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अमेरिका-यूक्रेन के बीच साइन हुई मिनरल डील, धरती में दबा खजाना ट्रंप को देने को तैयार हुए जेलेंस्की

#usukraineminerals_deal

यूक्रेन और अमेरिका ने आखिरकार बुधवार को मिनरल डील पर साइन कर लिए। इस डील के तहत अमेरिका को यूक्रेन के नए मिनरल प्रोजेक्ट्स में खास एक्सेस मिलेगा। इसके बदले में अमेरिका यूक्रेन के पुनर्निर्माण में निवेश करेगा। इस डील के तहत यूक्रेन के रिडेवलपमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के लिए एक जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड बनाया जाएगा। कई हफ्तों तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बाद दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ है। अमेरिका अब तक यूक्रेन को अरबों डॉलर की सैन्य और आर्थिक मदद दे चुका है। जिसके बादले में ट्रंप इस डील को लेकर दबाव बना रहे थे।

अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने ऐलान किया कि यूक्रेन की अर्थव्यवस्था मंत्री यूलिया स्विरिडेंको ने वॉशिंगटन में इस डील पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने बुधवार को एक्स पर पोस्ट किया, ‘समझौते की शर्तों में ‘पूर्ण स्वामित्व और नियंत्रण’ यूक्रेन के पास रहना शामिल है।’ अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने एक बयान में कहा, जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा, अमेरिका इस क्रूर और निरर्थक युद्ध को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह समझौता रूस को स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि ट्रंप प्रशासन लंबे समय तक एक स्वतंत्र, संप्रभु और समृद्ध यूक्रेन पर केंद्रित प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है।

जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड में 50-50 निवेश करेंगे दोनों देश

यूक्रेन के इकोनॉमी मिनिस्ट्री ने कहा है कि अमेरिका इस फंड में सीधे या फिर मिलिट्री मदद के जरिए योगदान देगा, जबकि यूक्रेन इस फंड में अपने नेचुरल रिसोर्सेज के इस्तेमाल से होने वाली कमाई का 50% हिस्सा डालेगा। मिनिस्ट्री ने बताया कि फंड के सारे पैसे पहले 10 साल तक सिर्फ यूक्रेन में ही इन्वेस्ट किए जाएंगे। इसके बाद, 'प्रॉफिट को दोनों पार्टनर्स के बीच बांटा जा सकता है। मिनिस्ट्री ने यह भी कहा कि अमेरिका और यूक्रेन को फंड के फैसलों में बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी। यह डील सिर्फ भविष्य की अमेरिकी मिलिट्री मदद को कवर करती है, पहले दी गई मदद इसमें शामिल नहीं है।

यूक्रेन के पास दुर्लभ खनिजों का भंडार

यूक्रेन के पास 22 ऐसे दुर्लभ खनिजों के भंडार हैं, जो अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की 50 महत्वपूर्ण सामग्रियों में शामिल हैं. ये खनिज इलेक्ट्रॉनिक्स, क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी और हथियार प्रणालियों के लिए जरूरी हैं. चीन ने इन दुर्लभ खनिजों के वैश्विक उत्पादन पर कब्जा जमा रखा है, जिसके चलते पश्चिमी देश यूक्रेन जैसे वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में हैं. 2021 में यूक्रेन ने यूरोपीय संघ के साथ भी ऐसी ही डील की थी, और अब अमेरिका ने इस दौड़ में कदम रखा है

डील का असर रूस-यूक्रेन युद्ध पर होगा?

समझौते के मसौदे से मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका को भविष्य में यूक्रेनी प्राकृतिक संसाधन सौदों में तरजीही जी जाएगी है। समझौते के इस पहलू पर विवाद होने की भी पूरी आशंका है, क्योंकि यूक्रेन अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए अपनी अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण करना चाहता है। हालांकि इस समझौते ने यूरोप में शांति की उम्मीद को फिर से जगा दिया है, अब देखना होगा कि इस डील का असर रूस-यूक्रेन युद्ध पर कितना पड़ेगा।

रामदेव किसी के वश में नहीं हैं...जानें दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी, जारी करेगी अवमानना नोटिस

