यमराज का अनोखा मंदिर: जहां आत्माओं की पेशी होती है और स्वर्ग-नर्क का होता है फैसला
यमराज के नाम से ही मृत्यु का भय मन में आ जाता है. जिसके लिए हर साल लोग दिवाली से पहले नरक चतुर्दशी की शाम को यम का दीपक जलाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है. लेकिन धरती पर एक ऐसा मंदिर भी है जहां यमराज का दरबार लगता है. यहां मृत्यु के बाद आत्माओं की पेशी होती है और उनको कर्म के अनुसार स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है. इसके अलावा चित्रगुप्त हर एक इंसान के अच्छे-बुरे हर एक कर्म का हिसाब रखते हैं. आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में.
कहां है यमराज का मंदिर?
यमराज का यह अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के चंब जिले के भरमौर में स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं और कहानियां प्रचलित हैं. इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर में लोग बाहर से ही यम देवता के हाथ जोड़ लेते हैं. ये मंदिर एक घर की तरह दिखाता है. जहां एक खाली कमरा मौजूद है, मान्यता है इस कमरे में ही यम देवता विराजमान हैं. यहां पर एक और कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कक्ष कहा जाता है.
यम का दरबार
मान्यता है कि हिमाचल के इस प्राचीन मंदिर में यमराज का दरबार लगता है. जहां यम के दूत आत्माओं को यमराज के सामने पेश करते हैं. जहा चित्रगुप्त उन आत्माओं के कर्मों का हिसाब कर लेखा-जोखा पेश करते हैं. उसके बाद यमराज कर्मों के हिसाब से फैसला करते हैं कि कौन सी आत्मा स्वर्ग जाएगी और किस आत्मा को नरग को घोर दुख भोगना होगा. उसके बाद ही आत्माओं को स्वर्ग या नरक भेजा जाता है.
इन दरवाजों से जाती है आत्मा
गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार बताए गए हैं. मान्यता है कि उसी तरह यमराज के इस मंदिर में चार अदृश्य दरवाजे हैं. जो कि सोने, चांदी, तांबे और लोहे के बने हुए हैं. इन चार दरवाजों से होकर ही आत्मा स्वर्ग और नरक जाती है. कहा जाता है कि जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे काम किए होते हैं और जो भी पुण्य आत्माएं होती है. वह सभी सोने से बने दरवाजे से होते हुए स्वर्ग जाती है. वहीं जिन लोगों के जीवन भर पाप किया होता है, उनकी आत्मा लोहे के दरवाजे से नरक भेजा जाता है
Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.











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Nov 13 2024, 13:14
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