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पीएम मोदी का उत्तराखंड दौरा: मां गंगा की पूजा-अर्चना और रैली को करेंगे संबोधित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड के दौरे पर हैं. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून में उनका हार्दिक स्वागत किया. पीएम मोदी उत्तरकाशी के मुखवा में मां गंगा की पूजा-अर्चना करेंगे. वो हर्षिल में पैदल यात्रा और बाइक रैली को हरी झंडी भी दिखाएंगे. इसके साथ ही पीएम मोदी एक रैली को भी संबोधित करेंगे.

राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि अपने ऊर्जावान नेतृत्व और अथक प्रयासों से देवभूमि उत्तराखंड के विकास को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले, राष्ट्र उत्थान के महान साधक, विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता का देवभूमि पर स्वागत है.

पीएम मोदी का कल उत्तराखंड दौरा, मुखवा में मां गंगा की करेंगे पूजा-अर्चना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे. वह एक ट्रेक और बाइक रैली को हरी झंडी दिखाएंगे और हर्षिल में एक सार्वजनिक समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित भी करेंगे. इस दौरान वह मुखवा में मां गंगा की पूजा-अर्चना करेंगे. पीएम मोदी ने उत्तरारखंड के दौरे से पहले राज्य को तोहफा दिया. पीएम मोदी ने लिखा कि कैबिनेट ने दो महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए देवभूमि उत्तराखंड में दो नए रोपवे को मंजूरी दी है. सोनप्रयाग से केदारनाथ और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक इनके निर्माण से जहां श्रद्धालुओं का समय बचेगा, वहीं उनकी यात्रा और सुगम होगी.

पीएम मोदी ने सोशल साइट एक्स पर उत्तराखंड दौरे को लेकर लिखा कि मुझे बहुत प्रसन्नता है कि देवभूमि उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार ने इस साल शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने का एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है. इससे जहां धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन मिल रहा है, वहीं होम स्टे सहित कई स्थानीय व्यवसायों को भी फलने-फूलने के अवसर प्राप्त हो रहे हैं.

मुखवा में मां गंगा की पूजा-अर्चना करेंगे पीएम मोदी

उन्होंने लिखा कि मुखवा में पतित पावनी मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल के दर्शन को लेकर मैं बहुत उत्सुक हूं. इतना ही नहीं, यह विरासत भी और विकास भी के हमारे संकल्प का एक अनुपम उदाहरण है.

इस साल पुष्कर धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार ने शीतकालीन पर्यटन कार्यक्रम शुरू किया है. हजारों श्रद्धालु पहले ही गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थलों का दौरा कर चुके हैं.

बयान में कहा गया है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय अर्थव्यवस्था, होमस्टे, पर्यटन व्यवसाय आदि को बढ़ावा देना है.

सीएम धामी ने पीएम के दौरे से पहले किया निरीक्षण

धामी ने पीएम के दौरे से पहले तैयारियों का निरीक्षण किया. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में पीएम के हर्षिल दौरे की तैयारियों का निरीक्षण किया.

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में धामी ने हर्षिल की खूबसूरती की तारीफ की और गंगोत्री विधायक सुरेश सिंह चौहान को भी बधाई दी. श्री सुरेश सिंह चौहान जी, मेहनती कार्यकर्ताओं और क्षेत्र की देवतुल्य जनता द्वारा किए गए गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए उनका हृदय से आभार और बधाई.”

लंबे समय से पहचान बदलकर रही थी नक्सली महिला, अब दिल्ली से हुई गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत वांछित महिला नक्सली को गिरफ्तार किया है. 23 साल की यह महिला झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुदाबुरु गांव की रहने वाली है. वह अपनी असली पहचान छुपाकर दिल्ली में रह रही थी और यहां एक फर्जी नाम से काम कर रही थी.

4 मार्च को क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली कि सीपीआई (माओवादी) संगठन की सक्रिय सदस्य दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में रह रही है और वहीं महाराणा प्रताप एन्क्लेव में नौकरी कर रही है. इसके बाद पीतमपुरा में छापा मारकर महिला नक्सली को गिरफ्तार कर लिया.

जानें, कैसे बनी नक्सली?

