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एयरो इंडिया शो के लिए बेंगलुरु में बड़ा प्रतिबंध: 13 किमी दायरे में मीट की दुकानें और नॉनवेज पर रोक

बेंगलुरु:- बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर 23 जनवरी से 17 फरवरी तक येलहंका वायुसेना स्टेशन के 13 किलोमीटर के दायरे में मांस की दुकानों और मांसाहारी भोजनालयों को बंद करने का आदेश दिया है। बीबीएमपी ने कहा कि यह कदम 10 से 14 फरवरी तक होने वाले एयरो इंडिया शो के लिए एहतियात के तौर पर उठाया गया है।

क्यों उठाया कदम?

बीबीएमपी सूत्रों ने बताया कि यह कदम मुख्य रूप से अभ्यास सत्र और कार्यक्रम के दौरान विमानों से पक्षियों के टकराने को रोकने के लिए उठाया गया है। येलहंका जोन के संयुक्त आयुक्त कार्यालय की ओर से 17 जनवरी को जारी किए गए नोटिस के अनुसार, निर्दिष्ट क्षेत्र में मांस से संबंधित सभी प्रतिष्ठान 23 जनवरी से 17 फरवरी तक बंद रहेंगे।

मांसाहारी व्यंजन परोसने या बेचने पर बैन

इसमें इस अवधि के दौरान मांसाहारी व्यंजन परोसने या बेचने पर प्रतिबंध शामिल है। बीबीएमपी ने चेतावनी दी है कि इस आदेश का उल्लंघन करने पर बीबीएमपी अधिनियम 2020 और भारतीय विमान नियम 1937, नियम 91 के तहत दंड लगाया जाएगा। 

एयरो इंडिया 2025, एक द्विवार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें अत्याधुनिक एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ सैन्य और अन्य विमानों की एक विविध श्रृंखला का प्रदर्शन किया जाएगा।

एयरफोर्स स्टेशन येलहंका में होगा आयोजन

एशिया का सबसे बड़ा एयरो शो ‘एयरो इंडिया-2025’ 10 फरवरी से कर्नाटक के बेंगलुरु में एयरफोर्स स्टेशन येलहंका में शुरू होगा। यह 14 फरवरी तक चलेगा। 

इस बार एयरो इंडिया का यह 15वां संस्करण है। 'द रनवे टू अ बिलियन अपॉर्च्युनिटीज' थीम के साथ यह कार्यक्रम विदेशी और भारतीय कंपनियों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने और स्वदेशीकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन में नए अवसर ढूंढने का मंच देगा।

आज पुण्यतिथि पर विशेष : मधुशाला के रचयिता हरिवंश राय बच्चन जिन्होंने शराब नहीं पी, लेकिन लिख डाली अमर कृति


मुंबई : मधुशाला जैसी अमर कृति लिखने वाले हरिवंश राय बच्चन स्वयं शराब नहीं पीते थे। मधुशाला में उनकी स्वलिखित भूमिका में वह इसकी पुष्टि करते हैं। कहते हैं कि मैं तो क्या मेरे खानदान में मांस-मदिरा वर्जित है। हम अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ हैं। अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ कैसे बने, इसका रोचक इतिहास है। इसके लिए हमें मधुशाला के साथ ही सुल्तानपुर गजेटियर पर नजर डालनी होगी।

सुल्तानपुर गजेटियर के मुताबिक, तेरहवीं शताब्दी में सुल्तानपुर के शासक राय जगत सिहं कायस्थ थे। उस समय अवध और आसपास के जनपदों के शासक दिल्ली सल्तनत के अधीन थे। उसी समय बस्ती जिले में एक रियासत थी अमोढ़ा। वहां के शासक एक पांडेय जी थे। उनके कोई पुत्र नहीं था। एक कन्या थी, जो अत्यंत रूपवती थी। उधर, गोरखपुर जनपद का शासक एक डोम था।

 उसने अमोढ़ा के पंडित जी को संदेश भेजा कि वह उनकी कन्या से विवाह करेगा और तिथि निश्चित करते हुए बताया कि उस दिन बारात लेकर आएगा। पंडित जी की रियासत छोटी थी। डोम शासक की रियासत काफी बड़ी थी। वह काफी शक्ति संपन्न था। पंडित जी उसकी सेना से मुकाबला करते तो निश्चित रूप से हार जाते।

काफी सोच विचार के बाद पंडित जी ने सुल्तानपुर के शासक राय जगतसिंह कायस्थ को अपनी व्यथा लिख भेजी।.