#babaramdevsharbatjihadcase

दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव को रूह अफजा के विरुद्ध उनके विवादास्पद वीडियो के लिए कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट अवमानना नोटिस जारी करने की तैयार में है। कोर्ट ने पहले ही रामदेव को हमदर्द के उत्पादों के बारे में कोई भी बयान जारी करने से मना किया था। कोर्ट ने पाया कि रामदेव ने पिछले आदेश की अवहेलना की है। रामदेव ने हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ फिर से एक वीडियो प्रकाशित किया है।

बाबा रामदेव पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी

जस्टिस अमित बंसल को बृहस्पतिवार को सूचित किया गया कि अदालत के 22 अप्रैल के निर्देशों के बावजूद रामदेव ने आपत्तिजनक बयान देते हुए एक वीडियो प्रसारित किया है। इसके बाद उन्होंने कहा, पिछले आदेश के मद्देनजर उनका हलफनामा और यह वीडियो प्रथम दृष्टया अवमानना के अंतर्गत आता है। मैं अब अवमानना नोटिस जारी करूंगा हम उन्हें यहां बुला रहे हैं। जस्टिस ने टिप्पणी की, वह (रामदेव) किसी के वश में नहीं हैं। वह अपनी ही दुनिया में रहते हैं।

रामदेव ने की कोर्ट की अवमानना

कोर्ट ने गुरुवार को ये बताया कि बाबा रामदेव में नया वीडियो जारी किया, जिसमें हमदर्द के खिलाफ टिप्पणी की गई है। ये नया वीडियो कब आया, इसकी जानकारी नहीं मिली है।

इससे पहले 22 अप्रैल को हाईकोर्ट ने रामदेव को दिए आदेश में कहा था- हमदर्द उत्पादों को लेकर न तो कोई बयान दें और न ही कोई वीडियो शेयर करें।

रामदेव के वकील बोले- आपत्तिजनक हिस्सा हटाएंगे

हाईकोर्ट ने रामदेव के वीडियो पर तल्खी जताई तो उनके वकील ने कहा कि योगगुरु के ताजा वीडियो से आपत्तिजनक हिस्सा हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से 24 घंटे के अंदर हटा दिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने आदेश का पालन किया, एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर करें। हाईकोर्ट कल यानी 2 मई को फिर इस मामले की सुनवाई करेगा। इसमें देखेगा कि पूर्व आदेश का पालन हुआ या नहीं।

भारत में रह रहे पाकिस्तानियों को राहत, मोदी सरकार ने बढ़ायी वापसी की मियाद

#pakistancitizensgetextensionto_return

भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को भारत सरकार ने बड़ी राहत दी है। गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान के नागरिकों के वापस जाने की मियाद बढ़ा दी है। केंद्र सरकार ने उन्हें वाघा-अटारी बॉर्डर से वापस जाने की अनुमति दे दी है। अगले आदेश तक भारत में मौजूद पाकिस्तान के नागरिक अटारी इंटरनेशनल बॉर्डर से वापस अपने वतन लौट सकते हैं। इससे पहले भारत सरकार ने अटारी बॉर्डर से नागरिकों की आवाजाही और व्यापार ऑपरेशंस पूरी तरह से बंद करने के आदेश जारी किए थे।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी नए आदेश में कहा गया है कि आदेश की समीक्षा की गई और आंशिक संशोधन के साथ अब यह आदेश दिया जाता है कि पाकिस्तानी नागरिकों को उचित मंजूरी के साथ अगले आदेश तक अटारी स्थित एकीकृत जांच चौकी से भारत से पाकिस्तान जाने की अनुमति दी जा सकती है।

गृह मंत्रालय ने पहले कहा था कि यह बॉर्डर 30 अप्रैल को बंद हो जाएगा। लेकिन अब इस आदेश को बदल दिया गया है। नए आदेश के अनुसार, पाकिस्तानी नागरिक अब अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान जा सकते हैं। यह अनुमति अगले आदेश तक जारी रहेगी।

केन्द्र सरकार ने तय की थी वापसी की तारीख

23 अप्रैल को वीजा रद्द करने के फैसले के बाद अटारी बॉर्डर पर लोगों का तांता लग गया था। सरकार के नए आदेश उन्हें बड़ी राहत मिली है। वैलिड ट्रेवल वीजा और तमाम दस्तावेज दिखाने और किसी कारण से भारत में फंसे नागरिकों को अभी भी बॉर्डर क्रॉस करने के लिए अनुमति दी जाएगी।

सरकार ने अल्पकालिक और सार्क वीजा रखने वालों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का निर्देश दिया था। ऐसे ही मेडिकल वीजा रखने वालों के लिए समय सीमा 29 अप्रैल थी। पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन करके यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी पाकिस्तानी निर्धारित समय सीमा से आगे भारत में न रह जाए।

अब तक कितने लोग गए-आए?

