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ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से टैरिफ के मोर्चे पर भारत के लिए सीधी चुनौतियां, डिटेल में जानिए, पूरी इनसाइड स्टोरी

ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से टैरिफ के मोर्चे पर भारत के लिए सीधी चुनौतियां होंगी।

रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना लगभग तय हो चुका है। ऐसे में ट्रंप के हालिया बयान के मद्देनजर ट्रेड संभावनाओं को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। ट्रंप की वापसी से भारतीय एक्सपोर्ट पर टैरिफ बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि संरक्षणवाद में बढ़ोतरी और 'अमेरिका फर्स्ट' पर जोर की वजह से भारत पहले ही अमेरिका के साथ सख्य व्यापार संबंधों को लेकर तैयार है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने बताया, 'ट्रंप ने कहा है कि अगर वह सत्ता में आते हैं, तो न सिर्फ चीन बल्कि भारत पर भी ज्यादा टैरिफ लगाया जा सकता है। हालांकि, कमला हैरिस ने इस मामले में कुछ नहीं बोला था, लेकिन ट्रे़ड पॉलिसी में संरक्षणवाद को लेकर दोनों पार्टियों की राय कमोबेश एक ही है। बहरहाल, अगर ट्रंप की सत्ता में वापसी होती है, तो भारत पर ज्यादा असर देखने को मिलेगा।'

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय का कहना है कि ट्रंप का डेयरी और मेडिकल इक्विपमेंट जैसे अमेरिकी प्रोडक्ट्स भारत में उपलब्ध कराने पर जोर है। श्रीवास्तव के मुताबिक, ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से टैरिफ के मोर्चे पर भारत के लिए सीधी चुनौतियां होंगी, जबकि इस मामले में हैरिस प्रशासन का रवैया ज्यादा संतुलित होता।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दौर में भारत-अमेरिकी के बीच द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और इसका सालाना ट्रेड 190 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2020 से 2024 के दौरान भारत का एक्सपोर्ट 46 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 77.5 करोड़ डॉलर रहा। इस दौरान अमेरिकी से इंपोर्ट में भी बढ़ोतरी हुई और 17.9 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 35.8 अरब डॉलर से 42.2 अरब डॉलर हो गया।

अमेरिका भारतीय सामानों के लिए अहम बाजार है, खास तौर पर टेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स के मामले में मांग काफी ज्यादा है।

धर्म और अधर्म की लड़ाई चल रही है, अब वक़्त आ गया है कि हमें अपने देश को सुधारना होगा, चित्रकूट में बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने चित्रकूट में कहा कि धर्म और अधर्म की लड़ाई चल रही है, तथा अब वक़्त आ गया है कि हमें अपने देश को सुधारना होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी को ईश्वर द्वारा प्रदत्त अपना कर्तव्य निभाना चाहिए, जो कि धर्म के पक्ष में खड़ा होना है। इसके लिए सही आचरण की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि एक ओर स्वार्थ का दैत्य भारत को दबाने एवं सत्य को छिपाने का प्रयास कर रहा है, किन्तु वह कभी सफल नहीं होगा क्योंकि सत्य कभी दबता नहीं है, वह हमेशा सिर उठाकर बोलता है तथा यही आज हो रहा है। RSS प्रमुख ने यह भी कहा कि हमारी अस्तित्व इसलिए खत्म नहीं होती क्योंकि हमारी ऋषि-संतों की परंपरा और ईश्वर निष्ठा की मंडली का आशीर्वाद हमें प्राप्त है। भागवत ने यह भी कहा कि सनातन धर्म को दुनिया तक पहुंचाना हिन्दू समाज एवं भारत का कर्तव्य है।

मोहन भागवत ने यह भी कहा कि चित्रकूट आकर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने से उनका उद्देश्य पूरा हुआ। उन्हें संतो का आशीर्वाद प्राप्त हुआ एवं उन्होंने व्याख्यान सुना। उन्होंने कहा कि जैसे थोड़ा सा कड़वा चूर्ण खाने से हाजमा ठीक होता है, वैसे ही उनके वक्तव्य को भी उसी चूर्ण की तरह समझा जाना चाहिए। बुधवार को मोहन भागवत अपने दो दिवसीय प्रवास पर चित्रकूट पहुंचे थे। वे मानस मर्मज्ञ बैकुंठवासी पंडित रामकिंकर उपाध्याय के जन्म शताब्दी समारोह में सम्मिलित हुए थे। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय संत मोरारी बापू एवं अन्य संत-महंत, कथावाचक एवं प्रबुद्ध जन भी उपस्थित थे।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 370 पर बवाल, सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों में हाथापाई, जमकर चले लात-घूंसे

