झारखंड में प्रतिबंधित दवाओं की अवैध बिक्री और विभागीय लापरवाही पर उच्च स्तरीय जाँच की मांग
रांची। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर झारखंड में प्रतिबंधित और नशीली कफ सिरप की अवैध बिक्री तथा इसमें अधिकारियों की कथित मिलीभगत की उच्च स्तरीय जाँच कराने की मांग की है।
यह पत्र राज्य के औषधि नियंत्रण तंत्र में व्याप्त गहरी अनियमितताओं और प्रशासनिक शिथिलता को उजागर करता है।
नशीली सिरप के अवैध कारोबार और सीआईडी की शिथिलता
मरांडी ने गत वर्ष धनबाद के बरवाअड्डा क्षेत्र में गुजरात पुलिस की सूचना पर जब्त किए गए प्रतिबंधित कफ सिरप 'फेन्सिडिल (Phensedyl)' के बड़े भंडारण का मामला उठाया। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नशे के रूप में इस्तेमाल होने वाले इस सिरप की खुलेआम बिक्री जारी रही।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले को सीआईडी को सौंपे जाने के बावजूद, चौदह महीने बीत जाने के बाद भी किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने इसे प्रशासनिक शिथिलता बताया, जो नशे के फैलते जाल को मौन स्वीकृति देती प्रतीत होती है।
सरकारी मिलीभगत और दबी हुई जाँच रिपोर्ट
पत्र में झारखंड उच्च न्यायालय में लंबित जनहित याचिका (अरुण कुमार दुबे बनाम राज्य सरकार) का भी हवाला दिया गया, जिसमें सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से राज्य में नकली, नशीली और हानिकारक दवाओं की सप्लाई का गंभीर आरोप लगाया गया है।
उन्होंने विशेष रूप से 11 फरवरी 2022 की तीन-सदस्यीय जाँच समिति की रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसमें स्पष्ट रूप से दर्ज है कि बड़ी मात्रा में नशीली दवाएँ खुले बाजार में बेची गईं और संबंधित अधिकारियों ने जानबूझकर मामला दबाया। इस रिपोर्ट में तत्कालीन संयुक्त निदेशक सुरेंद्र प्रसाद, ड्रग कंट्रोलर श्रीमती ऋतु सहाय, और विशेष सचिव श्री चंद्र किशोर उराँव जैसे अधिकारियों के नाम भी उल्लिखित हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि M/s Vishwanath Pharmaceuticals पर छापे के दौरान अवरोध पैदा किया गया, जिसके कारण लगभग 1.5 करोड़ रुपये के नकली कोडीन आधारित सिरप में से 1 करोड़ रुपये की दवा लखनऊ और वाराणसी के बाजारों में बेची जा चुकी थी। मरांडी ने सवाल उठाया कि यह रिपोर्ट पिछले तीन वर्षों से विभागीय अभिलेखों में क्यों दबाई गई है और इस पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
जाँच लंबित होने पर प्रोन्नति पर सवाल
मरांडी ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि जिन अधिकारियों पर मिलीभगत का संदेह है या जिनका नाम संभावित दोषियों की सूची में है, उनमें से एक को हाल ही में प्रोन्नति दी गई है। उन्होंने इसे प्रशासनिक शुचिता के विपरीत और आम जनता के विश्वास को चोट पहुँचाने वाला कदम बताया।
केंद्रीय एजेंसियों से जाँच की मांग
बाबूलाल मरांडी ने अंत में प्रधान सचिव से आग्रह किया कि यह मामला जनस्वास्थ्य, युवाओं के भविष्य और शासन की पारदर्शिता से जुड़ा है, इसलिए इस पर तत्काल कदम उठाए जाएँ।
उनकी प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
- 11.02.2022 की जाँच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर उसकी अनुशंसाओं पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
- पूरे प्रकरण की जाँच प्रवर्तन निदेशालय (ED) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) जैसी केंद्रीय एजेंसियों से करवाई जाए, ताकि इसके अन्तर्राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की सघन जाँच हो सके।
- ड्रग कंट्रोलर कार्यालय की कार्यप्रणाली का स्वतंत्र ऑडिट किया जाए।
- जिन अधिकारियों के विरुद्ध संदेह है, उन्हें जाँच पूरी होने तक प्रशासनिक जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए।
- बरवाअड्डा प्रतिबंधित कफ सिरप मामले में सीआईडी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और आरोपी की गिरफ्तारी न होने का कारण स्पष्ट किया जाए।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इस प्रकरण को ईमानदारी और पारदर्शिता से देखेगी, ताकि झारखंड का स्वास्थ्य तंत्र फिर से लोगों के विश्वास के योग्य बन सके।
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Oct 08 2025, 21:03