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*बारिश कम होने से खरीफ फसलों में रोग लगने का खतरा*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। अच्छी मानसूनी बारिश न होने से धान की फसलों में पानी की कमी लगातार बनी हुई है। इससे फसलों में कई बीमारियां फैलने की आशंका बढ़ गई है। धान के साथ मक्का, अरहर, उर्द, मूंग आदि फसलों में लगने वाले कीट और रोग से बचाव के लिए कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी रत्नेश कुमार सिंह ने बताया कि धान में संकरी और चौड़ी पत्ती खरपतवार के नियंत्रण के लिए प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत, 1.5 लीटर और एनीलोफास 30 प्रतिशत, 1.25 से 1.5 लीटर को 500-600 लीटर पानी घोलकर फ्लैटफन नॉजिल से दो इंच भरे पानी में छिड़काव करना चाहिए। दीमक और जड़ की सूड़ी के नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत को ढाई लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें। खैरा रोग के नियंत्रण के लिए पांच किलो जिंक सल्फेट को 20-25 किलो यूरिया को एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। तना बेधक से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप को छह से आठ लीटर पानी प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें। जीवाणु झुलसा और जीवाणुधारी रोग नियंत्रण के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरिसेंस दो प्रतिशत दो लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।मक्का में तना भेदक कीट से बचाव के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत एक लीटर या क्लोरंट्रनिलिप्रोल 200 मिली या इंडोक्साकाब 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। फाल आर्मी वर्म कीट से बचने के लिए 20-25 पक्षी आश्रय (बर्ड पर्चर) और 3-4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच लगाकर आसानी से प्रबंधन किया जा सकता है।
*जून, जुलाई में मानसून ने दिया दगा, अगस्त में औसत से अधिक बारिश*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में जून, जुलाई में मानसून के दगा देने के बाद अब अगस्त में किसानों को राहत मिली है। अगस्त माह में औसत से 24 मिमी अधिक बारिश हुई है। जून में 108 और जुलाई में 283 मिमी औसत बारिश होनी चाहिए, लेकिन इस साल जून में केवल 45 मिमी और जुलाई में 165 मिमी बारिश हुई थी। वहीं अगस्त महीने में औसत 286 मिमी से करीब 24 मिमी अधिक 309.8 मिमी बारिश हुई है। इस साल तीन महीनों में औसतन 677.1 मिमी के सापेक्ष केवल 519 मिमी बारिश हो सकी है। अगस्त में न सिर्फ जून, जुलाई, बल्कि 2023 के अगस्त से भी अच्छी बारिश दर्ज की गई। जिले में इस साल मानसून ने एक सप्ताह देरी से दस्तक दी थी। इस बार मानसून सीजन की पहली बारिश 28 जून को हुई थी। मौसम विभाग के अनुसार बिहार से मानसून की दस्तक होने के कारण मानसून में एक सप्ताह की देरी हुई थी। इस साल मानसून रूठा रहा। जून और जुलाई में औसत से काफी कम बारिश हुई। इससे किसानों के चेहरे की रौनक गायब दिखी। बारिश न होने से किसानों की खेती प्रभावित थी। वहीं दूसरी तरफ उसम और प्रचंड गर्मी ने लोगों की कठिन परीक्षा ली। मानसून सीजन के शुरुआती दो माह जून और जुलाई में बारिश न होने के कारण किसानों के सामने सिंचाई का संकट खड़ा रहा। कई किसान निजी संसाधन और नहरों के पानी पर निर्भर रहे। जून में 283 मिमी और जुलाई में 108 मिमी औसत बारिश होती है। इसके बाद जून में केवल 45 मिमी और जुलाई में 165 मिमी बारिश हुई। दोनों महीनों में औसत से कम बारिश होने पर मायूस किसानों को अगस्त महीने में राहत मिली। अगस्त में न सिर्फ जून, जुलाई, बल्कि 2023 के अगस्त से भी अच्छी बारिश दर्ज की गई। अगस्त 2023 में केवल 237 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। वहीं इस साल अगस्त में 309.8 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो कि औसत बारिश से करीब 23 मिमी अधिक है। