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1974 में आज ही के दिन हुआ था भारत का पहला परमाणु परीक्षण, कांग्रेस ने की इंदिरा गांधी की सराहना

आज भारत के पहले परमाणु परीक्षण की 51वीं वर्षगांठ हैं. 18 मई 1974 को आज ही के दिन देश ने पोखरण में पहली बार परमाणु परीक्षण किया था. यह परमाणु परीक्षण भारत की तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया गया था. रविवार को कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इस नेतृत्व की सराहना की और कहा कि प्रधानमंत्री ने विपरीत परिस्थितियों में भी साहस से काम लिया.

कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि 18 मई 1974 का दिन भारत के लिए स्वर्णिम था, क्योंकि देश ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पहला सफल परमाणु परीक्षण किया. जिसका नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ रखा गया. इसके आगे पार्टी ने लिखा कि यह परीक्षण देश की वैज्ञानिक क्षमता और मजबूत राजनीतिक नेतृत्व का प्रतीक बन गया.

इंदिरा गांधी ने किया कुशल नेतृत्व’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 51 साल पहले भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था और इस तरह का परमाणु परीक्षण करके भारत दुनिया का छठा देश बन गया. इसके आगे खरगे ने लिखा ‘यह उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और समर्पण के बिना हासिल करना नामुमकिन था. हम सब उनके प्रति आभारी हैं’. इसके बाद उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के काम की सराहना करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने साहस का परिचय दिया और इस परीक्षण को सफल बनाया.

राहुल गांधी ने वैज्ञानिकों का आभार जताया’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने 51 साल पहले पोखरण में अपना सफल परीक्षण ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा किया था. इसके बाद उन्होंने लिखा, ‘मैं उन प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के प्रति बहुत आभार व्यक्त करता हूं जिसके समर्पण से यह संभव हो पाया है.’

सात साल की मेहनत हुई कामयाब

इस परमाणु परीक्षण को सफल बनाने में एक दशक से ज्यादा का समय लग गया था. इस परीक्षण को सफल होने का सारा श्रेय देश के वैज्ञानिकों को जाता है. वैज्ञानिकों की अथक मेहनत और राजनीति के बूते ही देश परमाणु परीक्षण करने में कामयाब रहा था. 75 वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ने 1967 से लेकर 1974 तक सात साल जमकर मेहनत की थी. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में शामिल अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूके, चीन के पास तक ही सिर्फ परमाणु ताकत थी.

YouTube वीडियो तो बहाना था, ज्योति मल्होत्रा ने कबूला जासूसी का सच

पाकिस्तान के लिए जासूसी के शक में पकड़ी गई हरियाणा में हिसार की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा ने ऐसे-ऐसे खुलासे किए हैं कि खुद पुलिस के भी होश उड़ गए. हरियाणा में हिसार पुलिस की क्राइम ब्रांच के गिरफ्त में ज्योति मल्होत्रा ने पहले बताया कि वह यूट्यूबर है और वह अपने यूट्यूब चैनल के लिए देश-विदेश घूमकर वीडियो बनाती है. हालांकि उसका ये झूठ ज्यादा देर नहीं चल पाया और उसने कबूल लिया कि वीडियो तो बस बहाना है, वह पाकिस्तानी हैंडलर के इशारे पर खुफिया सूचनाएं एकत्र करने का काम करती थी.

इस काम के लिए उसे ना केवल काफी पैसे मिलते थे, बल्कि पाकिस्तान और चीन यात्रा के दौरान उसे वीआईपी ट्रीटमेंट भी मिलता था. ज्योति मल्होत्रा ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वह जब भी पाकिस्तान जाती, उसे पाकिस्तान पुलिस की सिक्योरिटी मिलती थी. यही नहीं, उसे स्वेच्छा से पाकिस्तान में जहां चाहें, घूमने की छूट थी. जबकि आम भारतीयों को पाकिस्तान में कदम रखते ही निगरानी शुरू हो जाती है. ज्योति ने बताया कि वह कई बार पाकिस्तान में हाईप्रोफाइल पार्टियों में भी शामिल हो चुकी है.

पाकिस्तान और चीन में VIP ट्रीटमेंट

उसने बताया कि चीन यात्रा पर भी गई थी तो उसे वीआईपी ट्रीटमेंट मिला था. कहा कि वह उसके पिता हरीश कुमार मल्होत्रा हरियाणा में बिजली निगम से रिटायर्ड हैं. वह हिसार में उनके साथ ही रहती है, लेकिन अपने खर्चों के लिए उनसे पैसे नहीं लेती. यहां तक कि यूट्यूब से होने वाली आय भी खर्च नहीं करती. उसके घूमने-फिरने का पूरा खर्च पाकिस्तान के अफसरों द्वारा वहन किया जाता था. वह हवाई जहाज या ट्रेन में हमेशा फ्रर्स्ट क्लास में ही यात्रा करती और महंगे होटलों में ही ठहरती थी. हिसार क्राइम ब्रांच की पूछताछ में उसने बताया कि अब तक वह तीन बार पाकिस्तान, एक बार चीन और कई बार कश्मीर जा चुकी है.

इन देशों की कर चुकी है यात्रा

यहां तक कि पाकिस्तानी अफसरों के साथ वह इंडोनेशिया, थाइलैंड, दुबई, भूटान, बांग्लादेश और नेपाल की भी यात्रा कर चुकी है. उसने पुलिस की पूछताछ में बताया कि उसका पासपोर्ट 22 अक्टूबर 2018 को बना था और 21 अक्टूबर 2028 तक वैलिड है. बीते तीन साल से वह अपने यूट्यूब चैनल “ट्रैवल विद जो” के लिए वीडियो बनाने के नाम पर देश विदेश घूम रही है. उसने बताया कि दो बार वह दिल्ली से सिख जत्थे बंदी के साथ व एक बार अकेली करतारपुर साहिब गुरुद्वारा, पाकिस्तान गई थी.

