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हिंद महासागर में चीन को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में भारत, फ्रांस से 26 मरीन रॉफेल की डील

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अपने पड़ोसी देशों की हरकतों को देखते हुए भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी क्रम में भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए फ्रांस से 26 मरीन रॉफेल खरीदने को मंजूरी दे दी है। भारत और फ्रांस के बीच पहले भी रॉफेल विमानों को लेकर सौदा हो चुका है। साल 2016 में भारत ने वायु सेना के लिए 36 रॉफेल विमान खरीदे थे। अब नौ सेना के लिए यह नया सौदा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करेगा। इस सौदे में विमानों के साथ-साथ हथियार, स्पेयर पार्ट्स और रखरखाव का सामान भी शामिल होगा।

सरकारी सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने यह दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस सरकारी सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसके बाद फ्रांस 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर जेट भारतीय नौसेना को सौंपेगा। इन्हें हिंद महासागर में चीन से मुकाबले के लिए आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। यह सौदा भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों की क्षमताओं को भी अपग्रेड करने में मदद करेगा। राफेल-एम जेट को भारतीय नौसेना के विमानों के बेड़े में शामिल किया जाएगा।

दोनों देशों के बीच 26 राफेल मरीन जेट की खरीद को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही थी। भारत नौसेना के लिए राफेल मरीन की डील उसी बेस प्राइज में करना चाहता था, जो 2016 में वायुसेना के लिए 36 विमान खरीदते समय रखी थी। इस डील की जानकारी सबसे पहले पीएम मोदी की 2023 की फ्रांस यात्रा के दौरान सामने आई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया था, जिसे फ्रांस ने दिसंबर 2023 में स्वीकार किया।

जून 2024 में हुई थी पहले दौर की चर्चा

26 राफेल-एम फाइटर जेट खरीदने की डील पर पहले दौर की चर्चा जून 2024 में शुरू हुई थी। तब फ्रांस सरकार और दसॉ कंपनी के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी से चर्चा की थी। डील फाइनल होने पर फ्रांस राफेल-M जेट के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू के लिए ट्रेनिंग और लॉजिस्टक सपोर्ट मुहैया कराएगा।

इन हथियारों में अस्त्र एयर-टु-एयर मिसाइल, एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए जेट में इंडियन स्पेसिफिक इन्हैंस्ड लैंडिंग इक्विपमेंट्स और जरूरी इक्विपमेंट्स शामिल किए हैं। इससे पहले सितंबर 2016 में 59 हजार करोड़ रुपए की डील में भारत वायुसेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद चुका है।

हिंद महासागर में चीन को मिलेगी टक्कर

यह सौदा भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा। रॉफेल मरीन विमान आधुनिक तकनीक से लैस हैं और समुद्र में ऑपरेशन के लिए खास तौर पर डिजाइन किए गए हैं। ये विमान नौसेना के विमानवाहक पोतों जैसे आईएनएस विक्रांत से उड़ान भर सकेंगे। इससे भारत की समुद्री सुरक्षा और मजबूत होगी। खासकर हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए यह सौदा बहुत जरूरी माना जा रहा है। ये विमान नौसेना को समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी और हमले की ताकत देंगे।

अब फार्मा सेक्टर पर भी टैरिफ लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, जानें भारत पर क्या असर?

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हर तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा है। दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप अभी रूकने के मूड मे नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब एलान किया है कि जल्द ही दवाओं के आयात पर शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर बड़े टैरिफ की घोषणा करेगा।

विदेश में दवा बना रही कंपनियों को वापस लाना है-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। अब उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। हालांकि, ट्रंप दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy's, Aurobindo Pharma और Gland Pharma जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं और उनके शेयर बुधवार को दबाव में नजर आए.

अभी फार्मा पर कितना टैरिफ है?

आपको बता दें कि फिलहाल भारत देश अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा पर करीब 10 फ़ीसदी का टैरिफ चार्ज वसूलता है जबकि अमेरिका देश भारत से आने वाले फार्मा आयात पर किसी भी प्रकार का टैरिफ नहीं वसूलता है. आने वाले समय में अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो इससे भारतीय फार्मा कंपनियों के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.

