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पहलगाम हमले पर चिदंबरम ने ऐसा क्या कहा? मच गया बवाल, बीजेपी का पलटवार

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पहलगाम में आतंकवादी हमले के तीन महीने गुजर चुके हैं। भारत ने आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के जरिए मुंहतोड़ जवाब दिया था। ऑपरेशन सिंदूर के वक्त पूरा विपक्ष भारत सरकार और अपनी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। लेकिन सीजफायर के बाद उसी विपक्ष ने सवाल खड़े किए। अमेरिकी राष्ट्रपति के सीजफायर करवाने वाले दावे से लेकर आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों की गिरफ्तारी को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा। अब जब आज से लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हो रही है, कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने ऐसा बयान दिया है, जिससे सियासी बवाल खड़ा हो गया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद हुएऑपरेशन सिंदूर को लेकर केंद्र सरकार से कई सवाल किए हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने सरकार को घेरते पहलगाम हमले के आतंकियों को लेकर सवाल उठा दिए। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आतंकवादी हमलावर कहां हैं? आपने उन्हें अभी तक क्यों नहीं पकड़ा, या उनकी पहचान क्यों नहीं की? क्या पता वे यहीं के आतंकवादी हों? आप यह क्यों मान रहे हैं कि वे पाकिस्तान से आए थे? इसका कोई सबूत नहीं है।

आतंकी पाकिस्तान से आए इसका कोई सबूत नहीं-चिदंबरम

चिदंबरम ने द क्विंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, वे (एनआईए) यह बताने को तैयार नहीं हैं कि इन हफ्तों में उन्होंने क्या किया है। क्या एनआईए ने आतंकवादियों की पहचान की है? या यह पता लगाया है कि वे कहां से आए थे? क्या पता, वे देश के ही आतंकवादी हों। आप यह क्यों मान रहे हैं कि वे पाकिस्तान से आए थे? इसका कोई सबूत नहीं है। 

सरकार पर सवालों की बौछार

इंटरव्यू में कांग्रेस नेता ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा, बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है। देश को विश्वास में नहीं लिया गया। ऑपरेशन सिंदूर को कई सप्ताह हो गए हैं, जिसे, जैसा कि प्रधान मंत्री ने कहा, केवल रोका गया है और समाप्त नहीं किया गया है। यदि हां, तो उसके बाद क्या कदम उठाए गए हैं? क्या मोदी सरकार ने पहलगाम जैसा दूसरा हमला रोकने के लिए कोई कदम उठाया है? दूसरा, आतंकवादी हमलावर कहां हैं? आपने उन्हें क्यों नहीं पकड़ा, या उनकी पहचान भी क्यों नहीं की? हमलावरों को शरण देने वाले कुछ लोगों की गिरफ्तारी की खबर सामने आई थी। उनका क्या हुआ? बहुत सारे सवाल हैं। सरकार उन्हें क्यों टाल रही है? प्रधानमंत्री क्यों नहीं बोल रहे हैं?

सरकार पूरी बात क्यों नहीं बता रही-चिदंबरम

कांग्रेस नेता सवाल किया कि हमें अलग-अलग अधिकारियों से थोड़ी-थोड़ी जानकारी मिल रही है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) सिंगापुर जाते हैं और वहां कुछ जानकारी देते हैं। डिप्टी आर्मी चीफ मुंबई में बयान देते हैं। इंडोनेशिया में नेवी के एक जूनियर अफसर बयान देते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री इस बारे में पूरी बात क्यों नहीं बताते?