लाखों में हैं फॉलोवर्स

यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के यूट्यूब चैनल पर करीब 3.77 लाख फॉलोवर्स हैं. इसी प्रकार इंस्टाग्राम पर भी उसके फॉलोवर्स की संख्या 1.31 लाख से अधिक है. उसके सोशल मीडिया एकाउंट को देखने से पता चलता है कि वह जिस भी देश में जाती है, वहां की खास जगहों और खाने और संस्कृति से जुड़ी वीडियो जरूर बनाती है और उसे अपने यूट्यूब और इंस्टाग्राम एकाउंट पर अपलोड करती है. इसकी वजह से उसके सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खूब व्यूज भी आते हैं.

कौन है यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, जो पाकिस्तान के लिए कर रही थी जासूसी

हरियाणा के हिसार की मशहूर यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान को जासूसी के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ज्योति पर आरोप है कि उसने भारत के सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सेना से जुड़ी कई गुप्त जानकारियां पाकिस्तान को भेजी थीं. पूछताछ में ज्योति ने स्वीकार किया कि वह पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव से भी संपर्क में थी. ऐसे में आईये जानते हैं कि आखिर कौन है ज्योति मल्होत्रा.

ज्योति मल्होत्रा हरियाणा के हिसार जिले की रहने वाली है. उसने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. वो एक यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं. इंस्टाग्राम पर ज्योति के 132 हजार फॉलोअर्स हैं, वहीं यूट्यूब पर उसको 377 हजार से भी ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. ज्योति ट्रेवल व्लॉग बनाती है. उसके चैनल का नाम ‘ट्रैवल विथ जो’ है. लोगों के बीच वो काफी लोकप्रिय है. सोसल मीडिया पर उनकी तस्वीरों से पता चलता है कि ज्योति को घूमने फिरने का काफी शौक था. वो देश विदेश की यात्राएं कर चुकी है. वो अक्सर अपनी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती है.

पिछले साल ज्योति ने किया था पाकिस्तान का दौरा

पिछले साल ज्योति ने पाकिस्तान का दौरा किया था. इस दौरान वो पाक न हाईकमीशन भी गई थी, जहां उसने पाकिस्तान के कई उच्च अधिकारियों से भी मुलाकात की थी.इंस्टाग्राम पर उसने खुद इस बात की जानकारी दी थी. कुछ तस्वीरों को शेयर करते हुए उसने बताया था कि पाकिस्तान हाईकोर्ट में से मुलाकात हुई, देसी अंदाज में यात्रियों से बातचीत साझा करके खुशी हुई क्योंकि हम दोनों हरियाणवी हैं. व्लॉग आज ही यूट्यूब पर अपलोड कर रही हूं. पाजी से तो काफी पहले से जुड़े हुए हैं, हम सिख तीर्थयात्री के रूप में एक साथ पाकिस्तान की यात्रा कर चुके हैं, उनसे मिलना वाकई अद्भुत था.

पाक में मौजूद 5000 साल पुराने मंदिर के किए दर्शन

इसके साथ ही ज्योति ने पाकिस्तान में स्थित 5000 साल पुराने मंदिर के भी दर्शन किए थे. उसने इसका वीडियो शेयर करते हुए लिखा था कि 5000 साल पुराने इतिहास वाले सबसे बड़े हिंदू मंदिर में भारतीय लड़की…आंसुओं के इस पवित्र तालाब में स्नान करें और आपके पाप धुल जाएंगे! कटास राज के अंदर इस तालाब के बारे में हिंदुओं की यही मान्यता है. इस वीडियो ने मंदिर की झलकियां और उसके आसपास के नजारे को दिखाया. वीडियो में ज्योति पूजा अर्चना करते दिखाई दे रही है.

5 मिनट तक गरजीं AK-47, अंग-अंग में धंसी गोलियां… कौन थे मंत्री बृजबिहारी, जिन्हें श्रीप्रकाश-मुन्ना ने अस्पताल में घुसकर मारा

उस दिन तारीख 13 जून 1998 की थी. शाम के पांच बज रहे थे, उस समय राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव के बेहद खास और राबड़ी देवी सरकार में मंत्री बृजबिहारी प्रसाद को पटना एम्स में भर्ती कराया गया था. उनकी सुरक्षा के लिए दो लेयर की सुरक्षा थी. पहले लेयर में 22 कमांडो थे. वहीं दूसरे लेयर में बिहार पुलिस का सुरक्षा घेरा था. ठीक उसी समय एक एंबेसडर कार और बुलेट पर सवार होकर पांच हथियारबंद लोग अस्पताल पहुंचे. इन्हें देखकर हड़कंप मच गया.

यह पांचों लोग धड़धड़ाते हुए अस्पताल में सीधे उस वार्ड में पहुंचे, जहां मंत्री बृजबिहारी प्रसाद भर्ती थे. फिर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई और यह सभी लोग वापस निकलकर अपनी गाड़ियों में बैठे और फरार हो गए. बावजूद इसके, सुरक्षा घेरे में तैनात किसी पुलिसर्मी या कमांडो ने इन्हें रोकने की कोशिश नहीं की. रोकते भी कैसे? हमलावर कोई सामान्य बदमाश नहीं थे, बल्कि उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला और उसके साथी थे. जिन्हें देखकर ही पुलिस वालों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी. श्रीप्रकाश शुक्ला खुद सबसे आगे चल रहा था. उसके पीछे सुधीर त्रिपाठी और अनुज प्रताप सिंह था. वहीं सबसे पीछे आज के बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी चल रहे थे.

