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ट्रंप ने बदले सुर, बोले-कुशल विदेशी लोगों का अमेरिका आना जरूरी

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आव्रजन (इमिग्रेशन) पर सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, अब उनके सुर बदले-बदले से लग रहे हैं। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ कहा कि हाई-स्किल्ड विदेशी कामगार अमेरिका की टेक इंडस्ट्री के लिए जरूरी हैं। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका की टेक कंपनियों को विदेशी कुशल कर्मचारियों की जरूरत है। उनके बिना अमेरिकी लोगों को कंप्यूटर चिप्स और दूसरी तकनीकी चीजें बनाना सीखना मुश्किल होगा।

अमेरिका में आयोजित यूएस-सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को उन्होंने स्वीकार किया कि हाल ही में उनके "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (MAGA) समर्थकों द्वारा कुछ कुशल प्रवासियों को देश में आने की अनुमति देने के उनके बयान की आलोचना की गई है। ट्रंप ने व्यावसायिक अधिकारियों के एक समूह से कहा कि अमेरिका को ऐसे प्रवासियों की जरूरत है जो उच्च तकनीक वाली फैक्टरियों में घरेलू कामगारों को प्रशिक्षित कर सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा करना उनके मूल राजनीतिक विश्वासों के साथ असंगत नहीं है।

विरोधियों को ट्रंप का जवाब

ट्रंप ने कहा, मुझे अपने रूढ़िवादी दोस्त पसंद हैं। मुझे MAGA पसंद है, लेकिन यही MAGA है। ट्रंप ने यूएस-सऊदी निवेश फोरम को संबोधित करते हुए कहा, वे लोग हमारे लोगों को कंप्यूटर चिप बनाना सिखाएंगे, और कुछ ही समय में हमारे लोग बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे। और वे लोग घर जा सकेंगे। इस टिप्पणी पर कमरे में तालियां बजीं।

ट्रंप ने जताई H-1B वीज़ा की जरूरत

पिछले हफ्ते, ट्रंप ने इसी मुद्दे पर फॉक्स न्यूज की होस्ट लॉरा इंग्राहम से बहस की। इंग्राहम ने ट्रंप के साथ एक साक्षात्कार में सुझाव दिया कि आप देश में लाखों विदेशी कर्मचारियों की बाढ़ नहीं ला सकते, जिस पर राष्ट्रपति ने जवाब दिया कि आपको प्रतिभाओं को भी लाना होगा। ट्रंप ने कहा था कि H-1B वीज़ा की जरूरत इसलिए है क्योंकि अमेरिका में हर तरह की तकनीकी प्रतिभा मौजूद नहीं है। H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को छह साल तक विदेशी कुशल कर्मचारियों को काम पर रखने की अनुमति देता है।

H-1B वीजा को लेकर है विवाद

दक्षिणपंथी अमेरिकी लंबे समय से H-1B वीजा को अमेरिकी कामगारों के खिलाफ मानता रहा है। उनका आरोप है कि इस कार्यक्रम के जरिए अमेरिकी कंपनियां विदेशों से सस्ता कामगार लाकर अमेरिकी इंजीनियरों और प्रोग्रामर्स को रिप्लेस कर देती हैं। कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में अमेरिकियों की छंटनी और फिर उन्हें H-1B कर्मचारियों को ट्रेन देने के लिए कहे जाने ने इस गुस्से को और बढ़ाया। ट्रंप ने अपने पिछले चुनाव अभियानों के दौरान कई बार H-1B पर सवाल उठाए थे। लेकिन सितंबर 2025 में उन्होंने एक नया आदेश साइन किया जिसमें अमेरिका के बाहर से दायर होने वाले हर नए H-1B आवेदन पर एक बार का 100,000 डॉलर शुल्क लगाने की घोषणा की गई।

सऊदी अरब में बस-टैंकर की भीषण टक्कर, उमराह के लिए गए 40 से ज्यादा भारतीयों की मौत की आशंका

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सऊदी अरब में मदीना के पास एक बड़ा सड़क हादसा हुआ है। इस हादसे में कम से कम 42 भारतीयों की मौत की आशंका है। हादसे का शिकार हुए लोग भारत से उमराह करने के लिए सऊदी अरब गए थे। बये बीषण हादसा उस वक्त हुआ जब मक्का से मदीना जा रहे उमरा यात्रियों से भरी एक बस की डीजल टैंकर से टक्कर हो गई।हादसा इतना भीषण था कि बस के परखच्चे उड़ गए और उसमें आग लग गई।

मृतकों में ज्यादातर हैदराबाद के

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हादसा भारतीय समयानुसार लगभग 1.30 बजे तड़के हुआ। टक्कर के बाद बस में अचानक भीषण आग लग गई, उस समय अधिकांश यात्री सो रहे थे। शुरुआती जानकारी से संकेत मिला है कि मृतकों में ज्यादातर हैदराबाद के हैं, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल बताए जा रहे हैं। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि 40 से ज्यादा लोग मौके पर ही जलकर मर गए

तेलंगाना सरकार ने जारी किया बयान

तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में सऊदी अरब में हुए सड़क हादसे पर दुख जताया गया है और कहा कि सीएम ने तुरंत मुख्य सचिव और डीजीपी को हादसे से जुड़ी पूरी जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ये भी जानकारी मांगी है कि हादसे में कथित तौर पर मरने वाले कितने लोग हैदराबाद के निवासी थे। मुख्यमंत्री ने सरकार के शीर्ष अधिकारियों को विदेश मंत्रालय से संपर्क करने और सऊदी अरब दूतावास से जानकारी लेने का सुझाव दिया है। मुख्य सचिव के निर्देश पर अधिकारी इस बात का पता लगा रहे हैं कि सऊदी अरब में हादसे का शिकार हुए कितने लोग तेलंगाना के थे और सचिवालय में एक कंट्रोल रूम बनाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि पीड़ित परिजनों को जानकारी दी जा सके।

महावाणिज्य दूतावास ने हेल्‍पलाइन नंबर जारी किया

हादसे के बाद भारतीय दूतावास एक्टिव हो गया है। सऊदी अरब में भारतीय महावाणिज्‍य दूतावास ने एक हेल्‍पलाइन नंबर जारी किया है। टोल फ्री नंबर इस प्रकार है- 8002440003। भारतीय दूतावास ने कहा कि 24 घंटे चलने वाला एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।

ओवैसी की भारत सरकार से की अपील

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस दर्दनाक हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि वे लगातार कई अधिकारियों से संपर्क में हैं ताकि सत्यापित जानकारी मिल सके। एएनआई से बातचीत में ओवैसी ने बताया कि उन्होंने हैदराबाद की दो ट्रैवल एजेंसियों से संपर्क किया है, जिनका इन तीर्थयात्रियों से संबंध है और उनके द्वारा प्रदान की गई सभी जानकारी रियाद स्थित भारतीय दूतावास और विदेश सचिव को साझा कर दी है। ओवैसी ने कहा, “मैं केंद्र सरकार, खासकर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से अनुरोध करता हूं कि मृतकों के शवों को भारत वापस लाने की तुरंत व्यवस्था की जाए और अगर कोई घायल है तो उसका पूरा इलाज कराया जाए।

क्या है 'कफाला सिस्टम' जिसे सऊदी अरब ने किया खत्म, भारतीयों पर इसका क्या असर होगा?