ट्रंप के टैरिफ ने दिया टेंशन तो छटपटाया ड्रैगन, भारत से लगाई गुहार, जानें क्या कहा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‘टैरिफ वॉर’ से दुनियाभर के देश हलकान हैं। इन सबमें अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है, तो वो है चीन। ट्रंप ने चीन से आने वाले सभी सामानों पर 104% तक का भारी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है।यह आज यानी 9 अप्रैल से लागू हो गया है। इन सबके बीच बीजिंग ने भारत ने दोस्ती की गुहार लगाई है और मुश्किल हालात पर काबू पाने के लिए भारत से साथ खड़े होने का भी आग्रह किया है।

भारत में चीन की एंबेसी की प्रवक्ता यू जिंग ने कहा कि चीन और भारत दोनों विकासशील राष्ट्र हैं और ऐसे में अमेरिका के टैरिफ जैसे कदम ‘वैश्विक दक्षिण’ देशों के विकास के अधिकार को छीनने की कोशिश हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को एकजुट होकर इन चुनौतियों का मुकाबला करना चाहिए।

यू जिंग ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार और विकास के लिए सभी देशों को बहुपक्षीयता का समर्थन करना चाहिए और एकतरफा फैसलों और संरक्षणवाद का विरोध करना चाहिए। उनके अनुसार, इस तरह के टैरिफ युद्ध का कोई विजेता नहीं होता।

इससे पहले अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

आतंकी तहव्वुर राणा के बचने के सारे रास्ते बंद, आज भारत लाया जा सकता है मुंबई हमलों का गुनहगार!

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मुंबई हमलों का गुनहगार आतंकी तहव्वुर राणा जल्द भारत लाया जा सकता है। तहव्वुर राणा को अमेरिका से कभी भी भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। खबर आ रही है कि राणा के प्रत्यर्पण से संबंधित सारी औपचारिकताएं अमेरिका के साथ भारतीय एजेंसियों ने पूरी कर ली है। अमेरिका की अदालत में सारे जरूरी कागजात भारतीय एजेंसी ने सौंप दिए हैं और अदालत की अनुमति भी ले ली गई है।

तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए भारत की एजेंसियां अमेरिका में मौजूद हैं। सूत्रों का कहना है कि उसके प्रत्यर्पण से संबंधित सारी कागजी औपाचारिकताएं अमेरिका के साथ पूरी की जा चुकी है। भारतीय एजेंसियों ने अमेरिका की अदालत में सारे जरूरी कागजात ने सौंप दिए हैं और अदालत की अनुमति भी ले ली है। अमेरिका ने भी प्रत्यार्पण को लेकर हामी भर दी है। अब किसी भी वक्त आतंकी तहव्वुर राणा भारत लैंड कर सकता है। सूत्रों की मानें तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि तहव्वुर राणा को आज ही भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

डोभाल खुद कर रहे प्रत्यर्पण की निगरानी

सूत्रों का कहना है कि तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की पूरी निगरानी खुद अजीत डोभाल ही कर रहे हैं। अमेरिका से कैसे तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा, क्या-क्या ऑपचारिकताएं हैं और उसे भारत की किस जेल में रखा जाएगा, भारत लाने के बाद उसके साथ क्या होगा, इन सब पर अजीत डोभाल की पूरी नजर है। वह खुद गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठकर तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की पटकथा लिख रहे हैं। सूत्रों की मानें तो तहव्वुर राणा के भारत आने और अदालत में पेश होने के बाद एनआईए उसकी हिरासत में पूछताछ की मांग कर सकती है।

कहां रखा जाएगा तहव्वुर राणा को?

अब सवाल है कि तहव्वुर राणा भारत आएगा तो कहां रखा जाएगा? इसके लिए दो ऑप्शन हैं। पहला दिल्ली की तिहाड़ जेल और दूसरा मुंबई की आर्थर रोड जेल। इन दोनों जगहों पर तैयारी पूरी है। यहां की जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है।

बताया जा रहा है कि राणा को भारत में लाने के तुरंत बाद ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया जाएगा। कुछ हफ्ते एनआईए उससे हिरासत में पूछताछ करेगी।

भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ

इससे पहले पिछले महीने ही आतंकी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया था। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने भारत प्रत्यर्पण के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। उसने दलील दी थी कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाता है तो वहां उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा सकता है।

