छत्तीसगढ़ के धमतरी में नई परंपरा शुरू: दुल्हन को मुंह दिखाई में फलदार पौधा देने की अनोखी पहल
छत्तीसगढ़ के धमतरी का एक ऐसा गांव है, जहां नई नवेली दुल्हन को मुंह दिखाई में फलदार पौधा देने की परंपरा शुरू की गई है. इसी प्रकार इस गांव से विदा होने वाली बेटी को भी दहेज में पौधा दिया दिया जाएगा.
गांव वालों ने करीब चार महीने पहले पंचायत में यह फैसला लिया था. उसके बाद शनिवार को गांव में हुई पहली शादी के बाद पंचायत में दूल्हे और दुल्हन को बुलाकर सम्मानित करते हुए उन्हें आंवले का पौधा देकर इस परंपरा को विधिवत शुरू किया गया. यह गांव कोई और नहीं, बल्कि धमतरी से सटा हुआ परसतराई है.
वैश्विक कल्याण के कामों से यह गांव पहले भी सुर्खियों में रहा है. इस गांव के लोगों के फैसले से केवल धमतरी ही नहीं, पूरा छत्तीसगढ़ राज्य गर्व कर रहा है. गांव के सरपंच परमानंद आडिल के मुताबिक विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून 2024 को गांव की पंचायत हुई थी. इसमें तय किया गया था कि अब से गांव में शादी के बाद किसी बेटी की विदाई होगी तो बेटी और दामाद को पूरे गांव की ओर से दहेज में फलदार पौधा दिया जाएगा. इसी प्रकार गांव में कोई नई नवेली बहू आएगी तो उसे भी पंचायत में बुलाकर पूरे मान सम्मान के साथ मुंह दिखाई में फलदार पौधा दिया जाएगा.
फैसले के बाद गांव में हुई पहली शादी
उन्होंने बताया कि इस फैसले के बाद पहली शादी इस गांव में रहने वाले भूपेंद्र श्रीवास का पेंडरवानी गांव की रहने वाली वासिनी श्रीवास के साथ हुआ है. बारात लौटने के बाद अपने फैसले के तहत पंचायत बुलाई गई और इसमें बेटे भूपेंद्र और बहू वासिनी को बुलाकर सम्मानित किया करते हुए मुंह दिखाई दी गई.उन्होंने बताया कि सर्व सम्मति से इस परंपरा की शुरुआत की गई है. इसके लिए राज्य भर से बधाइयां आ रही हैं. उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उनके गांव की यह पहल मील का पत्थर साबित होगी.
देश भर में हो रही सराहना
उधर, इस नयाब उपहार को पाने के बाद वासिनी और भूपेंद्र ने पंचायत का आभार प्रकट किया. पंचायत को भरोसा दिया कि वह इस पौधे को आंगन में लगाएंगे और इसकी रखरखाव में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. बता दें कि देश भर में जंगल तेजी से खत्म हो रहे हैं. ऐसे हालात में प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है. इससे निपटने के लिए केंद्र और सभी राज्य सरकारें अपनी ओर खूब प्रयास भी कर रही हैं, लेकिन आम आदमी की रूचि कम होने की वजह से यह प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो रहे हैं. ऐसे हालात में इस गांव और यहां के लोगों के प्रयास की देश भर में खूब सराहना हो रही है.
Nov 17 2024, 21:29