बीजेपी ने किया प्रहार*

चिदंबरम के बयान पर बीजेपी ने कड़ा ऐतराज जताया और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति कांग्रेस की ‘गैर-जिम्मेदाराना’ रवैये का सबूत बताया। बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, पी. चिदंबरम, यूपीए-काल के पूर्व गृह मंत्री और कुख्यात ‘भगवा आतंक’ सिद्धांत के प्रणेता, ने एक बार फिर खुद को शर्मसार किया है। कांग्रेस एक बार फिर पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की जल्दबाजी में है। जब भी हमारी सेनाएं पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सामना करती हैं, कांग्रेस नेता भारत के विपक्ष से ज्यादा इस्लामाबाद के बचाव पक्ष के वकील नजर आते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए, लेकिन कांग्रेस हमेशा दुश्मन की रक्षा के लिए पीछे की ओर झुकती है।

ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से पहले विपक्ष का हंगामा, लोकसभा स्थगित

#parliamentmonsoonsessionday6

संसद के मॉनसून सत्र में आज ऑपरेशन सिंदूर पर हंगामा जारी है। मॉनसून सत्र का पहला हफ्ता भी हंगामे की भेंट चढ़ गया, लेकिन आज लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी है। हालांकि, आज भी ऑपरेशन सिंदूर पर हंगामा जारी है। आज सदन शुरू होते ही हंगामे के देखते हुए स्पीकर ओम बिरला नाराज हो गए हैं। उन्होंने 1 बजे तक कार्यवाही स्थगित कर दी है।

ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा होने से पहले विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा काटा। इस वजह से कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे जब फिर से शुरू हुई तो विपक्षी सांसद वेल में आकर प्रदर्शन कर रहे थे। स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें सीट पर बैठने को कहा, लेकिन सांसद नहीं मानें तो कार्यवाही 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष SIR के खिलाफ लगातार प्रदर्शन करता रहा और चर्चा की मांग कर रहा है।

विपक्षी सांसदों पर भड़के लोकसभा स्पीकर

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि विपक्षी सदस्य जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने विपक्ष के नेता (राहुल गांधी) से अनुरोध किया कि वे अपनी पार्टी के सदस्यों से पोस्टर नहीं दिखाने को कहें। इस तरह के विरोध प्रदर्शन सदन की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। सदस्यों को प्रश्नकाल में बोलने नहीं दिया जा रहा है और देश की जनता सब देख रही है, और सदन की कार्यवाही जानबूझकर बाधित की जा रही है।

विपक्ष चर्चा से भाग रहा- किरण रिजिजू

लोकसभा में विपक्ष के हंगामे पर संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि विपक्ष के लोग ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से भाग रहे हैं। ये धोखा है, वो धोखा दे रहे हैं। कांग्रेस और विपक्ष अपने कमिटमेंट से भाग रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर पर रक्षा मंत्री प्रस्ताव रखेंगे। विपक्ष पाकिस्तान की भाषा ना बोले। हम सब चर्चा के लिए तैयार थे। चर्चा शुरू होने से 10 मिनट पहले विपक्ष अपना एजेंडा लेकर आया कि सरकार एक निश्चित समय सीमा तय करे कि इसके बाद एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा होगी। चर्चा से ठीक 10 मिनट पहले ऐसी शर्त लाना ठीक नहीं है।

जब रावण ने लक्ष्मण रेखा पार की तो लंका जल गई’, ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से पहले किरेन रिजिजू की पोस्ट

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संसद में आज ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ी चर्चा शुरू होने जा रही है। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किए गए इस सैन्य अभियान पर लोकसभा में दोपहर 12 बजे से चर्चा शुरू होगी, जिसकी शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर कुल 16 घंटे की चर्चा होगी और मंगलवार 29 जुलाई को राज्यसभा में भी इस पर बहस शुरू होगी। ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बहस से ठीक पहले संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने बड़ी बात कही है। 

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया पोस्ट कर कहा, ‘जब रावण ने लक्ष्मण रेखा पार की, तो लंका जल गई। जब पाकिस्तान ने भारत द्वारा खींची गई लाल रेखा पार की, तो पाकिस्तान को आग का सामना करना पड़ा।

लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, यह भारत के लोगों की इच्छा थी। प्रधानमंत्री ने भारतीय सेना के माध्यम से ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने का फैसला किया। आज, लोकसभा में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होगी। 

कांग्रेस पाकिस्तान की भाषा न बोलें- रिजिजू

रिजिजू ने कहा, मैं विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस से अनुरोध करता हूं कि वे भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने वाला कुछ भी न करें और पाकिस्तान की भाषा न बोलें। हमें सावधान रहना होगा... हमें भारतीय सशस्त्र बलों की गरिमा बनाए रखनी होगी। कांग्रेस और विपक्ष को ऐसा कुछ भी नहीं बोलना चाहिए जिससे राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचे... वे भारत के खिलाफ जो कुछ भी बोलते हैं, उसका इस्तेमाल पाकिस्तानियों और भारत के बाहरी दुश्मनों द्वारा किया जाता है।

ऑपरेशन सिंदूर पर बहस से पहले अखिलेश यादव का सवाल

वहीं, लोकसभा में आज ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी पर होने वाली बहस को लेकर अखिलेश यादव ने कहा, ‘सबसे पहले तो यह स्वीकार करना होगा कि ये दो अलग-अलग मुद्दे हैं। सबसे पहले, हम ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सशस्त्र बलों की बहादुरी और पराक्रम के लिए उन्हें बधाई देते हैं। अगर उन्हें मौका मिलता, तो वे पीओके पर भी कब्ज़ा कर लेते। पहलगाम हमले से पहले एक और घटना हुई थी जिसके बारे में जनता को अभी तक जानकारी नहीं दी गई है। सवाल यह है कि भाजपा सरकार में बार-बार आतंकवादी घटनाएं क्यों हो रही हैं? पहलगाम के आतंकवादी कहां गए? सरकार को जवाब देना चाहिए कि ये आतंकवादी कहां गए?

लोकसभा में आज ऑपरेशन सिंदूर पर होगी बहस, सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस तैयार

#parliamentmonsoonsessionday6

आज संसद के मानसून सत्र का छठा दिन है। हंगामे के कारण संसद में गतिरोध बना हुआ था। पहले हफ्ते में पांच दिनों की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ चुकी है। लोकसभा और राज्यसभा में आज भी विपक्ष का हंगामा जारी रहने की आशंका है। लोकसभा में आज पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होगी। दोपहर 12 बजे से इस चर्चा की शुरुआत होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम पर चर्चा की शुरुआत करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर इन मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखेंगे। वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव तथा अन्य नेताओं के साथ मिलकर सरकार को घेरेंगे।

लोकसभा और राज्यसभा में 16-16 घंटे की बहस

दोनों पक्षों ने प्रत्येक सदन में 16 घंटे की बहस पर सहमति व्यक्त की है, जो सामान्यत: तय समय से अधिक होती है। लोकसभा की सूचीबद्ध कार्यसूची के मुताबिक सदन में ‘पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के सशक्त, सफल और निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा’ होगी। अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी और निशिकांत दुबे जैसे नेताओं के अलावा, सत्तारूढ़ राजग द्वारा उन सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों को भी मैदान में उतारे जाने की उम्मीद है, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत का पक्ष रखने के लिए 30 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं। इनमें शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जनता दल (यूनाइटेड) के संजय झा और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के हरीश बालयोगी शामिल हैं।

कांग्रेस को मिला 3 घंटे का समय

ऑपरेशन सिंदूर पर कुल 16 घंटे की बहस में कांग्रेस को लगभग 3 घंटे का समय आवंटित किया गया है। पार्टी की तरफ से लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपनी बात रखेंगे। इसके अलावा गौरव गोगोई, प्रणिति शिंदे और प्रियंका गांधी भी अन्य संभावित वक्ताओं में शामिल हैं।

