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अब थरूर ने आपातकाल पर उठाया सवाल, बोले- जबरन कराई गईं नसबंदियां, असहमति को बेरहमी से दबाया

#shashitharoorattacked_emergency

पिछले कुछ समय से कांग्रेस सांसद शशि थरूर अपनी ही पार्टी पर हमलावर हैं। अब थरूर ने 1975 में लगी इमरजेंसी पर सवाल उठाए हैं। थरूर ने इमरजेंसी पर एक आर्टिकल लिखा है और इसमें आपातकाल की जमकर आलोचना की है। उन्होंने आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेरा है। थरूर ने कहा कि आपातकाल के नाम पर आजादी छीनी गई।उन्होंने आपातकाल में इंदिरा गांधी और संजय गांधी के कामों को लेकर सवाल उठाए।

मलयालम भाषा के अखबार 'दीपिका' में गुरुवार को प्रकाशित अपने लेख में शशि थरूर ने आपातकाल को सिर्फ भारतीय इतिहास के 'काले अध्याय' के रूप में याद नहीं करके, इससे सबक लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए उठाए गए कदम कई बार ऐसी क्रूरता में बदल जाते हैं, जिन्हें किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने अपनी सांस रोक ली-थरूर

अपने लेख में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 25 जून 1975 और 21 मार्च 1977 के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले युग को याद किया। थरूर ने कहा, 25 जून, 1975 को भारत एक नई रियालिटी के साथ जागा। हवाएं सामान्य सरकारी घोषणाओं से नहीं, बल्कि एक भयावह आदेश से गूंज रही थीं। इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई थी। 21 महीनों तक, मौलिक अधिकारों को सस्पेंड कर दिया गया, प्रेस पर लगाम लगा दी गई और राजनीतिक असहमति को बेरहमी से दबा दिया गया। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने अपनी सांस रोक ली। 50 साल बाद भी, वो काल भारतीयों की याद में “आपातकाल” के रूप में जिंदा है।

संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया-थरूर

आर्टिकल में आगे कहा गया, अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास क्रूरता में बदल दिए गए। जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता। थरूर ने कहा कि इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया। यह आपातकाल का गलत उदाहरण बना। ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और जबरदस्ती की गई। नई दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त कर दिया गया और उन्हें साफ कर दिया गया। हजारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया।

इंदिरा गांधी को लेकर क्या बोले थरूर

थरूर ने आगे लिखा, पीएम इंदिरा गांधी को लगा था कि सिर्फ आपातकाल की स्थिति ही आंतरिक अव्यवस्था और बाहरी खतरों से निपट सकती है। अराजक देश में अनुशासन ला सकती है। जब इमरजेंसी का ऐलान हुआ, तब मैं भारत में था, हालांकि मैं जल्द ही ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए अमेरिका चला गया और बाकी की सारी चीजें वहीं दूर से देखी। जब इमरजेंसी लगी तो मैं काफी बैचेन हो गया था। भारत के वो लोग जो ज़ोरदार बहस और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के आदी थे, एक भयावह सन्नाटे में बदल गया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जोर देकर कहा कि ये कठोर कदम जरूरी थे।

न्यायपालिका भारी दबाव में झुक गई-थरूर

थरूर ने कहा, न्यायपालिका इस कदम का समर्थन करने के लिए भारी दबाव में झुक गई, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण और नागरिकों के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के निलंबन को भी बरकरार रखा। पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा। व्यापक संवैधानिक उल्लंघनों ने मानवाधिकारों के हनन की एक भयावह तस्वीर को जन्म दिया। शशि थरूर ने आगे कहा, उस समय जिन लोगों ने शासन के खिलाफ आवाज उठाने का साहस किया उन सभी को हिरासत में लिया गया। उनको यातनाएं झेलनी पड़ी।

लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेने की सलाह

थरूर ने अपने आर्टिकल में लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेने की बात पर जोर दिया। उन्होंने इसे एक 'बहुमूल्य विरासत' बताया, जिसे लगातार संरक्षित करना आवश्यक है। उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रित करने, असहमति को दबाने और संविधान को दरकिनार करने का असंतोष कई रूपों में फिर सामने आ सकता है।

थरूर ने कहा कि अक्सर ऐसे कार्यों को देशहित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जाता है। इस अर्थ में, इमरजेंसी एक चेतावनी के रूप में खड़ी है। उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि लोकतंत्र के संरक्षकों को हमेशा सतर्क रहना होगा, ताकि ऐसी स्थितियां दोबारा पैदा न हों। थरूर का यह लेख इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने से पहले आया है।

ऑपरेशन सिंदूर' क्यों रखा गया मिशन का नाम? अमेरिका में शशि थरूर ने दिया ये जवाब

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कांग्रेस नेता शशि थरूर अमेरिका में हैं। थरूर भारत की तरफ से दुनियाभर में भेजे गए डेलीगेशन का हिस्सा हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल का मकसद आतंकवाद पर भारत का रुख दुनिया के सामने रखना है। कांग्रेस नेता ने यूएस स्थित नेशनल प्रेस क्लब में एक बातचीत के दौरान बताया कि आखिर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम क्यों दिया। थरूर ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' का नाम बहुत सोच-समझकर रखा गया है। उन्होंने सिंदूर के महत्व को बताते हुए कहा कि यह रंग खून से अलग नहीं है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम क्यों चुना?

बुधवार को अमेरिका में नेशनल प्रेस क्लब में एक संवाद सत्र के दौरान यह पूछे जाने पर कि भारत ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम क्यों चुना। कांग्रेस सांसद ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर, वास्तव में, मुझे लगा कि यह एक शानदार नाम है। सिंदूर, अगर कुछ अमेरिकी इसके बारे में नहीं जानते हैं, तो यह सिंदूर हिंदू परंपरा में विवाहित महिलाओं अपनी मांग में लगाती है। यह व्यापक रूप से प्रचलित है। कुछ गैर-हिंदू भी इसे करते हैं। सिंदूर विवाह समारोह के समय लगाया जाता है और उसके बाद हर दिन विवाहित महिलाएं इसे लगाती हैं। इसलिए, हम इन क्रूर आतंकवादियों के बारे में बहुत सचेत थे, जिन्होंने पति को उनकी पत्नियों और बच्चों के सामने गोली मार दी। आतंकियों ने महिलाओं को छोड़ दिया और जब एक पत्नी चिल्लाई, ‘मुझे भी मार दो’, तो उसे कहा गया, नहीं, ‘तुम वापस जाओ और उन्हें बताओ कि हमने क्या किया है।’ इसी कारण से महिलाएं इस जघन्य, वीभत्स कृत्य से बच गईं।

सिंदूर का रंग खून के रंग से बहुत अलग नहीं-थरूर

थरूर ने आगे कहा कि उस सिंदूर को वास्तव में 26 भारतीय महिलाओं के माथे से मिटा दिया गया था, मैं हिंदू महिलाएं कहने वाला था, लेकिन उनमें से एक वास्तव में ईसाई थी, लेकिन बाकी सभी के माथे का सिंदूर इन आतंकवादी घटना में मिटा दिया गया। इसलिए हम सबसे पहले सिंदूर मिटाने की उस घटना का बदला लेना चाहते थे। लेकिन, दूसरी बात, यह कोई संयोग नहीं है कि सिंदूर का रंग लाल है, जो खून के रंग से बहुत अलग नहीं है, और कई मायनों में एक हिंदी मुहावरा है कि ‘खून का बदला खून’; यहां यह ‘सिंदूर का बदला खून’ होगा, यानी सिंदूर के साथ जो कुछ भी किया गया है, उसके जवाब में खून।

कोलंबिया को उसके ही देश में पहुंचकर शशि थरूर ने सुनाया, जानें क्या है नाराजगी की वजह

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भारत दुनियाभर के देशों में घूम-घूमकर पाकिस्तान को बेनकाब कर रहे हैं। इस अभियान के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाला सर्वदलीय डेलिगेशन कोलंबिया पहुंचा। शशि थरूर ने कोलंबिया की धरती से ही उसकी सरकरा को ही आड़े हाथों लिया। कांग्रेस सांसद ने पाकिस्तान को लेकर कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया पर निराशा जाहिर की है। बता दें कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान में मारे गए लोगों के लिए कोलंबिया ने संवेदना जाहिर की थी।

कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया से निराश-थरूर

कोलंबिया पहुंचे भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे शशि थरूर ने कहा कि आतंकवादियों को मारने वालों और खुद की रक्षा करने वालों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, हम कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया से थोड़े निराश हैं, जिसने आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाने के बजाय भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान में जान गंवाने वालों पर संवेदना व्यक्त की।

कोलंबिया ने कई आतंकवादी हमले झेला- थरूर

थरूर ने कहा कि नई दिल्ली के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के पीछे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हाथ था। हमले में आतंकियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा, हम केवल आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। हम परिस्थितियों के बारे में कोलंबिया से विस्तार से बात करके बहुत खुश हैं। जिस तरह कोलंबिया ने कई आतंकी हमलों को झेला है, उसी तरह भारत में भी हमने झेला है। हमने लगभग चार दशकों में बहुत बड़ी संख्या में हमलों को झेला है।

भारत-पाक के बीच बढ़ा तनाव

पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। आतंकियों ने 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। भारत ने 6-7 मई की दरम्यानी रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकी ढांचों पर सटीक हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान ने कायराना हरकत कर भारत को उकसाने की कोशिश की। भारतीय सशस्त्र बलों ने भी पाकिस्तानी कार्रवाइयों का कड़ा जवाब दिया। 10 मई को दोनों पक्षों के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों के बीच वार्ता के बाद सैन्य कार्रवाइयों को रोकने का फैसला किया।

अमेरिकी धरती से शशि थरूर ने आतंकवाद पर दुनिया को दिया संदेश, बोले-भारत बुरी ताकतों के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा

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भारत ने पाकिस्तान की करतूत से पूरी दुनिया को वाकिफ कराने का अभियान शुरू किया है। इसी मिशन के तहत पाकिस्तान को बेनकाब करने अमेरिका पहुंचे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बताया कि कैसे देश पाकिस्तान प्रयोजित आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही कांग्रेस सांसद ने पाकिस्तान के खिलाफ उठाए भारत के कदम की सराहना भी की। अमेरिका से दुनिया को संदेश दिया कि भारत अपने उपर हमला करने वाली बुरी ताकतों के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा।

सीमापार से फैलाए जा रहे आतंकवाद पर भारत के पक्ष को वैश्विक स्तर पर रखने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनियाभर में दौरा कर रहा है। शशि थरूर की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका के लोगों से आतंकवाद के बढ़ते खतरे के खिलाफ आपसी एकजुटता और मजबूती के साथ खड़े होने का आह्वान किया। उन्होंने 9/11 मेमोरियल के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि 9/11 मेमोरियल का दौरा इस बात की याद दिलाता है कि अमेरिका की तरह भारत भी आतंकवाद का शिकार है। उन्होंने कहा, हम भारत में भी उन्हीं जख्मों से पीड़ित हैं, जिनके निशान आज आप इस मार्मिक स्मारक में देख रहे हैं। हम एकजुटता की भावना से आए हैं, हम एक मिशन पर भी आए हैं।

वे भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र की लालसा रखते हैं-थरूर

कांग्रेस नेता ने कहा कि हमें पाकिस्तान के साथ युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है। हम अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और अपने लोगों को 21वीं सदी की दुनिया में लाने के लिए अकेले रहना पसंद करेंगे, लेकिन दुख की बात है कि पाकिस्तानियों के लिए हम एक यथास्थितिवादी शक्ति हो सकते हैं, लेकिन वे नहीं हैं... वे भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र की लालसा रखते हैं और वे इसे किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहते हैं। यदि वे इसे पारंपरिक तरीकों से हासिल नहीं कर सकते हैं, तो वे इसे आतंकवाद के जरिए हासिल करने के लिए तैयार हैं, और यह स्वीकार्य नहीं है।

अब कठोर और चतुराई से प्रहार करने का समय-थरूर

थरूर ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं, मैं सरकार के लिए काम नहीं करता। मैं एक विपक्षी पार्टी के लिए काम करता हूं, लेकिन मैंने खुद कुछ दिनों के भीतर भारत के एक प्रमुख अखबार में एक लेख लिखा, जिसमें कहा गया कि अब कठोर और चतुराई से प्रहार करने का समय आ गया है और मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने ठीक यही किया।

2015 के वाकये का जिक्र

2015 के वाकये का जिक्र करते हुए थरूर ने कहा, जनवरी 2015 में भारतीय एयरबेस पर हमला हुआ था और हमारे प्रधानमंत्री ने इससे पिछले महीने में पाकिस्तान का दौरा किया था। इसलिए जब यह हुआ, तो वे इतने हैरान हुए कि उन्होंने वास्तव में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को फोन किया और कहा, आप जांच में शामिल क्यों नहीं होते? आइए पता लगाते हैं कि यह कौन कर रहा है।

इस विचार से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान के आतंक की कल्पना करें कि पाकिस्तानी जांचकर्ता भारतीय एयरबेस पर आएंगे, लेकिन, लेकिन वे आए और वे वापस पाकिस्तान चले गए और कहा, ये सब भारतीयों ने खुद किया है। मुझे डर है कि हमारे लिए, 2015 उनके लिए सही व्यवहार करने, सहयोग करने और वास्तव में यह दिखाने का आखिरी मौका था कि वे आतंकवाद को खत्म करने के लिए गंभीर हैं, जैसा कि उन्होंने हर बार दावा किया था।

केंद्र के ऑल पार्टी डेलिगेशन पर उठ रहे सवाल, कांग्रेस की नाराजगी के बाद आया शशि थरूर का बयान

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केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। हालांकि, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों पर कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों द्वारा आपत्ति जाहिर की जा रही है। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता शशि थरूर का भी नाम शामिल है, जिसे लेकर कांग्रेस खफा है।

संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने प्रतिनिधिमंडलों में शामिल नामों को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसको लेकर एक सवाल के जवाब में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, मैं इस मुद्दे में नहीं पड़ूंगा।

बता दें कि थरूर को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व करने के लिए चुना है। उनका समूह अमेरिका और चार अन्य देशों का दौरा करेगा। हांलांकि, कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए अपनी ओर से जिन चार नेताओं के नाम सरकार को भेजे थे, उनमें थरूर का नाम शामिल नहीं था।

रिजिजू के दावे को बताया झूठा

सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल के लिए चार सांसदों के नाम मांगे जाने के बाद, कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई, राज्यसभा सदस्य सैयद नासिर हुसैन और लोकसभा सदस्य राजा बरार के नाम दिए थे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि किरेन रिजिजू का ये दावा झूठा है कि सरकार ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए कांग्रेस से चार नाम नहीं मांगे थे। उन्होंने ये भी कहा कि प्रतिनिधिमंडलों के लिए नामों की स्वीकृति ना लेकर सरकार ने तुच्छ राजनीति की है।

पीएम मोदी का विमर्श पंचर हो चुका-जयराम रमेश

जयराम रमेश ने आगे कहा कि विदेशी दौरों पर कांग्रेस के बारे में बुरा-भला कहने और उसे बदनाम करने वाले प्रधानमंत्री मोदी अब उसकी मदद ले रहे हैं क्योंकि उनका विमर्श पंचर हो चुका है।

'मैं देश के लिए बोलता हूं, पार्टी के लिए..., ऑपरेशन सिंदूर पर अपने बयान पर शशि थरूर ने दी राय

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कांग्रेस नेता और केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर से उनकी ही पार्टी के कुछ लोग नाराज हैं। नाराजगी की वजह है ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर को लेकर दिए थरूर के बयान। थरूर ने भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर कुछ ऐसी बातें कहीं हैं जो पार्टी लाइन से अलग हैं। इस वजह से पार्टी के कुछ नेता उनसे नाराज हैं। उनका मानना है कि थरूर ने पार्टी की लक्ष्मण रेखा पार कर दी है। शशि थरूर ने पार्टी के 'लक्ष्मण रेखा' वाली टिप्पणी पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का प्रवक्ता नहीं हूं। इस वक्त हमें देश के लिए खड़ा होना चाहिए, खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय पटल पर।

