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राष्‍ट्रपति और राज्‍यपाल विधेयकों को कब तक रोक सकते हैं? प्रेजिडेंशियल रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को राष्ट्रपति की ओर से संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत मांगी गई राय पर अपना फैसला सुना दिया है। सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि राज्यपाल पर कोई समय-सीमा नहीं लगा सकता। अदालत ने राष्ट्रपति के रेफरेंस पर अपनी राय देते हुए कहा है कि राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा तय करने वाला फैसला असंवैधानिक है।

समय सीमा में बांधना संविधान की भावना के विपरीत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे गए प्रेजिडेंशियल रेफरेंस पर कोर्ट ने गुरुवार को अपनी राय देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200/201 के तहत कोर्ट बिल पर फैसला लेने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि विधेयक पर फैसला लेने के लिए उन्हें समय सीमा में बांधना संविधान की भावना के विपरीत होगा।

राज्यपालों के पास तीन विकल्प

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 200 के तहत व्यवस्था है कि राज्यपाल विधेयक को मंजूरी दे सकते हैं, विधानसभा को दोबारा भेज सकते हैं या राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। अगर विधानसभा किसी बिल को वापस भेजे तो राज्यपाल को उसे मंजूरी देनी होती है।

विधेयकों को रोकने की अनुमति देना संघवाद के हित के खिलाफ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना रोक कर रखते हैं तो यह संघवाद की भावना के खिलाफ होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 'राष्ट्रपति संदर्भ' मामले में कहा हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में राज्यपालों के लिए समयसीमा तय करना संविधान द्वारा प्रदत्त लचीलेपन की भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि राज्यपालों के पास राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों को लंबित रखने का असीमित अधिकार है। विधेयकों को रोकने की अनुमति दी जाती है तो यह संघवाद के हित के खिलाफ।

राज्यपाल के अधिकारों का उपयोग न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं

इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि अत्यधिक देरी लोकतांत्रिक शासन की आत्मा को क्षति पहुंचाती है, इसलिए इन पदों से अपेक्षा है कि वे उचित समय के भीतर निर्णय लें। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तमिलनाडु के मामले में राज्य के राज्यपाल द्वारा रोक कर रखे गए विधेयकों को शीर्ष अदालत द्वारा 8 अप्रैल को दी गई मान्य स्वीकृति को भी अनुचित बताया। शीर्ष अदालत ने यह भी फैसला दिया कि अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के अधिकारों का उपयोग न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं आता।

अपने ही डबल बेंच की राय को भी खारिज किया

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही डबल बेंच की राय को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति को उनके पास भेजे गए किसी विधेयक की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 143 के तहत राय लेनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि राष्ट्रपति को ऐसी कोई राय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि यद्यपि संवैधानिक न्यायालय राज्यपाल के कार्यों पर सीधे सवाल नहीं उठा सकते, लेकिन यदि राज्यपाल किसी विधेयक के उद्देश्यों को विफल करने के लिए लंबे समय तक कार्रवाई न करें, तो ऐसी लंबी देरी की न्यायिक समीक्षा सीमित परिस्थितियों में की जा सकती है। अदालत यह जांच कर सकती है कि देरी जानबूझकर की गई थी या नहीं।

10वीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश, इन नेताओं ने ली मंत्री पद की शपथ

#nitishkumarshapath_grahan  

बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए है। आज पटना के गांधी मैदान में उन्होंने रिकॉर्ड 10वीं बार उन्होंने आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सीएम के साथ ही आज सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा समेत इन नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। इस शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हुए। इसके अलावा एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी समारोह में शामिल हुए।

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नीतीश कुमार के साथ 26 मंत्रियों ने शपथ ली। सबसे पहले राज्‍यपाल आर‍िफ मोहम्‍मद खान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। नीतीश के बाद सम्राट चौधरी ने मंत्री पद की शपथ ली। वह दूसरी बार बिहार के डिप्टी सीएम बने हैं। 

लेसी सिंह और रामकृपाल यादव भी बने मंत्री

गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह में एक साथ पांच नवनिर्वाचित विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। विजय चौधरी, विजेंद्र चौधरी, श्रवण कुमार, मंगल पांडये और दिलीप जायसवाल ने एक साथ शपथ ली। इसके बाद लेसी सिंह, मदन सहनी, नितिन नवीन, रामकृपाल यादव, संतोष सुमन और सुनील कुमार को एक साथ मंत्री पद की शपथ दिलाई। 

