वान किया। प्रदर्शनी में विभाजन के बाद उपजी हिंसा और उससे प्रभावित लोगों से संबंधित डिजिटल आर्काइव फोटो, अखबार कतरनें, राजकीय अभिलेख और विस्थापित परिवारों की संरक्षित सामग्री के जरिए युवाओं को तुष्टिकरण की कीमत उस दौर की वेदना से अवगत कराया गया।

कांग्रेस ने सत्ता लालच में देश का बंटवारा कराया- सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारियों ने फांसी के फंदे को गले लगाया, लेकिन कांग्रेस ने सत्ता लालच में देश का बंटवारा कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी पाकिस्तान के लाहौर, कराची, रावलपिंडी, मुल्तान जैसे क्षेत्रों को हिंदू, सिख और बौद्ध विहीन बनाने का अभियान कांग्रेस की नीति का नतीजा था। इस हिंसा में 15-20 लाख लोगों की जान गई और करोड़ों विस्थापित हुए। सीएम योगी ने कहा कि यह अत्याचारों की पराकाष्ठा थी, जिसे कांग्रेस ने बढ़ावा दिया।

विभीषिका पीड़ित परिवारों को CAA के तहत उचित पुनर्वास देंगी सरकार- मुख्यमंत्री
सीएम ने कांग्रेस पर विस्थापितों के प्रति उदासीनता का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई समुदाय के लोग घर-बार छोड़कर आए, उनके लिए तत्कालीन सरकार ने न स्मारक बनाए, न संग्रहालय स्थापित किए। उनकी पीड़ा को भुला दिया गया। इसके विपरीत, उन्होंने पीएम मोदी की सराहना की, जिन्होंने CAA के जरिए शरणार्थियों को नागरिकता और पुनर्वास का अधिकार दिया। सीएम ने कहा कि पहली बार जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में शरणार्थियों को CAA से नागरिकता मिली। ये लोग भारत के विकास में योगदान दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने उनके पुनर्वास के लिए कभी प्रयास नहीं किया। सीएम योगी ने पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनकी स्मृतियों को हमारा नमन है। सीएम योगी ने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश सरकार CAA के तहत पात्र परिवारों को जमीन के पट्टे और उचित पुनर्वास देगी। उन्होंने कहा कि हम उनके हितों की रक्षा और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

देश के युवाओं को इतिहास से जोड़ना जरूरी- सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि प्रदर्शनी के माध्यम से देश के युवाओं को इतिहास से जोड़ना जरूरी है। इसमें विभाजन की त्रासदी, दंगे, विस्थापन और कत्लेआम की झलकियां दर्शाई गई हैं। सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह पहल पीड़ित परिवारों के घावों पर मरहम लगाने का काम कर रही है और आने वाली पीढ़ियों को सच से भी अवगत करा रही है।

इस दौरान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी सहित कई गणमान्य मौजूद रहे।
छत्तीसगढ़ कैडर के IAS अधिकारी को केंद्र सरकार ने दी बड़ी जिम्मेदारी, कोस्टल एग्रीकल्चर अथॉरिटी चेन्नई के बनाए गए संयुक्त सचिव

नई दिल्ली- भारत सरकार ने एक और छत्तीसगढ़ कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को बड़ी जिम्मेदारी दी है. केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet) ने 2007 बैच के आईएएस अधिकारी केसी देवसेनापति को कोस्टल एग्रीकल्चर अथॉरिटी (CAA) चेन्नई में संयुक्त सचिव पद पर पदस्थ किया है.

जारी आदेश के मुताबिक, आईएएस देवसेनापति को पे मैट्रिक्स के लेवल 14 पर नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति 18 अगस्त 2028 तक या अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी. यह नियुक्ति मत्स्य पालन विभाग के अंतर्गत कार्यरत कोस्टल एग्रीकल्चर अथॉरिटी (CAA) में की गई है, जिसका मुख्यालय चेन्नई में स्थित है.