जगत सिहं ने उन्हें संदेश दिया कि डोम राजा को बारात लेकर आने दीजिए। उससे मैं निपट लूंगा। डोम राजा निश्चित तिथि पर अपनी सेना के साथ बारात लेकर चला, लेकिन वह अमोढ़ा पहुंचता, इसके पहले ही जगत सिंह और उनकी सेना ने उसका रास्ता रोक लिया। जगत सिंह ने डोम राजा को युद्ध में पराजित कर दिया। वह मारा गया। इसके बाद जगत सिहं अमोढ़ा पहुंचे। अमोढ़ा के पंडित जी ने जगत सिंह को गले से लगाते हुए उन्हें अपना जनेऊ पहना दिया और कहा कि आज से आप मेरे वारिस हैं। आप अमोढ़ा के भी शासक हैं। अब आप कायस्थ नहीं ब्राह्मण हैं। इसके बाद से जगत सिहं सुल्तानपुर और अमोढ़ा दोनों रियासतों के स्वामी हो गए। 

पांडे जी के वचन के अनुरूप उन्होंने खुद को उनका उत्तराधिकारी मानते हुए मांस-मदिरा को छोड़ दिया। उनके वंशज अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ कहे जाने लगे, जिनके खानदान में यह कहा जाता था कि यदि कोई शराब और मांस का सेवन करेगा तो उसे कुष्ठरोग हो जाएगा।

जब बच्चन जी ने मधुशाला उमर लिखी तो लोग समझते थे कि वह भयंकर दारूबाज होंगे, लेकिन बच्चन जी कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाते थे। अंत में उन्होंने मधुशाला की भूमिका में यह लिख कर स्पष्ट किया कि वह शराब नहीं पीते हैं। उनके खानदान में शराब और मांस का सेवन वर्जित है, क्योंकि वह अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ हैं। अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ उत्तर प्रदेश के अवध इलाके के प्रतापगढ़ के बाबूपट्टी और अगल-बगल के गांवों में रहते हैं।

 प्रतापगढ़ सुल्तानपुर से मिला हुआ है और बाबूपट्टी के कुछ किमी की दूरी के बाद ही सुल्तानपुर जिले की सीमा शुरू हो जाती है। राय जगत सिहं के वंशज बस्ती, सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ में अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ के नाम से जाने जाते हैं।

आज का इतिहास:1951 में आज ही के दिन झूठ पकड़ने वाली मशीन का पहली बार हुआ था इस्तेमाल

नयी दिल्ली : 18 जनवरी का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 1951 में आज ही के दिन झूठ पकड़ने वाली मशीन का नीदरलैंड में पहली बार इस्तेमाल हुआ था। 

1930 में 18 जनवरी के दिन ही महान लेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम की यात्रा की थी।

2009 में आज ही के दिन ‘बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन’ ने सौरव गांगुली को सोने के बैट से सम्मानित किया था।

2006 में 18 जनवरी के दिन ही इच्छा मृत्यु पर संयुक्त राज्य अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई थी।

2004 में आज ही के दिन क्रिकेट की वनडे सीरीज में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 19 रनों से हराया था।

1997 में 18 जनवरी के दिन ही ‘नफीसा जोसेफ़’ ‘मिस इंडिया’ बनीं थीं।

1995 में आज ही के दिन याहू डॉट कॉम का डोमेन बनाया गया था।

1974 में 18 जनवरी के दिन ही मिस्र एवं इजरायल ने हथियारों का समझौता किया था।

1963 में आज ही के दिन पूर्वी कजाखस्तान में तत्कालीन सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया था।