सूरजभान पर लगा साजिश रचने का आरोप

वारदात के बाद कहा गया कि बृजबिहारी प्रसाद की हत्या बेऊर जेल में बंद मोकामा गैंग के सरगना सूरजभान सिंह ने कराई. हालांकि बाद में वारदात की पूरी कहानी सामने आ गई. दरअसल बृजबिहारी प्रसाद पर गैंगस्टर छोटन शुक्ला, उनके भाई भुटकुन शुक्ला और देवेन्द्र दूबे की हत्या कराने का आरोप था. कहा जाता है कि छोटन और भुटकन की हत्या के बाद इनके भाई मुन्ना शुक्ला ने जनेऊ हाथ में लेकर कसम ली थी कि वह बृजबिहारी प्रसाद का सर्वनाश करेगा.

श्रीप्रकाश ने किया था ऐलानिया कत्ल

चूंकि उस समय तक बृजबिहारी कड़े सुरक्षा घेरे में चलते थे, ऐसे में मुन्ना शुक्ला ने मोकामा गैंग के जरिए श्रीप्रकाश शुक्ला से संपर्क किया. इससे बिहार में गैंगवार की आशंका प्रबल हो गई थी. यह खबर जैसे ही बिहार सरकार को मिली, बृजबिहारी प्रसाद की सुरक्षा में 22 कमांडो तैनात कर दिए गए. लेकिन श्रीप्रकाश को इसकी परवाह कहां थी. वह 11 जून को गोरखपुर से पटना पहुंचा और उसी दिन आज अखबार के दफ्तर पहुंच कर ऐान कर दिया कि पटना में दो दिन के अंदर कुछ बड़ा होने वाला है. इसके बाद उसने 13 जून की शाम पांच बजे वारदात को अंजाम दिया और फिर आज अखबार के दफ्तर में फोन कर कहा कि ‘बृजबिहारी को इतनी गोलियां मारी है कि पूरा शरीर छेद ही छेद हो गया है.

हत्यारोपियों में केवल दो ही जिंदा बचे

इस वारदात से बिहार ही नहीं, देश की राजनीति को हिला कर रख दिया था. दबाव बढ़ने पर पुलिस ने दो दिन बाद यानी 15 जून को मुकदमा दर्ज किया. इसमें जेल में बंद सूरजभान के अलावा श्रीप्रकाश शुक्ला, अनुज प्रताप सिंह, सुधीर त्रिपाठी, मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी के साथ ललन सिंह, राजन तिवारी, भूपेंद्र दुबे और सतीश पांडेय समेत करीब दर्जन भर आरोपी बनाए गए थे. हालांकि बाद में जितने भी नाम जोड़े गए, उन सभी नामों को हाईकोर्ट ने हटा दिया. इसी प्रकार वारदात को अंजाम देने वाले पांच लोगों में से श्रीप्रकाश शुक्ला, अनुज प्रताप सिंह और सुधीर त्रिपाठी यूपी पुलिस के एनकाउंटर में मार दिए गए. ऐसे में जिंदा बचे मंटू तिवारी और मुन्ना शुक्ला के खिलाफ मुकदमा चला और इन्हें पहले जिला कोर्ट, फिर हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

विधायक के घर पर रूका था श्रीप्रकाश

बृजबिहारी की हत्या के बाद पांचों बदमाशों मुजफ्फरपुर से विधायक रघुनाथ पांडेय के आवास पर पहुंचे और करीब तीन घंटे तक ठहरे. यही पर उसने किसी हथियार डीलर से अपनी AK 47 के लिए मैगजीन लिया और फिर पटना से निकल गए. इस घटना से खुद सरकार भी दहशत में थी. खुद मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने अपनी सुरक्षा दो गुनी कर ली थी. इस घटना का जिक्र यूपी एसटीएफ के अधिकारी रहे राजेश पांडेय ने भी अपनी किताब वर्चस्व में किया है.

ऐसे हुई हुई थी मर्डर की प्लानिंग

कहा जाता है कि देवेंद्र दुबे के मर्डर के बाद बृजबिहारी प्रसाद बिहार अंडरवर्ल्ड पर कब्जा करना चाहते थे. हालांकि उस समय मोकामा गैंग के मुखिया सरगना सूरजभान सिंह काफी ताकतवर बन चुके थे. चूंकि बृजबिहारी मंत्री थे ही, ऐसे में उन्होंने जेल में सूरजभान की हत्या की साजिश रच डाली. उस समय तक गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी की गैंग में शूटर श्रीप्रकाश शुक्ला सूरजभान सिंह के संपर्क में आ चुका था. उस समय मुन्ना शुक्ला ने मौका देखा और सूरजभान से हाथ मिला लिया. फिर सूरजभान ने मुन्ना शुक्ला के जरिए श्रीप्रकाश शुक्ला को अपना संदेश भेज दिया. कहलवाया कि ‘गुरू दक्षिणा का यह सही समय है’. इस संदेश के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला के पटना आने, यहां पर हथियार उपलब्ध कराने और वारदात के बाद हवाई जहाज से दिल्ली जाने की व्यवस्था मुन्ना शुक्ला ने कराई.

कौन थे बृजबिहारी प्रसाद?

बृजबिहारी प्रसाद आदा में रहने वाले एक सामान्य परिवार में पैदा हुए थे. उनके पिता आदा में राजपरिवार की संपत्तियों के केयर टेकर थे. बृजबिहारी पढ़ाई लिखाई में तेज थे, इसलिए ना केवल मैट्रिक में टॉप किया, बल्कि सिविल इंजीनियरिंग की पढाई कर पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर भी बन गए. उस समय बिहार में जातीय संघर्ष चरम पर था. कई बार दबंगों ने ठेका लेने के लिए उनकी कनपटी पर तमंचा भी सटा दिया था. इन घटनाओं से परेशान होकर बृजबिहारी ने नौकरी छोड़ दी और राजपूत समाज के कुछ युवाओं को अपने साथ मिलाकर राजनीति शुरू की. फिर चंद्रशेखर की पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष रघुनाथ झा के संपर्क में आए और 1990 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद वह धीरे धीरे लालू यादव के खास बनते चले गए.

