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छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में सड़क पर लेटी महिलाएं, ऊपर से दौड़ते चले गए पुरुष, जानिए, इस विशेष पूजा पद्धति का ऐतिहासिक महत्व

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाला परंपरागत देव मड़ई मेला क्षेत्र की सांस्कृतिक तथा धार्मिक धरोहर का प्रतीक बन चुका है। यह मेला विशेष रूप से आदिवासी समुदाय की धार्मिक परंपराओं को जीवित रखने का एक माध्यम है, जिसमें भक्तों का विशाल समुदाय हिस्सा लेता है। इस मौके पर, आसपास के सभी देवी-देवता, डांग डोरी, बैगा, सिरहा, एवं गायता पुजारी एक साथ आकर सामूहिक रूप से इस मेलें का आयोजन करते हैं। यह मेले की एक विशेष परंपरा है, जो क्षेत्रवासियों के बीच गहरी श्रद्धा और विश्वास को दर्शाती है।

मेले का एक प्रमुख हिस्सा है "परण", जिसमें संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं विशेष रूप से हिस्सा लेती हैं। इस अवसर पर, महिलाएं मां अंगारमोती के मंदिर में जाती हैं तथा संतान के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करती हैं। परंपरा के अनुसार, महिलाएं पेट के बल लेटकर बैगा जनजाति के लोगों के ऊपर से गुजरने का इंतजार करती हैं। माना जाता है कि जिन महिलाओं के ऊपर से बैगा का पैर गुजरता है, उन्हें देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा उनकी गोद भर जाती है। यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मान्यता है, जो इस इलाके के आदिवासी समुदाय में बहुत सम्मानित मानी जाती है।

मेले के चलते, महिलाएं पूजा सामग्री जैसे नींबू, नारियल, और अगरबत्ती लेकर खुले स्थान पर पेट के बल लेट जाती हैं, जबकि बैगा जनजाति के लोग उनके ऊपर से होकर गुजरते हैं। इस के चलते बैगा खास तौर पर देवी के रूप में प्रकट होते हैं, जिनकी उपस्थिति पूजा की गंभीरता और शक्ति को प्रतीकित करती है। इस अनुष्ठान को श्रद्धा और विश्वास का रूप माना जाता है।

दीवाली के बाद लगा मेला

देव मड़ई मेला हमेशा दिवाली के पश्चात् पहले शुक्रवार को आयोजित होता है, जो क्षेत्रवासियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन में 52 गांवों के देव विग्रहों की पूजा की जाती है। आदिशक्ति मां अंगारमोती ट्रस्ट के अध्यक्ष जीवराखन मरई बताते हैं कि मां अंगारमोती गोंड़ों की कुल देवी मानी जाती हैं। उनका वास स्थान पहले महानदी के किनारे और आसपास के कुछ गांवों के सीमा क्षेत्र में था। यह स्थान सदियों से श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र रहा है, जहां गोंड़ समाज के लोग नियमित रूप से पूजा और सेवा करते थे।

सदियों पुरानी परंपरा के मुताबिक, दीवाली के बाद के पहले शुक्रवार को देव मड़ई मेला का आयोजन किया जाता है, जो अब गंगरेल में पुनर्स्थापित किया गया है। गंगरेल बांध बनने के पश्चात् इस क्षेत्र के अधिकांश लोग विस्थापित हो गए थे, किन्तु पूजा और परंपराओं का निर्वाह आज भी उसी श्रद्धा और धरोहर के साथ किया जाता है।

निसंतान महिलाएं मन्नतों के साथ पहुंचती हैं मां के दरबार में

इस मेले में बड़े आंकड़े में निसंतान महिलाएं विशेष रूप से भाग लेती हैं। भक्तों का विश्वास है कि मां अंगारमोती की कृपा से निसंतान महिलाएं संतान सुख प्राप्त कर सकती हैं। महिलाएं इस दिन मां के दरबार में पहुंचकर विशेष पूजा अर्चना करती हैं और परण अनुष्ठान का पालन करती हैं। यहां की मान्यता के अनुसार, माता स्वयं सिरहा के शरीर में प्रवेश कर मेला स्थल का भ्रमण करती हैं, और उनके इस रूप में पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