गिरफ्तार महिला का जन्म 1 जनवरी 2002 को कुदाबुरु, पश्चिम सिंहभूम, झारखंड में एक किसान परिवार में हुआ था. वह छह भाई-बहनों में सबसे बड़ी है. महज 10 साल की उम्र में उसे गांव का एक माओवादी ने बहलाकर अपने साथ ले गया, यह कहकर कि उसे वहां बेहतर भोजन, देखभाल और सुरक्षा मिलेगी.

2016 में उसने कुख्यात नक्सली नेता रमेश के नेतृत्व वाले सीपीआई (माओवादी) संगठन में शामिल होकर कोल्हान जंगलों में बने एक कैंप में प्रशिक्षण लिया. इस कैंप में 300-450 नक्सली मौजूद थे, जिनमें 40-50 महिलाएं और 4-5 बच्चे भी थे. यहां उसे उग्रवादी बनने की सख्त ट्रेनिंग दी गई, जिसमें अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल सिखाया गया.

नक्सली गतिविधियों में संलिप्तता

पुलिस पूछताछ में महिला ने कबूला कि उसने 5 साल तक अत्यधिक कठिन प्रशिक्षण लिया और उसे एसएलआर, इंसास, एलएमजी, हैंड ग्रेनेड और .303 राइफल जैसे घातक हथियारों को चलाने में महारत हासिल हुई. गश्त के दौरान वह आमतौर पर इंसास राइफल लेकर चलती थी.

महिला तीन मुठभेड़ में शामिल रही:

2018 में कोल्हान जंगल में झारखंड पुलिस के साथ मुठभेड़

2019 में पोराहाट जंगल में झारखंड पुलिस से टकराव

2020 में सोनुआ में पुलिस बल से सीधी भिड़ंत

दिल्ली में घरेलू सहायिका का कर रही थी काम

इसके बाद संगठन के आदेश पर वह पहचान बदलकर दिल्ली आ गई. यहां उसने 2020 से नोएडा और दिल्ली के जहां में घरेलू सहायिका के रूप में काम किया और गुप्त रूप से रहती रही.

झारखंड के एक मामले में 26 मार्च 2023 को SDJM (P), चाईबासा, झारखंड ने महिला के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. अब दिल्ली पुलिस ने उसे CRPC की धारा 41.1 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 35(1)(C) के तहत गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया है.

यह गिरफ्तारी न केवल दिल्ली पुलिस की एक बड़ी सफलता है बल्कि यह दर्शाता है कि माओवादी संगठनों के सदस्य अब महानगरों में गुप्त रूप से बसकर गतिविधियां चला रहे हैं. फिलहाल आगे की पूछताछ जारी है ताकि उसके संपर्कों और संगठन के आगे की योजनाओं का खुलासा किया जा सके.

टीम इंडिया के फाइनल से पहले दिल्ली की महिलाओं को मिलेगी गुड न्यूज? खाते में आने हैं 2500 रुपये

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिल्ली की महिलाओं से वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आई तो 2500 रुपये देगी. बीजेपी सत्ता में आ चुकी है और महिलाओं को 2500 रुपये का इंतजार है. ये पैसे 8 मार्च यानी महिला दिवस पर दिए जाने की बात कही गई. जैसे-जैसे ये तारीख करीब आ रही है आम आदमी पार्टी का बीजेपी पर हमला बढ़ता जा रहा है. पार्टी ने दिल्ली की सड़कों पर पोस्टर लगाया जिसमें लिखा है महिलाओं को 2500 रुपये मिलने में बस 3 दिन और.

आप ने किया एक्स पर पोस्ट

आप ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने 30 जनवरी को कहा था कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में महिलाओं को 2,500 रुपये देने की योजना पास करेंगे और 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वे यह रकम उनके बैंक खातों में ट्रांसफर करेंगे. अब सिर्फ तीन दिन बचे हैं. हर कोई जानना चाहता है कि वे यह रकम कब ट्रांसफर करेंगे. आज पूरी दिल्ली में एक-एक महिला अपने खाते में 2,500 रुपये आने का इंतजार कर रही है.’

अब सवाल उठता है कि क्या 9 मार्च को होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल से पहले महिलाओं को गुड न्यूज मिलेगी. क्या उनके खाते में 2500 रुपये आएंगे. चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल दुबई में खेला जाएगा. टीम इंडिया सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर खिताबी मुकाबले के लिए क्वालीफाई कर चुकी है.

बीजेपी ने क्या कहा?