श्रेयसी सिंह को भी मिली कैबिनेट में जगह

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जमा खान, संजय सिंह टाइगर, नारायण प्रसाद, सुरेंद्र प्रसाद और रमा निषाद को मंत्री पद की शपथ दिलाई। इसके बाद श्रेयसी सिंह, लखेंद्र रोशन, दीपक प्रकाश, संजय कुमार, संजय कुमार सिंह, डॉ प्रमोद कुमार को मंत्री मद की शपथ दिलाई।

ट्रंप ने बदले सुर, बोले-कुशल विदेशी लोगों का अमेरिका आना जरूरी

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आव्रजन (इमिग्रेशन) पर सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, अब उनके सुर बदले-बदले से लग रहे हैं। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ कहा कि हाई-स्किल्ड विदेशी कामगार अमेरिका की टेक इंडस्ट्री के लिए जरूरी हैं। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका की टेक कंपनियों को विदेशी कुशल कर्मचारियों की जरूरत है। उनके बिना अमेरिकी लोगों को कंप्यूटर चिप्स और दूसरी तकनीकी चीजें बनाना सीखना मुश्किल होगा।

अमेरिका में आयोजित यूएस-सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को उन्होंने स्वीकार किया कि हाल ही में उनके "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (MAGA) समर्थकों द्वारा कुछ कुशल प्रवासियों को देश में आने की अनुमति देने के उनके बयान की आलोचना की गई है। ट्रंप ने व्यावसायिक अधिकारियों के एक समूह से कहा कि अमेरिका को ऐसे प्रवासियों की जरूरत है जो उच्च तकनीक वाली फैक्टरियों में घरेलू कामगारों को प्रशिक्षित कर सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा करना उनके मूल राजनीतिक विश्वासों के साथ असंगत नहीं है।

विरोधियों को ट्रंप का जवाब

ट्रंप ने कहा, मुझे अपने रूढ़िवादी दोस्त पसंद हैं। मुझे MAGA पसंद है, लेकिन यही MAGA है। ट्रंप ने यूएस-सऊदी निवेश फोरम को संबोधित करते हुए कहा, वे लोग हमारे लोगों को कंप्यूटर चिप बनाना सिखाएंगे, और कुछ ही समय में हमारे लोग बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे। और वे लोग घर जा सकेंगे। इस टिप्पणी पर कमरे में तालियां बजीं।

ट्रंप ने जताई H-1B वीज़ा की जरूरत

पिछले हफ्ते, ट्रंप ने इसी मुद्दे पर फॉक्स न्यूज की होस्ट लॉरा इंग्राहम से बहस की। इंग्राहम ने ट्रंप के साथ एक साक्षात्कार में सुझाव दिया कि आप देश में लाखों विदेशी कर्मचारियों की बाढ़ नहीं ला सकते, जिस पर राष्ट्रपति ने जवाब दिया कि आपको प्रतिभाओं को भी लाना होगा। ट्रंप ने कहा था कि H-1B वीज़ा की जरूरत इसलिए है क्योंकि अमेरिका में हर तरह की तकनीकी प्रतिभा मौजूद नहीं है। H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को छह साल तक विदेशी कुशल कर्मचारियों को काम पर रखने की अनुमति देता है।

H-1B वीजा को लेकर है विवाद

दक्षिणपंथी अमेरिकी लंबे समय से H-1B वीजा को अमेरिकी कामगारों के खिलाफ मानता रहा है। उनका आरोप है कि इस कार्यक्रम के जरिए अमेरिकी कंपनियां विदेशों से सस्ता कामगार लाकर अमेरिकी इंजीनियरों और प्रोग्रामर्स को रिप्लेस कर देती हैं। कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में अमेरिकियों की छंटनी और फिर उन्हें H-1B कर्मचारियों को ट्रेन देने के लिए कहे जाने ने इस गुस्से को और बढ़ाया। ट्रंप ने अपने पिछले चुनाव अभियानों के दौरान कई बार H-1B पर सवाल उठाए थे। लेकिन सितंबर 2025 में उन्होंने एक नया आदेश साइन किया जिसमें अमेरिका के बाहर से दायर होने वाले हर नए H-1B आवेदन पर एक बार का 100,000 डॉलर शुल्क लगाने की घोषणा की गई।

दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना मुश्किल, दमघोंटू हुई हवा, जानिए कितना पहुंचा AQI

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दिल्ली की हाव दमघोंटू हो गई है। वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता आज भी बेहद खराब है। सुबह से ही प्रदूषण स्तर ‘सीवियर' कैटेगरी में पहुंच गया है। राजधानी के आसपास के कई इलाकों में AQI 400 के पार दर्ज किया गया, जिससे हालात गैस चेंबर जैसे महसूस हो रहे हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, आज सुबह राजधानी दिल्ली के आनंद विहार में एक्यूआई 416, अशोक विहार में 443, आया नगर में 332, बवाना में 437, बुराड़ी में 418, डीटीयू में 432, द्वारका में 414, आईटीओ में 399, जहांगीरपुरी में 451 दर्ज किया गया है।

हवा की गति कम होने से परेशानी और बढ़ी

विशेषज्ञों के मुताबिक कम तापमान, ठहरी हुई हवाएं और स्थानीय उत्सर्जन मिलकर प्रदूषण को जमीन के नजदीक फंसा रहे हैं। एनसीआर के शहरों—नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद में भी हालात लगभग ऐसे ही हैं और AQI 400-450 के बीच रिकॉर्ड हुआ। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तरी भारत में ठंड बढ़ने और हवा की गति कम होने से हवा में मौजूद कण ऊपर नहीं उठ पा रहे। इसके अलावा वाहनों का धुआं, निर्माण गतिविधियां और औद्योगिक उत्सर्जन हवा को और जहरीला बना रहे हैं।

सुबह-शाम स्मॉग ने बढ़ाई परेशानी

राजधानी और एनसीआर में सुबह और शाम के समय हालात सबसे ज्यादा बिगड़ जाते हैं। लोगों को भारीपन, आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं होने लगती हैं। सड़कों पर सफर करना तक मुश्किल हो जाता है। कई इलाकों में लोगों ने बताया कि कुछ मीटर दूर तक भी साफ दिखाई नहीं दे रहा। ऐसे में यह साफ है कि फिलहाल हवा में सुधार की कोई उम्मीद नहीं दिख रही।

दिल्ली-एनसीआर में ‘सही प्रदूषण डेटा’ पर जंग: सुप्रीम कोर्ट ने मांगी सरकार से सफाई

दिल्ली ब्यूरो

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दिल्ली। राजधानी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण पर विवाद एक नया मोड़ ले चुका है। अब लड़ाई प्रदूषण को कम करने की नहीं, बल्कि उसके सही डेटा को हासिल करने की है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और सेंट्रल एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) की ओर से जारी किए जा रहे प्रदूषण के आंकड़ों पर सवाल उठने लगे हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि सुप्रीम कोर्ट को मामले में दखल देना पड़ा।

सुनवाई के दौरान अदालत द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने बताया कि अखबारों में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार दिल्ली सरकार वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के आसपास नियमित रूप से पानी का छिड़काव करवा रही है, जिससे वहां प्रदूषण स्तर कृत्रिम रूप से कम दर्ज हो रहा है। कई मॉनिटरिंग सेंटर बंद रहने की भी शिकायतें सामने आई हैं। साथ ही आरोप है कि सरकार पीक ऑवर के प्रदूषण डेटा को औसत निकालते समय शामिल नहीं करती, जिससे समग्र AQI कम दिखाया जाता है। दिवाली के बाद का डेटा भी इसी तरह प्रभावित बताया गया है।

इस बीच, निजी एजेंसियों द्वारा जारी किए जा रहे AQI के आंकड़े सरकारी आंकड़ों की तुलना में काफी अधिक पाए गए हैं, जिससे डेटा की विश्वसनीयता पर और सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से यह स्पष्टीकरण मांगा है कि वायु गुणवत्ता मापने की मौजूदा प्रक्रिया क्या है और उसकी सटीकता कितनी भरोसेमंद है।

नई दिल्ली में 21 नवंबर को मनाया जाएगा विश्व मत्स्य दिवस, ट्रेसिबिलिटी की राष्ट्रीय रूपरेखा होगी जारी