गंगरेल के मेला स्थल पर हर साल सैकड़ों महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए मां अंगारमोती की पूजा करती हैं। वे मंदिर के सामने हाथों में पूजा सामग्री लेकर कतार में खड़ी रहती हैं और जो महिलाएं जमीन पर पेट के बल लेटी होती हैं, उनके ऊपर से बैगा गुजरते हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं की गहरी श्रद्धा और विश्वास दिखाई देता है, जबकि ढोल-नगाड़ों की ध्वनि माहौल को और भी भव्य बना देती है।

दंडवत लेटी महिलाएं, दौड़ते चले गए बैगा

इस दिन 300 से अधिक महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने पहुंची। महिलाएं मंदिर के सामने हाथ में नारियल, अगरबत्ती, तथा नींबू लेकर कतार में खड़ी थीं। जमीन पर लेटी महिलाओं के ऊपर से बैगा चलते हुए निकले। कहा जाता है कि यहां वे सभी बैगा भी आते हैं, जिन पर देवी सवार होती हैं। वे झूमते-झूपते थोड़े बेसुध से मंदिर की तरफ बढ़ते हैं। चारों ओर ढोल-नगाड़ों की गूंज रहती है। बैगाओं को आते देख, कतार में खड़ी सारी महिलाएं पेट के बल दंडवत लेट गईं तथा बैगा उनके ऊपर से गुजरते हुए चले गए।

52 गांवों की देवी, ये है मान्यता

प्राचीन कथाओं के मुताबिक, माता अंगारमोती 52 गांवों की देवी मानी जाती हैं। इन गांवों के लोग किसी भी परेशानी या समस्या के समय मां अंगारमोती के पास जाकर मन्नत मांगते हैं तथा मन्नत पूरी होने पर शुक्रवार को विशेष पूजा कराते हैं। विशेषकर निसंतान महिलाएं मातृसुख के लिए मां के दरबार में फरियाद लेकर पहुंचती हैं तथा माता उन्हें अपना आशीर्वाद देती हैं।

पाकिस्तान : क्वेटा रेलवे स्टेशन पर सुसाइड अटैक, 24 लोगों की मौत, 30 घायल, मृतकों की संख्या में इजाफा संभव

पाकिस्तान के क्वेटा में रेलवे स्टेशन के अंदर जोरदार धमाका हुआ है जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई है जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। क्वेटा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मोहम्मद बलूच ने मीडिया को बताया कि इस घटना में 16 लोगों की मौत हुई है और 30 से अधिक लोग घायल हुए हैं। प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि विस्फोट रेलवे स्टेशन के बुकिंग कार्यालय में ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने से ठीक पहले हुआ। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि जाफर एक्सप्रेस सुबह 09:00 बजे पेशावर के लिए रवाना होने वाली थी। स्टेशन पर भीड़ को देखते हुए मृतकों की संख्या बढ़ने का अनुमान है। बलूच लिबरेशन आर्मी ने इस ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली है। बलूच लिबरेशन आर्मी के प्रवक्ता ने कहा कि “हम क्वेटा रेलवे स्टेशन पर पाकिस्तानी सेना पर हुए फिदायी हमले की जिम्मेदारी लेते हैं। आज सुबह क्वेटा रेलवे स्टेशन पर पाकिस्तानी सेना की एक यूनिट पर फिदायीन हमला किया गया जब वे इन्फैंट्री स्कूल से कोर्स पूरा करने के बाद जाफर एक्सप्रेस से लौट रहे थे। इस हमले को बीएलए की फिदायीन यूनिट मजीद ब्रिगेड ने अंजाम दिया। जल्द ही मीडिया को विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

