पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति से गुजारिश, जानें पूरा मामला
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सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका को राष्ट्रपति के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को सोमवार को यह निर्देश दिया। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी के मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।
पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले में राजोआना को फांसी की सजा दी गई है और उसने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। राओआना ने दया याचिका के निपटारे में देरी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सजा कम करने और रिहाई की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि अगर दया याचिका पर तय समय में विचार नहीं किया गया तो वह याचिकाकर्ता को राहत देने की गुहार पर विचार करेगा।
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया गया कि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इस पर जस्टिस गवई ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि स्पेशल बेंच सिर्फ इसी मामले की सुनवाई के लिए बैठी थी क्योंकि केंद्र ने कहा था कि वह जवाब दाखिल करेगा। बेंच में शामिल जस्टिस विश्वनाथ ने मौखिक तौर पर टिप्पणी में कहा कि केंद्र मामले को बेहद ढीले-ढाले तरीके से देख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मौत की सजा पर है, हम भारत के राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले को आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने के अनुरोध के साथ राष्ट्रपति भवन के समक्ष रखें। पीठ ने कहा कि पिछली तारीख पर मामले को स्थगित कर दिया गया था ताकि संघ राष्ट्रपति के कार्यालय से निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक निर्णय लिया जाएगा। यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मृत्युदंड की सजा काट रहा है, हम सचिव को निर्देश देते हैं कि वे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष रखें और उनसे आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने का अनुरोध करें।
राजोआना की ओर से दायर की याचिका में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की गई है। राजोआना का कहना है कि वो 29 साल से जेल में हैं, दया याचिका 12 साल से लंबित है। पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजोआना की दया याचिका लंबित है। हम इस पर जवाब दाखिल करेंगे।
राजोआना को 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट मामले में दोषी पाया गया था। इस घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह तथा 16 अन्य लोग मारे गए थे। एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई, 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसकी ओर से क्षमादान का अनुरोध करते हुए संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई को राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया।
Nov 18 2024, 16:42