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रूस से भारत ने बंद की तेल खरीद? डोनाल्ड ट्रंप का एक और विस्फोटक दावा, फिर मचेगा बवाल

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में सियासी बवाल बढ़ाने वाला बयान दिया है। रूस के साथ भारत के तेल खरीदने से नाखुश ट्रंप ने उन मीडिया रिपोर्ट्स के दावों का स्वागत किया है जिनमें ये कहा गया कि भारत अब रूस के साथ तेल व्यापार नहीं करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया है कि उन्हें जानकारी मिली है कि भारत रूस से तेल नहीं खरीद रहा है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से इस मामले में किसी भी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

ट्रंप ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, मैं समझता हूं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति की यह प्रतिक्रिया तब आई जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने भारत पर जुर्माना लगाने के लिए कोई संख्या तय की है। साथ ही क्या वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता करने वाले हैं? इस पर ट्रंप ने जवाब देते हुए कहा, मैं समझता हूं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा । मैंने यही सुना है, मुझे नहीं पता कि यह सही है या नहीं। यह एक अच्छा कदम है। हम देखेंगे कि क्या होता है।

भारत पर 25 फीसदी टैरिफ के बाद ट्रंप का बयान

ट्रंप की यह टिप्पणी भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने और रूस के साथ हथियार और कच्चे तेल की खरीद के लिए अतिरिक्त दंड की चेतावनी देने के बाद आई है। ट्रंप प्रशासन भारत की रूसी ऊर्जा खरीद से नाराज है। ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाते समय और पहले भी इस बारे में खुलकर इजहार किया है। उन्होंने रूस से ऊर्जा खरीद को पुतिन की युद्ध मशीनरी को समर्थन बताया है, जो यूक्रेन में युद्ध जारी रखने में मदद कर रहा है।

रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रंप की चेतावनी

ट्रंप के इस बयान से पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में रूस से आने वाला तेल अचानक ठहर सा गया है। देश की चार सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनियों- IOC, BPCL, HPCL और MRPL- ने बीते एक हफ्ते से रूसी कच्चा तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई में रूसी तेल पर मिलने वाली छूट पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है। ऐसे में भारत की सरकारी कंपनियां अब स्पॉट मार्केट यानी तत्काल खरीद-बिक्री वाले बाजार की ओर रुख कर रही हैं। यहां से वे अबू धाबी का मुरबान ग्रेड और पश्चिमी अफ्रीका से आने वाला कच्चा तेल खरीद रही हैं। 14 जुलाई को डोनाल्ड ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई देश तब तक रूस से तेल खरीदेगा जब तक वह यूक्रेन से युद्ध खत्म करने को लेकर बड़ा शांति समझौता नहीं करता, तो अमेरिका 100% टैरिफ यानी भारी टैक्स लगाएगा।

रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत का रूख

वहीं, इससे पहले शुक्रवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया दी थी, जिनमें कहा गया था कि कुछ भारतीय तेल कंपनियों ने रूस से तेल लेना बंद कर दिया है। जायसवाल ने कहा था कि भारत ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। ब्रीफिंग के दौरान जायसवाल ने कहा, आप ऊर्जा स्रोत आवश्यकताओं के प्रति हमारे व्यापक दृष्टिकोण से अवगत हैं, हम बाजार में उपलब्ध चीजों और मौजूदा वैश्विक स्थिति पर नजर रखते हैं। हमें किसी विशेष बात की जानकारी नहीं है।'

कौन हैं खालिद जमील जो बने भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के मुख्य कोच नियुक्त, जानें उनके बारे में

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भारतीय फुटबॉल टीम के नए कोच का ऐलान हो गया है। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की एग्जीक्यूटिव कमिटी ने टेक्निकल कमिटी की सिफारिश पर भारतीय नेशनल फुटबॉल टीम के हेड कोच के रूप में खालिद जमील के नाम पर मुहर लगा दी है। इस तरह से वह पिछले 13 वर्षों में प्रतिष्ठित पद पर आसीन होने वाले पहले भारतीय बन गए। भारतीय टीम का कोच बनने की दौड़ में जमील के अलावा भारत के पूर्व मुख्य कोच स्टीफन कॉन्स्टेंटाइन और और स्लोवाकिया के मुख्य कोच रह चुके स्टीफन टारकोविच शामिल थे।