हमें देश के झंडे के पीछे एकजुट होने की ज़रूरत-थरूर

थरूर ने कहा कि मैंने जो कुछ भी कहा, वह एक भारतीय के तौर पर कहा। न तो मैं पार्टी का प्रवक्ता हूं और न ही सरकार का। जो भी कहा है, उसकी जिम्मेदारी मेरी है, आप सहमत हों या असहमत, यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है।थरूर ने आगे स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने बयान में यह साफ कर दिया था कि यह राष्ट्रीय विमर्श में उनका व्यक्तिगत योगदान है, खासकर ऐसे समय में जब हमें देश के झंडे के पीछे एकजुट होने की ज़रूरत है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी। उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप और मध्य-पूर्व में हमारे पक्ष की बात कम सुनाई दे रही थी।

एक भारतीय के तौर पर मेरे विचार निजी हैं-थरूर

तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बात करते हुए थरूर ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ये सब बातें कहां से आ रही हैं। मैं जब तक वर्किंग कमेटी की मीटिंग में था, तब तक ऐसी कोई बात नहीं हुई। अगर मेरे जाने के बाद ऐसा हुआ, तो मुझे अभी तक जानकारी नहीं दी गई है। थरूर ने आगे कहा, मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि मैं पार्टी का प्रवक्ता नहीं हूं, ना ही मैं सरकार का प्रवक्ता हूं। लोगों को अगर लगता है कि मुझे किसी बारे में जानकारी है, तो वे मेरे व्यूज पूछते हैं। मैं हमेशा कहता हूं कि एक भारतीय के तौर पर मेरे विचार निजी हैं।

पाकिस्तान के मुद्दे पर सरकार के साथ दिखे थरूर

बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर हो, भारत और पाकिस्तान के बीच का तनाव या फि संघर्ष विराम कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इन सभी मुद्दों पर पार्टी से अलग होकर बेबाक तरीके से अपना पक्ष रखा।उन्होंने कहा, 'सरकार ने इस बात का ध्यान रखा है कि दूसरे पक्ष को संघर्ष को बढ़ाने का मौका न मिले। उन्होंने केवल पहचाने गए आतंकी ठिकानों और लॉन्चपैड पर ही हमला किया है।' थरूर ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत ने अमेरिका को मध्यस्थता नहीं करने दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के हमलों के बाद बातचीत की पहल की थी।

यह कई लोगों की नींद हराम कर देगा...मंच पर थरूर की मौजूदगी को लेकर पीएम मोदी का राहुल गांधी पर तंज

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को केरल दौरे पर हैं। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और कांग्रेस सांसद शशि थरूर के साथ मंच साझा किया। केरल के तिरुवनंतपुरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8,900 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित ‘विझिनजाम इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट’ को राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अलावा मंच पर कांग्रेस नेता शशि थरूर भी मौजूद रहे। यहां कांग्रेस का नाम लिए बगैर पीएम ने कहा कि आज का यह इवेंट कई लोगों को नींद हराम कर देगा।

इशारों ही इशारों में राहुल को संदेश

कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी और शशि थरूर की अदावत जगजाहिर है। अब इस पर पीएम मोदी ने भी चुटकी ली है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल में विझिनजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का आधिकारिक रूप से उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस पर हमला बोला। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे सीएम से कहना चाहूंगा कि आप तो इंडी अलाइंस के मजबूत पिलर रहे हैं। आज शशी थरूर भी बैठे हैं। आज का ये इवेंट कई लोगों की नींद हराम कर देगा। मैसेज चला गया, जहां जाना था। इसके बाद खुद पीएम मोदी मुस्कुराने लगे। मंच पर मौजूद पिनराई विजयन और शशि थरूर भी इस दौरान मुस्कुराते दिखे। माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने राहुल गांधी और शशि थरूर के बीच कथित तकरार पर तंज कसा है।

थरूर ने एयरपोर्ट पर की पीएम का आगवानी

इससे पहले पीएम मोदी गुरुवार को केरल पहुंचे थे, जहां सीएम के साथ तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने उनका स्वागत किया था। शशि थरूर ने दिल्ली एयरपोर्ट पर देरी के बावजूद तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर समय से पहुंचकर प्रधानमंत्री की आगवानी की। शशि थरूर ने एक्स पर लिखा, दिल्ली हवाई अड्डे पर देरी होने के बावजूद, मैं समय पर तिरुवनंतपुरम पहुंच गया और पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। उन्होंने पीएम मोदी के साथ तस्वीरें भी शेयर कीं। उन्होंने लिखा कि मैं विझिंजम पोर्ट के उद्घाटन का इंतजार कर रहा हूं। मुझे इस परियोजना से शुरू से ही जुड़ने पर गर्व है। उन्होंने पीएम मोदी के साथ तस्वीरें भी शेयर कीं।

अडानी की तारीफ

पीएम मोदी ने मंच से गौतम अडानी की तारीफ भी की। उन्होंने कहा, मैं अभी पोर्ट का विजीट करके आया हूं। जब गुजरात के लोगों को पता चलेगा कि अडानी ने केरल में इतना बढ़िया पोर्ट बनाया है। ये गुजरात में 30 साल से काम कर रहे हैं, मगर अभी तक ऐसा पोर्ट नहीं बनाया। तब उनको (अडानी को) गुजरात के लोगों से गुस्सा सहन करने के लिए तैयार रहना होगा।

शशि थरूर कांग्रेस पार्टी में हैं या बीजेपी में', जानें अपनी ही पार्टी में क्यों घिरे तिरुवनंतपुरम सांसद?

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कांग्रेस के सीनियर नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपनी ही पार्टी में घिर गए हैं। इस बार उन्होंने पहलगाम हमले को लेकर सरकार के पक्ष में बयान दे दिया। दरअसल, कांग्रेस ने सरकार की ओर से सुरक्षा चूक और खुफिया नाकामी को लेकर सवाल उठाए थे। वहीं, शशि थरूर ने पहलगाम हमले को लेकर कहा था कि कोई भी देश कभी भी सौ फीसदी फुलप्रूफ खुफिया जानकारी नहीं रख सकता है। शशि थरूर के बयान पर उदित राज ने प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता उदित राज का कहना है कि शशि थरूर पहलगाम हमले को लेकर पार्टी लाइन से अलग हट गए हैं। उन्होंने सवाल किया है कि शशि थरूर कांग्रेस पार्टी में हैं या बीजेपी में हैं।

शशि थरूर क्या कहा?

थरूर ने अपने बयान में थरूर ने इजरायल का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी देश के पास कभी भी 100% पुख्ता खुफिया जानकारी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, कोई पूरी तरह से पुख्ता खुफिया जानकारी नहीं थी। कुछ विफलताएं थीं, लेकिन हमारे पास इज़रायल का उदाहरण है, जो सभी के अनुसार दुनिया की सबसे अच्छी खुफिया सेवाएं हैं, जिन्हें सिर्फ़ दो साल पहले 7 अक्टूबर को आश्चर्य हुआ था। मुझे लगता है कि जिस तरह इजरायल युद्ध के अंत तक जवाबदेही की मांग करने का इंतज़ार कर रहा है। उसी तरह, मुझे लगता है कि हमें भी मौजूदा संकट को देखना चाहिए और फिर सरकार से जवाबदेही की मांग करनी चाहिए।

थरूर ने आगे कहा कि देश के लोग, जिनमें वे भी शामिल हैं, कभी भी उन विभिन्न आतंकी हमलों के बारे में नहीं जान पाते जिन्हें सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया। उन्होंने कहा, हमें केवल उन लोगों के बारे में पता चलता है जिन्हें हम विफल करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि सुरक्षा विफलता पर सरकार से सवाल तब पूछा जाना चाहिए जब भारत पहलगाम हत्याकांड का मुंहतोड़ जवाब दे।

खुद की पार्टी को रास नहीं आया थरूर का बयान

शशि थरूर का बयान उनकी खुद की पार्टी को रास नहीं आया, क्योंकि पार्टी के एक अन्य नेता उदित राज ने उनसे सवाल किया कि क्या वह “सुपर-बीजेपी मैन” बनने की कोशिश कर रहे हैं।समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उदित राज ने कहा, मैं शशि थरूर से यह पूछना चाहता हूं कि वह कांग्रेस पार्टी में हैं या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में? क्या वह सुपर-बीजेपी मैन बनने की कोशिश कर रहे हैं?

