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दिल्ली विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश, आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

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दिल्ली में नई सरकार का गठन होने के बाद पहला विधानसभा सत्र जारी है।दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कैग रिपोर्ट पेश की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार तो आबकारी नीति पर आधारित CAG रिपोर्ट पेश की। विधानसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुए वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करती है। इस रिपोर्ट में शराब घोटाले से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी गई हैं।

सीएजी रिपोर्ट को लेकर स्पीकर विजेंद्र गुप्ता का निशाना

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह जानकर आश्चर्य होता है कि CAG की रिपोर्ट 2017-18 के बाद विधानसभा में पेश नहीं की गई है। इस संबंध में तत्कालीन विपक्ष के नेता यानी मैंने और विपक्ष के पांच अन्य नेताओं ने राष्ट्रपति जी, विधानसभा अध्यक्ष जी से अनुरोध किया था कि इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाए। आप की सरकार कैग की रिपोर्ट को दबाया। कैग की रिपोर्ट एलजी के पास नहीं भेजी गई।

सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति के तहत हुई कथित अनियमितताओं का विवरण दिया गया है और यह आरोप लगाया गया है कि शराब बिक्री से जुड़े कई मामलों में नियमों का उल्लंघन किया गया था। सीएम रेखा गुप्ता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसे विधानसभा में पेश किया और सरकार की ओर से आगे की कार्रवाई करने का संकेत दिया।

लाइसेंस जारी करने में कई अनियमितताएं

कैग रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में शराब के लाइसेंस जारी करने में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि शराब के लाइसेंस केवल कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए दिए गए थे। इसके साथ ही, नई शराब नीति को एकाधिकार बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया था, जिसमें नियमों की अनदेखी की गई। फैसले और नीतियां तय करते समय कई जगहों पर नियमों का पालन नहीं किया गया और इसका फायदा केवल कुछ विशेष समूहों को हुआ।

आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

कैग रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को कुल मिलाकर 2,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है. इसकी वजह कमजोर नीति फ्रेमवर्क से लेकर अपर्याप्त क्रियान्वयन तक कई कारण हैं। इस रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी चिन्हित किया गया है. इसमें बताया गया है कि शराब नीति के गठन के लिए बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था

एलजी के अभिभाषण के दौरान आप विधायकों का हंगामा, आतिशी समेत पूरा विपक्ष पूरे दिन के लिए निलंबित

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दिल्ली विधानसभा में दूसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज एलजी वीके सक्सेना का सदन में अभिभाषण जारी है। इस बीच विपक्ष के विधायक हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ऐक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने एक-एक कर आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को दिन भर के लिए निष्काषित कर दिया। इसमें विपक्ष की नेता आतिशी भी शामिल हैं।

दिल्ली विधानसभा की मंगलवार को हुई कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विरोध जताते हुए हंगामा किया। इससे विधानसभा की कार्यवाही में रुकावट आई। इस दौरान आप के विधायक उपराज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे थे। स्पीकर ने सभी हंगामा करने वाले विधायकों को पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया और उन्हें विधानसभा से बाहर कर दिया है। हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा में शांति बहाल रखने के लिए स्पीकर को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।

दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना अभिभाषण शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से भीमराव आंबेडकर की फोटो हटाने का विरोध करना शुरू कर दिया। उपराज्यपाल ने अभिभाषण में भाजपा सरकार की भावी योजना का उल्लेख किया साथ ही आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार की नाकामियों की भी चर्चा की।

उपराज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पांच प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिनमें यमुना सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितकरण शामिल थे। इसके बाद बीजेपी विधायकों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए। वहीं, विधानसभा से बाहर आप के विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन विधायकों ने हाथ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया।

विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित किए जाने पर नेता विपक्ष आतिशी ने कहा, बीजेपी ने बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो की जगह नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय, विधानसभा कार्यालय और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों में आंबेडकर की जगह मोदी तस्वीर लगाई गई है। मैं पूछना चाहती हूं की नरेंद्र मोदी आंबेडकर से बड़े हैं। आपको इतना अहंकार हो गया है। इसी के खिलााफ आप ने प्रदर्शन किया। हम सदन से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करते रहेंगे। जब तक बाबा साहब की तस्वीर उसी जगह पर नहीं लग जाती।

तेलंगाना सुरंग हादसाःचौथे दिन भी जारी है 8 जिंदगियों को बचाने की जंग, हर घंटे बचाव कार्य होता जा रहा मुश्किल