पूर्व भारतीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और वर्तमान में इंडियन सुपर लीग की टीम जमशेदपुर एफसी के प्रभारी 48 वर्षीय जमील को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की कार्यकारी समिति ने इस पद के लिए चुना। एआईएफएफ की टेक्निकल कमेटी ने 22 जुलाई को नेशनल टीम के निदेशक सुब्रत पाल से सलाह लेने के बाद कोच के लिए तीन लोगों की सूची तैयार की थी। इसमें पूर्व नेशनल कोच स्टीफन कॉन्स्टेंटाइन, स्लोवाकियाई मैनेजर स्टीफन टारकोविक और खालिद जमील का नाम शामिल था। शुक्रवार, एक अगस्त को खालिद जमील को भारतीय टीम के नया कोच बनाने की घोषणा कर दी गई।

साल बाद नेशनल टीम को मिला भारतीय हेड कोच

महासंघ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि टेक्निकल समिति के सदस्यों द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता अरमांडो कोलाको और ध्यानचंद पुरस्कार विजेता शब्बीर अली ने अपने विचार व्यक्त किए कि एआईएफएफ को सीनियर नेशनल फुटबॉल टीम के लिए एक भारतीय कोच के चयन को प्राथमिकता देनी चाहिए। खालिद 13 साल बाद भारतीय नेशनल फुटबॉल टीम के पहले ऐसे फुल टाइम हेड कोच बने हैं, जो भारत के ही हैं। राष्ट्रीय पुरुष टीम के मुख्य कोच का पद संभालने वाले अंतिम भारतीय सावियो मेडेइरा थे, जो 2011 से 2012 तक इस पद पर रहे।

खालिद जमील मनोलो मार्केज की जगह लेंगे

खालिद जमील स्पेन के मनोलो मार्केज की जगह लेंगे, जिन्होंने पिछले महीने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके समय में भारतीय टीम पिछले एक साल में कोई भी मैच नहीं जीत पाई थी।

2016-17 का आई-लीग खिताब जीतना जमील की बड़ी उपलब्धि

जमील की नई भूमिका में पहला काम सेंट्रल एशियन फुटबॉल एसोसिएशन (सीएएफए) नेशंस कप होगा, जो 29 अगस्त से ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में खेला जाएगा। जमील लंबे समय से भारतीय फुटबॉल से जुड़े हुए हैं। कोच के रूप में अपने एक दशक से भी अधिक समय के करियर की उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि आइज़ॉल एफसी के साथ 2016-17 का आई-लीग खिताब जीतना था। तब इस क्लब ने मोहन बागान, ईस्ट बंगाल और बेंगलुरु एफसी जैसी बड़ी टीमों को हराया था। मुंबई के रहने वाले जमील को इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में कोचिंग का अच्छा खासा अनुभव है।

जनता दल (एस) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना रेप केस में दोषी करार, बेंगलुरु कोर्ट का फैसला

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने जनता दल (एस) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोपों में दोषी पाया है। कोर्ट में सजा का ऐलान होना बाकी है। यह मामला एक सेक्स टेप और कई महिलाओं के साथ रेप से जुड़ा हुआ है।जब कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, तो वो खुद को रोक नहीं पाए और कोर्ट में ही फूट-फूटकर रोने लगे। बाहर निकलते वक्त भी उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। जनता दल सेक्युलर से जीतकर सांसद बने प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते हैं।