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के मौसम विशेषज्ञ डॉ. आरपी चौधरी ने बताया कि अगस्त में रुक-रुक कर हुई बारिश खेती किसानी के दृष्टिकोण से बेहद फायदेमंद रहा। यह बारिश धान की फसल के लिए संजीवनी साबित हुई। अन्य फसलों के लिए भी यह बारिश कारगर है।

किस माह में कितना बारिश माह -

औसतन - बारिश जून - 105 - 45 जुलाई - 283 - 165 अगस्त - 286 - 309.8
*महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी कलेक्ट्रेट पहुंचकर दिया धरना, राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौपा*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के बैनर तले आंगनबाड़ी कर्मचारी कलेक्ट्रेट पर पहुंचकर धरना दिया। राज्यपाल को संबोधित विज्ञापन जिला अधिकारी को सौपा। आंगनबाड़ी कर्मचारी ने सरकार द्वारा बाल विकास परियोजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रो के लिए आउटसोर्सिंग के जरिए एजुकेटर की भारती की जा रहे हैं जो तत्काल रोका जाए। प्रदर्शन कर रही आंगनबाड़ी कर्मचारियो ने कहा कि सरकार के द्वारा बाल विकास परियोजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रो पर आउटसोर्सिंग के जरिए एजुकेटर की भर्ती करने जा रही है । जबकि राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कर्मचारी से केंद्र संचालक से साथ अन्य कार्य कराया जाता है। आंगनवाड़ी कार्यकत्री पोलियो, जनगणना, आधार सर्वे, टीकाकरण ,चुनाव ड्यूटी, राशन कार्डों का सत्यापन जैसे कार्य करती चली आ रही है। इसका समय पर मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता और ना ही हमारा मानदेय बढ़ाया जाता है । वर्षों से सेवा करने के पश्चात विभाग द्वारा हमें 62 वर्ष की उम्र में खाली हाथ रिटायर होना पड़ता है। रिटायरमेंट के बाद हमें कुछ भी पेंशन सेवा कार्य के रूप में नहीं दिया जाता है। जिससे हमें परिवार का भरण पोषण करने में मुश्किल हो जाता है। आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने प्रदेश में किया जा रहे एजुकेटर के भर्ती को तत्काल रोकने की मांग किया। इस अवसर पर अनीता मौर्या, अंजू देवी, आसमा बेगम, संजू देवी, निशा देवी ,बबिता सहित अन्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ती मौजूद रही।
*सड़क पर बह रहा दूषित पानी बढ़ी राहगीरों की परेशानी*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। नगर के वार्ड नंबर 10 स्थित ज्ञानपुर देहाती मार्ग पर काफी समय से नाले का गंदा पानी बह रहा है। नाली होने के बावजूद सड़क पर ही गंदा पानी बहाने के कारण हर दिन यहां कीचड़युक्त पानी लगा रहता है। जिससे संक्रामक बीमारी फैलने का डर बना रहता है। क‌ई बार तो लोग अपनी बाइक लेकर फिसल जाते हैं। ज्ञानपुर नगर पंचायत की आबादी 25 हजार के करीब है। नगर में 11 वार्ड है। जिसमें कुछ वार्ड ऐसे हैं। जहां हर दिन सड़क पर कीचड़युक्त पानी कारण संक्रमण बीमारी फैलने का डर तो बना ही रहता है। वहीं दुघर्टना की भी आशंका बनी रहती है। नगर के वार्ड संख्या दस के ज्ञानपुर देहाती मार्ग से बालीपुर मार्ग पर कुछ ऐसा ही हाल है। जहां स्थित स्कूल के पास महीनों से सड़क पर दूषित पानी बह रहा है। इस मोहल्ले में एक अस्पताल भी है। इसके कारण कुवरगंज मार्ग से सैकड़ों की संख्या में राहगीरों का हर दिन आवागमन होता है। ईओ राजेन्द्र दूबे ने बताया कि समस्या का समाधान जल्द ही किया जाएगा। स्थानीय रहवासी हैंडपंप का पानी एकत्रित होने से दिक्कतें होती है। पानी के ठहराव के लिए स्थायी समाधान ढूंढ़ा जाएगा।
