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बिहार में वोटिंग प्रतिशत जब-जब गया 60 के पार, बनी RJD-कांग्रेस की सरकार, क्या तेजस्वी के लिए पहला चरण बना शुभ संकेत?

बिहार में पहले चरण की वोटिंग हो चुकी है. इस बार की वोटिंग पिछले कई चुनावों से काफी अलग रही. राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे अधिक वोटिंग का रिकॉर्ड भी बना. हालांकि अभी एक ही चरण की वोटिंग पूरी हुई है, लेकिन वोटर्स ने उम्मीद से कहीं ज्यादा उत्साह दिखाया. वोटर्स के उत्साह से चुनाव आयोग भी गदगद है. उसे दूसरे चरण में भी यही फ्लो बने रहने की उम्मीद है. पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर करीब 65 फीसदी वोट ने सियासी हलचल तेज कर दी है. सभी दल इसे अपने-अपने लिए वरदान बता रहे हैं. लेकिन इतिहास बताता है कि 60 फीसदी से अधिक की वोटिंग राष्ट्रीय जनता दल के लिए मुफीद रही है.

राज्य में बंपर वोटिंग ऐसे समय हुई जब पिछले महीने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराया गया जिसको लेकर विपक्षी दलों ने लगातार विरोध जताया. विपक्ष एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग पर धांधली और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप भी लगाता रहा है.

अभी 122 सीटों पर वोटिंग बाकी

पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग के बाद अब दूसरे चरण में शेष 122 सीटों पर वोट डाले जाने हैं. इसके लिए राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी अभियान को और तेज कर दिए हैं. पहले चरण में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के अलावा दोनों उपमुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा समेत कई मंत्रियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई. पहले चरण में कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में उतरे.

बिहार में पिछले 40 सालों में यह चौथी बार है जब राज्य में वोटिंग प्रतिशत 60 फीसदी से अधिक जाने की उम्मीद लग रही है. इन 4 दशकों में राज्य के लोग वोटिंग को लेकर अलग-अलग वजहों से ज्यादा उत्साहित नहीं रहे हैं. यही वजह है कि इस दौरान सिर्फ 3 बार ही 60 से अधिक की वोटिंग दर्ज थी, और अब 2025 के चुनाव में यह रिकॉर्ड बनाने जा रहा है. साल 2000 में आखिरी बार 60 फीसदी से अधिक वोट डाले गए थे.

60% वोटिंग मतलब RJD की वापसी

लेकिन बिहार में वोटिंग के पिछले 4 दशकों के पैटर्न को देखें तो 60 फीसदी से अधिक की वोटिंग का मतलब है कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की सत्ता में वापसी. लालू प्रसाद यादव ने जनता दल से अलग होकर साल 1997 में आरजेडी का गठन किया था. पहले लालू ने जनता दल की ओर से राज्य में सरकार चलाई फिर वह आरजेडी के दम पर सत्ता में लौटे. भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता होने के बाद सत्ता की बागडोर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी.

गुजरे 40 सालों में 1985 के चुनाव में राज्य में 324 सीटों वाली विधानसभा के लिए 56.27 फीसदी वोट डाले गए. तब कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की और अपने दम पर आखिरी बार राज्य में सरकार बनाई. 1985 में कांग्रेस ने 196 सीटों पर जीत हासिल की जबकि दूसरे नंबर पर रहे लोकदल के खाते में 46 सीटें आईं. इस चुनाव में 234 सीटों पर लड़ने वाले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 16 सीटें जीतकर तीसरे स्थान पर रही.

1990 में पहली बार 60 फीसदी वोटिंग

साल 1990 में राज्य ने 60 फीसदी वोटिंग का आंकड़े को पार किया. इस चुनाव में 62.04 फीसदी वोट पड़े. यह वह दौर था जब देश में मंडल कमीशन की लहर चल रही थी. 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली और पिछड़े वर्ग की अगुवाई करने वाली जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने तो बिहार में लालू प्रसाद यादव के हाथ में कमान आई. कांग्रेस 196 से गिरते हुए महज 71 सीट पर सिमट गई थी. बीजेपी 16 से 39 सीट तक पहुंच गई. 122 सीटे जीतने वाली जनता दल ने वामदलों के समर्थन से बहुमत हासिल किया और सरकार बनाई.

राज्य में लालू यादव का जलवा बना हुआ था, वह केंद्र में भी छाए हुए थे. इसका फायदा उनकी पार्टी को 1995 के चुनाव में भी मिला. तब यहां पर 61.79 फीसदी मतदान हुआ था और लालू ने सत्ता में वापसी भी की. इस चुनाव में भी जनता दल लोगों के दिलों पर राज करती दिखी. 324 सीटों वाले विधानसभा में जनता दल ने 264 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और उसे 167 सीटों पर जीत हासिल हुई. कांग्रेस अब 29 पर आ गई थी. लालू फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने.