बीजेपी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि हमारी पार्टी पर सवाल उठाने से पहले आतिशी को यह बताना चाहिए कि उनकी सरकार ने महिलाओं को भत्ता क्यों नहीं दिया, जबकि उन्होंने स्वयं बजट 2024-25 में महिला सम्मान भत्ते के रूप में 1,000 रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान दिया था

उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने 2022 के चुनाव के दौरान पंजाब में महिला मतदाताओं को 1,000 रुपये प्रति माह देने का वादा करके इसी तरह का खेल खेला, लेकिन सरकार बनने के तीन साल बाद भी यह वादा पूरा नहीं किया गया.

दिव्यांग बच्चे का पढ़ने का जुनून, हाथों का सहारा लेकर जाता है स्कूल

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपने में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है… ये लाइनें बिहार के शिवहर के माधोपुर के एक बच्चे पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं, जो पैरों से चलने में असमर्थ है और दोनों पैरों से दिव्यांग है, लेकिन उसके अंदर पढ़ने का हौसला है. इसलिए वह अपने हाथों को पैर बनाकर चलता है और पढ़ने के लिए स्कूल जाता है.

शिवहर प्रखण्ड क्षेत्र के माधोपुर अनंत गांव के रहने वाले सुशील पटेल के बेटे शुभम अपने दोनों पैर से चल नहीं सकता. फिर भी उसके अंदर से पढ़ने की ललक है. इसलिए वह हाथ से चलकर कई किलोमीटर तक पढ़ने जाने को मजबूर है. शुभम कुमार कुदरत की मार झेल रहा है. जन्म से ही वह दोनों पैरों से दिव्यांग है, लेकिन अपने हाथ को पैर बनाकर वह जिंदगी की गाड़ी को रोज दौड़ा रहा है.

“हाथ ही सब कुछ हैं”

शुभम रोज अपनी पीठ पर स्कूल बैग रखकर स्कूल और कोचिंग पढ़ने जाता है. चलते हुए रास्ते में शुभम को काफी परेशानी भी होती है, लेकिन शुभम कभी हार नहीं मानता है. उसका कहना है कि उसके पैर सही नहीं है, लेकिन उसके हाथ ही उसके सब कुछ हैं. शुभम का सपना अच्छे से पढ़-लिखकर एक बड़ा आदमी बनना और जिंदगी में कुछ बड़ा करना है. वह रोज कई किलोमीटर हाथों से चलकर स्कूल और कोचिंग जाता है.

शुभम ने क्या कहा?

शुभम से जब इस बारे में बात की गई तो उसने कहा, “मेरा हाथ ही सब कुछ है. मेरा मन है कि मैं पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनूं.” लेकिन शुभम न सिर्फ कुदरत की बल्कि गरीबी की भी मार झेल रहा है. फिर भी उसके अंदर पढ़ने की ललक है. वह रोज कई किलोमीटर तक हाथ से चलकर पढ़ने जाता है. शुभम की कोचिंग क्लास की शिक्षिका रूबी देवी कहती हैं कि शुभम रोज कोचिंग पढ़ने आता है.अगर जिला प्रशासन उसे मदद कर देता है तो शुभम बहुत कुछ कर सकता है.

रोहित को मोटा कहने वाली कांग्रेस नेता ने अब विराट कोहली को लेकर क्या कह दिया?

टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा की फिटनेस पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद चर्चा में हैं. शमा ने कहा था कि रोहित शर्मा मोटे हैं. उन्हें वजन कम करने की जरूरत है. निश्चित रूप से वह भारत के अब तक के सबसे अप्रभावी कप्तान हैं. बयान पर विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने अपना पोस्ट हटा लिया.

बाद में उन्होंने सफाई दी, ‘यह एक खिलाड़ी की फिटनेस के बारे में एक सामान्य ट्वीट था. यह बॉडी शेमिंग नहीं है. यह एक खिलाड़ी की फिटनेस के बारे में है. मेरा हमेशा से मानना ​​है कि एक खिलाड़ी को फिट रहना चाहिए. इसलिए, मुझे लगा कि उनका वजन थोड़ा ज्यादा है, इसलिए मैंने ट्वीट किया.’

विराट कोहली पर क्या कहा?

रोहित पर विवादित बयान देने के बाद शमा मोहम्मद ने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली पर एक पोस्ट किया है. हालांकि उन्होंने विराट कोहली की तारीफ की है. चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में टीम इंडिया की जीत के बाद शमा मोहम्मद ने एक पोस्ट किया.