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दिल्ली ब्यूरो 

नई दिल्ली । मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत संचालित मत्स्य पालन विभाग 21 नवंबर को नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में विश्व मत्स्य दिवस 2025 का आयोजन करेगा। इस वर्ष का ध्येय वाक्य है— "भारत की जलजनित अर्थव्यवस्था में बदलाव: समुद्री खाद्य वस्तुओं के निर्यात में मूल्यवर्धन", जिसका उद्देश्य भारत के समुद्री और अंतर्देशीय जलीय उत्पादों को उच्च मूल्य वाले वैश्विक प्रतिस्पर्धी उत्पादों में रूपांतरित करना है।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह आभासी रूप से शामिल होंगे, जबकि नई दिल्ली में राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल और जॉर्ज कुरियन की उपस्थिति रहेगी। भारत सहित कई देशों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधि इस वृहद आयोजन में भाग लेंगे।

इस अवसर पर मत्स्य पालन विभाग मत्स्य और जलीय कृषि में ट्रेसिबिलिटी पर राष्ट्रीय रूपरेखा जारी करेगा। इसका लक्ष्य एक केंद्रीकृत डिजिटल ट्रेसिबिलिटी प्रणाली तैयार करना है, जो उत्पाद के स्रोत, प्रसंस्करण केंद्र और बिक्री स्थान की स्पष्ट जानकारी देकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन, खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और बाजार पहुंच को मजबूत करेगी।

कार्यक्रम में संधारणीय मत्स्य प्राप्ति और जलीय कृषि के लिए कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की जाएंगी, जिनमें समुद्री कृषि के लिए मानक संचालन प्रक्रिया, स्मार्ट व एकीकृत बंदरगाहों के दिशानिर्देश, फिश लैंडिंग सेंटर संबंधी दिशानिर्देश, जलाशय मत्स्य प्रबंधन ढांचा और तटीय जलीय कृषि दिशानिर्देश शामिल हैं। यह पहल भारत के जलीय क्षेत्र के समग्र विकास के लिए व्यापक रोडमैप प्रस्तुत करती है।

आयोजन में दो तकनीकी सत्र भी होंगे। पहला सत्र “मूल्य संवर्धन के माध्यम से मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास को बढ़ावा” पर केंद्रित होगा, जिसमें समुद्री खाद्य उत्पादों के विविधीकरण, नवाचार, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, मानक व प्रमाणन सुधार और अवसंरचना विकास पर चर्चा होगी। दूसरा सत्र “भारतीय अंतर्देशीय जल स्रोतों की निर्यात क्षमता के उपयोग” पर आधारित होगा, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की नदियों, झीलों, तालाबों और मीठे जल स्रोतों की मत्स्य प्रजातियों की क्षमता पर विशेषज्ञ विमर्श करेंगे।

एनडीए विधायक दल के नेता चुने गए नीतीश कुमार, कल 10वीं बार लेंगे सीएम पद की शपथ

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जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से एनडीए विधायक दल का नेता चुना गया है। अब नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन गुरुवार को होगा। पटना में विधानसभा के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक हुई। इसमें भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी के सभी नव निर्वाचित विधायक और नीतीश कुमार, चिराग पासवान, संतोष सुमन, उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा मौजूद रहे।

सम्राट चौधरी ने रखा प्रस्ताव

भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए सम्राट चौधरी ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद एनडीए के तमाम नेताओं ने सर्वसम्मति से नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगाई। इसी के साथ ही नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया।

एनडीए के घटक दलों ने भी चुनाव अपना नेता

इससे पहले एनडीए के प्रमुख घटक दलों ने बुधवार को अपने-अपने विधायक दल के नेताओं का चयन किया। जदयू के विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया। वहीं, भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों ने एक बैठक में वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय सिन्हा को उपनेता चुना। दोनों दलों ने यह जानकारी दी गई। इसके बाद एनडीए ने भी नीतीश कुमार के नाम पर अपनी मुहर लगा दी।

वोट चोरी' को लेकर पूर्व नौकरशाहों और जजों के निशाने पर राहुल गांधी, 272 हस्तियों ने लिखा ओपन लेटर