जानकारी के अनुसार प्रज्वल रेवन्ना के खिलापफ यह फैसला उनके खिलाफ दर्ज रेप के चार एक में आया है। पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को 47 साल की नौकरानी से रेप के आरोप में दोषी ठहराया है। अदालत शनिवार को रेवन्ना को सजा सुनाएगी। रेवन्ना जिस मामले में दोषी करार दिए गए हैं। इस मामले को हासन जिले के होलेनरसीपुरा ग्रामीण पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। बेंगलुरु में विशेष अदालत ने 18 जुलाई को बलात्कार के मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी। इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

2,000 से ज़्यादा अश्लील वीडियो क्लिप सामने आए

प्रज्वल रेवन्ना पिछले 14 महीने से जेल में बंद हैं। उन पर एक नहीं, कई महिलाओं के साथ यौन शोषण और बलात्कार के आरोप लगे थे। प्रज्वल रेवन्ना 2024 में दर्ज चार आपराधिक मामलों में मुख्य आरोपी हैं। मामला तब तूल पकड़ा जब जब इंटरनेट पर यौन शोषण के 2,000 से ज़्यादा अश्लील वीडियो क्लिप सामने आए थे। इसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज हुए और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। कर्नाटक सरकार ने प्रवज्ल रेवन्ना के सेक्स टेप सामने आने के बाद जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।

क्या है पूरा मामला?

प्रज्वल रेवन्ना पर उनके घर में काम करने वाली महिला ने यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। जो उनके परिवार के फार्महाउस में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी। उसने रेवन्ना पर 2021 से बार-बार बलात्कार करने और किसी को भी घटना के बारे में बताने पर दुर्व्यवहार के वीडियो जारी करने की धमकी देने का आरोप लगाया।

इसके अलावा बेंगलुरु में पब्लिक प्लेसेस में कई पेन ड्राइव मिलीं थीं। इनको लेकर ऐसा दावा किया गया कि पेन ड्राइव में 3 हजार से 5 हजार वीडियो हैं, जिनमें प्रज्वल को महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न करते देखा गया है। वीडियोज में महिलाओं के चेहरे भी ब्लर नहीं किए गए थे। इस मामले के सामने आने के बाद से ही पूरे राज्य भर में बवाल देखने को मिला था। मामला बढ़ता देख जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। जांच के बाद प्रज्वल के खिलाफ रेप, छेड़छाड़, ब्लैकमेलिंग और धमकी देने के आरोपों में मामले दर्ज किए गए थे। महिलाओं का रेप करने के बाद रेवन्ना सरकारी नौकरी ऑफर किया करता था।

9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए होगा चुनाव, चुनाव आयोग ने जारी की अधिसूचना

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उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को मतदान होगा। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद यह चुनाव कराया जा रहा है। जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई को धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।

चुनाव आयोग के नोटिस के अनुसार, 7 अगस्त को इस चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होगी। नामाकंन 21 अगस्त तक किया जा सकता है। नामांकन पत्र की जांच 22 अगस्त को की जाएगी। नामाकंन वापस लेने की तारीख 25 अगस्त है। अगर जरूरी हुआ तो 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग होगी। वोटिंग सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक होगी। 9 सितंबर के ही दिन काउंटिंग भी होगी और विजेता के नाम का ऐलान किया जाएगा।

उपराष्ट्रपति पद 22 जुलाई को निवर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा त्यागपत्र देने के कारण रिक्त हो गया है। धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए गुरुवार को चुनाव आयोग ने निर्वाचक मंडल की सूची तैयार कर ली थी। चुनाव आयोग ने गुरुवार को बताया कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल की सूची तैयार कर ली गई है। 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत निर्वाचन आयोग को उपराष्ट्रपति के चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संविधान के अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के साथ-साथ लोकसभा के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।

मालेगांव ब्लास्ट केस में भागवत को गिरफ्तार करने का मिला था आदेश? एटीएस के पूर्व अधिकारी का दावा