भ्रष्टाचार में फंसे लालू, राबड़ी का उदय

बिहार में अगले चुनाव तक जनता दल में भ्रष्टाचार को लेकर विवाद बढ़ता चला गया. लालू पर चारा घोटाला करने का आरोप लगा और पार्टी में इस वजह से दरार पड़ गई. लिहाजा पार्टी में दो फाड़ हो गया. उन्होंने जनता दल से अलग होकर 1997 में राष्ट्रीय जनता दल पार्टी बनाई. साथ ही अदालती आदेश की वजह से लालू को पद छोड़ना पड़ा और उन्होंने सत्ता पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी. 1997 में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं.

फरवरी 2000 के चुनाव में राज्य में 62.57 फीसदी वोट पड़े. इस चुनाव में लालू की जगह राबड़ी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनता दल चुनाव मैदान में उतरी. हालांकि इस बार चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए को सरकार बनाने का मौका मिला, लेकिन महज 7 दिन रहने के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ गया. फिर राष्ट्रीय जनता दल की नेता राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और राज्य सरकार ने बिहार के बंटवारे और झारखंड के नए राज्य के रूप में अपनी रजामंदी जता दी.

2005 में गिर गया वोटिंग का प्रतिशत

इस तरह से बिहार का बंटवारा होने पर राज्य में विधानसभा की सीटें कम हो गईं और इस वजह से राबड़ी सरकार के लिए जरूरी बहुमत जुटाने में कामयाब हो गईं. खराब कानून-व्यवस्था के साथ-साथ जोड़-तोड़ और भ्रष्टाचार का मामला ऐसा बढ़ा कि बड़ी संख्या में लोग बिहार से पलायन करने लगे.

इसका असर फरवरी 2005 के चुनाव में दिखा. जब यहां पर 3 चरणों में चुनाव कराए गए तो वोटिंग प्रतिशत 60 से एकदम नीचे आते हुए 46.50% तक आ गया. साल 2000 में बिहार के बंटवारे की वजह से यहां पर विधानसभा सीट घटकर 243 तक आ गई. हालांकि कम मतदान होने से लालू की पार्टी को झटका लगा और उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत हासिल नहीं हुआ. लोक जनशक्ति और कांग्रेस की आरजेडी से बात नहीं बनी. सरकार नहीं बनने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ गया. यहीं से लालू-राबड़ी का दौर के खत्म होने की शुरुआत हो गई.

हुआ यह कि विधानसभा भंग करनी पड़ गई और करीब 6 महीने के बाद राज्य में फिर से चुनाव कराया गया. इस चुनाव में भी राज्य में बहुत कम वोटिंग हुई. फरवरी की तरह अक्टूबर-नवंबर में भी 45 फीसदी से थोड़ा अधिक मतदान हुआ. हालांकि एनडीए इस बार बहुमत हासिल करने में कामयाब रहा. नीतीश की जेडीयू को 88 सीटें मिलीं तो बीजेपी को 55 सीटें. ऐसे में नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री बने.

जो काम पहले ड्रग्स से होता था, वो आज Reel से हो रहा… जानें बिहार में ऐसा क्यों बोले राहुल गांधी

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को बिहार के अररिया में चुनावी सभा को संबोधित किया. उन्होंने बीते दिन की गई अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र करते हुए बीजेपी पर हमला बोला. राहुल ने कहा, कल मैंने हरियाणा में ‘वोट चोरी’ को लेकर दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. हमने सबूतों के साथ दिखाया कि कैसे नरेंद्र मोदी, अमित शाह और चुनाव आयोग ने मिलकर भारत के संविधान को निशाना बनाया. हमने साफ तौर पर दिखाया कि बीजेपी ने हरियाणा चुनाव ‘वोट चोरी’ के जरिए जीता है.

प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा, नरेंद्र मोदी ने बिहार आकर युवाओं से कहा- हमने आपको सस्ता डेटा दिया है, ताकि युवा रील बनाकर पैसा कमा सकें. जबकि सच यह है कि रील 21वीं सदी का नशा है. जब आप रील देखते हो तो पैसा अडानी-अंबानी और जियो की जेब में जाता है.