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कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग के खिलाफ लगार बयानबाजी जारी है। चुनाव आयोग पर लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर 272 हस्तियों ने खुला खत लिखा है। इन हस्तियों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी द्वारा चुनाव आयोग पर बार-बार किए जा रहे हमलों को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की है। इन हस्तियों में 16 जज, 14 राजदूतों सहित 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह और 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं।

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जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश का आरोप

देश के 272 पूर्व शीर्ष अधिकारियों, जजों, राजनयिकों और सेना के अफसरों ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन लोगों ने एक खुला पत्र जारी कर कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी 'चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं में जनता का भरोसा कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

“यह दिखाने की कोशिश कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं”

समूह ने पत्र जारी कर कहा है कि ये आरोप राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट की आड़ में छिपाने की कोशिश है। 'Assault on National Constitutional Authorities' नाम के टाइटल वाले पत्र में कहा गया कि कुछ विपक्षी नेता 'जहरीली बयानबाजी' और 'बिना सबूत के आरोपों' के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश की संस्थाएं ठीक तरह काम नहीं कर रहीं।

“न्यायपालिका, संसद के बाद चुनाव आयोग की बारी”

पत्र में लिखा है, पहले उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी पर सवाल उठाए, फिर न्यायपालिका, संसद और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को निशाना बनाया और अब चुनाव आयोग की बारी आ गई है। पत्र में राहुल गाँधी पर सीधा हमला करते हुए लिखा गया है, लोकसभा में विपक्ष के नेता ने बार-बार चुनाव आयोग पर हमला करते हुए दावा किया है कि उनके पास सबूत है कि चुनाव आयोग वोट चोरी करा रहा है और उनकी बात 100% प्रमाणित है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त रिटायर भी हो जाएँ, तो वह उन्हें भी छोड़ेंगे नहीं।

कोई औपचारिक शिकायत नहीं करवाने पर उठाया सवाल

आगे पत्र में कहा गया है, इतने गंभीर आरोप लगाने के बावजूद उन्होंने अब तक कोई औपचारिक शिकायत, या शपथपत्र के साथ, दर्ज नहीं कराई। जिससे उन्हें अपनी बात के लिए जवाबदेह न होना पड़े।

“राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास”

पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस और अन्य दलों के कई नेता, वाम समर्थित NGOs, कुछ अकादमिक और चर्चा में बने रहने वाले लोग भी इसी तरह की आक्रामक बयानबाज़ी कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग अपने SIR मॉडल की पद्धति सार्वजनिक कर चुका है, न्यायालय की निगरानी में सत्यापन हुआ है, और पात्र मतदाताओं को जोड़ने व अपात्रों को हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की गई। ऐसे में यह आरोप सिर्फ राजनीतिक हताशा को संस्थागत संकट का रूप देने का प्रयास लगता है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद सिद्दीकी ईडी की रिमांड में, आतंकी डॉक्टरों का खुलेगा राज

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दिल्ली की एक विशेष अदालत ने अल-फलाह समूह के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी को 13 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) हिरासत में भेज दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने आधी रात के बाद अपने चैंबर में सुनवाई कर यह आदेश पारित किया। जावेद अहमद सिद्दकी से अब ईडी राज उगलवाने की तैयारी में है।

एक ओर एनआईए दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी डॉक्टरों के अल फलाह कनेक्शन की जांच कर रही है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी के ओखला स्थित मुख्यालय और ट्रस्टियों के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मंगलवार को लाल किला कार धमाके मामले से जुड़े यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कई जगहों पर रेड डालने के बाद ग्रुप के अध्यक्ष जवाद अहमद को गिरफ्तार किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी

जवाद की गिरफ्तारी दिल्ली धमाके मामले की जगह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की गई है। गिरफ्तारी के बाद जवाद को साकेत कोर्ट की एडिशनल सेशन जज शीतल चौधरी प्रधान के घर में रात 11:00 बजे अल फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक को पेश किया गया था। रिमांड आदेश में अदालत ने कहा है कि सिद्दीकी के खिलाफ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावे करने और अल-फलाह विश्वविद्यालय से प्राप्त धन को अन्यत्र हस्तांतरित करने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का संलिप्त होने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं।