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सऊदी अरब की सरकार ने दशकों पुराने 'कफ़ाला' यानी स्पॉन्सरशिप सिस्टम को खत्म करने का एलान किया है। इस व्यवस्था में विदेशी कामगारों को पूरी तरह से अपने नियोक्ता यानी काम देने वाले पर निर्भर रहना पड़ता था। मानवाधिकार संगठन लंबे समय से कफ़ाला सिस्टम को 'आधुनिक गुलामी' बताते आए हैं। अब सऊदी अरब ने इसे खत्म कर एक नए कॉन्ट्रैक्ट आधारित रोजगार मॉडल की शुरुआत की है। सऊदी में इसके खत्म होने से भारत, पाकिस्तान जैसे देशों के लोगों ने खासतौर से राहत की सांस ली है, जहां से बड़ी तादाद में कामगार सऊदी जाते हैं।

अरब देशों में बीते कई दशकों से ये सिस्टम विदेशी कामगारों के लिए बड़ी परेशानी का सबब रहा है। इस सिस्टम की वजह से अरब में काम करने के लिए जाने वाले लाखों लोगों को मानवाधिकारों से वंचित होना पड़ता था। कफाला एक तरह से लाखों लोगों को अरब देशों में बंधक मजदूर या गुलाम की तरह रहने पर मजबूर कर देता है।इस फैसले से खासकर उन देशों के कामगारों को बड़ी राहत मिली है जो वहां काम करने जाते हैं।

सऊदी अरब में 27 लाख भारतीय कामगार

सऊदी अरब में करीब 1.3 करोड़ कामगार हैं और इनमें करीब 27 लाख भारतीय शामिल हैं। कफाला व्यवस्था समाप्त होने से विदेशी कामगार अपनी मर्जी से नौकरी बदल सकेंगे, तयशुदा वेतन और काम के घंटों के साथ काम करेंगे, और बिना अपने नियोक्ता या 'कफील' की इजाजत के स्वदेश लौट सकेंगे।

कफाला सिस्टम क्या है?

कफाला सिस्टम प्रवासी मजदूरों और उनके स्थानीय नियोक्ताओं के बीच एक बाध्यकारी अनुबंध है जिसके तहत प्रवासी मजदूर केवल उस विशेष नियोक्ता के लिए ही काम कर सकते हैं, जिसके तहत उन्हें देश में रहने की अनुमति दी जाती है। कफाला सिस्टम के तहत नियोक्ता को कई अधिकार मिले होते हैं। मजदूर अपने कफाला की अनुमति के बिना नौकरी बदल नहीं सकते थे। इसके शोषणकारी स्वरूप के कारण, विशेष रूप से उन प्रवासी मजदूरों के लिए जो घरेलू काम, निर्माण आदि के लिए मध्य पूर्व आते हैं, आलोचकों ने इसे आधुनिक काल की गुलामी कहा है।

कफ़ाला सिस्टम खत्म होने से क्या होगा फायदा?

नई व्यवस्था के मुताबिक़ अब कामगार अपने कफ़ील की मर्जी के बिना भी अपनी नौकरी बदल पाएंगे। इसके अलावा देश छोड़ने के लिए भी कफ़ील की अनुमति की जरूरत नहीं होगी। नए सिस्टम में कामगारों को कानूनी मदद मुहैया करवाई जाएगी। कफ़ील कामगारों के स्पॉन्सर या मालिक को कहते हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी कामगार को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है या उसे काम में दिक्कतें आ रही हैं तो वह शिकायत कर सकता है। इसके साथ ही नए सिस्टम में काम के घंटे, कंपनी के लिए कामगारों के अधिकार, वेतन और अन्य चीजें तय करना जरूरी कर दिया गया है।

कई देशों में अब भी लागू

सऊदी अरब में कफाला खत्म हो गया है लेकिन खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के कई देशों में यह जारी है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) के आंकड़ों के हिसाब से खाड़ी देशों में 2.4 करोड़ श्रमिक कफाला के नियंत्रण में हैं। इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा 75 लाख भारतीयों का है। अधिकार समूहों ने कफाला की 'आधुनिक गुलामी' कहकर आलोचना की है।

पाकिस्तान-सऊदी अरब के रक्षा समझौता, जानें भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

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पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के बाद से अभी तक सहम हुआ है। इस बीच शहबाज शरीफ सऊदी अरब के दौरे पर हैं और उन्होंने इस दौरान उन्होंने बड़ा एग्रीमेंट साइन किया है। उन्होंने सऊदी के साथ एक खास रक्षा समझौता किया है। इस समझौते के तहत अगर किसी एक देश पर हमला होता है तो, उसे दोनों देशों पर अटैक माना जाएगा। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुई रक्षा समझौते पर भारत की तरफ से पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। भारत सरकार ने सतर्क रुख अपनाते हुए कहा है कि वह पूरी स्थिति पर नजर रख रही है।

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच मंगलवार को हुए ‘स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट’ (रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता) को लेकर विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस समझौते की जानकारी पहले से थी और इसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्थिरता के संदर्भ में परखा जाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और सभी क्षेत्रों में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

समझौते के तहत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का भी प्रावधान

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार किसी भी देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। समझौते के तहत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का भी प्रावधान है। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच यह समझौता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की रियाद यात्रा के दौरान हुआ। शहबाज शरीफ को क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने अल-यमामा पैलेस में रिसीव किया। इस यात्रा के दौरान ही 'सामरिक आपसी रक्षा समझौता' हुआ। पाकिस्तान और सऊदी के साझा बयान में कहा गया है कि यह समझौता न सिर्फ द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों को गहरा करने के लिए है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति भी इसका लक्ष्य है।

समझौता इस्लामी एकजुटता और साझा हितों पर आधारित

हाल ही में इस्राइल के कतर पर हमले के बाद कतर की राजधानी दोहा में मुस्लिम देशों की बैठक हुई थी, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल हुआ। इस बैठक में पाकिस्तान ने नाटो जैसा संगठन बनाने का सुझाव दिया था। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह समझौता इस्लामी एकजुटता और साझा हितों पर आधारित है। सऊदी अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि यह एक व्यापक रक्षात्मक समझौता है, जो सभी सैन्य साधनों को कवर करता है

पीएम मोदी का पाकिस्तान को कड़ा संदेश, सऊदी से लौटते वक्त हवाई क्षेत्र का नहीं किया इस्तेमाल

