सुप्रीम कोर्ट की ईडी को कड़ी फटकार, सीजेआई बोले-हमारा मुंह मत खुलवाइए, नहीं तो कठोर टिप्पणी करनी पड़ेगी
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय ईडी को जमकर फटकार लगाई है। जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने ईडी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ बोलने पर मजबूर मत करो, वरना हमें कुछ कठोर कहना पड़ सकता है। ये टिप्पणी सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सोमवार को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट बोर्ड (MUDA) केस में ईडी की अपील की सुनवाई के दौरान की।
दरअसल, ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को MUDA केस में समन भेजा था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मार्च में यह समन रद्द कर दिया था। ईडी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आखिर में ईडी की अपील खारिज कर दी और कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।
राजनीतिक लड़ाई में इस्तेमाल ना होने की चेतावनी
ईडी की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 'श्रीमान राजू, कृप्या हमें अपना मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें। वर्ना हमें ईडी के खिलाफ कुछ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। दुर्भाग्य से, मुझे महाराष्ट्र में इसे लेकर कुछ अनुभव है। इसे पूरे देश में मत फैलाइए। राजनीतिक लड़ाई को मतदाताओं के सामने लड़ने देना चाहिए, उसमें आप क्यों इस्तेमाल हो रहे हैं।
MUDA केस क्या है
साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीन ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई।
क्या है MUDA मामला?
सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी, जो उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार में दी थी। जमीन को MUDA ने विकास के लिए अधिग्रहित किया, जिसके बदले पार्वती को विजयनगर तीसरे और चौथे चरण के लेआउट में 38,283 वर्ग फीट जमीन दी गई। आरोप है कि केसारे गांव की तुलना में जमीन की कीमत अधिक है। मामले को पहले निचली कोर्ट, फिर हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
Jul 21 2025, 18:25