#massiveuproarinjammuandkashmirassembly

जम्मू कश्मीर विधानसभा में आज जबरदस्त हंगामा हो गया। विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार को अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई। सत्ता पक्ष और विपक्षी भाजपा के विधायकों ने एक-दूसरे का कॉलर पकड़ा और धक्कामुक्की की। सदन में हंगामे के बाद पहले विधानसभा की कार्यवाही 20 मिनट फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बारामूला से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद के भाई और लेंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख द्वारा अनुच्छेद 370 पर बैनर दिखाए। बैनर पर लिखा था, 'हम अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इस पर आपत्ति जताई। बैनर को देखकर भाजपा के विधायक भड़क गए। भाजपा विधायकों के विरोध का सिलसिला यहीं नहीं थमा। वे सदन के वेल से होते हुए खुर्शीद अहमद शेख के पास पहुंचे और उनके हाथ से बैनर छीन लिया। इस दौरान सज्जाद लोन और वहीद पारा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कुछ अन्य विधायक शेख के समर्थन में भाजपा विधायकों से भिड़ गए। दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई।

हंगामे के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामा और हाथापाई के बाद सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। सदन स्थगित होने के बाद भी भाजपा सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा। जिसके बाद मार्शलों ने आर एस पठानिया सहित कई भाजपा विधायकों को सदन से बाहर निकाला। जिसके बाद सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।

370 के बहाली के प्रस्ताव बीजेपी ने क्या कहा

अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है। वहीं, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पार्टी जम्मू और कश्मीर के अंदर पाकिस्तान के एजेंडे को चला रही है। 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है।

वहीद पारा ने पेश किया प्रस्ताव, पर खारिज

अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव ने तीखी बहस की शुरुआत सोमवार को विधानसभा के उद्घाटन सत्र से ही हो गई थी। पुलवामा का प्रतिनिधित्व करने वाले पीडीपी नेता वहीद पारा ने शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे को बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया। यह कदम 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ उनकी पार्टी के रुख के अनुरूप था।

उमर अब्दुल्ला ने किया खारिज

हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रस्ताव को 'प्रतीकात्मक' बताते हुए खारिज कर दिया, यह सुझाव देते हुए कि इसे वास्तविक इरादे से नहीं बल्कि जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर इस मुद्दे को लेकर गंभीरता थी, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के परामर्श से प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था।

वन रैंक-वन पेंशन को हुए 10 साल, पीएम मोदी बोले- सुरक्षाबलों की भलाई का फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (OROP) योजना के दस साल पूरे होने के अवसर पर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि यह योजना उन सैनिकों के साहस और बलिदान के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए लाई गई थी, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि यह योजना एक लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने के साथ ही पूर्व सैनिकों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता की पुष्टि भी है।

2014 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में इस योजना को अपने प्रमुख मुद्दों में से एक बनाया था। इसका उद्देश्य था कि समान रैंक और सेवा अवधि वाले सेवानिवृत्त सैनिकों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख के बावजूद समान पेंशन मिले। इस योजना के लागू होने से लाखों पेंशनभोगी परिवारों को लाभ हुआ है, जिससे सशस्त्र बलों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण मिलता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने OROP लागू करने के अपने वादे को पूरा किया है। उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह सत्ता में होती, तो यह योजना केवल एक सपना बनकर रह जाती। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी OROP योजना की सराहना करते हुए इसे प्रधानमंत्री की सशस्त्र बलों के प्रति नीति का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि इस योजना से 25 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों को लाभ मिला है, जो सरकार की सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