ऑल पार्टी मीटिंग में झूठ बोलने का आरोप

उदित राज ने ये भी कहा, साल 2013-14 के चुनाव में यह भी कहा गया था कि मोदी जी प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो लाहौर तक घुसकर मारेंगे। शशि थरूर को क्या यह नहीं पूछना चाहिए कि क्या घुसकर मारे? उन्हें ये भी पूछना चाहिए कि यूपीए सरकार पीओके नहीं ले पाई तो आप पीओके कब ले रहे हैं। शशि थरूर को यह भी पूछना चाहिए कि जो ऑल पार्टी मीटिंग में झूठ बोला कि बैसरन घाटी दो दिन पहले खुला। टूरिस्ट और वहां के ऑपरेटर ने बताया कि ये पूरे साल तक खुला रहता है।

उदित राज का तीखे सवाल

उदित राज ने सवाल किया, क्या शशि थरूर बीजेपी के वकील बन गए हैं? मुझे तो लगता है कि भारतीय जनता पार्टी वाले भी इतना बड़ा वकील नहीं हो पाएंगे। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अमेरिका में 9/11 के बाद कौन सी आतंकी घटना हुई थी? चाइना में कौन सी घटना हो गई? इजरायल एक अपवाद है, यहां कोई अपवाद थोड़े ही है। उरी हुआ, पुलवामा की घटना हुई और इसके अलावा भी गुलमर्ग भी हुआ। राजौरी में हुआ। पहलगाम में हुआ।

क्या बीजेपी ने अपना प्रवक्ता नियुक्त कर दिया है-उदित राज

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, शशि थरूर जी ये तय कर लें कि क्या भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रवक्ता नियुक्त कर दिया है? बीजेपी जो दावा कर रही है, ये उनको नजर नहीं आ रहा है? विपक्ष उचित सवाल पूछ रहा है और जिसे सत्ता पक्ष ने भी माना है कि हमारी सिक्योरिटी लैप्स है तो ये उसपर भी लीपापोती कर रहे हैं। मैं तो बड़ा हैरान हूं।

फिर मोदी सरकार के मुरीद हुए शशि थरूर, जानें अब कौन सी बात आई पसंद

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पूर्व राजनयिक, केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जिसे उनकी पार्टी की लाइन के खिलाफ माना जा सकता है।शशि थरूर ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की तारीफ की है। इस बार उन्होंने वैक्सीन मैत्री पहल की जमकर प्रशंसा की है।उन्होंने कहा कि इस पहल ने भारत की ग्लोबल सॉफ्ट पावर को मजबूत किया है। साथ ही देश को एक उत्तरदायी वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया।

वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका को भी सशक्त किया-थरूर

अपने एक लेख में शशि थरूर ने कहा कि भारत ने अपनी वैक्सीन उत्पादन क्षमता को प्रभावी ढंग से उपयोग किया, जिससे वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति और मजबूत हुई। उन्होंने कहा कि इस पहल के तहत भारत ने ना केवल जरूरतमंद देशों को मदद दी, बल्कि वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका को भी सशक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत ने आगे बढ़कर अन्य देशों को प्राथमिकता दी और कई देशों की मदद की।

चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया-थरूर

कांग्रेस सांसद ने ये भी कहा कि वैक्सीन मैत्री प्रोग्राम ने दक्षिण एशिया और अफ्रीका में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का काम किया। उन्होंने माना कि भारत की वैक्सीन कूटनीति ने देश की सॉफ्ट पावर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान भारत को अपने घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देनी पड़ी, लेकिन फिर भी उसकी वैक्सीन कूटनीति वैश्विक मंच पर असरदार साबित हुई।

वैश्विक मंच पर मजबूत छवि-थरूर

थरूर ने आगे कहा कि यह सच है कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने भारत के वैक्सीन एक्सपोर्ट को अस्थायी रूप से बाधित किया है, जिससे घरेलू जरूरतों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के साथ संतुलित करने की चुनौतियों पर ध्यान गया। इसके बावजूद, भारत की वैक्सीन कूटनीति उसकी विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय बनी, जो रणनीतिक हितों के साथ मानवतावाद को जोड़ने की उसकी क्षमता को दर्शाती है। इसने भारत की सॉफ्ट पावर को काफी हद तक बढ़ाया है, जिससे विकासशील दुनिया में यह दर्शाया गया है कि भारत मानवीय सहायता को प्राथमिकता दे सकता है, जिससे वैश्विक मंच पर एक उदार और विश्वसनीय भागीदार के रूप में इसकी छवि मजबूत हुई है।

क्या है 'वैक्सीन मैत्री' पहल?

बता दें कि 'वैक्सीन मैत्री'के तहत भारत ने कोरोना महामारी के समय में अन्य जरूरतमंद देशों को भारी मात्रा में घरेलू वैक्सीन मुहैया करवाई थी। सरकार ने 10 जनवरी 2021 को इस पहल की शुरुआत की थी। वहीं भारत ने कोवैक्स पहल के जरिए भी ग्लोबल वैश्विक डिस्ट्रीब्यूशन में अहम भूमिका निभाई थी।

अपने बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा…”रूस-यूक्रेन जंग पर 3 साल बाद शशि थरूर को हुआ गलती का एहसास

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर बीते कुछ समय से बदले-बदले नजर आ रहे हैं। बीते कुछ महीनों में शशि थरूर ने ऐसे कई बयान दिए हैं जो पार्टी लाइन से हटकर हैं। एक बार फिर शशि थरूर ने अपने बयान से चौंकाया है। दरअसल, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था, वह सही नहीं था। अब उन्हें उस बयान पर अफसोस हो रहा है।

पीएम मोदी को लेकर क्या बोले थरूर?

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत आज ऐसी स्थिति में है जो रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित कर सकता है। भारत के पास ऐसा प्रधानमंत्री है, जो वोलोदिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन दोनों को गले लगा सकता है। हम दोनों जगहों (रूस और यूक्रेन) पर स्वीकार किए जाते हैं। थरूर ने कहा- आज की स्थिति को देखते हुए वे तीन साल पहले अपने दिए बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूं। 2022 में संसदीय बहस में मैं इकलौता सांसद था, जिसने यूक्रेन को लेकर भारत के रुख की आलोचना की थी।

शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है-थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को रायसीना डायलॉग 2025 में स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था वो सही नहीं था। रायसीना डायलॉग 2025 में शशि थरूर से पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति को देखते हुए उन्हें खुशी है कि भारत ने जो रुख अपनाया, वह सही था? इस पर शशि थरूर ने माना कि तीन साल बाद उन्हें अपनी उस स्थिति पर अफसोस है। उन्हें शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है।

शांति स्थापित करने में निभा सकते हैं भूमिका

थरूर ने आगे कहा,भारत दुनिया में अपनी खास स्थिति को देखते हुए शांति स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। अगर रूस और यूक्रेन के बीच कोई समझौता होता है, तो भारत शांति सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हो सकता है। खासकर तब, जब रूस ने नाटो देशों के यूरोपीय शांति सैनिकों को अस्वीकार कर दिया है।

रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में युद्ध शुरू हुआ था। जंग अब भी जारी है। जब पूरी दुनिया में रूस-यूक्रेन जंग से खलबली मची तब कांग्रेस नेता शशि थरूर उस समय भारत के रुख के सबसे मुखर विरोधियों में से एक थे। तब उन्होंने भारत के स्टैंड को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। शशि थरूर ने सरकार पर मौन रहने का आरोप लगाते हुए कहा था कि रूस हमारा दोस्त है और उसकी कुछ वैध सुरक्षा चिंताएं हो सकती हैं लेकिन भारत का अचानक इस मुद्दे पर चुप हो जाना यूक्रेन और उसके समर्थकों को निराश करेगा।