केंद्र के निर्देश के बाद से बीते छह दिनों में 55 राजनयिकों और उनके सहायक कर्मचारियों सहित 786 पाकिस्तानी नागरिक अटारी-वाघा सीमा पार करके भारत छोड़ चुके हैं। पाकिस्तान से 1,465 भारतीय भारत आए हैं। देश छोड़ने संबंधी निर्देश पहलगाम आतंकी हमले के बाद आया था, जिसमें 26 पर्यटकों और एक कश्मीरी स्थानीय व्यक्ति को आतंकवादियों ने गोली मार दी थी।

पाकिस्तान को जवाब देने की तैयारी? अरब सागर में भारतीय नौसेना का अभ्यास

#indiannavyboostsvigilanceinarabiansea

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ गया है। आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने बात सामने आने के बाद भारत ने पड़ोसी देश के खिलाफ कई अहम कदम उठाए है। सेना भी हर तरह की तैयारी शुरू कर रही है। इस बीच भारतीय नौसेना ने अपनी जंगी जहाजों को समंदर में उतार दिया है। इसका मकसद समुद्री सुरक्षा को और भी मजबूत करना है।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से 30 अप्रैल से 3 मई तक गुजरात तट के पास अरब सागर में नौसेना बड़े पैमाने पर अभ्यास कर रही है। इस दौरान किसी भी असामान्य गतिविधि के प्रति युद्धपोतों को सतर्क रखा गया है। हाल ही में भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोतों से कई एंटी-शिप मिसाइल फायरिंग कर सफलतापूर्वक लंबी दूरी के सटीक हमलों की तैयारी को साबित किया था। अब भारतीय नौसेना कई तरह के अभ्यास में जुटी है जिसमें मिसाइल फायरिंग और युद्धाभ्यास शामिल हैं।

भारतीय नौसेना पूरी तरह से तैयार हैं

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह फायरिंग यह दिखाने के लिए की गई कि उनके प्लेटफॉर्म, सिस्टम और क्रू लंबी दूरी तक सटीक हमले करने के लिए कितने तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के जहाज लंबी दूरी तक सटीक हमले करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वे देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए हमेशा, कहीं भी और किसी भी तरह से तैयार हैं।

कोस्ट गार्ड भी नौसेना के साथ

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में और भी कई प्रदर्शन और अभ्यास की योजना है। भारतीय कोस्ट गार्ड ने भी गुजरात तट से दूर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा के निकट जहाज तैनात किए हैं और निगरानी बढ़ाने के लिए नौसेना के साथ साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

भारत के एक्शन से बढ़ी पाक की टेंशन

भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान का तनाव बढ़ा दिया है। सेना ने जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया। इस दौरान कई आतंकियों के घरों को तबाह किया गया। सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस ने स्थानीय लोगों से हमले को लेकर पूछताछ भी की। दूसरी ओर भारत के एक्शन से पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ गई है। उसने सीमा के पास आर्मी मूवमेंट को बढ़ा दिया है।

सेना का का मनोबल न गिराएं...पहलगाम हमले की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

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पहलगाम आतंकी हमलों की न्यायीक जांच की मांग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करने से पहले मामले की गंभीरता को समझना चाहिए था। हमारे बलों का मनोबल मत तोड़ो। इन याचिकाओं के लिए यह सही समय नहीं है।

जज कब से ऐसे मामलों की जांच करने के एक्सपर्ट ?

अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपने मांग की है कि रिटायर्ड जज की अगुवाई में पहलगाम हमले के जांच हो। जज कब से ऐसे मामलों की जांच करने के एक्सपर्ट हो गए हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखिए। कोर्ट ने कहा कि यह कठिन समय है और सभी को साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।

हर भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुश्किल वक्त में देश का प्रत्येक नागरिक आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह ऐसा जरूरी समय है, जब हर भारतीय आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ खड़ा है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी मांग कर सुरक्षाबलों का मनोबल ना गिराएं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि ये मामला बहुत ही संवेदनशील है। ऐसे में इस मामले की संवेदनशीलता का भी ख्याल रखें।

याचिका पर सुनवाई करने से इनकार

बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले में विदेशी पर्यटकों समेत 26 लोग मारे गए थे। आतंकियों ने धर्म पूछकर सबको मारा था। याचिकाकर्ताओं ने 26 लोगों की मौत वाली पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग की थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने निष्कर्षों को लेकर थोड़ा ज़िम्मेदार बनिए।

पहलगाम हमले पर बड़ा खुलासाःआतंकियों ने की थी बैसरन के अलावा इन 3 जगहों की

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जम्मू-कश्मीर के ‘मिनी स्विटजरलैंड’ कहे जाने वाले पहलगाम में आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी जांच शुरू कर दी है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। जांच के दौरान हो रहे खुलासे से यह बात सामने आई है कि आतंकी अचानक वहां नहीं पहुंचे। जिन आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया है वे 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे। इन आतंकियों की मदद करने वाले लोगों से एनआईए को ये भी पता चला है कि आतंकियों के टारगेट पर पहलगाम के अलावा तीन और स्थान भी थे। हमले से पहले घाटी में तीन सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया गया था।

किन जगहों की रेकी

बताया गया है कि आतंकियों ने 22 अप्रैल से पहले पहलगाम और आसपास के इलाके की रेकी शुरू की थी। बैसरन, आरु वैली और बेताब वैली संग लोकल एम्यूज़मेंट पार्क की रेकी करने के बाद हमले के लिए बैसरन को चुना गया था।जांच में गिरफ्तार किए गए एक ओवर ग्राउंड वर्कर ने बताया कि आतंकी घटना से दो दिन पहले बैसारन घाटी में मौजूद थे। आतंकियों ने 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचकर रेकी की थी। इनमें बैसरन घाटी, आरु घाटी, स्थानीय एम्यूज़मेंट पार्क और बेताब घाटी शामिल थे। सुरक्षा कड़ी होने की वजह से आतंकी इन जगहों पर हमला नहीं कर पाए।

ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पूछताछ में खुलासा

जम्मू-कश्मीर से उठाए गए 80 ओवरग्राउंड वर्कर्स समेत कई लोगों से पूछताछ में यह बात सामने आई है।इसमें से 20 के करीब ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पहचान भी हो चुकी है। इसमें कुछ ओवर ग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक 4 ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने पाकिस्तानी आतंकियों को घाटी में रेकी करने में मदद की थी।

ओवर ग्राउंड वर्कर ने की आतंकियों की मदद

जांच में पता चला है कि कम से कम चार ओवर ग्राउंड वर्कर ने आतंकियों को रेकी और जरूरी सामान पहुंचाने में मदद की। हमले से पहले इलाके में तीन सैटेलाइन फोन के इस्तेमाल के सबूत भी मिले हैं। इनमें से दो डिवाइस के सिग्नल को ट्रैस कर लिया गया है। एनआईए और खुफिया एजेंसियां अब तक 2,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। फिलहाल 186 लोगों को आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में रखा गया है।

जंग की आहट से ख़ौफ़ज़दा पाकिस्तान, 2022 से खाली पड़े एनएसए के पद पर आनन-फानन की नियुक्ति

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पाकिस्तान को भारत की ओर से हमले का डर सता रहा है। खौफजदा पाकिस्तान ने आधी रात को बड़ा कदम उठाया। आनन-फानन में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक को पाकिस्तान का नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि मलिक को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर एनएसए का पद दिया गया है। उनकी नियुक्ति के बारे में एक औपचारिक अधिसूचना भी जारी की गई है।

इतिहास में पहली बार

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने आधी रात को एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसके मुताबिक, खुफिया एजेंसी आईएसआई यानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। आसिम मलिक पाकिस्तान के 10वें NSA हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब एक मौजूदा आईएसआई प्रमुख को दोनों महत्वपूर्ण पदों पर एक साथ काम करने की जिम्मेदारी दी गई है।

2022 से यह पद खाली था पद

पहलगाम हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया है। 2022 से यह पद खाली था। तब मुईद यूसुफ ने पद से इस्तीफा दे दिया था। मलिक की नियुक्ति 29 अप्रैल को की गई है, लेकिन मीडिया में इसकी जानकारी बुधवार देर रात आई। इससे एक दिन पहले ही यानी 30 अप्रैल को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया। खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष बनाया।

कौन है आसिम मलिका?