OROP योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि समान रैंक और समान सेवा अवधि वाले सेवानिवृत्त सैनिकों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से भिन्नता के बावजूद समान पेंशन मिले। इस योजना से पहले पूर्व सैनिक वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर पेंशन पाते थे। योजना के अनुसार, 30 जून 2014 तक सेवानिवृत्त सभी सैन्यकर्मी इसके अंतर्गत आते हैं। OROP का प्रस्ताव सबसे पहले भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय सर्वदलीय संसदीय पैनल द्वारा किया गया था, जिसे कोश्यारी समिति भी कहा जाता है। वर्तमान में इस योजना का सबसे अधिक लाभ उत्तर प्रदेश और पंजाब के पूर्व सैनिकों को मिल रहा है।

अमेरिका में ट्रंप की जीत से झूमा शेयर बाजार, 80000 के पार, करोड़ों निवेशकों को होगा फायदा

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आ चुके हैं, और एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में वापसी की है। वे फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं। ग्लोबल ब्रोकरेज की तरफ से यह उम्मीद व्यक्त की गई थी कि ट्रंप की जीत से शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है। चुनावी परिणामों के दिन बुधवार को भी शेयर बाजार में कुछ ऐसा ही देखने को मिला।

सेंसेक्स एवं निफ्टी ने जोरदार तेजी के साथ शुरुआत की। जैसे ही डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद की रेस में जीत की घोषणा हुई, सेंसेक्स एवं निफ्टी में तेज़ी दिखी। खबर लिखे जाने तक, दोपहर 1 बजे, BSE सेंसेक्स 740 अंकों की जबरदस्त उछाल के साथ 80,224 के स्तर पर पहुंच चुका था।

सेंसेक्स के अतिरिक्त, NSE निफ्टी में भी तूफानी तेजी देखी गई, तथा यह 241 अंक चढ़कर 24,454 के स्तर पर पहुंच गया। गौरतलब है कि Emkay Global ने यह अनुमान लगाया था कि ट्रंप की जीत के पश्चात् शेयर बाजार में शॉर्ट टर्म रैली देखी जा सकती है, जिससे निवेशकों को फायदा हो सकता है।

पराली जलाने पर लगेगा दोगुना जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एक्शन में केंद्र सरकार

#centredoublepenaltyforstubbleburningduetoai_pollution

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। इसका खामियाजा लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा रहा है। प्रदूषण की ये समस्या नई नहीं है। सालों से जारी इस समस्या पर केन्द्र और राज्य सरकारें लगाम लगाने में नाकाम रहीं हैं। अब सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने गुरुवार को एक नोटिफिकेशन जारी करके इसकी जानकारी दी है।

केंद्र सरकार ने पराली की समस्या के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा कदम उठाया है।केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग संशोधन नियम- 2024 प्रभावी होंगे। केंद्र सरकार इसे लेकर एक नोटिफिकेशन जारी की है। नोटिफिकेशन के अनुसार जो किसान दो एकड़ से कम भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 5000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा।इसके साथ ही जो किसान दो एकड़ या उससे अधिक, लेकिन पांच एकड़ से कम भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 10,000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा। जो किसान पांच एकड़ से अधिक भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 30,000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा। साथ ही पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू रहेगा।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया था दो हफ्ते का समय

दरअसल, 4 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पराली पर पंजाब-हरियाणा से 14 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। इससे पहले 23 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत नियम बनाने और जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करने के लिए केंद्र सरकार को दो हफ्ते का समय दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा सरकार को लगाई थी फटकार

इससे पहले 23 अक्टूबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट हरियाणा सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट नजर नहीं आया था। कोर्ट ने कहा कि हमें सख्त आदेश देने के लिए मजबूर न करें। जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस ए अमानुल्लाह और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने पंजाब और हरियाणा सरकार की खेतों में पराली जलाने से रोकने की कोशिशों को महज दिखावा बताया। कोर्ट ने कहा कि अगर ये सरकारें वास्तव में कानून लागू करने में रुचि रखती हैं तो कम से कम एक केस तो चलना ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को याद दिलाया जाए कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। प्रदूषण में रहना अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों

दो या इससे अधिक बैंक खाते रखने वालों पर अब आरबीआई की नजर, जारी किया गाइडलाइन, नहीं हो सकेगा फर्जीवाड़ा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक नई गाइडलाइन जारी की है जो उन ग्राहकों को प्रभावित कर सकती है जिनके पास एक से अधिक बैंक खाते हैं। RBI के इस दिशा-निर्देश का उद्देश्य बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षित बनाना और संभावित फर्जीवाड़े को रोकना है।

भारत में बैंकिंग व्यवस्था में धोखाधड़ी और अवैध लेनदेन की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। ऐसी स्थिति में RBI ने कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश पेश किए हैं ताकि बैंक खातों में होने वाले संदिग्ध लेनदेन पर निगरानी रखी जा सके। इसका उद्देश्य साफ है – बैंकिंग सेक्टर को सुरक्षित बनाना और हर तरह की धोखाधड़ी पर लगाम लगाना।

RBI के इस नए नियम के तहत अगर किसी ग्राहक के पास एक से अधिक बैंक खाते हैं और इनमें लेनदेन हो रहे हैं, तो उसके खाते पर नजर रखी जाएगी। अगर लेनदेन में किसी तरह की संदिग्ध गतिविधि पाई जाती है, तो संबंधित व्यक्ति पर जुर्माना लगाया जा सकता है। जुर्माने की राशि ग्राहक के खाते के ट्रांजैक्शन पैटर्न और वैलिडिटी पर निर्भर करेगी।

सावधानी

जिन ग्राहकों के पास एक से अधिक बैंक खाते हैं, उन्हें अपने लेनदेन के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है। RBI की गाइडलाइन के अनुसार, अगर किसी ग्राहक के खाते में संदिग्ध प्रकार का लेनदेन पाया जाता है, तो बैंक को यह अधिकार है कि वे उस खाते की जांच-पड़ताल करें। अगर जांच में अनियमितता पाई जाती है, तो खाते को फ्रीज किया जा सकता है और ग्राहक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे नियमित रूप से ग्राहकों के खातों की जांच करते रहें, खासकर उन खातों की जिनमें एक से अधिक बैंक खाते हो सकते हैं। अगर किसी खाते में संदिग्ध गतिविधि पाई जाती है, तो बैंक को इसकी रिपोर्ट तुरंत RBI को देनी होगी। इसके आधार पर ग्राहक के खिलाफ जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं। दो बैंक खाते रखना सभी के लिए गलत नहीं है। कई लोग अलग-अलग उद्देश्यों के लिए कई बैंक खातों का उपयोग करते हैं, उन्हें लेन देन स्पष्ट रखना होगा।