बिहार के युवाओं को रोजगार चाहिए, रील नहीं

राहुल गाांधी ने कहा, जो काम पहले शराब, ड्रग्स से होता था, वो आज रील से हो रहा है. आप ही बताइए- फेसबुक, इंस्टाग्राम रील देखने से युवाओं की जेब में कितना पैसा आया? बिहार के युवाओं को रोजगार चाहिए, रील नहीं. उन्होंने कहा,बिहार के लोगों से मेरा वादा है कि देश में इंडिया गठबंधन की सरकार बनते ही ‘नालंदा यूनिवर्सिटी’ जैसी एक यूनिवर्सिटी बिहार में खोली जाएगी.

टूरिस्ट सर्किट’ को बिहार की जनता से जोड़ेंगे

राहुल ने वादा किया, ‘टूरिस्ट सर्किट’ को बिहार की जनता से जोड़ेंगे. ताकि बिहार के युवाओं को पर्यटन का फायदा मिले. बिहार में फूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और कोल्ड चेन दिलवाने का काम किया जाएगा.नरेंद्र मोदी सिर्फ नफरत बांटना जानते हैं. उनके दिल में नफरत भरी हुई है. वो धर्म और जाति के नाम पर लोगों को लड़ाने का काम करते हैं.मोदी का लक्ष्य सिर्फ अडानी-अंबानी को फायदा पहुंचाने का है.

ये तीन लोग आपके अधिकार छीन रहे: प्रियंका गांधी

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी बिहार में रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी पर हमला बोला. उन्होंने कहा, बीजेपीआपके वोट को कमजोर करने का काम कर रही है. वोट के आधार पर आप देश के नागरिक बनते हैं. वोट के अधिकार के लिए आपके पूर्वजों ने जान दी है. वोट के आधार पर आपको सरकारी योजनाएं मिलती हैं लेकिन बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर चुनाव में धांधली कर रहे हैं, आपके वोटिंग अधिकार और संविधान पर आक्रमण कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ज्ञानेश कुमार, एस. एस. संधू और विवेक जोशीचुनाव आयोग के सबसे ऊंचे अधिकारी हैं और देश के संविधान और लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.ये तीन लोग आपके अधिकार छीन रहे हैं. इनके नाम याद कर लीजिए. इनको पद और आयोग के पीछे छिपने मत दीजिए.जो लोग देश के साथ विश्वासघात कर रहे हैं, उन्हें देश भूलेगा नहीं

हाथों में मेंहदी लगाकर पहुंचीं छात्राएं… क्लास में नहीं दी गई एंट्री, मुंबई के स्कूल में विवाद, नोटिस जारी

महाराष्ट्र के मुंबई के चेंबूर इलाके में स्थित एक स्कूल में मेंहदी लगाने पर विवाद हो गया. बताया जा रहा है कि कुछ छात्राओं के हाथों में मेहंदी लगी थी, जिसकी वजह से उन्हें क्लास में एंट्री नहीं दी गई. ये मामला सेंट एंथनी गर्ल्स हाई स्कूल से सामने आया है. परिजन का आरोप है कि पिछले हफ्ते 10 से 15 छात्राओं को सिर्फ इसलिए कक्षा में बैठने नहीं दिया गया. क्योंकि उन्होंने अपने हाथों पर मेहंदी लगाई हुई थी.

छात्राओं के पेरेंट्स ने मामले की लिखित शिकायत शिक्षा विभाग में दर्ज कराई. शिकायत मिलने के बाद विभाग ने स्कूल प्रशासन को नोटिस जारी कर 4 नवंबर यानी आज मंगलवार तक जवाब देने के निर्देश दिए हैं. वहीं, स्कूल प्रशासन ने अभिभावकों के आरोपों को खारिज किया और सफाई देते हुए कहा कि छात्राओं को सिर्फ अनुशासन का पालन करने के लिए कहा गया था और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया.

शिक्षा विभाग ने स्कूल को थमाया नोटिस

इस मामले में शिक्षा विभाग ने जांच शुरू कर दी है और स्कूल को नोटिस जारी करते हुए इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी गई है, जिस पर स्कूल को 4 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा गया है. नोटिस में कहा गया कि आपके स्कूल की कुछ छात्राओं को हाथ पर मेहंदी लगाने की वजह से स्कूल में बैठने की इजाजत नहीं दी गई. ऐसी शिकायत कार्यालय को मिली है. ऐसे में अनुरोध है कि 4 नवंबर तक इस बारे में विस्तार से स्पष्टीकरण दें.

आगे इस तरह की शिकायत न मिलने की कही बात

इसके साथ ही नोटिस में साफतौर पर कहा गया कि आगे से इस तरह की शिकायत कार्यालय को नहीं मिलनी चाहिए. इस बात का भी ध्यान रखें. हालांकि, स्कूल की ओर से इस मामले पर कहा गया कि उन्होंने छात्राओं को अनुशासन का पालन करने के लिए कहा था. हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है. अब मामले की जांच की जा रही है. इससे पहले भी इस तरह के मामले अलग-अलग जगह से सामने आ चुके हैं.