ऐसे बने टकराव के हालात

छोटन शुक्ला की हत्या के बाद केशरिया सीट से भुटकन शुक्ला चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उनके सिर पर आनंद मोहन का हाथ था. ऐसे में बृजबिहारी प्रसाद को लगा कि उनका प्रभाव कम हो जाएगा. उसने भुटकन शुक्ला को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया तो 3 दिसंबर 1994 को पुलिस की वर्दी पहने गुंडों ने भुटकुन शुक्ला की हत्या कर दी. इसके बाद पटना से वैशाली तक आनंद मोहन की अगुवाई में भुटकुन शुक्ला की शव यात्रा निकाली गई. जैसे ही यह यात्रा गोपालगंज पहुंची, वहां के डीएम जी कृष्णैया ने शवयात्रा को रोक दिया. इससे नाराज भीड़ ने डीएम की हत्या कर दी. इस मामले में आनंद मोहन को आजीवन कारावास हुआ, हालांकि वह 14 साल सजा काटने के बाद बाहर आ चुके हैं. जैसे तैसे शवयात्रा वैशाली पहुंची, उस समय छोटन शुक्ला के छोटे भाई मुन्ना शुक्ला ने हाथ में चिता की राख और जनेऊ लेकर कसम खाई थी कि वह अपने दोनों भाइयों की हत्या का बदला जरूर लेंगे.

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद को मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष?

बिहार में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सारे राजनीतिक दल अपने-अपने गुणा गणित में लगे हुए हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी पूरे तरीके से अपनी रणनीति को बनाने में लगी हुई है. लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या विधानसभा चुनाव से पहले राजद को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा या फिर जगदानंद सिंह ही राजद की कमान को संभालेंगे?

इस साल जनवरी माह में राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से सभी अहम संगठनात्मक चुनाव के कार्यक्रमों के शेड्यूल को जारी किया गया था. जिसके अनुसार, आगामी चार जुलाई को पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के मसौदे और प्रस्ताव पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तय की गई थी. पांच जुलाई को राष्ट्रीय परिषद की बैठक और राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव और उसी दिन नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जनता दल के खुले अधिवेशन को आयोजित किया जाएगा.

जून में नया प्रदेश अध्यक्ष!

इससे पहले आगामी जून महीने में पार्टी की सभी जिला इकाई तथा जिलों से राज्य परिषद के सदस्यों का चुनाव किया जाएगा. जबकि 12 जून को राज्य परिषद के सदस्यों की सूची को प्रकाशित भी कर दिया जाएगा. 21 जून को राज्य परिषद की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राज्य कार्यकारिणी के सदस्य और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव किया जाएगा. यानि राष्ट्रीय जनता दल का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? इस बात पर मुहर लगने में अब बहुत कम वक्त बच गया है. 21 जून को यह तय हो जाएगा कि क्या पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे के रूप में किसी नए नाम पर विश्वास करेगी या फिर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जगदानंद सिंह हीं सेनापति होंगे.

मंगनीलाल मंडल का नाम सबसे आगे

दरअसल राष्ट्रीय जनता दल के सूत्रों और पार्टी से जुड़े वरिष्ठ लोगों की माने तो नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मंगनी लाल मंडल का भी नाम अहम हो सकता है. मंगनी लाल मंडल ने इसी साल जनवरी माह में जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा दिया था. तब वह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे. मंगनी लाल मंडल आरजेडी से ही जदयू में गए थे. उनकी गिनती अति पिछड़ों के बड़े नेता के रूप में होती है. जब मंगनी लाल मंडल ने राजद में वापसी की थी तो बिहार में सियासी बयान बाजी का यह दौर शुरू हो गया था.

कहा जा रहा था कि अति पिछड़ों के नेता के रूप में मंगनी लाल मंडल की घर वापसी कराकर के आरजेडी आने वाले विधानसभा चुनाव में कोई बड़ा खेल रचने की तैयारी में है. यहां तक की मंगनी लाल मंडल ने जब आरजेडी में अपनी घर वापसी की थी तब उन्होंने कहा था कि लालू यादव हमारे नेता है. पुराने सहयोगी रह चुके हैं. मैं अपने पुराने घर में लौट आया हूं.

तेजस्वी करते रहते हैं समीक्षा

बिहार की राजनीति में अति सक्रिय तेजस्वी यादव पार्टी के सभी कार्यों की समीक्षा करते रहते हैं. खुद तेजस्वी यादव नियमित अंतराल पर पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आकर पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं से कार्यों की समीक्षा करते रहते हैं. पार्टी के करीब करीब हर निर्णय में तेजस्वी यादव की सहमति रहती है.

जगदानंद सिंह की पार्टी ऑफिस में उपस्थित कम

दरअसल, बिहार में पिछले साल चार सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के बाद से ही जगदानंद सिंह की राजद प्रदेश कार्यालय में उपस्थित न के बराबर रही है. विधानसभा उपचुनाव में जगतानंद सिंह के बेटे को रामगढ़ विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. जबकि रामगढ़ विधानसभा सीट राष्ट्रीय जनता दल की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस सीट पर राजद की हार किसी झटके से काम नहीं थी.