उन्होंने लिखा, शानदार जीत के लिए टीम इंडिया को बधाई. विराट कोहली ने क्या कमाल का प्रदर्शन किया. 84 रनों की पारी और आईसीसी नॉक आउट मैच में 1000 रन पूरा करने के लिए उन्हें बिग शाउट आउट.

वहीं, न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए शमा मोहम्मद ने कहा, मुझे बहुत खुशी है कि भारत ने रोहित शर्मा की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मैच जीता है. मैं विराट कोहली को 84 रन बनाने के लिए बधाई देता हूं…मैं बहुत उत्साहित हूं और फाइनल का इंतजार कर रही हूं.

विराट ने खेली शानदार पारी

मंगलवार को दुबई में खेले गए मुकाबले में विराट कोहली ने 84 रन बनाए. उनके इस प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को 4 विकेट से हराया. टीम इंडिया का फाइनल में सामना दक्षिण अफ्रीका या न्यूजीलैंड से होगा. दोनों टीमों के बीच टूर्नामेंट का दूसरा सेमीफाइनल आज पाकिस्तान के लाहौर में खेला जाएगा.

ऐसे खरीद सकते हैं अपनी पसंद का Jio नंबर, घर बैठे ऐसे करें ऑर्डर

जियो का फैंसी नंबर लेना चाहते हैं तो आप ये काम घर बैठे कर सकते हैं. इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ेगा. आप MyJio ऐप या जियो की वेबसाइट के जरिए अपना काम कर सकते हैं. इसके अलावा, आप गूगल के जरिए भी अपने लिए जियो का फैंसी नंबर ऑर्डर कर सकते हैं. यहां हम आपको इसका पूरा प्रोसेस बता रहे हैं. आप ऑनलाइन कैसे अप्लाई कर सकते हैं. इससे आपका काम मिनटों में बन जाएगा.

Jio Choice Number क्या है?

जियो चॉइस नंबर स्कीम के जरिए आप केवल 499 रुपये खर्च कर अपने मोबाइल नंबर के आखिरी 4-6 नंबर खुद सलेक्ट कर सकते हैं. लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि आप अपनी पसंद के नंबर डालेंगे तो ये जरूरी नहीं है कि वो अवेलेबल भी हों. कभी कभी आपकी पसंद के नंबर अवेलेबल नहीं होते हैं. जियो आपके पिन कोड के हिसाब से ऑप्शन्स देता है. ये मौका केवल JioPlus पोस्टपेड यूजर्स को ही मिलता है. इसमें आपको एक नया सिम कार्ड भी मिलता है. अपनी पसंद का नंबर हसिल करने के लिए नीचे दिए गए प्रोसेस को फॉलो करें.

फैंसी नंबर लेने का ऑनलाइन प्रोसेस

इसके लिए आपको सबसे पहले, जियो की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं. इसके बाद सेल्फ केयर ऑप्शन पर क्लिक करें. यहां पर चॉइस नंबर ऑप्शन सलेक्ट करें. फिलहाल आप जो नंबर इस्तेमाल कर रहे हैं वो मोबाइल नंबर डालें. आपके नंबर पर एक वेरिफिकेशन ओटीपी आएगा. ओटीपी भरने के बाद अपनी पसंद के 4 या 6 नंबर डालें. ये करने के बाद, जो पर्सनल डिटेल्स मांगी गई हैं वो सब ध्यान से भरें. पेमेंट करें और बुकिंग कन्फर्म करें. आपको एक कोड मिलेगा. कोड सेव करलें. इसके बाद एजेंट को सिम डिलीवरी का समय दें. कुछ वीआईपी नंबर्स के लिए आपको एक्स्ट्रा चार्ज भी देना पड़ सकता है. बुकिंग के दौरान अपना प्लान टाइप भी जरूर भरें, जिसमें आप प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों सलेक्ट कर सकते हैं.

ओडिशा में अंधविश्वास की भयावहता: 1 महीने के बच्चे को 40 बार लोहे की गर्म छड़ से दागा,सुनकर कांप जाएगी रूह

ओडिशा के नबरंगपुर जिले से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां इलाज के नाम पर एक महीने के बच्चे को लोहे की गर्म छड़ से करीब 40 बार दागा गया. इसके बाद बच्चे की हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अंध विश्वास के चलते परिजनों ने ही बच्चे को 40 बार लोहे की छड़ से दाग दिया. घटना की जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी.