अब थरूर ने आपातकाल पर उठाया सवाल, बोले- जबरन कराई गईं नसबंदियां, असहमति को बेरहमी से दबाया

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पिछले कुछ समय से कांग्रेस सांसद शशि थरूर अपनी ही पार्टी पर हमलावर हैं। अब थरूर ने 1975 में लगी इमरजेंसी पर सवाल उठाए हैं। थरूर ने इमरजेंसी पर एक आर्टिकल लिखा है और इसमें आपातकाल की जमकर आलोचना की है। उन्होंने आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेरा है। थरूर ने कहा कि आपातकाल के नाम पर आजादी छीनी गई।उन्होंने आपातकाल में इंदिरा गांधी और संजय गांधी के कामों को लेकर सवाल उठाए।

मलयालम भाषा के अखबार 'दीपिका' में गुरुवार को प्रकाशित अपने लेख में शशि थरूर ने आपातकाल को सिर्फ भारतीय इतिहास के 'काले अध्याय' के रूप में याद नहीं करके, इससे सबक लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए उठाए गए कदम कई बार ऐसी क्रूरता में बदल जाते हैं, जिन्हें किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने अपनी सांस रोक ली-थरूर

अपने लेख में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 25 जून 1975 और 21 मार्च 1977 के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले युग को याद किया। थरूर ने कहा, 25 जून, 1975 को भारत एक नई रियालिटी के साथ जागा। हवाएं सामान्य सरकारी घोषणाओं से नहीं, बल्कि एक भयावह आदेश से गूंज रही थीं। इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई थी। 21 महीनों तक, मौलिक अधिकारों को सस्पेंड कर दिया गया, प्रेस पर लगाम लगा दी गई और राजनीतिक असहमति को बेरहमी से दबा दिया गया। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने अपनी सांस रोक ली। 50 साल बाद भी, वो काल भारतीयों की याद में “आपातकाल” के रूप में जिंदा है।

संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया-थरूर

आर्टिकल में आगे कहा गया, अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास क्रूरता में बदल दिए गए। जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता। थरूर ने कहा कि इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया। यह आपातकाल का गलत उदाहरण बना। ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और जबरदस्ती की गई। नई दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त कर दिया गया और उन्हें साफ कर दिया गया। हजारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया।

इंदिरा गांधी को लेकर क्या बोले थरूर

थरूर ने आगे लिखा, पीएम इंदिरा गांधी को लगा था कि सिर्फ आपातकाल की स्थिति ही आंतरिक अव्यवस्था और बाहरी खतरों से निपट सकती है। अराजक देश में अनुशासन ला सकती है। जब इमरजेंसी का ऐलान हुआ, तब मैं भारत में था, हालांकि मैं जल्द ही ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए अमेरिका चला गया और बाकी की सारी चीजें वहीं दूर से देखी। जब इमरजेंसी लगी तो मैं काफी बैचेन हो गया था। भारत के वो लोग जो ज़ोरदार बहस और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के आदी थे, एक भयावह सन्नाटे में बदल गया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जोर देकर कहा कि ये कठोर कदम जरूरी थे।

न्यायपालिका भारी दबाव में झुक गई-थरूर

थरूर ने कहा, न्यायपालिका इस कदम का समर्थन करने के लिए भारी दबाव में झुक गई, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण और नागरिकों के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के निलंबन को भी बरकरार रखा। पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा। व्यापक संवैधानिक उल्लंघनों ने मानवाधिकारों के हनन की एक भयावह तस्वीर को जन्म दिया। शशि थरूर ने आगे कहा, उस समय जिन लोगों ने शासन के खिलाफ आवाज उठाने का साहस किया उन सभी को हिरासत में लिया गया। उनको यातनाएं झेलनी पड़ी।

लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेने की सलाह

थरूर ने अपने आर्टिकल में लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेने की बात पर जोर दिया। उन्होंने इसे एक 'बहुमूल्य विरासत' बताया, जिसे लगातार संरक्षित करना आवश्यक है। उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रित करने, असहमति को दबाने और संविधान को दरकिनार करने का असंतोष कई रूपों में फिर सामने आ सकता है।

थरूर ने कहा कि अक्सर ऐसे कार्यों को देशहित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जाता है। इस अर्थ में, इमरजेंसी एक चेतावनी के रूप में खड़ी है। उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि लोकतंत्र के संरक्षकों को हमेशा सतर्क रहना होगा, ताकि ऐसी स्थितियां दोबारा पैदा न हों। थरूर का यह लेख इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने से पहले आया है।

ऑपरेशन सिंदूर' क्यों रखा गया मिशन का नाम? अमेरिका में शशि थरूर ने दिया ये जवाब

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कांग्रेस नेता शशि थरूर अमेरिका में हैं। थरूर भारत की तरफ से दुनियाभर में भेजे गए डेलीगेशन का हिस्सा हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल का मकसद आतंकवाद पर भारत का रुख दुनिया के सामने रखना है। कांग्रेस नेता ने यूएस स्थित नेशनल प्रेस क्लब में एक बातचीत के दौरान बताया कि आखिर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम क्यों दिया। थरूर ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' का नाम बहुत सोच-समझकर रखा गया है। उन्होंने सिंदूर के महत्व को बताते हुए कहा कि यह रंग खून से अलग नहीं है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम क्यों चुना?

बुधवार को अमेरिका में नेशनल प्रेस क्लब में एक संवाद सत्र के दौरान यह पूछे जाने पर कि भारत ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम क्यों चुना। कांग्रेस सांसद ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर, वास्तव में, मुझे लगा कि यह एक शानदार नाम है। सिंदूर, अगर कुछ अमेरिकी इसके बारे में नहीं जानते हैं, तो यह सिंदूर हिंदू परंपरा में विवाहित महिलाओं अपनी मांग में लगाती है। यह व्यापक रूप से प्रचलित है। कुछ गैर-हिंदू भी इसे करते हैं। सिंदूर विवाह समारोह के समय लगाया जाता है और उसके बाद हर दिन विवाहित महिलाएं इसे लगाती हैं। इसलिए, हम इन क्रूर आतंकवादियों के बारे में बहुत सचेत थे, जिन्होंने पति को उनकी पत्नियों और बच्चों के सामने गोली मार दी। आतंकियों ने महिलाओं को छोड़ दिया और जब एक पत्नी चिल्लाई, ‘मुझे भी मार दो’, तो उसे कहा गया, नहीं, ‘तुम वापस जाओ और उन्हें बताओ कि हमने क्या किया है।’ इसी कारण से महिलाएं इस जघन्य, वीभत्स कृत्य से बच गईं।

सिंदूर का रंग खून के रंग से बहुत अलग नहीं-थरूर

थरूर ने आगे कहा कि उस सिंदूर को वास्तव में 26 भारतीय महिलाओं के माथे से मिटा दिया गया था, मैं हिंदू महिलाएं कहने वाला था, लेकिन उनमें से एक वास्तव में ईसाई थी, लेकिन बाकी सभी के माथे का सिंदूर इन आतंकवादी घटना में मिटा दिया गया। इसलिए हम सबसे पहले सिंदूर मिटाने की उस घटना का बदला लेना चाहते थे। लेकिन, दूसरी बात, यह कोई संयोग नहीं है कि सिंदूर का रंग लाल है, जो खून के रंग से बहुत अलग नहीं है, और कई मायनों में एक हिंदी मुहावरा है कि ‘खून का बदला खून’; यहां यह ‘सिंदूर का बदला खून’ होगा, यानी सिंदूर के साथ जो कुछ भी किया गया है, उसके जवाब में खून।

कोलंबिया को उसके ही देश में पहुंचकर शशि थरूर ने सुनाया, जानें क्या है नाराजगी की वजह

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भारत दुनियाभर के देशों में घूम-घूमकर पाकिस्तान को बेनकाब कर रहे हैं। इस अभियान के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाला सर्वदलीय डेलिगेशन कोलंबिया पहुंचा। शशि थरूर ने कोलंबिया की धरती से ही उसकी सरकरा को ही आड़े हाथों लिया। कांग्रेस सांसद ने पाकिस्तान को लेकर कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया पर निराशा जाहिर की है। बता दें कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान में मारे गए लोगों के लिए कोलंबिया ने संवेदना जाहिर की थी।

कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया से निराश-थरूर

कोलंबिया पहुंचे भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे शशि थरूर ने कहा कि आतंकवादियों को मारने वालों और खुद की रक्षा करने वालों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, हम कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया से थोड़े निराश हैं, जिसने आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाने के बजाय भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान में जान गंवाने वालों पर संवेदना व्यक्त की।

कोलंबिया ने कई आतंकवादी हमले झेला- थरूर

थरूर ने कहा कि नई दिल्ली के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के पीछे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हाथ था। हमले में आतंकियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा, हम केवल आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। हम परिस्थितियों के बारे में कोलंबिया से विस्तार से बात करके बहुत खुश हैं। जिस तरह कोलंबिया ने कई आतंकी हमलों को झेला है, उसी तरह भारत में भी हमने झेला है। हमने लगभग चार दशकों में बहुत बड़ी संख्या में हमलों को झेला है।

भारत-पाक के बीच बढ़ा तनाव

पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। आतंकियों ने 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। भारत ने 6-7 मई की दरम्यानी रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकी ढांचों पर सटीक हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान ने कायराना हरकत कर भारत को उकसाने की कोशिश की। भारतीय सशस्त्र बलों ने भी पाकिस्तानी कार्रवाइयों का कड़ा जवाब दिया। 10 मई को दोनों पक्षों के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों के बीच वार्ता के बाद सैन्य कार्रवाइयों को रोकने का फैसला किया।

अमेरिकी धरती से शशि थरूर ने आतंकवाद पर दुनिया को दिया संदेश, बोले-भारत बुरी ताकतों के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा

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भारत ने पाकिस्तान की करतूत से पूरी दुनिया को वाकिफ कराने का अभियान शुरू किया है। इसी मिशन के तहत पाकिस्तान को बेनकाब करने अमेरिका पहुंचे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बताया कि कैसे देश पाकिस्तान प्रयोजित आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही कांग्रेस सांसद ने पाकिस्तान के खिलाफ उठाए भारत के कदम की सराहना भी की। अमेरिका से दुनिया को संदेश दिया कि भारत अपने उपर हमला करने वाली बुरी ताकतों के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा।

सीमापार से फैलाए जा रहे आतंकवाद पर भारत के पक्ष को वैश्विक स्तर पर रखने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनियाभर में दौरा कर रहा है। शशि थरूर की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका के लोगों से आतंकवाद के बढ़ते खतरे के खिलाफ आपसी एकजुटता और मजबूती के साथ खड़े होने का आह्वान किया। उन्होंने 9/11 मेमोरियल के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि 9/11 मेमोरियल का दौरा इस बात की याद दिलाता है कि अमेरिका की तरह भारत भी आतंकवाद का शिकार है। उन्होंने कहा, हम भारत में भी उन्हीं जख्मों से पीड़ित हैं, जिनके निशान आज आप इस मार्मिक स्मारक में देख रहे हैं। हम एकजुटता की भावना से आए हैं, हम एक मिशन पर भी आए हैं।

वे भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र की लालसा रखते हैं-थरूर

कांग्रेस नेता ने कहा कि हमें पाकिस्तान के साथ युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है। हम अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और अपने लोगों को 21वीं सदी की दुनिया में लाने के लिए अकेले रहना पसंद करेंगे, लेकिन दुख की बात है कि पाकिस्तानियों के लिए हम एक यथास्थितिवादी शक्ति हो सकते हैं, लेकिन वे नहीं हैं... वे भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र की लालसा रखते हैं और वे इसे किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहते हैं। यदि वे इसे पारंपरिक तरीकों से हासिल नहीं कर सकते हैं, तो वे इसे आतंकवाद के जरिए हासिल करने के लिए तैयार हैं, और यह स्वीकार्य नहीं है।

अब कठोर और चतुराई से प्रहार करने का समय-थरूर

थरूर ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं, मैं सरकार के लिए काम नहीं करता। मैं एक विपक्षी पार्टी के लिए काम करता हूं, लेकिन मैंने खुद कुछ दिनों के भीतर भारत के एक प्रमुख अखबार में एक लेख लिखा, जिसमें कहा गया कि अब कठोर और चतुराई से प्रहार करने का समय आ गया है और मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने ठीक यही किया।

2015 के वाकये का जिक्र

2015 के वाकये का जिक्र करते हुए थरूर ने कहा, जनवरी 2015 में भारतीय एयरबेस पर हमला हुआ था और हमारे प्रधानमंत्री ने इससे पिछले महीने में पाकिस्तान का दौरा किया था। इसलिए जब यह हुआ, तो वे इतने हैरान हुए कि उन्होंने वास्तव में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को फोन किया और कहा, आप जांच में शामिल क्यों नहीं होते? आइए पता लगाते हैं कि यह कौन कर रहा है।

इस विचार से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान के आतंक की कल्पना करें कि पाकिस्तानी जांचकर्ता भारतीय एयरबेस पर आएंगे, लेकिन, लेकिन वे आए और वे वापस पाकिस्तान चले गए और कहा, ये सब भारतीयों ने खुद किया है। मुझे डर है कि हमारे लिए, 2015 उनके लिए सही व्यवहार करने, सहयोग करने और वास्तव में यह दिखाने का आखिरी मौका था कि वे आतंकवाद को खत्म करने के लिए गंभीर हैं, जैसा कि उन्होंने हर बार दावा किया था।

केंद्र के ऑल पार्टी डेलिगेशन पर उठ रहे सवाल, कांग्रेस की नाराजगी के बाद आया शशि थरूर का बयान

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केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं। ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। हालांकि, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों पर कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों द्वारा आपत्ति जाहिर की जा रही है। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता शशि थरूर का भी नाम शामिल है, जिसे लेकर कांग्रेस खफा है।

संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने प्रतिनिधिमंडलों में शामिल नामों को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसको लेकर एक सवाल के जवाब में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, मैं इस मुद्दे में नहीं पड़ूंगा।

बता दें कि थरूर को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व करने के लिए चुना है। उनका समूह अमेरिका और चार अन्य देशों का दौरा करेगा। हांलांकि, कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए अपनी ओर से जिन चार नेताओं के नाम सरकार को भेजे थे, उनमें थरूर का नाम शामिल नहीं था।

रिजिजू के दावे को बताया झूठा

सरकार की ओर से प्रतिनिधिमंडल के लिए चार सांसदों के नाम मांगे जाने के बाद, कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई, राज्यसभा सदस्य सैयद नासिर हुसैन और लोकसभा सदस्य राजा बरार के नाम दिए थे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि किरेन रिजिजू का ये दावा झूठा है कि सरकार ने प्रतिनिधिमंडलों के लिए कांग्रेस से चार नाम नहीं मांगे थे। उन्होंने ये भी कहा कि प्रतिनिधिमंडलों के लिए नामों की स्वीकृति ना लेकर सरकार ने तुच्छ राजनीति की है।

पीएम मोदी का विमर्श पंचर हो चुका-जयराम रमेश

जयराम रमेश ने आगे कहा कि विदेशी दौरों पर कांग्रेस के बारे में बुरा-भला कहने और उसे बदनाम करने वाले प्रधानमंत्री मोदी अब उसकी मदद ले रहे हैं क्योंकि उनका विमर्श पंचर हो चुका है।

'मैं देश के लिए बोलता हूं, पार्टी के लिए..., ऑपरेशन सिंदूर पर अपने बयान पर शशि थरूर ने दी राय

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कांग्रेस नेता और केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर से उनकी ही पार्टी के कुछ लोग नाराज हैं। नाराजगी की वजह है ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर को लेकर दिए थरूर के बयान। थरूर ने भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर कुछ ऐसी बातें कहीं हैं जो पार्टी लाइन से अलग हैं। इस वजह से पार्टी के कुछ नेता उनसे नाराज हैं। उनका मानना है कि थरूर ने पार्टी की लक्ष्मण रेखा पार कर दी है। शशि थरूर ने पार्टी के 'लक्ष्मण रेखा' वाली टिप्पणी पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का प्रवक्ता नहीं हूं। इस वक्त हमें देश के लिए खड़ा होना चाहिए, खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय पटल पर।

