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भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप चिंताजनक...” यूएस फंडिंग वाले ट्रंप के बयान पर बोला विदेश मंत्रालय

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग को लेकर बयान दिया। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव में वोटर टर्नआउट को बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर (करीब 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग की थी। ट्रंप के एक बयान के बाद से भारत के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। भारत ने फंडिंग के बारे में किए गए खुलासे पर प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस मामले को “बेहद परेशान करने वाला” बताया है और संभावित प्रभावों की जांच कर रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, हमने अमेरिकी प्रशासन द्वारा कुछ यूएसए गतिविधियों और फंडिंग के बारे में दी गई जानकारी देखी है। ये स्पष्ट रूप से बहुत ही परेशान करने वाला है। इससे भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की चिंता पैदा हुई है।उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग और एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं।

अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने भारत में खर्च करने के लिए दिए गये 21 मिलियन डॉलर लगभग 182 करोड़ रुपए के एक फंड को खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में वोटिंग टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले पर बुधवार को बड़ा दावा करते हुए कहा कि पिछली बाइडन सरकार की ओर से किसी और को जिताने की कोशिश की जा रही थी। शायद वे (पूर्ववर्ती बाइडन सरकार) भारत में किसी और की सरकार बनवाना चाहते थे। इससे पहले ट्रंप ने भारत को दी जाने वाली अमेरिकी फंडिंग रोकने के फैसले का बचाव किया था। ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है।

भारत को F-35 बेचना चाहता है अमेरिका, जानें भारत के कितना मुश्किल सौदा

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प्रधानमंत्री नरेनेद्र मोदी ने फरवरी के दूसरे हफ्ते में अमेरिका का दौरा किया। अपने यूएस दौरे के दौरान पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान ट्रंप ने भारत को अपना अत्याधुनिक लड़ाकू विमान F-35 देने की पेशकश की। पीएम मोदी के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात के बाद ट्रंप ने घोषणा की कि उनका प्रशासन अमेरिकी स्टील्थ फाइटर को भारत को बेचने के लिए तैयार है। इससे भारत अत्याधुनिक स्टील्थ विमानों वाले देशों के एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा। ऐसे में सवाल ये है कि भारत अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदता है तो ये कितना जरूरी होगा? इसे खरीदने के लिए भारत को कितना पैसा खर्च करने पड़ेंगे? और सबसे अहम सवाल इसे खरीदने में क्या कहीं कोई झोल है?

कीमत सबसे बड़ा रोड़ा

F-35 अमेरिका का 5वीं जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। इसे लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना में शामिल है। ये पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका एक F-35 फाइटर प्लेन पर औसतन 82.5 मिलियन डॉलर (करीब 715 करोड़ रुपए) खर्च करता है। अमेरिकी सरकार के कामों पर नजर रखने वाली संस्था गर्वनमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस (जीएओ) के मुताबिक, एक F-35 के रखरखाव पर हर साल 53 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। ऐसे में अगर भारत 1000 करोड़ रुपए में ये विमान खरीदता है, तो इसके 60 साल के सर्विस पीरियड में 3,180 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ये विमान की कीमत से तीन गुना ज्यादा है। इसके अलावा इसकी हर घंटे की उड़ान पर 30 लाख रुपए खर्च होंगे। इन विमानों की संख्या फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों के दो स्क्वाड्रन (36 विमान) की मौजूदा संख्या के बराबर हो सकती है।