भदोही में जिला अस्पताल में लायंस क्लब द्वारा आयोजित हुआ रक्तदान शिविर, डीएम ने किया शुभारंभ*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय  में रिलायंस क्लब के द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला अधिकारी विशाल सिंह ने फिता काटकर किया। इस दौरान दर्जन भर युवाओं ने रक्तदान किया। युवाओं ने कहा कि रक्तदान करें और किसी के जीवन का उपहार दें।जिला अस्पताल ज्ञानपुर में नेहरू युवा केंद्र एवं रिलायंस क्लब द्वारा सुरक्षित रक्तदान सिविल का आयोजन किया गया जिसमें जिला अधिकारी विशाल सिंह एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संतोष चक ने रक्तदाताओं का उत्साहित किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी विशाल सिंह ने कहा कि समय-समय पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता रहा है जिसके क्रम में आज रिलायंस क्लब द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जो काफी सराहनी है। उन्होंने रिलायंस क्लब के कार्यों की प्रशंसा की। दिया ने कहा कि जिले की वाहनों में जागरूकता आया है। जिसका परिणाम है कि रक्तदान शिविर में युवा बढचढ़कर हिस्सेदारी निभा रहे हैं । उन्होंने कहा कि ब्लड डोनेशन का जो गलत विचार था लोगों में अब धीरे-धीरे बाहर निकल चुका है। युवा लगातार ब्लड डोनेशन के लिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं । अब मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में ब्लड डोनेशन का जिले में क्रांति आयेगी और ब्लड बैंक में किसी प्रकार का ब्लड की कमी नहीं होगी।  इस अवसर पर लायंस क्लब के पदाधिकारी अरविंद भट्टाचार्य, सीएमएस राजेंद्र प्रसाद सहित अन्य पदाधिकारी व रक्तदाता युवा मौजूद रहे।
*चिकित्साधिकारी समेत 26 स्वास्थ्यकर्मी व चिकित्सक गायब, रोका वेतन*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। सीएमओ के तमाम चेतावनी के बाद भी चिकित्साकर्मियों की लापरवाही नहीं रूक रही है। सीएमओ ने कई स्वास्थ्य केन्द्रों का निरीक्षण किया। जिसमें एक साथ चिकत्सिाधिकारी समेत 26 स्वास्थ्य कर्मी व चिकित्सक गायब मिले। सीएमओ ने सभी का वेतन रोक दिया है और 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।सीएमओ डाॅ. संतोष कुमार चक ने शहर के चौरी रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदोही का निरीक्षण साढ़े आठ बजे किया। इस दौरान चिकत्सिाधिकारी डाॅ. नीलेश जायसवाल समेत 24 लोग गायब मिले। जिसमें डाॅ. पूनम मोदनवाल, प्रिया मौर्य, डाॅ. गरिमा गुजराती, डाॅ. भूमिका जायसवाल, डाॅ. धर्मेन्द्र चौरसिया के साथ एकता पटेल, ममता, रश्मि राजपूत, छाया पाल, प्रियंका मौर्या, खुशबू भारती, वंदना देवी, उत्कर्ष सिंह, मनीष कुमार, संदीप कुमार तिवारी, अश्विनी तिवारी, संगीता देवी, बन्दिू देवी, संदीप कुमार, विनोद पाल, राजेश कुमार यादव, पूजा कुमारी गुप्ता व रागिनी गायब मिलीं। सीएमओ ने सभी का एक दिन का वेतन रोक दिया। वहीं उपकेंद्र बदरहां और अजयपुर भी पहुंचे। उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों ने चेताया कि किसी भी हाल में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीएमओ डॉ. एसके चक ने बताया कि निरीक्षण में अनुपस्थित स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन रोक कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