एसएसपी मोहम्मद बलूच ने कहा कि यह घटना “आत्मघाती धमाका जैसा लग रहा है। लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। विस्फोट की प्रकृति का पता लगाने के लिए जांच चल रही है। इससे पहले ईधी बचाव सेवा के प्रमुख जीशान ने कहा कि विस्फोट “रेलवे स्टेशन के अंदर एक प्लेटफॉर्म पर हुआ है।

उधर बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता शाहिद रिंद ने एक बयान में कहा कि पुलिस और सुरक्षा बल घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। रिंद ने कहा कि विस्फोट की प्रकृति की जांच की जा रही है। बम निरोधक दस्ता घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र कर रहा है और घटना पर रिपोर्ट मांगी गई है।

सरकारी अधिकारी ने कहा कि वहां के अस्पतालों में ‘इमरजेंसी’ लागू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि “घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है।” घटनास्थल की फुटेज में रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर मलबा दिखाई दे रहा है।

अब नहीं जाऊंगा किसी भी श्रीकृष्ण मंदिर’, जानिए, आखिर क्यों जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने लिया ऐसा प्रण

राजस्थान के जयपुर में आयोजित 9 दिवसीय रामकथा के दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कृष्ण जन्मभूमि को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कथा के चलते व्यास गद्दी पर बैठकर यह कहा कि जब तक मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि का विवाद नहीं सुलझ जाता तथा उस पर फैसला नहीं हो जाता, वह किसी भी कृष्ण मंदिर में दर्शन करने नहीं जाएंगे। यह बयान विशेष रूप से जयपुर के लोकप्रिय श्री गोविंद देव जी मंदिर के संदर्भ में था।

जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित इस 9 दिवसीय रामकथा के चलते जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि उन्होंने पहले श्री गोविंद देव जी मंदिर के दर्शन का मन बनाया था, मगर बाद में उनका मन बदल गया। उन्होंने स्पष्ट रूप से संकल्प लिया कि जब तक मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक वह किसी भी कृष्ण मंदिर में दर्शन नहीं करेंगे। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मंच से कहा, "हमने गोविंद देव जी से बोल दिया है कि आप कितनी भी मनुहार क्यों न कर लें, जब तक मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर जीत नहीं मिल जाती, मैं किसी भी कृष्ण मंदिर में दर्शन के लिए नहीं जाऊंगा।" उन्होंने यह भी कहा कि गलता गद्दी पर उनका अधिकार होगा, क्योंकि वह इस धार्मिक स्थल पर भी रामानंदियों का विजय स्तंभ स्थापित करना चाहते हैं।

तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर, जगद्गुरु रामभद्राचार्य, लंबे वक़्त तक राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं। जब इस वर्ष राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला था, तब शंकराचार्य ने मंदिर के अधूरे निर्माण का विरोध किया था। उस वक़्त रामभद्राचार्य ने कहा था कि शंकराचार्य कभी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े नहीं थे। उन्होंने राम मंदिर के उद्घाटन को एक ऐतिहासिक एवं गौरवमयी पल बताया था तथा पूरे उत्साह के साथ इसमें भाग लिया था।

पीएम मोदी बोले, MVA की गाड़ी में न पहिए, न ब्रेक, और ड्राइवर की सीट पर बैठने का है झगड़ा, महिलाएं महाविकास अघाड़ी से रहें सतर्क

पीएम नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के धुले में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए महा विकास अघाड़ी (MVA) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि MVA की गाड़ी में न पहिए हैं, न ब्रेक, और ड्राइवर की सीट पर बैठने को लेकर झगड़ा चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि राजनीति में हर व्यक्ति का अपना उद्देश्य होता है, तथा हम जैसे लोग जनता को ईश्वर का रूप मानते हैं।