जानकारी के मुताबिक मामला बच्चा नबरंगपुर जिले के चंदाहांडी खंड के गंभरीगुडा पंचायत के फुंडेलपाड़ा गांव का है. दरअसल, बच्चे को 10 दिन पहले फीवर आया था और वो लगातार रो रहा था. परिवार के लोगों का मानना था कि बच्चे पर किसी बुरी आत्मा का साया है. जिससे बच्चे को बचाने के लिए परिवार के ही लोगों ने उसे लोहे की गर्म छड़ से दाग दिया.

बच्चे के सिर- पेट का दागा

नबरंगपुर के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) डॉ. संतोष कुमार पांडा अस्पताल पहुंचे. उन्होंने परिजनों से बातकर बच्चे का हालचाल जाना. पांडा ने कहा कि शिशु के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चे के पेट और सिर पर करीब 30 से 40 निशान हैं. घटना को अंधविश्वास की वजह से अंजाम दिया गया. परिवार के सदस्यों का मानना था कि अगर बच्चे को लोहे की गर्म छड़ से दागा जाएगा तो उसकी बीमारियां ठीक हो जाएंगी.

अस्पताल में चल रहा इलाज

उन्होंने बताया कि लोहे की गर्म छड़ से दागने के बाद जब बच्चे की हालत गंभीर हो गई तो उसे उमरकोट अस्पताल में भर्ती कराया गया. सीडीएमओ ने कहा कि दूरदराज के इलाकों में इस तरह की प्रथाओं का लंबे समय से चलन है. स्वास्थ्य विभाग ने चंदाहांडी खंड पर ध्यान केंद्रित करने और लोगों को जागरूक करने का फैसला किया है जिससे बच्चों को लोहे की गर्म छड़ से दागने के बजाय उन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाया जाए.

कब और किसने दी दुनिया में सबसे पहले अजान, कैसे हुई थी शुरुआत?

अजान… जिसे सुनकर मुसलमान नमाज पढ़ते हैं. पूरे दिन में पांच बार मस्जिदों से अजान दी जाती है, जो नमाजियों को नमाज के लिए एक संकेत का काम करती है. क्या आप जानते हैं अजान सबसे पहले कब और किसने दी? चलिए इसके बारे में जानते हैं, लेकिन इसे जानने से पहले इस्लाम की कुछ जरूरी बातों को समझते हैं…

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इस्लाम मजहब का आखिरी पैंगबर माना जाता है. पैंगबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म अरब देश के मक्का शहर में 20 अप्रैल 571 ईस्वी को हुआ था.

उन्हें पैगंबर होने की जानकारी 40 साल की उम्र में तब हुई जब वे हिरा पहाड़ की एक गार में अल्लाह की इबादत कर रहे थे. उसी बीच फरिश्ते हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने उन्हें अल्लाह का पैगाम देते हुए इस्लाम के आखिरी पैगंबर होने की जानकारी दी.

अल्लाह से तोहफे में मिली पांच वक्त की नमाज

पैगंबर मोहम्मद साहब ने मक्का के लोगों को इसके बारे में बताया, जिसे सुनकर वह उनके दुश्मन बन गए. जब हजरत मोहम्मद साहब को पैगंबर बने 11 साल हुए तभी उनके साथ एक ऐसा वाक्या हुआ जिससे न सिर्फ उनकी जिंदगी बदली, बल्कि पूरे इस्लाम की हिस्ट्री का सुनहरा दौर शुरू हो गया. उस रात पैगंबर मोहम्मद साहब मेराज के सफर (यहां पढ़ें) के लिए निकले. इस सफर में उनकी सात आसमानों की सैर करते हुए अल्लाह से मुलाकात हुई. इस मुलाकात के दौरान पैगंबर मोहम्मद साहब को तोहफे में पांच वक्त की नमाज मिली. इस घटना के बाद हर मुसलमान पर नमाज पढ़ना अनिवार्य हो गया. यह इस्लाम के पांच स्तंभों में एक है.

पहले कैसे बुलाते थे नमाज के लिए?

अल्लाह से तोहफे में नमाज मिलने के बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने मुसलमानों को इसे पढ़ने का आदेश दिया. उस दौर में मक्का में बहुत कम मुसलमान हुए थे और वहां के गैर मुस्लिमों से उनकी जान पर खतरा रहता था. इस बीच जमाअत के साथ नमाज पढ़ने के लिए मुसलमान एक दूसरे को एक दूसरे के जरिए से बुला लिया करते थे. लेकिन नमाज के लिए बुलाने का कोई खास आगाज करने का तरीका नहीं था. इसके ठीक एक साल बाद पैगंबर मोहम्मद साहब मक्का से मदीना हिजरत कर गए.