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मालेगांव में हुए धमाके को लेकर मुंबई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को इस मामले के सभी सात आरोपियों को बरी करने का आदेश जारी किया है। मालेगांव धमाके में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी इस मामले में एक मुख्य आरोपी थीं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इन सभी आरोपियों के खिलाफ जो भी सबूत पेश किए हैं वो इतने काफी नहीं हैं, जिन्हें आधार मानकर आरोपियों को सजा दी जा सके। कोर्ट का यह फैसला 17 साल के लंबे इंतजार के बाद आया। अब इस मामले में एक बड़ा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ब्लास्ट की जांच में शामिल एक पूर्व अधिकारी ने दावा किया है कि उन्हें इस केस में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश मिला था।

क्यों दिया गया मोहन भागवत की गिरफ्तारी का आदेश?

आतंकवाद निरोधी दस्ते यानी एटीएस के एक पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने यह सनसनीखेज दावा किया है। महबूब मुजावर ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था।मालेगांव ब्लास्ट केस में फैसला आने के बाद इस पर रिएक्शन देते पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने बताया है कि उन्हें संघ के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था। मुजावर के मुताबिक, भागवत को गिरफ्तार करने के ऑर्डर का मकसद 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी का स्थापित करना था।

“सीधे तौर मोहन भागवत को फंसाने के निर्देश दिए गए”

पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने कहा, मुझे इस केस में इसलिए शामिल किया गया था ताकि ‘भगवा आतंकवाद’ को साबित किया जा सके। मुझे सीधे तौर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने के निर्देश दिए गए थे, और ये आदेश तत्कालीन मालेगांव धमाके के प्रमुख जांच अधिकारी परमबीर सिंह और उनके उपर के अधिकारियों ने दिए थे। उन्होंने आगे बताया कि, सरकार और एजेंसियों का मकसद यह था कि मोहन भागवत और अन्य निर्दोष लोगों को इस मामले में फंसाया जाए। भगवा आतंकवाद की पूरी संकल्पना एक झूठ थी।

“भगवा आतंकवाद की थ्योरी पूरी तरह से झूठी थी”

मुजावर ने दावा किया भगवा आतंकवाद की जो थ्योरी थी वो पूरी तरह से झूठी थी। उन्होंने बताया कि इस मामले में मेरे ऊपर कई फर्जी केस भी लगाए। लेकिन बाद में कोर्ट से मैं निर्दोष साबित हुआ। मुजावर ने कहा कि मैं ये नहीं कह सकता कि एटीएस ने उस समय क्या जांच की और क्यों। लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसे लोगों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि उनका पालन किया जा सके। मोहन भागवत जैसी बड़ी हस्ती को पकड़ना मेरी क्षमता से परे था। चूंकि मैंने इन आदेशों का पाल नहीं किया इसलिए मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया और इसने मेरे 40 साल के करियर को बर्बाद कर दिया।

पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से किया सवाल

मुजावर ने यह भी दावा किया कि जिन संदिग्धों संदीप डांगे और रामजी कलसंगरा की हत्या हो चुकी थी, उन्हें जानबूझकर चार्जशीट में जिंदा दिखाया गया। मुझे आदेश दिया गया कि उनकी लोकेशन ट्रेस करो, जबकि वो मर चुके थे। मेहबूब मुजावर ने यह भी बताया कि जब उन्होंने इन बातों का विरोध किया और गलत काम करने से इनकार किया, तो उन पर झूठे केस थोपे गए। मुझ पर झूठे मुकदमे डाले गए, लेकिन मैं निर्दोष साबित हुआ। मुजावर ने पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्हें अब सामने आकर बताना चाहिए कि “क्या हिंदू आतंकवाद जैसी कोई थ्योरी वास्तव में थी?