पीएम ने कहा कि हम राजनीति में जनता की सेवा के लिए आए हैं, जबकि कुछ लोगों की राजनीति का आधार "लोगों को लूटना" है। जब इस तरह के लोग, जैसे महा अघाड़ी, सरकार में आते हैं, तो वे विकास को ठप्प कर देते हैं और हर योजना में भ्रष्टाचार फैलाते हैं। उन्होंने कहा, "आपने महा अघाड़ी के धोखे से बनी सरकार के 2.5 साल देखे हैं। इन लोगों ने पहले सरकार लूटी तथा इसके बाद महाराष्ट्र के लोगों को लूटने में भी लग गए। इन लोगों ने मेट्रो परियोजनाओं को ठप्प कर दिया, वधावन पोर्ट के काम में अड़ंगे डाले तथा समृद्धि महामार्ग की योजना में रुकावटें उत्पन्न कीं। अघाड़ी वालों ने हर उस योजना पर रोक लगा दी, जो महाराष्ट्र के लोगों का भविष्य उज्जवल बना सकती थी। वहीं, महायुति की सरकार ने 2.5 वर्षों में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित किए तथा महाराष्ट्र को उसका खोया हुआ गौरव लौटाया।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एमवीए के नेता अब महिलाओं को गालियाँ दे रहे हैं। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र की हर महिला को एमवीए से सतर्क रहना चाहिए। एक विकसित महाराष्ट्र और विकसित भारत के लिए हमारी बहनों और बेटियों का जीवन आसान बनाना, उन्हें सशक्त बनाना बहुत जरूरी है। जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो पूरा समाज तेजी से प्रगति करता है। इसीलिए, बीते 10 वर्षों में केंद्र सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई बड़े निर्णय लिए हैं।" पीएम ने यह भी कहा कि पूरा महाराष्ट्र देख रहा है कि कांग्रेस और महा अघाड़ी के नेता अब महिलाओं को गालियाँ दे रहे हैं, तथा अभद्र भाषा का उपयोग कर रहे हैं। महाराष्ट्र की कोई भी मां-बहन कभी भी अघाड़ी वालों के इस कृत्य को माफ नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने पर लाडली बहना योजना को बंद कर देगी। कांग्रेस ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दायर की है। वे इस योजना को बंद करवाना चाहते हैं।

उज्जैन के महाकाल मंदिर में तैनात होंगे 500 होमगार्ड के जवान, भोपाल में हुई बैठक में फैसले पर लगी मुहर

सीएम मोहन यादव की घोषणा के बाद जल्द ही 500 जवानों की महाकाल मंदिर में तैनाती को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है. भोपाल में हुई बैठक में इस फैसले पर मुहर लग गई है. 19 अगस्त को सीएम मोहन यादव ने महाकाल मंदिर में 500 होमगार्ड की तैनाती को लेकर घोषणा की थी.

इन 500 होमगार्ड जवानों की भर्ती के लिए उज्जैन जिले के युवाओं को मौका मिलेगा, खास बात ये है कि इन 500 गार्डों की सैलरी का भार प्रदेश पर नहीं पड़ेगा, इसका पूरा खर्च महाकाल मंदिर समिति ही उठाएगी.

वित्त विभाग की अनुमति बाकी

धार्मिक न्यास विभाग के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान सीएम ने उज्जैन महाकाल मंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी होमगार्ड को सौंपने की घोषणा की थी. भोपाल में हुई बैठक में इसको लेकर फैसला हो चुका है. इसको लेकर सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है, अब वित्त विभाग की औपचारिक अनुमति बाकी है. अनुमति मिलते ही महाकाल मंदिर में होमगार्ड के सैनिकों की तैनाती की जाएगी.

उज्जैन के युवाओं को अवसर

इसको लेकर दिए गए प्रस्ताव में गार्डों की भर्ती के लिए उज्जैन जिले के युवाओं को अवसर बात कही गई है, हालांकि आदेश होना फिलहाल बाकी है. इन गार्डों की सैलरी का खर्च महाकाल मंदिर समिति उठाएगी. मंदिर में ये 500 गार्ड डिप्टी कमांडेंट, कंपनी कमांड और जिला सेनानी के कमांड में रहेंगे.