कांग्रेस ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया

आज सदन की कार्यवाही के दौरान खूब हंगामा देखने को मिल सकता है। पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के मद्देनजर कांग्रेस ने अपने लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी कर सोमवार से तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने को कहा है।

हंगामेदार रहा पहला हफ्ता

संसद के मानसून सत्र का पहला हफ्ता बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष के विरोध के कारण लगभग ठप रहा था। इसके बाद 25 जुलाई को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि विपक्ष ने सोमवार (आज) को लोकसभा और मंगलवार को राज्यसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की सहमति दी है। दोनों पक्षों ने दोनों सदन में 16 घंटे की लंबी बहस पर सहमति जताई है>

NCERT ला रहा सैन्य-अंतरिक्ष गौरवगाथा के नए अध्याय

स्कूली पाठ्यक्रम में सैन्य शक्ति, अंतरिक्ष मिशन और पर्यावरण पर जोर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से लेकर चंद्रयान तक शामिल होंगे नए मॉड्यूल

नई दिल्ली | देश के स्कूली छात्रों को अब भारत की सैन्य शक्ति, अंतरिक्ष में उपलब्धियों और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के बारे में गहराई से जानकारी दी जाएगी। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) जल्द ही अपने पाठ्यक्रम में ‘ऑपरेशन सिंदूर’, ‘मिशन लाइफ’, चंद्रयान, आदित्य एल-1, और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन मिशन जैसे अहम विषयों को शामिल करने जा रही है।

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह नया पाठ्यक्रम दो भागों में तैयार किया जा रहा है — कक्षा 3 से 8 और कक्षा 9 से 12 के लिए। प्रत्येक मॉड्यूल 8-10 पृष्ठों का होगा और छात्रों को देश की सैन्य, कूटनीतिक, वैज्ञानिक और पर्यावरणीय उपलब्धियों से परिचित कराएगा।

'ऑपरेशन सिंदूर': सामरिक शक्ति की केस स्टडी

इन मॉड्यूलों में खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा अंजाम दिए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' को एक प्रमुख केस स्टडी के रूप में शामिल किया जाएगा। हालांकि, सुरक्षा कारणों से इससे जुड़ी संवेदनशील जानकारी गोपनीय रखी जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसका उद्देश्य छात्रों को यह समझाना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सरकार, रक्षा बलों और मंत्रालयों के बीच कैसे तालमेल होता है।

अंतरिक्ष में भारत की उड़ान

पाठ्यक्रम में भारत के वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनने की यात्रा को भी दिखाया जाएगा। इसमें चंद्रयान, आदित्य एल1 और हाल ही में भारतीय वायुसेना के पायलट शुभांशु शुक्ला की Axiom Mission-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचने की ऐतिहासिक घटना शामिल होगी।

पर्यावरण संरक्षण: मिशन लाइफ

मॉड्यूल में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की पहल ‘मिशन लाइफ’ को भी शामिल किया जाएगा, जो छात्रों को जलवायु संकट से लड़ने, सतत जीवन शैली अपनाने और प्रकृति के प्रति जिम्मेदार दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रेरित करेगा।

विभाजन का इतिहास भी पाठ्यक्रम में

भारत-पाकिस्तान विभाजन की भयावहता और स्वतंत्रता के बाद देश ने कैसे चुनौतियों का सामना किया — यह भी छात्रों को बताया जाएगा। इसका उद्देश्य इतिहास को केवल तथ्यों के रूप में नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक दृष्टिकोण से समझाना है।

* राज्यों और धार्मिक संस्थानों से मिला समर्थन

हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने इसे "बहुत अच्छा प्रयास" बताया। वहीं उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ़्ती शमून क़ासमी ने भी स्वागत करते हुए कहा कि "ऑपरेशन सिंदूर जैसे विषयों को धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए," और इसे मदरसों के पाठ्यक्रम में भी लाने की बात कही। फिलहाल शिक्षा मंत्रालय ने इन मॉड्यूलों की लॉन्च तिथि तय नहीं की है, लेकिन उम्मीद है कि तैयार होते ही इन्हें स्कूलों में लागू कर दिया जाएगा।