सरकार से सरकार के बीच होता है सौदा

एफ- 35 विमान को लॉकहीड मार्टिन सीधे किसी देश को बेच नहीं सकती है। इस विमान का सौदा सरकार से सरकार के बीच होता है। पेंटागन इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक इन विमानों को भारत को देने से जुड़ी कोई समय सीमा नहीं बताई है। मगर रॉयटर्स के मुताबिक स्टेल्थ एफ-35 जेट की डिलीवरी में वर्षों का समय लग जाता है। लिहाजा सवाल ये उठते हैं कि अगर भारत इस फाइटर जेट को खरीदने की सोचता है, तो वो सरकार से सरकार स्तर पर बातचीत करेगा या फिर डायरेक्ट कंपनी से ही डील करेगा? अगर 'सरकार से सरकार' रास्ते से अधिग्रहण का फैसला लिया जाता है, तो फाइटर जेट की क्वालिटी, उसकी कीमत, दूसरे लड़ाकू विमानों के साथ उसके कॉर्डिनेशन, ज्वाइंट प्रोडक्शन की संभावना और उसके ऑपरेशन की स्थितियों जैसे कई सवाल होंगे, जिनके जवाब तलाशने होंगे।

ड्रोन टेक्नोलॉजी के आगे फाइटर जेट्स पुराने

वहीं, ड्रोन टेक्नोलॉजी से युद्ध लड़े जाने का तरीका बदल गया है। फ्रंट लाइन पर फाइटर जेट्स की बजाय ड्रोन से हमला करना आसान है। रूस-यूक्रेन युद्ध में फ्रंट लाइन के पास एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम लगे होने की वजह से फाइटर जेट्स का हमला कर पाना मुश्किल है। ऐसे में छोटे और बेहद कम कीमत वाले ड्रोन्स सबसे घातक हथियार साबित हुए हैं।

बता दे कि ट्रंप के करीबी लन मस्क भी इस फाइटर जेट पर सवाल उठा चुके हैं।मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में वीडियो अपलोड किया था। इसमें एक साथ सैकड़ों छोटे ड्रोन आसमान को घेरे हुए थे। मस्क ने लिखा था- कुछ बेवकूफ अभी भी F-35 जैसे पायलट वाले लड़ाकू जेट बना रहे हैं। मस्क ने कहा कि F-35 का डिजाइन शुरुआती लेवल पर ही खराब था। इसे ऐसे डिजाइन किया गया कि हर किसी को हर खासियत मिल सके। लेकिन इसकी वजह से F-35 महंगा हो गया और उलझा हुआ प्रोडक्ट बन गया। ऐसे डिजाइन को कभी सफल होना ही नहीं था। वैसे भी ड्रोन के जमाने में अब ऐसे फाइटर जेट्स का कोई मतलब नहीं है। ये सिर्फ पायलट की जान लेने के लिए हैं।

अमेरिका भारत को एफ-35 क्यों बेचना चाहता है?

दरअसल, ट्रंप सैन्य हथियारों के माध्यम से भारत के साथ होने वाले व्यापार घाटे को पाटना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा कि इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर की सैन्य बिक्री बढ़ाएंगे। भारत को एफ- 35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान बेचेंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है। इसके तहत भारत दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए अधिक मात्रा में अमेरिकी तेल और गैस का आयात भी करेगा।

यही नहीं, रूस ने भी भारत को सुखोई एसयू-57 देने की पेशकश की है। रूस ने तो इन विमानों को भारत में तैयार करने का प्रस्ताव भी दिया है। रूस ने भारत को तकनीक ट्रांसफर करने की बात भी कही है। भारत सबसे अधिक हथियार रूस से ही खरीदता है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार बाजार है। रूस ने भारत के AMCA कार्यक्रम में भी मदद की पेशकश की है। यही वजह है कि ट्रंप यह डील रूस के हाथों नहीं जाने देना चाहते हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच फ्लैग मीटिंग, लगभग 75 मिनट हुई चर्चा, इन मुद्दों पर बनी सहमति