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तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीसैलम लेफ्ट बैंक कैनाल एसएलबीसी सुरंग में फंसे आठ मजदूरों को बचाने की कोशिशें चौथे दिन भी जारी हैं, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। शनिवार सुबह जब खुदाई का काम चल रहा था तब अचानक सुरंग का एक हिस्सा गिर गया। इससे मजदूर उसमें फंस गए। सुरंग के अंदर फंसे आठ कर्मचारियों को बचाने का अभियान जारी है। इधर पानी का बढ़ता स्तर और बहती मिट्टी, बचाव कार्य को हर घंटे और खतरनाक बना रही है। अंधेरे, कीचड़ और भारी मलबे की वजह से बचाव कार्य बेहद मुश्किल हो गया है।

लगातार बढ़ रहे जलस्तर और कीचड़ के चलते बचाव कार्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत कई एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। लेकिन अभी तक मजदूरों तक पहुंचा नहीं जा सका है। खराब परिस्थितियों और जोखिम भरे माहौल के कारण चिंता और बढ़ गई है। ऐसे में आगे का रास्ता सुझाने के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के विशेषज्ञों की मदद ली है।

एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि आठ लोग चौथे दिन भी फंसे हुए हैं, इसलिए जीएसआई और एनजीआरआई के विशेषज्ञों को बचाव प्रयासों में शामिल किया गया है। नागरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष ने मंगलवार को कहा कि आगे कोई भी कदम उठाने से पहले सुरंग की स्थिरता को ध्यान में रखा गया है और पानी निकालने का काम जारी है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और राष्ट्रीय भौगोलिक अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों के अलावा एलएंडटी की ऑस्ट्रेलियाई इकाई को भी शामिल किया है। जिन्हें सुरंगों के बारे में व्यापक अनुभव है।

जिलाधिकारी ने बताया, अब तक हम उनसे (फंसे हुए लोगों से) संपर्क नहीं कर पाए हैं। हम भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और कुछ अन्य लोगों की सलाह ले रहे हैं। अभी हम पानी निकाल रहे हैं और आगे की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन आखिरी 40 या 50 मीटर तक हम नहीं पहुंच पाए हैं। अब तक हम जीएसआई और एनजीआरआई की सलाह ले रहे हैं। एलएंडटी के विशेषज्ञ भी यहां आ चुके हैं। जीएसआई और एनजीआरआई के अलावा, एलएंडटी से जुड़े एक आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ को भी दुर्घटना स्थल पर एसएलबीसी सुरंग की स्थिरता का आकलन करने के लिए बुलाया गया है, जिसे सुरंग संबंधी कार्यों का व्यापक अनुभव है।

राज्य सरकार ने पहले सुरंग के ऊपर से, लगभग 400 मीटर ऊपर से, सीधी खुदाई करने का सोचा था। लेकिन अब इस योजना को छोड़ दिया गया है। अब प्रशासन ने सुरंग के अंदर से ही बचाव का काम जारी रखने का फैसला किया है। इससे बचाव दल के लोगों को कम खतरा होगा। पानी के बढ़ते स्तर और अचानक मिट्टी के जमा होने से सुरंग की मजबूती पर भी सवाल उठ रहे हैं। इसलिए अधिकारियों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी। सोमवार सुबह बचाव दल ने हालात का जायजा लेने के लिए सुरंग में प्रवेश किया। उन्होंने देखा कि मिट्टी का स्तर लगभग एक मीटर बढ़कर सात मीटर से ज़्यादा हो गया है। पानी का बहाव भी लगातार जारी है, जिससे पानी निकालने का काम मुश्किल हो रहा है

22 फरवरी को सुरंग की छत गिरने से आठ लोग सुरंग के अंदर फंस गए थे। 52 लोग सुरक्षित बाहर की ओर भागने में कामयाब रहे और उनकी जान बच गई। जो लोग सुरंग में फंसे हैं, उनकी में दो इंजीनियर और छह वर्कर्स हैं। पीड़ित परिवार तेलंगाना पहुंच चुके हैं।