भारत पहली बार बना वर्ल्ड चैंपियन, फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर रचा इतिहास

भारत की बेटियों ने वो कर दिखाया है जिसका इंतजार 150 करोड़ हिंदुस्तानियों को लंबे समय था. हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारत ने महिला वर्ल्ड कप जीत लिया है. नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले गए खिताबी मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को हरा दिया. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 298 रन बनाए और जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम भारतीय गेंदबाजी और फाइनल के दबाव में बिखर गई. दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रन ही बना पाई. दक्षिण अफ्रीकी कप्तान लॉरा वूलफार्ट ने जरूर शतक लगाया लेकिन इस खिलाड़ी के आउट होते ही पूरा मैच बदल गया.

शेफाली और दीप्ति ने दिखाया दम

भारत की जीत की स्क्रिप्ट शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा ने लिखी. शेफाली ने फाइनल मैच में 87 रन बनाने के अलावा 2 विकेट लिए वहीं दीप्ति ने भी 58 रन बनाने के साथ-साथ 5 विकेट झटके और उन्होंने एक खिलाड़ी को रन आउट भी किया.

भारत के लिए टॉस गंवाना रहा लकी

भारतीय टीम ने इस मुकाबले में भी टॉस गंवाया और उसके लिए ये गुडलक साबित हुआ. पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने ओपनर शेफाली वर्मा और स्मृति मंधाना के दम पर कमाल शुरुआत की. दोनों बल्लेबाजों नेपहले विकेट के लिए 104 रन जोड़े. स्मृति मंधाना हालांकि 45 रन बनाकर आउट हो गईं लेकिन शेफाली वर्मा क्रीज पर डटी रहीं और उन्होंने 87 रन बनाकर भारत को अच्छी स्थिति में पहुंचाया. शेफाली के अलावा मिडिल ऑर्डर में दीप्ति शर्मा ने बेहतरीन बैटिंग करते हुए 100 के स्ट्राइक रेट से 58 रन बनाए. विकेटकीपर ऋचा घोष ने भी 24 गेंदों में 34 रनों की पारी खेली और टीम इंडिया 298 रनों तक पहुंची.

फिर गेंदबाजों का दिखा दम

बल्लेबाजों के बाद बारी थी गेंदबाजों की और सभी गेंदबाज उसमें खरे उतरे. खासतौर पर दीप्ति शर्मा, शेफाली वर्मा और श्री चरनी ने अपनी फिरकी से साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों को फंसाया. दीप्ति शर्मा ने 9.3 ओवर में 39 रन देकर 5 विकेट हासिल किए. श्री चरनी ने 48 रन देकर 1 विकेट लिए. शेफाली वर्मा ने 36 रन देकर 2 विकेट हासिल किए.

12 हार के बाद हुआ चमत्कार

कप्तान हरमनप्रीत कौर के लिए खासतौर पर ये जीत बेहद खास है क्योंकि उन्होंने इस टूर्नामेंट से पहले 12 आईसीसी टूर्नामेंट खेले थे और हर बार उन्हें नाकामी मिली. वो वनडे वर्ल्ड कप 2009,2013, 2017 और 2022 में खेलीं. टी20 वर्ल्ड कप उन्होंने 2009, 2010, 2012, 2014, 2016, 2018, 2020 और 2023 में खेला लेकिन वो नाकाम रहीं. अबजाकर आखिरकार वो 2025 में वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल कर पाई हैं.

दुलारचंद यादव हत्याकांड में बड़ी कार्रवाई, पटना पुलिस ने अनंत सिंह को किया गिरफ्तार

मोकामा के दुलारचंद यादव हत्याकांड मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पटना पुलिस ने पूर्व विधायक और एनडीए प्रत्याशी अनंत सिंह को अरेस्ट कर लिया है. बता दें कि पटना एसएसपी की टीम ने बाढ़ स्थित कारगिल मार्केट पहुंचकर अनंत सिंह को हिरासत में लिया है. अब उन्हें बाढ़ से पटना लेकर जाया जा रहा है.

हालांकि पहले बताया जा रहा था कि दुलारचंद यादव हत्याकांड में आरोपी अनंत सिंह पुलिस के सामने सरेंडर कर सकते हैं. इसी सूचना के बाद पटना एसएसपी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम अनंत सिंह के घर पहुंची थी.