महाकाल मंदिर और महालोक की सुरक्षा में होमगार्ड की तीन कंपनियां लगाई जाएंगी. इन तीन कंपनियों में 492 जवानों की तैनाती होगी, और उनकी ड्यूटी आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में लगाई जाएगी. स्वीकृति मिलते ही इस पर काम शुरू होगा, और इसमें परीक्षा कैसे होगी इसकी जानकारी फिलहाल नहीं मिल पाई है.

निजी कंपनी के हाथों में सुरक्षा

फिलहाल मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था मुंबई की निजी कंपनी के हाथों में है. कई बार एंजेसी के गार्ड द्वारा श्रद्धालुओं से अभद्र व्यवहार करने के आरोप लगे हैं, इसके अलावा मंदिर में दर्शन कराने के बदले पैसे मांगने के भी आरोप श्रद्धालुओं द्वारा लगाए गए हैं.

फिर एक्टिव हुआ पश्चिमी विक्षोभ, भारत के 4 समुद्र तटीय राज्यों में आज से 14 नवंबर भारी बारिश, मैदानी इलाकों में बढ़ेगी सर्दी

दिल्ली में स्मॉग और वायु प्रदूषण के कारण अभी तापमान 30 से 32 के बीच बना हुआ है, इसलिए ठंड का अहसास नहीं हो रहा है, बल्कि उमस से लोग परेशान हैं। वहीं मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव हुआ है, जिस कारण दक्षिण भारत के 4 समुद्र तटीय राज्यों में आज से 14 नवंबर भारी बारिश हो सकती है।

वहीं उत्तर भारत के कई राज्यों में ठंड दस्तक दे चुकी है। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में सुबह-शाम घना कोहरा छाने लगा है। दिल्ली में अभी वायु प्रदूषण के कारण घनी धुंध छाई हुई है। लोगों को अभी भी ठंड का इंतजार है और 15 नवंबर के बाद तापमान में गिरावट आने की उम्मीद है। 21 नवंबर के बाद घनी धुंध छाने से कोहरा छा सकता है। आइए जानते हैं कि अगले 5 दिन देशभर में मौसम कैसा रहने वाला है?

इन राज्यों में बारिश होने का अलर्ट

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 14 नवंबर तक केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी में बारिश होने का ‘ऑरेंज’ अलर्ट दिया हुआ है। केरल के तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पथानामथिट्टा, अलपुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम और इडुक्की जिलों के लिए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया गया है। पुडुचेरी के माहे, यनम, कराईकल में भी बारिश होने का अलर्ट है। इसके अलावा कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी बादल बरस सकते हैं।

मौसम विभाग ने तूफान हवाओं और खराब मौसम को देखते हुए मछुआरों को केरल-लक्षद्वीप तट पर मछली पकड़ने के लिए जाने नहीं देने की सलाह दी है। 9-10 और 11 नवंबर को तमिलनाडु, पुदुचेरी, कराईकल में भारी बारिश हो सकती है। 12-13 और 14 नवंबर को तमिलनाडु, केरल, माहे, पुदुचेरी, कराईकल में भारी बारिश होने के आसार हैं। इन राज्यों में बारिश का असर पूरे देश में देखने को मिल सकता है।

उत्तर प्रदेश, बिहार में ठंड की दस्तक

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ला नीना एक्टिव होने से इस साल भारत खासकर उत्तर भारत में सामान्य से ज्यादा ठंड पड़ने की भविष्यवाणी वैश्विक मौसम विज्ञान संगठन ने की है। दिसंबर के पहले हफ्ते में प्रशांत महासागर में ला नीना के एक्टिव होने से महासागर की सतह ठंडी होगी। फिर महासागर से उठने वाली हवाएं भारत से टकराएंगी। वहीं नवबंर में प्री-विंटर का असर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में दिखने लगा है।

मोदी जी के सामने नाक नहीं रगडेंगे, चाहे सिर ही कटाना पड़े...', बेलागंज में रैली में बीजेपी पर जमकर बरसे तेजस्वी यादव

बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इसको लेकर प्रचार तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज बेलागंज में चुनावी रैली के दौरान बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। कहा कि बिहार में बीजेपी को किसी न किसी पार्टी का साथ जरूर मिला। भाजपा को जिताने में मदद की। लेकिन आरजेडी ने अपनी विचारधारा नहीं बदली। हम लोग सिर कटा सकते हैं, लेकिन मोदी जी के सामने कभी भी नाक नहीं रगड़ेंगे।

तेजस्वी ने कहा कि लालू यादव ने अपने शरीर का सारा खून बीजेपी को रोकने में जला दिया। जो बचा है उसे भी लगाएंगे। लोकसभा चुनाव में 9 सीट इंडिया गठबंधन जीता था। अगर 10 और जीत जाते तो मोदी जी भाग जाते। अगर देश में संदेश देना है तो संविधान, तरक्की,के लिए एकजुट होना पड़ेगा। अगर बेमानी नहीं होती तो 2020 में सरकार तो लगभग बना ही लिए थे। हमलोग काम करने वाले लोग है। असली दुश्मन बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई है। अमन चैन और देश व बिहार की तरक्की के लिए एकजुट होना होगा।

बिहार में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर चुनाव प्रचार तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज बेलागंज में चुनावी रैली की। इस दौरान उन्होने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। उन्होने कहा कि बिहार में बीजेपी को किसी न किसी पार्टी का साथ जरूर मिला। भाजपा को जिताने में मदद की। लेकिन आरजेडी ने अपनी विचारधारा नहीं बदली। हम लोग सिर कटा सकते हैं, लेकिन मोदी जी के सामने नाक नहीं रगडेंगे।

तेजस्वी ने कहा कि लालू यादव ने अपने शरीर का सारा खून बीजेपी को रोकने में जला दिया। जो बचा है उसे भी लगाएंगे। लोकसभा चुनाव में 9 सीट इंडिया गठबंधन जीता था। अगर 10 और जीत जाते तो मोदी जी भाग जाते। अगर देश में संदेश देना है तो संविधान, तरक्की,के लिए एकजुट होना पड़ेगा। अगर बेमानी नहीं होती तो 2020 में सरकार तो लगभग बना ही लिए थे। हमलोग काम करने वाले लोग है। असली दुश्मन बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई है। अमन चैन और देश व बिहार की तरक्की के लिए एकजुट होना होगा।

कहा कि लालू को जेल भेजकर हम पर मुकदमा किया गया। आपने ताकत दी है तभी लालू मोदी से लड़ते है। कभी विचारधारा से मुंह नहीं मोड़ा है। ईंट से ईंट बजा देंगे, लालू सेना तैयार है। ईडी और सीबीआई से डराते हो। लालू नहीं डरे तो उसका लड़का डराए वाला है। हम लोग 20 साल से विपक्ष में है। 17 महीना सरकार में आए। भाजपा को दूर भगाने के लिए नीतीश को सीएम बनाए थे। मिट्टी में मिलाने की कसम खाए थे। बीजेपी साजिश और बहुरूपिया का इस्तेमाल करती है। इनके पास मंत्र, तंत्र यंत्र है। राजद के पास आपके अलावा कुछ नहीं है। तेजस्वी ने बेलागंज से आरजेडी प्रत्याशी विश्वनाथ कुमार सिंह को जिताने की अपील की।

रूस से तेल खरीदकर भारत ने पूरी दुनिया की मदद की” हरदीप पुरी की आलोचकों को दो टूक

#indiahelpedthewholeworldbuyingoilfromrussiahardeeppuri 

भारत ने रूस से तेल खरीदकर दुनिया पर एक अहसान किया है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ये बड़ा बयान दिया है।केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले से वैश्विक तेल कीमतों में संभावित उछाल को रोकने में मदद मिली है। पुरी के ये बयान सस्ता रूसी तेल खरीदने की आलोचना करने वालों को करारा जवाब है। 

भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में अबू धाबी में सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू दिया।पुरी ने अपनी पोस्ट में एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें वे इंटरव्यू देते नजर आ रहे हैं। इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदने का निर्णय वैश्विक अस्थिरता के बीच महत्वपूर्ण था। उन्होंने बताया कि अगर भारत ने रूस से तेल नहीं खरीदा होता, तो वैश्विक तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं।