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कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी अपनी दो दिनों की सऊदी अरब की यात्रा को बीच में ही खत्म करते हुए वापस भारत आ गए हैं। पहलगाम हमले के बाद सऊदी अरब से लौटते हुए पीएम मोदी ने पाकिस्तान को बिना कुछ कहे कड़ा संदेश दिया। बुधवार को जेद्दा से तत्काल वापस लौटते समय पीएम नरेंद्र मोदी का विमान पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से नहीं गुजरा।

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खास बात है कि पीएम मोदी ने सऊदी अरब जाते हुए तो पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) को पार करते हुए यात्रा की थी लेकिन जब कश्मीर में हमले के बाद उनका विमान वापस लौटा तो पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में नहीं घुसा और लंबा रास्ता होते हुए अरब सागर के उपर से आया।

जेद्दा जाते वक्त किया था पाक हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल

फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट के विजुअल्स से पुष्टि हुई है कि प्रधानमंत्री का भारतीय वायु सेना का विमान- बोइंग 777-300 मंगलवार की सुबह रियाद के लिए उड़ान भरते समय पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र को पार कर गया था, लेकिन वापस आते समय उसने लंबा रूट चुना और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को क्रॉस नहीं किया।

पीएम मोदी ने दौरे को बीच में ही छोड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर सऊदी अरब गए थे। मंगलवार को पहलगाम में आतंकी हमले की सूचना मिलने के बाद पीएम मोदी ने दुख जताया। इसके बाद दौरा बीच में छोड़कर उन्होंने भारत वापसी की। रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी ने क्राउन प्रिंस के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत के बाद रात्रि भोज में हिस्सा नहीं लिया। प्रधानमंत्री आधी रात के बाद करीब दो बजे भारत के लिए रवाना हुए। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी खाड़ी देश की दो दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद बुधवार को स्वदेश लौटने वाले थे।

सुरक्षा के लिहाज से विमान का मार्ग बदला

माना जा रहा है कि आतंकी हमले के बाद सुरक्षा के लिहाज से विमान का मार्ग बदला गया। नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर विमान उतरने के बाद पीएम मोदी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बैठक की। इससे पहले, पीएम मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात कर जरूरी कदम उठाने और कश्मीर पहुंचाने के निर्देश दिए।

सऊदी एयर स्पेस में पीएम मोदी का स्‍पेशल वेलकम, विमान को 3 फाइटर प्लेन ने किया एस्कॉर्ट


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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर दो दिवसीय ऐतिहासिक दौरे पर जेद्दा पहुंच चुके हैं। वहां उनका भव्य स्वागत किया गया। पीएम मोदी के विमान ने जैसे ही सऊदी अरब की हवाई सीमा में प्रवेश किया, उन्‍हें एयर स्‍कॉर्ट दिया गया। पीएम मोदी के विमान को सऊदी अरब के एफ-15 लड़ाकू विमानों ने सुरक्षा दी। विदेश मंत्रालय ने इस बात की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा कर जानकारी दी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अपनी दो दिवसीय सऊदी अरब की यात्रा के लिए रवाना हुए। जैसे ही उनका विशेष विमान सऊदी अरब के हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ, रॉयल सऊदी वायु सेना के एफ-15 फाइटर जेट्स ने उनके विमान को सुरक्षा दी।

दोनों देशों के संबंध होंगे और बेहतर

अपने सऊदी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत-सऊदी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक द्विपक्षीय रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने रवाना होने से पहले कहा था कि भारत सऊदी अरब के साथ अपने दीर्घकालिक और ऐतिहासिक संबंधों को अत्यधिक महत्व देता है। रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और लोगों के बीच संबंधों जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को नई गति मिली है।

कई अहम समझौतों पर हस्‍ताक्षर की संभावना

बता दें कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और पीएम मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर पीएम मोदी सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर गए हैं। भारत और सऊदी अरब के बीच सामरिक साझेदारी की वजह से यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है। रक्षा साझेदारी और आर्थिक साझेदारी के मसले पर पीएम मोदी के दौरे के दौरान बातचीत होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान कई अहम समझौतों पर हस्‍ताक्षर हो सकते हैं। पीएम मोदी भारतीय समुदाय के लोगों से मिलने के अलावा सऊदी के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।

भारत सरकार की एक कूटनीतिक सफलता, 10 हजार और भारतीयों को हज वीजा देने पर सऊदी अरब सहमत


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भारत से हर साल बड़ी संख्या में लोग हज यात्रा के लिए जाते हैं। इसके लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस बीच हज पर जाने के इच्छा रखने वाले भारतीय के लिए अच्छी खबर आई है। सऊदी अरब के हज मंत्रालय ने 10,000 तीर्थयात्रियों के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने का फैसला लिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार बताया कि सऊदी सरकार ने 10,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए हज पोर्टल फिर से खोल दिया है। जिसके बाद भारत के 10 हजार तीर्थयात्री हज जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय भारत से 10 हजार और भारतीयों हज का वीजा देने के लिए राजी हो गया है। सऊदी सरकार इसके लिए कम्बाइंड हज ग्रुप ऑपरेटर्स (CHGOs) के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति दे दी है, जो मिना में वर्तमान उपलब्धता पर आधारित है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सभी हज कमेटियों को जल्द ही प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि तय समय के अंदर सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें

52 हजार हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की थी खबर

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 52,000 भारतीय हज यात्री इस बार नहीं जा सकते हैं, क्योंकि सऊदी अरब ने मीना में उन क्षेत्रों को रद्द कर दिया है, जो पहले निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किए गए थे।

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जताई थी चिंता

इससे पहले विपक्षी नेताओं ने भारत के हजारों हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने को लेकर केंद्र सरकार से दखल की मांग की थी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘52,000 से अधिक भारतीय हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की खबर अत्यंत चिंताजनक है। इनमें से कई यात्रियों ने भुगतान भी कर दिया है। मैं विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से अपील करता हूं कि सऊदी अधिकारियों से शीघ्र संपर्क कर इस मुद्दे का समाधान करें।’

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी कहा था, ‘सऊदी अरब से चिंताजनक खबरें आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के निजी हज कोटे का 80% हिस्सा अचानक कट गया है। यह निर्णय हाजियों और टूर ऑपरेटर्स के लिए भारी परेशानी का कारण बन रहा है। विदेश मंत्रालय से निवेदन है कि तत्काल सऊदी सरकार से संपर्क कर समाधान निकाले।’

12 साल से कम उम्र के बच्चों को हज करने की इजाजत नहीं, 291 भारतीय बच्चों का वीजा रिजेक्ट

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सऊदी अरब ने इस साल होने वाले हज के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। हज की तैयारी के तहत सऊदी के गृह मंत्रालय ने हाजियों लिए नए नियम जारी किए हैं। हज यात्रा के नियमों में बदलाव का असर बच्चों को झेलना पड़ेगा। इस साल हज यात्रा की ख्वाहिश रखने वाले 12 साल से कम उम्र के बच्चों को झटका लगा है। सऊदी अरब सरकार ने इस आयु वर्ग के बच्चों को वीजा जारी करने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते भारत के 291 बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।

क्यों नहीं दी गई बच्चों को इजाजत?

