मंत्री केदार कश्यप की अध्यक्षता में जल संसाधन विभाग की बैठक संपन्न, अधिकारियों को दिए ये जरूरी दिशा-निर्देश
रायपुर- जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने आज नवा रायपुर स्थित मंत्रालय महानदी भवन में जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर विभागीय कार्यों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति मिलते ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू करने की सख्त हिदायत दी। मंत्री कश्यप ने बैठक में सभी मुख्य अभियंताओं को यह सुनिश्चित करने को कहा कि प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद समय सीमा के भीतर टेंडर लग जाना चाहिए। इसमें किसी भी तरह की लेट लतीफी व लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में स्वीकृत कार्यों की निविदा की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि समस्त स्वीकृत कार्यों की निविदा प्रक्रिया को पूर्व बैठक में दिए गए निर्देश के अनुरूप लक्ष्य लेकर कार्य करें। मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि 31 दिसंबर 2024 तक के निविदा कार्य आदेशों को आचार संहिता के पूर्व संपन्न किया जाए साथ ही समय-समय पर कार्यों से अवगत कराने के निर्देश उन्होंने अधिकारियों को दिए हैं।
पुनरक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त नहीं हो पाने के कारण लंबे समय से अपूर्ण योजनाओं को स्वीकृति हेतु मंत्री परिषद से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव तत्काल शासन को प्रस्तुत करने का कहा है ताकि समय में योजनाओं को स्वीकृति प्राप्त कर संबंधित कार्यों को पूर्ण किया जा सके।
वाटर लिंकिंग योजना पर गंभीरता से कार्य करने के निर्देश
मंत्री केदार कश्यप ने नदी जोड़ो अभियान को लेकर कहा कि यह केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। महानदी से इंद्रावती नदी को जोड़ने वाली परियोजना को गोदावरी कावेरी लिंक परियोजना में शामिल करने के लिए NWDA को प्रस्ताव भेजे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि बांध सुरक्षा अधिनियम से संबंधित कार्यों एवं भूजल स्मार्ट मीटर लगाने हेतु EOI बुलाने का कार्य अतिशीघ्र प्रारंभ करें। बैठक में मंत्री केदार कश्यप ने सिकासर बांध से कोडार बांध को जोड़ने के कार्य सर्वेक्षण एक माह के भीतर पूर्ण करने हेतु डीपीआर शासन को प्रेषित करने का निर्देश दिया है।
जगदलपुर में जल्द खुलेगा मुख्य अभियंता कार्यालय
जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप के प्रयासों से बस्तरवासियों को मुख्य अभियंता कार्यालय प्राप्त होगा। अधिकारियों ने बताया कि जगदलपुर में मुख्य अभियंता कार्यालय हेतु वित्त विभाग से अनुमोदन हो चुका है। तत्काल आवश्यक औपचारिकता पूर्ण कर कार्यालय प्रारंभ किया जाएगा।
नई भर्ती की प्रक्रिया जल्द पूरी होगी
जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप के निर्देश पर राज्य जल सूचना केंद्र के लिए 22 पदों की सहमति वित्त विभाग से प्राप्त हो चुकी है। समस्त औपचारिकता पूर्ण कर कार्यालय प्रारंभ किया जाएगा। इस अवसर पर जल संसाधन सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो, प्रमुख अभियंता इंद्रजीत उइके, मुख्य अभियंता एस. व्ही. भागवत, के.एस. गुरूवर, एस.के. टिकम, डी.के. उमेरकर, आर.के. इंदवार सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
Jan 08 2025, 08:15
हालांकि, निलंबन या प्रतिसंहरण का आदेश जारी करने से पहले संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य होगा। यदि आवेदक शर्तों का पालन कर लेता है, तो आदेश रद्द किया जा सकता है। लेकिन मिथ्या कथन के आधार पर प्राप्त अनुज्ञा स्थायी रूप से रद्द होगी।
भूखंड क्षेत्र और शुल्क में कितनी हुई वृद्धि ?
भूखंड क्षेत्रफल के मामले में बदलाव करते हुए 12.5 मीटर और 21 मीटर को अब राउंड फिगर में 15 मीटर और 24 मीटर कर दिया गया है। इसके साथ ही शुल्क 30% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है।
सामुदायिक खेल और मनोरंजन स्थल के लिए नियम
नए नियमों के तहत नगर विकास योजना या अन्य विकास नियमन में सामुदायिक खेल स्थल और मनोरंजन प्रयोजन के लिए क्षेत्र आरक्षित रखा जाएगा।
औद्योगिक क्षेत्रों के लिए हुए ये बदलाव
औद्योगिक क्षेत्रों में अब किसी प्लॉट, लेआउट, या उपखंड में छात्रावास और डॉरमेट्री के निर्माण की अनुमति होगी। नियम 50 के अनुसार, एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) और भूतल आच्छादित क्षेत्र (ग्राउंड कवरेज) को पूरी भूमि पर लागू किया जाएगा।
विशेष वाणिज्यिक प्रावधान
100 मीटर या उससे अधिक चौड़ाई वाले पहुंच मार्गों पर स्थित 5 एकड़ या उससे अधिक क्षेत्रफल के वाणिज्यिक भूखंडों में 5.0 एफएआर लागू होगा। यदि ऐसे भूखंड केंद्रीय व्यापारिक जिला (CBD) या ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) क्षेत्र में स्थित हैं, तो 2.0 अतिरिक्त एफएआर दिया जाएगा।
उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई
नियमों का उल्लंघन या विचलन करने पर भवनों को सील करने की कार्रवाई की जाएगी। खुले क्षेत्रों में 9/15 मीटर की दूरी पर नालों की सीमा या उच्चतम बाढ़ चिन्ह से ऊपर मार्ग और खुली पार्किंग की अनुमति होगी। हालांकि, कवर्ड पार्किंग की अनुमति नहीं दी जाएगी।
गौरतलब है कि इन संशोधनों से सरकार को राजस्व में भारी बढ़ोतरी होगी। लेकिन बढ़े हुए शुल्क और सख्त नियमों से मध्यम वर्गीय भूखंड मालिकों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। खासतौर पर छोटे भूखंड मालिकों को इस नई व्यवस्था से बड़ी परेशानी हो सकती है।