केरल के लाल की अनोखी कहानी: थॉमस चेरियन का शव 56 साल तक बर्फ में रहा दबा,अब मिले अवशेष
केरल के पथानामथिट्टा निवासी 22 वर्षीय थॉमस चेरियन की साल 1968 में प्लेन दुर्घटना में मौत हो गई थी. वह भारतीय सेना के जवान थे.
उनका शव रोहतांग की बर्फ में सालों तक दबा रहा. अब जाकर उनके अवशेष मिले हैं. 56 साल बाद जाकर अब थॉमस चेरियन के शव को उनके अपने गांव की मिट्टी नसीब होगी.
7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए इंडियन एयरफोर्स के एक विमान ने उड़ान भरी थी. इस विमान में 102 लोग सवार थे. लेकिन हिमाचल के रोहतांग दर्रे के पास विमान का संपर्क टूट गया था और फिर आगे बातल के ऊपर चंद्रभागा रैंज में विमान क्रैश हो गया था. इसमें सभी की मौत हो गई थी. मरने वालों में एक थे केरल के रहने वाले थॉमस चेरियन. वो भारतीय सेना के जवान थे. क्रैश के बाद उनका शव कहां गया, किसी को पता नहीं लग सका. अब जाकर उनके अवशेष मिले हैं.
आखिरकार मौत के 56 साल बाद अब इस जवान को अपने गांव की मिट्टी नसीब होगी. थॉमस चेरियन के घर वालों ने कहा- हम खुशी मनाएं या गम समझ नहीं आ रहा. जब थॉमस चेरियन की मौत हुई तो उस समय वो महज 22 साल के थे.
जानकारी के मुताबिक, पथानामथिट्टा निवासी ओडालिल परिवार के ओम थॉमस के पांच बच्चों में से चेरियन दूसरे नंबर पर थे. वायु सेना से उनके लापता होने की सूचना मिलने के बाद परिवार ने दुख में 56 साल तक इंतजार किया. 30 सितंबर को परिवार को बताया गया कि उनके अवशेष बरामद कर लिए गए हैं.
उनके छोटे भाई थॉमस वर्गीस और भतीजे शैजू के मैथ्यू सहित परिवार के जीवित सदस्य अभी भी परिवार के घर में रहते हैं. वर्गीस, जो अपने भाई के लापता होने के समय केवल आठ वर्ष के थे, को वह दिन अच्छी तरह याद है, जब 7 फरवरी, 1968 को विमान के लापता होने की सूचना देने वाला टेलीग्राम आया था.
2003 में हुई हादसे की पुष्टि
2003 में, अधिकारियों ने पुष्टि की कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और कुछ शव बरामद किए गए थे. जिसके बाद अरनमुला से स्थानीय पुलिस ने थॉमस चेरियन के बारे में विवरण सत्यापित करने के लिए उनके घर का दौरा किया, जहां उनका परिवार रहता है. भाई थॉमस वर्गीस को समझ नहीं आ रहा था कि वह ऐसे समय क्या करें. हालांकि, उन्होंने दुख और राहत दोनों व्यक्त करते हुए कहा कि, यह उनके लिए दुखद भरा क्षण है लेकिन कब्र में दफनाने के लिए अपने भाई के अवशेषों को प्राप्त करने से कुछ शांति मिली है.
तीन शवों की पहचान
शैजू मैथ्यू ने बताया- परिवार 56 वर्षों के बाद भी उनकी निरंतर खोज के लिए सरकार और सेना के प्रति आभार व्यक्त करता है. केरल के कई अन्य सैनिक भी AN12 विमान में सवार थे, जिनमें कोट्टायम के केपी पनिकर, केके राजपन और आर्मी सर्विस कोर के एस भास्करन पिल्लई शामिल थे. इन सैनिकों के शव अभी तक नहीं मिले हैं. सितंबर में रोहतांग दर्रे में चार और शव मिले थे, और इनमें से तीन की पहचान हो गई है, जिसमें थॉमस चेरियन का शव भी शामिल है. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि चौथा शव रन्नी के एक सैनिक पीएस जोसेफ का हो सकता है, जो विमान में भी था.
Oct 02 2024, 12:13