मुंबई हमले की रची साजिश

आरोपी तहव्वुर राणा पाकिस्तान की निवासी है। उसने 10 साल पाकिस्तान की सेना में बतौर डॉक्टर काम किया है। फिर नौकरी छोड़ने के बाद वो भारत के खिलाफ नापाक साजिशों में लग गया। अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, 2006 से नवंबर 2008 तक आरोपी राणा ने डेविड हेडली और पाकिस्तान के अन्य लोगों के साथ मिलकर मुंबई हमलों की साजिश रची थी। उसने मुंबई हमले को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी की मदद की थी।

26/11 यानी 26 नवंबर 2008 वो तारीख जिस दिन मुंबई में एक भयानक आतंकी साजिश को अंजाम दिया गया। रात के वक्त 10 आतकंवादियों ने अलग-अलग स्थानों को घेरकर गोलीबारी शुरू कर दी थी। समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा के थे। यह हमले चार दिन बाद यानी 29 नवंबर को खत्म हुए थे। इस आतंकी साजिश में 166 बेकसूरों की मौत हुई थी। वहीं, हमले में 300 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।

देशभर में वक्फ संशोधन अधिनियम लागू, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना


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वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 आज से लागू होगा है। केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के मुताबिक देश में 8 अप्रैल से वक्फ अधिनियम को प्रभावी कर दिया गया है। वक्फ संशोधन अधिनियम को लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी थी। इसके बाद यह तय नहीं था कि नया कानून कब से लागू होगा। 

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम (2025 का 14) की धारा 1 की उपधारा (2) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार 8 अप्रैल-2025 से इस अधिनियम के प्रावधान लागू करती।

बता दें कि विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच ये बिल संसद के दोनों से पारित हुआ था। चार अप्रैल को राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े थे। जबकि, लोकसभा में इसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े थे। दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था। विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। 

मुस्लिम संगठन कर रहे विरोध

वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 को लेकर कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य संगठनों का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता और धार्मिक आजादी पर हमला है। उनका तर्क है कि इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में शामिल करने, ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटाने, और जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व का निर्धारण करने का अधिकार देने जैसे बदलाव मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ हैं।

नए वक्फ कानून में क्या-क्या?

हर कोई अपनी संपत्ति 'वक्फ' नहीं कर सकेगा

कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता का खंड हटाया गया है, और यह साफ किया गया है कि वक्फ संपत्ति से संबंधित मामले अब पूर्वव्यापी तरीके से नहीं खोले जाएंगे, जब तक कि वे विवादित न हों या सरकारी संपत्ति न हों। इसके अलावा वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का समर्थन किया गया है, ताकि वे वक्फ मामलों में रुचि रखने वाले या विवादों में पक्षकार बन सकें।

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम, महिला सदस्यों का नामांकन

नए कानून में वक्फ बोर्डों के संचालन में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जैसे कि अब बोर्ड में गैर-मुस्लिम और कम से कम दो महिला सदस्यों को नामित किया जाना प्रस्तावित है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, दो पूर्व न्यायाधीश, चार 'राष्ट्रीय ख्याति' के व्यक्ति और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होंगे, जिनमें से कोई भी इस्लामी धर्म से संबंधित नहीं होगा।

सरकारी अधिकारी को जांच की शक्ति

बता दें कि अगस्त 2024 में संसद में जो विधेयक पेश किया गया था, उसमें वक्फ से जुड़े विवादों के मामलों में जिला कलेक्टर को जांच की शक्ति दी गई थी। हालांकि, जेपीसी ने जिला कलेक्टर वाली शक्ति को खत्म करने पर सहमति जता दी और राज्य सरकार को अब इन मामलों की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नामित करने का अधिकार देना प्रस्तावित कर दिया।

वक्फ संपत्ति का केंद्रीय डाटाबेस में पंजीकरण

मौजूदा कानून के तहत पंजीकृत हर वक्फ संपत्ति की जानकारी अधिनियम लागू होने के बाद छह महीने के अंदर सेंट्रल डाटाबेस में देना जरूरी है। इतना ही नहीं डाटाबेस में किसी भी सरकारी संपत्ति को जिलाधिकारी के पास चिह्नित किया जाएगा, जो कि बाद में इस मुद्दे पर जांच कर सकेंगे। कानून में शामिल इस संशोधन में कहा गया है कि अगर वक्फ संपत्ति को केंद्रीय पोर्टल में नहीं डाला जाता तो इससे वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण होने या विवाद पैदा होने पर अदालत जाने का अधिकार खत्म हो जाएगा। हालांकि, एक अन्य स्वीकृत संशोधन अब मुतवल्ली (कार्यवाहक) को राज्य में वक्फ न्यायाधिकरण की संतुष्टि बाद कुछ स्थितियों में पंजीकरण के लिए अवधि बढ़ाने का अधिकार देगा। 