अनंत सिंह पर पहले कार्रवाई करते तो बेहतर होता

दुलारचंद यादव हत्याकांड में मोकामा से जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह की गिरफ्तारी पर जन सुराज पार्टी के मोकामा से उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी ने एएनआई से टेलीफोन पर बातचीत में कहा, यह एक अच्छा कदम है, लेकिन अगर वे पहले कार्रवाई करते तो बेहतर होता. अनंत सिंह शनिवार को 50 वाहनों के काफिले में घूम रहे थे और चुनाव प्रचार में भी शामिल हुए. जब ​​उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, तो उन्हें पहले ही गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए था. लेकिन देर आए दुरुस्त आए. अब महत्वपूर्ण यह है कि पुलिस पूरे मामले की जांच कैसे करती है. यह उनके परिवार के लिए राहत की बात है.

अनंत सिंह समेत तीन आरोपी गिरफ्तार

पटना के एसएसपी कार्तिकेय के शर्मा ने कहा, 30 अक्टूबर को दो प्रत्याशियों के गुटों में झड़प हो गई थी. जिसके बाद पथराव हुआ, जिससे कई लोग घायल हो गए. घटना के बाद एक शव बरामद किया गया. मृतक की पहचान दुलारचंद यादव (75) के तौर पर की गई, जो उसी गांव के निवासी थे, जहां यह झड़प हुई थी. दोनों पक्षों ने मामला दर्ज कराया और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी. साक्ष्यों, प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ऐसा लगता है कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया गया और यह एक गंभीर मामला है.

साथ ही जांच में यह भी पाया गया कि यह सब प्रत्याशी अनंत सिंह की मौजूदगी में हुआ, जो इस मामले में मुख्य आरोपी भी हैं. अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनके साथी मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम को भी उनके साथ गिरफ्तार किया गया है. तीनों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा और उचित जांच की जाएगी.

एसएसपी ने कहा, हत्या के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है. जल्द ही और गिरफ्तारियां की जाएंगी. सीआईडी ​​ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है. दोनों समूहों के लोगों को पुलिस के साथ दुर्व्यवहार करने और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि हत्या के तीनों आरोपियों ने आत्मसमर्पण नहीं किया है. उन्हें गिरफ्तार किया गया है.

20 साल में कितना बदल गया बिहार… CM नीतीश कुमार ने विस्तार से बताया

बिहार में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. पहले चरण के मतदान से सात दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर अपना एक लेख पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने लिखा है- वर्ष 2005 से पहले बिहार हर क्षेत्र में पिछड़ गया था. विकास के कार्य पूरी तरह से ठप पड़ गए थे. आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए कोई काम नहीं होता था. नए भवनों का निर्माण तो दूर की बात थी, पहले से बने भवनों का रखरखाव और जीर्णोद्धार तक नहीं हो पाता था. उबड़-खाबड़ और टूटी-फूटी सड़कें बिहार के पिछड़ापन की पहचान बन गयी थीं.

उन्होंने लिखा है वर्ष 2005 में राज्य में नयी सरकार के गठन के बाद आधारभूत संरचनाओं के विकास के क्षेत्र में कई अभूतपूर्व कार्य किए गए. राज्य में नए भवनों के निर्माण के साथ-साथ ऐतिहासिक भवनों और पर्यटन स्थलों के विकास पर जोर दिया गया. राज्य में कई विश्वस्तरीय आधुनिक आधारभूत संरचनाओं का निर्माण कराया गया, जिसकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना भी हुई. इन परियोजनाओं के निर्माण से राज्य के लोगों को काफी फायदा हुआ है तथा राज्य की छवि बेहतर हुई है.

विश्वस्तरीय पथों का निर्माण

नीतीश कुमार ने लिखा कि बीते 20 वर्षों में राज्य में कई विश्वस्तरीय पथों का निर्माण कराया गया, जबकि कई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य जारी है. इसमें जे०पी० गंगा पथ, अटल पथ, पाटलि पथ, बिहटा-सरमेरा पथ, मीठापुर-महुली पथ, लोहिया पथ चक्र, बख्तियारपुर-रजौली पथ, पटना-गया-डोभी पटना-मुजफ्फरपुर फोर लेन, पटना-बख्तियारपुर-मोकामा पथ तथा ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर प्रमुख हैं. वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेस-वे, आमस-दरभंगा एक्सप्रेस-वे, पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे और रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे का कार्य निर्माणाधीन है, जिसे तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है.

इन एक्सप्रेस-वे और हाई स्पीड कॉरिडोर के बनने से राज्य में न सिर्फ आवागमन बेहद सुगम हो गया है बल्कि राज्य में आर्थिक और व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आयी है. राज्य का तीव्र गति से विकास हो रहा है और लोगों की आमदनी बढ़ रही है.