तेलंगाना का यह हादसा कुछ मायनों में उत्तराखंड के सिल्क्यारा सुरंग हादसे से मिलता-जुलता है. 12 नवंबर 2023 को उत्तरकाशी में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत बन रही सिल्क्यारा-बरकोट सुरंग का 60 मीटर का हिस्सा ढह गया था, जिसमें 41 मजदूर फंस गए थे. उस घटना में भी मलबा हटाना और मजदूरों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन 17 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद सभी मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया था. उस बचाव अभियान में ऑगर मशीन, वर्टिकल ड्रिलिंग और रैट माइनिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल हुआ था

अमेरिका ने चार भारतीय कंपनियों पर लगाई पाबंदी, ईरान से “यारी” यूएस को गुजर रही नागवार

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अमेरिका ने पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उद्योग से जुड़ी कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। जिन कंपनियों पर अमेरिका की ओर से यह प्रतिबंध लगाए गए हैं, उन सभी का जुड़ाव ईरान के तेल उद्योग से है। प्रतिबंधित की गई इन कंपनियों में कुछ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। दरअसल, अमेरिका ईरान को कमजोर करने के लिए अपने प्रतिबंधों का दायरा बढ़ा रहा है और ईरान के साथ कम करने वाली विदेश कंपनियों को भी निशाना बना रहा है।

अमेरिका ने ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उद्योग के साथ कम करने के लिए सोमवार को 16 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जिनमें से चार भारतीय कंपनियां भी हैं।अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने सोमवार को यह घोषणा की। बयान में कहा गया कि अमेरिकी विदेश विभाग ने ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उद्योग से जुड़ाव के लिए 16 कंपनियों को चिह्नित किया है और उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाया जा रहा है। विदेश विभाग ने, वित्त विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) के साथ मिलकर, 22 व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाए तथा ईरान के तेल उद्योग से उनके जुड़ाव के कारण विभिन्न क्षेत्रों में उनके 13 जहाजों को प्रतिबंधित संपत्ति के रूप में चिह्नित किया है।

ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल ने एक बयान में कहा कि अमेरिका ने ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, बीएसएम मरीन एलएलपी, कॉसमॉस लाइन्स इंक और फ्लक्स मैरीटाइम एलएलपी पर प्रतिबंध लगाए हैं। इन कंपनियों पर ईरान के पेट्रोलियम उत्पादों के ट्रांसपोर्ट में मदद करने का आरोप है। इससे वे अमेरिकी कानून के तहत गंभीर प्रतिबंधों के दायरे में आ गई हैं।

अमेरिका की ओर से यह फैसला अवैध शिपिंग नेटवर्क को बाधित करने क लिए उठाया गया है। जो एशिया में खरीदारों को ईरानी तेल बेचने के लिए काम करता है। यह नेटवर्क सैकड़ों मिलियन डॉलर के कच्चे तेल के कई बैरल को अवैध शिपिंग के जरिए बेचने की कोशिश कर रहा था। अमेरिका का मानना है कि, तेल राजस्व के जरिए ईरान के आतंकवाद को आर्थिक रूप से मदद दे रहा है। उसके इस कदम से ईरान की आर्थिक गतिविधियों पर नकेल कसेगा और आतंकवाद वित्तपोषण को रोक पाएगा।

ट्रंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंकायाःUN में रूस का दिया साथ, यूक्रेन युद्ध के लिए दोषी मानने से इनकार

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद वैश्विक राजनीति में बड़े स्तर पर बदलाव की बात कही जा रही थी। ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद इसकी झलकी देखी भी जा रही है। इस बार तो ट्रंप ने ऐसा कुछ किया है कि पूरी दुनिया हैरान है। दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को लेकर अमेरिका ने अपनी नीतियों में परिवर्तन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में रूस का साथ दिया है।

रूस और यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो गए हैं। यूरोपीय संघ और यूक्रेन की ओर से रूस के हमले की निंदा से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वोट दिया। यानी, अब तक यूक्रेन का साथ निभा रहा अमेरिका अब रूस के पक्ष में खड़ा होता दिखाई दे रहा है। वहीं अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया है।

दरअसल, तीन साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में तीन प्रस्ताव लाए गए थे। इन प्रस्तावों के खिलाफ में अमेरिका ने वोटिंग की है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर रूस के जैसे ही वोटिंग की है, जिसमें क्रेमलिन को आक्रामक नहीं बताया गया, और न ही यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को स्वीकार किया। अमेरिका, रूस, बेलारूस और उत्तर कोरिया ने यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया।

ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद की झलक

यह पहली बार है जब रूस-यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ कोई कदम उठाया है। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद यह अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव दिखाता है। यह डोनाल्ड ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद और पुतिन के साथ करीबी को दिखाता है।

अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव किया पेश

इसके बाद, अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्ताव पेश किया, जिसमें युद्ध समाप्त करने की अपील की गई थी, लेकिन रूस की आक्रामकता का जिक्र नहीं था। जब फ्रांस और यूरोपीय देशों ने इसमें संशोधन जोड़कर रूस को आक्रमणकारी घोषित कर दिया, तो अमेरिका ने मतदान से बचने का फैसला किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अमेरिका ने अपने मूल प्रस्ताव पर मतदान कराया, लेकिन 15 सदस्यीय परिषद में 10 देशों ने समर्थन किया, जबकि 5 यूरोपीय देशों ने मतदान से परहेज किया। इससे यह साफ है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप के बीच गहरा मतभेद उभर रहा है। अमेरिका अब रूस को सीधे तौर पर दोष देने से बच रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

भारत का मतदान से परहेज

93 देशों ने यूरोप के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया। भारत ने इस दौरान मतदान से परहेज किया। प्रस्ताव में रूस को एक आक्रामक देश बताया गया और उसे यूक्रेन से अपने सैनिकों को हटाने का आह्वान किया गया।

दिल्ली विधानसभा में आज 14 कैग रिपोर्ट्स पेश करेगी बीजेपी सरकार, बढ़ सकती हैं आम आदमी पार्टी की मुश्किलें

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दिल्ली विधानसभा सत्र की शुरूआत हो चुके हैं। आज सत्र का दूसरा दिन उपराज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होगा।यह सत्र महज तीन दिन का ही है। यह सत्र 24 फरवरी को शुरू हुआ है और 27 फरवरी तक चलेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि आज कैग की रिपोर्ट पेश की जाएगी।दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार के दौरान कई विभागों में भ्रष्टाचार के मामले का उजागर कैग की रिपोर्ट में हुआ है।

दिल्ली की नई बीजेपी सरकार मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में मंगलवार को विधानसभा में कैग की 14 लंबित रिपोर्टें पेश करेगी। इनमें से आधे से अधिक रिपोर्टें 500 दिनों से लंबित हैं, जबकि कुछ 300 दिनों से पेंडिंग हैं। इन रिपोर्टों में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और पहलों के महत्वपूर्ण ऑडिट और आकलन शामिल हैं। इन रिपोर्टों को प्रस्तुत करने में 'देरी' ने दिल्ली में आप सरकार की जवाबदेही को लेकर चिंताएं पैदा कर दी थीं। इन रिपोर्टों के पेश होने से आम आदमी पार्टी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

इस रिपोर्ट में पिछली सरकार के वित्त से जुड़े कार्यों का जिक्र किया गया है। भाजपा भी शुरू से यह आरोप लगाती रही है कि सीएजी रिपोर्ट सदन पटल पर रखे जाने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार के भ्रष्टाचार का पोल खुलेगा। बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर अपने कार्यकाल के दौरान इन 14 रिपोर्टों को पेश करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। दिसंबर 2024 में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पूर्व सीएम आतिशी को विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट पेश करने में विफल रहने पर फटकार भी लगाई थी। इस वजह से उन्होंने 19 और 20 दिसंबर को एक विशेष सत्र भी बुलाया था।

जर्मनी में कंजर्वेटिव नेता बनने जा रहे जर्मनी के अगले चांसलर, चुनाव में ओलाफ शोल्ज ने मानी हार

#friedrich_merz_conservative_leader_set_to_become_next_german_chancellor

जर्मनी में हुए आम चुनावों में क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के नेता फ्रेडरिक मर्ज ने बड़ी जीत दर्ज की है। उनकी पार्टी के गठबंधन सीडीयू/सीएसयू ने 28.5% वोट हासिल किए, जिससे उन्होंने मौजूदा चांसलर ओलाफ शोल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) को पीछे छोड़ दिया। ओलाफ शोल्ज की एसडीपी 630 सीटों में से सिर्फ 121 सीटें ही जीत पाई है। उसे सिर्फ 16.5% वोट ही मिले हैं। चांसलर शोल्ज ने हार स्वीकार कर ली है। उनकी पार्टी चुनावी नतीजों में तीसरे पायदान पर पहुंच गई है।