अंतिम नहीं होगा न्यायाधिकरण का फैसला

वक्फ कानून, 1995 के तहत वक्फ न्यायाधिकरण को सिविल कोर्ट की तरह काम करने की स्वतंत्रता दी गई थी। इसका फैसला अंतिम और सर्वमान्य माना जाता था। इन्हें किसी भी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी सकती थी। ऐसे में वक्फ न्यायाधिकरण की ताकत को सिविल अदालत से ऊपर माना जाता था। हालांकि, कानून में अब वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के तरीके को भी बदला जा रहा है। इसमें कहा गया है कि वक्फ न्यायाधिकरण में एक जिला जज होगा और एक संयुक्त सचिव रैंक का राज्य सरकार का अधिकारी सदस्य के तौर पर जुड़ा होगा। वक्फ संशोधन विधेयक में कहा गया कि न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम नहीं होगा और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी।

बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में राहुल गांधी की एंट्री, राष्ट्रपति को पत्र लिख की ये मांग


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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग के जरिए हुई करीब 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की बहाली को रद्द कर दिया है।बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग की 2016 की शिक्षक और गैर-शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। इससे पहले अप्रैल 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी यही फ़ैसला सुनाया था. उस फ़ैसले को सरकार और सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शिक्षकों की भर्ती रद होने का मामला अब गरमाता जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है।

राहुल ने पत्र में क्या?

राहुल गांधी ने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। राहुल ने अपने पोस्ट में लिखा, मैंने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में हजारों योग्य स्कूल शिक्षकों के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, जिन्होंने न्यायपालिका द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के बाद अपनी नौकरी खो दी है। उन्होंने आगे कहा, 'मैंने उनसे अनुरोध किया है कि वे सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करें कि निष्पक्ष तरीके से चुने गए उम्मीदवारों को जारी रखने की अनुमति दी जाए।

किसी को आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी-ममता बनर्जी

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात की थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित हुए हजारों शिक्षकों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए 'डिप्राइव्ड टीचर्स एसोसिएशन' नामक संगठन बनाया है। संगठन का दावा है कि उसके करीब 15 हजार सदस्य हैं। 

कोर्ट के आदेश के बाद एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मुलाक़ात की इच्छा जताई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इस बैठक में शामिल होने की सहमति दी। सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात के दौरान कहा था कि मैं पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ खड़ी हूं, उनका सम्मान वापस दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी। जब तक मैं जिंदा हूं, किसी को भी आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी।

दुबई के क्राउन प्रिंस ने पीएम मोदी से की मुलाकात, जानें कैसी है भारत-यूएई की साझेदारी



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दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मकतूम दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। मंगलवार को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। शेख मोहम्मद अल मकतूम की यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर हो रही है। ये उनकी पहली आधिकारिक भारत यात्रा है। शेख हमदान के साथ कई मंत्री, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और एक हाई लेवल बिजनेस प्रतिनिधिमंडल भी भारत पहुंचा है।

क्राउन प्रिंस शेख हमदान ने दिल्ला में पीएम मोदी से मुलाकात की। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद शेख मोहम्मद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट कर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर मुझे खुशी हुई। हमारी बातचीत ने यूएई और भारत के बीच संबंधों की मजबूती दो दिखाता है। उन्होंने कहा कि ये संबंध विश्वास पर आधारित हैं, जो इतिहास द्वारा आकारित हुए हैं और हमारे समान दृष्टिकोण से प्रेरित हैं, जिसमें अवसरों, नवाचार और स्थायी समृद्धि की दिशा में एक बेहतर भविष्य बनाने का लक्ष्य है। 

क्राउन प्रिंस से मुलाकात पर पीएम मोदी

नई दिल्ली में दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान से मुलाकात के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी खुशी जताते हुए भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच मजबूत द्विपक्षीय सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम से मिलकर खुशी हुई। दुबई ने भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि यह विशेष यात्रा हमारी गहरी दोस्ती को दर्शाता है। साथ ही भविष्य में और भी मजबूत सहयोग का मार्ग प्रशस्त करती है।