हर साल लाखों की तादाद में तीर्थयात्री हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। इस मौके पर कई लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी लेकर जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई है। सऊदी सरकार ने यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को देख कर लिया है। हज 2024 में भारी भीड़ जुटी थी और हीटवेव के चलते लगभग 1200 लोगों की मौत दर्ज की थी। इसी के बाद से इन हालातों को देखने के बाद सऊदी अरब ने नियमों में कुछ बदलाव किए।

भारतीय हज समिति ने 13 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर सऊदी सरकार के फैसले को सूचित किया है। इसी के साथ हज समिति ने घोषणा की है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हज के लिए किए गए भुगतान को वापस किया जाएगा। इसी के साथ जानकारी दी गई कि सऊदी अरब के निर्णय के चलते 291 आवेदक बच्चों का हज आवेदन रद्द कर दिया गया है।

मक्का आने वालों की बढ़ेगी निगरानी

सऊदी सरकार ने कहा है कि 23 अप्रैल से मक्का में आने-जाने पर कड़ी निगरानी शुरू की जाएगी। मक्का में एंट्री करने के लिए काम करने का परमिट, मक्का का पहचान पत्र या हज का परमिट दिखाना जरूरी होगा। इनके अलावा किसी को एंट्री नहीं मिलेगी। सऊदी अरब में रहने वाले विदेशी नागरिक, जो मक्का में नहीं रहते हैं, उन्हें भी मक्का में आने के लिए परमिट लेना होगा। टूरिस्ट वीजा पर आए विदेशियों या देश के दूसरे हिस्से से आए लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन हज में शामिल होने से रोकने के लिए ये नियम बनाए गए हैं।

स्थानीय और विदेशी नागरिकों पर विशेष निगरानी

सऊदी सरकार इस बार स्थानीय और विदेशी दोनों नागरिकों की मक्का यात्रा पर कड़ी निगरानी रखेगी। विशेष रूप से मक्का के गैर-निवासी विदेशी नागरिकों को भी परमिट लेना जरूरी होगा। देश के अन्य शहरों से मक्का आने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाएगी। बिना अनुमति के किसी भी गतिविधि को नियम उल्लंघन माना जाएगा। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि हज के दौरान लाखों लोग मक्का आते हैं, और हर साल किसी न किसी कारणवश अव्यवस्था की स्थिति बनती है। इसलिए सरकार पहले से तैयार रहना चाहती है।

यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए सऊदी अरब में अमेरिका-रूस के बीच बातचीत शुरू, जेलेंस्की को न्योता नहीं

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यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के मकसद से अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में वार्ता शुरू हो गई है।यह वार्ता अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है। हालांकि, इस वार्ता में यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है। दरअसल, यूक्रेन को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।

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अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और पश्चिम एशिया के लिए डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विट्कॉफ बैठक में मौजूद रहे। जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लावरोव करेंगे और उसमें पुतिन के सलाहकार यूरी यूशाकोव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन को इस बैठक में नहीं बुलाया गया है। जबकि यह बातचीत यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से हो रही है। रूस और अमेरिका इस बैठक के दो पक्ष हैं और सऊदी मध्यस्थ की भूमिका मे है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश युद्ध समाप्त करने के लिए इस सप्ताह अमेरिका-रूस वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यूक्रेन इस वार्ता में भाग नहीं लेगा इसलिए वह वार्ता के नतीजों को भी स्वीकार नहीं करेगा। यूएई में एक कांफ्रेंस कॉल के दौरान जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा, उनकी सरकार को सऊदी अरब में मंगलवार की नियोजित वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।

यूरोपीय संघ को भी चर्चा में शामिल नहीं किया गया है। यूरोपीय नेताओं ने इस पर एतराज जताते हुए किसी भी शांति वार्ता में अपनी भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष और स्थायी शांति के लिए उनकी मौजूदगी जरूरी है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में यह बैठक यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन साल बाद हो रही है। अमेरिका की शांति समझौते में भूमिका की वजह से इसे अहम माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग और रूस के अधिकारियों में बातचीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में फोन पर चर्चा के बाद हो रही है। 12 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेढ़ घंटे तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर वार्ता कर संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। फोन पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर तुरंत शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी।

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद रूस को अलग-थलग करने की अमेरिकी नीति में बदलाव किया है। इससे पहले अमेरिका यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसे अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था। अब दोनों देश को शीर्ष अधिकारी मिले हैं। यह बातचीत डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक का रास्ता भी खोल सकती है।

सऊदी अरब ने 14 देशों के मल्टीपल वीजा रोके, लिस्ट में भारत का नाम भी

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सऊदी अरब ने अपने वीजा नियमों में बदलाव किया है। सऊदी सरकार ने भारत समेत 14 देशों के यात्रियों को अब केवल सिंगल एंट्री वीजा का ऐलान किया है। यानी इन देशों के लिए मल्टीपल एंट्री वीजा पर रोक लगाई गई है। यह नियम 1 फरवरी, 2025 से लागू कर दिया गया है। सऊदी ने अपने वीजा नियमों में बदलाव इसलिए किया है ताकि लंबी अवधि का वीजा लेकर देश में आने वाले लोग अनाधिकृत रूप से हज यात्रा न कर सकें।

सऊदी सरकार ने अल्जीरिया, बांग्लादेश, मिस्र, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, इराक, जॉर्डन, मोरक्को, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सूडान, ट्यूनीशिया और यमन के यात्रियों के लिए मल्टीपल वीजा पर रोक लगाई है। इन 14 देशों के लिए पर्यटन, व्यापार और पारिवारिक यात्राओं के लिए एक साल का मल्टीपल-एंट्री वीजा अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। सऊदी अधिकारियों का कहना है कि इससे हज यात्रा को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

सऊदी के सामने हालिया वर्षों में अनाधिकृत हज यात्री एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। सऊदी अधिकारियों ने बताया कि मल्टीपल-एंट्री वीजा का दुरुपयोग हो रहा था। कुछ यात्री लंबी अवधि के वीजा पर आने के बाद बिना उचित अनुमति के हज करते थे।

सऊदी अरब हज यात्रा पर कड़ा नियंत्रण रखता है और प्रत्येक देश के लिए हज यात्रियों की एक निश्चित संख्या तय करता है। इसके बावजूद कई पर्यटक लंबी अवधि के वीजा का उपयोग करके इस सीमा को तोड़ते थे, जिससे हज में भीड़भाड़ बढ़ती थी। यह समस्या 2024 में विशेष रूप से गंभीर हो गई थी, जब अत्यधिक गर्मी और भीड़ के कारण 1,200 से अधिक हज यात्रियों की मौत हो गई थी।