जमाअत के लिए जोर से पुकारा जाता था

मदीना में लोगों को इस्लाम के बारे में बताया और लोग बड़ी संख्या में मुसलमान होने लगे. इस्लामिक स्कॉलर गुलाम रसूल देहलवी ने बताया कि पहले वहां मस्जिदे कुबा फिर उसके बाद नमाज के लिए मस्जिदे नबवी बनाई गई. हिजरी दो साल के बाद मुसलमानों की तादाद बढ़ने लगी और जमाअत की नमाज के लिए अस्सलातुल जामिया यानी नमाज के लिए सब जमा हैं’ कहकर जोर से पुकार किया जाता था. जो इस ऐलान को सुनता था वह जमाअत की नमाज में शामिल हो जाता था.

कैसे बुलाएं नमाजी? मिले कई सुझाव

गुलाम रसूल देहलवी हदीस की किताब बुखारी शरीफ का हवाला देते हुए कहते हैं कि मुसलमानों की बढ़ती तादात से नमाजियों की संख्या में भी इजाफा होने लगा. अब मुसलमानों को नमाज के लिए बुलाने का कोई तरीका ढूंढना पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और साहबियों को जरूरी लगने लगा. इसके बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने तमाम साहबियों के साथ इस्लाह और मशवरा शुरू कर दिया. इनमें से किसी ने यहूदियों की तरह बिगुल फूंकने की पेशकश की, तो किसी ने ईसाइयों की तरह घंटा बजाने, तो किसी ने आतिश परस्तों की तरह मोमबत्ती जलाकर नमाज के लिए बुलाने की पेशकश की. पैगंबर मोहम्मद साहब को इनमे से किसी की राय पसंद नहीं आई.

इस तरह मिला अजान का मशविरा

उसके बाद पैगंबर मोहम्मद साहब ने इसके लिए अच्छी राय के लिए वक्त का इंतजार किया. इस पर अल्लाह की तरफ से कोई अच्छा सुझाव या तरीका का कोई हुक्म आ जाए, जिसके लिए वे इंतजार करने लगे. कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन सहाबी अब्दुल्ला इब्ने जैद रजियल्लाहु अन्हु, पैगंबर हजरत मोहम्मद के पास आए और कहा कि उन्होंने कल एक खूबसूरत ख्वाब देखा. जिसमें एक शख्स उन्हें अजान के अल्फाज सिखा रहा था और फिर उसने मुझे मशवरा दिया कि इसी अल्फाज से लोगों को नमाजों के लिए बुलाया करो. उन्होंने पैगंबर साहब को अजान के वह अल्फाज सुनाए जो उन्होंने ख्वाब में सीखे थे.

सबसे पहले हजरत बिलाल ने दी अजान

पैगंबर मोहम्मद साहब को अजान का यह अंदाज काफी पसंद आया और इसे उन्होंने इसे अब्दुल्ला इब्ने ज़ैद (र.अ) को अजान के यह अल्फाज हजरत बिलाल रजियल्लाहु अन्हु को सिखाने को कहा.इसके बाद नमाज का वक्त होते ही हजरत बिलाल (र.अ.) खड़े हुए और नमाज के लिए बुलंद आवाज में अजान दी. उनकी अजान की आवाज मदीना शरीफ में गूंज उठी और लोग सुनकर मस्जिदे नबवी की तरफ तेज रफ्तार से चलते-दौड़ते आने लगे.

और इस तरह लग गई मुहर

उसके बाद हजरत उमर इब्ने खत्ताब (र.अ.) भी आ गए और उन्होंने पैगंबर मोहम्मद साहब से कहा कि उन्हें भी यह अजान एक फरिश्ते ने कल रात ख्वाब में आकर सिखाया था. यह सुनने के बाद पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इतिमीनान हुआ और इस अजान को नमाज के लिए बुलाने और पुकारने के लिए हमेशा के लिए कंफर्म कर दिया.

15 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भूना, फूलन देवी से भी भिड़ गई… कौन थी दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन, जिसकी हुई अब मौत?