एस जयशंकर और राजनाथ सिंह से भी होगी मुलाकात

विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार यात्रा के दौरान शेख मोहम्मद अल मकतूम पीएम मोदी से मुलाकात करने के साथ-साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक करेंगे। वह भारत-यूएई संबंधों को मजबूत करने के लिए एक व्यापार गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है कि क्राउन प्रिंस की यात्रा भारत-यूएई के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी और दुबई के साथ हमारे बहुआयामी संबंधों को मजबूत करेगी।

कैसे हैं भारत-यूएई संबंध?

यूएई से भारत की नई दौर की यारी ने अगस्त 2015 में आकार लेना शुरू हुआ जब नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद पहली बार इस अरब देश का दौरा किया। 1981 में इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद 34 वर्षों में यह किसी भारतीय प्रधान मंत्री की पहली यात्रा थी।

भारत और यूएई के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) ने 18 फरवरी 2025 को ही अपने हस्ताक्षर के तीन साल पूरे किए हैं। सीईपीए एक पूर्ण और गहन समझौता है जिस पर 18 फरवरी 2022 को पीएम मोदी और यूएई राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे। यह 1 मई 2022 से लागू हुआ।

सीईपीए पर साइन होने के बाद से, दोनों देशों के बीच व्यापार वित्त वर्ष 2020-21 में 43.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से लगभग दोगुना होकर 2023-24 में 83.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। अप्रैल से दिसंबर 2024 के दौरान यह 71.8 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया। 2030 तक दोनों देशों के बीच गैर-तेल व्यापार को 100 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर तक ले जाने के लक्ष्य है और आंकड़ें दिखा रहे हैं कि प्रगति उसी रास्ते पर हो रही है।

अगर भारत के निर्यात के संदर्भ में बात करें तो गैर-तेल निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 27.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया- यानी सीईपीए के लागू होने के बाद से 25.6% की औसत वृद्धि दर्ज हुई है।

यूएई में सबसे बड़ा जातीय समुदाय भारतीय प्रवासी का

दोनों देशों के बीच इन सभी रणनीतिक संबंधों से परे सबसे बड़ा जुड़ाव ‘पीपुल टू पीपुल' स्तर पर है। यूएई में मौजूद भारतीय दूतावास की साइट के अनुसार भारतीय प्रवासी समुदाय यूएई में सबसे बड़ा जातीय समुदाय है जो वहां की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत है। यूएई के रिकॉर्ड के अनुसार 2021 में निवासी भारतीय नागरिकों की संख्या 3.5 मिलियन यानी 35 लाख होने का अनुमान है। लगभग 20% प्रवासी अबू धाबी के अमीरात में हैं और बाकी दुबई सहित 6 उत्तरी अमीरात में हैं। यूएई में रहने वाले ये भारतीय प्रवासी भारत की इकनॉमी के लिए भी बड़ी अहमियत रखते हैं। यूएई में प्रवासी भारतीयों ने 2022 में 20 बिलियन डॉलर भारत वापस भेजा था।

CWC बैठक में खरगे का भाजपा-संघ पर जोरदार वार, सरदार पटेल की विरासत हड़पने का लगाया आरोप


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कांग्रेस अधिवेशन की शुरुआत गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक के साथ हो गई है। इस बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, उनकी मां और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद रहे। हालांकि, गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी वाडरा इस दौरान नदारद दिखी। पार्टी अध्यक्ष खरगे ने मीटिंग की कमान संभाली।

देश के नायकों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप

पहले दिन मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखा हमला बोला। मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा और संघ पर सरदार पटेल की विरासत हड़पने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ देश के नायकों के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार, सरदार पटेल की विचारधारा संघ के खिलाफ थी और उन्होंने संघ पर प्रतिबंध भी लगाया था।

पटेल-पंडित नेहरू के संबंधों को गलत तरीके से दिखाने की कोशिश-खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से देश में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है और ये माहौल वो लोग बना रहे हैं जिनके पास अपनी उपलब्धियों के तौर पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने भाजपा-आरएसएस पर हमला करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के तौर पर दिखाने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह दिखाने की साजिश की कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच अच्छे संबंध नहीं थे। जबकि सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे। कई घटनाएं और दस्तावेज उनके सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं। खरगे ने दावा किया कि दोनों के बीच लगभग रोजाना पत्राचार होता था। नेहरू जी सभी मामलों में उनकी सलाह लेते थे। नेहरू जी पटेल साहब का बहुत सम्मान करते थे। अगर उन्हें कोई सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते थे।