पहला मामला जब किसी ब्लास्ट में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया

बता दें कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के उत्तर में स्थित मालेगांव शहर में एक जबरदस्त धमाका हुआ। शुरू में एटीएस को शक था कि इसमें स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) जैसे प्रतिबंधित मुस्लिम संगठनों का हाथ हो सकता है, क्योंकि पहले हुए धमाकों में पाकिस्तान समर्थित और देशी मुस्लिम आतंकी संगठनों की भूमिका सामने आ चुकी थी। लेकिन एटीएस के तत्कालीन प्रमुख, दिवंगत आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे के नेतृत्व में हुई जांच ने देश को चौंका दिया। बाद में जांच में सामने आया कि मालेगांव ब्लास्ट में शामिल सभी आरोपी हिंदू थे और इसे "भगवा आतंकवाद" का मामला बताया गया।

यूएस ने भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ को टाला, 1 नहीं 7 अगस्त से होंगे लागू

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से कई देशों पर टैरिफ का ऐलान किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत समेत 92 देशों पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ट्रंप ने गुरुवार को इस आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि ये टैरिफ इन देशों पर 7 अगस्त से लागू हो जाएगी। ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन 7 दिन बाद ही इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया था। कुछ दिनों बाद ट्रंप ने 31 जुलाई तक का समय दिया था। इसके बाद ट्रंप सरकार ने 90 दिनों में 90 सौदे कराने का टारगेट रखा था। हालांकि अमेरिका का अब तक सिर्फ 7 देशों से समझौता हो पाया है।

27 यूरोपीयन यूनियन देशों पर टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई अन्य देशों पर टैरिफ का ऐलान किया था। पहले ये टैरिफ 1 अगस्त से लागू होना था, लेकिन अब यह 7 अगस्त से लागू होगा। गुरुवार को व्हाइट हाउस ने उन देशों की सूची जारी की, जिन पर अमेरिकी सरकार ने टैरिफ लगाया है या फिर संशोधित किया है। अमेरिका ने 68 छोटे बड़े और 27 यूरोपीयन यूनियन देशों पर टैरिफ लगाया गया है।

नए टैरिफ 7 अगस्त से लागू किए जाएगें

व्हाइट हाउस के की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, इन शुल्क में कोई बदलाव नहीं की जाएगी। इससे से 68 देशों के साथ-साथ 27 यूरोपीय संघ (यानी कि कुल 95 देश) प्रभावित होंगे। ट्रंप के आदेश में जिन देशों को विशेष रूप से लिस्टिंग नहीं की गई है, उन पर 10% की डिफ़ॉल्ट टैरिफ दर लागू होगी। व्हाइट हाउस की ओर से टैरिफ के बारे में एक अन्य और काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। जारी बयान में बताया गया कि ट्रंप द्वारा जारी नए टैरिफ 7 अगस्त से लागू किए जाएगें। मगर, अमेरिका आने वाले जो समान 7 अगस्त को अमेरिका के लिए जहाज से रवाना हो गया हो और जिनके अक्टूबर तक पहुंचने की संभावना है तो उन पर टैरिफ नहीं लगेगा।

सीरिया, लाओस और म्यांमार सबसे ज्यादा टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25% और पाकिस्तान पर 19% टैरिफ लगाया गया है। साउथ एशिया में सबसे कम टैरिफ पाकिस्तान पर लगा है। अमेरिका ने पहले पाकिस्तान पर 29% टैरिफ लगा रखा था। वहीं दुनियाभर में सबसे ज्यादा 41% टैरिफ सीरिया पर लगाया गया है। सीरिया, लाओस और म्यांमार जैसे गरीब देशों पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगा है। इन दोनों देशों पर अमेरिका ने 40-41% भारी टैरिफ लगाया है, जो सबसे ऊंची दर है। अमेरिका में सीरिया से बहुत कम व्यापार होता है, लेकिन फिर भी उस पर 41% हाई-टैरिफ लगाया गया है। सीरिया पर लंबी अवधि से लगे आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से ऐसा हुआ है। इस लिस्ट में चीन का नाम शामिल नहीं है।