कंजर्वेटिव विपक्षी नेता फ्रेडरिक मर्ज की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) पार्टी के गठबंधन ने 208 सीटों पर जीत दर्ज की है। उसे 28.5% वोट हासिल हुए हैं। चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी जीत कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी (एएफडी) को मिली है। इस पार्टी को 151 सीटों पर जीत मिली है। पार्टी को 20.8% वोट मिले हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार जर्मनी में किसी कट्टरपंथी दक्षिणपंथी पार्टी ने इतनी सीटें जीती हैं।

चुनाव में पार्टी की अनुमानित जीत के बाद अब उनके चांसलर बनने की सबसे प्रबल संभावना है।हालांकि, पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, जिससे उसे गठबंधन बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। एएफडी दूसरे नंबर पर है, लेकिन मर्ज ने पहले ही उनके साथ हाथ मिलाने से इनकार कर दिया है। इस समय, यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सी पार्टियाँ मिलकर एक सत्तारूढ़ गठबंधन बनाएंगी।

जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने रविवार को अपनी पार्टी की हार स्वीकार ली और कंजर्वेटिव नेता फ्रेडरिक मर्ज को बधाई दी।अपनी पहली टिप्पणी में कहा, यह हमारी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए एक कड़वा चुनाव परिणाम है। यह एक चुनावी हार है और मुझे लगता है कि इसे शुरुआत में ही स्पष्ट कर देना चाहिए।

वहीं इन परिणामों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने दक्षिणपंथी दलों की सराहना करते हुए कहा कि यह देश के साथ-साथ अमेरिका के लिए एक महान दिन है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘यूएसए की तरह, जर्मनी के लोग भी बिना किसी सामान्य ज्ञान के एजेंडे से थक गए हैं, खासकर ऊर्जा और आप्रवासन पर, जो इतने सालों से चला आ रहा है।’ ट्रंप ने बधाई देते हुए कहा कि अभी और भी जीतें मिलेंगी।

बांग्‍लादेशी में सेना ने अपने हाथों में ली कानून व्‍यवस्‍था, आर्मी चीफ ने कहा-चुनी हुई सरकार मिलने तक रहेगी भूमिका

#bangladesh_army_chief_said_we_will_continue_to_make_rules_and_laws

बांग्लादेश में कुछ समय से काफी उथल-पुथल मची हुई है। अगस्त में यहां सरकार का तख्तापलट हो गया। भीषण हिंसा के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, यहां तक कि उन्हें देश भी छोड़ना पड़ा। फिलहाल मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार देश चला रही है। हालांकि, हालात में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। इस बीच बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार उज जमां ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश की कानून-व्यवस्था का ध्यान सेना रखेगी। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना काम कर रही है और बांग्लादेश को एक चुनी हुई सरकार मिलने तक इस भूमिका में बनी रहेगी।

बांग्लादेश की राजधानी ढाका के सावर छावनी में आयोजित फायरिंग प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान सेना प्रमुख ने कहा, हमने सोचा था कि ये सब जल्दी खत्म हो जाएगा और आर्मी जल्द ही वापस लौट जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। देश के हालात देखकर लगता है कि ये जल्दी खत्म होने वाला नहीं है। हम लंबे वक्त तक काम करना होगा।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना प्रमुख जमां ने जोर देकर कहा कि फौज का ये फर्ज बनता है कि वो शांति और व्यवस्था बनाए रखे।उन्होंने कहा कि फिलहाल चीजें ठीक होती हुई दिख रही हैं। हालांकि जब तक देश को सरकार नहीं मिलती, सेना अपना काम करती रहेगी।

बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने बीते कुछ समय में लगातार देश की राजनीति पर बात की है। हाल ही में प्रथोमालो को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि हम एक शांतिपूर्ण वातावरण चाहते हैं। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक विकास के लिए शांति और स्थिरता महत्वपूर्ण है। साथ ही उन्होंने देश में एक पूर्ण सरकार के होने पर भी जोर दिया था।

जमां का ये बयान ऐसे समय आया है, जब बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार कई मुद्दों पर घिरी हुई है। इसमें कानून व्यवस्था भी एक मुद्दा है।भारत की ओर से भी बांग्लादेश की स्थिति को लेकर कई बार चिंता जाहिर की जा चुकी है। इसमें बांग्लादेश की कानून व्यवस्था के साथ ही द्विपक्षीय रिश्ते भी हैं।