संसद रत्न पुरस्कार से नवाजे गए रवि किशन समेत 17 सांसद, लोकसभा में बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों को सम्मान

#honoredforbetterworkinloksabha17mps

लोकसभा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 17 सांसदों को रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन सांसदों में एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले, बीजेपी नेता रवि किशन, निशिकांत दुबे और शिवसेना (यूबीटी) नेता अरविंद सावंत आदिर शामिल हैं। इन सांसदों ने लोकसभा में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इसके अलावा चार सांसदों को विशेष जूरी पुरस्कार दिया।

तीन कार्यकालों में संसदीय लोकतंत्र में निरंतर योगदान देने वाले चार सांसदों को चार विशेष जूरी पुरस्कार दिए गए। इसमें ओडिशा से भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, केरल के सांसद एनके प्रेमचंद्रन, एनसीपी शरद की सांसद सुप्रिया सुले, शिवसेना सांसद श्रीरंग अप्पा बार्ने शामिल हैं।

इसके अलावा अन्य पुरस्कार विजेता सांसदों में संसद रत्न पुरस्कार पाने वाले सांसदों में स्मिता उदय वाघ (भाजपा), नरेश म्हस्के (शिवसेना), वर्षा गायकवाड़ (कांग्रेस), मेधा कुलकर्णी (भाजपा), प्रवीण पटेल (भाजपा), विद्युत बरन महतो (भाजपा) और दिलीप सैकिया (भाजपा) शामिल हैं।

दो स्थायी समितियों को भी किया गया सम्मानित

इस पुरस्कार के अलावा संसद की प्रभावशाली स्थायी समितियों को भी सम्मानित किया गया। जिसमें भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी स्थायी समिति और डॉ. चरणजीत सिंह चन्नी (कांग्रेस) की अध्यक्षता वाली कृषि संबंधी स्थायी समिति शामिल है। इन समितियों को उनकी रिपोर्टों की गुणवत्ता और विधायी निगरानी में योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

किन्हें मिलता है संसद रत्न पुरस्कार?

संसद रत्न पुरस्कार की शुरुआत 2010 में हुई थी और यह पुरस्कार उन सांसदों को दिए जाते हैं जो पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती देने के लिए संसद में सक्रिय रहते हैं। इसका उद्देश्य सांसदों को प्रोत्साहित करना और जनता के बीच संसदीय कार्यवाही को लोकप्रिय बनाना है। ये पुरस्कार संसद में सक्रियता, बहस में भागीदारी, प्रश्न पूछने और विधायी कामकाज में योगदान के आधार पर दिए जाते हैं। यह पुरस्कार प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन की तरफ से शुरू किया गया है।

'राहुल गांधी साबित होंगे दूसरे आंबेडकर', उदित राज के दावे ने बढ़ाई सियासी हलचल

#congressuditrajcomparesrahulgandhibabasaheb_ambedkar 

राहुल गांधी ने एक बार फिर जाति जनगणना का जिक्र कर देश का सियासी पारा हाई कर दिया है। कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज के एक बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की तुलना संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर से कर दी है। उदित राज ने कहा है कि राहुल गांदी देश के दूसरे अंबेडकर साबित होंगे।

दरअसल तेलंगाना में जाति जनगणना को समाज का एक्स-रे बताते हुए, राहुल गांधी इसे पूरे देश में लागू करना चाहते हैं। तेलंगाना में राज्य सरकार एससी और एसटी समुदायों के निवेशकों को कॉर्पोरेट क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चला रही है। तेलंगाना की इसी पहल को लेकर कांग्रेस नेता उदित राज का एक बयान सामने आया हैं। उदित राज ने कहा कि जिस तरह तेलंगाना सरकार एससी और एसटी समुदायों के लिए योजना चला रही है। 