1963 में 18 जनवरी के दिन ही यूरोपीय साझा बाज़ार से ब्रिटेन को अलग करने की फ्रांस ने वकालत की थी।

1962 में आज ही के दिन अमेरिका ने नेवादा में न्यूक्लियर टेस्ट किया था।

1960 में 18 जनवरी के दिन ही जापान तथा अमेरिका ने संयुक्त रक्षा समझौता किया था।

1959 में आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सहयोगी मीरा बेन (मैडलिन स्लैड) ने भारत छोड़ा था।

1951 में आज ही के दिन झूठ पकड़ने वाली मशीन का नीदरलैंड में पहली बार इस्तेमाल हुआ था।

1930 में 18 जनवरी के दिन ही महान लेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम की यात्रा की थी।

1919 में आज ही के दिन आलिशान गाड़िया बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी ‘बेंटले मोटर्स लिमिटेड’ की स्थापना हुई थी।

1896 में 18 जनवरी के दिन ही ‘एक्सरे मशीन’ का पहला प्रदर्शन किया गया था।

1862 में आज ही के दिन अमेरिकी में एरिजोना परिसंघ क्षेत्र का गठन किया था।

1778 में 18 जनवरी के दिन ही ‘हवाई द्वीपसमूह’ की खोज करने वाले जेम्स कुक पहले यूरोपियन बने थे।

18 जनवरी को जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1985 में आज ही के दिन बालीवुड अभिनेत्री मिनिषा लांबा का जन्म हुआ था।

1978 में 18 जनवरी के दिन ही भारत की सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाड़ी अपर्णा पोपट का जन्म हुआ था।

1972 में आज ही के दिन क्रिकेट खिलाड़ी विनोद काम्बली का जन्म हुआ था।

1927 में 18 जनवरी के दिन ही वीणा वादक सुन्दरम बालचंद्रन का जन्म हुआ था।

1842 में आज ही के दिन महाराष्ट्र के महान विद्वानसमाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे का जन्म हुआ था।

1782 में 18 जनवरी के दिन ही अमेरिकी राजनेता डेनियल वेब्सटर का जन्म हुआ था।

18 जनवरी को हुए निधन

2013 में आज ही के दिन भारतीय सिनेमा की जानीमानी अभिनेत्री दुलारी का निधन हुआ था।

2003 में 18 जनवरी के दिन ही मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता और हिंदी भाषा के प्रसिद्ध लेखक और कवि हरिवंशराय बच्चन

का निधन हुआ।

1996 में आज ही के दिन अभिनेता और राजनीतिज्ञ एन. टी. रामाराव का निधन हुआ था।

1966 में 18 जनवरी के दिन ही भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ बद्रीनाथ प्रसाद का निधन हुआ था।

1963 में आज ही के दिन उड़ीसा के सार्वजनिक कार्यकर्ता और समाजसेवी लक्ष्मी नारायण साहू का निधन हुआ था।

1955 में 18 जनवरी के दिन ही उर्दू के प्रसिद्ध कवि और लेखक सदात हसन मंटो का निधन हुआ था।

1947 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता और गायक कुंदन लाल सहगल का निधन हुआ था।

पुण्यतिथि विशेष: तपन सिन्हा: सामाजिक सरोकार और सिनेमा का अद्वितीय संगम

कोलकाता :- बंगाल के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक तपन सिन्हा का नाम भारत के महान निर्देशकों पर चर्चा करते समय अक्सर छूट जाता है, लेकिन सामाजिक और जमीनी मुद्दों से जुड़ाव और दर्शकों की बड़ी तादाद पर फिल्मों के ज़रिए असर डालने के लिहाज़ से वो एक बहुत बड़े और महत्वपूर्ण फिल्मकार रहे हैं। 