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जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच शुक्रवार को फ्लैग मीटिंग हुई। यह मीटिंग पुंछ सेक्टर के चाका दा बाग में आयोजित की गई। जिसमें दोनों सेनाओं के ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी शामिल हुए। बैठक 75 मिनट तक चली, जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की बात कही बता दें कि पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग है। आखिरी फ्लैग मीटिंग 2021 में हुई थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ब्रिगेड कमांडर स्तर की ‘फ्लैग मीटिंग’ ‘चक्कन-दा-बाग क्रॉसिंग प्वाइंट’ क्षेत्र में हुई। भारत की तरफ से पुंछ ब्रिगेड के कमांडर और पाकिस्तानी सेना की दो पाक ब्रिगेड के कमांडर फ्लैग मीटिंग में शामिल हुए। जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि 75 मिनट तक चली बैठक करीब 11 बजे शुरू हुई। सूत्रों ने बताया कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्ष सीमा पर शांति के व्यापक हित में संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने पर सहमत हुए।

पाकिस्तान और भारत के बीच पिछले कई सालों से फ्लैग मीटिंग नहीं हुई है। साल 2021 में आखिरी फ्लैग मीटिंग हुई थी। पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर लगातार नापाक हरकतें की जा रही हैं। 11 फरवरी को जम्मू जिले में नियंत्रण रेखा के अखनूर सेक्टर में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में एक कैप्टन समेत दो जवान शहीद हो गए थे।

मृत्यु से पहले पोप के अंतिम संस्कार की रिहर्सल, फेफड़ों के इंफेक्शन से जूझ रहे

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रोम में पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार की कथित तौर पर रिहर्सल की जा रही है। कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की हालत बेहद नाजुक है। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस बीते 8 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने पहले ही ये चिंता व्यक्त की थी कि उनके वापस लौटने की गुंजाइश कम है।

रोमन कैथोलिक चर्च के हेडक्वार्टर वेटिकन के मुताबिक पोप ने खुद कहा है कि निमोनिया से उनके बचने की उम्मीद नहीं है। जिसके बाद दावा किया जा रहा है कि पोप फ्रांसिस अंतिम संस्कार की रिहर्सल शुरू हो गई है। यह दावा स्विस न्यूज पेपर ब्लिक ने किया है। बता दें कि 88 साल के पोप फ्रांसिस पिछले हफ्ते से निमोनिया और फेफड़ों के संक्रमण की वजह से रोम के जेमेली अस्पताल में एडमिट हैं।

वेटिकन सूत्रों का कहना है कि संभावित उत्तराधिकार नियोजन की तैयारियां चल रही हैं तथा स्विस गार्ड संभावित पोप के अंतिम संस्कार के लिए प्रोटोकॉल का अभ्यास कर रहा है। पोप की सुरक्षा में लगे स्विस गार्ड को कर्फ्यू के तहत रखा गया है, क्योंकि वे पोप के संभावित निधन के लिए प्रोटोकॉल अभ्यास कर रहे हैं। पोलिटिको ने बताया कि पोप फ्रांसिस ने निजी तौर पर अपने करीबी सहयोगियों से कहा है कि वे इस बीमारी से "शायद बच न पाएं"।

पोप के अंतिम संस्कार की रस्मों में संशोधन

जब किसी पोप की मृत्यु हो जाती है, तो शोक मनाने वाले लोग नोवेमडियाल्स नामक अनुष्ठान करते हैं, जो दिवंगत पोप के लिए नौ दिनों तक मनाया जाने वाला सामूहिक प्रार्थना समारोह है। लेकिन पिछले वर्ष पोप फ्रांसिस ने पोप के अंतिम संस्कार की रस्मों में बदलाव को मंजूरी दे दी थी। संशोधित धार्मिक पुस्तक अनुष्ठानों को सरल बनाती है और वेटिकन के बाहर दफनाने की अनुमति देती है, तथा एक शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में नहीं बल्कि एक बिशप के रूप में उनकी पहचान पर ध्यान केंद्रित करती है। 2013 में अपने चुनाव के बाद से, उन्होंने विनम्रता और "गरीबों की कलीसिया" की सेवा पर जोर दिया है।

पोप का कैसे होता है अंतिम संस्कार?

