हीरक जयंती के अवसर पर कुलाधिपति ने दिया सुदृढ़ देश व समाज का मन्त्र
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के गौरवशाली 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मनुष्य 75 वर्ष की आयु में कमजोर होने लगता है, जबकि गोरखपुर विश्वविद्यालय ने सही अर्थों में अपनी युवावस्था को प्राप्त किया है. आज के युवा कल के विकसित भारत के कर्णधार हैं.
उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र से ऐसे बच्चे आगे निकलें, जो देश को नेतृत्व प्रदान कर सकें. आंगनबाड़ी से लेकर विश्वविद्यालय तक जितनी गतिविधियां बढ़ेंगी, भारत उतना ही मजबूत बनेगा. हीरक जयंती के अवसर पर आंगनबाड़ी से लेकर उच्च शिक्षा तक कुशीनगर, देवरिया और गोरखपुर के बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. इनमें गांव में बसने वाले अधिकांश ऐसे भी विद्यार्थी भी हैं जो असुविधा में रहकर भी अपने प्रतिभा के दम पर आज गोल्ड मेडल प्राप्त कर रहे हैं. जो आज नौनिहाल हैं वो कल देश का भविष्य होंगे. उन्हें अपने साथ जोड़ने के लिए विश्वविद्यालय बधाई का पात्र है. सच्चे अर्थों में हीरक जयंती की यही सार्थकता भी है. इस समारोह में अतीत, वर्तमान और भविष्य तीनों मौजूद है.
उन्होंने भविष्य के लिए अपेक्षा प्रकट करते हुए कहा कि विज्ञान, खेल, भाषण, लेखन व काव्य प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों के बीच निरंतर होती रहनी चाहिए. विषय ऐसे चुने जाने चाहिए, जो समाज से जुड़े हुए हों. जिन मुद्दों पर हम समाज में जागरूकता व सुधार लाना चाहते हैं, उन बिंदुओं पर प्रतियोगिताओं के माध्यम से प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थी ही कल के समाज का निर्माण करने वाले होंगे. इस दृष्टि विश्वविद्यालय या महाविद्यालय को अपने किसी भी तरह के उत्सव अथवा विविध प्रकार की गतिविधियों को समाज से जोड़कर आकार देना चाहिए. गोरखपुर विश्वविद्यालय की हीरक जयंती का समारोह इस दृष्टि से एक अच्छा उदाहरण बनकर उभरा है.
साइकिल यात्रा
परिवर्तन, राष्ट्रवादी युवा ही कर सकते हैं, मेरा-तेरा करने वाले नहीं
राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने हरी झंडी दिखाकर साइकिल यात्रा को रवाना किया, जो विभिन्न विषयों पर जागरूकता फैलाने के साथ 3 दिन में सैकड़ो किलोमीटर की यात्रा करते हुए लौटेंगे.
साइकिल यात्रा के संदर्भ में कुलाधिपति महोदया ने बड़ा विजन रखते हुए बताया कि लाल चौक पर तिरंगा फहराने की चुनौती को स्वीकार करते हुए 26 जनवरी की सुबह 9 बजे अटल बिहारी वाजपेई ने पूरे स्वाभिमान के साथ निर्भय होकर तिरंगा फहराया. यह साहसिक व ऐतिहासिक सुफल 45 दिनों तक चली भारत को जोड़ने वाली सुदीर्घ यात्रा का परिणाम थी. उस पूरी यात्रा का आयोजन मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. ध्यान देने वाली बात है तब लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया और आज तेजी से विकसित हो रहा कश्मीर हमारे सामने है. परिवर्तन का बीज यात्राओं में निहित होता है. जो राष्ट्रवादी युवा हैं वही परिवर्तन कर सकते हैं, तेरा-मेरा करने वाले नहीं. देशभक्ति से ओत-प्रोत लोग ही देश बना सकते हैं. यह साइकिल यात्रा सामान्य लग सकती है, किंतु इसका लक्ष्य बड़ा एवं पुनीत है. यह यात्रा समाज में बुनियादी परिवर्तन के रचनात्मक व सार्थक लक्ष्यों को लेकर निकली है.