किसी समय चंबल की घाटी में आतंक मचाने वाली कुख्यात दस्यु सुंदरी कुसमा नाइन की इलाज के दौरान मौत हो गई. वह इटावा जिला जेल में सजा काट रही थी. पूर्व डकैत कुसमा नाइन ने उपचार के दौरान लखनऊ पीजीआई में आखिरी सांस ली. एक महीने पहले तबियत खराब होने पर उसे इटावा जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. प्राथमिक उपचार के बाद कुसमा को सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी रैफर किया गया. डॉक्टरों की टीम ने उसको लखनऊ पीजीआई रेफर कर दिया, जहां उसका लगातार उपचार चल रहा था.

करीब एक महीने इलाज चलने के बाद लखनऊ पीजीआई में कुसमा ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया. इटावा जिला जेल अधीक्षक ने मौत की पुष्टि करते हुए बताया है कि कुशमा इटावा जिला जेल में लंबे समय से बंद थी. बीमारी के चलते उसको उपचार के लिए भेजा गया, लेकिन बीते शनिवार को उसकी लखनऊ पीजीआई में मौत हो गई.

20 साल से थी जेल में

कुसमा नाइन इटावा जेल में करीब 20 वर्ष से आजीवन की सजा काट रही थी. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ और उसकी सहयोगी पूर्व डकैत सुंदरी कुसमा नाइन सहित पूरे गिरोह ने मध्य प्रदेश के भिंड जिले के दमोह पुलिस थाने की रावतपुरा चौकी पर जून 2004 समर्पण कर दिया था. भिंड के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक साजिद फरीद शापू के समक्ष गिरोह के सभी सदस्यों ने बिना शर्त समर्पण किया था. गिरोह ने उत्तर प्रदेश में करीब 200 से अधिक और मध्य प्रदेश में 35 अपराध किए थे.

UP और MP पुलिस ने किया था इनाम घोषित

कुसमा नाइन पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 20 हजार और मध्य प्रदेश ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था. कानपुर निवासी फक्कड़ की सहयोगी कुसमा नाइन जालौन जिले के सिरसाकलार की रहने वाली है. समर्पण करने वाले गिरोह के अन्य सदस्यों में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का राम चंद वाजपेयी, इटावा के संतोष दुबे, कमलेश वाजपेयी, भूरे सिंह यादव और मनोज मिश्रा, कानपुर का कमलेश निषाद और जालौन का भगवान सिंह बघेल शामिल रहे, जिसके बाद से वह इटावा जिला जेल में सजा काट रही थी।

फूलन देवी ने 22 लोगों को भूना

मई 1981 में फूलन देवी, डाकू लालाराम और श्रीराम से अपने गैंग रेप का बदला लेने के लिए बेहमई गांव गई. दोनों वहां नहीं मिलते, लेकिन फिर भी फूलन ने 22 ठाकुरों को लाइन से खड़ा करके गोली मार दी थी. इस घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी. इस कांड के बाद लालाराम और उसकी माशूका बन चुकी कुसुमा बदला लेने के लिए उतावले होने लगे थे. उधर, बेहमई कांड के एक साल बाद यानी साल 1982 में फूलन आत्मसमर्पण कर देती है. इस बीच लालाराम और कुसुमा का गैंग एक्टिव रहता है.

कुसुमा ने लिया बदला, 15 लोगों को मारा

साल 1984 में कुसुमा, फूलन देवी के बेहमई कांड का बदला लेती है. फूलन के दुश्मन लालाराम के प्रेम में डूबी कुसुमा अपनी गैंग के साथ औरैया के अस्ता गांव पहुंचती है. गांव में 15 मल्लाहों को लाइन से खड़ा कर गोली मार दी गई और उनके घरों को आग के हवाले कर दिया. 1996 में इटावा जिले के भरेह इलाके में कुसुमा नाइन ने संतोष और राजबहादुर नाम के मल्लाहों की आंखें निकाल ली थीं और उन्हें जिन्दा छोड़ दिया था. कुसुमा की क्रूरता के कारण डकैत उसे यमुना-चंबल की शेरनी कह कर बुलाने लगे थे.

कुसुमा जिन लोगों का अपहरण करती उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव करती थी. चूल्हे में लगी जलती हुई लकड़ी को निकाल कर उनके बदन को जलाती थी. जंजीरों से बांध कर उन्हें हंटर से मारा करती थी. कुसुम नाइन की मौत की खबर सुनकर गांव में लोगों से खुशी जताई है.