ट्रंप ने बदले सुर, बोले-कुशल विदेशी लोगों का अमेरिका आना जरूरी

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आव्रजन (इमिग्रेशन) पर सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, अब उनके सुर बदले-बदले से लग रहे हैं। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ कहा कि हाई-स्किल्ड विदेशी कामगार अमेरिका की टेक इंडस्ट्री के लिए जरूरी हैं। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका की टेक कंपनियों को विदेशी कुशल कर्मचारियों की जरूरत है। उनके बिना अमेरिकी लोगों को कंप्यूटर चिप्स और दूसरी तकनीकी चीजें बनाना सीखना मुश्किल होगा।

अमेरिका में आयोजित यूएस-सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को उन्होंने स्वीकार किया कि हाल ही में उनके "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (MAGA) समर्थकों द्वारा कुछ कुशल प्रवासियों को देश में आने की अनुमति देने के उनके बयान की आलोचना की गई है। ट्रंप ने व्यावसायिक अधिकारियों के एक समूह से कहा कि अमेरिका को ऐसे प्रवासियों की जरूरत है जो उच्च तकनीक वाली फैक्टरियों में घरेलू कामगारों को प्रशिक्षित कर सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा करना उनके मूल राजनीतिक विश्वासों के साथ असंगत नहीं है।

विरोधियों को ट्रंप का जवाब

ट्रंप ने कहा, मुझे अपने रूढ़िवादी दोस्त पसंद हैं। मुझे MAGA पसंद है, लेकिन यही MAGA है। ट्रंप ने यूएस-सऊदी निवेश फोरम को संबोधित करते हुए कहा, वे लोग हमारे लोगों को कंप्यूटर चिप बनाना सिखाएंगे, और कुछ ही समय में हमारे लोग बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे। और वे लोग घर जा सकेंगे। इस टिप्पणी पर कमरे में तालियां बजीं।

ट्रंप ने जताई H-1B वीज़ा की जरूरत

पिछले हफ्ते, ट्रंप ने इसी मुद्दे पर फॉक्स न्यूज की होस्ट लॉरा इंग्राहम से बहस की। इंग्राहम ने ट्रंप के साथ एक साक्षात्कार में सुझाव दिया कि आप देश में लाखों विदेशी कर्मचारियों की बाढ़ नहीं ला सकते, जिस पर राष्ट्रपति ने जवाब दिया कि आपको प्रतिभाओं को भी लाना होगा। ट्रंप ने कहा था कि H-1B वीज़ा की जरूरत इसलिए है क्योंकि अमेरिका में हर तरह की तकनीकी प्रतिभा मौजूद नहीं है। H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को छह साल तक विदेशी कुशल कर्मचारियों को काम पर रखने की अनुमति देता है।

H-1B वीजा को लेकर है विवाद

दक्षिणपंथी अमेरिकी लंबे समय से H-1B वीजा को अमेरिकी कामगारों के खिलाफ मानता रहा है। उनका आरोप है कि इस कार्यक्रम के जरिए अमेरिकी कंपनियां विदेशों से सस्ता कामगार लाकर अमेरिकी इंजीनियरों और प्रोग्रामर्स को रिप्लेस कर देती हैं। कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में अमेरिकियों की छंटनी और फिर उन्हें H-1B कर्मचारियों को ट्रेन देने के लिए कहे जाने ने इस गुस्से को और बढ़ाया। ट्रंप ने अपने पिछले चुनाव अभियानों के दौरान कई बार H-1B पर सवाल उठाए थे। लेकिन सितंबर 2025 में उन्होंने एक नया आदेश साइन किया जिसमें अमेरिका के बाहर से दायर होने वाले हर नए H-1B आवेदन पर एक बार का 100,000 डॉलर शुल्क लगाने की घोषणा की गई।

सऊदी अरब में बस-टैंकर की भीषण टक्कर, उमराह के लिए गए 40 से ज्यादा भारतीयों की मौत की आशंका

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सऊदी अरब में मदीना के पास एक बड़ा सड़क हादसा हुआ है। इस हादसे में कम से कम 42 भारतीयों की मौत की आशंका है। हादसे का शिकार हुए लोग भारत से उमराह करने के लिए सऊदी अरब गए थे। बये बीषण हादसा उस वक्त हुआ जब मक्का से मदीना जा रहे उमरा यात्रियों से भरी एक बस की डीजल टैंकर से टक्कर हो गई।हादसा इतना भीषण था कि बस के परखच्चे उड़ गए और उसमें आग लग गई।

मृतकों में ज्यादातर हैदराबाद के

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हादसा भारतीय समयानुसार लगभग 1.30 बजे तड़के हुआ। टक्कर के बाद बस में अचानक भीषण आग लग गई, उस समय अधिकांश यात्री सो रहे थे। शुरुआती जानकारी से संकेत मिला है कि मृतकों में ज्यादातर हैदराबाद के हैं, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल बताए जा रहे हैं। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि 40 से ज्यादा लोग मौके पर ही जलकर मर गए

तेलंगाना सरकार ने जारी किया बयान

तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में सऊदी अरब में हुए सड़क हादसे पर दुख जताया गया है और कहा कि सीएम ने तुरंत मुख्य सचिव और डीजीपी को हादसे से जुड़ी पूरी जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ये भी जानकारी मांगी है कि हादसे में कथित तौर पर मरने वाले कितने लोग हैदराबाद के निवासी थे। मुख्यमंत्री ने सरकार के शीर्ष अधिकारियों को विदेश मंत्रालय से संपर्क करने और सऊदी अरब दूतावास से जानकारी लेने का सुझाव दिया है। मुख्य सचिव के निर्देश पर अधिकारी इस बात का पता लगा रहे हैं कि सऊदी अरब में हादसे का शिकार हुए कितने लोग तेलंगाना के थे और सचिवालय में एक कंट्रोल रूम बनाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि पीड़ित परिजनों को जानकारी दी जा सके।

महावाणिज्य दूतावास ने हेल्‍पलाइन नंबर जारी किया

हादसे के बाद भारतीय दूतावास एक्टिव हो गया है। सऊदी अरब में भारतीय महावाणिज्‍य दूतावास ने एक हेल्‍पलाइन नंबर जारी किया है। टोल फ्री नंबर इस प्रकार है- 8002440003। भारतीय दूतावास ने कहा कि 24 घंटे चलने वाला एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।

ओवैसी की भारत सरकार से की अपील

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस दर्दनाक हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि वे लगातार कई अधिकारियों से संपर्क में हैं ताकि सत्यापित जानकारी मिल सके। एएनआई से बातचीत में ओवैसी ने बताया कि उन्होंने हैदराबाद की दो ट्रैवल एजेंसियों से संपर्क किया है, जिनका इन तीर्थयात्रियों से संबंध है और उनके द्वारा प्रदान की गई सभी जानकारी रियाद स्थित भारतीय दूतावास और विदेश सचिव को साझा कर दी है। ओवैसी ने कहा, “मैं केंद्र सरकार, खासकर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से अनुरोध करता हूं कि मृतकों के शवों को भारत वापस लाने की तुरंत व्यवस्था की जाए और अगर कोई घायल है तो उसका पूरा इलाज कराया जाए।

क्या है 'कफाला सिस्टम' जिसे सऊदी अरब ने किया खत्म, भारतीयों पर इसका क्या असर होगा?

