महा विरागी व आदि योगी हैं शिव: चिदंबरानंद सरस्वती
लखनऊ।देव समूह में सर्वशक्तिमान हैं शिव। वह देवाधिदेव महादेव के रूप में विख्यात हैं। सांसारिक जीवन की विलासिता उन्हें छू तक न गई है। जहां उन्हें सृष्टि के कल्याण का प्रवर्तक माना गया है, वहीं वह संहारक की संज्ञा प्राप्त है। वह fकभी क्रोध नहीं करते, परंतु जब उन्हें क्रोध आता है तो कुछ भी शेष नहीं बचता।शिव के इस स्वरूप के बाद भी जन-जन में उनके
लिए श्रद्धा और प्रेम का होना उन्हें सभी देवों से अलग करता है।
महादेव सभी के लिए सम भाव रखते हैं। यही कारण है कि वह देवों और असुरों दोनों के द्वारा समान रूप से पूज्य हैं।
यह बात यहां जानकीपुरम विस्तार में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन कथा प्रवर्तन करते हुए कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि यह समझने की बात है कि भगवान शिव क्या विनाश करते हैं।
वहअज्ञान,पीड़ा,मृत्यु,वासनाओं,कामनाओं, क्रोध,अहंकार,व मोह माया का विनाश करने वाले हैं। वह एक मात्र देवता हैं जो क्षण मात्र में ब्रह्मांड को ऊर्जा मे बदल सकते हैं और फिर इस ऊर्जा से नव ब्रह्मांड का सृजन करने में समर्थ हैं। स्वामी जी ने कहा कि इससे शिव का वैज्ञानिक स्वरूप प्रतिपादित होता है। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के दृव्य के ऊर्जा परिवर्तन का सिद्धांत इसी सत्य पर आधारित है। सृष्टि को स्थिरता प्रदान करने के लिए ही शिव ने अर्धनारीश्वर का द्वैत रुप धारण किया।
वस्तुत: शिव और शक्ति जहां जगत कारण हैं वहीं एक दूसरे के पूरक हैं। शिव का यही स्वरूप सृष्टि के स्थायित्व का कारण है।
कथा को विस्तार देते हुए स्वामी जी ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों के आविर्भाव का सूक्ष्म विवेचन करते हुए विभिन्न शिव लिंग स्वरूपों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि सर्व समर्थ होते हुए भी शिव पूरी तरह निस्पृह और विरागी हैं। वह सृष्टि के सभी नियमों से परे हैं।इसी लिए संहार की शक्ति शिव मे निहित है।
कथा व्यास ने कथा के मध्य अनेक सुमधुर भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर उन्हें शिव तत्व से इस तरह जोड़ा कि श्रोता भावविभोर हो नर्तन कर उठे।कथा का समापन आरती से हुआ।
इस मौके पर कथा के मुख्य यजमान और हरि हर सेवा समिति , लखनऊ के अध्यक्ष राम किशोर मिश्र के अलावा समिति के तमाम पदाधिकारी व हरदोई, लखीमपुर-खीरी, बाराबंकी, कानपुर, सीतापुर, आजमगढ़ आदि जनपदों से आए तमाम कथा प्रेमी व गण मान्य जन मौजूद रहे।
Sep 20 2024, 19:07