बता दें कि केसी देवसेनापति छत्तीसगढ़ कैडर के 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं. उन्होंने 18 अगस्त 2007 को आईएएस की सर्विस ज्वाइन की. वे बीजापुर जिला पंचायत सीईओ थे. वे सूरजपुर और दंतेवाड़ा कलेक्टर भी रहे. आईएएस केसी देवासेनापति को राज्य योजना आयोग के सदस्य, सचिव मुख्य कार्यपालन अधिकारी छग इंफोटेक प्रमोशन सोसायटी यानि चिप्स भी रह चुके हैं. विशेष सचिव इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी छत्तीसगढ़ रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू अल्पसंख्यकों को मिलेगी राहत, गृह मंत्री विजय शर्मा बोले- CAA के तहत पा सकेंगे भारतीय नागरिकता

रायपुर- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने देश में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों (अलग-अलग वीजा रखने वालों) को देश छोड़ने का निर्देश दिया गया था। इस बीच छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा है कि राज्य में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू अल्पसंख्यकों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत भारत की नागरिकता दी जा सकेगी।

गृहमंत्री ने बताया कि जो पाकिस्तानी अल्पसंख्यक छत्तीसगढ़ में रह रहे हैं, उन्हें फिलहाल राज्य में रहने की अनुमति दी गई है और वे केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के अंतर्गत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। शर्मा ने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे को संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण से देख रही है। हम इस प्रक्रिया में उनकी हर संभव मदद करेंगे।”

पाकिस्तानी हिंदुओं ने गृहमंत्री शर्मा से की थी मुलाक़ात.

गौरतलब है कि पाकिस्तानी हिंदुओं के एक समूह ने बीते शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा से मुलाकात कर अपनी परेशानियां बताईं और मदद की गुहार लगाई थी। इन पीड़ितों में सिंध के घोटकी ज़िले के खानपुर निवासी सुखदेव लुंद भी शामिल थे। उन्होंने बताया, “हम लौटकर पाकिस्तान नहीं जाएंगे।”

सुखदेव, 45 दिन के विज़िटर वीज़ा पर रायपुर के शदाणी दरबार पहुँचे हैं। उनके साथ उनके परिवार सहित कुल 24 लोगों का समूह भी है। सुखदेव ने बताया कि वे आतंकी हमलों और अत्याचारों से परेशान होकर भारत पहुँचे हैं और रायपुर में शरण की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, आने के बाद बीते 48 घंटों में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले लगभग 100 अन्य पाकिस्तानी हिंदू भी रायपुर पहुँच चुके हैं, जिन्होंने भारत में स्थायी निवास की माँग की है, ताकि वे सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

पाकिस्तानी नागरिकों पर बढ़ी चिंता

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश में रह रहे कुछ पाकिस्तानी नागरिकों को डिपोर्ट करने की कार्रवाई शुरू हुई है। इस पृष्ठभूमि में छत्तीसगढ़ में रह रहे पाकिस्तानी हिंदुओं को लेकर स्थिति को स्पष्ट करना आवश्यक हो गया था। गृहमंत्री विजय शर्मा के इस बयान से राज्य के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को बड़ी राहत मिली है, जो वर्षों से भारत में स्थायी रूप से बसने की उम्मीद लगाए हुए हैं।

क्यों है यह फैसला अहम?

छत्तीसगढ़ में रह रहे ऐसे कई परिवार वर्षों से नागरिकता न मिलने की वजह से नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकारी योजनाओं से वंचित रहे हैं। CAA के तहत उन्हें कानूनी मान्यता मिलने से उनके जीवन में स्थिरता और अधिकारों की प्राप्ति संभव हो सकेगी।

क्या है CAA?

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, बशर्ते वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हों और उन्हें वहां धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।

वक्फ संशोधन बिल के विरोध में सुमैया राणा को पुलिस का नोटिस, दस लाख के मुचलके की मांग

लखनऊ । वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में आवाज उठाना सुमैया राणा को भारी पड़ रहा है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर धरने में सक्रिय रहीं मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटी और सामाजिक कार्यकर्ता सुमैया राणा को लखनऊ पुलिस ने दस लाख रुपये के मुचलके के साथ नोटिस भेजा है। यह नोटिस उन्हें वॉट्सऐप पर मिला, जिसे सुमैया ने असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

सुमैया बोलीं- डरने वाली नहीं हूं

सुमैया राणा का कहना है कि वक्फ बिल का शांतिभंग से कोई लेना-देना नहीं, यह एक संविधान विरोधी कानून है, जिसका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना उनका अधिकार है। उन्होंने साफ कहा कि "सरकार की किसी भी गलत नीति या संविधान विरोधी कदम से डरने वाली नहीं हूं। वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश के खिलाफ मेरा संघर्ष जारी रहेगा।"

दो दिन पहले सुमैया को हाउस अरेस्ट किया गया था

गौरतलब है कि वक्फ संशोधन बिल का विरोध करने के मद्देनज़र दो दिन पहले सुमैया को हाउस अरेस्ट किया गया था। उनके आवास पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया, लेकिन सुमैया का आरोप है कि पुलिस के पास किसी प्रकार का लिखित आदेश नहीं था। उन्होंने इसे भी संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ बताया।