उनके जन्म शताब्दी वर्ष में उनकी फिल्मों और उनके अमिट प्रभाव को फिर से देखने, समझने के मकसद से ओम बुक्स इंटरनेशनल, कुंज़म बुक्स और ब्लू पेंसिल के साथ मिलकर न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन ने बुधवार, 13 मार्च की शाम एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया। 

इसमें तपन सिन्हा की 1963 की अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त प्रसिद्ध फिल्म ‘निर्जन शइकते’ की स्क्रीनिंग की गई। इससे पहले तपन सिन्हा, उनकी फिल्मों और बंगाली सिनेमा के सुनहरे दौर पर एक चर्चा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें इस फिल्म में अभिनय कर चुकीं प्रसिद्ध अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने भी हिस्सा लिया। 

तपन सिन्हा के साथ काम करने के अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए शर्मिला टैगोर ने उन्हे एक विलक्षण दृष्टि और प्रतिभा वाला निर्देशक बताया और कहा कि उन्हे ज़मीनी मुद्दों की गहरी जानकारी और समझ के साथ साथ उसे फिल्म के रुप में बदलने का कलात्मक हुनर था। 

चर्चा के अंत में उन्होने दर्शकों से भी संवाद किया और दर्शकों की ओर से आए ऐसे दिलचस्प सवालों का जवाब भी दिया कि आपकी फेवरिट अमर प्रेम है या कश्मीर की कली...।

 शर्मिला टैगोर के साथ विशेष चर्चा में शामिल हुए कोलकाता से आए लेखक-आलोचक अमिताव नाग जो प्रतिष्ठित फिल्म पत्रिका सिल्हुएट के संपादक हैं और शांतनु राय चौधरी जो ओम बुक्स इंटरनेशनल के एडिटर इन चीफ हैं। अमिताव नाग ने तपन सिन्हा के ऊपर एक महत्वपूर्ण किताब ‘द सिनेमा ऑफ तपन सिन्हा, एन इंट्रोडक्शन’ लिखी है जो तपन सिन्हा के सिनेमा और भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण स्थान के बारे में जानकारी देती है। 

शांतनु और अमिताव ने तपन सिन्हा के सिनेमा के ज़रिए सत्तर के दशक के बंगाली सिनेमा में सामाजिक प्रतिबद्धता पर रोशनी डाली।

तपन सिन्हा ने बांग्ला के साथ-साथ हिंदी में भी सगीना(1974), सफेद हाथी (1977), आदमी और औरत (1982) और एक डॉक्टर की मौत (1991) जैसी फिल्में बनाई थीं, जो प्रशंसित और व्यापक रूप से सराही गईं। 1968 में बनायी उनकी फिल्म आपन जन एक राजनीतिक प्रतीकात्मक फिल्म थी, जिसको हिंदी में मेरे अपने नाम से बनाकर गीतकार गुलज़ार ने अपनी निर्देशकीय पारी की शुरुआत की थी। 

1960 में टैगोर की ही कहानी पर बनायी फिल्म 'खुधित पाषान' को गुलज़ार ने रुपांतरित कर 1990 में 'लेकिन' नाम से फिल्म बनायी थी। 1968 में बनायी उनकी फिल्म 'गल्प होलेउ सत्यि' को हिंदी में हृषिकेश मुखर्जी ने 'बावर्ची' (1972) के नाम से बनाया।

कार्यक्रम के अंत में न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन की ओर से आशीष के सिंह ने बताया कि ‘सिनेमा ऑफ इंडिया’ भारत के महान फिल्मकारों के सिनेमा को देखने, समझने, सराहने के साथ-साथ नई पीढ़ी के फिल्मकारों के काम को देखने-दिखाने और सपोर्ट करने, आगे बढ़ाने की एक मुहिम है। तपन सिन्हा की फिल्मों पर आयोजन इसी का एक हिस्सा है। ‘सिनेमा ऑफ इंडिया’ कैंपेन के तहत अच्छे सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन इस साल और भी कई सार्थक कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है।

केरल का युवक यूक्रेन युद्ध में शहीद, परिवार को भारतीय दूतावास ने दी जानकारी


त्रिशूर: रूस और यूक्रेन की जंग में एक भारतीय नागरिक मारा गया है. खबर के मुताबिक, केरल के त्रिशूर के रहने वाले बिनिल नाम के शख्स की युद्ध के मैदान में गोली लगने से मौत हो गई.