यूनिवर्सिटी से जुड़े लाल किला कार धमाका के तार

बता दें कि लाल किला कार बम धमाका मामले के तार इस यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। इस धमाके को अंजाम देने वाला डॉक्टर उमर नबी इसी विश्वविद्यालय के अस्पताल से जुड़ा था। इसके अलावा सफेदपोश आतंकी नेटवर्क में पकड़े गए कई लोग इस संस्थान से जुड़े हैं। दिल्ली धमाके की जांच आगे बढ़ने पर विश्वविद्यालय भी जांच में दायरे में आ गया है। इस विश्वविद्यालय के वित्तीय लेन-देन की जांच के बाद अब ईडी ने संस्थापक जावद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ क्या है मामला?

ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से दर्ज दो एफआईआर के आधार पर शुरू की है। ये दोनों एफआईआर 13 नवंबर को दर्ज कराई गई थी। इन एफआईआर में NACC Accreditation और यूजीसी से जुड़े झूठे दावे किए जाने का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा 318 (4), 336 (2), 336 (3), 336 (4), 338 और 340 (2) के तहत केस दर्ज किया। FIR में यह आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से NAAC मान्यता (Accreditation) होने का दावा किया। यही नहीं यूनिवर्सिटी ने UGC के सेक्शन 12(B) के तहत मान्यता होने की झूठी जानकारी दी। ताकि छात्रों, माता-पिता और आम जनता को गुमराह कर आर्थिक फायदा लिया जा सके। इस बीच UGC ने भी साफ कर दिया है कि अल फहल यूनिवर्सिटी सिर्फ सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में लिस्टेड है और उसने कभी भी 12(B) के तहत मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है।

भारत ने मूल रूप से मेरी मां की जान बचाई…” शेख हसीना के बेटे वाजेद ने मोदी सरकार का जाताया आभारा

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बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर नई दिल्ली और ढाका के बीच तनाव बना हुआ है। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद ढाका ने भारत से शेख हसीना को सौंपने की मांग की है, ताकि सजा को लागू किया जा सके। इस बीच भारत की तरफ से अपदस्थ पीएम को इस तरह सुरक्षा दिए जाने पर शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने भारत सरकार की तारीफ की है और पीएम मोदी का आभार जताया है।

भारतीय लोकतंत्र और कानून पर जताया भरोसा

अमेरिका में रह रहे वाजेद ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि मुझे लगता है कि वे (भारत सरकार) अच्छी तरह से जानते हैं कि प्रत्यर्पण अनुरोध को किस तरह से हैंडल करना है। वाजेद ने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार ऐसे किसी गैर-कानूनी अनुरोध का जवाब देगी। मुझे भारतीय लोकतंत्र और कानून के राज में उसके विश्वास पर भरोसा है।

बांग्लादेश की न्यायिक प्रक्रिया पर उठाए सवाल

शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर सजीब ने कहा, प्रत्यर्पण के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है। बांग्लादेश में एक अनिर्वाचित, असंवैधानिक और अवैध सरकार है। मेरी मां को दोषी ठहराने के लिए, उनके मुकदमे की सुनवाई तेज करने के लिए कानूनों में संशोधन किया गया। यानी इन कानूनों में अवैध रूप से संशोधन किया गया। मेरी मां को अपने बचाव पक्ष के वकील नियुक्त करने की अनुमति नहीं थी। ट्रायल से पहले ही अदालत के 17 जजों को बर्खास्त कर दिया गया, नए जज नियुक्त किए गए, जिनमें से कुछ को बेंच पर काम करने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था और वे राजनीतिक रूप से जुड़े हुए थे। इसलिए, कोई उचित प्रक्रिया नहीं थी। प्रत्यर्पण के लिए उचित प्रक्रिया का होना आवश्यक है।

लश्कर-ए-तैयबा को लेकर बड़ा दावा

हसीना के बेटे ने कहा कि भारत को असली चिंता उनकी करनी चाहिए जो यूनुस का साथ दे रहे हैं। यह जमात-ए-इस्लामी है, जो सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी है। उन्होंने हजारों आतंकवादियों को रिहा किया है, जिन्हें हमारी सरकार ने दोषी ठहराया था और जेल की सजा सुनाई थी। वाजेद ने दावा किया कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा आजादी से काम कर रहा है और क्रेडिट दावा कर रहा है।