महिला सशक्तिकरण एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
महिला सशक्तिकरण एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को संदर्भित करते हुए माननीय कुलाधिपति महोदय ने कहा कि मौजूदा भारत में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां पर महिलाओं की उपस्थिति न हो. महिलाओं ने अपने को हर क्षेत्र में प्रमाणित किया है. जबकि दुनिया के कई मुल्कों में महिलाएं किचन और बच्चों तक ही सीमित हैं. वहीं भारत की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं. इसमें समाज व सरकार दोनों की रचनात्मक भूमिका है. आज शिक्षण संस्थानों में बेटियों की संख्या बेटों से ज्यादा हो रही हैं. आने वाले 20 वर्षों में भारत में स्त्रियों की स्थिति इतनी सुदृढ़ होगी कि प्रतिभा एवं कार्य कौशल के प्रत्येक क्षेत्र में स्त्रियां 80 फिसदी नजर आएंगी. जैसे आज स्त्रियों के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं, आज के 20 साल बाद ऐसे ही योजनाएं पुरुषों के लिए चलानी पड़ेँगी. यहां हमें यह भी सोचना पड़ेगा कि आखिरकार बेटे आगे क्यों नहीं आ रहे?
महामहिम का युवाओं को संदेश
कुलाधिपति ने अपने संबोधन में छोटे-छोटे किंतु कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर युवाओं को जागरूक किया. उन्होंने कहा कि आजकल युवाओं में जो रील बनाने की प्रवृत्ति दिख रही है, उसके प्रति उन्हें बेहद सावधान होना होगा. ऐसा न हो कि युवा रील के चक्कर में अपने सुनहरे भविष्य से भटक जाएं.
उन्होंने कहा कि युवाओं को नशा और दहेज के प्रति विशेष सजग होने की जरूरत है. उन्हें प्रतिज्ञा करने की जरूरत है कि हम स्वयं को इससे दूर रखेंगे. नशे की लत वह दहेज के लेनदेन से दूर रहने वाले युवाओं को कभी कोई हरा नहीं सकता. उन्होंने कहा कि युवाओं को मोबाइल और पुस्तकालय के बीच समन्वय स्थापित करना होगा. उन्हें समझना होगा कि हमें कितना समय, कहां देना है!
सर्वाइकल कैंसर व टी.वी.के प्रति संवेदनशीलता
सर्वाइकल कैंसर व टीवी मुक्त भारत बनाने की दिशा में कुलाधिपति काफी गंभीर नजर आयीं. उन्होंने बताया कि 2 वर्ष पहले सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ वैक्सीनेशन की शुरुआत उन्होंने राजभवन से किया. उन्होंने बताया कि हमारा उत्तर प्रदेश कई अच्छे मामलों में नंबर वन है. विचारणीय है कि सर्वाइकल कैंसर और टी.वी. के मामले में भी हमारा राज्य नंबर वन है. महामहिम आनंदीबेन पटेल द्वारा गोरखपुर विश्वविद्यालय के हीरक जयंती समारोह के अवसर पर निःशुल्क सर्वाइकल कैंसर बचाव टीकाकरण अभियान की शुरूआत की गई। अभियान के तहत कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, खोराबार तथा चरगांवा की छात्राओं को इनर व्हील क्लब ऑफ़ गोरखपुर एवं प्रो. एस. एस. दास द्वारा प्रदत्त जीवन रक्षक एचपीवी वैक्सीन लगाई गई। महामहिम द्वारा वैक्सिनेटेड बच्चों को प्रमाण पत्र भी दिया गया।
कुलाधिपति ने कहा कि मुझे हार्दिक प्रसन्नता है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने हीरक जयंती के अवसर पर समाज के सहयोग से बेटियों के वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है. यह समाज के प्रति दायित्वबोध का सीधा और सुंदर उदाहरण है. इसमें हमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि सारे काम सरकार नहीं कर सकती. जैसे वृद्धाश्रमों की बढ़ती हुई संख्या समाज के प्रयास व परिवार के संस्कारों से ही नियंत्रित हो सकती है.
कुलाधिपति ने किया 'प्रवाह' का विमोचन
कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के नेतृत्व में सूचना,प्रकाशन एवं जनसंपर्क केंद्र द्वारा संपादित पत्रिका 'प्रवाह' का विमोचन किया गया. इस दौरान केंद्र के निदेशक व 'प्रवाह' के संपादक डॉ.महेंद्र सिंह भी मंच पर उपस्थित रहे. डॉ.दीपेंद्र मोहन सिंह, डॉ.अभिषेक शुक्ल तथा डॉ.गरिमा सिंह 'प्रवाह' के संपादन मंडल के सदस्य हैं.