इस चुनाव परिणाम के बाद से ही राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश कार्यालय में जगदानंद सिंह की उपस्थिति न के बराबर हो गई. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जगदानंद सिंह चुनाव परिणाम के बाद केवल एक बार पार्टी कार्यालय में आए थे. हालांकि बीच में यह चर्चा भी जोरों पर थी कि जगदानंद सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने की बात कही थी. यह भी बात सामने आई थी कि वह विभिन्न कारणों का हवाला देकर के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना चाहते हैं.

नहीं करते खुल कर बात

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कौन नया नाम होगा, इस बारे में पार्टी की तरफ से कोई भी नेता खुल कर बात नहीं करता है. पार्टी नेताओं की माने तो यह मामला शीर्ष नेतृत्व का है. इसे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा. क्योंकि जगदानंद सिंह हो या फिर मंगनीलाल मंडल, दोनों की ही गिनती राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के अति निकट सहयोगियों में होती है.

अब तक दूसरा लंबा कार्यकाल

1997 में जब राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना हुई थी तब से लेकर अब तक राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लालू प्रसाद ही रहे हैं. जबकि इस दौरान छह प्रदेश अध्यक्ष पार्टी को मिल चुके हैं. जब राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना हुई थी, तब इसके पहले प्रदेश अध्यक्ष कमल पासवान को बनाया गया था लेकिन उनका कार्यकाल महज 24 दिन का ही रहा था. इसके बाद उदय नारायण चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई. उदय नारायण चौधरी का कार्यकाल 30 जुलाई 1997 से 17 अप्रैल 1998 तक रहा. पीतांबर पासवान को राजद का तीसरा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. पीतांबर पासवान का कार्यकाल 18 अप्रैल 1998 से 29 सितंबर 2003 तक रहा.

जब बिहार का बंटवारा हुआ, तब पीतांबर पासवान ही राजद के प्रदेश अध्यक्ष थे. इसके बाद 2003 में अब्दुल बारी सिद्दीकी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. वह इस पद पर 2010 तक रहे. 2010 में रामचंद्र पूर्वे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. वह 2019 तक इस पद पर बने रहे. 2019 में जगदानंद सिंह को राजद के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी जो आधिकारिक तौर पर अभी जारी है. यानी प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि को देखें तो अभी तक का सबसे लंबा कार्यकाल डॉक्टर रामचंद्र पूर्वे का रहा है और दूसरे नंबर पर फिलहाल जगदानंद सिंह का नाम है. जगदानंद सिंह के साथ एक और अनोखी उपलब्धि जुड़ी है कि वह राजद के पहले सवर्ण प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.

मसूद अजहर नहीं, इस आतंकवादी को मिला ऑपरेशन सिंदूर में मरने का सबसे ज्यादा फायदा

भारत और पाकिस्तान के बीच 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तनाव शुरू हुआ था. भारत ने उसी दिन पाकिस्तान से बदला लेने की कसम खा ली थी. इसी के तहत भारत के कई कड़े फैसलों के साथ ही ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी. इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे. अब मारे गए आतंकियों के परिजनों की बल्ले-बल्ले हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की शहबाज सरकार के साथ ही राज्य सरकार ने भी 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है.

पाकिस्तान भले ही अपने दिन उधारी में काट रहा हो, लेकिन रहीशी दिखाने से बाज नहीं आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि पैसों की लिए IMF में हर समय पाकिस्तान हाथ जोड़े नजर आता है. इसके बाद जैसे ही पैसा मिलता है वो अपने आतंकियों पर उसको लुटाना शुरू कर देता है.

भारत की कार्रवाई ने न सिर्फ आतंकियों का खात्मा किया बल्कि उनके रहने का ठिकाना भी तबाह कर दिया है. भारत ने अपनी कार्रवाई में पाकिस्तान और उसके आतंकियों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है. अब उन्हें दोबारा फलने फूलने में पाकिस्तान मदद कर रहा है. IMF से पैसा उधार लेकर वो आतंकियों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर बांट रहा है. इसके बारे में पहले ही पीएम शहबाज शरीफ और अब सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह ने ऐलान किया है.

आतंकियों के परिजनों को करोड़

भारत की कार्रवाई में मारे गए आतंकियों को पाकिस्तान सरकार की तरफ से 1 करोड़ रुपये मुआवजा दिया जा रहा है. इसके अलावा राज्य सरकार भी अलग से मुआवजा दे रही है. सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह ने शुक्रवार को खुलासा किया कि भारतीय हमले के दौरान सिंध के सात लोग मारे गए हैं. मारे गए लोगों में बोलारी में पाकिस्तान वायु सेना के छह कर्मी और घोटकी में एक नागरिक मुख्तियार लेघारी शामिल हैं, जिनके लिए उन्होंने शहीदों के परिवारों को 10-10 मिलियन रुपये और घायल व्यक्तियों के लिए 1 मिलियन रुपये के मुआवजे की घोषणा की है. उन्होंने ये बयान पाकिस्तान के राष्ट्रीय आभार दिवस के मौके पर पर नए सिंध सचिवालय में ध्वजारोहण समारोह के बाद मीडिया से बात करते हुए दिया.

आतंकियों को पाल रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान जब-जब भुखमरी में से गुजरता है तो वो आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की बात करता है और दूसरे देशों से भीख मांगता है. हर बार IMF के पास पैसा मांगने चला जाता है. इसके बाद वो पैसा आतंकियों को पालने में यूज करता है. हाल ही में IMF की तरफ से पाकिस्तान को लोन की पहली किस्त दी गई थी. पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं और आटा लोगों के मुंह में नहीं है फिर पाकिस्तान आतंकियों को पालने में लगा हुआ है. इस पूरे मामले ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को ना तो अपनी जनता की फिक्र है, ना ही आर्थिक हालात की.