पुरी ने साफ किया है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है और ऐसा करने में कोई नियम नहीं तोड़ा है। उन्होंने उन लोगों को 'अज्ञानी' कहा जो भारत पर प्रतिबंध लगाने की बात करते हैं। मंत्री ने जोर देकर कहा कि रूसी तेल पर कोई प्रतिबंध नहीं है, बल्कि एक मूल्य प्राइस कैप लगा है। भारतीय कंपनियां इस सीमा का पालन कर रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि कई यूरोपीय और एशियाई देश भी रूस से अरबों डॉलर का कच्चा तेल, डीजल, एलएनजी और अन्य जरूरी खनिज खरीद रहे हैं।

उन से एनर्जी खरीदेंगे, जो सबसे कम रेट ऑफर करेंगे-पुरी

पुरी ने आगे कहा कि 'हम लगातार उन सभी से एनर्जी खरीदेंगे, जो हमारी कंपनियों को सबसे कम रेट ऑफर कर रहे हैं। यह पीएम नरेंद्र मोदी की लीडरशिप का कॉन्फिडेंस है।' साथ ही उन्होंने कहा, 'हम हमारे उन 7 करोड़ नागरिकों के लिए एनर्जी की स्टेबल अवेलेबिलिटी, अफॉर्डेबिलिटी और सस्टेनेबिलिटी सुनिश्चित करेंगे, जो रोज पेट्रोल पंप जाते हैं। यह हमारी टॉप प्रायोरिटी है।'

पिछले 3 वर्षों से तेल की कीमतों में गिरावट

हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत अकेला ऐसा बड़ा ऑयल कंज्यूमर है, जहां पिछले 3 वर्षों से तेल की कीमतों में महत्वपूर्ण गिरावट आई है, जबकि दूसरे देशों में दाम आसमान पर पहुंच गये। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता भारत अपनी 80% से अधिक तेल जरूरतों के लिए विदेशी खरीद पर निर्भर है।

बारामती में पीएम मोदी की रैली नहीं चाहते अजित पवार, जानें क्या है वजह

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महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही। वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज होती जा रही है। यहां महा विकास अघाड़ी और महायुति गठबंधन में मुकाबला है। इन दोनों ही गठबंधन को लेकर अटकलें लगाई जा रहीं कि सबकुछ सही नहीं है। इन सबके बीच अगर किसी खबर ने सबसे ज्यादा चौंकाया, वो है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बारामती में चुनावी रैली नहीं करेंगे। दरअसल, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने बारामती निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी रैली नहीं करने का अनुरोध किया है।

अपने भतीजे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे पवार

महायुति के पार्टनर एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार महाराष्ट्र चुनाव में नाप तौल कर रणनीति बना रहे हैं। पहले उन्होंने 'बंटोगे तो कटोगे' का भाषण देने वाले बीजेपी के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्ववादी बयानों से किनारा कर लिया, फिर उन्होंने शिवाजी मानखुर्द नगर में अपने प्रत्याशी नवाब मलिक के लिए प्रचार करने की घोषणा कर दी। अब उन्होंने कहा है कि बारामती में पीएम नरेंद्र मोदी को प्रचार करने की जरूरत नहीं है। अजीत पवार की मानें तो वहां लड़ाई परिवार के भीतर है। मौजूदा विधायक पवार अपने भतीजे युगेंद्र पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। युगेंद्र शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के उम्मीदवार हैं।

क्यों नहीं चाहते शाह जैसे नेताओं की रैलियां?

