परिसीमन पर स्टालिन को मिला तेलंगाना सीएम का साथ, रेवंत रेड्डी ने केन्द्र पर लगाया साज़िश करने का आरोप
#telanganacmrevanthreddyon_delimitation
दक्षिण के राज्यों में परिसीमन को लेकर घमाशान मचा हुआ है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस पर विरोध जताया है। परिसीमन और ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी के विरोध में स्टालिन ने 5 मार्च तमिलनाडु में सर्वदलीय की थी। बैठक में जॉइंट एक्शन कमेटी बनाने का फैसला हुआ था, ताकि इन मुद्दों पर साझा रणनीति बनाई जा सके। स्टालिन ने परिसीमन मामले में 7 मार्च को अन्य राज्यों के मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने 22 मार्च को होने वाली जॉइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) की पहली बैठक में अपने प्रतिनिधि भेजने का अनुरोध किया था। इस बीच स्टालिन का एक प्रतिनिधिमंडल तेलंगाना पहुंचा है। ये लोग परिसीमन के मुद्दे पर बुलाई गई मीटिंग के लिए तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी को आमंत्रित करने पहुंचे।
बीजेपी बदले की कार्रवाई कर रही-रेवंत रेड्डी
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, बीजेपी-एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार दक्षिण भारत के राज्यों के साथ साज़िश कर रही है। यह परिसीमन नहीं है, बल्कि दक्षिणी राज्यों को सीमित करना है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, बीजेपी दक्षिण भारत के लोगों के साथ अपना स्कोर सेट करने के लिए यह सब कर रही है क्योंकि यहां लोग कभी भी बीजेपी को आगे नहीं बढ़ने देते। बीजेपी बदले की कार्रवाई कर रही है। मैं इस मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ खड़ा हूं।
तेलंगाना में भी होगी एक सर्वदलीय बैठक
रेवंत रेड्डी ने बताया है, सीएम स्टालिन की बुलाई बैठक में शामिल होने के लिए मुझे अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से अनुमति लेनी है। पर सैद्धांतिक तौर पर मैं स्टालिन की मांग से सहमत हूं। हम स्टालिन के प्रयास का स्वागत करते हैं। कांग्रेस पार्टी इस बैठक में जाने को तैयार हो गई है लेकिन मैं शीर्ष नेतृत्व की अनुमति से जाऊंगा। तमिलनाडु जाने से पहले हम तेलंगाना में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित करेंगे।
लोकसभा में दक्षिण की हिस्सेदारी कम होने की आशंका
सीएम रेड्डी ने कहा कि हम किशन रेड्डी को भी तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष के रूप में आमंत्रित करेंगे। यह एक ऐसा निर्णय है जो हमारे मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है। किशन रेड्डी को इस बैठक में जरूर आना चाहिए। इस पर हम सभी की ओर से कैबिनेट में सवाल उठाया जाना चाहिए। दक्षिण के राज्यों को इस बात का डर सता रहा है कि परिसीमन के बाद कहीं लोकसभा की सीटें कम न हो जाएं। दक्षिण के राज्यों को इस बात का डर है कि परिसीमन के बात लोकसभा में दक्षिण की हिस्सेदारी कम हो सकती है। वहीं, नॉर्थ इंडिया में सीटों की संख्या बढ़ सकती है। जनसंख्या
परिसीमन क्या है
लोकसभा और विधानसभा सीट की सीमा नए तरह से तय करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं। इसके लिए आयोग बनता है। परिसीमन के लिए 1952, 1963, 1973 और 2002 में आयोग गठित हो चुके हैं। आखिरी बार परिसीमन आयोग अधिनियम, 2002 के तहत साल 2008 में परिसीमन हुआ था। लोकसभा सीटों को लेकर परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत 2026 से हो सकती है। इससे 2029 के चुनाव में करीब 78 सीटें बढ़ सकती हैं। दक्षिणी राज्य जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध कर रहे हैं। इस वजह से सरकार समानुपातिक परिसीमन पर विचार कर रही है।
समानुपातिक परिसीमन क्या है
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। वहीं, तमिलनाडु-पुडुचेरी में इसकी आधी यानी 40 सीटें हैं। अगर उत्तर प्रदेश की 14 सीटें बढ़ती हैं तो इसकी आधी यानी 7 सीटें तमिलनाडु-पुडुचेरी में बढ़ाना समानुपातिक प्रतिनिधित्व है। आबादी के आधार पर जितनी सीटें हिंदी पट्टी में बढ़ेंगी, उसी अनुपात में जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों में भी सीटें बढ़ेगी। हिंदी पट्टी के किसी राज्य की सीट में 20 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा तो दक्षिणी राज्य में 10-12 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा।
Mar 13 2025, 16:30