मुहम्मद आसिम मलिक पिछले साल सितंबर 2024 से आईएसआई का प्रमुख है। वह अपनी रणनीतिक विशेषज्ञता और सैन्य अनुभव के लिए जाना जाता है। वह पाकिस्तान में जासूसों का सरदार है। वह पाकिस्तान सैन्य अकादमी के 80वें लॉन्ग कोर्स के दौरान स्वॉर्ड ऑफ ऑनर विजेता रह चुका है। अमेरिका के फोर्ट लेवनवर्थ और यूके के रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज से ट्रेंड है। उसने बलूचिस्तान और वजीरिस्तान में अहम सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया है। इसलिए पाकिस्तान ने एक बार फिर उस पर भरोसा जताया है।

भारत के कहर से डरा पाक

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान छटपटा रहा है। उसे डर है कि भारत आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। आतंकवाद का पनाहगार होने के नाते भारत का कहर उस पर ही बरसेगा। उसके कई मंत्री ऐसे बयान भी दे चुके हैं कि भारत उस पर कभी भी हमला कर सकता है। इस बीच भारतीय सेना को फ्री हैंड दे दिया गया है और बीते दिनों भारत सरकार द्वारा कई बैठकें की गईं। इसे लेकर पाकिस्तान प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

पहलगाम के हर दोषी को सजा दिलाकर रहेंगे', अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में जयशंकर ने साफ की मंशा

#sjaishankarpahalgamattacktalkwithmarco_rubio

पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिरता दिख रहा है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने इस आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बात की है। इस बातचीत के दौरान रुबियो ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है।मार्को रुबियो ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के प्रति दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

जयशंकर की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को साफ तौर पर कह दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरें में लाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, 'कल अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।'

यूएस ने की तनाव कम करने की अपील

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान से भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के पीएम से इस अमानवीय हमले की जांच में हर संभव सहयोग देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भारत से बढ़ते तनाव को कम करने, बातचीत फिर से स्थापित करने और दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।

क्या भारत करेगा पाकिस्तान के साथ सहयोग

हालांकि, आतंकवाद के पनाहगार के तौर पर जगजाहिर देश पाकिस्तान के साथ सहयोग की किसी भी गुंजाइश से भारत ने किनारा कर रखा है। उसका एकमात्र मकसद आतंकवाद का जड़ से सफाया और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

भारतीय एयरस्पेस में पाकिस्तान की नो एंट्री, पड़ोसा देश के खिलाफ मोदी सरकार एक और एक्शन

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच भारत ने अब पाकिस्‍तान के लिए अपना एयरस्‍पेस बंद कर दिया है। पाकिस्‍तान के विमान अब भारत से होकर नहीं गुजर पाएंगे। भारत ने पाकिस्‍तान के लिए 23 मई 2025 तक अपना एयरस्‍पेस बंद करने का फैसला किया है। इससे पहले पाकिस्‍तान ने भी भारत के लिए अपना एयरस्‍पेस बंद कर दिया था। अब भारत ने भी पाकिस्‍तान के विमानों की एंट्री पर रोक लगा दी है।

30 अप्रैल से 23 मई तक के लिए नोटम जारी

केन्द्र सरकार ने नोटिस टू एयरमैन यानि नोटम जारी किया किया गया है। 30 अप्रैल से 23 मई तक के लिए नोटम जारी किया गया है। इस दौरान पाकिस्तान रजिस्टर्ड कोई भी विमान या मिलिट्री एयरक्राफ्ट भारतीय एयरस्पेस में नहीं घुस सकता।