राहुल गांधी की सोच में गहरी दूरदर्शिता-उदित राज

दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए उदित राज ने कहा, जो तेलंगाना में डेटा इकट्ठा हुआ है, जो समाज का एक्स-रे वहाँ हुआ है, वही राहुल गांधी पूरे देश में करना चाहते हैं। राहुल गांधी की सोच में गहरी दूरदर्शिता है। अगर पिछड़ों और दलितों को ऊपर लाया गया तो देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। उदित राज ने यह भी कहा कि जो लोग राहुल गांधी की सोच को समझेंगे, खासकर ओबीसी वर्ग, वे उन्हें भविष्य में सामाजिक क्रांति का नेतृत्व करने वाला मानेंगे। अगर ओबीसी वर्ग राहुल गांधी की बात को समझे और उनके रास्ते पर चल पड़ा, तो वे उनके लिए दूसरे आंबेडकर साबित हो सकते हैं।

जो अब तक नहीं किया, अब करूंगा

राहुल गांधी ने तालकटोरा स्टेडियम में भाषण देते हुए कहा कि मैं 2004 से राजनीति कर रहा हूं। अपने इस करियर में मैंने बहुत से काम अच्छे किए लेकिन कुछ कमी भी रह गई। उन्होंने कहा कि मेरी सबसे बड़ी कमी है कि मैंने ओबीसी वर्ग के लिए कुछ नहीं किया। वह मेरी गलती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा जो मैं ओबेसी के लिए मैं अब तक नहीं कर पाया उसे अब करूंगा। उन्होंने अपना वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि देश की उत्पादक शक्ति को सम्मान और हिस्सेदारी दिलाकर रहूंगा। जो काम ओबीसी वर्ग के लिए अब तक नहीं कर पाया, उसे दोगुनी स्पीड से करूंगा।

देश में होगा मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण, बिहार में जारी विरोध के बावजूद चुनाव आयोग का बड़ा ऐलान

#sirbeginacrosscountryfrom_august 

चुनाव आयोग द्वारा बिहार में किए जा रहे मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण का विपक्ष द्वारा संसद से लेकर सड़क तक विरोध किया जा रहा है। इस भारी विरोध के बीच चुनाव आयोग ने बड़ी घोषणा की है। भारत निर्वाचन आयोग ने अब देश भर में मतदाता सूची की व्यापक जांच और सत्यापन के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि देशभर में मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का काम अब शुरू करने का फैसला किया गया है और जल्द ही इसके लिए शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।

अगस्त 2025 से पूरे देश में होगा एसआईआर

चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि अगस्त 2025 से पूरे देश में मतदाता सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य अवैध मतदाताओं, विशेष रूप से बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों से आए संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान करना और उनकी फर्जी वोटर आईडी को हटाना है। इसके लिए मतदाताओं को अपनी नागरिकता, पहचान और निवास स्थान साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे।

क्यों उठाया यह कदम?

चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। मतदाता सूची में गड़बड़ियों को रोकने और फर्जी मतदान को खत्म करने के लिए यह सत्यापन जरूरी है। आयोग ने बायोमेट्रिक सत्यापन और आधार से लिंकेज जैसे उपायों को भी बढ़ावा दिया है, जिससे मतदाता पहचान की प्रामाणिकता बढ़ाई जा सके। चुनाव आयोग ने बीती 24 जून को ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया था और कहा था कि संवैधानिक कर्तव्य के तहत और मतदाता सूची की अखंडता और सुरक्षा के लिए यह मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का काम किया जाएगा। 

एसआईआर पर बिहार विधानसभा और संसद में हंगामा

पिछले महीने 24 जून को निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का निर्देश दिया था। यह 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच होना है। बिहार में जून 2024 से शुरू हुए विशेष गहन पुनरीक्षण में अब तक 88% मतदाताओं का सत्यापन पूरा हो चुका है, और लगभग 5% अवैध प्रविष्टियां हटाई गई हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर विवाद भी सामने आए हैं। विपक्ष द्वारा मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण करने का भारी विरोध किया जा रहा है। बिहार विधानसभा और संसद में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ।