एक ही दिन में हार्ट अटैक से तीन युवकों की मौत, अंबेडकरनगर में छाया मातम, दहशत में लोग

उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों से सनसनी फैल गई है. जिले के थाना क्षेत्र राजेसुल्तानपुर के अलग-अलग इलाकों में एक ही दिन में तीन लोगों की मौत हार्ट अटैक से हुई हैं. मरने वालों में जिले के फरीदपुर हेठरिया गांव निवासी चंद्रेश पाल (40), अल्ली पुर बर्जी गांव निवासी दीपू कुमार (30) और अनुज कुमार (24) शामिल हैं. अचानक हुई इन मौतों से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है. आसपास के इलाकों में दहशत फैली हुई है.

जानकारी के मुताबिक, मृतक चंद्रेश पाल दिल्ली के रोहिणी नगर में रहते थे. वह दूर संचार विभाग में एसडीओ पद पर कार्यरत थे. सुबह वाशरूम में अटैक आने की वजह से उनकी मौत हो गई. पुलिस ने उनका पोस्टमार्टम कराया, जिसमें उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया. उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही हुआ. मृतक की पत्नी अर्चना और उनकी 2 वर्षीय बेटी का रो-रोकर बुरा हाल है.

अयोध्या में मजदूरी करने गए युवक की मौत

दूसरी घटना दीपू कुमार अयोध्या में रहकर मजदूरी करते थे. रात 10 बजे अचानक तबीयत खराब होने से उनकी मृत्यु हो गई. परिवार में उनकी पत्नी वंदना और तीन वर्षीय पुत्री अन्नया है. दीपू की मौत से घर में कोहराम मचा हुआ. परिवार में रोजी-रोटी का संकट आन खड़ा हुआ है. दीपू के पिता की मृत्यु 15 वर्ष पहले ही हो चुकी है. परिवार की सारी जिम्मेदारी मृतक के कंधे पर थी, मृतक की मां शीला देवी रो रो कर बार-बार बेहोश हो जा रही हैं.

बारात में गए युवक के उठा सीने में दर्द

तीसरी घटना में बनकटा बुजुर्ग गांव निवासी अनुज कुमार बारात में पड़ोसी जिले के हुसेपुर गांव आजमगढ़ गये थे. बारात में ही लगभग 10 बजे रात उन्हें सीने में दर्द हुआ, मौके पर अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मृत्यु हो गई. परिवारीजनों ने शव का पोस्टमार्टम करवाया. मृतक की पत्नी मालती और मां अनीता का रो-रोकर बुरा हाल है. अनुज की 3 वर्ष पहले शादी हुई थी. उनका एक वर्षीय पुत्र श्रृषभ है. दीपू मजदूरी करके अपने परिवार का किसी तरीके से खर्चा चलाता था. मृतक के परिवार के सामने आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है.

ऑपरेशन सिंदूर का बिहार बनेगा पॉलिटिकल बैटल ग्राउंड, जाने कैसे बिछाई जा रही सियासी बिसात

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने को पूरी तरह नष्ट करने के साथ-साथ पाकिस्तान को भी घुटने टेकने को मजबूर कर दिया है. बीजेपी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उसी तरीके से राष्ट्रवाद के मुद्दे को धार देने में जुट गई है, जैसे एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद किया था. बीजेपी के नेता देश भर में तिरंगा यात्रा निकालकर सियासी माहौल बनाने में लगे हैं. पीएम मोदी ने मंगलवार को आदमपुर एयरबेस से जो भाषण दिया, उससे इतना साफ हो गया कि बीजेपी कि बिहार के चुनाव में ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सेना की कार्रवाई के इर्द-गिर्द सियासी एजेंडा सेट करने की रणनीति है.

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे. भारतीय सेना ने पहलगाम हमले का बदला ले लिया है. सेना ने ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और 100 से अधिक आतंकी मारे गए. सेना की ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के बाद सत्तापक्ष हो या विपक्ष, दोनों में शह-मात का खेल शुरू हो गया है. इस साल सिर्फ बिहार में चुनाव होने हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि बिहार ऑपरेशन सिंदूर का बैटल ग्राउंड बनेगा?

राहुल गांधी अपनी पूरी फौज के साथ उतरेंगे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार को अपने नेताओं की पूरी फौज के साथ बिहार के रण में उतर रहे हैं. राहुल पटना में सामाजिक न्याय से जुड़े एक्टिविस्टों के साथ पहले फुले फिल्म देखेंगे और उसके बाद दरभंगा में दलित छात्रों के साथ संवाद करेंगे. राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के करीब 60 बड़े नेता अलग-अलग जिलों में दलित, ओबीसी और अतिपिछड़े वर्ग के छात्रों से बातचीत कर शिक्षा, रोजगार और पलायन के मुद्दे पर सियासी एजेंडा सेट करते हुए नजर आएंगे. इस दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस के नेताओं पर बीजेपी की नजर होगी कि ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर के मुद्दे पर क्या बात रखते हैं?

कांग्रेस पहलगाम से लेकर आपरेशन सिंदूर पर मोदी सरकार के साथ खड़ी रही है, लेकिन पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम का ऐलान होने के साथ ही राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने अलग तेवर अपना लिए हैं. कांग्रेस सीजफायर की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा किए जाने पर मोदी सरकार को घेरने में जुटी है. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर गहन चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है तो आरजेडी नेता तेजस्वी यादव उसी मांग को दोहरा रहे हैं. इस तरह से समझा जा सकता है कि महागठबंधन किस तरह से सियासी दांव चल रहा है.