हमें देश के झंडे के पीछे एकजुट होने की ज़रूरत-थरूर

थरूर ने कहा कि मैंने जो कुछ भी कहा, वह एक भारतीय के तौर पर कहा। न तो मैं पार्टी का प्रवक्ता हूं और न ही सरकार का। जो भी कहा है, उसकी जिम्मेदारी मेरी है, आप सहमत हों या असहमत, यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है।थरूर ने आगे स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने बयान में यह साफ कर दिया था कि यह राष्ट्रीय विमर्श में उनका व्यक्तिगत योगदान है, खासकर ऐसे समय में जब हमें देश के झंडे के पीछे एकजुट होने की ज़रूरत है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी। उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप और मध्य-पूर्व में हमारे पक्ष की बात कम सुनाई दे रही थी।

एक भारतीय के तौर पर मेरे विचार निजी हैं-थरूर

तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से बात करते हुए थरूर ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ये सब बातें कहां से आ रही हैं। मैं जब तक वर्किंग कमेटी की मीटिंग में था, तब तक ऐसी कोई बात नहीं हुई। अगर मेरे जाने के बाद ऐसा हुआ, तो मुझे अभी तक जानकारी नहीं दी गई है। थरूर ने आगे कहा, मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि मैं पार्टी का प्रवक्ता नहीं हूं, ना ही मैं सरकार का प्रवक्ता हूं। लोगों को अगर लगता है कि मुझे किसी बारे में जानकारी है, तो वे मेरे व्यूज पूछते हैं। मैं हमेशा कहता हूं कि एक भारतीय के तौर पर मेरे विचार निजी हैं।

पाकिस्तान के मुद्दे पर सरकार के साथ दिखे थरूर

बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर हो, भारत और पाकिस्तान के बीच का तनाव या फि संघर्ष विराम कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इन सभी मुद्दों पर पार्टी से अलग होकर बेबाक तरीके से अपना पक्ष रखा।उन्होंने कहा, 'सरकार ने इस बात का ध्यान रखा है कि दूसरे पक्ष को संघर्ष को बढ़ाने का मौका न मिले। उन्होंने केवल पहचाने गए आतंकी ठिकानों और लॉन्चपैड पर ही हमला किया है।' थरूर ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत ने अमेरिका को मध्यस्थता नहीं करने दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के हमलों के बाद बातचीत की पहल की थी।

यह कई लोगों की नींद हराम कर देगा...मंच पर थरूर की मौजूदगी को लेकर पीएम मोदी का राहुल गांधी पर तंज

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को केरल दौरे पर हैं। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और कांग्रेस सांसद शशि थरूर के साथ मंच साझा किया। केरल के तिरुवनंतपुरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8,900 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित ‘विझिनजाम इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट’ को राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अलावा मंच पर कांग्रेस नेता शशि थरूर भी मौजूद रहे। यहां कांग्रेस का नाम लिए बगैर पीएम ने कहा कि आज का यह इवेंट कई लोगों को नींद हराम कर देगा।

इशारों ही इशारों में राहुल को संदेश

कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी और शशि थरूर की अदावत जगजाहिर है। अब इस पर पीएम मोदी ने भी चुटकी ली है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल में विझिनजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का आधिकारिक रूप से उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस पर हमला बोला। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे सीएम से कहना चाहूंगा कि आप तो इंडी अलाइंस के मजबूत पिलर रहे हैं। आज शशी थरूर भी बैठे हैं। आज का ये इवेंट कई लोगों की नींद हराम कर देगा। मैसेज चला गया, जहां जाना था। इसके बाद खुद पीएम मोदी मुस्कुराने लगे। मंच पर मौजूद पिनराई विजयन और शशि थरूर भी इस दौरान मुस्कुराते दिखे। माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने राहुल गांधी और शशि थरूर के बीच कथित तकरार पर तंज कसा है।

थरूर ने एयरपोर्ट पर की पीएम का आगवानी

इससे पहले पीएम मोदी गुरुवार को केरल पहुंचे थे, जहां सीएम के साथ तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने उनका स्वागत किया था। शशि थरूर ने दिल्ली एयरपोर्ट पर देरी के बावजूद तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर समय से पहुंचकर प्रधानमंत्री की आगवानी की। शशि थरूर ने एक्स पर लिखा, दिल्ली हवाई अड्डे पर देरी होने के बावजूद, मैं समय पर तिरुवनंतपुरम पहुंच गया और पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। उन्होंने पीएम मोदी के साथ तस्वीरें भी शेयर कीं। उन्होंने लिखा कि मैं विझिंजम पोर्ट के उद्घाटन का इंतजार कर रहा हूं। मुझे इस परियोजना से शुरू से ही जुड़ने पर गर्व है। उन्होंने पीएम मोदी के साथ तस्वीरें भी शेयर कीं।

अडानी की तारीफ

पीएम मोदी ने मंच से गौतम अडानी की तारीफ भी की। उन्होंने कहा, मैं अभी पोर्ट का विजीट करके आया हूं। जब गुजरात के लोगों को पता चलेगा कि अडानी ने केरल में इतना बढ़िया पोर्ट बनाया है। ये गुजरात में 30 साल से काम कर रहे हैं, मगर अभी तक ऐसा पोर्ट नहीं बनाया। तब उनको (अडानी को) गुजरात के लोगों से गुस्सा सहन करने के लिए तैयार रहना होगा।

शशि थरूर कांग्रेस पार्टी में हैं या बीजेपी में', जानें अपनी ही पार्टी में क्यों घिरे तिरुवनंतपुरम सांसद?

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कांग्रेस के सीनियर नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपनी ही पार्टी में घिर गए हैं। इस बार उन्होंने पहलगाम हमले को लेकर सरकार के पक्ष में बयान दे दिया। दरअसल, कांग्रेस ने सरकार की ओर से सुरक्षा चूक और खुफिया नाकामी को लेकर सवाल उठाए थे। वहीं, शशि थरूर ने पहलगाम हमले को लेकर कहा था कि कोई भी देश कभी भी सौ फीसदी फुलप्रूफ खुफिया जानकारी नहीं रख सकता है। शशि थरूर के बयान पर उदित राज ने प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता उदित राज का कहना है कि शशि थरूर पहलगाम हमले को लेकर पार्टी लाइन से अलग हट गए हैं। उन्होंने सवाल किया है कि शशि थरूर कांग्रेस पार्टी में हैं या बीजेपी में हैं।

शशि थरूर क्या कहा?

थरूर ने अपने बयान में थरूर ने इजरायल का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी देश के पास कभी भी 100% पुख्ता खुफिया जानकारी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, कोई पूरी तरह से पुख्ता खुफिया जानकारी नहीं थी। कुछ विफलताएं थीं, लेकिन हमारे पास इज़रायल का उदाहरण है, जो सभी के अनुसार दुनिया की सबसे अच्छी खुफिया सेवाएं हैं, जिन्हें सिर्फ़ दो साल पहले 7 अक्टूबर को आश्चर्य हुआ था। मुझे लगता है कि जिस तरह इजरायल युद्ध के अंत तक जवाबदेही की मांग करने का इंतज़ार कर रहा है। उसी तरह, मुझे लगता है कि हमें भी मौजूदा संकट को देखना चाहिए और फिर सरकार से जवाबदेही की मांग करनी चाहिए।

थरूर ने आगे कहा कि देश के लोग, जिनमें वे भी शामिल हैं, कभी भी उन विभिन्न आतंकी हमलों के बारे में नहीं जान पाते जिन्हें सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया। उन्होंने कहा, हमें केवल उन लोगों के बारे में पता चलता है जिन्हें हम विफल करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि सुरक्षा विफलता पर सरकार से सवाल तब पूछा जाना चाहिए जब भारत पहलगाम हत्याकांड का मुंहतोड़ जवाब दे।

खुद की पार्टी को रास नहीं आया थरूर का बयान

शशि थरूर का बयान उनकी खुद की पार्टी को रास नहीं आया, क्योंकि पार्टी के एक अन्य नेता उदित राज ने उनसे सवाल किया कि क्या वह “सुपर-बीजेपी मैन” बनने की कोशिश कर रहे हैं।समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उदित राज ने कहा, मैं शशि थरूर से यह पूछना चाहता हूं कि वह कांग्रेस पार्टी में हैं या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में? क्या वह सुपर-बीजेपी मैन बनने की कोशिश कर रहे हैं?