उजमा परवीन को भी पुलिस की ओर से नोटिस भेजा गया

इसी तरह समाजवादी छात्रसभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र यादव और सोशल एक्टिविस्ट उजमा परवीन को भी पुलिस की ओर से नोटिस भेजा गया है। महेन्द्र यादव ने कहा, "नोटबंदी, सीएए, एनआरसी, लॉकडाउन, कृषि कानूनों की तरह ही यह वक्फ संशोधन विधेयक भी एक काला कानून है और हम इसका पुरजोर विरोध करते रहेंगे।"

उनका विरोध संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए

सुमैया राणा समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता वक्फ संपत्तियों को मुस्लिम समुदाय की धरोहर मानते हैं और उनका कहना है कि सरकार इन संपत्तियों को कब्जा करने के लिए यह विधेयक ला रही है। उनका विरोध संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए है, जिसे दबाने की कोशिश की जा रही है।इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर लोकतांत्रिक विरोध और सरकारी कार्रवाई के संतुलन पर बहस छेड़ दी है।

वक्फ संशोधन अधिनियम पर PK का बड़ा बयान, समाज को भरोसे में लिए बिना ही कानून बनाने की कोशिश*
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पटना : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने वक्फ कानून पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज केंद्र सरकार देश के संसद से ऐसे कानून ला रही है जिससे की मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग असहज महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस मुस्लिम कौम ने इस देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी, उस देश की संसद से आज भाजपा सरकार ने CAA NRC का कानून बना दिया, जो की मुस्लिम समाज के साथ अन्याय है। उसी संसद से वक्फ बोर्ड में बड़े बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है, जिसको समाज के लोगों को भरोसे में लिए बिना ही नई कहानी लिखने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मॉब लांचिंग पर कहा कि जब किसी गरीब, लाचार, असहाय मुस्लिम की भीड़ द्वारा बेहरमी से हत्या कर दी जाती है तब उसके साथ उस समाज का वोट लेने वाले 10 नेता भी खड़े नहीं होते और आज यह मुस्लिम समाज के लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय है।
बिहार की सुमित्रा रानी साहा बनीं पहली महिला, सीएए के तहत मिली भारतीय नागरिकता

सुमित्रा रानी साहा बिहार की ऐसी पहली महिला हो गई है. जिनको भारतीय नागरिकता मिल गई है. सुमित्रा रानी साहा बांग्लादेश से करीब 20 साल की उम्र में 1985 में बिहार आई थी. अब तमाम औपचारिकता और नियम पूरे कर लेने के बाद उनको सीएए के तहत नागरिकता प्रदान कर दी गई है. एक लंबे इंतजार के बाद उन्होंने भारतीय नागरिकता को हासिल कर लिया है. नागरिकता मिलने के बाद रानी साहा का परिवार बहुत ही खुश नजर आ रहा है.

सुमित्रा रानी (60) साहा अपनी बुआ के साथ पांच या छह साल की उम्र में बांग्लादेश गई थी. उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. जिसके कारण वह बांग्लादेश में ही अपनी पढ़ाई करती रही. करीब 20 साल के बाद वह जनवरी 1985 में बांग्लादेश से अपने पिता के साथ अपने घर बिहार में कटिहार आई. सुमित्रा की शादी 1985 में आरा के रहने वाले परमेश्वर प्रसाद से हुई. शादी के बाद तब से लेकर अब तक सुमित्रा वीजा लेकर भारत में रह रही थी.

CAA के तहत मिली नागरिकता

हर साल उनको अपने वीजा के लिए परेशान होना पड़ता था. पिछले साल उन्होंने वीजा के लिए आवेदन किया, तो उन्हें सीएए के बारे में जानकारी मिली. हालांकि उनको करीब तीन साल तक वीजा का एक्सटेंशन भी मिला. सीएए की जानकारी मिलने के बाद सुमित्रा की बेटी ऐश्वर्या ने नागरिकता के लिए आवेदन कर दिया और इस काम में लग गई. सुमित्रा की बेटी ऐश्वर्या कहती है कि अब हमें नागरिकता मिल गई है, लेकिन पहले आसपास के लोग हमें कई तरह की बातें कहते थे.