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सऊदी अरब की सरकार ने दशकों पुराने 'कफ़ाला' यानी स्पॉन्सरशिप सिस्टम को खत्म करने का एलान किया है। इस व्यवस्था में विदेशी कामगारों को पूरी तरह से अपने नियोक्ता यानी काम देने वाले पर निर्भर रहना पड़ता था। मानवाधिकार संगठन लंबे समय से कफ़ाला सिस्टम को 'आधुनिक गुलामी' बताते आए हैं। अब सऊदी अरब ने इसे खत्म कर एक नए कॉन्ट्रैक्ट आधारित रोजगार मॉडल की शुरुआत की है। सऊदी में इसके खत्म होने से भारत, पाकिस्तान जैसे देशों के लोगों ने खासतौर से राहत की सांस ली है, जहां से बड़ी तादाद में कामगार सऊदी जाते हैं।

अरब देशों में बीते कई दशकों से ये सिस्टम विदेशी कामगारों के लिए बड़ी परेशानी का सबब रहा है। इस सिस्टम की वजह से अरब में काम करने के लिए जाने वाले लाखों लोगों को मानवाधिकारों से वंचित होना पड़ता था। कफाला एक तरह से लाखों लोगों को अरब देशों में बंधक मजदूर या गुलाम की तरह रहने पर मजबूर कर देता है।इस फैसले से खासकर उन देशों के कामगारों को बड़ी राहत मिली है जो वहां काम करने जाते हैं।

सऊदी अरब में 27 लाख भारतीय कामगार

सऊदी अरब में करीब 1.3 करोड़ कामगार हैं और इनमें करीब 27 लाख भारतीय शामिल हैं। कफाला व्यवस्था समाप्त होने से विदेशी कामगार अपनी मर्जी से नौकरी बदल सकेंगे, तयशुदा वेतन और काम के घंटों के साथ काम करेंगे, और बिना अपने नियोक्ता या 'कफील' की इजाजत के स्वदेश लौट सकेंगे।

कफाला सिस्टम क्या है?

कफाला सिस्टम प्रवासी मजदूरों और उनके स्थानीय नियोक्ताओं के बीच एक बाध्यकारी अनुबंध है जिसके तहत प्रवासी मजदूर केवल उस विशेष नियोक्ता के लिए ही काम कर सकते हैं, जिसके तहत उन्हें देश में रहने की अनुमति दी जाती है। कफाला सिस्टम के तहत नियोक्ता को कई अधिकार मिले होते हैं। मजदूर अपने कफाला की अनुमति के बिना नौकरी बदल नहीं सकते थे। इसके शोषणकारी स्वरूप के कारण, विशेष रूप से उन प्रवासी मजदूरों के लिए जो घरेलू काम, निर्माण आदि के लिए मध्य पूर्व आते हैं, आलोचकों ने इसे आधुनिक काल की गुलामी कहा है।

कफ़ाला सिस्टम खत्म होने से क्या होगा फायदा?

नई व्यवस्था के मुताबिक़ अब कामगार अपने कफ़ील की मर्जी के बिना भी अपनी नौकरी बदल पाएंगे। इसके अलावा देश छोड़ने के लिए भी कफ़ील की अनुमति की जरूरत नहीं होगी। नए सिस्टम में कामगारों को कानूनी मदद मुहैया करवाई जाएगी। कफ़ील कामगारों के स्पॉन्सर या मालिक को कहते हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी कामगार को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है या उसे काम में दिक्कतें आ रही हैं तो वह शिकायत कर सकता है। इसके साथ ही नए सिस्टम में काम के घंटे, कंपनी के लिए कामगारों के अधिकार, वेतन और अन्य चीजें तय करना जरूरी कर दिया गया है।

कई देशों में अब भी लागू

सऊदी अरब में कफाला खत्म हो गया है लेकिन खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के कई देशों में यह जारी है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) के आंकड़ों के हिसाब से खाड़ी देशों में 2.4 करोड़ श्रमिक कफाला के नियंत्रण में हैं। इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा 75 लाख भारतीयों का है। अधिकार समूहों ने कफाला की 'आधुनिक गुलामी' कहकर आलोचना की है।

पाकिस्तान-सऊदी अरब के रक्षा समझौता, जानें भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

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पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के बाद से अभी तक सहम हुआ है। इस बीच शहबाज शरीफ सऊदी अरब के दौरे पर हैं और उन्होंने इस दौरान उन्होंने बड़ा एग्रीमेंट साइन किया है। उन्होंने सऊदी के साथ एक खास रक्षा समझौता किया है। इस समझौते के तहत अगर किसी एक देश पर हमला होता है तो, उसे दोनों देशों पर अटैक माना जाएगा। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुई रक्षा समझौते पर भारत की तरफ से पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। भारत सरकार ने सतर्क रुख अपनाते हुए कहा है कि वह पूरी स्थिति पर नजर रख रही है।

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच मंगलवार को हुए ‘स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट’ (रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता) को लेकर विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस समझौते की जानकारी पहले से थी और इसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्थिरता के संदर्भ में परखा जाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और सभी क्षेत्रों में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

समझौते के तहत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का भी प्रावधान

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार किसी भी देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। समझौते के तहत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का भी प्रावधान है। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच यह समझौता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की रियाद यात्रा के दौरान हुआ। शहबाज शरीफ को क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने अल-यमामा पैलेस में रिसीव किया। इस यात्रा के दौरान ही 'सामरिक आपसी रक्षा समझौता' हुआ। पाकिस्तान और सऊदी के साझा बयान में कहा गया है कि यह समझौता न सिर्फ द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों को गहरा करने के लिए है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति भी इसका लक्ष्य है।

समझौता इस्लामी एकजुटता और साझा हितों पर आधारित

हाल ही में इस्राइल के कतर पर हमले के बाद कतर की राजधानी दोहा में मुस्लिम देशों की बैठक हुई थी, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल हुआ। इस बैठक में पाकिस्तान ने नाटो जैसा संगठन बनाने का सुझाव दिया था। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह समझौता इस्लामी एकजुटता और साझा हितों पर आधारित है। सऊदी अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि यह एक व्यापक रक्षात्मक समझौता है, जो सभी सैन्य साधनों को कवर करता है

पीएम मोदी का पाकिस्तान को कड़ा संदेश, सऊदी से लौटते वक्त हवाई क्षेत्र का नहीं किया इस्तेमाल