पीएम मोदी क्या बिहार से भरेंगे चुनावी हुंकार

ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के साथ सीजफायर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इसी महीने बिहार दौरा होने जा रहा है. रोहतास में पीएम मोदी चुनावी रैली संबोधित करेंगे. 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के दो दिन बाद 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की धरती से ही बदले का ऐलान किया था. पीएम मोदी ने मधुबनी रैली से पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों को मिट्टी में मिलाने और उनके आकाओं को कल्पना से परे सजा देने का ऐलान किया था.

पीएम मोदी ने जो कहा था, उसे भारतीय सेना ने करके दिखाया है. ऑपरेशन सिंदूर इसी का जीवंत उदाहरण है. पीएम मोदी ने बिहार की धरती से ही पहलगाम का बदला लेने की बात कही थी और अब जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद बिहार आ रहे हैं, तो साफ है कि एक बार फिर से सियासी संदेश देने की कवायद कर सकते हैं. बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि पीएम मोदी बिक्रमगंज की रैली में आतंकवाद पर दुनिया को संदेश देंगे. साथ ही कहा कि यह रैली सिर्फ एक राजनीतिक सभा नहीं होगी बल्कि देश की शक्ति व सेना के शौर्य का चर्चा होगी.

बीजेपी राष्ट्रवाद के मुद्दे को धार देने में जुटी

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बीजेपी राष्ट्रवाद के मुद्दे को सियासी धार देने में जुट गई है. पीएम मोदी राष्ट्र के नाम संबोधन और उसके बाद आदमपुर एयरबेस से पाकिस्तान और दुनिया को संदेश देने के साथ-साथ सियासी एजेंडा सेट करते नजर आए हैं. बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी ने ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय भारतीय सेना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को दिया है.

विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि पीएम मोदी ने आतंकियों को मिट्टी में मिलाने का जो संकल्प लिया था, उन्होंने उसे पूरा किया. सम्राट चौधरी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय भारतीय सेना को दिया है. उन्होंने कहा है कि देश की बहनों का सिंदूर बचाने का काम भारतीय सेना हमेशा से कर रही है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकाने को ध्वस्त किया गया है, उसके पीछे सेना का शौर्य और पीएम मोदी का संकल्प है. ऐसे में साफ है कि पीएम मोदी बिहार दौरे पर ऑपरेशन सिंदूर के साथ पाकिस्तान को धूल चटाने की बात का जिक्र कर चुनावी एजेंडा सेट करते नजर आएंगे.

सियासी लाभ उठाने की फिराक में आरजेडी

पहलगाम हमले के बाद से ही आरजेडी फूंक-फूंककर कदम रख रही है. पहलगाम हमले के बाद ही आरजेडी ने मोदी सरकार को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर की खबर जैसे ही आई, आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने भारतीय सेना को बधाई देने में एक भी मिनट देर नहीं की. तेजस्वी ने कहा है कि भारतीय सेना ने कभी भी आतंकवाद और अलगाववाद को बर्दाश्त नहीं किया है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि भारतीय सेना ने हमेशा मां की कोख, बहनों की कलाई और सिंदूर की रक्षा की है. हम लोग सत्य और अहिंसा में विश्वास करते हैं. कभी किसी का नुकसान नहीं किया है, लेकिन हमारे साथ कोई गलत करेगा तो उसे मुंहतोड़ जवाब देना हमें (भारत) आता है. आरजेडी ने ऑपरेशन सिंदूर पर बहुत ही संतुलन बयान दिए हैं, लेकिन सीजफायर के बाद मोदी सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर अपना सियासी दांव चल दिया है.

आरजेडी ने कहा की सेना के शौर्य पर पूरे देश को गर्व है और इस सेना के शौर्य पर बात होनी चाहिए. तेजस्वी यादव ने कहा सभी पार्टियां विशेष सत्र के दौरान अपनी-अपनी बात बेहतर तरीके से रख सकती हैं. आरजेडी के नेता मनोज झा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जब शुरू हुआ, तो सारे देशवासियों की सोच एक जैसी थी. ऐसे में हमने सीजफायर करने का निर्णय लिया, तो उसकी जानकारी अमेरिका के राष्ट्रपित ट्रंप कैसे दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि विशेष सत्र बुलाने की मांग इसलिए जरूरी है कि ताकि पूरी दुनिया को एक स्वर में संदेश दिया जाए कि हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश की एकता अखंडता और संप्रभुता पर हम एक हैं.

जहां सूरज से पहले जागते हैं हनुमान जी, जानें-अयोध्या की अलौकिक सुबह की कहानी

भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या एक ऐसी पुण्यभूमि है, जहां हर सांस में राम बसते हैं, लेकिन इस नगरी की सुबह सूरज उगने से नहीं होती. अयोध्या की असली सुबह तो तब शुरू होती है, जब हनुमानगढ़ी के शिखर से हनुमंत लला के भजनों की गूंज उठती है. हर दिन तड़के तीन बजे जब पूरा नगर अभी नींद में होता है, तभी बजरंगबली के जागरण का अलौकिक समय शुरू हो जाता है.

हनुमानगढ़ी, अयोध्या का वह सिद्ध पीठ है जो सिर्फ ईंट-पत्थर से नहीं बना, बल्कि आस्था, भक्ति और परंपरा की आत्मा से जीवंत हुआ है. 1940 से निरंतर चल रही यह परंपरा बताती है कि हनुमान जी को अयोध्या में सबसे पहले जगाया जाता है और उसके बाद ही मंदिरों में आरती और पूजन की प्रक्रिया शुरू होती है. तड़के तीन बजे जैसे ही मंदिर के शिखर से “हनुमान गुणगान” के स्वर गूंजते हैं, वैसे ही एक आध्यात्मिक तरंग पूरे नगर को जागृत कर देती है.