भारत पर टैरिफ के साथ ही जुर्माना भी लगाया

ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और रूस से सैन्य उपकरण और ऊर्जा की खरीद के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाने का एलान किया है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका का भारत के साथ भारी व्यापार घाटा है। उन्होंने कहा 'भारत हमारा मित्र है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हमने उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं, दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं। साथ ही किसी भी देश की तुलना में उनके सबसे कठोर गैर-मौद्रिक व्यापार प्रतिबंध हैं।'

ट्रंप के टैरिफ पर “लाल-पीले” हो रहे राहुल, थरूर और मनीष तिवारी ने अलापा अगल राग

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भारत के साथ ट्रेड डील फाइनल नहीं होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके बाद ट्रंप ने रूस और भारत की इकोनॉमी को डेड यानी मृत बताया। फिर क्या था भारत में ट्रंप के टैरिफ पर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। ट्रंप के टैरिफ वाले एलान के बाद देश में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के हां में हां मिलाया है और कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा है।

शशि थरूर और मनीष तिवारी सरकार के समर्थन में

ट्रंप के टैरिफ वाले एलान के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने सरकार से तमाम सवाल किए। इस बीच कांग्रेस के ही नेता शशि थरूर और मनीष तिवारी ने मोदी सरकार को जोरदार समर्थन दिया है। शशि थरूर ने साफ शब्दों में कहा कि अमेरिका अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से अनुचित है, तो हमें कहीं और जाना होगा। वहीं, मनीष तिवारी ने कहा कि यह सब भारत की स्‍ट्रेटज‍िक ऑटोनॉमी का सबूत है, जो नेहरू की गुटन‍िरपेक्षता से शुरू हुई और अब पीएम मोदी की आत्‍मन‍िर्भर भारत वाली सोच का ह‍िस्‍सा है।

थरूर ने क्या कहा?

संसद परिसर में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण वार्ता है। हम कई देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं। अमेरिका अकेला ऐसा देश नहीं है जिसके साथ बातचीत चल रही है। यूरोपीय संघ के साथ हमारी बातचीत चल रही है, हमने ब्रिटेन के साथ एक समझौता कर लिया है, और हम अन्य देशों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। अगर हम अमेरिका में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, तो हमें अमेरिका के बाहर अपने बाजारों में विविधता लानी पड़ सकती है।

अगर अच्छा सौदा संभव नहीं है, तो पीछे हटना पड़ता है-थरूर

थरूर ने आगे कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। अगर अमेरिका अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से अनुचित है, तो हमें कहीं और जाना होगा। यही भारत की ताकत है; हम चीन की तरह पूरी तरह से निर्यात पर निर्भर अर्थव्यवस्था नहीं हैं। हमारे पास एक अच्छा और मजबूत घरेलू बाजार है। हमें अपने वार्ताकारों को सर्वोत्तम संभव सौदा खोजने के लिए पूरा समर्थन देना चाहिए। अगर कोई अच्छा सौदा संभव नहीं है, तो हमें पीछे हटना पड़ सकता है।

मनीष त‍िवारी ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष त‍िवारी ने इस मामले में एक्‍स पर लंबा चौड़ा पोस्‍ट ल‍िखा। मनीष त‍िवारी ने लिखा, डोनाल्ड ट्रंप ने शायद 1947 से चली आ रही भारत की स्‍ट्रैटज‍िक ऑटोनॉमी को अब तक की सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दी है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गुटनिरपेक्षता की नीति लागू की, जिसे आज मल्टी-अलाइनमेंट कहा जाता है। फ‍िर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसे आत्‍मन‍िर्भरता के साथ आगे बढ़ाया और आज भारत आत्‍मनिर्भर कहा जा रहा है। ये वे रणनीतिक सिलसिले हैं जो भारत को दुनिया से अपनी शर्तों पर और अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय हित में जुड़ने की फ्लैक्‍स‍िबिल‍िटी देते हैं। मनीष त‍िवारी ने लिखा, क्या डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकी उस स्‍ट्रैटज‍िक ऑटोनॉमी को कोई फर्क पहुंचाएगी, जिसे हमने दशकों से और अलग-अलग सरकारों के तहत बनाया है? बिल्कुल नहीं. क्या यह भारत-अमेरिका के व्यापक संबंधों के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है? जवाब है शायद!

