अमेरिका के डंकी रूट से अवैध प्रवेश की दर्दनाक कहानियां, जान जोखिम में डालकर गए थे 104 भारतीय
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अमृतसर: अमेरिका में अवैध रूप से गए भारतीयों का पहला जत्था बुधवार को अमृतसर लौटा। 104 भारतीय नागरिकों के इस जत्थे में युवा और बच्चे भी थे। इन सभी को हाथ में हथकड़ी लगाकर वापस भेजा गया, मगर इनके अमेरिका पहुंचने की कहानियां इससे भी अधिक खतरनाक है, जो दिल दहलाने के लिए काफी है।
अमेरिका जाने वाले अवैध प्रवासी एजेंटों के धोखे का हुए शिकार
अमेरिका के लिए डंकी रूट से जाने वाले जान दांव लगाते हैं
जो जंगल या समंदर में मर जाते हैं, उन्हें लावारिस छोड़ देते अमेरिका से भारत भेजे गए अवैध प्रवासियों की दर्दनाक कहानियां
डोनाल्ड ट्रंप के एक आदेश ने डंकी रूट से अमेरिका गए 104 प्रवासियों के सपने चकनाचूर कर दिए। इंडिया वापस भेजे गए अधिकतर भारतीयों ने दलालों की चंगुल में फंसकर अपनी जान को जोखिम में डाला था। इन लोगों ने दलालों को वर्क वीजा के लिए लाखों रुपये दिए, मगर उन्हें धोखा मिला। नतीजा यह रहा कि उन्हें खतरनाक समुद्र में जान की बाजी लगानी पड़ी। घने जंगलों में पैदल चलना पड़ा।
घर छोड़ने के बाद उनके पास वापस लौटने का ऑप्शन नहीं था। जंगलों, पहाड़ों और समंदर के इस दर्दनाक सफर का खौफनाक पल दिल दहलाने वाला था। ऐसे मुसीबत में फंसे लोगों में किसी की तबियत खराब हो जाती थी, उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया।
एजेंट ने लाखों हड़पकर डंकी रूट पर भेजा
पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले हरविंदर सिंह ने यात्रा के दौरान ऐसे कई लाशें देखीं, जो अमेरिका जाने के सपने को पूरा नहीं कर पाए। तहली गांव के हरविंदर को एजेंट ने वर्क परमिट और वीजा दिलाने का वादा किया था। इसके एवज में उन्होंने एजेंट को 42 लाख रुपये दिए थे। जब कानूनी तौर से जाने का दिन आया तो एजेंट ने बताया कि वीजा नहीं मिला है, मगर वह किसी तरह उन्हें अमेरिका पहुंचा देगा। यह एक चूक हरविंदर को भारी पड़ गई।
हरविंदर ने बताया कि उन्हें दिल्ली से कतर भेजा गया, फिर ब्राजील की फ्लाइट में बैठा दिया। इस फ्लाइट में कई लोग ऐसे थे, जिन्हें अमेरिका भेजा जा रहा था। जाने-अनजाने वह अवैध डंकी रूट के जत्थे का हिस्सा बन गए।
मरे हुए साथी को छोड़कर जाना मजबूरी
ब्राजील पहुंचने पर हरविंदर सिंह के जत्थे को टैक्सियों से पहले कोलंबिया, फिर पनामा ले गए। वहां भी संकट खत्म नहीं हुआ। दो दिनों तक उन्हें गधे से यात्रा करनी पड़ी। फिर गरजते समुद्र में चार घंटे की खौफनाक यात्रा करनी पड़ी। एजेंट ने हरविंदर और उनके साथ आए प्रवासियों को छोटी सी नाव में बैठाकर मैक्सिको बॉर्डर की ओर भेज दिया। समंदर की लहरों में उनकी नाव पलट गई और उनके साथ आए एक प्रवासी की मौत हो गई।
बेरहम एजेंट ने उसकी लाश को वहीं छोड़ने को कहा और जत्था आगे बढ़ गया। उनके साथ चल रहे एक व्यक्ति ने पनामा के जंगल में पैदल चलने के दौरान दम तोड़ दिया। उसकी लाश को छोड़कर जत्था आगे बढ़ता रहा। इस पूरे रास्ते में उन्हें खाने के लिए चावल ही मिला, जिसने उन्हें जिंदा रखा।
14 दिनों तक नहीं दिखी सूरज की रोशनी
दारापुर गांव के सुखपाल सिंह की अमेरिका यात्रा इससे भी अधिक खतरनाक रही। सुखपाल को समुद्री रास्ते से 15 घंटे की यात्रा करनी पड़ी। वह गहरी-दुर्गम घाटियों से घिरी पहाड़ियों से 40-45 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। उन्होंने बताया कि अगर सफर के दौरान कोई घायल हो जाता, तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता। उन्होंने भी जंगलों और पहाड़ों में कई शव देखे।
अमेरिका में एंट्री से पहले उन्हें 14 दिनों तक अंधेरी कोठरी में रखा गया। इस 14 दिनों तक वह सूरज तो दूर, रोशनी नहीं देखी। सुखपाल सिंह ने बताया कि अपनी यात्रा में उन्होंने हजारों लड़कों, परिवार और बच्चों को देखा, जो अमेरिका जाने की जिद में अपनी जान दांव पर लगा रहे थे। उन्हें मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में भेजा जा रहा था, मगर वह कदम रखते ही गिरफ्तार हो गए।
परिवार के साथ भी लोग खतरे के सफर पर
बुधवार को भारत लौटे जसपाल सिंह ने भी अमेरिका जाने के लिए 30 लाख रुपये एजेंट को दिए थे, मगर उनके साथ धोखा हुआ। फतेहगढ़ साहिब के जसविंदर सिंह को विदेश भेजने के लिए परिवार ने 50 लाख रुपए खर्च किए। कपूरथला के गुरप्रीत सिंह ने अमेरिका जाने के लिए अपना घर गिरवी रख दिया और पैसे उधार लिए। अमेरिका से लौटाए गए 104 अवैध प्रवासियों में 33 लोग हरियाणा और 33 गुजरात के हैं।
पंजाब के 30 और महाराष्ट्र-यूपी के दो-दो प्रवासी भी शामिल हैं। इन लोगों ने कर्ज लेकर एजेंटों को पैसे दिए थे। अब वे भारी कर्ज में डूबे हुए हैं। निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच और सात साल की दो लड़कियां शामिल हैं।
Feb 08 2025, 12:38