अंतिम संस्कार को लेकर 2024 में इसको लेकर एक नियम तैयार किया गया था। ऐसे में माना जा रहा है कि पोप फ्रांसिस का इन्हीं नियमों के तहत अंतिम संस्कार किया जाएगा। पोप की मृत्यु की घोषणा कैमरलेंगो (वेटिकन का एक वरिष्ठ अधिकारी) करते हैं। वेटिकन का यह अहम पद वर्तमान में आयरिश मूल के कार्डिनल केविन फैरेल के पास है।

पहले पोप की मृत्यु होती थी, तो पार्थिव शरीर को काफी देर तक खुले में रखा जाता था, लेकिन अब नए नियमों के तहत ऐसा नहीं होगा। मृत्यु के तुरंत बाद उनके शरीर को ताबुत के अंदर रखना अनिवार्य है। ताबूत में पोप के शरीर को रखे जाने के बाद ही आम नागरिक दर्शन कर सकेंगे।

पोप फ्रांसिस ने दफनाने के लिए जगह चुनी

2023 में दिए गए एक साक्षात्कार में फ्रांसिस ने यह भी खुलासा किया कि वह सेंट पीटर बेसिलिका के नीचे स्थित गुफाओं के बजाय रोम के सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में दफन होना चाहते हैं, जहां अधिकांश पोपों को दफनाया जाता है।

अमृतपाल सिंह की संसद सदस्यता पर संकट, जानें पूरा मामला

#amritpal_singh_can_lose_his_membership_of_parliament

खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह की संसद सदस्यता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह ने जेल से बाहर आने और संसद सत्र में शामिल होने के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या उनकी सीट को रिक्त घोषित करने के लिए किसी कमेटी का गठन किया गया है या नहीं। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने किसी भी अंतरिम आदेश को जारी करने से इनकार कर दिया है।

पंजाब के खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह ने बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर संसद के चल रहे सत्र में भाग लेने की मांग की।अमृतपाल सिंह ने याचिका में कहा है कि जेल में बंद होने की वजह से वह संसद की कार्यवाही में भाग नहीं ले पा रहे हैं और उन्हें अनुपस्थित रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे दुर्भावनापूर्ण मंशा यह है कि उनके संसदीय क्षेत्र को प्रतिनिधित्व से वंचित रखा जाए और 60 दिनों की अनुपस्थिति के बाद उनकी सीट रिक्त घोषित कर दी जाए।

इसके साथ ही अमृतपाल ने केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठक करने की अनुमति भी मांगी है, ताकि वे अपने संसदीय क्षेत्र की समस्याओं और विकास के मुद्दों पर चर्चा कर सकें। उनका कहना है कि वे एक निर्वाचित सांसद हैं और इस नाते उन्हें अपने क्षेत्र के विकास के लिए सरकार के विभिन्न विभागों के साथ संवाद करने का पूरा अधिकार है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक अपनी याचिका में सांसद ने कहा है कि लोकसभा के महासचिव की ओर से जारी समन के मुताबिक उनकी उपस्थिति जरूरी है और कहा कि उनकी गैरहाजिरी उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन्हें अप्रैल 2023 से डिब्रूगढ़ जेल में हिरासत में रखा गया है। उन्होंने जेल से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। लेकिन पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार अब तक उनकी उपस्थिति केवल दो फीसदी है।

बता दें कि अनुच्छेद 101(4) के मुताबिक यदि संसद के किसी भी सदन का कोई सदस्य साठ दिनों की अवधि के लिए सदन की अनुमति के बिना सदन की सभी बैठकों से अनुपस्थित रहता है, तो सदन उसकी सीट को रिक्त घोषित कर सकता है। हालाकि 60 दिनों में वह अवधि शामिल नहीं है, जिसके दौरान सदन को चार दिनों से अधिक लगातार स्थगित किया जाता है या स्थगित किया जाता है। प्रभावी रूप से, अनुपस्थिति की अवधि की गणना केवल संसद की वास्तविक बैठकों के आधार पर की जाती है।