कांग्रेस के अन्य नेताओं से अलग राग

बता दें कि शशि थरूर और मनीष त‍िवारी पहली बार सरकार के समर्थन में बातें नहीं कर रहे हैं। इससे पहले भी मोदी सरकार की नीत‍ियों की तारीफ करने को लेकर दोनों नेता कई बार कांग्रेस के न‍िशाने पर भी रहे हैं।

भारत की इकॉनमी डेड...डोनाल्ड ट्रंप की भारतीय अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी क्यों खुश हो रहे राहुल गांधी?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को लेकर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। भारत के खिलाफ 25 फीसदी का टैरिफ लगाने के बाद भी उन्हें चैन नहीं आया। भारत पर अचानक टैरिफ बम फोड़ने के बाद ट्रंप ने तंज कसा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, ‘ये दोनों अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाएं साथ लेकर डूबें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।’

डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को डेड कहा। इस पर राजनीतिक घमासान तेज होने लगा है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता ने इस पर रिएक्ट किया है। उन्होंने ट्रंप के कमेंट पर कहा कि हां, वह सही हैं। प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर हर कोई यह जानता है। हर कोई जानता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक मृत अर्थव्यवस्था है।

मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा-राहुल गांधी

संसद परिसद में राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए आगे कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ये फैक्ट कहा है। फिर आप क्यों ये सवाल पूछ रहे। पूरी दुनिया जानती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक डेड इकोनॉमी है। बीजेपी ने इस इकोनॉमी को खत्म किया है। क्यों खत्म किया है ये, अडानी की मदद करने के लिए अर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया है।

राहुल गांधी ने उठाए सवाल

राहुल गांधी ने इसको लेकर आगे कहा, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30-32 बार बोला है कि मैंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर किया है। ट्रंप ने यह भी बोला कि भारत के 5 जहाज गिरे हैं। ट्रंप ने अब बोला है कि मैं 25% टैरिफ लगाऊंगा। इन सब बातों पर पीएम मोदी जवाब क्यों नहीं दे पा रहे हैं। असली वजह क्या है? कंट्रोल किस के हाथ में है।

पीएम मोदी वो ही करेंगे जो ट्रंप कहेंगे-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा, सरकार ने हमारी अर्थव्यवस्था की पॉलिसी, डिफेंस पॉलिसी और विदेश पॉलिसी को नष्ट कर दिया है। पीएम सिर्फ एक ही व्यक्ति के लिए काम करते हैं, अडानी। साथ ही राहुल गांधी ने कहा, आप देखना यह डील होगी, ट्रंप बताएंगे कि यह डील कैसे होगी और पीएम मोदी वो ही करेंगे जो ट्रंप कहेंगे।

गुजरात ATS के हत्थे चढ़ी झारखंड की शमा परवीन, बेंगलुरु से गिरफ्तारी के बाद अलकायदा टेरर मॉड्यूल का खुलासा

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गुजरात एटीएस ने बेंगलुरु अलकायदा से जुड़ी शमा परवीन को गिरफ्तार किया है। शमा परवीन की गिरफ्तारी बेंगलुरु में एक किराए के मकान से की गई है। गिरफ्तारी के बाद जांच में पाया गया कि शमा परवीन का झारखंड से संबंध है। शमा परवीन मूल रूप से कोडरमा जिले के झुमरीतिलैया शहर के हसनाबाद की रहने वाली है। 30 वर्षीय शमा परवीन पिछले कुछ वर्षों से बेंगलुरु में रह रही थी। शमा की गिरफ्तारी के बाद झारखंड से आतंकी संगठन के तार एक बार फिर जुड़ गए हैं।

