*8वें वेतन आयोग की मंजूरी का दांव, दिल्ली विधानसभा चुनाव पर कितना होगा असर?
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दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है। एक तरफ आम आदमी पार्टी तीसरी बार सत्ता वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। वहीं, बीजेपी 26 साल के सियासी सूखे को खत्म करने की जद्दोजहद में है। इस सियासी तपिश के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को साधने के लिए बड़ा दांव चला है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को अपनी मंजूरी दे दी। नए वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशों के आने के बाद सरकारी कर्मचारियों तथा पेशनरों को वेतन में सीधा लाभ मिलेगा। इसे दिल्ली चुनाव के लिए पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, क्योंकि दिल्ली में लाखों की संख्या में सरकारी कर्मचारी हैं और यहां की सियासत में अहम भूमिका भी तय करते हैं?
7वें वेतन आयोग का गठन 2016 में किया गया था और इसकी अवधि 2026 में समाप्त हो रही है। दिल्ली में 5 फरवरी को चुनाव होने वाला है। दिल्ली चुनाव के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और पेंशनभोगियों के भत्तों में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया है। ऐसे में केंद्र के इस फैसले को चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार ने बीजेपी के लिए काफी अहम माने जा रहे चुनाव से पहले बड़ा फैसला लिया है। जानकारों के अनुसार दिल्ली में केंद्रीय कर्मचारियों की अच्छी खासी संख्या है। ऐसे में इस घोषणा से पार्टी चुनाव में निश्चित रूप से इस घोषणा के वोट में बदलने की उम्मीद लगा रही है।
केवल दिल्ली में 4 लाभ से ज्यादा कर्मचारियों पर निगाहें
आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशें स्वीकार होने पर लगभग 49 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों के वेतन पर इसका सीधा असर पड़ेगा। एक आंकड़े के मुताबिक, अकेले दिल्ली में रक्षा और दिल्ली सरकार के कर्मचारियों सहित लगभग 4 लाख ऐसे कर्मचारी है, जिन्हें सीधे तौर पर इसका फायदा मिलेगा। राष्ट्रीय राजधानी में नई दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), पुलिस और डिफेंस के साथ ही लॉ एंड ऑर्डर सहित कई ऐसे डिपार्टमेंट हैं, जो केंद्र सरकार के अंतर्गत हैं। आठवां वेतन आयोग लागू होने के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है।
दिल्ली की तीन विधानसभा काफी अहम
केंद्रीय कर्मचारियों के लिहाज से दिल्ली की तीन विधानसभा काफी अहम है। इसमें नई दिल्ली, दिल्ली कैंट और आरके पुरम सीट शामिल हैं। इन इलाकों में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के अलग-अलग कर्मचारी रहते हैं। सरकारी कर्मचारी वाली ज्यादातर सीटों पर आम आदमी पार्टी का ही कब्जा है। उदाहरण के तौर पर 2024 के लोकसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न को देखें तो नई दिल्ली लोकसभा सीट के तहत 10 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से पांच सीटों पर सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में रहते हैं। बीजेपी ने नई दिल्ली लोकसभा सीट जरूर जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन सरकारी कर्मचारियों वाली नई दिल्ली, दिल्ली कैंट और आरके पुरम जैसी अहम सीट पर आम आदमी पार्टी से पिछड़ गई थी।
बीजेपी ने बदली अपनी रणनीति
बीजेपी ने इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति बदली है। बीजेपी ने दिल्ली के मतदाताओं को सिर्फ एक प्लेटफार्म से नहीं लुभा रही है बल्कि इसके लिए अलग-अलग रणनीति भी तैयार की है। विभिन्न वर्गों के बीच कौन से केंद्रीय मंत्री और बीजेपी शासित राज्य के मुख्यमंत्री पहुंचेंगे, इसका अलग से खाका तैयार किया गया है। हर विधानसभा क्षेत्र में किसी बड़े नेता के नेतृत्व में एक समूह तैयार किया गया। इसी तर्ज पर बीजेपी ने दिल्ली के रह रहे केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को साधने के लिए रणनीति बनाई है। मोदी सरकार के द्वारा आठवें वेतन आयोग की घोषणा, इसी दिशा में एक कदम बताया जा रहा है।
क्या खत्म होगा बीजेपी का वनवास?
दिल्ली की सियासत में बीजेपी सिर्फ एक बार ही सत्ता पर विराजमान हो सकी है और पिछले 27 साल से वनवास झेल रही है। बीजेपी सिर्फ 1993 में ही दिल्ली को फतह करने में कामयाब रही थी. 1998 में उसके हाथों से सत्ता चली गई तो फिर वापसी नहीं हो सकी। पहले 15 साल तक शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस के सामने खड़ी नहीं हो सकी। शीला दीक्षित के बाद से 11 साल से आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के आगे पस्त नजर आई है। बीजेपी 2025 में होने वाले विधानसभा में हर हाल में दिल्ली में कमल खिलाना चाहती है, जिसके लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।
Jan 18 2025, 09:50