कौन है USAID की वीना रेड्डी, भारत में जिनकी भूमिका पर उठे सवाल, जांच की मांग

#whoveenareddyexusaidindiachief

अमेरिका से भारत को चुनाव में मदद के लिए फंडिंग पर बवाल मचा हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान के बाद से भारत के राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव में वोटर टर्नआउट को बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर (करीब 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग की थी। इस बीच USAID की पूर्व भारत निदेशक वीना रेड्डी सुर्खियों में हैं। रेड्डी तब चर्चा में आईं, जब बीजेपी सांसद महेश जेठमलानी ने फंडिंग की जांच की मांग की और उनकी भूमिका पर सवाल उठाए।

बीजेपी के सांसद महेश जेठमलानी ने इस फंडिंग में वीना रेड्डी की भूमिका पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। दरअसल, अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने हाल ही में USAID को लेकर यह खुलासा किया था। इसी के बाद बीजेपी सांसद ने कहा, तो, DOGE ने पाया है कि USAID ने भारत में ‘वोटर टर्नआउट’ के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग की। वीना रेड्डी को 2021 में USAID के भारतीय मिशन के प्रमुख के रूप में भारत भेजा गया था। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद (उनका मतदाता मतदान मिशन पूरा हो गया), वह अमेरिका लौट गईं। अफसोस की बात है कि इससे पहले की यहां पर एजेंसियां उन से कुछ सवाल पूछ सकती थीं कि यह पैसा मतदान अभियानों में लगाने के लिए किसे दिया गया था, वो वापस अमेरिका चली गईं।

आंध्र प्रदेश से है वीना का नाता

भारत के रियासी गलियारों में चर्चाओं का विषय बनी वीना रेड्डी एक अमेरिकी डिप्लोमेट हैं, जो 5 अगस्त, 2021 को USAID के भारतीय ऑफिस में शामिल हुई। वीना का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ। वीना रेड्डी अमेरिकी वरिष्ठ विदेश सेवा की कैरियर सदस्य हैं और उन्होंने भारत और भूटान में USAID के लिए मिशन डायरेक्टर के तौर पर काम किया है। इसके अलावा वह भारत और भूटान में USAID को लीड करने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी महिला थीं।

अपने 3 साल के कार्यकाल में भारत में रहीं वीना रेड्डी

USAID के मिशन डायरेक्टर के तौर पर वीणा रेड्डी ने भारत में अपने 3 साल के कार्यकाल में कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया। देश की राजधानी नई दिल्ली में वीणा रेड्डी के कार्यकाल में भारतीय रेल, पावर मंत्रालय, नीति आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, अटल इनोवेशन मिशन सहित कई नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए और USAID-फंडेड प्रोग्राम लागू किए गए। वहीं, वह कई हाई लेवल सरकारी कार्यक्रमों में भी शामिल हुई।

सिख दंगों के दोषी सज्जन कुमार को इस दिन सुनाई जाएगी सजा, कोर्ट ने दो दिन के भीतर मांगा लिखित जवाब

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राऊज एवेन्यू कोर्ट दिल्ली की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबद्ध सरस्वती विहार के मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की सजा की अवधि पर फैसला आज सुरक्षित रख लिया है। उन्होंने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 25 फरवरी को फैसला सुनाने का आदेश दिया। सज्जन कुमार दो दिन में अपना जवाब दाखिल करेंगे। पीड़ित पक्ष के वकील एच एस फुल्का ने फांसी की सजा की मांग की है। दिल्ली पुलिस भी फांसी की सजा चाहती है।

सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा पूर्व कांग्रेस सांसद को मौत की सजा देने का आग्रह किया। शिकायतकर्ता ने अपने वकील के माध्यम से विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के समक्ष यह दलील दी, जिन्होंने सज्जन कुमार के खिलाफ सजा की अवधि पर फैसला 25 फरवरी तक सुरक्षित रख लिया। शिकायतकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने अदालत से कहा कि आरोपी भीड़ का नेता था, जिसने नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध और निर्मम हत्याओं के लिए दूसरों को उकसाया। उसे मृत्युदंड की सजा दी जानी चाहिए