आतिशी के आरोपों का जवाब, बीजेपी ने बताई आंबेडकर-भगत सिंह के फोटो वाली सच्चाई

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दिल्ली सीएम ऑफिस में बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरों पर भाजपा और आप आमने-सामने हैं। नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने आरोप लगाया, भाजपा के सत्ता में आते ही सीएम ऑफिस से बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें हटा दीं। आतिसी के आरोप के कुछ घंटे बाद ही भाजपा ने सीएम ऑफिस की एक तस्वीर जारी कर जवाब दिया है।

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री कार्यालय से डॉ. भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें हटा दी हैं। उनकी जगह महात्मा गांधी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लगा दी हैं। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने इस मुद्दे को उठाते हुए बीजेपी पर दलित और सिख विरोधी होने का आरोप लगाया। हालांकि, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें अब भी कार्यालय में हैं, बस उनकी जगह बदल दी गई है।

आम आदमी पार्टी के आरोपों का जवाब देते हुए बीजेपी ने मुख्यमंत्री कार्यालय की एक तस्वीर जारी की है। बीजेपी ने सच‍िवालय में सीएम ऑफ‍िस की तस्‍वीर सोशल मीडिया में शेयर कर लिखा, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और दिल्ली कैबिनेट के सभी मंत्रियों के कक्षों की दीवारों पर महात्मा गांधी, भगत सिंह, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लगी हैं। आम आदमी पार्टी को झूठ फैलाना बंद करना चाह‍िए।

इससे पहले सदन में विपक्ष की नेता आतिशी ने दावा किया था कि सीएम रेखा गुप्ता ने अपने कार्यालय से बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीर हटा दी है। आतिशी ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की मानसिकता सिख और दलित विरोधी है। उन्होंने ये भी कहा कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के हर दफ्तर में बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें लगाई थीं।

बता दें कि पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानती है। अन्ना आंदोलन के वक्त भी शहीद भगत सिंह की तस्वीर को लेकर प्रदर्शन किए। पंजाब में जब 2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने 16 मार्च 2022 को शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में शपथ ली थी। तब से दिल्ली और पंजाब के सीएम ऑफिस में मुख्यमंत्री की कुर्सी के पीछे शहीद भगत सिंह और अंबेडकर की फोटो लगाई जाने लगीं।

दिल्ली सीएम ऑफिस से आंबेडकर-भगत सिंह की तस्वीर हटाने पर भड़की आप, जानें क्या कहा

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दिल्ली में आज से विधानसभा सत्र शुरू है। राजधानी में 27 साल बाद बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह पहला सत्र है। इस बीच सदन में विपक्ष की नेता आतिशी ने बीजेपी सरकार के ऊपर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि विधानसभा में मुख्यमंत्री कार्यालय से बाबा साहेब और भगत सिंह की तस्वीर को हटा दिया गया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को दलित विरोधी करार दिया है।

नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा, दिल्ली सरकार में अरविंद केजरीवाल के बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल के दौरान हर सरकारी दफ्तर में आंबेडकर और शहीद भगत सिंह की फोटो लगती थी। लेकिन आज जब हम दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता से मिलने विधानसभा में स्थित उनके दफ़्तर में गए तो देखा कि दोनों ही फ़ोटो सीएम कार्यालय से हटा दी गई है, विधानसभा में आप इसका पुरज़ोर विरोध करती है।

आप ने दावा किया कि सीएम के दफ्तर में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और महात्मा गांधी की तस्वीर लगी है।

बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता-आतिशी

आप नेता आतिशी ने कहा कि बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता जगजाहिर है। आज बीजेपी ने अपनी असली मानसिकता का प्रमाण देश के सामने रख दिया है। दिल्ली सरकार ने हर कार्यालय में बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो लगाने का फैसला किया था। 3 महीने पहले बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो को लगाया गया था। उन्होंने विधानसभा में सीएम दफ्तर से बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो को हटा दिया है।

केजरीवाल ने भी जताया ऐतराज

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी फोटो हटाने को लेकर ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा, दिल्ली की नई बीजेपी सरकार ने बाबा साहेब की फोटो हटाकर प्रधान मंत्री मोदी जी की फोटो लगा दी। ये सही नहीं है। उन्होंने कहा, इससे बाबा साहेब के करोड़ो अनुयायियों को ठेस पहुंची है। मेरी बीजेपी से प्रार्थना है। आप प्रधानमंत्री की फोटो लगा लीजिए लेकिन बाबा साहिब की फोटो तो मत हटाइए. उनकी फोटो लगी रहने दीजिए।