56 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने का दावा

दावा किया जा रहा है कि पुनरीक्षण में बिहार में कम से कम 56 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते हैं। इसमें 20 लाख मतदाताओं का निधन हो चुका है। 28 लाख ऐसे मतदाताओं की पहचान की गई जो अपने पंजीकृत पते से स्थाई रूप से पलायन कर गए हैं। वहीं, एक लाख मतदाता ऐसे हैं जिनका कुछ पता नहीं है। 7 लाख मतदाता एक से अधिक स्थान पर पंजीकृत पाए गए हैं।

पूरी दुनिया पर चला मोदी मैजिक: फिर बने सबसे लोकप्रिय नेता, जानें ट्रंप को मिला कौन सा स्थान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल भारत में ही दुनियाभर के देशों में सबसे पसंदीदा नेता हैं। दुनियाभर में उनकी लोकप्रियता सिर चढ़कर बोल रही है। इस बीच एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता चुना गया है। पीएम मोदी न सिर्फ सबसे लोकप्रिय नेता चुने गए हैं बल्कि उन्होंने अच्छे खासे अंतर से दूसरे नेताओं को पीछे छोड़ा है। इस सूची में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर इटली की जॉर्जिया मेलोनी तक शामिल हैं।

75% अप्रूवल रेटिंग के साथ मोदी पहले स्थान पर

अमेरिका की बिजनेस इंटेलिजेंस कंपनी मॉर्निंग कंसल्ट के एक सर्वे के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के नेताओं में 75% अप्रूवल रेटिंग के साथ सबसे लोकप्रिय लोकतांत्रिक नेता हैं। वहीं 18 प्रतिशत ने इसके विपरीत मत दिया। 7 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्होंने कोई मत नहीं दिया। यह डेटा 4 से 10 जुलाई 2025 के बीच सर्वे करके इकट्ठा किया गया। साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग 59% के साथ दूसरे स्थान पर हैं। ये दिखाता है कि पीएम मोदी न सिर्फ सबसे लोकप्रिय नेता चुने गए हैं बल्कि उन्होंने अच्छे खासे अंतर से दूसरे नेताओं को पीछे छोड़ा है।

ट्रंप 45% से कम अप्रूवल के साथ आठवें स्थान पर

इस सर्वे में तीसरे स्थान पर अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई हैं, जिनकी अप्रूवल रेटिंग 57 प्रतिशत है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी चौथे स्थान पर हैं, जिन्हें 56 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला है। इसी तरह पांचवें स्थान पर ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी एल्बानीस, छठे स्थान पर मेक्सिको की नेता क्लाउडिया शिनबाम का नाम है। चौंकाने वाली बात ये है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस सूची में आठवें स्थान पर हैं और सिर्फ 44 प्रतिशत लोगों ने ही उन्हें स्वीकार्य नेता माना है जबकि 50 प्रतिशत ने इसके खिलाफ मत दिया।

सितंबर 2021 से लगातार पहले स्थान पर बने हुए हैं मोदी

मॉर्निंग कंसल्ट के ग्लोबल लीडर अप्रूवल ट्रैकर में प्रधानमंत्री मोदी सितंबर 2021 से लगातार पहले स्थान पर बने हुए हैं। उस समय उनकी रेटिंग 70% थी। 2022 की शुरुआत में यह बढ़कर 71% हो गई थी और उन्होंने 13 वैश्विक नेताओं की सूची में पहला स्थान पाया था। 2023 के दौरान उन्होंने यह बढ़त बरकरार रखी. अप्रैल, सितंबर और दिसंबर में उनकी अप्रूवल रेटिंग 76% तक पहुंच गई। फरवरी 2024 में यह बढ़कर 78% हो गई थी, जो अब तक की सबसे ऊंची रेटिंग रही है। यह सर्वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक स्तर पर लगातार बढ़ती लोकप्रियता और भरोसे को दर्शाता है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी भी इस सूची में शीर्ष दस में हैं और उन्हें 10वां स्थान दिया गया है।