संघ का पटेल की विरासत पर दावा करना हास्यास्पद-खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत थी और उन्होंने संगठन पर प्रतिबंध भी लगाया था, लेकिन यह हास्यास्पद है कि आज उस संघ के लोग सरदार पटेल की विरासत पर दावा करते हैं।' खरगे ने दावा किया कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने ही बाबा साहब आंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खुद आंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि 'कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बिना संविधान नहीं बनाया जा सकता था। लेकिन जब संविधान बनाया गया, तो आरएसएस ने गांधीजी, पंडित नेहरू, डॉ आंबेडकर और कांग्रेस की खूब आलोचना की। उन्होंने रामलीला मैदान में संविधान और इन नेताओं के पुतले जलाए।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून पर बवाल, नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस विधायक आपस में भिड़े

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन नए वक्फ कानून पर हंगामा हुआ। इस दौरान नेकां और पीपुल्स कांफ्रेंस के बीच नोकझोंक हुई। नेकां और पीडीपी विधायकों के बीच भी बहस हुई। नेकां के विधायक वक्फ कानून पर विधानसभा में बहस की मांग पर अड़ गए। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के विधायकों ने सदन में बिल पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी की।

यह लगातार दूसरा दिन था जब वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से कानून का विरोध करते हुए एक नया प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया गया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा द्वारा मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के लिए एक नए प्रस्ताव दिया गया।

पीडीपी विधायक को सदन से बाहर निकाला

वक्फ अधिनियम पर हंगामे के बाद विधानसभा को दूसरे दिन फिर से स्थगित करना पड़ा और एक पीडीपी सदस्य वहीद पारा को मार्शलों के जरिए सदन से बाहर निकाल दिया गया। मंगलवार की सुबह जब सदन की कार्यवाही पुनः शुरू हुई तो पारा वक्फ अधिनियम के खिलाफ अपने प्रस्ताव की प्रति लेकर आसन के समीप आ गए और अध्यक्ष से बहस करने लगे तथा केंद्र सरकार को संदेश देने के लिए इसे पारित करने की मांग करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष जब पारा को अपनी सीट पर लौटने के लिए कह रहे थे, तभी नेकां विधायक अब्दुल मजीद लारमी ने उन्हें पीछे धकेलने की कोशिश की। इसी दौरान अध्यक्ष ने मार्शल को आदेश दिया कि वहीद पारा को सदन से बाहर ले जाएं। हालांकि पारा को बाहर निकाले जाने के बाद भी हंगामा जारी रहा। कई नेशनल कॉन्फ्रेंस और निर्दलीय विधायक आसान के समीप पहुंचकर वक्फ संशोधन कानून पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे। इस दौरान सज्जाद लोन और नेकां के सलमान सागर के बीच तीखी बहस भी हुई।

सीएम अब्दुल्ला के रिजिजू से मिलने

बीते दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव लाने की अपनी योजना दोहराई थी। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन सहित घाटी के प्रमुख नेताओं ने भी इस पर अपना पक्ष रखा। लोन ने अधिनियम पर खुली चर्चा की जरूरत पर जोर दिया और विधेयक पारित होने के तुरंत बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से मिलने के लिए सीएम अब्दुल्ला की आलोचना की। लोन का कहना था कि उनसे मिलने की कोई जरूरत नहीं थी। इससे बहुत गलत संदेश जाता है।

कल बिल की कॉपी फाड़ी गई थी

वहीं, सोमवार को वक्फ कानून पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष के विधायकों ने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। भाजपा ने इसका विरोध किया। इससे मामला गरमा गया। दोनों पक्षों में तीखी नोक-झोंक हुई। इस दौरान एनसी के विधायक ने सदन में वक्फ कानून की कॉपी फाड़ दी। एक एनसी विधायक ने अपनी जैकेट फाड़कर सदन में लहराई। इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्रवाई पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। एनसी समेत अन्य दलों ने वक्फ कानून के खिलाफ रेजोल्यूशन लाने की बात कही थी।