ब्रह्म मुहूर्त में हनुमान जी का स्मरण

पुजारीगण भजनों की स्वर-लहरियों के साथ जागरण आरंभ करते हैं और फिर संपूर्ण अयोध्या के मंदिरों में दीप जलते हैं. शंखनाद होता है और भक्ति की ऊर्जा हर दिशा में फैल जाती है. छह पुजारियों की विशेष टीम इस दिव्य जागरण का संचालन करती है. उनका मानना है कि ब्रह्म मुहूर्त में जब देव शक्तियां जाग्रत होती हैं. उस समय हनुमान जी का स्मरण करना अत्यंत फलदायी होता है.

‘अयोध्या की आत्मा हनुमान जी के भजनों से जग चुकी होती है’

हनुमानगढ़ी में रहने वाले संत डॉ. रामानंद शुक्ल कहते हैं, “हनुमान जी की दिव्य उपस्थिति अयोध्या के वातावरण को सात्विक ऊर्जा से भर देती है और जब चार बजे रामलला के दरबार में मंगला आरती होती है, तो उससे पहले ही अयोध्या की आत्मा हनुमान जी के भजनों से जग चुकी होती है. रामभक्त हनुमान को अपने आराध्य श्रीराम से पहले जगाया जाना यह बताता है कि रामकथा की हर सुबह भी हनुमान जी से शुरू होती है.”

अयोध्या में सुबह हनुमान जी से होती है शुरू

वहीं भक्त कहते हैं कि जब तक हनुमान जी नहीं जागते, अयोध्या की सुबह अधूरी रहती है. यही कारण है कि हनुमानगढ़ी के भजनों की गूंज केवल मंदिर की सीमा तक नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के हृदय तक जाती है, तो जब भी आप अयोध्या आएं सुबह तीन बजे उठिए और हनुमानगढ़ी की ओर चल दीजिए. वहां की सुबह सिर्फ देखी नहीं जाती, उसे आत्मा से महसूस किया जाता है और जब आप उस पावन गुणगान का हिस्सा बनते हैं, तब आप समझ पाते हैं कि अयोध्या में सुबह हनुमान जी से होती है, सूरज से नहीं!

भारत के खिलाफ साइबर जंग की नई चाल, ‘Roar of Sindoor’ रिपोर्ट में खुलासा

भारत के खिलाफ बड़े साइबर अटैक की साजिश रची जा रही है. इसका खुलासा “Roar of Sindoor” रिपोर्ट से हुआ है. साजिश के तहत तकनीकी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के साथ ही देश में गलत जानकारी और फेक नैरेटिव फैलाकर सामाजिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है. इस रिपोर्ट को “Echos of Pahalgam” के बाद जारी किया गया है, जिसने पहले ही भारत को कई महत्वपूर्ण साइबर हमलों से बचाने में भूमिका निभाई थी. नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत पर साइबर हमले करने वाले समूहों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और मिडिल ईस्ट के कई खतरनाक हैकर ग्रुप्स शामिल हैं.

इन समूहों में प्रमुख रूप से APT-36, Team Insane PK, Mysterious Team, Hoax377, और National Pakistan Allied Group जैसे नाम शामिल हैं.

अब तक 1.5 मिलियन अटैक, 150 सफल प्रयास

रिपोर्ट के मुताबिक, इन ग्रुप्स द्वारा अब तक भारत पर 1.5 मिलियन से अधिक साइबर अटैक किए जा चुके हैं, जिनमें से 150 हमले सफल माने जा रहे हैं. यह हमले मुख्यतः भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों, ऊर्जा सेक्टर, और महत्वपूर्ण डाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित रहे हैं.

साइबर हमलों के साथ चल रहा है हाइब्रिड वॉर

रिपोर्ट में इस खतरे को केवल तकनीकी तक सीमित नहीं बताया गया है. बल्कि इसे एक “हाइब्रिड वॉर” का हिस्सा माना गया है. इस युद्ध का एक बड़ा पहलू मिस इन्फॉर्मेशन वॉर यानी फर्जी और भ्रामक जानकारी फैलाना है. इसका मकसद जनता में भ्रम, भय और अविश्वास फैलाना है.

देश के भीतर सक्रिय हो सकते हैं स्लीपर सेल

रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि भारत के भीतर स्लीपर सेल्स सक्रिय हो सकते हैं, जो इन साइबर और सूचना हमलों में सहयोग कर रहे हैं. हालांकि उनकी पहचान अब तक सामने नहीं आई है लेकिन खुफिया एजेंसियां इस दिशा में सतर्क हो गई हैं.

5000 से अधिक मिस इन्फॉर्मेशन कैंपेन

अब तक सामने आए आंकड़ों के अनुसार, 5000 से अधिक फर्जी प्रचार अभियानों को भारत के खिलाफ चलाया गया है. इनमें से कुछ बड़े दावे शामिल हैं जैसे

महाराष्ट्र में पावर ग्रिड पर फर्जी तोड़फोड़ की खबर

ब्रह्मोस मिसाइल केंद्र पर हमले की अफवाह

इनमें से 83 अभियानों को निष्क्रिय कराने की कोशिश की गई. अब तक 38 कैंपेन को सफलतापूर्वक हटाया भी जा चुका है.

बढ़ती चुनौती के बीच साइबर डिफेंस को मजबूत करने की जरूरत

“Roar of Sindoor” रिपोर्ट भारत की साइबर सुरक्षा के लिए चेतावनी की घंटी है. ये न केवल डिजिटल संरचनाओं की सुरक्षा को लेकर सजगता की मांग करती है, बल्कि सामाजिक तानेबाने को भ्रामक सूचनाओं से बचाने की भी चुनौती पेश करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है जब भारत को साइबर डिफेंस को राष्ट्रीय सुरक्षा के समकक्ष प्राथमिकता देनी होगी.