वह रूसी भाड़े के सैनिकों के समूह का सदस्य था. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, युवक वहां (रूस-यूक्रेन जंग) जाकर फंस गया था. भारतीय दूतावास ने इसकी पुष्टि की है.

भारतीय दूतावास के मुताबिक, केरल के कुट्टानेल्लूर के युवक बिनिल की यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने के क्रम में युद्ध के मैदान में गोली लगने से मौत हुई. दूतावास ने बिनिल के परिवार को इसकी आधिकारिक सूचना दे दी है.

इस बीच, त्रिशूर के कुरनचेरी के मूल निवासी एक अन्य मलयाली जयन, जो रूसी भाड़े के सैनिकों के समूह में भी फंस गया था, यूक्रेन में घायल होने के बाद रूस की राजधानी मास्को पहुंच गया है. जयन यूक्रेन में युद्ध के मैदान में एक शेल हमले में घायल हो गया था और कुछ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती था. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, वह दो दिन पहले मास्को के एक अस्पताल में पहुंचा था.

जयन ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए अपने परिवार को मॉस्को पहुंचने की जानकारी दी. उसने संदेश में उल्लेख किया कि उसके पेट में दर्द की सर्जरी हुई है और वह जल्द ही ठीक हो जाएगा. बिनिल और जयन, अन्य लोगों के साथ चालाकुडी में एक एजेंट के माध्यम से रूस गए थे.

उन्हें इलेक्ट्रीशियन के तौर पर नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन एक मलयाली एजेंट के बहकावे में आकर जयन और बिनिल दोनों भाड़े के सैनिकों के समूह में शामिल हो गए. उनके साथ थ्रिक्कुर का रहने वाला संदीप 18 अगस्त 2024 को रूस-यूक्रेन जंग में युद्ध में मारा गया था.

बिनिल और जयन ने एक वीडियो के जरिए मदद की गुहार लगाई थी. उन्होंने कहा था कि, उनकी घर वापसी कराई जाए. जवाब में ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख बेसिलियोस मार्थोमा मैथ्यूज III ने तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया और रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव को एक याचिका सौंपी थी।

भारत 2026 में 28वें सीएसपीओसी की मेजबानी करेगा: ओम बिरला


नयी दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को ग्वेर्नसे में राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (सीएसपीओसी) की स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता की।

इस दौरान उन्होंने संसद के कामकाज में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और सोशल मीडिया के इस्तेमाल की जोरदार वकालत की। 

उन्होंने कहा कि भारत अगले साल 28वें सीएसपीओसी की मेजबानी करेगा।

इंदौर में लव जिहाद का बड़ा खुलासा: सोहेल ने सोनू बनकर 100 से ज्यादा लड़कियों को फंसाया

इंदौर:- हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार दोपहर सोहेल खान नामक युवक को पकड़ा।मूलत: मनावर निवासी सोहेल पर लव जिहाद का आरोप लगाया है। सोहेल के फोन में हिंदू युवतियों से चैटिंग मिली है।आरोपित सस्ते दामों पर मोबाइल और एसेसरीज देने का प्रलोभन देता था।

असली नाम जान चौंक गई लड़की

पदाधिकारियों के मुताबिक सोहेल मारवाड़ी को खंडवा रोड़ स्थित एक कैफे से पकड़ा गया है। वह कॉलेज छात्रा के साथ आया था। युवती से पूछने पर कहा सोहेल ने उसे सोनू मारवाड़ी नाम बताया था। वास्तविकता बताने पर युवती भी चौक गई। मौके पर समाजजन को बुलाया और युवती को समझाइस दी।

