देश में होगा मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण, बिहार में जारी विरोध के बावजूद चुनाव आयोग का बड़ा ऐलान
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चुनाव आयोग द्वारा बिहार में किए जा रहे मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण का विपक्ष द्वारा संसद से लेकर सड़क तक विरोध किया जा रहा है। इस भारी विरोध के बीच चुनाव आयोग ने बड़ी घोषणा की है। भारत निर्वाचन आयोग ने अब देश भर में मतदाता सूची की व्यापक जांच और सत्यापन के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि देशभर में मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का काम अब शुरू करने का फैसला किया गया है और जल्द ही इसके लिए शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।
अगस्त 2025 से पूरे देश में होगा एसआईआर
चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि अगस्त 2025 से पूरे देश में मतदाता सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य अवैध मतदाताओं, विशेष रूप से बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों से आए संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान करना और उनकी फर्जी वोटर आईडी को हटाना है। इसके लिए मतदाताओं को अपनी नागरिकता, पहचान और निवास स्थान साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे।
क्यों उठाया यह कदम?
चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। मतदाता सूची में गड़बड़ियों को रोकने और फर्जी मतदान को खत्म करने के लिए यह सत्यापन जरूरी है। आयोग ने बायोमेट्रिक सत्यापन और आधार से लिंकेज जैसे उपायों को भी बढ़ावा दिया है, जिससे मतदाता पहचान की प्रामाणिकता बढ़ाई जा सके। चुनाव आयोग ने बीती 24 जून को ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया था और कहा था कि संवैधानिक कर्तव्य के तहत और मतदाता सूची की अखंडता और सुरक्षा के लिए यह मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का काम किया जाएगा।
एसआईआर पर बिहार विधानसभा और संसद में हंगामा
पिछले महीने 24 जून को निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का निर्देश दिया था। यह 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच होना है। बिहार में जून 2024 से शुरू हुए विशेष गहन पुनरीक्षण में अब तक 88% मतदाताओं का सत्यापन पूरा हो चुका है, और लगभग 5% अवैध प्रविष्टियां हटाई गई हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर विवाद भी सामने आए हैं। विपक्ष द्वारा मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण करने का भारी विरोध किया जा रहा है। बिहार विधानसभा और संसद में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ।
56 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने का दावा
दावा किया जा रहा है कि पुनरीक्षण में बिहार में कम से कम 56 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते हैं। इसमें 20 लाख मतदाताओं का निधन हो चुका है। 28 लाख ऐसे मतदाताओं की पहचान की गई जो अपने पंजीकृत पते से स्थाई रूप से पलायन कर गए हैं। वहीं, एक लाख मतदाता ऐसे हैं जिनका कुछ पता नहीं है। 7 लाख मतदाता एक से अधिक स्थान पर पंजीकृत पाए गए हैं।
Jul 26 2025, 16:27