वरिष्ठ नागरिक दिवस के मौके पर जिला विधिक प्राधिकार ने जागरुकता शिविर का किया आयोजन
* औरंगाबाद: आज वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार औरंगाबाद के बैनर तले सरस्वती विद्या मंदिर ठाकुरबाड़ी रोड़ औरंगाबाद में एक विधिक जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। जिसका विषय था वरिष्ठ नागरिकों को प्रदत्त अधिकार और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित जागरूकता। कार्यक्रम की अध्यक्षता पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने किया और संचालन पारा विधिक सेवा सेवक मदन सिंह ने किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद के अध्यक्ष विजय कुमार पाण्डेय महासचिव जगनरायण सिंह, पूर्व अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह थे। जिला विधिक संघ औरंगाबाद के अध्यक्ष विजय कुमार पाण्डेय ने सम्बोधित करते हुए कहा कि बुजुर्ग बरगद के छांव है,जिन मनुष्य का उम्र 60 साल से अधिक हो जाता है वे सीनियर सिटीजन कहलाते हैंश बुज़ुर्ग को अपने परिवार में भरण पोषण का अधिकार है। यदि परिवार उपेक्षा करते हैं तो बुजुर्ग इसकी शिकायत अपने क्षेत्र के एस डी एम से कर सकते है। बुज़ुर्गो का सम्मान हमारा कर्तव्य है। महासचिव जगनरायण सिंह ने कहा कि बुजुर्ग माता-पिता अपने चल अचल सम्पत्ति अपने बच्चों को हस्तांतरित कर देते हैं तो बच्चों का कर्तव्य है कि अपने माता-पिता का सेवा सत्कार और भरण पोषण ताउम्र करें। बुजुर्ग को सम्मान और स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने व सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने का परम्परागत अधिकार है। पूर्व अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह ने कहा कि सरकार कई तरह के सुविधा और रियायत बुजुर्ग को देती है। जैसे आयकर में छूट, वृद्धा पेंशन, ट्रेन भाड़ा में रियायत, बसों में आरक्षण, अस्पताल में अलग कतार, डाकघर में सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम, आयुष्मान कार्ड इत्यादि। भारतीय संविधान में सम्मान के साथ जीने का अधिकार के रूप में स्थापित किया गया है। इसी प्रावधान के अनुरूप तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों द्वारा परित्याग न हो एवं बच्चों द्वारा प्रदान की गई गरिमापूर्ण जिंदगी मिले। इसके लिए सरकार समय समय पर कानून बनाती रहती है। कुछ बड़े शहरों में वृद्धा आश्रम का चलन चिंतनीय है। सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य नीरज कुमार कोशिक ने कहा कि हमें हर हर में विपरीत परिस्थितियों में भी माता पिता के प्रति अपने कर्तव्य और दायित्व सजग और निश्चयशिल होकर निभाना चाहिये। हम सरकारी नौकरी करें या प्राइवेट,या व्यवसाय में हो सीनियर सिटीजन के प्रति कर्तव्यनिष्ठा ही हमारा धर्म है। जो बुजुर्ग का उपेक्षा करते हैं उनके बच्चे भी वही सिखते हैं। इसलिए संस्कार युक्त परिवार और समाज का निर्माण में हम सब अपना सहयोग दे। कार्यक्रम के अंत में सम्बोधित करते हुए पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि बुज़ुर्गो के लिए सरकार ने एक कानून 'माता पिता और वरिष्ठ नागरिको को भरण पोषण तथा कल्याण एक्ट 2007'बनाया था। जो बुज़ुर्गो के हीत की सुरक्षा करती है। सम्पत्ति अंतरण परिवार में इस शर्त पर बुजुर्ग करते हैं कि बच्चे बुनियादी सुविधाएं और आवश्कता पूरी करेंगे। यदि ऐसा वे न करें तो सम्पत्ति अन्तरित शुन्य हो सकता है।आज विश्व वृद्ध दिवस है हम सब जानते हैं कि शिष्टाचार, संस्कार, परम्परा, रीति रिवाज समाज के बुज़ुर्गो का देन है। समाज के अमुल्य धरोहर हमारे बुजुर्ग समाज है। इस अवसर पर उपस्थित थे। शिक्षक धीरेन्द्र कुमार सिंह, संजय कुमार नवनीत, जितेन्द्र कुमार सिंह, सुरेश कुमार मेहता, ब्रजेश मेहता सहित अन्य उपस्थित थे। औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Oct 02 2024, 16:43