कई ऐतिहासिक भवनों का निर्माण

उन्होंने आगे लिखा कि हमारी सरकार ने राज्य में कई ऐतिहासिक भवनों का भी निर्माण कराया है. इनमें पटना का सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन, बापू सभागार तथा सभ्यता द्वार, बिहार संग्रहालय, अंजुमन इस्लामिया भवन, बापू टावर, सरदार पटेल भवन, बापू परीक्षा परिसर, हज भवन, पटना समाहरणालय, पटना सिटी का प्रकाश पुंज, ओपी शाह सामुदायिक भवन, गया का राज्य अतिथिगृह, महाबोधि कन्वेंशन केंद्र तथा बिपार्ड भवन, दरभंगा में तारामंडल, पश्चिम चंपारण में वाल्मीकि सभागार और दिल्ली में नया बिहार सदन प्रमुख है. ये सभी अत्याधुनिक भवन सिर्फ नई संरचनायें ही नहीं हैं बल्कि बदलते बिहार की पहचान हैं.

इसी तरह से पर्यटन और ईको टूरिज्म के क्षेत्र में भी हमारी सरकार लगातार शानदार कार्य कर रही है. इसमें मुख्य रूप से राजगीर में घोड़ा-कटोरा का विकास, जू-सफारी का निर्माण, राजगीर नेचर सफारी (ग्लास स्काई वॉक) का निर्माण, वेणुवन एवं पांडु पोखर का सौंदर्गीकरण, नवादा के ककोलत जल प्रपात में पर्यटकीय सुविधाओं का विकास, राजगीर एवं मंदार में नये रोप-वे का निर्माण, पटना में बुद्ध स्मृति पार्क का निर्माण, मधुबनी में मिथिला हाट का निर्माण शामिल है. इन कार्यों ने बिहार पर्यटन को आज विश्व मानचित्र पर लाकर रख दिया है.

पटना के कंकड़बाग में पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, राजगीर खेल अकादमी एवं खेल विश्वविद्यालय, पटना मेट्रो परियोजना, पटना में विश्वस्तरीय डॉ० ए०पी० जे० अब्दुल कलाम साइंस सिटी का निर्माण, वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण तथा गया में विष्णुपद मंदिर के पास रबर डैम का निर्माण कराया गया है. जबकि पटना में बिहार संग्रहालय एवं पटना संग्रहालय को भूमिगत टनल से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है.

हवाई सेवाओं की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि

उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में बिहार राज्य में हवाई सेवाओं की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. राज्य में बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुये हवाई यातायात का विस्तार किया गया है. पटना में अत्याधुनिक नया एयरपोर्ट टर्मिनल बनाया गया है. साथ ही दरभंगा एवं पूर्णिया में हवाई अड्डे भी संचालित हो चुके हैं. इसके साथ-साथ बिहटा, रक्सौल तथा वीरपुर हवाई अड्डों का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है एवं वाल्मीकिनगर, मधुबनी, मुंगेर, सहरसा तथा मुजफ्फरपुर हवाई अड्डों को विकसित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है.

राज्य में आधारभूत संरचनाओं की मजबूती के लिए हमारी सरकार बजट का भी पूरा इंतजाम कर रही है. आप सबको पता है वर्ष 2004-05 में राज्य का बजट लगभग 24 हजार करोड़ रुपये था. आज बिहार का बजट 3 लाख 16 हजार करोड़ रुपये भी अधिक हो गया है. हमलोग कुशल वित्तीय प्रबंधन करते हुए बढ़े हुए बजट का उपयोग राज्य के सर्वांगीण विकास में कर रहे हैं.

हमलोगों ने जो आपके लिए काम किए हैं, उसे याद रखिएगा. आगे भी हमलोग ही काम करेंगे. हमलोग जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं.

तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पास न रखें ये चीजें, वरना घर में होगी आर्थिक तंगी!

इस बार तुलसी विवाह 1 नवंबर को मनाया जाएगा. हर साल ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु का के शालीग्राम स्वरूप का (वृंदा से) माता तुलसी से विवाह कराया जाता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह करवाने वाले लोगों के सारे दुख दूर हो जाते हैं. घर में खुशहाली आती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में तुलसी का बहुत विशेष महत्व माना गया है.

मान्यताओं के अनुुसार, घर में तुलसी का पौधा लगाने से सकारात्मकता आती है और नकारात्मकता उर्जा नष्ट हो जाती है. तुलसी के पौधे को घर में रखना बहुत शुभ होता है, क्योंकि तुलसी माता मां लक्ष्मी का ही स्वरूप मानी जाती हैं. तुलसी का पौधा घर के लोगों की रक्षा करता है और उनको हर समस्या से बचाता है. तुलसी विवाह के दिन वास्तु से संबंधित बातों का बहुत विशेष ध्यान रखना चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पास किन चीजों को नहीं रखना चाहिए?

