*श्रीमद भागवत कथा के विराम दिवस के अवसर पर रुक्मिणी विवाह प्रसंग की रोचक कथा से आह्लादित हुए श्रोतागण*
अयोध्या- नगर के स्टेशन मार्ग पर हो रहे श्री मद भागवत कथा के विराम दिवस पर कथा ब्यास रोहित मिश्र जी महाराज के मुखर बिंदु से श्रीमद् भागवत कथा रुक्मिणी विवाह प्रसंग व सुदामा चरित्र का वर्णन सुन श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। अयोध्या धाम से आए कथावाचक रोहित मिश्रा ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि विदर्भ के राजा भीष्मक के घर रुक्मिणी का जन्म हुआ। बाल अवस्था से भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे हृदय से पति के रूप में चाहती थीं। लेकिन भाई रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ कराना चाहता था। रुक्मिणी ने अपने भाई की इच्छा जानी तो उसे बड़ा दुख हुआ। अत: शुद्धमति के अंतपुर में एक सुदेव नामक ब्राह्मण आता-जाता था। रुक्मिणी ने उस ब्राह्मण से कहा कि वे श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती हैं। सात श्लोकों में लिखा हुआ मेरा पत्र तुम श्रीकृष्ण तक पहुंचा देना।
कथावाचक ने बताया कि रुक्मिणी ने स्वयं को प्राप्त करने के लिए उपाय भी बताया। पत्र में रुक्मिणी ने बताया कि वह प्रतिदिन पार्वती की पूजा करने के लिए मंदिर जाती हैं, श्रीकृष्ण आकर उन्हें यहां से ले जाओ। पत्र के माध्यम से रुक्मिणी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आप इस दासी को स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं हजारों जन्म लेती रहूंगी। मैं किसी और पुरुष से विवाह नहीं करना चाहती हूं। कथा ब्यास जी कहा ने कि पार्वती के पूजन के लिए जब रुक्मिणी आई, उसी समय प्रभु श्रीकृष्ण रुक्मिणी का हरण कर ले गए। अत: रुक्मिणी के पिता ने रीति रिवाज के साथ दोनों का विवाह कर दिया। इंद्र लोक से सभी देवताओं द्वारा पुष्पों की वर्षा की तथा खुशियां लुटाई।
इसके बाद सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा की संसार में श्री कृष्ण सुदामा जैसी मित्रता का दूसरा कोई उदाहरण नहीं मिलता है द्वारिका धीष होते हुए अपने निर्धन मित्र सुदामा से मिलने भगवान श्री कृष्ण नंगे पैर दौड़े आए और उनका स्वागत सत्कार कर अपने राज सिंहासन पर बैठाकर अश्रुओ से पर धोए धन्य है आप श्री द्वारिका धीश ।कथा के मुख्य यज मान राम कुमार कसौधन शोभा देवी ,राम जी श्याम जी लाल जी कसौधन सहित राज किशोर मौसा, विंध्य वासिनी मिश्र,राजेश कुमार मिश्र ,प्रद्युम्न ,अजय कुमार मोहित कुमार, आदि सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
Nov 23 2024, 19:15