सम्पादकीय : झारखंड सिपाही भर्ती अभियान में युवाओं की मौत और बेहोशी पर राजनीती नहीं, केंद्र और राज्य सरकार को बजह पर मंथन की जरूरत है
दुखी हूं..! और क्षुब्ध भी! सरकार के उस व्यवस्था से जिसके कारण झारखंड के कई युवाओं को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा।
वे इस सपने के साथ गए थे कि उन्हें नौकरी मिलेगी।वे अपने जीवन की नई शुरुआत करेंगे।उनके मां-बाप को भी यह उम्मीद था कि उनके बच्चे घर खुशी के संदेशा लेकर आएंगे।
लेकिन सन्देशा आया..! खुशी का नही बल्कि एक ऐसा दुख का जो उन्हें अंदर तक हिला दिया।उनके बच्चे हीं इस दुनियां में नही रहे। एक ऐसा दुखद खबर जिसकी पीड़ा उन्हें जीवन भर रहेगी। उन सभी की पीड़ा से आज उनका पूरा गांव और ज्वार दुखी है। और देश की जनता भी!
हम बात कर रहे हैं उत्पाद विभाग के सिपाही की बहाली की। जिसमे बच्चे दौड़ते हुए बेहोश होते रहे ,मरते रहे लेकिन सरकार संवेदनहीन रही।
इस सूचना के बाद भी इस प्रतियोगिता को तत्काल रोक कर मौत के कारणों की पहले जांच नही की गई । घटना के बाद और घटना नही घटे इसके लिए इन सभी प्रतिभागियों के स्वास्थ्य की जांच नही की गई।
किसी जगह अगर यह घटना हुई तो अन्य जगहों पर तत्काल डॉक्टरों की टीम बैठाकर पहले इन प्रतिभागियों की स्वास्थ्य की जांच की जानी चाहिए थी और अगर वह दौड़ने के योग्य है तो फिर उसे दौड़ने की परमीशन दी जानी चाहिए थी।
जैसा कि कुछ जगहों से डॉक्टरों के यह बयान सामने आ रहे हैं कि दौड़ने के लिए स्टेमिना बढ़ाने वाली कुछ दवाइयाँ ली होगी जिसके कारण यह हादसा हुआ है।
हालाकिं यह सही नही लगता कि यह घटना कुछ दवाइयों के प्रयोग के कारण हुआ है, लेकिन जिस कारण भी यह हादसा हुआ है तो इस मौत की दौड़ को पहले इसे रोक देनी चाहिए थी।उसके बाद पहले प्रतिभागियों का मेडिकल जांच करना चाहिए था कि कहीं ये दौड़ में शामिल प्रतिभागी कहीं किसी दवा का प्रयोग तो नही किया है। जैसा कि खेल में होता है।अगर पकड़े जाते हैं तो पहले जांच और उसके बाद डिसक्वालिफाई कर दिया जाता है।अगर यह दवा का साइड इफेक्ट था तो लोगों की जान बचायी जा सकती थी.
जैसा कि आधिकारिक सूचना है कि झारखंड उत्पाद सिपाही की बहाली के दौड़ में अब तक 11 अभ्यर्थियों की मौत,हुई और 80 की हालत गंभीर है।
अधिकारिक सूचना के अनुसार जिन 11 अभ्यर्थियों की अब तक शारीरिक परीक्षा दौड़ के दौरान मृत्यु की बात सामने आई है, उसमे झारखंड जगुआर कैंपस में जो बहाली प्रक्रिया चल रही है उसमें एक अभ्यर्थी की मौत , गिरिडीह पुलिस लाइन में दो , हजारीबाग स्थित पदमा में 2 , पलामू में चार , साहेबगंज में एक, मुसाबनी में एक अभ्यर्थी की मौत हुई है।
इन अभ्यर्थियों की मौत का कारण का पता लगाने के लिए यूडी केस दर्ज कर अनुसंधान किया जा रहा है।यह भर्ती अभियान 22 अगस्त से शुरू की गई थी 3 सितंबर तक चलेगी.
इसके लिए जैसा कि सूचना है नौकरी के लिए प्रतिभागियों को 10 किलोमीटर तक दौड़ का चक्कर लगाना था ।इस दौड़ में . हर दिन युवा बेहोश होते रहे और उनकी मौत होती रही फिर भी यह मौत का दौड़ चलता रहा।
कुछ युवा इसमें से खुश नसीब होंगे जो मौत पर विजय पाकर इस नौकरी को प्राप्त कर लें।लेकिन यह भारत के इतिहास में शायद पहली घटना होगी की महज एक सिपाही की नौकरी के लिए इतने लोगों की जान गई और इतने लोग बेहोश हुए।
यह साधारण घटना नही है।और ना राजनीति करने का विषय है,बल्कि चिंता करने का विषय है। अचानक यह मौत क्यों और कैसे हुई इस पर ना सिर्फ राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार को भी एक मेडिकल टीम गठन करने की जरूरत है।
डॉक्टरों को सिर्फ अनुमान लगाकर बयानबाजी करने से भी बचना चाहिए। जैसा कि मैंने कहीं पढ़ा कि कुछ डॉक्टर कह रहे हैं कि किसी नशीले दवा का प्रयोग किया गया। तो कुछ कह रहे हैं कि ओ आर एस की कमी से, कुछ कह रहे हैं प्रक्टिश में खामियां, और ना जाने और क्या क्या कह रहे हैं। डॉक्टरों को अपने अनुमान आधारित बक्तब्य से बचना चाहिए ।
क्योंकि यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है। इस मौत का वजह कुछ भी हो सकता है, अचानक हार्ट स्ट्रोक,या अन्य बिमारी। इन मौत का वजह कोरोना वैक्सीन भी हो सकता है या अन्य कोई कारण!
इस पर भी मंथन और जांच की जरूरत है।इसके लिए मृतक के परिवार से भी मरने वाले युवाओं की पूरी हिस्ट्री लेनी होगी, उसे कोई बीमारी थी, कोरोना का कौन वैक्सीन लिया था, क्या उसे कोरोना भी हुआ था, उसके अलावे जो भी मौत का वजह हो इसकी जाँच की जानी चाहिए।
पिछले कुछ वर्षों से लगातार लोग चलते-फिरते गिर कर मर रहे हैं, डांस करते मर रहे हैं,जिसमे स्वस्थ और सही सलामत युवा और बच्चे भी हैं।यह मौत का सिलसिला आने वाला एक बहुत बड़ा खतरा का कारण है. जिस पर सरकार और मेडिकल टीम को बहुत हीं गंभीर होकर रिसर्च करने की जरूरत है।
लेकिन सरकार और सरकारी तंत्र इस मामले को लेकर उदासीन है। सिपाही बहाली की मौत को एक सबक के रूप में लेकर इस पर गहन जांच और मंथन की जरूरत है।साथ ही साथ सिपाही बहाली के लिए इतने जटिल शारीरिक जांच के नियमों और मानदंड पर भी समीक्षा की भी जरूरत है ।
इसके अलावे अंत में हेमंत सरकार से आग्रह है कि इस दौड़ में मृत युवाओं के परिवार को ऐसी कुछ राहत दी जाए जिससे वे इस दुख से वे उबर पाएं।
Oct 05 2024, 20:56