त्वरित टिप्पणी :झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सह-मात का खेल जारी, जनता भ्रम में, कौन बेहतर.....?
झारखंड कि जनता के बीच जिस तरह राजनितिक दलों का सह -मात का खेल चल रहा है उस स्थिति में जनता किस करबट लेगी और अपना वोट किस पाले में डालेगी यह तो समय बताएगा. लेकिन युद्ध तेज़ है, घमासान मचा हुआ है,और जनता भ्रम में है कौन अच्छा कौन बुरा... जनता का यह निर्णय अब समय तय करेगा.....!पढ़िये पूरा विश्लेषण...!
विनोद आनंद
सम्भवत: झारखंड में विधानसभा चुनाव नवम्बर या दिसम्बर में होगी, तिथि की घोषणा नही हुई लेकिन सम्भावना है कि अक्टूबर माह में चुनाव आयोग द्वारा तिथि की घोषणा हो जाएगी।
लेकिन ज्यों-ज्यों विंधानसभा चुनाव का समय निकट आते जा रहा है झारखंड में सियासी उठा पटक शुरू हो गयी है।यह स्थिति पक्ष में भी है और विपक्ष में भी।
इस सियासी उठा -पटक में आने वाले समय में राजनीतिक समीकरण क्या होगा यह आने वाला समय तय करेगा लेकिन अगर हम सत्ता पक्ष की बात करें तो महागठबंधन के अंदर भी सियासी घमासान है। सीटों को लेकर और अपने वजूद को लेकर।
भाजपा अपनी रणनीतिक भूल के कारण झारखंड में शिबू सोरेन परिवार की स्थिति काफी मजबूत कर दी है। पिछले पांच सालों में लगातार कई कमियों के वाबजूद भी हेमन्त सोरेन के साथ जनता की सहानुभूति दिख रही है।
ईडी द्वारा हेमन्त सोरेन को जेल में डालना और उसके विरुद्ध कोई ठोस एविडेंस नही जुटा पाना भाजपा के लिए एक ऐसा वजह बन गया कि भाजपा पूरी फ़ौज और रणनीतिकार को मैदान में उतारने के वाबजूद भी अपने पक्ष में हवा नहीं बना पा रही है.
इधर हेमंत सोरेन और दिल्ली के सीएम अरबिंद केजरीवाल को लेकर कोर्ट की जो टिप्पणी आयी उससे ईडी की स्थिति और हास्यस्पद सी हो गयी है। ऐसा नहीं है कि ईडी ने इस अवधि में अच्छे काम नहीं किये, मनरेगा घोटाला में रुपये की बरामदगी, कमीशन घोटाले का उजागर कुछ इस तरह का काम था जो ईडी को सफलता मिली, लेकिन हेमंत सोरेन जो झारखंड के एक सिटिंग मुख्यमंत्री थे उनको बिना किसी ठोस एविडेंस, को जेल भेज देने की घटना को झारखंड की जनता नहीं पाचा पायी. एक धरना बन गयी की ईडी किसी के इशारे पर हेमंत सोरेन के राजनितिक शक्ति को छिन्न भिन्न करना चाहती है. लेकिन हुआ उल्टा. भाजपा की इस पुरे प्रकरण में बहुत क्षति हुआ. हेमन्त सोरेन मामले में ईडी की कारवाई ने इसके सारे उपलब्धि पर पानी फेर दिया है।
अभी झारखंड के सियासी समर में हेमन्त सोरेन को जेल जाने के बाद घर की दहलीज से बाहर आई कल्पना सोरेन के रूप में झारखंड मुक्ति मोर्चा को एक ऐसा मज़बूत चेहरा मिल गया जो सिर्फ झारखंड हीं नही राष्ट्रीय राजनीति में भी एक मज़बूत चेहरा बन गयी.
आज कल्पना सोरेन की दहाड़ की गूंज ना मात्र झारखंड बल्कि दिल्ली, मुम्बई में गूंज चुकी और देश के युवाओं और महिलाओं के बीच एक लोकप्रिय चेहरा बन गयी।हेमन्त सोरेन और कल्पना सोरेन आज भाजपा के पूरी फ़ौज पर भारी पड़ रही है।
इधर केंद्र में राहुल गांधी के तेबर और सियासी चाल भाजपा के आत्म विश्वास को लगातार तोड़ रहा है, मोदी मैजिक के मिथक को बहुत हद तक राहुल ने तोड़ दिया,और रही सही कसर को भाजपा और आरएसएस का अंदरूनी विवाद ने पूरा कर दिया.
केंद्र में कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव को लेकर झारखंड कांग्रेस के कुछ नेताओं के बोल भी बदलने लगे. कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने यह कह दिया कि अगर कांग्रेस के 30 विधायक हो जाये तो सीएम कांग्रेस का भी हो सकता है.
यह कहने के पीछे संदर्भ जो भी रहा हो लेकिन झामुमो के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं में जरूर बौखलाहट है.अंदरूनी सूत्रों से जो बात छन कर आ रही है उसके अनुसार महागठबंधन में कांग्रेस भी सीट बढ़ाने के फिराक में है वहीं राजद और माले भी ज्यादा सीट कि चाहत रखती है.
जबकि सच यह है कि झारखंड में जमीनी स्तर पर ना तो कांग्रेस का संगठन है और नहीं राजद का. कुछ मज़बूत चेहरा जिनका प्रभाव जनता में है और हेमंत सोरेन या झामुमो के बैशाखी के सहारे चुनावी बैतरणी पार करने में यह दोनों संगठन कामयाब होते हैं.
ऐसे हालत में राजद और कांग्रेस को कोई ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहिए जो पार्टी के सेहत के लिए मुश्किल स्थिति उत्पन्न कर दे.
बहरहाल जानता कि सहानुभूति हेमंत के साथ दिख रही है. कुछ योजनाए महिला वोटर को आकर्षित किया. भाजपा इसके काट और प्रभाव को काम करने के लिए कई योजनाओं कि घोषणा कर रही है. अब इसका कितना असर जनता पर पड़ेगी और कौन झारखंड के इस महासमर में जीत पायेगा. यह तो समय बतायेगा.
फिर भी कहा जा सकता है झारखंड कि जनता के बीच जिस तरह राजनितिक दलों का सह मात का खेल चल रहा है उस स्थिति में जनता किस करबट लेगी और अपना वोट किस पाले में डालेगी यह तो समय बताएगा. लेकिन युद्ध तेज़ है, घमासान मचा हुआ है,और जनता भ्रम में है कौन अच्छा कौन बुरा... जनता का यह निर्णय समय तय करेगा.....!
Oct 10 2024, 09:45