फोन में 100 लड़कियों के नंबर, देता था झांसा

सोहेल का फोन चेक करने पर करीब 100 युवतियों के नंबर मिलें, जिसमें ज्यादातर कॉलेज छात्राएं थी। आरोपित उनसे चैटिंग करता था। सोनू नाम बताकर उन्हें फोन और एसेसरीज दिलवाने का झांसा देता था। पुलिस ने युवती से बात की लेकिन उसने रिपोर्ट करने से मना कर दिया। पुलिस सोहेल के विरुद्ध प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर रही है।

देश की धीमी ग्रोथ रेट पर सरकार गंभीर, रोजगार बढ़ाने के उपायों पर बजट में हो सकती है नई घोषणा


नई दिल्ली:- चालू वित्त वर्ष 2024-25 में धीमी विकास के अनुमान को देखते हुए आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में रोजगार और खपत बढ़ाना सरकार की प्रमुखता होगी। रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार मैन्यूफैक्चरिंग को और प्रोत्साहित करने के उपायों की घोषणा कर सकती है। 

वहीं खपत बढ़ाने के उद्देश्य से मनरेगा के तर्ज पर शहरी इलाकों के लिए किसी स्कीम की घोषणा हो सकती है।सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विकास दर मात्र 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो चार साल में सबसे कम विकास दर होगी। पिछले तीन सालों से विकास की औसत दर आठ प्रतिशत रही है। जानकार चालू वित्त वर्ष में विकास दर कम रहने के लिए मुख्य रूप से पूंजीगत खर्च में कमी के साथ मैन्यूफैक्चरिंग के कमजोर प्रदर्शन को जिम्मेदार बता रहे हैं।

चार साल में इस वित्त वर्ष में सबसे कम रहा पूंजीगत खर्च

पिछले चार सालों के दौरान चालू वित्त वर्ष में केंद्र व राज्य दोनों का सबसे कम पूंजीगत खर्च रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 17 बड़े राज्यों में सिर्फ पांच राज्यों ने पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में पूंजीगत व्यय के मद में अधिक खर्च किए हैं। चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में पूंजीगत खर्च के मद में 11.11 लाख करोड़ का आवंटन किया गया था और नवंबर तक आवंटित राशि का 60 प्रतिशत भी खर्च नहीं हो सका है।

आगामी बजट में कौनसी स्कीम की हो सकती है घोषणा?

बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सब्नविस के मुताबिक आगामी बजट में पूंजीगत खर्च के मद में आवंटन चालू वित्त वर्ष के आसपास ही रहेगा। लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए जिन रोजगारपरक सेक्टर को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें आगामी बजट में पीएलआई स्कीम में शामिल करने की घोषणा हो सकती है।

मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए सरकार करेगी ये उपाय

जानकारों का कहना है कि मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए बजट में निर्यात पर विशेष फोकस किया जा सकता है। खासकर मौजूदा हालात में जिन सेक्टर में अमेरिका में निर्यात बढ़ाने की संभावना है, उन्हें भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। इनमें लेदर उत्पाद, अपैरल, केमिकल्स जैसे कुछ सेक्टर शामिल हैं।जैविक उत्पाद के 147 अरब डॉलर के निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी तीन प्रतिशत से भी कम है। जैविक उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए भी सरकार बजट में किसानों के लिए स्कीम ला सकती है।

सर्विस सेक्टर करेगा उम्दा प्रदर्शन

औद्योगिक संगठनों का कहना है कि शहरी इलाके में खपत की रफ्तार धीमी हो गई है। शहरी इलाके के खपत में बढ़ोतरी के लिए सरकार मनरेगा के तर्ज पर स्कीम की घोषणा कर सकती है। चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ सबसे उम्दा प्रदर्शन सर्विस सेक्टर के रहने का अनुमान है जबकि गत वित्त वर्ष 2023-24 में सर्विस सेक्टर की बढ़ोतरी दर 7.6 प्रतिशत थी।

केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा! महंगाई भत्ता 56 फीसदी तक पहुंच सकता है


नई दिल्ली:- साल 2025 की शुरुआत के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक और बड़ी खुशखबरी आ सकती है. महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी की संभावना है. AICPI इंडेक्स के अक्टूबर 2024 तक के आंकड़े सामने आ गए हैं और इनके आधार पर DA 56 फीसदी तक पहुंच सकता है. मतलब कुल मिलाकर इसमें 3 फीसदी का उछाल देखने को मिल सकता है. हालांकि, नवंबर और दिसंबर 2024 के आंकड़ों का इंतजार है, लेकिन नया महंगाई भत्ता 1 जनवरी 2025 से लागू होने की उम्मीद है।

कैसे तय होता है DA?

