ट्रांसफर के 25 दिन बाद भी सीएमएस ने नहीं छोड़ा कार्यभार
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फर्रुखाबाद lउत्तर प्रदेश सरकार आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातार गंभीर बनी हुई है। लेकिन कुछ ऐसे जिम्मेदार हैं जो साख पर बट्टा लगाने का काम करते हैं। प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कई गंभीर आरोपों में दोषी और प्रशासनिक क्षमता शून्य पाने पर सीएमएस डॉ अशोक प्रियदर्शी का ट्रांसफर कर दिया था। 25 दिन बाद भी सीएमएस ने अपना कार्यभार नहीं छोड़ा। जिससे जाहिर होता है कि सीएमएस भले ही स्वास्थ्य सेवाएं संभालने में नाकाम साबित हुए हो लेकिन उनका रसूख ऐसा है कि राज्यपाल स्तर से हुई कार्यवाही भी उनकी कुर्सी नहीं हिला सकी है।इससे जाहिर होता है कि साहब का जलवा अभी भी कायम है।ट्रांसफर होने के बाद से चहेते ठेकेदार दफ्तर में जमे रहते हैं। जबकि जरूरतमंदों को लंबा इंतजार करना मजबूरी है।
प्रमुख सचिव ने 13 अगस्त को आदेश जारी कर लोहिया अस्पताल के सीएमएस डॉ. अशोक प्रियदर्शी को कई आरोपों में प्रथमदृष्ट्या दोषी पाया था। उन्होंने सीएमएस को शिथिल नियंत्रण और प्रशासनिक क्षमता शून्य भी माना था। यही नहीं उनके खिलाफ विस्तृत जांच के लिए निदेशक (प्रशासन) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को नामित कर दिया था। प्रमुख सचिव के आदेश के दूसरे दिन यानी 14 अगस्त को विशेष सचिव अनिल कुमार सिंह ने सीएमएस डॉ. अशोक प्रियदर्शी को कन्नौज जिला अस्पताल में वरिष्ठ परामर्शदाता के पद पर ट्रांसफर कर दिया था। उनके स्थान पर कन्नौज में तैनात डॉ. जगमोहन शर्मा को सीएमएस बना दिया था।
मजबूत जुगाड़ का एक उदाहरण तब देखने को मिला, जब स्थानांतरण के सात दिन तक यह आदेश विभाग और जिम्मेदार अफसरों की फाइलों में ही दबा रहा। 21 अगस्त के बाद सुर्खी में आने के बाद विभागीय कर्मियों को कार्रवाई की जानकारी हो सकी। ट्रांसफर आदेश के 25दिन बाद भी कार्यभार न छोड़ने से मजबूत पकड़ उजागर हो रही है। दफ्तर में दिन भर चहेते ठेकेदारों का जमघट लगा रहता है। जबकि जरूरी काम के लिए आए लोगों को लंबी पूछताछ और इंतजार के बाद ही प्रवेश मिल पाता। इससे लोगों को खासी दिक्कतें हो रही हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि डॉक्टर अशोक प्रियदर्शी का रसूख और हनक कितनी मजबूत है कि शासन की कार्यवाही भी उनके सामने बौनी साबित होती नजर आती है।
गौरतलब है कि विगत माह पूर्व सीएमएस ने निरीक्षण करने आए सीएमओ को भी हड़का दिया था।
Sep 07 2025, 19:09