ऑल पार्टी मीटिंग में झूठ बोलने का आरोप

उदित राज ने ये भी कहा, साल 2013-14 के चुनाव में यह भी कहा गया था कि मोदी जी प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो लाहौर तक घुसकर मारेंगे। शशि थरूर को क्या यह नहीं पूछना चाहिए कि क्या घुसकर मारे? उन्हें ये भी पूछना चाहिए कि यूपीए सरकार पीओके नहीं ले पाई तो आप पीओके कब ले रहे हैं। शशि थरूर को यह भी पूछना चाहिए कि जो ऑल पार्टी मीटिंग में झूठ बोला कि बैसरन घाटी दो दिन पहले खुला। टूरिस्ट और वहां के ऑपरेटर ने बताया कि ये पूरे साल तक खुला रहता है।

उदित राज का तीखे सवाल

उदित राज ने सवाल किया, क्या शशि थरूर बीजेपी के वकील बन गए हैं? मुझे तो लगता है कि भारतीय जनता पार्टी वाले भी इतना बड़ा वकील नहीं हो पाएंगे। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अमेरिका में 9/11 के बाद कौन सी आतंकी घटना हुई थी? चाइना में कौन सी घटना हो गई? इजरायल एक अपवाद है, यहां कोई अपवाद थोड़े ही है। उरी हुआ, पुलवामा की घटना हुई और इसके अलावा भी गुलमर्ग भी हुआ। राजौरी में हुआ। पहलगाम में हुआ।

क्या बीजेपी ने अपना प्रवक्ता नियुक्त कर दिया है-उदित राज

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, शशि थरूर जी ये तय कर लें कि क्या भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रवक्ता नियुक्त कर दिया है? बीजेपी जो दावा कर रही है, ये उनको नजर नहीं आ रहा है? विपक्ष उचित सवाल पूछ रहा है और जिसे सत्ता पक्ष ने भी माना है कि हमारी सिक्योरिटी लैप्स है तो ये उसपर भी लीपापोती कर रहे हैं। मैं तो बड़ा हैरान हूं।

फिर मोदी सरकार के मुरीद हुए शशि थरूर, जानें अब कौन सी बात आई पसंद

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पूर्व राजनयिक, केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जिसे उनकी पार्टी की लाइन के खिलाफ माना जा सकता है।शशि थरूर ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की तारीफ की है। इस बार उन्होंने वैक्सीन मैत्री पहल की जमकर प्रशंसा की है।उन्होंने कहा कि इस पहल ने भारत की ग्लोबल सॉफ्ट पावर को मजबूत किया है। साथ ही देश को एक उत्तरदायी वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया।

वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका को भी सशक्त किया-थरूर

अपने एक लेख में शशि थरूर ने कहा कि भारत ने अपनी वैक्सीन उत्पादन क्षमता को प्रभावी ढंग से उपयोग किया, जिससे वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति और मजबूत हुई। उन्होंने कहा कि इस पहल के तहत भारत ने ना केवल जरूरतमंद देशों को मदद दी, बल्कि वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका को भी सशक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत ने आगे बढ़कर अन्य देशों को प्राथमिकता दी और कई देशों की मदद की।

चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया-थरूर

कांग्रेस सांसद ने ये भी कहा कि वैक्सीन मैत्री प्रोग्राम ने दक्षिण एशिया और अफ्रीका में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का काम किया। उन्होंने माना कि भारत की वैक्सीन कूटनीति ने देश की सॉफ्ट पावर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान भारत को अपने घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देनी पड़ी, लेकिन फिर भी उसकी वैक्सीन कूटनीति वैश्विक मंच पर असरदार साबित हुई।

वैश्विक मंच पर मजबूत छवि-थरूर

थरूर ने आगे कहा कि यह सच है कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने भारत के वैक्सीन एक्सपोर्ट को अस्थायी रूप से बाधित किया है, जिससे घरेलू जरूरतों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के साथ संतुलित करने की चुनौतियों पर ध्यान गया। इसके बावजूद, भारत की वैक्सीन कूटनीति उसकी विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय बनी, जो रणनीतिक हितों के साथ मानवतावाद को जोड़ने की उसकी क्षमता को दर्शाती है। इसने भारत की सॉफ्ट पावर को काफी हद तक बढ़ाया है, जिससे विकासशील दुनिया में यह दर्शाया गया है कि भारत मानवीय सहायता को प्राथमिकता दे सकता है, जिससे वैश्विक मंच पर एक उदार और विश्वसनीय भागीदार के रूप में इसकी छवि मजबूत हुई है।

क्या है 'वैक्सीन मैत्री' पहल?

बता दें कि 'वैक्सीन मैत्री'के तहत भारत ने कोरोना महामारी के समय में अन्य जरूरतमंद देशों को भारी मात्रा में घरेलू वैक्सीन मुहैया करवाई थी। सरकार ने 10 जनवरी 2021 को इस पहल की शुरुआत की थी। वहीं भारत ने कोवैक्स पहल के जरिए भी ग्लोबल वैश्विक डिस्ट्रीब्यूशन में अहम भूमिका निभाई थी।

अपने बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा…”रूस-यूक्रेन जंग पर 3 साल बाद शशि थरूर को हुआ गलती का एहसास

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर बीते कुछ समय से बदले-बदले नजर आ रहे हैं। बीते कुछ महीनों में शशि थरूर ने ऐसे कई बयान दिए हैं जो पार्टी लाइन से हटकर हैं। एक बार फिर शशि थरूर ने अपने बयान से चौंकाया है। दरअसल, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था, वह सही नहीं था। अब उन्हें उस बयान पर अफसोस हो रहा है।

पीएम मोदी को लेकर क्या बोले थरूर?

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत आज ऐसी स्थिति में है जो रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित कर सकता है। भारत के पास ऐसा प्रधानमंत्री है, जो वोलोदिमिर जेलेंस्की और व्लादिमीर पुतिन दोनों को गले लगा सकता है। हम दोनों जगहों (रूस और यूक्रेन) पर स्वीकार किए जाते हैं। थरूर ने कहा- आज की स्थिति को देखते हुए वे तीन साल पहले अपने दिए बयानों पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूं। 2022 में संसदीय बहस में मैं इकलौता सांसद था, जिसने यूक्रेन को लेकर भारत के रुख की आलोचना की थी।

शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है-थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को रायसीना डायलॉग 2025 में स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था वो सही नहीं था। रायसीना डायलॉग 2025 में शशि थरूर से पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति को देखते हुए उन्हें खुशी है कि भारत ने जो रुख अपनाया, वह सही था? इस पर शशि थरूर ने माना कि तीन साल बाद उन्हें अपनी उस स्थिति पर अफसोस है। उन्हें शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है।

शांति स्थापित करने में निभा सकते हैं भूमिका

थरूर ने आगे कहा,भारत दुनिया में अपनी खास स्थिति को देखते हुए शांति स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। अगर रूस और यूक्रेन के बीच कोई समझौता होता है, तो भारत शांति सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हो सकता है। खासकर तब, जब रूस ने नाटो देशों के यूरोपीय शांति सैनिकों को अस्वीकार कर दिया है।

रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में युद्ध शुरू हुआ था। जंग अब भी जारी है। जब पूरी दुनिया में रूस-यूक्रेन जंग से खलबली मची तब कांग्रेस नेता शशि थरूर उस समय भारत के रुख के सबसे मुखर विरोधियों में से एक थे। तब उन्होंने भारत के स्टैंड को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। शशि थरूर ने सरकार पर मौन रहने का आरोप लगाते हुए कहा था कि रूस हमारा दोस्त है और उसकी कुछ वैध सुरक्षा चिंताएं हो सकती हैं लेकिन भारत का अचानक इस मुद्दे पर चुप हो जाना यूक्रेन और उसके समर्थकों को निराश करेगा।