लोगों ने किया मानसिक टॉर्चर’

वह यह कहते थे कि हम लोग बांग्लादेश के रहने वाले हैं. आप लोगों को जेल भेज दिया जाएगा. कई प्रकार का मानसिक टॉर्चर किया गया, लेकिन अब हमें नागरिकता मिल गई है. यह हमारे लिए खुशी का लम्हा है. हमें भारत की नागरिकता जब तक नहीं मिली थी, तब तक किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिल पा रही थी. गैस कनेक्शन तक नहीं मिला था. लेकिन अब यह सारी सुविधाएं मिलने लगेगी.

ऐश्वर्या का यह भी कहना था कि सीएए हमारे जैसे लोगों के लिए एक जीवनदान जैसा है. अब हमें नागरिकता मिली है. अब हम सारे डॉक्यूमेंट बनवाएंगे और देश की मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे. वहीं सेंसस ऑफ़ डायरेक्टर ऑपरेशन के तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार एम. रामचंद्रुडु, निदेशक, जनगणना- सह- नागरिक निबंधन कार्यालय, पटना की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय सशक्त समिति ने भोजपुर जिले की सुमित्रा रानी साहा को नागरिकता प्रदान करने का निर्णय लिया.

40 साल पहले भारत आई थी सुमित्रा

60 वर्षीय सुमित्रा रानी साहा करीब 40 साल पहले बांग्लादेश से भारत आईं थी. उन्हें शुक्रवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान की गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीसीए पोर्टल पर सुमित्रा रानी साहा जिला- भोजपुर (बिहार) ने आवेदन किया था. आवेदन नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीसीए) के आधार संख्या IIIA अनुभाग के अंतर्गत 5(1)(सी) के तहत प्राप्त हुआ था.

बैठक में जारी किया नागरिकता प्रमाण पत्र

इसके बाद जिला स्तरीय समिति ने मूल्य निर्धारण के साथ अग्रसारित की गई थी. आवेदन के साथ उपलब्ध लाइसेंस प्राप्त पुरातत्वविदों की समिति ने एप्लीकेंट को प्रमाणपत्र प्रदान करने का निर्णय लिया. सीएए पोर्टल पर साइटिक्स शास्त्र जनरेट करने के बाद एप्लीकेंट को पोर्टल के माध्यम से ईमेल और एसएमएस से सूचना भेज दी जाती है. निदेशक जनगणना, सह- नागरिक निबंधन रामचन्द्रडु ने राजधानी के सचिवालय में शुक्रवार को निदेशक, नागरिक निबंधन के कार्यालय में बैठक हुई और नागरिकता प्रमाण पत्र जारी किया गया. बैठक में राज्य के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहें.

अमेरिकी रिपोर्ट ने भारत में अल्पसंख्यकों को खतरे में बताया, विदेश मंत्रालय ने कहा-पक्षपाती एजेंडा
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अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर भारत पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें भारत की सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वरिष्ठ नीति विश्लेषक सेमा हसन ने लिखा है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों पर हिंसक हमले होते हैं। धार्मिक अशांति फैलाने के लिए गलत जानकारी दी जाती है। इसके अलावा सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि रिपोर्ट में मुस्लिम, वक्फ संशोधन बिल गोहत्या विरोधी कानून की बात की गई है। इन सब के चलते आयोग ने देश को धार्मिक भेद-भाव वाले देशों के लिस्ट में नामित करने का आग्रह किया है। अमेरिकी सरकार के आयोग USCIRF (US Commission on International Religious Freedom) की ओर से 2 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), समान नागरिक संहिता (UCC), राज्यों में धर्मांतरण का विरोध और गोहत्या विरोधी कानून का जिक्र किया गया है। साथ ही कहा गया है कि इन कानूनों का मकसद भारत में अल्पसंख्यकों को टारगेट करना और उन्हें मताधिकार से वंचित रखना है। रिपोर्ट में आगे लिखा है, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति 2024 में लगातार बदतर होती जा रही है। खासकर देश में राष्ट्रीय चुनाव होने से पहले और तुरंत बाद के महीनों में। लोगों को मारा गया, पीटा गया और लिंचिंग की गई। धार्मिक नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया। घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया। ये घटनाएं धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन हैं। भारत सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून, गोहत्या कानून और आतंकवाद विरोधी जैसे कानून लागू करके धार्मिक समुदायों का दमन कर रही है। अपनी सलाना रिपोर्ट में USCIRF ने अमेरिकी विदेश विभाग से ये आग्रह किया है कि वो भारत में धार्मिक स्तर पर हो रहे उल्लंघनों को ध्यान में रखते हुए उसे विशेष चिंता वाले देश के रूप में शामिल करें। भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। भारत ने इसे एक राजनीतिक एजेंडा वाला 'पक्षपाती संगठन' करार दिया। भारत ने इस रिपोर्ट को 'दुर्भावनापूर्ण' बताया। विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यूएससीआईआरएफ को अपने समय का ज्यादा इस्तेमाल अमेरिका में मानवाधिकारों के मुद्दे से निपटने में करना चाहिए। बता दें कि, ये पहली बार नहीं है जब अमेरिकी आयोग ने भारत के खिलाफ धर्म संबंधित ऐसा रिपोर्ट जारा किया है। इससे पहले भी उन्होंने ऐसा किया था। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच अच्छे संबंध होने की वजह से जो बाइडेन प्रशासन USCIRF द्वारा किए गए आग्रह को मानने से बचता रहा है।
गोवा में CAA के तहत पहले शख्स को दी गई नागरिकता, भारतीय बने पाकिस्तानी जोसफ