वहीं, जब उनसे पूछा गया कि उनकी पार्टी एनसीपी उम्मीदवार भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अमित शाह जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं की रैलियां क्यों नहीं चाहते हैं। अजितपवार ने कहा कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि प्रचार के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है और चुनाव खर्च की सीमा भी है। बारामती में उनकी जीत का अंतर क्या होगा, अजित पवार ने कहा कि वह निर्वाचन क्षेत्र में घूमने और लोगों से बात करने के बाद ही जवाब दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि वह अपनी जीत के लिए सौ प्रतिशत निश्चिंत हैं और दावा किया कि जीत का अंतर भी बड़ा होगा।

बीजेपी का साथ लेने से क्यों कर रहे इनकार?

एनसीपी में बंटवारे के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणामों का विश्‍लेषण करने पर पता चलता है कि मुस्लिम मतदाता अजित पवार के नेतृत्‍व वाले एनसीपी से दूर रहे। शरद पवार के नेतृत्‍व वाले एनसीपी का प्रदर्शन लोकसभा में अजित पवार गुट की तुलना में काफी अच्‍छा रहा था। संभवत: इसका कारण अजित पवार का भाजपा के साथ होना ही था। लेकिन, सत्‍ता में भागीदारी की मजबूरी के चलते अजित पवार भाजपा का साथ नहीं छोड़ सकते। इस मजबूरी के साथ मुस्लिम मतदाताओं को नाराज करने का जोखिम वह नहीं उठा सकते।

बारामती में छह दशक से शरद पवार का कब्जा

बता दें कि बारामती विधानसभा सीट पर छह दशक से शरद पवार का कब्जा है। अगर इस सीट से अजित पवार जीत जाते हैं तो शरद पवार का 60 साल पुराना वर्चस्व समाप्त हो जाएगा। वहीं, प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में अगर अजित यहां से चुनाव हार जाते हैं कि उनके लिए शायद ही कोई विकल्प बचे। 30 साल तक उन्होंने खुद इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उनके भतीजे अजित यहां से लगातार विधायक चुने जाते रहे। मगर अजीत के एनडीए में जाने के बाद बारामती सीट पर यह पहला विधानसभा चुनाव है, जहां पारिवारिक लड़ाई है।

कनाडा ने वीजा नियमों के किया बड़ा बदलाव, 10 साल की मल्टी एंट्री बंद, जानें भारतीयों पर क्या होगा असर?

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प्रवासियों पर अंकुश लगाने के प्रयास में कनाडा ने अपनी पर्यटक वीजा नीति में बड़ा बदलाव किया है। देश में नियमित रूप से 10 साल मल्टी एंट्री वीजा को बंद कर दिया गया है। इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) ने गुरुवार को नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की है, जिसके तहत अधिकारियों को विवेकाधिकार दिया गया है। इसके तहत अधिकारी विस्तारित अवधि के बजाय व्यक्तिगत मूल्यांकन के आधार पर कम अवधि के वीजा जारी करेंगे। बता दें कि ट्रूडो सरकार के इस फैसला का कनाडा में बड़े प्रवासी समूह के रूप में रह रहे भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर होगा।

माना जा रहा है कि नीति में यह बदलाव राजनीतिक संकट से जूझ रहे प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को आवास की कमी, जीवनयापन की उच्च लागत व घटती अनुमोदन रेटिंग पर जनता के गुस्से को कम करने के लिए किया गया है। ट्रूडो घोषणा कर भी चुके हैं कि वह अस्थायी व स्थायी आप्रवासन दोनों को कम कर रहे हैं।

पिछले महीने, अप्रवासन मंत्री मार्क मिलर ने कहा था कि कनाडा सरकार को देश में अस्थायी अप्रवासन के प्रवाह को रोकने के लिए पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए थी जो अब आवास संकट का कारण बन रहा है। आव्रजन विभाग ने स्पष्ट किया है कि मल्टीपल वीजाधारक को वीजा की वैधता की अवधि में आवश्यकतानुसार किसी भी देश से कनाडा में प्रवेश करने की अनुमति होगी।

इस बदलाव का मतलब है कि कनाडा में बार-बार आने वालों को अब कम अवधि के वीजा का सामना करना पड़ सकता है। इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा, जो नियमित रूप से काम का छुट्टी मनाने के लिए यात्रा करते हैं।