नोटम एक तरह का सूचना तंत्र होता है जो काफी गोपनीय होता है। इसके द्वारा किसी भी संकट के दौरान या संवेदनशील स्थिति में पायलट और एयरलाइंस संचालक को सूचना आदान प्रदान की जाती है. नोटम का इस्तेमाल सरकारी संकाय द्वारा ही की जाती है।

पाक पहले ही लगा चुका है पाबंदी

पिछले सप्ताह पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइन्स के लिए अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी। भारत की ओर से यह जवाबी कार्रवाई है। भारतीय हवाई क्षेत्र में पाकिस्तान में पंजीकृत विमान, पाकिस्तानी एयरलाइंस या ऑपरेटरों द्वारा संचालित या पट्टे पर दिए गए विमान और सैन्य विमान सभी पर यह पाबंदी लगाई गई है।

पहलगाम पहले के बाद पीएम ने दिया था संदेश

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तानी एयरलाइन्स के लिए अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है। बता दें कि पीएम मोदी ने पहलगाम में आतंकी हमले के दिन सऊदी अरब से भारत आते समय पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं किया था। जबकि वह पाकिस्तानी एयरस्पेस से ही सऊदी के दौरे पर गए थे।

बिहार चुनाव से पहले जात‍ि जनगणना का एलान, राहुल के हाथ से निकला बड़ा मुद्दा

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देश में आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना कराई जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट ने जाति जनगणना को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। केन्द्र की मोदी सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव के पहले ये बड़ा दांव खेला है। दरअसल, राहुल गांधी जातिगत जनगणना को लेकर लगातार आक्रामक रुख अपनाते आ रहे थे। ऐसे में चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बन सकता था। लेकिन केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का वादा कर कांग्रेस के हाथ से यह मुद्दा छीन लिया है।

फिलहाल देश में पहलगाम हमले के कारण माहौल गर्म है। ऐसे समय में मोदी सरकार ने बहुत बड़ा राजनीतिक फैसला लिया है। एनडीए सरकार ने तय किया है कि वह 2026 में होने वाली जनगणना के साथ ही देश भर में जातीय जनगणना भी कराएगी। कांग्रेस और खासकर इसके नेता राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनावों से ही इसकी मांग कर रहे थे और इसे उन्होंने अपना सबसे बड़ा मुद्दा बना लिया था। लेकिन, मोदी सरकार ने अप्रत्याशित रूप से जातीय जनगणना की बात कहकर देश की राजनीति को पूरी तरह से नया मोड़ दे दिया है। इसका सबसे पहला प्रभाव बिहार विधानसभा चुनाव पड़ सकता है।

2024 के लोकसभा चुनावों में खासकर के उत्तर प्रदेश में इंडिया ब्लॉक को इसका फायदा भी मिला था। बीजेपी को उसके ओबीसी और दलित वोट बैंक का नुकसान भी हुआ। क्योंकि, तब कांग्रेस और सहयोगियों ने यह जोरदार प्रचार किया था कि बीजेपी इसीलिए 400 सीटें मांग रही है, ताकि वह संविधान बदलकर आरक्षण को खत्म कर सके। बाद में उन्होंने तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस की अपनी सरकारों पर भी इस तरह की जनगणना की रिपोर्ट जारी करने का दबाव बनाया। इससे भी कांग्रेस यह संदेश देने में सफल रही है कि यदि वह केंद्र में सत्ता में आती है तो वह पूरे देश में जातिगत जनगणना कराएगी। अब जिस तरह से सरकार ने परिस्थितियां पलटने की कोशिश की है, उसके बाद राहुल अपने एजेंडे का किस हद तक फायदा उठा सकेंगे, यह बड़ा सवाल है।

कयास लगाए जा रहे हैं कि जाति जनगणना की शुरुआत सितंबर में की जा सकती है। हालांकि जनगणना की प्रोसेस पूरी होने में एक साल लगेगा। ऐसे में जनगणना के अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में मिल सकेंगे। देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसे हर 10 साल में किया जाता है। इस हिसाब से 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था।

राहुल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2023 में सबसे पहले जाति जनगणना की मांग की थी। इसके बाद वे देश-विदेश की कई सभाओं और फोरम पर केंद्र से जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। नीचे ग्राफिक में देखें राहुल ने कब और कहां जाति जनगणना की मांग दोहराई