कार्रवाई से बचने के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे बीएसए और एबीएसए
मिर्ज़ापुर। उत्तर प्रदेश सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति को धता बताते हुए बीएसए मिर्जापुर एवं एबीएसए नारायणपुर कायदे कानून को तात्पर रखते हुए गलत आख्या प्रस्तुत कर भ्रष्टाचार के आरोपों से बुरी तरह से घिरे एक प्रभारी प्रधानाध्यापक को बचाने में लगे हुए हैं। हद की बात तो यह है कि जिलाधिकारी से शिकायत किए जाने पर जिलाधिकारी को भी गलत आख्या प्रस्तुत कर गुमराह किया गया। यह संपूर्ण मामला जिले के नारायणपुर विकासखंड अंतर्गत
कम्पोजिट विद्यालय कंदवा से जुड़ा हुआ है जहां के इन्चार्ज प्रधानाध्यापक धीरज सिंह द्वारा विद्यालय निर्माण की सरकारी धनराशि में अनियमितता किए जाने के साथ सरकारी धनराशि को पत्नी के खाते में जमा किए जाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई थी। बाकायदा इस मामले की शिकायत बीएसए से करते हैं बताया गया था कि इन्चार्ज प्रधानाध्यापक कम्पोजिट विद्यालय कंदवा धीरज सिंह पुत्र जैसिंह अमुहार बाना चुनार द्वारा उक्त विद्यालय निर्माण के लिए आवंटित सरकारी धनराशि को अपनी पत्नी के खाते में डाला गया था। जिसके बावत खण्ड शिक्षा अधिकारी नरायनपुर, बेसिक शिक्षा अधिकारी के यहां इसकी शिकायत की गयी थी। बावजूद इसके विभागीय अधिकारियों द्वारा न तो उपरोक्त व्यक्ति के विरूद्ध न जांच बैठाया गया न ही उपयुक्त विद्यालय से उन्हें हटाया गया।
मज़े की बात है कि शिकायतकर्ता ने जब इसके बावत सम्बन्धित विभाग के उच्चाधिकारियों व जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत धीरज सिंह के विरूद्ध हुई जांच व कार्यवाही के सन्दर्भ में पूछा गया तो सही जानकारी न देकर गुमराह किया जाता रहा है और विभागीय अनुकम्पा के कारण आज तक शिकायतकर्ता को जबाब नहीं मिला है। थक-हारकर जब जिलाधिकारी से शिकायत करते हुए उपरोक्त प्रकरण की जांच कराकर यथाशीघ्र कम्पोजिट विद्यालय कंदवा के इन्चार्ज प्रधानाध्यापक धीरज सिंह के विरूद्व आवश्यक कार्यवाही किए जाने, ताकि भविष्य में सरकारी धन का दुरूपयोग (गमन) रोका जा सके की मांग की गई।
कम्पोजिट विद्यालय कंदवा में निर्माण धनराशि में अनियमितता की शिकायत कर पुनः निष्पक्ष जांच की मांग
भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सुर्खियों में चल रहे बीआरसी नारायनपुर और कंपोजिट विद्यालय कंदवा के प्रभारी प्रधानाध्यापक जहां विभागीय अधिकारियों और एक विधायक की कृपादृष्टि से मनमानी दर मनमानी करते हुए अंगद की भांति पैर जमाएं हुए हैं वहीं शिकायतकर्ता अधिवक्ता
ऋषभ सिंह ने अब मुख्यमंत्री से मिलकर सम्पूर्ण मामले को उनके समक्ष रखते हुए किस प्रकार से उनकी सरकार के जीरो टॉयलेट नीतियों को धता बताया जा रहा है के संदर्भ में अवगत कराने का मन बना लिया है।
अधिवक्ता ऋषभ सिंह ने अपने
पूर्व में किए गए शिकायत संदर्भ संख्या 20019925003775 (जनता दर्शन) का उल्लेख करते हुए बताया है कि जिलाधिकारी से शिकायत करने के बाद भी विभागीय अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुए गलग आख्या प्रस्तुत की जा रही है। उन्होंने बताया कि
उन्होंने अपनी शिकायत में कम्पोजिट विद्यालय कंदवा, विकास खण्ड नरायनपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक धीरज सिंह द्वारा विद्यालय निर्माण की धनराशि में गंभीर अनियमितताओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया था। जबकि प्राप्त निस्तारण आख्या में यह कहा गया है कि 16 अप्रैल 2025 को जांच की गई, जिसमें निर्माण कार्य को मानक एवं गुणवत्ता के अनुसार पाया गया। परंतु मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि उक्त तिथि को कोई भी जांच स्थल पर नहीं की गई न तो मुझे पूर्व सूचना दी गई, न ही मेरे समक्ष कोई टीम पहुंची। यह तथाकथित जांच केवल कागजों पर की गई प्रतीत होती है, जिससे साफ जाहिर होता है कि दोषियों को बचाने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने मांग किया है कि जांच की वीडियो रिकॉर्डिंग तथा उपस्थिति पंजिका सार्वजनिक की जाए और उक्त जॉच रिपोर्ट में कही भी आवंटित धनराशि के वितरण में की गयी अनियमितता प्रभारी प्रधानाध्यापक धीरज सिंह द्वारा अपने पत्नी शिवलक्ष्मी के खाते में डाले गये धनराशि के बावत कोई उल्लेख नही किया गया है। जो जॉच रिपोर्ट को त्रुटिपूर्ण बनाता है। इसी प्रकार
पूरी जांच प्रक्रिया को दोबारा, स्वतंत्र और निष्पक्ष टीम द्वारा शिकायतकर्ता की उपस्थिति में कराया जाए, जांच में उपस्थित दर्शाए गए व्यक्तियों के बयान की प्रमाणिकता की पुष्टि की जाए, दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। इसी के साथ ही ऋषभ सिंह ने चेतावनी दी है कि यदि
उनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच सुनिश्चित नहीं की गई तो वह विवश होकर उच्चधिकारियों, लोकायुक्त एवं न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होंगे।
Apr 26 2025, 19:02