अपने पिता शमशुल हक की 2019 में मौत के बाद से शमा परवीन का पूरा परिवार बेंगलुरु में रहता है। गुजरात एटीएस शमा के सोशल मीडिया पर नजर बनाई हुई थी और जांच में पता चला कि आतंकी विचारधारा को प्रसारित कर रही थी। उसकी ओर से आतंकी संगठन अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट के लिए काम किया जा रहा था।

गुजरात एटीएस ने जब सोशल मीडिया पर शमा की गतिविधि को देखा। तब टेरर मॉड्यूल के संपर्क में रहने वालों को ट्रैक करना शुरू किया। शुरुआती जांच में यह भी पता चला है कि शमा परवीन की ओर से आतंकी विचारधारा का प्रचार प्रसार किया जा रहा था। इसी की वजह से वो एटीएस की रडार पर आई। जानकारी के मुताबिक बेंगलुरु में अपने छोटे भाई के साथ एक किराए के मकान में रहकर शमा आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रही थी।

शमा परवीन की गिरफ्तारी 22 जुलाई को अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट से जुड़े चार आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद हुई। इनसे पूछताछ में शमा का नाम सामने आया। एटीएस ने दावा किया है कि वह इस मॉड्यूल की मुख्य साजिशकर्ता थी और युवाओं को कट्टरपंथी गतिविधियों की ओर प्रेरित कर रही थी।

शमा के कोडरमा जिले में रहने की जानकारी मिलने के बाद झारखंड एटीएस भी इस मामले में जांच कर रही है और उनके गतिविधि को खंगाल रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि शमा परवीन शुरू से ही धार्मिक प्रवृत्ति की लड़की थी। वह पारंपरिक इस्लामी पहनावे बुर्का आदि को प्राथमिकता देती थी और कम ही बाहर आती-जाती थी। हालांकि, उसकी सोशल मीडिया गतिविधियों को लेकर यहां किसी को ज्यादा जानकारी नहीं थी।

मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपी बरी, 17 साल बाद आया फैसला

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महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के मामले में 17 सालों बाद फैसला आ गया है। इस मामले में एआईए की स्पेशल कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि शक के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। केस की मुख्य आरोपी भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर थीं। अदालत ने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे।

कोर्ट ने जांच में कई खामियां बताईं

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जांच में कई खामियां बताईं। उन्होंने कहा कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। डेढ़ दशक से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

नहीं मिला सबूत

जस्टिस लाहोटी ने कहा कि इस केस की जांच 3-4 एजेंसियां कर रही थीं। बाइक में बम रखने का कोई सबूत नहीं मिला। कर्नल पुरोहित के खिलाफ भी कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इसके अलावा कश्मीर से आरडीएक्स लाने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं। एनआईए कोर्ट के जज ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा है कि बाइक किसने पार्क की।

कब क्या हुआ था?

नासिक के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को रमजान के पवित्र महीने में रात 9:35 मिनट पर मालेगांव की भिक्खू चौक पर शक्तिशाली विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।ब्लास्ट के दो हफ्ते बाद कुल 11 लोगों को अरेस्ट किया गया था। इसमें कर्नल पुरोहित भी शामिल थे। पुरोहित अभिनव भारत नाम का संगठन चलाते थे। एटीएस ने इस मामलेमें जनवरी 2009 में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें कुल 11 लोग आरोपी थी। इसके बाद मार्च, 2011 में यह मामला एनआईए को ट्रांसफर कर दिया गया था। मार्च, 2016 में एनआईए ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें मकोका में चार्ज खत्म कर दिए थे।

पहला मामला जब किसी ब्लास्ट में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया

मालेगांव ब्लास्ट ने पूरे देश की राजनीति में सियासी बवंडर खड़ा कर दिया गया था। यह पहला मामला था जब किसी ब्लास्ट के मामले में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया था। मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई अप्रैल, 2025 में पूरी कर ली गई थी। इसके बाद कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाए जाने का इंतजार हो रहा था। कोर्ट के फैसला सुनाने में इसलिए देरी हुई क्योंकि मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज थे। ऐसे में कोर्ट को फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था।