*दो गांवों में नहीं बना आर‌आरसी सेंटर,हाईवे किनारे डंप हो रहा कूड़ा*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। हाईवे किनारे स्थित बाजारों का कूड़ा एप्रोच मार्ग पर डंप किया जा रहा है। इससे राहगीरों को दिक्कत होती है। गांवों में आरआरसी सेंटर न होने के कारण कूड़ा एप्रोच मार्ग पर डंप किया जा रहा है। बारिश के सीजन में लोगों को संक्रामक बीमारियों के फैलने की चिंता सता रही है।वाराणसी-प्रयागराज हाईवे के 43 किमी के दायरे में महाराजगंज, बाबूसराय, औराई, माधोसिंह, जंगीगंज जैसे प्रमुख बाजार पड़ते हैं। बाजारों के पास हाईवे प्राधिकरण की ओर से फ्लाईओवर बनवाए गए हैं। फ्लाईओवर के नीचे सुबह-शाम दुकानें सजती हैं। इन दुकानों और बाजारों से निकलने वाले कचरे को हाईवे किनारे एप्रोच मार्ग पर डंप कर दिया जाता है। महराजगंज और माधोसिंह गांव में अब तक आरआरसी सेंटर नहीं बन पाया है। इसलिए इन गांवों का कूड़ा सड़क किनारे ही डंप किया जा रहा है। माधोसिंह गांव में तो कूड़ा ट्राॅली भी रखी गई है। इसके बावजूद कचरा सड़क पर फैला रहता है। यही हाल महराजगंज गांव में भी है। महराजगंज से सटे हुसैनीपुर के पास सड़क पर कचरा फैला रहता है। हर दिन हाईवे के एप्रोच मार्ग से 400 से 500 लोग आवागमन करते हैं। कचरे के दुर्गंध से राहगीरों को परेशानी होती है। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत जिम्मेदारों से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हुसैनीपुर के ग्राम प्रधान नीलू गुप्ता ने बताया कि गांव में जगह न मिलने के कारण आरआरसी सेंटर नहीं बन पाया है। इसकी रिपोर्ट लेखपाल ने शासन को भेजी है। गांव से बाहर आरआरसी सेंटर के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। इस संबंध में एसडीएम बरखा सिंह का कहना है कि किसी भी हाल में सड़क पर कूड़ा डंप नहीं किया जाना है। संबंधित ग्राम पंचायतों से जवाब मांगा जाएगा। गांवों में कचरा निस्तारण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
*अगस्त में पहली बार देखने को मिला कोहरा*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में इन दिनों मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिला रहा है। सुबह कोहरा, दोपहर में धूप और शाम में बारिश देखने को मिल रही है। अगस्त महीने में शनिवार को पहली बार कोहरा देखने को मिला। दो-दो घंटे में मौसम के करवट बदलने से लोगों को सिहरन और उमस का अहसास हो रहा है। मौसम के इस उतार-चढ़ाव का लोगों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अस्पतालों की ओपीडी में रोजाना 800 से 900 मौसमी बीमारी से पीड़ित पहुंच रहे हैं। शनिवार को सुबह अभोली, दुर्गांगंज, मोढ, ऊंज समेत कई इलाकों में कोहरा छाया रहा। सुबह 10 बजे के बाद तीखी धूप देखने को मिली। साढे चार के बाद मौसम ने करवट बदल लिया। आसमान में बादल छा गए। पांच तेज बारिश शुरू हो गई। एक ही दिन में तीन मौसम देख लोग आश्चर्य में पड़ गए। हालांकि मौसम विभाग ने मौसम हुए इस बदलाव को सामान्य परिवर्तन बताया है। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के मौसम विशेषज्ञ सर्वेश बरनवाल ने बताया कि इस समय मौसम गर्मी से सर्दी की ओर रूख कर रहा है। इसलिए लोगों को भोर में गुलाबी ठंड और दिन में उमस का अहसास हो रहा है। वहीं, डॉक्टर उतार-चढ़ाव भरे मौसम में लोगों को सतर्क रहने की हिदायत दी है। जिला चिकित्सालय के डॉ. प्रदीप यादव ने बताया कि इस मौसम में वायरल बुखार तेजी से फैलता है। इससे बचाव के लिए सजगता जरुरी है। वायरल बुखार से उबरने में तीन दिन का समय लगता है। बताया कि जिला चिकित्सालय में शनिवार को मौसमी बीमारी से पीड़ित 745 लोग पहुंचे। जांच कर उन्हें दवाएं दी गईं। महजूदा निवासी पूर्व रेलकर्मी शीतला प्रसाद पांडेय ने बताया कि आमतौर पर सितंबर में गुलाबी ठंड पड़ने लगती है। इस बार 15 दिन पहले ही मौसम का मिजाज बदल गया। सुबह 5.15 बजे ठंड का अहसास होता है। कोहरा देखने को मिला।