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कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी अपनी दो दिनों की सऊदी अरब की यात्रा को बीच में ही खत्म करते हुए वापस भारत आ गए हैं। पहलगाम हमले के बाद सऊदी अरब से लौटते हुए पीएम मोदी ने पाकिस्तान को बिना कुछ कहे कड़ा संदेश दिया। बुधवार को जेद्दा से तत्काल वापस लौटते समय पीएम नरेंद्र मोदी का विमान पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से नहीं गुजरा।

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खास बात है कि पीएम मोदी ने सऊदी अरब जाते हुए तो पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) को पार करते हुए यात्रा की थी लेकिन जब कश्मीर में हमले के बाद उनका विमान वापस लौटा तो पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में नहीं घुसा और लंबा रास्ता होते हुए अरब सागर के उपर से आया।

जेद्दा जाते वक्त किया था पाक हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल

फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट के विजुअल्स से पुष्टि हुई है कि प्रधानमंत्री का भारतीय वायु सेना का विमान- बोइंग 777-300 मंगलवार की सुबह रियाद के लिए उड़ान भरते समय पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र को पार कर गया था, लेकिन वापस आते समय उसने लंबा रूट चुना और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को क्रॉस नहीं किया।

पीएम मोदी ने दौरे को बीच में ही छोड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर सऊदी अरब गए थे। मंगलवार को पहलगाम में आतंकी हमले की सूचना मिलने के बाद पीएम मोदी ने दुख जताया। इसके बाद दौरा बीच में छोड़कर उन्होंने भारत वापसी की। रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी ने क्राउन प्रिंस के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत के बाद रात्रि भोज में हिस्सा नहीं लिया। प्रधानमंत्री आधी रात के बाद करीब दो बजे भारत के लिए रवाना हुए। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी खाड़ी देश की दो दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद बुधवार को स्वदेश लौटने वाले थे।

सुरक्षा के लिहाज से विमान का मार्ग बदला

माना जा रहा है कि आतंकी हमले के बाद सुरक्षा के लिहाज से विमान का मार्ग बदला गया। नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर विमान उतरने के बाद पीएम मोदी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बैठक की। इससे पहले, पीएम मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात कर जरूरी कदम उठाने और कश्मीर पहुंचाने के निर्देश दिए।

सऊदी एयर स्पेस में पीएम मोदी का स्‍पेशल वेलकम, विमान को 3 फाइटर प्लेन ने किया एस्कॉर्ट


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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर दो दिवसीय ऐतिहासिक दौरे पर जेद्दा पहुंच चुके हैं। वहां उनका भव्य स्वागत किया गया। पीएम मोदी के विमान ने जैसे ही सऊदी अरब की हवाई सीमा में प्रवेश किया, उन्‍हें एयर स्‍कॉर्ट दिया गया। पीएम मोदी के विमान को सऊदी अरब के एफ-15 लड़ाकू विमानों ने सुरक्षा दी। विदेश मंत्रालय ने इस बात की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा कर जानकारी दी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अपनी दो दिवसीय सऊदी अरब की यात्रा के लिए रवाना हुए। जैसे ही उनका विशेष विमान सऊदी अरब के हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ, रॉयल सऊदी वायु सेना के एफ-15 फाइटर जेट्स ने उनके विमान को सुरक्षा दी।

दोनों देशों के संबंध होंगे और बेहतर

अपने सऊदी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत-सऊदी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक द्विपक्षीय रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने रवाना होने से पहले कहा था कि भारत सऊदी अरब के साथ अपने दीर्घकालिक और ऐतिहासिक संबंधों को अत्यधिक महत्व देता है। रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और लोगों के बीच संबंधों जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को नई गति मिली है।

कई अहम समझौतों पर हस्‍ताक्षर की संभावना

बता दें कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और पीएम मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर पीएम मोदी सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर गए हैं। भारत और सऊदी अरब के बीच सामरिक साझेदारी की वजह से यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है। रक्षा साझेदारी और आर्थिक साझेदारी के मसले पर पीएम मोदी के दौरे के दौरान बातचीत होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान कई अहम समझौतों पर हस्‍ताक्षर हो सकते हैं। पीएम मोदी भारतीय समुदाय के लोगों से मिलने के अलावा सऊदी के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।

भारत सरकार की एक कूटनीतिक सफलता, 10 हजार और भारतीयों को हज वीजा देने पर सऊदी अरब सहमत


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#saudiarabiaagreestogrant10000morehajjvisas 

भारत से हर साल बड़ी संख्या में लोग हज यात्रा के लिए जाते हैं। इसके लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस बीच हज पर जाने के इच्छा रखने वाले भारतीय के लिए अच्छी खबर आई है। सऊदी अरब के हज मंत्रालय ने 10,000 तीर्थयात्रियों के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने का फैसला लिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार बताया कि सऊदी सरकार ने 10,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए हज पोर्टल फिर से खोल दिया है। जिसके बाद भारत के 10 हजार तीर्थयात्री हज जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय भारत से 10 हजार और भारतीयों हज का वीजा देने के लिए राजी हो गया है। सऊदी सरकार इसके लिए कम्बाइंड हज ग्रुप ऑपरेटर्स (CHGOs) के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति दे दी है, जो मिना में वर्तमान उपलब्धता पर आधारित है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सभी हज कमेटियों को जल्द ही प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि तय समय के अंदर सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें

52 हजार हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की थी खबर

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 52,000 भारतीय हज यात्री इस बार नहीं जा सकते हैं, क्योंकि सऊदी अरब ने मीना में उन क्षेत्रों को रद्द कर दिया है, जो पहले निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किए गए थे।

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जताई थी चिंता

इससे पहले विपक्षी नेताओं ने भारत के हजारों हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने को लेकर केंद्र सरकार से दखल की मांग की थी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘52,000 से अधिक भारतीय हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की खबर अत्यंत चिंताजनक है। इनमें से कई यात्रियों ने भुगतान भी कर दिया है। मैं विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से अपील करता हूं कि सऊदी अधिकारियों से शीघ्र संपर्क कर इस मुद्दे का समाधान करें।’

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी कहा था, ‘सऊदी अरब से चिंताजनक खबरें आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के निजी हज कोटे का 80% हिस्सा अचानक कट गया है। यह निर्णय हाजियों और टूर ऑपरेटर्स के लिए भारी परेशानी का कारण बन रहा है। विदेश मंत्रालय से निवेदन है कि तत्काल सऊदी सरकार से संपर्क कर समाधान निकाले।’

12 साल से कम उम्र के बच्चों को हज करने की इजाजत नहीं, 291 भारतीय बच्चों का वीजा रिजेक्ट

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सऊदी अरब ने इस साल होने वाले हज के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। हज की तैयारी के तहत सऊदी के गृह मंत्रालय ने हाजियों लिए नए नियम जारी किए हैं। हज यात्रा के नियमों में बदलाव का असर बच्चों को झेलना पड़ेगा। इस साल हज यात्रा की ख्वाहिश रखने वाले 12 साल से कम उम्र के बच्चों को झटका लगा है। सऊदी अरब सरकार ने इस आयु वर्ग के बच्चों को वीजा जारी करने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते भारत के 291 बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।

क्यों नहीं दी गई बच्चों को इजाजत?