गोवा में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत पहले शख्स को भारतीय नागरिकता दे दी गई है। 28 अगस्त को गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने 78 वर्षीय पाकिस्तानी ईसाई जोसेफ फ्रांसिस परेरा को भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा। जोसेफ फ्रांसिस परेरा आज़ादी से पहले पढ़ाई के लिए गोवा से पाकिस्तान गए थे और बाद में वहीं नौकरी करने लगे। उन्होंने पाकिस्तानी नागरिकता प्राप्त की और 2013 में भारत लौटने तक कराची में रहे।

सीएम सावंत ने कहा कि गोवा की महिला से विवाहित होने के बावजूद, परेरा को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में तब तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जब तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन नहीं कर दिया। राज्य के पर्यटन मंत्री रोहन खाउंटे की उपस्थिति में परेरा को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि, CAA को दिसंबर 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने के लिए अधिनियमित किया गया था, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं।

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 1946 में जन्मे परेरा ने तटीय राज्य की मारिया से विवाह किया और अपनी सेवानिवृत्ति के बाद 11 सितंबर, 2013 को भारत लौट आए। मूल रूप से दक्षिण गोवा के परोदा गांव के रहने वाले परेरा अब अपने परिवार के साथ उसी जिले के कैंसुअलिम में रहते हैं। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को बताया कि परेरा यह प्रमाणपत्र पाने वाले पहले गोवावासी हैं, हालांकि भारत भर में कई लोगों ने भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए CAA में संशोधन का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई गोवावासी हैं जिन्हें CAA के तहत इसी तरह से नागरिकता दी जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि, "जो लोग मानते हैं कि वे प्रमाण पत्र के लिए पात्र हैं, वे सरकार से संपर्क कर सकते हैं।"
'बांग्लादेश से बंगाल आ रहे हैं 1 करोड़ हिन्दू शरणार्थी, तैयार रहें..', हिंसा के बीच शुभेंदु अधिकारी का बड़ा बयान

बांग्लादेश में जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है, जिससे भारत भी चिंतित है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि बांग्लादेश से एक करोड़ हिंदू शरणार्थी पश्चिम बंगाल आने वाले हैं, इसलिए राज्य को तैयार रहना चाहिए।

अगले तीन दिन में स्थिति नहीं सुधरी तो एक करोड़ हिंदू बांग्लादेश से विस्थापित होकर भारत आना शुरू होंगे। CAA के तहत बंगाल सरकार को गवर्नर और भारत सरकार से बात करना शुरू करनी चाहिए। भारत बांग्लादेश के हिंदुओ का नरसंहार नहीं होने देगा, फिर चाहे चिकन नेक को बड़ा क्यों ना करना पड़े। 

शुभेंदु अधिकारी ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदुओं का नरसंहार हो रहा है, जिसमें रंगपुर में नगर परिषद के पार्षद हरधन नायक की हत्या और सिराजगंज के थाने में 13 पुलिसकर्मियों की हत्या शामिल है, जिनमें से 9 हिंदू हैं। नोआखली में हिंदुओं के घर जला दिए गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर भारत सरकार से बात करें। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का उल्लेख करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि कानून में स्पष्ट है कि धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तीन दिनों के भीतर स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो बांग्लादेश कट्टरपंथियों के हाथों में चला जाएगा। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदूओं का उत्पीड़न जारी है।

बांग्लादेश में हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 101 हो गई है। आरक्षण सुधार की मांग से शुरू हुआ आंदोलन अब सरकार बदलने के आंदोलन में बदल गया है। सरकार के इस्तीफे की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थकों के बीच झड़पों में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के दफ्तरों और नेताओं के आवासों पर हमले किए और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।