*मौंसम में उतार - चढ़ाव से वायरल फीवर का बढ़ा खतरा,रहे सतर्क*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। मौसम में आ रहा उतार - चढ़ाव से वायरल फीवर का खतरा बढ़ रहा है। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय हो या निजी नर्सिंगहोम हर तरफ मरीजों में वृद्धि होता जा रहा है। दिन में तीखी धूप तो शाम को मेघ की दस्तक संग हल्की बारिश से लोग बीमार पड़ जा रहे हैं। बारिश का पानी गड्ढों में जमा होने से उपज रहे मच्छर भी संक्रामक बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में सर्दी, जुकाम, टाइफाइड, मलेरिया चिकनगुनिया जैसे बीमारी से बचाव को विशेष एहतियात बरतना जरूरी है। कालीन नगरी में इन दिनों से मौसम में लगातार हो रहा उतार - चढ़ाव से लोग बीमारियों से ग्रस्ति हो रहे हैं। दिन में तेज धूप तो रात में बारिश के कारण लोग बीमार पड़ने लगे हैं। अस्पतालों में ज्यादातर मरीज वायरल फीवर, सर्दी, जुकाम, टाइफाइड,पेट दर्द और उल्टी से पीड़ित आ रहे हैं। जिला अस्पताल स्थित ओपीडी के बाहर सुबह 11 बजे ही मरीजों की लंबी कतार लग गई थी। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ प्रदीप कुमार यादव ने बताया कि इन दिनों संक्रामक बीमारी से बचाव को विशेष ध्यान देना जरूरी है। जिला अस्पताल में प्रत्येक दिन एक हजार से ज्यादा मरीज उपचार को आ रहे हैं। वायरल बुखार से पीड़ित हैं जो पर्याप्त मात्रा में आराम करना चाहिए। सूप और खिचड़ी जैसे गर्म और हल्का भोजन करें। तेज बुखार संग बदन में दर्द होता है तो तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लेने के बाद ही कोई दवा सेवन करें। वायरल फीवर की चपेट में कमजोर प्रतिरोधक क्षमता क्षमता के कारण बच्चे और वृद्ध ज्यादा आते हैं। वायरल फीवर से पीड़ित रोगी को ठंड देकर बुखार आने लगता है। बुखार नियम अंतराल पर होता है।
*रेशम विकास के लिए सीएसटीआरआई से अनुबंध करेगा आईआईसीटी*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। टेक्सटाइल के क्षेत्र में डिग्री प्रदान करने वाली एशिया की इकलौती भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) जूट के बाद अब रेशम विकास को लेकर समझौते के प्रयास में जुटी है। संस्थान इसको लेकर प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है। संस्थान जल्द ही केंद्रीय रेशम औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसटीआरआई) के साथ इन बिंदुओं पर लेकर चर्चा करेगा। आईआईसीटी के निदेशक डाॅ. राजीव कुमार वार्ष्णेय ने बताया कि ऊन के विकास के लिए संस्थान शुरू से ही काम कर रहा है। इसके लिए वस्त्र मंत्रालय ने संस्थान को विभिन्न प्रकार के टेस्टिंग लैब प्रदान किया है। जिससे उद्यमी लाभान्वित भी हो रहे हैं।इसी कड़ी में कालीन उद्यमियों को उच्च कोटि के जूट की उपलब्धता, जूट से संबंधित उत्पादों पर अनुसंधान, जूट के नकारात्मक पक्षों को जान कर उन्हें दूर करने और कौन से जूट यार्न कालीन और फ्लोर कवरिंग में सबसे उपयोगी सिद्ध होंगे। इस पर काम करने के लिए जेसीआई से समझौता किया गया है।इसको लेकर कालीन उद्यमियों के लिए कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया है। इसी दिशा में अब संस्थान रेशम (सिल्क) कालीनों और हस्तशिल्प के विकास के लिए सीएसटीआरआई, बंगलोर के साथ समझौते के लिए मसौदा तैयार कर रहा है। बताया कि भारत से भदोही, मिर्जापुर, कश्मीर, दिल्ली, पानीपत, जयपुर क्षेत्र से अच्छी मात्रा में सिल्क कालीनों का निर्माण और निर्यात हो रहा है। सिल्क से और क्या-क्या हस्तशिल्प बन सकता है। आने वाले दिनों में सीएसटीआरआई बंगलोर से समझौते के बाद इसी पर अनुसंधान और विकास करेंगे, जो कालीन और हस्तशिल्प उद्यमियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होने वाला है।