कांग्रेस शासनकाल में जाति जनगणना न कराना मेरी गलती…राहुल गांधी ने जताया अफसोस

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कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जाति जनगणना को लेकर अहम बयान दिया है। राहुल गांधी ने माना कि अपनी पार्टी के शासनकाल में जाति जनगणना न कराना बड़ी गलती थी। इसके लिए उन्होंने खुद को दोषी ठहराया है।

लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मैं 2004 से राजनीति में हूं और मुझे 21 साल हो गए। जब मैं पीछे देखता हूं और अपना आत्म विश्लेषण करता हूं, मैंने कहां-कहां सही काम किया और कहां कमी रही तो 2-3 बड़े मुद्दे मुझे दिखाई देते हैं। पीछे देखने पर मुझे एक बात बिल्कुल साफ दिखती है कि एक विषय पर मेरी कमी रही। कांग्रेस पार्टी और मैंने एक गलती की। OBC वर्ग का संरक्षण हमें जिस प्रकार से करना चाहिए था, हमने नहीं किया। इसका कारण था, उनके जो मुद्दे थे उस समय मुझे उसकी गहराई से समझ नहीं थी।

इन मुद्दों पर बताया अच्छे नबंर का हकदार

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस शुक्रवार को ओबीसी नेतृत्व भागीदारी न्याय सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा मैंने जमीन अधिग्रहण कानून बनाया, मनरेगा लेकर आया और नियमगिरी की लड़ाई लड़ी। ये काम मैंने ठीक किए...चाहे वह आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों की बात हो तो मुझे अच्छे नंबर मिलने चाहिए, महिलाओं के मुद्दे पर सही नंबर मिले चाहिए।

ओबीसी के मुद्दे आसानी से नहीं दिखते-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने आगे कहा कि अगर मैं अपनी कमी की बात करता हूं तो मैंने एक गलती की है, जो ओबीसी वर्ग है उसकी जिस तरह से मुझे रक्षा करनी चाहिए थी, वह मैंने नहीं की। इसका कारण था, आपके जो मुद्दे थे उस समय, मुझे गहराई से समझ नहीं आए। 10-15 साल पहले जो दिक्कतें दलितों के सामने थी वह मुझे समझ आ गई। आदिवासियों के मुद्दे भी आसानी से समझ आ जाते हैं, लेकिन ओबीसी के मुद्दे आसानी से नहीं दिखते हैं, वह छुपे रहते हैं। अगर मुझे आपकी दिक्कतों के बारे में थोड़ा सा भी पता होता तो मैं उसी समय जाति जनगणना करवा देता। राहु गांधी ने आगे कहा कि मैं उस गलती को सुधारना चाहता हूं।

देश की 90 फीसदी आबादी ही प्रोडक्टिव फोर्स है-राहुल गांधी

'भागीदारी न्याय सम्मेलन' में राहुल गांधी ने कहा कि देश में दलित, पिछड़ा, आदिवासी, अल्पसंख्यक वर्ग की आबादी कुल मिलाकर करीब 90 फीसदी हैं। लेकिन जब बजट बनने के बाद हलवा बांटा जा रहा था, तो वहां 90 फीसदी की आबादी का कोई नहीं था। देश की 90 फीसदी आबादी ही प्रोडक्टिव फोर्स है। हलवा बनाने वाले लोग आप हैं, लेकिन हलवा वो खा रहे हैं। हम ये नहीं कह रहे कि वो हलवा न खाएं, लेकिन कम से कम आपको भी तो मिले।