वहीं गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को मिली जमानत के खिलाफ दायर एसआईटी की याचिका का गुरुवार को निपटारा कर दिया। हाई कोर्ट ने गौर किया कि मामले में कुमार को दोषी करार दिया गया है। जस्टिस विकास महाजन ने याचिका को निरर्थक माना और इसका निपटारा कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिका के लंबित रहने के दौरान कुमार को मामले में दोषी करार दिया गया और औपचारिक रूप से हिरासत में लिया गया। इसलिए यह याचिका निरर्थक हो गई है।

1984 सिख विरोधी दंगे में सरस्‍वती विहार के मामले में कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार दोषी करार दिए गए है। यह मामला 1 नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है। दिल्ली के सरस्वती विहार में इन दोनों की हत्या कर दी गई थी। उस समय दिल्ली में सिख विरोधी दंगे भड़के हुए थे। इस मामले में दोबारा जांच हुई। जांच के बाद नए सबूत मिले। स्पेशल पीपी ने कोर्ट को इन सबूतों के बारे में बताया।

शपथ लेते ही एक्शन में दिल्ली की सीएम, 24 से शुरू होगा विशेष विधानसभा सत्र, CAG रिपोर्ट होगी पेश

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दिल्ली में 27 साल के बाद बीजेपी सरकार की वापसी हो गई है। दिल्ली में बीजेपी सरकार अस्तित्व में आने के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता एक्शन में हैं। नई सरकार गठन होने के बाद दिल्ली में अब विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है। 24 से 27 फरवरी तक से दिल्ली विधानसभा का सत्र चलेगा। पहले ही सत्र में सरकार कैग रिपोर्ट्स पेश करेगी। जानकारी के अनुसार 27 फरवरी को रिपोर्ट पेश होगी।

इससे पहले गुरूवार को दिल्ली सरकार की पहली कैबिनेट बैठक हुई। गुरुवार रात हुई बैठक में आयुष्मान योजना को मंजूरी दे दी। कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में केंद्र सरकार की लोकप्रिय और जनकल्याणकारी आयुष्मान योजना को लागू किया जाएगा, जिसे आप सरकार ने रोक रखा था। पहली बैठक में कैबिनेट ने इस योजना लागू करने का फैसला किया गया है। इसमें पांच लाख रुपये केंद्र सरकार और पांच लाख रुपये दिल्ली सरकार देगी। केंद्र सरकार की 70 साल की उम्र पूरी कर चुके वरिष्ठ नागरिकों के मुफ्त इलाज की सुविधा अब दिल्लीवालों को मिलेगी। मंजूरी के बाद योजना लागू करने की आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जल्द ही इसका मसौदा सार्वजनिक कर दिया जाएगा।

रेखा गुप्ता के मुताबिक, बैठक में आप सरकार के दौरान आई सीएजी रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई। इसकी 14 रिपोर्ट अभी लंबित हैं। विधानसभा की पहली बैठक में इसे सदन में रखा जाएगा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि उनकी सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है और जल्द ही दिल्ली में बदलाव दिखेंगे। उन्होंने आम आदमी पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा है कि वह अपनी और अपनी पार्टी की चिंता है। हम लोग काम करने के लिए आए हैं और काम करके रहेंगे। उन्होंने फिर दोहराया कि जो हमारा एजेंडा है, उसको पूरा करने के लिए एक भी दिन व्यर्थ नहीं गंवाएंगे।