कुलाधिपति ने पूर्वांचल की झांकी का किया अवलोकन
विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा पूर्वांचल की झांकी प्रस्तुत की गई। झांकी में छात्राएं गुरु गोरखनाथ, गौतम बुद्ध तथा कबीर दास आदि के रूप में दिखाई दीं। छात्राओं द्वारा शिव स्तुति तथा शिव मंदिर पर आधारित झांकी भी प्रस्तुत की गई।
इसके अतिरिक्त झांकी में सूप से चावल साफ करती हुई महिला, धान चकिया चलाती हुई महिला, चटनी पिसती हुई महिला, धान रोपती हुई महिला तथा कुटीर उद्योग चलाती हुई महिला आदि को दर्शाया गया था। झांकी में पूर्वांचल के प्रमुख व्यंजन भी शामिल थे।
कुलपति का स्वागत वक्तव्य
हीरक जयंती समारोह के अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि पिछले कई महीनों से चल रहे 100 से अधिक कार्यक्रम विविधता के साथ-साथ उत्साह और उमंग का उदाहरण हैं. शोध, शिक्षा व नवाचार की हमारी उपलब्धियों के पीछे कुलाधिपति की प्रेरणा व मार्गदर्शन है. सोशल आउटरीच प्रोग्राम समाज में रचनात्मक परिवर्तन का सूत्रपात करने के लक्ष्य से शुरू किया गया. प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्च शिक्षा तक समूचे अंचल को उल्लासित करने की दिशा में विद्यालय व महाविद्यालय कनेक्ट प्रोग्राम सार्थक सिद्ध हुआ. इसे कार्यक्रम के बजाय एक अभियान के रूप में देखा जा सकता है जिसमें युवाओं को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का सुअवसर प्राप्त हुआ. इसमें 30 आंगनबाड़ी केंद्रों को सम्मानित किया गया है. कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की 100 छात्राओं का सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन हेतु टीकाकरण हो रहा है. इस टीकाकरण हेतु 2000 का लक्ष्य रखा है.
उन्होंने कहा कि आज का दिन दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस वर्ष हम अपनी स्थापना की हीरक जयंती मना रहे हैं। यह उत्सव हमारी 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा का प्रतीक है।
यह एक ऐसा अवसर है जब हम अपनी उपलब्धियों का उत्सव मना रहे हैं. अपने गौरवशाली अतीत की स्मृतियां संजो रहे हैं और भविष्य की यात्रा के लिए अपनी क्षमताओं और सामर्थ्य को संयोजित कर रहे हैं। प्रो.नंदिता सिंह जी के संयोजन में संपन्न हो रहे इन कार्यक्रमों में विविधता और उत्साह दोनों बना रहा।
हमारा सौभाग्य है कि इस परिसर को हमेशा से कुलाधिपति का विशेष स्नेह, आशीष और मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है। विगत वर्षों में विश्वविद्यालय ने शोध, शिक्षा और नवाचारों के क्षेत्र में जो भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं उसके पीछे उन्हीं की प्रेरणा और मार्गदर्शन रहा है।
आज मैं कुलाधिपति उनकी उस दूरदर्शी प्रेरणा के लिए हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहती हूं, जिसके चलते आज का कार्यक्रम संभव और साकार हो सका है।
हीरक जयंती सोशल आउटरीच प्रोग्राम का यह कार्यक्रम माननीया कुलाधिपति जी के उस प्रेरणा पर आधारित है जिसमें विश्वविद्यालय और समाज के परस्पर जुड़ाव की कल्पना है। उनका हमेशा से यह मानना रहा है कि विश्वविद्यालय ज्ञान के आइवरी टॉवर मात्र नहीं हैं बल्कि उनका दायित्व समाज में परिवर्तन का सूत्रधार बनना भी है। बदलाव की उनकी इस कल्पना की शुरुआत छोटे बच्चों से है जो कल के भारत का भविष्य हैं।
इसी प्रेरणा से संयोजित इस "विद्यालय महाविद्यालय कनेक्ट प्रोग्राम" ने इस विश्वविद्यालय से संबद्ध तीन जनपदों क्रमशः गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया के शैक्षिक परिदृश्य को एक नया आयाम दिया है। इस कार्यक्रम ने प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक के लगभग हजारों विद्यार्थियों के हृदय में उमंग और उत्साह का संचार किया है।
हमने प्रयास किया है कि हीरक जयंती का यह आयोजन समूचे अंचल को स्पंदित और आनंदित कर सके और विश्वविद्यालय की 75 वर्षों की यात्रा में हम उनके उल्लास को भी जोड़ सकें।