राहुल गांधी ने ऐसा क्या लिखा जो मच गया बवाल? भड़के शाही परिवार के नेताओं ने घेरा*
#rahul_gandhi_article_many_bjp_leaders_condemn
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आए दिन अपने बयानों के कारण सुर्खियों मे रहते हैं। एक बार फिर लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के एक संपादकीय ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। राहुल गांधी ने इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा है, जिसको लेकर बवाल मचा हुआ है। इस लेख की चंद लाइनों को लेकर राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उदयपुर के राजा लक्ष्य सिंह मेवार ने खूब निशाना साधा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक्स पर अपना लेख साझा करते हुए लिखा कि अपना भारत चुनें निष्पक्ष खेल या एकाधिकार? नौकरियां या कुलीनतंत्र? योग्यता या रिश्ते? नवाचार या डरा-धमकाना? बहुतों के लिए धन या कुछ चुनिंदा लोगों के लिए? मैं इस बारे में लिख रहा हूं कि व्यापार के लिए एक नया समझौता सिर्फ एक विकल्प नहीं है, यह भारत का भविष्य है। लेख में राहुल गांधी ने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी खत्म हो गई लेकिन उसने जो डर पैदा किया था, वह फिर से दिखाई देने लगा है। एकाधिकारवादियों की एक नई पीढ़ी ने उसकी जगह ले ली है। उन्होंने कहा कि इस कंपनी ने भारत की आवाज अपनी व्यापारिक शक्ति से नहीं बल्कि अपने शिंकजे से कुचली थी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के राज महराजाओं को डराकर धमकाकर और उन्हें घूस देकर भारत पर राज किया। इसने हमारे बैंकिंग, नौकरशाही और सूचना नेटवर्क को नियंत्रित किया। हमने अपनी आजादी किसी अन्य राष्ट्र से नहीं खोई; हमने इसे एक एकाधिकारवादी निगम से खो दीया जिसने एक जबरदस्ती तंत्र चलाया। *दीया कुमार ने कहा-इतिहास की आधी-अधूरी व्याख्या* राहुल गांधी के लेख की इन लाइनों ने राजशाही परिवार के लोगों को नाराज कर दिया है। राजस्थान की डिप्टी सीएम और जयपुर के पूर्व शाही परिवार की सदस्य दीया कुमारी ने एक्स हैंडल से राहुल गांधी पर निशाना साधा। दिया कुमारी ने कहा कि भारत के पूर्व शाही परिवारों को बदनाम करने के राहुल गांधी के प्रयासों की कड़ी निंदा करती हूं। एकीकृत भारत का सपना भारत के पूर्व राजपरिवारों के सर्वोच्च बलिदान के कारण ही संभव हो सका। ऐतिहासिक तथ्यों की आधी-अधूरी व्याख्या के आधार पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। *सिंधियां ने गिनाई भारतीय नायकों की गाथा* वहीं, कभी राहुल के करीबी रहे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी एक्स पर लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा है। उन्होंने कहा, नफरत बेचने वालों को भारतीय गौरव और इतिहास पर व्याख्यान देने का कोई अधिकार नहीं है। राहुल गांधी की भारत की समृद्ध विरासत के बारे में अज्ञानता और उनकी औपनिवेशिक मानसिकता ने सभी हदें पार कर दी हैं। यदि आप राष्ट्र के उत्थान का दावा करते हैं, तो भारत माता का अपमान करना बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेन्नम्मा और रानी वेलु नचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता के लिए जमकर लड़ाई लड़ी।' *भारत की विरासत 'गांधी' शीर्षक से शुरू या समाप्त नहीं होती-सिंधिया* सिंधिया ने आगे लिखा है, अपने विशेषाधिकारों के बारे में आपकी चुनिंदा भूल उन लोगों के लिए एक अपमान है जो वास्तव में प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। आपकी असहमति केवल कांग्रेस के एजेंडे को और उजागर करती है-राहुल गांधी आत्मनिर्भर भारत के चैंपियन नहीं हैं; वह केवल एक पुराने अधिकार का उत्पाद हैं। भारत की विरासत 'गांधी' शीर्षक से शुरू या समाप्त नहीं होती है। केवल पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही हमारे असली योद्धाओं की कहानियों का जश्न मनाया जा रहा है। भारत के इतिहास का सम्मान करें, या उसके लिए बोलने का दिखावा न करें। *मैसूर से सांसद यदुवीर वाडियार ने साधा निशाना* मैसूर से बीजेपी के सांसद यदुवीर वाडियार ने राहुल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को इतिहास के ज्ञान की कमी है। उनका नया लेख भारतीय विरासत के संरक्षण के लिए तत्कालीन रियासतों द्वारा किए गए योगदान के प्रति उनकी अज्ञानता को दर्शाता है, मैं लेख में उनके शब्दों के चयन और उनके द्वारा किए गए आक्षेपों की कड़ी निंदा करता हूं। *देवास की महरानी ने की निंदा* देवास के दिवंगत महाराजा सीनियर तुकोजी राव पवार की पत्नी और लोकसभा नेता गायत्री राजे पवार ने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा, मैं राहुल गांधी के लेख की निंदा करती हूं जिसमें भारत के महाराजाओं को बदनाम किया गया है, जो सनातन संस्कृति के स्तंभ थे। इन राजाओं ने हमारी विरासत, संप्रभुता और संस्कृति की रक्षा बड़ी व्यक्तिगत कीमत पर की और हमें “अखंड भारत” दिया। इस विरासत को नज़रअंदाज़ करना हमारी विरासत का अपमान है।
पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है”, जीत के बाद बोले ट्रंप

#donaldtrumpsaidworldloves_modi

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सत्ता में वापसी करने वाले हैं। ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। विदेशी राजनेताओं की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप की शानदार और धमाकेदार जीत पर उन्हें सबसे पहले बधाई दी। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के जीतने के बाद पीएम मोदी ने उनसे फोन पर बात की।बातचीत को लेकर पीएम मोदी ने भी एक्स पर पोस्ट किया।

पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि ‘अपने मित्र, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ शानदार बातचीत हुई और उन्हें उनकी शानदार जीत पर बधाई दी। प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और कई अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक बार फिर मिलकर काम करने की उम्मीद है।’

ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने पीएम मोदी की इस पहल का गर्मजोशी से जवाब दिया। उन्होंने भारत को शानदार देश और पीएम मोदी को शानदार व्यक्ति बताया। ट्रंप ने इस बात का भी जिक्र किया कि मोदी दुनिया के उन पहले नेताओं में से थे, जिन्होंने उनके जीत हासिल करने के बाद बात की। पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया पीएम मोदी से प्यार करती है।' उन्होंने भारत को एक मूल्यवान सहयोगी बताया।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने अमेरिका के नए राष्ट्रपति को चुनावी जीत पर शुभकामना संदेश भेजा है। जो लोग ट्रंप की विचारधारा को पसंद नहीं करते, उन्होंने भी औपचारिकता में बधाई संदेश भेजा है। जो बाइडेन ने ट्रंप को फोन करके बधाई दी और उन्हें व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया। हालांकि रूस ने अब तक ट्रंप को बधी नहीं दी है, साथ ही अमेरिका को अमित्र देश बताया है।

पुतिन ने अब तक ट्रंप को क्यों नहीं दी जीत की बधाई, अमेरिका-रूस के रिश्तों पर आया बड़ा बयान

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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में इतिहास रचने वाले डोनाल्ड ट्रंप को दुनिया भर के नेताओं ने बधाई दी है। लेकिन रूस के राष्ट्रपति पुतिन की ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया है।दुनिया के प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों की ओर से ट्रंप को बधाई दिए जाने के बीच पुतिन का ये कदम चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है। रूस की ओर से अमेरिका को अमित्र देश बताया गया है।

दरअसल, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ किया कि वो फिलहाल अभी डोनाल्ड ट्रंप को बधाई देने नहीं जा रहे हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन डोनाल्ड ट्रंप को बधाई देने की योजना नहीं बना रहे हैं। दिमित्री ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम एक ऐसे अमित्र देश के बारे में बात कर रहे हैं जो हमारे देश के खिलाफ युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है।यूक्रेन में चल रहे युद्ध का जिक्र करते हुए पेसकोव ने कहा कि ‘अमेरिका इस संघर्ष को बढ़ावा देता है और इसमें हिस्सा लेता है। अमेरिका इस विदेश नीति को बदलने में सक्षम है. यह किया जाएगा या नहीं और यह कैसे किया जाएगाष

बता दें कि मास्को ने दर्जनों देशों को ‘अमित्र’ के रूप में नामित किया है, जो रूस के हितों के लिए शत्रुतापूर्ण माने जाते हैं। इसमें आर्थिक प्रतिबंध लगाना और यूक्रेन का समर्थन करना शामिल है, क्योंकि वह रूस के के खिलाफ खुद में शामिल है।

रूस को अमेरिका के रुख का इंतजार

रूस ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं, लेकिन क्रेमलिन का दरवाजा बातचीत के लिए खुला है। अभी रूस को इस बात का इंतजार है कि जब जनवरी में डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस लौटते हैं तो क्या होता है।

जेलेंस्की ने ट्रंप को दी जीत की बधाई

वहीं, दूसरी तरफ यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ट्रंप को चुनावी जीत के लिए बधाई दी है। जेलेंस्की ने दुनिया के मामलों में ताकत के जरिये से शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए उनकी सराहना की। अपने चुनाव अभियान के दौरान, ट्रंप ने यूक्रेन में युद्ध से निपटने के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के तरीके की आलोचना की। ट्रंप ने दावा किया कि अगर वह अभी भी पद पर होते, तो रूस कभी भी पूरे पैमाने पर हमला शुरू नहीं करता। पुतिन और जेलेंस्की दोनों के साथ अपने अच्छे संबंध का दावा करते हुए, ट्रम्प ने दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने पर पदभार ग्रहण करने से पहले यूक्रेन में युद्ध को खत्म करने का वादा किया है।