महंगाई भत्ता AICPI (ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) के आधार पर तय होता है. यह इंडेक्स हर महीने जारी होता है और 6 महीने (जुलाई-दिसंबर) के औसत के आधार पर महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की जाती है.

सितंबर 2024- 143.3 अंक

अक्टूबर 2024- 144.5 अंक

इन आंकड़ों के मुताबिक DA 55 फीसदी को पार कर गया है. नवंबर और दिसंबर के आंकड़े अभी आने बाकी हैं. नवंबर के आंकड़े 31 दिसंबर तक जारी हो जाने चाहिए थे, लेकिन इसमें देरी हो गई. अब दिसंबर के आंकड़े 31 जनवरी तक आएंगे. उम्मीद है कि नवंबर और दिसंबर के आंकड़े एक साथ जारी किए जा सकते हैं.

56 फीसदी DA का वेतन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

महंगाई भत्ते में हर 1 फीसदी की बढ़ोतरी का कर्मचारियों के मासिक वेतन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है.

मूल वेतन- 18,000 रुपये

53 फीसदी DA- 9,540 रुपये

56 फीसदी DA- 10,080 रुपये

लाभ- 540 रुपये प्रति माह

इसरो को मिला नया प्रमुख: डॉ. वी. नारायणन 14 जनवरी को संभालेंगे कमान


नई दिल्ली:- रॉकेट वैज्ञानिक वी नारायणन को मंगलवार को अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया गया. वह एस सोमनाथ का स्थान लेंगे सोमनाथ का कार्यकाल अगले सप्ताह पूरा होगा. इस संबंध में एक आधिकारिक आदेश जारी कर दिया गया है.

डॉ. नारायणन को अगले अक्ष्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है. वह 14 जनवरी को पदभार संभालेंगे. डॉ. नारायणन वर्तमान में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर के निदेशक हैं. डॉ. नारायणन इसरो के बड़े वैज्ञानिक हैं. 

इसरो के साथ उनका लंबा करियर रहा है. उन्होंने करीब 4 दशकों तक इसरो में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है. रॉकेट और अंतरिक्ष यान के क्षेत्र में उन्हें महारथ हासिल है. वह दो साल की अवधि के लिए या अगले आदेश तक इस पद पर रहेंगे.

बता दें कि अंतरिक्ष विभाग के सचिव भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष का प्रभार भी संभालते हैं. सोमनाथ ने 14 जनवरी, 2022 को तीन साल के कार्यकाल के लिए अंतरिक्ष विभाग के सचिव का पदभार संभाला था.

डॉ. नारायणन जीएसएलवी एमके 3 (GSLV Mk III) यान के सी-25 क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के परियोजना निदेशक थे. उनके नेतृत्व में, टीम ने जीएसएलवी एमके 3 के एक महत्वपूर्ण घटक सी-25 स्टेज को सफलतापूर्वक विकसित किया. नारायणन रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणोदन विशेषज्ञ हैं. 

वह 1984 में इसरो में शामिल हुए और केंद्र के निदेशक बनने से पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया.

शुरुआती चरण के दौरान साढ़े चार साल तक उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में साउंडिंग रॉकेट और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (एएसएलवी) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया. 

1989 में उन्होंने आईआईटी-खड़गपुर में प्रथम रैंक के साथ क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक पूरा किया और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) में क्रायोजेनिक प्रोपल्शन क्षेत्र में शामिल हो गए।