केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सिसोदिया नहीं तो फिर कौन होगा दिल्ली का नया सीएम?
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आबकारी नीति ‘घोटाला’ मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के दो दिन बाद दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान किया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्यालय पहुंचे केजरीवाल ने कार्यकर्तओं को संबोधित करके हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। केजरीवाल ने रविवार को कहा कि 2 दिन बाद मैं सीएम पद से इस्तीफा दूंगा। केजरीवा ने कहा कि चुनाव के बाद सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा, मेरी जगह कोई और सीएम होगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा है कि उनके साथ ही मनीष सिसोदिया भी कोई पद नहीं ग्रहण करेंगे। यानी इससे साफ हो गया है कि मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
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अरविंद केजरीवाल अब 2 दिन बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे।उन्होंने साफ किया कि मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। ऐसे में दिल्ली सीएम की कुर्सी पर सबसे बड़े दावेदार के रूप में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी देखी जा रही हैं। आतिशी सीएम केजरीवाल की बेहद भरोसेमंद नेताओं में गिनी जाती हैं। केजरीवाल उन पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया जब जेल गए थे तब उनकी जगह शिक्षा विभाग का जिम्मा आतिशी को ही दिया गया। उन्होंने ही दिल्ली का बजट भी पेश किया।
यही नहीं अपने इस्तीफे के ऐलान से पहले केजरीवाल ने अपने संबोधन के दौरान 15 अगस्त को लेकर आतिशी का नाम लिया। उन्होंने कहा, तिहाड़ जेल में रहने के दौरान मैंने एलजी को एक चिट्ठी लिखी कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर झंडा आतिशी फहराएंगी। लेकिन वो चिट्ठी वापस कर दी गई और यह भी वार्निंग दी गई कि फिर से चिट्ठी लिखी तो परिवार से मुलाकात बंद हो जाएगी।कालकाजी सीट से विधायक आतिशी आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की सदस्य भी हैं और वर्तमान में दिल्ली सरकार में शिक्षा, उच्च शिक्षा, टीटीई, वित्त, योजना, पीडब्ल्यूडी, जल, बिजली, सेवाएं, सतर्कता, जनसंपर्क मंत्री हैं।
आतिशी के अलावा सौरभ भारद्वाज भी सीएम पद की रेस में सबसे आगे हैं। वह लंबे समय से आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए हैं। दिल्ली विधानसभा में ग्रेटर कैलाश सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। सौरभ दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, शहरी विकास और पर्यटन मंत्री हैं। साथ वह पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं और संकटपूर्ण स्थितियों में पार्टी की ओर से पक्ष भी रखते हैं। इससे पहले सौरभ दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
सीएम पद की रेस में कैलाश गहलोत भी तीसरा बड़ा नाम चल रहा है। वह दिल्ली के परिवहन और पर्यावरण मंत्री हैं। वह नई दिल्ली के नजफगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। फिलहाल उनके पास परिवहन, प्रशासनिक सुधार, राजस्व, कानून, न्याय और विधायी मामले, महिला एवं बाल विकास तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी है। उन्होंने फरवरी 2015 में नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली विधानसभा के लिए अपना पहला चुनाव जीता था।
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री की रेस में राखी बिड़ला का नाम भी सामने आ रहा है। राखी बिड़ला एससी चेहरा हैं और पिछड़े वर्ग को ध्यान रखते हुए उन्हें कुर्सी सौंपी जा सकती है।
इसके अलावा एक नाम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का भी चल रहा है। बीजेपी भी इसको लेकर दावा कर रही है कि केजरीवाल अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।






आतंकवाद वित्त पोषण यानी टेरर फंडिंग के मामले में आरोपी इंजीनियर राशिद को जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी है।उनको चुनाव प्रचार के लिए 2 अक्तूबर तक अंतरिम जमानत मिली है। उनके जेल से बाहर आने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में खलबली मच गई है। उमर अब्दुल्ला हों या महबूबा मुफ्ती दोनों ही इंजीनियर राशिद के बाहर आने पर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं।नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी उन्हें बीजेपी की 'बी' टीम कह रही हैं। बारामूला के सांसद इंजीनियर राशिद को विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मिली है। उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव भी जेल में रहते हुए लड़ा था और जीते भी थे। उनका लोकसभा चुनाव जीतना इसलिए ज्यादा अहम माना गया क्योंकि उन्होंने उसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पराजित किया था। इस बार इंजीनियर राशिद यानी शेख अब्दुल राशिद का राजनीतिक दल अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। इंजीनियर राशिद का चुनाव लड़ना और जेल से बाहर आ जाना उमर अब्दुल्ला के साथ-साथ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के लिए भी चिंता का कारण बन गया है। उमर अब्दुल्ला कहते फिर रहे हैं कि राशिद को बेल चुनाव के लिए मिली है। इंजीनियर राशिद और उनके लोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं। नेशनल कांफ्रेस के बाद पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने राशिद की पार्टी पर जमकर निशाना साधा है, उनका कहना है कि राशिद की पार्टी आईपी बीजेपी की नई प्रॉक्सी दल है। पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दावा किया है कि आतंकी फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर रशीद की पार्टी जम्मू कश्मीर के अवाम की नहीं बल्कि भाजपा की एक छद्म पार्टी है। उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को ऐसे राजनीतिक दलों व नेताओं से दूर रहना चाहिए। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इंजीनियर राशिद के अंतरिम जमानत पर बड़ा बयान दिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने राशिद को बीजेपी के साथ चुनाव बाद गठबंधन की संभावनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती दी। अब्दुल्ला ने कहा, 'चुनाव के बाद वह भाजपा का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर वह चुप हैं। उन्हें यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि चुनाव के बाद वह किसी भी तरह से भाजपा का समर्थन नहीं करेंगे।' राशिद इंजीनियर की रिहाई से जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दलों में खौफ आ गया है। खासकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी में। राशिद के जेल से बाहर आने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की सबसे अधिक टेंशन बढ़ गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की बौथलाहट की वजह क्या है? बता दें कि घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का अपना वोट वैंक है, राशिद की पार्टी इन्हीं वोटरों को अपने पाले में ला सकती है, इससे जहां मामला त्रिकोणीय होगा तो बीजेपी को एक तरह से फायदा मिल सकता है। महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और राशिद की पार्टी के बीच इस चुनाव में बात नहीं बनी है, यानी अगर राशिद की पार्टी पूरे दमखम से चुनाव लड़ी तो पीडीपी को बहुत नुकसान होगा।
Sep 15 2024, 14:48
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