तुलसी के पास न रखें जूते-चप्पल

वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी के पास जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए. ऐसा करने माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. घर में आर्थिक समास्याएं आने लगती हैं. तुलसी के पास जूते-चप्पल रखने से उसकी पवित्रता भंग होती है, इसलिए तुलसी का पौधा सदा स्वच्छ और पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए.

झाड़ू पास न रखें

तुलसी के पास झाड़ू नहीं रखना चाहिए. झाड़ू घर से गंदगी निकालने के लिए उपयोग की जाती है. इसे तुलसी के पौधे के पास रखने से माता का अपमान होता है. इससे घर में पौसों से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं.

शिवलिंग पास न रखें

तुलसी का पौधा और शिवलिंग कभी एक साथ नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से पूजा में दोष लगता है. तुलसी और शिवलिंग को इसलिए एक साथ नहीं पूजा जाता क्योंकि महादेव ने तुलसी माता के पति शंखचुड़ का वध किया था.

कांटेदार पौधे पास न रखें

तुलसी के पास कांटेदार पौधे नहीं लगाने या रखने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में गरीबी आती है. घर के लोगों में तनाव और कलह बढ़ती है.

Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

घाटों पर आस्था का सैलाब, देशभर में उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ महापर्व का हुआ भव्य समापन

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूरा हो गया. देशभर के घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. नदियों, तालाबों और सरोवरों के किनारे लाखों व्रती महिलाओं ने जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया और परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और समाज में खुशहाली की कामना की. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व ने पूरे देश में धार्मिक उल्लास और भक्ति का अद्भुत वातावरण बना दिया. इस दौरान व्रतियों ने सूर्य देव से घाटों पर पारंपरिक गीतों की गूंज और डूबते सूरज की किरणों के बीच जल में खड़ी महिलाओं ने सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूरा किया.

उगते सूर्य को दिया गया ‘ऊषा अर्घ्य’

छठ पूजा का चौथा और आखिरी दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. आज सुबह से ही सभी नदी तटों, तालाबों और कृत्रिम घाटों पर आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला. व्रती महिलाएं और पुरुष अपने परिवार के साथ सूप और डाला में फल, ठेकुआ, गन्ना, नारियल और अलग- अलगा तरह के पकवान सजाकर जल में खड़े हुए. जैसे ही सूर्य की पहली किरणें दिखाई दीं, पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. श्रद्धालुओं ने एक स्वर में छठी मैया के गीत गाए और जल तथा दूध से ‘ऊषा अर्घ्य’ अर्पित किया. सूर्य देव के उदय होते ही, चारों तरफ उत्साह और भक्ति की लहर दौड़ गई. इस क्षण को साक्षी बनाने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी थी, जिन्होंने दूर-दराज से आकर इस पावन पर्व में हिस्सा लिया.

36 घंटे का निर्जला व्रत संपन्न

छठ पर्व स्वच्छता, पवित्रता और आत्म-अनुशासन का प्रतीक है. खरना के दिन से शुरू हुआ 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत (बिना अन्न-जल ग्रहण किए), आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूरा हुआ. व्रती सूर्य अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण कर विधि-विधान से अब व्रत का पारण करेंगे.

पर्व का महत्व: प्रकृति और संतान के प्रति कृतज्ञता

छठ महापर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भी एक अनूठा माध्यम है. इस पर्व में सूर्य देव (जो ऊर्जा और जीवन के स्रोत हैं) और छठी मैया (जो संतान की रक्षा करने वाली देवी हैं) की पूजा की जाती है. उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा यह संदेश देती है कि जीवन में हर स्थिति (उदय या अस्त) का सम्मान करना चाहिए. इसलिए छठ पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की अटूट आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक माना जाता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

बिहार चुनाव में राहुल गांधी की एंट्री, 29 अक्टूबर को तेजस्वी यादव के साथ करेंगे जनसभा

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक चल तैयारियों में जुटे हुए है. सूबे में रैलियों का दौर जारी है. राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए जनता से लोकलुभावन वादे किए जा रहे हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर लगातार हमले कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, तेजस्वी यादव समेत अन्य दिग्गजों की चुनावी सभाएं हो रही हैं. वहीं अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार में उतरने वाले हैं.