यह कार्यक्रम केवल प्रतियोगिताओं का आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा अभियान था जिसने युवा प्रतिभाओं को अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान किया। हमने क्रीड़ा, साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच दिया। इसके साथ ही, हमने आंगनवाड़ी केंद्रों को भी सम्मानित किया है जो समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
कुलाधिपति की प्रेरणा से हम हीरक जयंती के कार्यक्रमों की श्रृंखला में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों की 100 छात्राओं के लिए सर्वाइकल कैंसर से बचाव हेतु टीकाकरण अभियान भी आरम्भ कर रहे है, जो एक विशेष पहल है। हमें यह बताते हुए खुशी है कि इस पुनीत कार्य में अनेक सामाजिक संगठनों और व्यक्तियों ने भी अपनी रुचि प्रदर्शित की है।
मैं इस कार्यक्रम की संयोजक प्रो. दिव्या सिंह और उनकी पूरी टीम को विशेष रूप से बधाई देना चाहती हूं जिन्होंने इस वृहद कार्यक्रम को अपने परिश्रम और उत्साह से सफल बनाया है। उनका और आयोजन से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े सभी व्यक्तियों का योगदान अत्यंत सराहनीय है।
हीरक जयंती वर्ष हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। हम भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते रहेंगे ताकि अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में सहभागी बन सके। कुलाधिपति जी की प्रेरणा से आज हमारे विद्यार्थी एक साइकिल यात्रा की भी शुरुआत कर रहे हैं। यह यात्रा विद्यार्थियों को अपने अंचल के गौरव बिंदुओं और परिवेश से परिचित कराने के साथ साथ उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी संजीवनी का कार्य करेगी।
हीरक जयंती वर्ष हमारी नई यात्रा का प्रस्थान बिंदु है। इस यात्रा को हमें और भी सुनहरी उपलब्धियों से परिपूर्ण बनाना है । मुझे पूर्ण विश्वास है कि माननीया कुलाधिपति जी के मार्गदर्शन और आप सभी के सहयोग से हम ऐसा कर पाने में अवश्य सफल होंगे।
हीरक जयंती समारोह के अन्तर्गत आयोजित डिस्ट्रिक्ट कनेक्ट आउटरीच कार्यक्रम की संयोजक प्रो. दिव्या रानी सिंह ने बताया कि अत्यंत वृहद स्तर पर डिस्ट्रिक्ट कनेक्ट कार्यक्रम आयोजित किया गया।
सांस्कृतिक, साहित्यिक तथा खेलकूद संबंधी प्रतियोगिताओं में गोरखपुर, देवरिया तथा कुशीनगर जनपद के लगभग सभी प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। तीनों जनपदों से कुल 32000 छात्र-छात्राओं ने प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया, जिसमें लगभग 4000 प्रतिभागी जनपद स्तर के लिए चयनित हुए। अंतिम निर्णायक स्तर की प्रतियोगिता विश्वविद्यालय में आयोजित की गई।
कुल 619 छात्र-छात्राएं विजयी घोषित, महामहिम के हाथों सम्मानित हुए 200 से अधिक विजेता प्रतिभागी
विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित तीनों जनपद के प्रतिभागियों के बीच निर्णायक प्रतियोगिता में विभिन्न विधाओं के कुल 619 छात्र छात्राओं को विजयी घोषित किया गया। इन विजेता प्रतिभागियों में से 200 से अधिक को कुलाधिपति एवं राज्यपाल उ. प्र. महामहिम श्रीमती आनंदीबेन पटेल के हाथों मेडल एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर शांतनु रस्तोगी, हीरक जयंती समारोह की संयोजक प्रोफेसर नंदिता आईपी सिंह, सोशल आउटरीच प्रोग्राम की संयोजक प्रोफेसर दिव्या रानी सिंह मंच पर मौजूद रहे तथा अपना महत्वपूर्ण उद्बोधन दिया. मंच का संचालन डॉ. तूलिका मिश्रा एवं आभार ज्ञापन प्रोफेसर नंदिता आईपी सिंह ने किया. इस दौरान गोरखपुर अंचल के विशिष्ट नागरिक, जनप्रतिनिधि, पत्रकार, आंगनबाड़ी से लेकर उच्च शिक्षा तक के विद्यार्थी व उनके माता-पिता, विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी आदि बड़ी संख्या में मौजूद रहे.
Mar 03 2025, 17:36