दिल्ली की नई सरकार ने कैबिनेट की पहली ही बैठक में अपना आगे का एजेंडा लगभग साफ कर दिया है। कैबिनेट की बैठक के पहले दो निर्णयों से साफ है कि एक तरफ बीजेपी ने चुनाव के दौरान जनता से जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करने पर सरकार का फोकस रहेगा और पिछली सरकार के कार्यकाल में जो काम रोके गए थे, उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी के लोगों से वादा किया था कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद पहली विधानसभा सत्र में ही हमारी पार्टी कैग रिपोर्ट पेश करेगी। अब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी सरकार पीएम के उन्हीं वादे पर अमल करती नजर आ रही है। रेखा गुप्ता के नेतृत्व में बनी नई सरकार ने भी गुरुवार को हुई पहली कैबिनेट बैठक में कैग रिपोर्ट पेश करने का फैसला लिया था।

दिल्ली हार के बाद पंजाब के लिए कांग्रेस ने कसी कमर, सबसे पुरानी पार्टी नए चेहरों पर लगाएगी दांव

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देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस लगातार अपना आधार खोती जा रही है। हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के प्रदर्शन से साफ जाहिर हुआ कि कांग्रेस का पुनरुत्थान इस बार भी नहीं हुआ। कांग्रेस के लिए दिल्ली में लगातार तीसरी बार कुछ भी हाथ नहीं लगा है। दरअसल, कांग्रेस के लिए ये नया नहीं है। पिछले कई चुनावों से लगातार कांग्रेस हार का सामना कर रही है। अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को पार्टी को चुनावों में मिली करारी हार के बाद 13 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में नए महासचिवों और प्रभारियों की नियुक्ति करके संगठनात्मक फेरबदल किया। पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के कई सहयोगियों को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की नई टीम में जगह मिली है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पंजाब का नया महासचिव नियुक्त किया गया है, जहां 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद अब पंजाब के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है। 2027 में होने वाले पंजाब चुनाव को लेकर अब खबर यह आ रही है कि पार्टी राज्य की 117 सीटों में से 60-70 पर नए चेहरों को आजमाएगी।कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने गुरुवार को कहा कि राज्य में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी कम से कम 60-70 नये चेहरों पर दांव लगाएगी।

वडिंग ने पंजाब युवा कांग्रेस की राज्य कार्यकारिणी की मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा, पंजाब कांग्रेस 2027 के विधानसभा चुनाव में विधायक के तौर पर राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए कम से कम 60-70 नये चेहरों को मौका देने के लिए दृढ़ है। यह हमारे राजनीतिक नेतृत्व को पुनर्जीवित करने और यह यकीनी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा।

वडिंग ने आगे कहा कि पंजाब के लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व ऐसे नेताओं के ज़रिए किया जाए जो गतिशील, प्रतिबद्ध और राज्य की जरूरतों के मुताबिक हों। उन्होंने कहा,'ये नये चेहरे न सिर्फ बदलाव के प्रतीक होंगे बल्कि युवाओं और पंजाब के आम लोगों के विश्वास, उम्मीदों पर भी खरे उतरेंगे।

जयशंकर ने रूस-चीन के अपने समकक्षों से की मुलाकात, जानें क्या हुई बात

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की दो दिवसीय यात्रा पर जोहानिसबर्ग में हैं।जयशंकर ने बृहस्पतिवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं।भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बीस देशों के समूह (जी-20) के विदेशमंत्रियों की बैठक में वैश्विक भूमिका पर भारत का पक्ष रखा। साथ ही अपने समकक्षों से मुलाकात भी की। एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय हित सबसे पहले है।

जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर जयशंकर ने कई अहम वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान के साथ बातचीत की। इसके अलावा जयशंकर ने सिंगापुर, ब्राजील और इथियोपिया के अपने समकक्षों से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।

जयशंकर ने जी-20 सदस्य देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात के फोटो भी साझा किए। उन्होंने रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि सर्गेई से मिलकर खुशी हुई। इस दौरान भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की निरंतर प्रगति की समीक्षा की। रियाद बैठक सहित यूक्रेन संघर्ष से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की।