जानकारी के मुताबिक देश के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी 29 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर के सकरा सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र और दरभंगा में महागठबंधन समर्थित प्रत्याशियों के पक्ष में बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ संयुक्त रूप से जनसभा को संबोधित करेंगे. इस दौरान दोनों ही नेता जनता से गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने की अपील करेंगे.

राहुल गांधी करेंगे चुनावी सभाएं

बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने बताया कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का विधानसभा चुनाव में यह पहला बिहार दौरा है. उन्होंने बताया कि राहुल सकरा सुरक्षित विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी उमेश राम के समर्थन में पहली जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद वो दरभंगा में RJD और महागठबंधन के उम्मीदवार की सभा को संबोधित करेंगे.

मैदान में उतरेगी राहुल और तेजस्वी की जोड़ी

राहुल गांधी की दोनों ही सभाएं काफी अहमियत रखती हैं, क्योंकि चुनावी मौसम में राहुल और तेजस्वी की ये पहली सभाएं होंगी. जब से तेजस्वी को महागठबंधन का सीएम फेस घोषित किया गया है. तेजस्वी एक के बाद एक लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं और एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं. वहीं अब राहुल और तेजस्वी एक साथ नजर आएंगे. चुनावी सभाओं से ठीक एक दिन पहले 28 अक्टूबर (मंगलवार) को महागठबंधन की तरफ से साझा घोषणापत्र जारी किया जाएगा.

वोटर अधिकार यात्रा के बाद राहुल का पहला दौरा

इससे पहले देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 16 दिनों तक लगातार बिहार में रहकर 1300 किमी की यात्रा की. वोटर अधिकार यात्रा के दौरान उन्होंने बीजेपी पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा था. वहीं एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े किए थे. बिहार वोटर अधिकार यात्रा के बाद राहुल पहली बार बिहार दौरे पर आ रहे हैं. जहां वो महागठबंधन के प्रत्याशियों के लिए संयुक्त रूप से जनसभाओं को संबोधित करेंगे.

बिहार विधानसभा चुनाव की बात करें तो राज्य की सभी 243 सीटों पर दो चरण में चुनाव होंगे. पहले चरण के लिए 6 नवंबर को और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोटिंग होगी. वहीं चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को जारी किए जाएंगे. पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों और दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होगा. इन दोनों चरणों में कुल 2616 उम्मीदवार मैदान में हैं.

छठ पूजा के तीसरे दिन बनेगा रवि योग, जानें किस समय दें डूबते सूर्य को अर्घ्य

छठ महापर्व बड़ी आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जो कि 4 दिनों तक चलता है. छठ पूजा का तीसरा दिन इस पर्व का मुख्य दिन होता है. सोमवार, 27 अक्टूबर को छठ का तीसरा दिन है, जिसमें शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अगले दिन 28 अक्टूबर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व का समापन होता है. ज्योतिषियों की मानें तो इस बार कार्तिक माह की षष्ठी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है. आइए जानें कि छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य कब देना चाहिए.

छठ के तीसरे दिन बनेंगे ये शुभ योग

ज्योतिष की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठ का मुख्य दिन होता है. इस शुभ अवसर पर रवि योग, सुकर्मा योग और कौलव करण जैसे कई मंगलकारी योगों का निर्माण हो रहा है. ऐसा माना जाता है कि अगर इन योग में सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाए, तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और सुख- सौभाग्य में वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है

27 अक्टूबर को सूर्यास्त कब होगा?

पंचांग के मुताबिक, सोमवार 27 अक्टूबर को दिल्ली में शाम 5 बजकर 40 मिनट पर सूर्यास्त होगा. इस समय नई दिल्ली में डूबते सूर्य देव को विधि-विधान से अर्घ्य दिया जाएगा.

रवि योग का समय

पंचांग की मानें तो 27 अक्टूबर को रवि योग दोपहर में शुरू होगा, जो कि पूरी रात तक रहेगा. ऐसे में इस योग में संध्या अर्घ्य देना सबसे शुभ रहेगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, रवि योग में सूर्य देव की उपासना करने से भगवान भास्कर की कृपा बरसती है और आरोग्यता का वरदान मिलता है. इसके अलावा, 27 अक्टूबर को सुकर्मा योग का भी संयोग बन रहा है.

रवि योग – 27 अक्टूबर को दोपहर 1:27 मिनट पर.

इनके अलावा, 27 अक्टूबर को कौलव और तैतिल करण का महासंयोग भी बनने वाला है. कौलव करण में भी आप डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दे सकते हैं. ज्योतिष में कौलव करण को शुभ माना जाता है. वहीं, करण योग का निर्माण भी 27 अक्टूबर को होने वाला है. करण योग में अगले दिन उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.