JSLPS कार्यशाला: खाली पड़ी सरकारी इमारतों का उपयोग कर ग्रामीण महिलाओं के लिए बनेंगे नए आजीविका केंद्र; DDCs को 'एसेट रिपर्पोज़िंग' पर निर्देश
रांची: झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसाइटी (JSLPS), ग्रामीण विकास विभाग, द्वारा "Building Synergy: Orientation of DDCs & Asset Repurposing for Community Growth" विषय पर एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग कर ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के नए आयाम स्थापित करना है।
33 लाख महिलाओं तक पहुँच पर ज़ोर:
सीईओ-जेएसएलपीएस श्री अनन्य मित्तल ने कार्यशाला में कहा कि वर्तमान में सरकार की विभिन्न ग्रामीण विकास योजनाओं का लाभ 33 लाख से अधिक सखी मंडल की महिलाओं तक पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने उपलब्ध परिसंपत्तियों (Assets) का पुनः उपयोग सुनिश्चित करने पर जोर दिया ताकि समुदाय को अधिकतम लाभ मिल सके।
"आवश्यकता है कि हम सभी जिलों में उपलब्ध परिसंपत्तियों का पुनः उपयोग सुनिश्चित करें ताकि समुदाय को अधिकतम लाभ मिल सके। इस दिशा में DDCs और DPMs की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।" — श्री अनन्य मित्तल, सीईओ-जेएसएलपीएस
एसेट रिपर्पोज़िंग मॉडल:
ग्रांट थॉरंटोंन भारत एलएलपी के पार्टनर श्री चिराग जैन ने बताया कि एसेट रिपर्पोज़िंग (खाली पड़ी सरकारी इमारतों का पुनः उपयोग) मॉडल के माध्यम से इन खाली इमारतों को महिला नेतृत्व वाले व्यवसायों के लिए उपयोग किया जा रहा है, जिससे स्थानीय समुदायों को आजीविका के नए अवसर मिल रहे हैं।
कार्यशाला में मुख्य विषय:
कार्यशाला के दौरान दीनदयाल अन्त्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) और जेएसएलपीएस के विभिन्न प्रभागों (जैसे एसआईएमबी, लखपति दीदी पहल, कृषि एवं गैर-कृषि आजीविका, DDU-GKY) पर विस्तृत प्रस्तुतियाँ दी गईं। इसके अतिरिक्त, कृषि अवसंरचना कोष, पीएमएफएमई और रैम्प जैसी योजनाओं के अंतर्गत महिला उद्यमों को सशक्त बनाने के सफल उदाहरण भी साझा किए गए।
सखी मंडल से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि खाली पड़ी सरकारी परिसंपत्तियाँ मिलने के बाद उन्हें अपने व्यवसायों का विस्तार करने में सहायता मिली है।
इस कार्यशाला में सभी जिलों के उप विकास आयुक्त (DDCs), जिला कार्यक्रम प्रबंधक (DPMs) तथा सखी मंडल की महिलाओं ने भाग लिया।






Nov 03 2025, 20:21
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