हर साल लाखों की तादाद में तीर्थयात्री हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। इस मौके पर कई लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी लेकर जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई है। सऊदी सरकार ने यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को देख कर लिया है। हज 2024 में भारी भीड़ जुटी थी और हीटवेव के चलते लगभग 1200 लोगों की मौत दर्ज की थी। इसी के बाद से इन हालातों को देखने के बाद सऊदी अरब ने नियमों में कुछ बदलाव किए।

भारतीय हज समिति ने 13 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर सऊदी सरकार के फैसले को सूचित किया है। इसी के साथ हज समिति ने घोषणा की है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हज के लिए किए गए भुगतान को वापस किया जाएगा। इसी के साथ जानकारी दी गई कि सऊदी अरब के निर्णय के चलते 291 आवेदक बच्चों का हज आवेदन रद्द कर दिया गया है।

मक्का आने वालों की बढ़ेगी निगरानी

सऊदी सरकार ने कहा है कि 23 अप्रैल से मक्का में आने-जाने पर कड़ी निगरानी शुरू की जाएगी। मक्का में एंट्री करने के लिए काम करने का परमिट, मक्का का पहचान पत्र या हज का परमिट दिखाना जरूरी होगा। इनके अलावा किसी को एंट्री नहीं मिलेगी। सऊदी अरब में रहने वाले विदेशी नागरिक, जो मक्का में नहीं रहते हैं, उन्हें भी मक्का में आने के लिए परमिट लेना होगा। टूरिस्ट वीजा पर आए विदेशियों या देश के दूसरे हिस्से से आए लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन हज में शामिल होने से रोकने के लिए ये नियम बनाए गए हैं।

स्थानीय और विदेशी नागरिकों पर विशेष निगरानी

सऊदी सरकार इस बार स्थानीय और विदेशी दोनों नागरिकों की मक्का यात्रा पर कड़ी निगरानी रखेगी। विशेष रूप से मक्का के गैर-निवासी विदेशी नागरिकों को भी परमिट लेना जरूरी होगा। देश के अन्य शहरों से मक्का आने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाएगी। बिना अनुमति के किसी भी गतिविधि को नियम उल्लंघन माना जाएगा। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि हज के दौरान लाखों लोग मक्का आते हैं, और हर साल किसी न किसी कारणवश अव्यवस्था की स्थिति बनती है। इसलिए सरकार पहले से तैयार रहना चाहती है।

यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए सऊदी अरब में अमेरिका-रूस के बीच बातचीत शुरू, जेलेंस्की को न्योता नहीं

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यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के मकसद से अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में वार्ता शुरू हो गई है।यह वार्ता अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है। हालांकि, इस वार्ता में यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है। दरअसल, यूक्रेन को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।

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अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और पश्चिम एशिया के लिए डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विट्कॉफ बैठक में मौजूद रहे। जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लावरोव करेंगे और उसमें पुतिन के सलाहकार यूरी यूशाकोव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन को इस बैठक में नहीं बुलाया गया है। जबकि यह बातचीत यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से हो रही है। रूस और अमेरिका इस बैठक के दो पक्ष हैं और सऊदी मध्यस्थ की भूमिका मे है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश युद्ध समाप्त करने के लिए इस सप्ताह अमेरिका-रूस वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यूक्रेन इस वार्ता में भाग नहीं लेगा इसलिए वह वार्ता के नतीजों को भी स्वीकार नहीं करेगा। यूएई में एक कांफ्रेंस कॉल के दौरान जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा, उनकी सरकार को सऊदी अरब में मंगलवार की नियोजित वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।

यूरोपीय संघ को भी चर्चा में शामिल नहीं किया गया है। यूरोपीय नेताओं ने इस पर एतराज जताते हुए किसी भी शांति वार्ता में अपनी भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष और स्थायी शांति के लिए उनकी मौजूदगी जरूरी है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में यह बैठक यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन साल बाद हो रही है। अमेरिका की शांति समझौते में भूमिका की वजह से इसे अहम माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग और रूस के अधिकारियों में बातचीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में फोन पर चर्चा के बाद हो रही है। 12 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेढ़ घंटे तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर वार्ता कर संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। फोन पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर तुरंत शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी।

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद रूस को अलग-थलग करने की अमेरिकी नीति में बदलाव किया है। इससे पहले अमेरिका यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसे अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था। अब दोनों देश को शीर्ष अधिकारी मिले हैं। यह बातचीत डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक का रास्ता भी खोल सकती है।

सऊदी अरब ने 14 देशों के मल्टीपल वीजा रोके, लिस्ट में भारत का नाम भी

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सऊदी अरब ने अपने वीजा नियमों में बदलाव किया है। सऊदी सरकार ने भारत समेत 14 देशों के यात्रियों को अब केवल सिंगल एंट्री वीजा का ऐलान किया है। यानी इन देशों के लिए मल्टीपल एंट्री वीजा पर रोक लगाई गई है। यह नियम 1 फरवरी, 2025 से लागू कर दिया गया है। सऊदी ने अपने वीजा नियमों में बदलाव इसलिए किया है ताकि लंबी अवधि का वीजा लेकर देश में आने वाले लोग अनाधिकृत रूप से हज यात्रा न कर सकें।

सऊदी सरकार ने अल्जीरिया, बांग्लादेश, मिस्र, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, इराक, जॉर्डन, मोरक्को, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सूडान, ट्यूनीशिया और यमन के यात्रियों के लिए मल्टीपल वीजा पर रोक लगाई है। इन 14 देशों के लिए पर्यटन, व्यापार और पारिवारिक यात्राओं के लिए एक साल का मल्टीपल-एंट्री वीजा अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। सऊदी अधिकारियों का कहना है कि इससे हज यात्रा को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

सऊदी के सामने हालिया वर्षों में अनाधिकृत हज यात्री एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। सऊदी अधिकारियों ने बताया कि मल्टीपल-एंट्री वीजा का दुरुपयोग हो रहा था। कुछ यात्री लंबी अवधि के वीजा पर आने के बाद बिना उचित अनुमति के हज करते थे।

सऊदी अरब हज यात्रा पर कड़ा नियंत्रण रखता है और प्रत्येक देश के लिए हज यात्रियों की एक निश्चित संख्या तय करता है। इसके बावजूद कई पर्यटक लंबी अवधि के वीजा का उपयोग करके इस सीमा को तोड़ते थे, जिससे हज में भीड़भाड़ बढ़ती थी। यह समस्या 2024 में विशेष रूप से गंभीर हो गई थी, जब अत्यधिक गर्मी और भीड़ के कारण 1,200 से अधिक हज यात्रियों की मौत हो गई थी।